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प्रधानमंत्री ने कुरुक्षेत्र में श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस की श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री मोदी हरियाणा के कुरुक्षेत्र में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे थे, जहां पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस, हिंद दी छादर, की याद में श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रधानमंत्री ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष सिर झुकाया और फिर गुरु जी के 350वें शहीदी दिवस को समर्पित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस की स्मृति में एक विशेष सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया।

इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष जगदीश सिंह झिंडा भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि सिखों के नौवें गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता, धर्म और राष्ट्र की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। यह विरासत हर व्यक्ति के साथ साझा की जानी चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस महान इतिहास से प्रेरणा ले सकें। श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस को सम्मानित करने के लिए केंद्र सरकार एक वर्षभर का आयोजन कर रही है।

इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ज्योतिसर में भगवान श्री कृष्ण के पवित्र शंख ‘पंचजन्य’ की स्मृति में निर्मित ‘पंचजन्य स्मारक’ का उद्घाटन किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने ज्योतिसर के अनुभव केंद्र का भी दौरा किया। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में भी भाग लिया और महा आरती में शामिल हुए।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज जब अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज फहराया गया, मुझे भी सिख समुदाय से आशीर्वाद लेने का अवसर मिला। थोड़ी देर पहले ही, कुरुक्षेत्र की इस पवित्र भूमि पर पंचजन्य स्मारक का उद्घाटन हुआ।” प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “कुरुक्षेत्र की इस भूमि पर खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण ने सत्य और न्याय की रक्षा को सबसे बड़ा कर्तव्य माना था। श्री गुरु तेग बहादुर जी ने भी सत्य, न्याय और आस्था की रक्षा को अपना कर्तव्य माना और इस कर्तव्य की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी।” उन्होंने कहा, “इतिहास में श्री गुरु तेग बहादुर जी जैसे व्यक्तित्व दुर्लभ होते हैं, और उनका जीवन, बलिदान और चरित्र हमारे लिए महान प्रेरणा का स्रोत हैं।”

प्रधानमंत्री ने महाभारत अनुभव केंद्र का भी दौरा किया, जो महाभारत के महत्वपूर्ण घटनाक्रमों को प्रदर्शित करने वाले स्थापनाओं से सुसज्जित एक इमर्सिव अनुभव केंद्र है, जो इसके सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को उजागर करता है।

संसद के शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार 10 बड़े बिल लाएगी

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से शुरू होगा और 19 दिसंबर तक चलेगा। 15 दिनों के इस सत्र पर पूरे देश की निगाहें रहेंगी। इस बार 10 अहम विधेयकों को एजेंडे में शामिल किया गया है। सबसे ज्यादा चर्चा परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025 की है, जो पहली बार निजी कंपनियों को न्यूक्लियर पावर सेक्टर में उतरने की इजाजत देगा। 

  1. परमाणु ऊर्जा विधेयक, 2025: न्यूक्लियर सेक्टर में निजी कंपनियों की एंट्री

अब तक देश के सभी न्यूक्लियर प्लांट सिर्फ सरकारी कंपनी एनपीसीआईएल ही बनाती है। नए बिल के बाद भारतीय और विदेशी निजी कंपनियों को भी परमाणु प्लांट लगाने की अनुमति मिलेगी। सरकार का मानना है कि इससे देश में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन की रफ्तार बढ़ेगी और निवेश के नए रास्ते खुलेंगे।

2. भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक

उच्च शिक्षा में बड़े बदलाव की तैयारी। प्रस्तावित आयोग उच्च शिक्षण संस्थानों को मान्यता देने, स्वायत्तता तय करने और गुणवत्ता बनाए रखने का काम करेगा। सरकार का दावा।इससे विश्वविद्यालयों के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और शिक्षा प्रणाली आधुनिक होगी।

3. नेशनल हाईवे (अमेंडमेंट) बिल: जमीन अधिग्रहण होगा तेज

हाईवे निर्माण में देरी का सबसे बड़ा कारण जमीन अधिग्रहण की जटिल प्रक्रिया है। नए संशोधन के बाद भूमि अधिग्रहण तेज और ज्यादा पारदर्शी होगा। इससे नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स की स्पीड बढ़ने की उम्मीद है।

4. कॉरपोरेट कानून (संशोधन) विधेयक, 2025

कंपनियों को कारोबार में आसानी देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 और एलएलपी अधिनियम, 2008 में बदलाव किए जाएंगे। सरकार का लक्ष्य अनुपालन के बोझ को कम करना और व्यवसायिक माहौल को और अनुकूल बनाना।

5. प्रतिभूति बाजार संहिता विधेयक, 2025

शेयर बाजार से जुड़े तीन प्रमुख कानूनों सेबी अधिनियम, डिपॉजिटरी अधिनियम और प्रतिभूति अनुबंध अधिनियम—को एक ही कोड में समेटने की तैयारी। इससे बाजार नियमन और सिस्टम मजबूत होगा।

6. संविधान का 131वां संशोधन: चंडीगढ़ को आर्टिकल 240 में लाने का प्रस्ताव

संविधान संशोधन के तहत चंडीगढ़ को अनुच्छेद 240 के दायरे में शामिल करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इससे केंद्र सरकार चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए विशेष नियम बना सकेगी। हालांकि, केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर बुलेटिन के बाद सफाई भी दी है।

7. आर्बिट्रेशन और सुलह अधिनियम (संशोधन) बिल

लंबे समय तक कोर्ट में अटके रहने वाले विवादों को तेजी से निपटाने पर फोकस। यह संशोधन आर्बिट्रेशन के फैसलों को चुनौती देने की प्रक्रिया सरल बनाएगा और विवादों के समाधान की समय-सीमा कम करेगा।

पिछले सत्र से लंबित दो विधेयक भी इस बार चर्चा और पारित होने की सूची में शामिल हैं।

इसके साथ ही वर्ष का पहला अनुपूरक बजट भी पेश होगा।

NCRB रिपोर्ट का खुलासा , 2023 में देशभर में 13,892 छात्रों ने जान दी, अकेले महाराष्ट्र में 2,046 केस

छात्रों पर पढ़ाई का दबाव, सामाजिक तुलना, अपमान और असफलता का डर , स्कूलों का कड़ा रवैया देशभर में छात्र इन मानसिक चुनौतियों के आगे टूट रहे हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। महाराष्ट्र छात्रों की आत्महत्याओं में देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है।

शिक्षा और प्रगतिशील सोच के लिए पहचाने जाने वाले इस राज्य के लिए यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है। रिपोर्ट बताती है कि बीते वर्षों में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है और अब यह समस्या राष्ट्रीय संकट बन चुकी है।

महाराष्ट्र सबसे आगे, देश में 13,892 छात्रों ने 2023 में की आत्महत्या NCRB के अनुसार 2023 में 13,892 छात्रों ने आत्महत्या की

इनमें से सबसे ज्यादा 2,046 मामले महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश दूसरे स्थान पर1,459, उत्तरप्रदेश तीसरे स्थान पर 1,373, तमिलनाडु चौथे स्थान पर 1,339

इन आंकड़ों से साफ है कि पढ़ाई और प्रतिस्पर्धा का दबाव बच्चों की मानसिक सेहत पर गहरा असर डाल रहा है।

स्कूलों में अपमान और तुलना से बढ़ रहा तनाव

दिल्ली के छात्र शौर्य पाटिल और जालना की आरोही बिटलान की आत्महत्या ने पूरे देश को झकझोरा। NCRB रिपोर्ट में बताया गया की स्कूलों में अपमानजनक व्यवहार, दोस्तों के सामने डांटना

फेल होने पर ताने, दूसरे बच्चों से तुलना, फीस न भरने पर बच्चों को अलग बैठाना

ये कारण छात्रों को गहरे तनाव में धकेल रहे हैं। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्कूल में अपमान झेलने के मामलों में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है।

सबसे ज्यादा आत्महत्याएं 10वीं ओर 12वीं के छात्रों में 24.6% आत्महत्याएं 10वीं, 12वीं के छात्रों द्वारा

18.6% प्रथम से तृतीय वर्ष कॉलेज छात्रों द्वारा 17.5% उच्च प्राथमिक (मिडिल स्कूल) छात्रों द्वारा

यह दर्शाता है कि सबसे अधिक तनाव स्कूल स्तर पर ही झेला जा रहा है।

10 साल में 72% बढ़ीं छात्रों की आत्महत्याएं

2015 में 900 मामलों की बढ़ोतरी, 2020 में 2,100 मामलों की बढ़ोतरी, 2023 में 848 नए केस

विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना काल के बाद बच्चों में तनाव, प्रतिस्पर्धा और सामाजिक दबाव और तेज़ी से बढ़ा है।

सरकार की पहलें तो की है लेकिन असर सीमित है।

सरकार की तरफ से छात्रों की आत्महत्या रोकने के लिए।मेंटल हेल्थकेयर एक्ट, एंटी-रैगिंग उपाय

स्टूडेंट काउंसलिंग, सुसाइड प्रिवेंशन गेटकीपर ट्रेनिंग

मौजूद हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि जमीनी स्तर पर इनका प्रभाव उतना नहीं दिख रहा।

महाराष्ट्र के बड़े शहरों की स्थिति भी गंभीर

2023 में—

मुंबई : 1,415 मामले

पुणे : 953

नागपुर : 663

औरंगाबाद : 354

नासिक : 160

स्वतंत्र सिनेमा में महिलाओं का समर्थनपूर्ण माहौल की मांग

‘A Global India Through Independent Cinema: A Women’s Panel’ शीर्षक वाले पैनल डिस्कशन में चार प्रभावशाली आवाज़ों ने भाग लिया — अभिनेता-निर्माता राजनी बासुमतरी, सिनेमैटोग्राफर फौज़िया फातिमा, अभिनेता-निर्माता राचेल ग्रिफिथ्स, और अभिनेता मीनाक्षी जयन। इस चर्चा में इस बात पर चर्चा की गई कि महिलाओं की रचनात्मक और व्यक्तिगत यात्राएँ स्वतंत्र सिनेमा के भविष्य को कैसे आकार दे रही हैं।

चर्चा की शुरुआत महिलाओं के फिल्म निर्माण में सहानुभूति को एक निर्णायक तत्व के रूप में किए गए विचारों से हुई। फौज़िया ने बताया कि संपूर्ण रचनात्मक प्रक्रिया, विचार के बीज से लेकर अंतिम फ्रेम तक, सहानुभूति पर आधारित होती है, जो फिल्म निर्माताओं को स्थानीय कथाओं को वैश्विक स्तर पर गूंजने वाली कहानियों में बदलने की क्षमता प्रदान करती है। राजनी ने जोड़ा कि महिलाएं जीवन के छोटे से छोटे पहलुओं को ध्यान से देखती हैं, और यही सूक्ष्म निरीक्षण उनके फिल्मों को उन कहानियों को आवाज देने की क्षमता प्रदान करता है, जो अन्यथा अनकही रह जातीं।

जब चर्चा का रुख प्रतिनिधित्व की ओर मुड़ा, तो पैनल ने यह पूछा कि क्या आज के समय में महिलाएं इंडस्ट्री में अधिक देखी जाती हैं। राचेल ने बताया कि उनके अपने उद्योग में महिला सिनेमैटोग्राफर्स और निर्माता की संख्या बढ़ रही है। फौज़िया ने भारतीय महिला सिनेमैटोग्राफर्स कलेक्टिव के विकास की कहानी सुनाई, जो 2017 में कुछ सदस्यों के साथ शुरू हुआ था और अब यह लगभग दो सौ सदस्यों तक फैल चुका है, जिसमें जूनियर से लेकर सीनियर तक शामिल हैं। उन्होंने बताया कि यह कलेक्टिव मेंटरशिप और सहयोग को बढ़ावा देता है, जो महिला फिल्म निर्माताओं के लिए वह समर्थनपूर्ण माहौल प्रदान करता है, जिसकी उद्योग में महिलाओं को लंबे समय से आवश्यकता रही है। उन्होंने आईएफएफआई में महिला सिनेमैटोग्राफरों की उपस्थिति की सराहना करते हुए ‘विमुक्ति’ में शेली शर्मा और ‘शेप ऑफ मोमो’ में अर्चना घांगरेकर के शिल्प की तारीफ की।

राजनी ने याद किया कि दो साल पहले उनके अपने प्रोजेक्ट के लिए इस कलेक्टिव के एक सिनेमैटोग्राफर का संदर्भ दिया गया था, और यह उस नेटवर्क के प्रभाव को रेखांकित करता है। मीनाक्षी ने केरल राज्य सरकार द्वारा समर्थित उस पहल को बताया, जो महिलाओं द्वारा बनाई गई फिल्मों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है, और बताया कि उनकी फिल्म ‘विक्टोरिया’ इसी अवसर से उपजी थी। फौज़िया, जिन्होंने केरल राज्य सरकार के महिला-नेतृत्व वाली फिल्मों को समर्थन देने वाले पहले चयन पैनल में काम किया, ने बताया कि कुछ पुरुष महिला नामों के तहत परियोजनाएँ प्रस्तुत करते हैं, जिससे सतर्कता की आवश्यकता बनी रहती है।

पैनलिस्टों ने फिर फिल्म निर्माण और व्यक्तिगत जीवन को संतुलित करने की चुनौतियों पर चर्चा की। राचेल ने अपने तीन बच्चों के साथ उद्योग में काम करते हुए संतुलन बनाने के बारे में ईमानदारी से बात की, और महिलाओं को समर्थन देने के लिए कार्य सप्ताहों को वैकल्पिक करने जैसे मॉडल का सुझाव दिया। फौज़िया ने मातृत्व के बाद अपने शिल्प में वापसी की कठिनाई साझा की और आभार व्यक्त किया कि उनका करियर जारी रहा, विशेष रूप से उनकी आगामी व्यावसायिक फिल्म ‘ट्रेन’ के साथ, जिसमें विजय सेतुपति हैं।

जब यह सवाल आया कि अभिनेता सेट पर कथानक को कैसे आकार देते हैं, तो मीनाक्षी ने कहा कि नए लोग अक्सर अपने सहयोगियों को चुनने की स्वतंत्रता नहीं रखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे उनका करियर बढ़ता है, वे अधिक महिला फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने की उम्मीद करती हैं। राजनी ने देखा कि ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म्स ने महिलाओं के लिए उपलब्ध भूमिकाओं की संख्या को बढ़ाया है, जिससे उन्हें अधिक गहराई और उपस्थिति मिली है। फौज़िया ने यह जोड़ा कि अब अधिक महिला अभिनेता निर्माण में भी जा रही हैं, जिससे रचनात्मक निर्णय लेने वालों का दायरा बढ़ रहा है। मीनाक्षी ने अपनी इच्छा का ज़िक्र किया कि एक दिन वह खुद फिल्म निर्माण करना चाहती हैं, जबकि राचेल ने हॉलीवुड में महिला निर्माताओं की लंबी उपस्थिति और उनके द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं पर चर्चा की। राचेल ने वेतन समानता पर भी बात की, और कहा कि वास्तविक बदलाव के लिए पुरुषों को इस असंतुलन को स्वीकार करना होगा और महिलाओं के लिए निष्पक्षता सुनिश्चित करने के प्रयासों का समर्थन करना होगा।

जब चर्चा लेखन और प्रक्रिया की ओर मुड़ी, तो राजनी ने अपनी कहानियों को स्थानीय वास्तविकताओं और अपनी क्षेत्रीय पीड़ा से जोड़ने की बात की। उनकी हाल की फिल्म में जेंडर न्याय का विषय लिया गया है, और इसमें पूरी तरह से महिला कलाकारों की कास्ट है। मीनाक्षी ने बताया कि उनकी फिल्म ‘विक्टोरिया’ पूरी महिला कास्ट के इर्द-गिर्द बनाई गई थी, जो एक ऐसा विकल्प था, जिसने अक्सर सवाल उठाए, बस इसलिए क्योंकि उसने सामान्य ढांचे को बदल दिया।

जैसे-जैसे पैनल फिल्म निर्माण और उसे बनाए रखने की वास्तविकताओं की ओर बढ़ा, राचेल ने कहा कि फिल्म निर्माता को ऐसी कहानियाँ बनानी चाहिए जो अपनी ऑडियंस तक पहुँच सकें, और यह विश्वास रखना चाहिए कि सही कथानक सही लोगों तक पहुंचेगा। राजनी ने कहा कि उनकी फिल्में छोटे बजट में बनी हैं और उन्हें महिला निर्माताओं का समर्थन प्राप्त था, और उन्होंने सुनिश्चित किया कि उनकी फिल्मों को कभी भी नुकसान न हो।

सत्र के समापन के करीब, पैनलिस्टों से पूछा गया कि वे कौन सी फिल्में मानती हैं कि हर किसी को देखनी चाहिए। राचेल ने ‘दंगल’ का नाम लिया, क्योंकि यह लड़कियों का उत्सव है; फौज़िया ने ‘द पावर ऑफ द डॉग’ चुनी; राजनी ने ‘आर्टिकल 15’ और ‘आई इन द स्काई’ की सिफारिश की; और मीनाक्षी ने ‘शिवा बेबी’ को चुना, क्योंकि यह चिंता का चित्रण करती है, और एक चंचल मुस्कान के साथ यह भी कहा कि वह अपनी खुद की फिल्म ‘विक्टोरिया’ की सिफारिश भी करेंगी।

सत्र ने गर्मजोशी और संभावनाओं के पल के साथ समापन किया। मीनाक्षी ने ऑस्ट्रेलियाई फिल्म उद्योग की सराहना की और एडिलेड फिल्म महोत्सव में देखी गई एक फिल्म को याद किया, जिसमें वह अभिनय करना चाहती थीं। राचेल ने मित्रता के साथ प्रतिक्रिया दी, और सुझाव दिया कि ये चार महिलाएं एक दिन एक साथ काम कर सकती हैं, इस प्रकार इस अपराह्न के आत्मा को पकड़ा: महिलाएँ एक साथ नए भविष्य की कल्पना करती हैं, और स्वतंत्र सिनेमा उन भविष्य की शुरुआत के लिए स्थान प्रदान करता है।

रूद्र की मौत ने खोली सिस्टम की पोल—आयोग ने किया बिजली विभाग व नगर निगम को तलब

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने पानीपत के रामपुरा कॉलोनी, काबरी रोड स्थित ट्रांसफार्मर के असुरक्षित एल.टी. फ्यूज बोर्ड के कारण नाबालिग बालक रूद्र की करंट लगने से हुई मृत्यु के मामले में गंभीर रुख अपनाते हुए बिजली विभाग और नगर निगम पानीपत दोनों की लापरवाही पर कड़ी टिप्पणी की है।

पुलिस अधीक्षक, पानीपत द्वारा दिनांक 27.10.2025 की रिपोर्ट आयोग को प्राप्त हुई है, जिसके अनुसार एफआईआर संख्या 80 दिनांक 06.02.2024, धारा 304-ए आईपीसी, थाना ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया, पानीपत में दर्ज मामले में आरोपी संदीप पुत्र बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है तथा जांच पूर्ण होने के उपरांत अंतिम रिपोर्ट (चालान) न्यायालय में प्रस्तुत कर दी गई है। मामला 20.03.2026 को अभियोजन साक्ष्य हेतु नियत है।
अधीक्षण अभियंता (ओपी) सर्कल, उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन), पानीपत की दिनांक 10.09.2025 की रिपोर्ट भी प्राप्त हुई है।

हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने यूएचबीवीएन, पानीपत के अधीक्षण अभियंता द्वारा दायर रिपोर्ट का सावधानीपूर्वक परीक्षण किया है, जो नाबालिग रूद्र की विद्युत करंट लगने से हुई मृत्यु से संबंधित है। अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा तथा दोनों सदस्यों कुलदीप जैन और दीप भाटिया को मिलाकर बने पूर्ण आयोग इस रिपोर्ट से, विशेषकर मुआवजा संबंधी पहलू से, बिल्कुल संतुष्ट नहीं है। यह पाया गया है कि विभागीय अधिकारियों को दोषी ठहराने और सार्वजनिक सुरक्षा मानकों के पालन में लापरवाही स्वीकार किए जाने के बावजूद पीड़ित परिवार को मात्र ₹1,00,000/- की अल्प वित्तीय सहायता प्रदान की गई है, जो घटना की गंभीरता और परिवार द्वारा झेले गए अपूरणीय नुकसान के मद्देनज़र पर्याप्त नहीं मानी जा सकती। आयोग का मत है कि यूएचबीवीएन उचित और न्यायसंगत मुआवजे के निर्धारण और वितरण के लिए समयबद्ध एवं उपयुक्त कार्रवाई करने में विफल रहा है।

अतः अधीक्षण अभियंता (ओपी) सर्कल, यूएचबीवीएन, पानीपत को निर्देशित किया जाता है कि वे अगली सुनवाई तिथि पर व्यक्तिगत रूप से हरियाणा मानव अधिकार आयोग के समक्ष उपस्थित हों और यह स्पष्ट करते हुए एक नवीन स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि ₹1,00,000/- मुआवजा राशि निर्धारित करने हेतु कौन-सा आधार और मानदंड अपनाया गया, साथ ही विभागीय नियम/निर्देश भी प्रस्तुत किए जाएं तथा मुआवजा पुनः निर्धारित करने और बढ़ाने के लिए अब तक उठाए गए कदमों की जानकारी भी प्रदान करें।

आयुक्त, नगर निगम, पानीपत द्वारा विस्तृत रिपोर्ट दिनांक 12.09.2025 भी प्राप्त हुई है, जिसमें यह बताया गया है कि विद्युत करंट लगने की दुखद घटना 06.02.2024 को वार्ड नंबर 24, रामपुरा कॉलोनी, काबरी रोड, पानीपत में हुई। यह भी उल्लेख किया गया है कि सड़क निर्माण कार्य (जून 2023) के दौरान सड़क स्तर मात्र लगभग छह (6) इंच ही ऊँचा किया गया था। यह वृद्धि नियमित सड़क सुदृढ़ीकरण एवं पक्का करने की प्रक्रिया का हिस्सा थी।

 रिपोर्ट अनुसार, नगर निगम, पानीपत ने एक रिपोर्ट तैयार कर उपायुक्त, पानीपत को भेजी है, जिसमें सड़क निर्माण से पहले व बाद की स्थिति के फोटोग्राफ शामिल हैं, जो सड़क की कच्ची/अर्ध-पक्की अवस्था और ट्रांसफार्मर तथा एल.टी. फ्यूज बोर्ड की कम ऊँचाई दर्शाते हैं। 63 केवीए ट्रांसफार्मर (11 केवी रामपुरा फीडर) का एल.टी. फ्यूज बोर्ड सड़क कार्य से पूर्व ही असुरक्षित एवं कम ऊँचाई पर स्थित था। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि क्षेत्र के निवासी, जिनमें श्री सांचित बत्रा भी शामिल हैं, ने एल.टी. फ्यूज बोर्ड की ऊँचाई कम होने की शिकायतें बार-बार बिजली विभाग को दी थीं। क्षेत्रीय लाइनमैन प्रत्येक 15 दिन में फ्यूज फेल होने पर साइट पर आता था तथा मीटर रीडर भी नियमित रूप से आता था।

नगर निगम-पानीपत, द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट से हरियाणा मानव अधिकार आयोग संतुष्ट नहीं है। आयोग यह अवलोकन करता है कि यद्यपि नगर निगम, पानीपत यह दावा करता है कि सड़क स्तर मात्र लगभग छह (6) इंच ही बढ़ा था, लेकिन कार्य आरंभ करने से पहले नगरपालिका द्वारा बिजली विभाग (यूएचबीवीएन) से कोई पूर्व समन्वय अथवा लिखित सूचना नहीं की गई, जबकि क्षेत्र में सक्रिय विद्युत संरचनाएँ मौजूद थीं। विभिन्न विभागों के बीच उचित समन्वय अत्यावश्यक है ताकि सड़क निर्माण/मरम्मत के दौरान ट्रांसफार्मर, एल.टी. बोर्ड अथवा विद्युत पोलों को सुरक्षित ऊँचाई पर समायोजित किया जा सके। ऐसा न करना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

यहाँ तक कि यदि ट्रांसफार्मर की असुरक्षित स्थिति पूर्व से विद्यमान थी, तब भी स्थानीय निकाय होने के नाते नगर निगम, पानीपत अपनी जिम्मेदारी से पूर्णतया मुक्त नहीं हो सकता। सार्वजनिक सड़कों पर खतरनाक स्थिति में स्थित एल.टी. फ्यूज बोर्ड की निरंतर मौजूदगी यह दर्शाती है कि निगम संभावित खतरे की पहचान कर उसे संबंधित विभाग के संज्ञान में लाने में विफल रहा। 

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर जस्टिस ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग पाता है कि नगर निगम, पानीपत ने अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्र में स्थित इस खतरनाक विद्युत संरचना के चारों ओर कोई बैरिकेडिंग, फेंसिंग अथवा चेतावनी बोर्ड नहीं लगाए, जबकि यह नागरिकों—विशेषकर बच्चों—की सुरक्षा के लिए आवश्यक था। यद्यपि विद्युत करंट लगने की घटना का तात्कालिक कारण यूएचबीवीएन, पानीपत के अधीन असुरक्षित एल.टी. फ्यूज बोर्ड था, परन्तु नगर निगम, पानीपत भी अपने वैधानिक दायित्वों में विफल रहा है, क्योंकि उसने कार्य शुरू करने से पहले समुचित समन्वय नहीं किया, सुरक्षा का सत्यापन नहीं किया और आवश्यक सावधानियाँ नहीं बरतीं। 

आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना व जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने बताया कि उपलब्ध तथ्यों और गंभीर आरोपों को देखते हुए हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त, नगर निगम, पानीपत को निर्देशित किया जाता है कि वे उपर्युक्त बिन्दुओं पर नवीन स्थिति रिपोर्ट अगली सुनवाई तिथि तक प्रस्तुत करें। इसके अतिरिक्त, आयोग ने इस मामले से संबंधित एफआईआर संख्या 80 दिनांक 06.02.2024 (धारा 304-ए IPC), थाना ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया, पानीपत के जांच अधिकारी को भी अगली सुनवाई पर सम्पूर्ण जांच रिकॉर्ड सहित उपस्थित होने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 15 जनवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस समागम व अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में करेंगे शिरकत

इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री द्वारा महाभारत अनुभव केंद्र का अवलोकन भी किया जाएगा और इस महाभारत अनुभव केंद्र को देश व विदेश के पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। इसी परिसर में पंचजन्य का उदघाटन भी प्रधानमंत्री द्वारा किया जायेगा। इसके साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कार्यक्रम में शिरकत करेंगे और महाआरती में भाग लेंगे।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता, धर्म और देश की रक्षा के लिए महान बलिदान दिया जिसे प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना आवश्यक है ताकि आने वाली पीढिय़ां इस प्रेरणादायक इतिहास से सीख ले सके।

 मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी शुक्रवार को कुरुक्षेत्र ज़िले के ज्योतिसर कार्यक्रम स्थल का निरीक्षण करने के उपरांत पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी सहित मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के महानिदेशक के. एम. पांडुरंग, पूर्व मंत्री सुभाष सुधा, पर्यटन विभाग की प्रधान सचिव कला रामचंद्रन, पर्यटन विभाग के निदेशक डा. शालीन, ओएसडी डॉ प्रभलीन सिंह ने कार्यक्रम स्थल और अनुभव केंद्र का निरीक्षण किया।

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए कहा कि श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष के उपलक्ष्य में प्रदेशभर में चार पवित्र नगर कीर्तन यात्राएं निकाली जा रही है, जो हरियाणा के सभी जिलों से गुजरेंगी। इन यात्राओं का समापन 24 नवंबर को कुरुक्षेत्र में होगा, 25 नवंबर को श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी वर्ष पर कुरुक्षेत्र में समागम का आयोजन होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार भी गुरुओं और महापुरुषों की परंपरा, शिक्षा और त्याग को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार ने श्री गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती को बड़े सम्मान और श्रद्धा के साथ मनाया और अब श्री गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी वर्ष को भी बड़े स्तर पर आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा किए गए विभिन्न कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरुओं के बलिदान और मानवता के लिए किए गए अतुलनीय योगदान को जन-जन तक पहुंचाना सरकार का संकल्प है ताकि आने वाली पीढिय़ां इन पावन प्रेरणाओं से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें।

ऑपरेशन ट्रैकडाउन: एक दिन में 81 हिस्ट्री शीट खुली, 98 कुख्यात गिरफ्तार

हरियाणा में इस एक दिन की कार्रवाई में पुलिस ने 75 मामले दर्ज करते हुए 98 कुख्यात अपराधियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे पहुँचाया है।  इसके अलावा अन्य अपराधों में संलिप्त 256 अपराधी भी जेल भेजे गए है।  वही इसके अलावा, प्रदेश पुलिस ने एक और उपलब्धि हासिल की जिसमें अकेले एक ही दिन में 81 अपराधियों की हिस्ट्री शीट खोली गई है। यह संख्या पिछले 12 दिन में अब तक खोली गई कुल हिस्ट्री शीट (179) में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है, जिससे हिस्ट्री शीट की कुल संख्या अब 260 पर पहुँच गई है। अगर इस ऑपरेशन की कुल सफलता पर नज़र डालें तो अब तक ऑपरेशन ट्रैकडाउन के तहत अब तक कुल 768 कुख्यात अपराधी पकड़े जा चुके हैं, और वहीं अन्य अपराधों में भी पुलिस ने 2980 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। 

इस ऑपरेशन की सफलता में विभिन्न जिलों का योगदान सराहनीय रहा है। इस एक दिन की बात करें तो, कुख्यात अपराधियों को पकड़ने में झज्जर जिला आज सबसे आगे रहा, जिसने 18 केसों में 21 गिरफ्तारियाँ करके शीर्ष स्थान हासिल किया है । इसके बाद कुख्यात अपराधियों में पकड़ने में करनाल (9), कैथल (8), और रोहतक (8) जिले आगे रहे। वहीं हिस्ट्री शीट खोलने के मामले में, सोनीपत जिले ने सर्वाधिक 26 अपराधियों की हिस्ट्री शीट खोलकर अपनी तत्परता दिखाई है । इसके अलावा, रोहतक ने 16 और गुरुग्राम ने 11 अपराधियों की हिस्ट्री शीट खोलकर संगठित अपराधों पर लगाम लगाने की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया है ।

दर्ज किए गए कुल मामलों पर नज़र डालें तो, ऑपरेशन ट्रैकडाउन के तहत एक दिन में कुल 75 केस दर्ज हुए और 98 गिरफ्तारियाँ हुईं । अपराधों की श्रेणी में, आर्म्स एक्ट के तहत सर्वाधिक 27 केस दर्ज किए गए और 33 गिरफ्तारियाँ हुईं । वहीं, ‘हत्या के प्रयास’ (Attempt to Murder) के 16 केस में 23 गिरफ्तारियाँ और ‘लूट’ (Robbery) के 6 केस में 10 गिरफ्तारियाँ हुईं । ‘उगाही’ (Extortion) के 10 केस में 10 गिरफ्तारियाँ दर्ज की गईं । यह व्यापक कार्रवाई पुलिस की बहुआयामी रणनीति को दर्शाती है, जिसका उद्देश्य सिर्फ गिरफ्तारी ही नहीं, बल्कि अपराधों की जड़ पर प्रहार करना है।

 ऑपरेशन ट्रैकडाउन को आगे बढ़ाते हुए, करनाल पुलिस ने 18 नवंबर 2025 को ज़मीन पर अवैध कब्जा करने की कोशिश करने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। थाना रामनगर की टीम ने शिकायतकर्ता अनिल कुमार की शिकायत पर अनुसंधान अधिकारी सहायक उप निरीक्षक विनोद कुमार की टीम ने आरोपी रमेश पुत्र रघुनाथ (निवासी रामनगर, करनाल) और विशाल वालिया पुत्र अमरजीत सिंह (निवासी करनाल) को प्रेम नगर से काबू किया है। इन आरोपियों ने अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर दिनांक 16 नवंबर 2025 को यमुना विहार कॉलोनी, करनाल में प्लॉटों पर अवैध कब्जा करने का प्रयास किया था। जाँच में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि मुख्य आरोपी रमेश पुत्र रघुनाथ के खिलाफ इस मामले के अलावा विभिन्न गंभीर अपराधों के तहत छह मामले पहले से ही दर्ज हैं। उसके खिलाफ दर्ज मुकदमों में 2011 में धारा 384 (जबरन वसूली) और 25 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज मामले और 2022 में धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज मामला शामिल है। दोनों आरोपियों को अदालत में पेश कर पुलिस ने एक दिन का रिमांड हासिल किया है, जिसके दौरान वारदात में इस्तेमाल हथियार और मामले में संलिप्त अन्य आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए गहनता से पूछताछ की जाएगी।

इसी कड़ी में करनाल पुलिस ने ऑपरेशन ट्रैक डाउन में अपनी कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए पुरानी रंजिश के चलते लड़ाई-झगड़े के मामले में वांछित चल रहे चार अन्य आरोपियों को भी 18 नवंबर 2025 को गिरफ्तार किया है। थाना शहर की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर सहायक उप निरीक्षक दीपक कुमार की टीम ने बबली पुत्र ओमप्रकाश, जसराम पुत्र सुशील कुमार, प्रदीप पुत्र बबली, और सागर पुत्र जगदीश को काबू किया। ये सभी आरोपी दिनांक 26 अप्रैल 2025 को मीरा घाटी पार्क में शिकायतकर्ता मोहित और उसके दोस्त के साथ गाली-गलौच और लाठी-डंडों से मारपीट कर मौके से फरार हो गए थे, जिसके संबंध में थाना शहर में मुकदमा दर्ज था। इस मामले में पहले भी पाँच आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पूछताछ में यह सामने आया है कि मुख्य आरोपी बबली पुत्र ओमप्रकाश के खिलाफ भी विभिन्न धाराओं के तहत छह मामले दर्ज हैं, जिसमें 2015 में 25 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज मुकदमा और 2019 में जबरन वसूली (धारा 384) के तहत दर्ज मामला  शामिल है। पुलिस सभी आरोपियों से पूछताछ कर रही है ताकि मामले में संलिप्त अन्य पहलुओं का भी खुलासा किया जा सके।

पुनर्वास के पंद्रह साल: कैसे दो बचाए गए हाथियों को मिला आज़ादी और परिवार

माया, जो कभी सर्कस में दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए मजबूर हथिनी थी, और बिजली, जो पहले आगरा की सड़कों पर भीख मांगती थी, जिसे एक दुखद सड़क हादसे के बाद बचाया गया था, दोनों को 2010 में केंद्र में लाया गया। आज, दोनों हथिनी पुनर्वास, करुणा और प्रेम एवं देखभाल की परिवर्तनकारी शक्ति के जीवंत प्रमाण हैं।

वर्षों के दुर्व्यवहार से बचाई गईं माया और बिजली, गहरे भावनात्मक और शारीरिक ज़ख्मों के साथ हाथी संरक्षण एवं देखभाल केंद्र पहुँचीं पिछले डेढ़ दशक में, दोनों हथिनियाँ विशेषज्ञ पशु चिकित्सकों की देखरेख में फल-फूल रही हैं, एवं विश्वास और दोस्ती के साथ जीवन जीने का आनंद उठा रही हैं। माया ने अपनी दोस्त फूलकली के साथ एक गहरा रिश्ता बना लिया है, जबकि बिजली अपनी साथ हथनियां चंचल और लक्ष्मी के साथ घनिष्ठ विश्वास का बंधन बना चुकी है, और अपना दिन पसंदीदा भोजन खाने, मड बाथ और लंबी सैर का आनंद लेने में बिताती है।

51 वर्षीय माया और 45 वर्षीय बिजली, अपनी स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, वाइल्डलाइफ एसओएस की समर्पित देखभाल में फल-फूल रही हैं। माया, जिसकी दृष्टि कमज़ोर है, और बिजली, जिसका पिछला पैर पुराने फ्रैक्चर के कारण विकृत हो गया है, नियमित उपचार, पोषण और देखभाल प्राप्त कर रही हैं। दोनों ने विशेषज्ञ चिकित्सा देखभाल और सहानुभूतिपूर्ण पुनर्वास के माध्यम से उल्लेखनीय सुधार दिखाया है। उनके रेस्क्यू की 15वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, वाइल्डलाइफ एसओएस टीम ने एक भव्य फल भोज का आयोजन किया, जिसमें गन्ना, तरबूज, पपीता, केला, चुकंदर और फूलगोभी का रंग-बिरंगा व्यंजन परोसा गया, जो दर्द से शांति की ओर उनके उल्लेखनीय सफ़र के जश्न का एक छोटा उपहार था।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “माया और बिजली की यात्रा वाइल्डलाइफ एसओएस के सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करती है- क्रूरता को देखभाल में बदलना। उनका जीवन हमें याद दिलाता है कि हर रेस्क्यू केवल जीवित रहने की कहानी नहीं है, बल्कि आशा की एक बड़ी उम्मीद भी है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “पंद्रह साल पहले, माया और बिजली को सिर्फ़ मुश्किलें ही झेलनी पड़ीं। आज, वे दया, संगति और सुरक्षा के बीच रहती हैं। उनका यह बदलाव हमें हर उस हाथी के लिए लड़ते रहने की प्रेरणा देता है जो आज भी इस मौके का इंतज़ार कर रहे है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस के पशु चिकित्सा सेवाओं के उप निदेशक, डॉ. एस इलियाराजा ने कहा, “दर्दनाक चोटों और आघात से ग्रस्त हाथियों की देखभाल एक दीर्घकालिक प्रतिबद्धता है। 15 वर्षों के समर्पित पुनर्वास के बाद माया और बिजली को स्वस्थ और संतुष्ट देखना दर्शाता है कि उचित पशु चिकित्सा देखभाल से क्या हासिल किया जा सकता है।”

बिहार में जीत के बाद, NDA अब पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु पर निगाहें टिकाए हुए है

बिहार के 2025 विधानसभा चुनाव ने भारतीय राजनीति की किताब में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। लंबे समय से चली आ रही सत्ता-विरोधी लहर को पीछे छोड़ते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा-नीत NDA ने वह जीत हासिल की है, जिसकी बहुत कम लोगों ने कल्पना की थी। यह चुनाव एक कांटे की टक्कर माना जा रहा था, लेकिन ‘महागठबंधन’ अपनी अंदरूनी कलह, कमजोर रणनीति और अधूरे वादों के बोझ तले ढह गया। लेकिन असली गेम-चेंजर वह ताकत बनी, जिसकी ओर राजनीतिक दल अक्सर आख़िरी में देखते हैं वह है महिला मतदाता।

Tehelka की कवर स्टोरी “NDA Scripts Historic Win in Bihar” में Vibha Sharma बताती हैं कि कैसे भाजपा-नीत NDA ने कांग्रेस–RJD गठबंधन को पछाड़ते हुए बिहार में ऐतिहासिक जीत दर्ज की, और इसमें निर्णायक भूमिका महिलाओं की रही। बिहार के इतिहास में पहली बार महिला मतदाताओं की भागीदारी पुरुषों से अधिक रही—महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6%, जबकि पुरुषों का 62.8% था। यह आंकड़ा सिर्फ़ रिकॉर्ड नहीं था, बल्कि उसने चुनाव का रुख़ पलट दिया। महिलाओं ने NDA को उसके वास्तविक लाभ देने वाले कामों के लिए पुरस्कृत किया जैसे “दस हज़ारी” योजना, जिसके तहत 1.2 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपये का प्रत्यक्ष लाभ मिला।

दूसरी ओर, विपक्ष केवल वादे करता रहा। NDA की जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्रीय लोकप्रियता और नीतीश कुमार के शासन मॉडल की उस विश्वसनीयता को भी जाता है, जिसे “डबल इंजन सरकार” के रूप में पेश किया गया। मतदाताओं ने स्थिरता, विकास और कल्याण की राजनीति को चुना, जबकि विपक्ष का जातिगत समीकरण और विभाजनकारी भाषण असर खो बैठा।

तेजस्वी यादव की RJD, लगातार कोशिशों के बावजूद, “जंगल राज” की छवि से पीछा नहीं छुड़ा पाई। उनके प्रयास कि वे लालू प्रसाद यादव की विरासत से खुद को अलग दिखाएँ, जनता के बीच ज्यादा असरदार नहीं हुए। महागठबंधन की आंतरिक खींचतान ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। कांग्रेस केवल 6 सीटें जीत पाई, और राहुल गांधी के चुनाव-प्रचार से दूर रहने ने विपक्ष की एकता पर सवाल खड़े कर दिए। वहीं, प्रशांत किशोर का जन सुराज अभियान विपक्षी वोटों में और दरार डाल गया।

इन परिणामों ने बिहार की राजनीति को एक नया समीकरण दे दिया है। महिलाएँ अब एक निर्णायक राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आई हैं, और यह संकेत है कि राज्य की राजनीति परंपरागत जातीय ढाँचों से आगे बढ़ रही है। विपक्ष के लिए यह स्पष्ट संदेश है कि NDA जैसी मज़बूत चुनौती देने के लिए केवल जोश नहीं, बल्कि एकता, विश्वसनीय नेतृत्व और स्पष्ट कल्याणकारी एजेंडा ज़रूरी है।

महागठबंधन के लिए बिहार की जनता कह रही है “सिर्फ़ वादे नहीं, काम करके दिखाइए।” NDA की इस जीत के साथ अब भाजपा की नजर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल पर है—जहाँ महिला मतदाताओं की इसी नई उभरती शक्ति के आधार पर आने वाले चुनावों की दिशा बदल सकती है।

अपनी इसी खोजी परंपरा को जारी रखते हुए, Tehelka की विशेष जांच टीम ने एक और बड़ा खुलासा किया है—कैसे मीडिया संस्थान राजनीतिक दलों के साथ मिलकर ‘पेड न्यूज़’ के ज़रिए चुनावी नैरेटिव को प्रभावित करते हैं। अखबारों, मैगज़ीनों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इस तरह की खबरें विज्ञापन जैसी दिखती हैं, पर विज्ञापन का टैग नहीं होता। समाज को लंबे समय से प्रभावित कर रहे इस ‘पेड न्यूज़’ उद्योग की तह तक जाने के लिए Tehelka ने गहन जांच की—जिसका नतीजा है हमारी विशेष रिपोर्ट: “द पेड न्यूज़ फ़ाइल्स।”

आतंक का नया चेहरा: सूट-बूट वाले साए और लाल क़िले की दीवारों के पीछे छिपा अदृश्य नेटवर्क

दिल्ली की भीड़भाड़  शाम में पर्यटक, इतिहास और कैमरों की क्लिक सब कुछ सामान्य था। लेकिन अगले कुछ सेकंड में एक धमाके ने लाल क़िले की सैकड़ों साल पुरानी दीवारों को कंपा दिया। देश की सबसे सुरक्षित धरोहरों में शामिल इस परिसर के भीतर हुआ यह विस्फोट सिर्फ़ एक हमला नहीं था, बल्कि एक संकेत था।आतंकवाद का नया संस्करण हमारे सामने खड़ा है, और इसकी जड़ें कहीं ज्यादा भीतर तक फैली हुई हैं।

जांच टीम जब घटनास्थल से सबूत उठाने लगी, तो जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि यह कोई साधारण आतंकी कार्रवाई नहीं थी।इस घटना को अंजाम देने के पीछे किसी छोटे आतंकवादी  का नहीं बल्कि  किसी बड़े, साफ-सुथरे, प्रतिष्ठित और ‘व्हाइट-कॉलर’ शख्स का था।

जबकि देश में आतंकवादी संगठनों की पारंपरिक भर्ती में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियाँ एक नए और खतरनाक रुझान को लेकर सतर्क हैं। अब आतंकवाद का चेहरा बदल रहा है । हथियार उठाने वालों की संख्या घटी है, पर ‘वाइट-कॉलर आतंकियों’ यानी पढ़े-लिखे और पेशेवर सहयोगियों का नेटवर्क तेज़ी से फैल रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में इस वर्ष अब तक केवल दो नए रिक्रूट सामने आए हैं। 2023 में यह संख्या 17, 2022 में 120, 2021 में 124 और 2020 में लगभग 200 थी। भले यह गिरावट राहत देती हो, पर विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि खतरा अब “अदृश्य” रूप में समाज के भीतर पनप रहा है।

बदलता पैटर्न: हथियार कम, लेकिन सपोर्ट सिस्टम मज़बूत

खुफिया सूत्रों का कहना है कि अब आतंकी संगठन ओवर-ग्राउंड नेटवर्क (OGW) और लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम पर ज़ोर दे रहे हैं। ये वाइट-कॉलर सहयोगी सीधे हथियार नहीं उठाते, बल्कि आतंकियों को सूचना, फंडिंग, रहने की जगह और प्रचार-प्रसार में सहायता करते हैं।

इनकी पहचान मुश्किल होती जा रही है क्योंकि ये लोग आम नागरिकों की तरह पेशेवर जीवन जीते हैं और समाज में घुले-मिले रहते हैं।

राष्ट्रीय खुफिया ब्यूरो (IB) और राज्य स्तरीय IB विंग्स ने हाल के महीनों में ऐसे नेटवर्कों पर कड़ी निगरानी बढ़ाई है। सूत्रों के अनुसार, कई शिक्षित पेशेवर  आईटी, मेडिकल, सोशल सेक्टर और बिज़नेस पृष्ठभूमि के लोग संदिग्ध गतिविधियों में पाए गए हैं।

एजेंसियाँ इन प्रोफेशनल्स की डिजिटल गतिविधियों, वित्तीय ट्रांजैक्शनों और संपर्कों की गहन जांच कर रही हैं ताकि किसी बड़े आतंकी षड्यंत्र को समय रहते रोका जा सके।

रैडिकलाइज़ेशन का नया चेहरा , स्थानीय नागरिकों का परिवर्तन

एक  सुरक्षा अधिकारी का कहना है कि पहले अधिकांश आत्मघाती हमलों के पीछे पाकिस्तान से भेजे गये या संगठनों द्वारा भेजे गये आतंकवादी रहते थे। अब खुफिया रिपोर्ट में ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कुछ भारतीय नागरिकों को मानसिक रूप से रैडिकलाइज (ब्रेनवॉश) कर के आत्मघाती या हिंसक गतिविधियों के लिये प्रेरित किया जा रहा है। अधिकारी इसे ‘‘ब्रेन-वॉश की ऊँची स्तर’’ बताते हैं और कहते हैं कि यह प्रक्रिया समाज के भीतर धीरे-धीरे काम करती है । ऑनलाइन प्रचार, संदिग्ध संपर्क और प्रेरक लोकल नेटवर्क के जरिए।

एजेंसियों ने यह भी बताया कि जिन धमाका, विस्फोटक सामग्रियों का उपयोग हुआ, वे हमेशा घरेलू स्रोतों से नहीं आते। कई मामलों में शक है कि विस्फोटक या उनके घटक देश के बाहर से आए स्रोतों से मंगवाए गए या भेजे गए हैं। कुछ खुफिया संकेतों के अनुसार ऐसी सामग्री को देश के विभिन्न हिस्सों में छिपाकर रखा जा सकता है । इसलिए सुरक्षा उपाय सिर्फ सीमाओं पर ही नहीं बल्कि आंतरिक तह में भी तेज किए जा रहे हैं। 

अधिकारियों का कहना है कि हिंसक रिक्रूटमेंट में गिरावट सकारात्मक है, पर वाइट-कॉलर सहयोगियों और देशी रैडिकलाइज़ेशन की बढ़ती घटनाएँ एक नई सुरक्षा चुनौती पेश करती हैं। इसलिए खुफिया एकीकरण, स्थानीय पुलिस-इंटेलिजेंस तालमेल, डिजिटल मॉनिटरिंग और नागरिक जागरूकता को बढ़ाना अनिवार्य माना जा रहा है। साथ ही सीमा सुरक्षा के साथ-साथ घरेलू सप्लाई चेन और फंडिंग चैनलों की भी गहन जाँच चल रही है।

सुरक्षा तंत्रों के मुताबिक केवल रिक्रूटमेंट के घटते आंकड़ों से संतोष नहीं किया जा सकता; तब तक पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित नहीं मानी जाएगी जब तक ओवर-ग्राउंड नेटवर्क, फंडिंग सूत्र और रैडिकलाइज़ेशन के स्थानीय ढांचे प्रभावी रूप से बाधित न किए जाएँ। सरकार और नागरिक समाज दोनों की भूमिका अब पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है । सूचना देना, संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करना और सामुदायिक निगरानी बढ़ाना आवश्यक है। लाल क़िला—एक हमले से ज्यादा, एक चेतावनी थी

यह घटना हमसे कहती है—

सुरक्षा केवल दीवारों और हथियारों पर नहीं टिकी,

बल्कि उन लोगों की नीयत पर भी जो सिस्टम को संभालते हैं। हमले के बाद कई अफसरों ने यह स्वीकारा कि देश की सुरक्षा अब बॉर्डर केंद्रित नहीं,

बल्कि “नेटवर्क केंद्रित” हो चुकी है। अगर इस नए खतरे को नहीं समझा गया, तो बंदूक उठाने वाले कम होंगे पर उन्हें सपोर्ट देने वाला नेटवर्क और अधिक खतरनाक हो जाएगा।

अंतिम निष्कर्ष

“लड़ाई अब बंदूकों से नहीं, दिमागों से है।

दुश्मन सीमा पर नहीं, सिस्टम के भीतर है।

और इसे हराने के लिए सिर्फ़ सेना नहीं, समाज की जागरूकता भी जरूरी है।

आतंकवाद का यह नया चेहरा, अदृश्य भी है,

बुद्धिमान भी और कहीं ज्यादा शक्तिशाली भी।

देश की सुरक्षा एजेंसियों के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती इस व्हाइट-कॉलर जंगल में छिपे उन सायों को ढूँढने की है, जो हाथ में हथियार नहीं रखते,

पर हर हमले का पहिया घुमाते हैं।