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आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत का बड़ा बयान, ‘हर परिवार में 3 बच्चे होना जरूरी’

नई दिल्ली के विज्ञान भवन में तीन दिवसीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के व्याख्यानमाला कार्यक्रम ‘100 वर्ष की संघ यात्रा नए क्षितिज’ का गुरुवार को अंतिम दिन रहा। इस दौरान आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बताया कि नई शिक्षा नीति क्यों जरूरी है?

मोहन भागवत ने कहा, “नई शिक्षा नीति इसलिए शुरू की गई, क्योंकि अतीत में विदेशी आक्रमणकारियों ने हम पर शासन किया था। हम उनके अधीन थे और उनके शासन में उनका उद्देश्य इस देश पर प्रभुत्व स्थापित करना था, न कि इसका विकास करना। उन्होंने राष्ट्र पर नियंत्रण सुनिश्चित करने के लिए प्रणालियां तैयार कीं, लेकिन अब जब हम स्वतंत्र हैं, तो हमारा लक्ष्य सिर्फ शासन करना नहीं, बल्कि अपने लोगों की सेवा और देखभाल करना है।” उन्होंने कहा, “तकनीक और आधुनिकता का कोई विरोध नहीं है। जैसे-जैसे मानव ज्ञान बढ़ता है, नई तकनीकें उभरती हैं और उन्हें कोई नहीं रोक सकता। वे मनुष्यों के लाभ के लिए आती हैं और यह मनुष्यों पर निर्भर करता है कि वे उनका उपयोग कैसे करते हैं। जब भी कोई तकनीक उभरती है, उसका उपयोग मानवता के लाभ के लिए किया जाना चाहिए। अगर कोई हानिकारक परिणाम हैं, तो हमें उनसे बचना चाहिए और उन्हें रोकना चाहिए।”

भाजपा और संघ में कोई विवाद नहीं– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- भाजपा और संघ में कोई विवाद नहीं है। हमारे भाजपा सरकार ही नहीं सभी सरकारों के साथ अच्छे संबंध रहे हैं। सरकार में फैसले लेने के सवाल पर भागवत ने कहा कि यह कहना गलत है कि सरकार में सब कुछ संघ तय करता है। हम सलाह दे सकते हैं, लेकिन निर्णय वे ही लेते हैं। हम तय करते तो इतना समय नहीं लगता।

तीन बच्चे पैदा करना जरूरी– राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को कहा कि सभी परिवारों को तीन बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में परिवार व्यवस्था बनी रहे और देश की सुरक्षा भी सुनिश्चित रहे, इसके लिए जरूरी है कि तीन बच्चे सभी परिवारों में रहें।

मोहन भागवत ने कहा, “हम अंग्रेज नहीं हैं और हमें अंग्रेज बनने की जरूरत नहीं है, लेकिन अंग्रेजी एक भाषा है और भाषा सीखने में क्या बुराई है? जब मैं आठवीं कक्षा में था, तब मेरे पिता ने मुझे ‘ओलिवर ट्विस्ट’ और ‘द प्रिजनर ऑफ जेंडा’ पढ़ने को कहा था। मैंने कई अंग्रेजी उपन्यास पढ़े हैं, फिर भी इससे हिंदुत्व के प्रति मेरे प्रेम पर जरा भी असर नहीं पड़ा। इंग्लिश नॉवेल पढ़ें और प्रेमचंद जैसे भारतीय कहानीकारों को छोड़ दें, ये ठीक नहीं है।”उन्होंने कहा कि एक श्रमिक संगठन, एक लघु उद्योग संगठन, सरकार और पार्टी, इन चारों को एकमत होना होगा, जो बहुत दुर्लभ है। संघर्ष हो सकता है, लेकिन झगड़ा नहीं होना चाहिए। लक्ष्य एक ही है, हमारे देश की भलाई, हमारे लोगों की भलाई। अगर यह समझ है, तो हमेशा समन्वय होता है, और हमारे स्वयंसेवकों में यह समझ है। हर जगह हमें अपनी परंपराओं, अपने मूल्यों और अपने मूल्य-आधारित आचरण की शिक्षा देनी चाहिए, जरूरी नहीं कि धार्मिक शिक्षा ही हो। यह सामाजिक है। हमारे धर्म अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन समाज के सदस्य के रूप में हम एक हैं। समझें कि ये सामान्य सिद्धांत हैं, माता-पिता का सम्मान करना, बड़ों के सामने विनम्रता दिखाना, अहंकार से नियंत्रित न होना आदि। ये हमारी संस्कृति के विशेष और विशिष्ट पहलू हैं।

थॉमस कॉरिएट: आगरा की तवायफ़ों और बुर्ज़ों के दरमियान एक आवारा मुसाफ़िर वो अंग्रेज जो पांच हजार किलोमीटर पैदल सफर कर आगरा पहुंचा था

बृज खंडेलवाल द्वारा 

भला हो अंग्रेजी कवि डोम मोरेस का, (इनके पिताश्री फ्रैंक मोरिस भारत में पत्रकारिता जगत के एक महान स्तंभ थे, जिनकी एडिटोरियल्स सत्ता के गलियारों में भूचाल ला देती थीं)), जिन्होंने 2003 के जाड़ों की एक शाम मुझे एक भूले हुए अंग्रेज शख़्श के बारे में बताया, जिसने आगरा को अपनाया और शायद यहीं से दुनिया से बिदा ले गया। लौंग वॉकर के नाम से मशहूर ये अजीब कैरेक्टर टूरिज्म लिटरेचर का पहला राइटर रहा होगा।

ताजमहल के पोस्टकार्ड पर छाने से बहुत पहले, एक अजीबोगरीब अंग्रेज़ आगरा की गलियों में दाख़िल हुआ था—हाथ में एक लाठी, एक नोटबुक और अजीबो-ग़रीब सनक। उसका नाम था थॉमस कॉरिएट—वही शख़्स जिसने इंग्लैंड को खाने की मेज़ पर कांटे (fork) से रूबरू कराया।

कॉरिएट की बेचैन रूह उसे ईरान से होते हुए सूरत और फिर उत्तर की तरफ़ आगरा खींच लाई—जहाँ बादशाह जहाँगीर की सल्तनत का दरबार था। सन 1616 का आगरा संग-ए-मरमर के महलों, फैले हुए बाग़ों और रौनक़ से भरे कारवां सरायों से जगमगाता था, जहाँ काबुल, समरकंद और इस्फ़हान के सौदागर आपस में टकराते रहते थे। व्यापार से उलट, कॉरिएट मुनाफ़ा नहीं, बल्कि क़िस्से तलाश रहा था। जहाँगीर ने अपनी तुज़ुक़-ए-जहाँगीरी में इस अजनबी अंग्रेज़ का ज़िक्र किया—उसकी बातों की भूख और आराम को नकारने वाली फ़ितरत देखकर हैरान भी हुए, खुश भी।

आगरा से कॉरिएट ने अपने ख़त लंदन रवाना किए, जिनमें उसने शहर की ज़िंदगी और मुग़ल तामझाम का डिटेल्ड जिक्र किया। यही कुछ शुरुआती अंग्रेज़ी दस्तावेज़ हैं जिनसे यूरोप को हिंदुस्तान की झलक मिली—उस ज़माने से बहुत पहले जब ईस्ट इंडिया कंपनी ट्रेड से राजनीति की तरफ़ बढ़ी।

लेकिन आगरा ही उसकी आख़िरी मंज़िल भी साबित हुआ। बीमारी ने उसे घेर लिया और 1617 में वहीं उसका इंतक़ाल हो गया। उसकी क़ब्र वक्त की गर्द में कहीं गुम हो गई। उसे कम ही लोग याद करते हैं, मगर उसकी सैर ने दो दुनियाएं जोड़ दीं—इंग्लैंड की दावत की मेज़ और जहाँगीर का आगरा—एक सनकी मुसाफ़िर के ज़रिए।

थॉमस के विवरणों से पता चलता है कि सन 1615 का आगरा—मुग़ल सल्तनत का धड़कता दिल—शानो-शौकत, तामीरी हुस्न और अदबी नफ़ासत का शहर था। लाल क़िले की सरख़-गुलाबी दीवारें और ख़ुशबूदार बाग़ात इस आलमी तामीर का नक़्शा थीं। इन्हीं नक़्शों के दरमियान एक फ़क़ीरी हाल में भटकता हुआ दाख़िल हुआ थॉमस कॉरिएट—सॉमरसेट के गाँव ओडकॉम्ब का एक सनकी अंग्रेज़, जो साउथैम्प्टन से पाँच हज़ार मील पैदल चलकर जहाँगीर से मिलने पहुँचा। उसे लोग “ओडकॉम्बियन लेग- स्ट्रेचर” कहते थे—यानी टाँगें फैलाकर चलने वाला मुसाफ़िर।

कॉरिएट को शायद पहला “टूरिज़्म-राइटर” भी कहा जा सकता है। उसकी चिट्ठियाँ आगरा की रौनक़, उसके महलों और ख़ासकर तवायफ़ों के जलवे बयान करती हैं—वो तवायफ़ें जिनकी अदाएँ और अदब मुग़ल दरबार को मोहती थीं। डॉम मॉरिस ने अपनी किताब The Long Strider में लिखा है कि आगरा में कॉरिएट की मौजूदगी हमें उस शहर की तस्वीर देती है जहाँ रक़्स और रियाज़, तवायफ़ों की महफ़िलें और मुग़ल तामीर दोनों एक साथ उसे हैरान और मोहित (enchanted) करते रहे।

जहाँगीर का आगरा हिन्द-इस्लामी तामीर का शाहकार था। यमुना किनारे लाल पत्थर का क़िला—उसका अमर सिंह दरवाज़ा फ़नकारी नक़्शों और चमकीली टाइलों से सजता, दीवान-ए-आम में संग-ए-मरमर के स्तंभ लाजवर्द और अग़ी़क से जड़े हुए, शीश महल की दीवारें सितारों की तरह झिलमिलातीं। राम बाग़ के चहार-बाग़ नक़्शे, कमल-आकार फ़व्वारे और गुलाबों की पगडंडियाँ फ़ारसी जन्नत की याद दिलाते। किनारी बाज़ार और जोहरी मंडी में रौनक़ थी, जहाँ हवेलियों के झरोखे और मेहराबदार दरवाज़े ढलती धूप में चमकते। कॉरिएट ने आगरा को “शानो-शौकत के महलों और ख़ूबसूरत सड़कों का शहर” कहा—जो इंग्लैंड की तामीर को मात देता था।

उसकी नज़र ख़ासकर तवायफ़ों पर ठहरती। ये सिर्फ़ रक़्स और गीत की ख़ातून न थीं, बल्कि अदब और तहज़ीब की अलमबरदार थीं। बचपन से कथक, हिंदुस्तानी संगीत, उर्दू शायरी और आचार-संहिता में माहिर, उनकी कोठों से ग़ज़लों की सरगोशियाँ और पायल की छनक गूंजती। आम रंडियों से अलग, तवायफ़ें उमरा और दरबारी तबक़े की दिलनशीं थीं। कॉरिएट उनके हुनर से हैरान तो हुआ मगर अपनी ईसाई नज़रों से झिझका भी। एक ख़त में उसने लिखा—“मैंने ख़ूबसूरत ख़वातीन को ऐसा रक़्स करते देखा कि उनके पाँव ज़मीन को चूमते से लगते थे, और उनके नग़मे दिल में ऐसे ख़याल जगाते जिन्हें बयान करने की हिम्मत न थी।”

मगर आगरा की यही रंगीनियाँ कॉरिएट का फक्कड़पन के साथ मिलकर उसकी दास्तान बना गईं। फटेहाल कपड़ों में वह हाथी-गाड़ियों और बैलगाड़ियों के दरमियान घूमता, अंग्रेज़ सौदागरों से उधार माँगता और दावा करता—“मैं अजनबियों की रहमदिली पर ज़िंदा हूँ, लेकिन उन जगहों पर चलता हूँ जहाँ बादशाह बसते हैं।” उसने दीवान-ए-आम में फ़ारसी में जहाँगीर के सामने ख़िताब भी किया—उम्मीद में कि कुछ इनाम मिलेगा, मगर जहाँगीर की मुस्कराहट ही नसीब हुई।

1617 में बीमारी ने उसका काम तमाम कर दिया। उसकी क़ब्र का कोई निशान अब बाक़ी नहीं। मगर ओडकॉम्ब के चर्च में एक पट्टिका अब भी याद दिलाती है—”ग्रेट वॉकर” जिसने आगरा की तवायफ़ों और बुर्ज़ों की दास्तानें यूरोप तक पहुँचाईं।

वैष्णो देवी लैंडस्लाइड में 32 लोगों की मौत, बढ़ सकता है आंकड़ा

माता वैष्णो देवी यात्रा मार्ग के अर्धकुंवारी क्षेत्र मंगलवार को हुए भूस्खलन में मरने वालों का आंकड़ा 32 तक पहुंच गया है। जानकारी के मुताबिक कई स्थानों पर यात्री अभी भी फंसे हुए हैं और बचाव कर्मी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। श्री माता देवा श्राइन बोर्ड की ओर से कहा गया है कि हाल ही में हुई लगातार बारिश और खराब मौसम को देखते हुए, सभी यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे मौसम में सुधार होने पर अपनी यात्रा की योजना फिर से बनाए।

रियासी के एसएसपी परमवीर सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के कटड़ा में वैष्णो देवी मंदिर के पास भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में 32 लोगों की मौत हो गई है। इसके अतिरिक्त, जम्मू के चनैनी नाला में एक कार गिरने से 3 श्रद्धालु बह गए। लापता तीन में से दो श्रद्धालु राजस्थान के धौलपुर और एक आगरा का रहने वाला है। रविवार से जारी वर्षा के कारण जम्मू की सड़कें व पुल झेल नहीं पाए और शहर में बाढ़ जैसे हालात बन गए।

इसके साथ ही जम्मू का देश से सड़क व रेल संपर्क पूरी तरह कट गया। मंगलवार रात भारी बारिश की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने रात नौ बजे के बाद अकारण घरों से बाहर निकलने पर भी रोक लगा दी थी। तवी, चिनाब, उज्ज सहित सभी नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं।

जम्मू में तवी नदी पर बना भगवतीनगर पुल की एक लेन धंस गई, जबकि इस नदी पर बने दो अन्य पुलों पर एहतियातन आवाजाही बंद कर दी गई है। कठुआ के पास पुल धंसने से जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय पर यातायात पहले से प्रभावित था।

अब इस राजमार्ग पर विजयपुर में एम्स के निकट स्थित देविका पुल भी क्षतिग्रस्त हुआ है। इसके बाद सड़क यातायात पूरी तरह बंद कर दिया गया। सांबा में सेना के जवानों ने खानाबदोश गुज्जर समुदाय के सात लोगों को नदी से सुरक्षित बाहर निकाला है। जम्मू संभाग के सभी स्कूलों और कालेजों में 27 अगस्त को अवकाश घोषित किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट का केंद्र सरकार को निर्देश, सोशल मीडिया कंटेंट नियंत्रण के लिए NBSA से परामर्श करें

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली सामग्री को नियंत्रित करने के लिए प्रस्तावित दिशानिर्देश तैयार कर रिकॉर्ड में पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये दिशानिर्देश समाचार प्रसारण मानक प्राधिकरण (NBSA) और डिजिटल एसोसिएशन के परामर्श से बनाए जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर प्रभावशाली लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का व्यवसायीकरण करते हैं और उनकी टिप्पणियों से समाज के विभिन्न वर्गों—दिव्यांग, महिलाएं, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और अल्पसंख्यक—की भावनाएं आहत होने की आशंका रहती है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि पॉडकास्ट जैसे ऑनलाइन कार्यक्रमों सहित सोशल मीडिया पर आचरण को विनियमित करने के लिए ठोस दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन दिशा-निर्देशों से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और समाज में सम्मानपूर्वक जीवन जीने के अधिकार के बीच संतुलन कायम होना चाहिए।

यह टिप्पणी कोर्ट ने उस समय की, जब वह हास्य कलाकार समय रैना और अन्य के खिलाफ दिव्यांग व्यक्तियों पर असंवेदनशील चुटकुले बनाने के मामले की सुनवाई कर रही थी। जस्टिस बागची ने कहा कि हास्य जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन हल्केपन के नाम पर संवेदनशीलता को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। वहीं, जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि असंवेदनशील चुटकुले बनाकर दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने का संवैधानिक उद्देश्य ध्वस्त किया जा रहा है।

पीठ ने कहा कि जब तक उल्लंघन पर निश्चित और ठोस परिणाम तय नहीं किए जाते, लोग जिम्मेदारी से बचते रहेंगे। परिणाम औपचारिकता भर न होकर नुकसान के अनुपात में होने चाहिए। कोर्ट ने साफ किया कि उसका उद्देश्य अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना नहीं, बल्कि आहत करने वाले भाषण और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचना है।

अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने केंद्र की ओर से पेश होकर कहा कि प्रस्तावित दिशानिर्देशों का मुख्य उद्देश्य सोशल मीडिया यूजर्स को संवेदनशील बनाना होगा। हालांकि, यदि कोई उल्लंघन करता है तो उसे अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।

जम्मू-कश्मीर के डोडा और किश्तवाड़ में बादल फटा, 4 लोगों की मौत

जम्मू-कश्मीर के जम्मू संभाग में भारी बारिश और बादल फटने की घटनाओं ने भारी तबाही मचाई है। डोडा और किश्तवाड़ जिलों में बादल फटने से चार लोगों की मौत हो गई है, जबकि उधमपुर में 8 लोग बाढ़ के पानी में फंस गए हैं। लगातार हो रही बारिश के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग 244 (NH 244) का एक बड़ा हिस्सा बह गया है, जिससे कई इलाकों का संपर्क टूट गया है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।

डोडा जिले में बादल फटने के बाद आए मलबे और तेज बहाव की चपेट में आने से चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। वहीं, किश्तवाड़ के डिप्टी कमिश्नर हरविंदर सिंह ने बताया कि जिले में पिछले तीन दिनों से लगातार बारिश हो रही है। चिनाब नदी के किनारे बसे इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि बारिश के कारण एनएच 244 पूरी तरह से बह गया है और एक निजी स्वास्थ्य केंद्र को भी नुकसान पहुंचा है। भलेसा के चरवा इलाके में भी बाढ़ की सूचना है, हालांकि वहां किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।

उधमपुर जिले के बसंतगढ़ के ललोन गला इलाके में भी बादल फटने की सूचना है। इसके कारण बग्गन नाले में अचानक बाढ़ आ गई, जिसमें मवेशी चराने गए 8 लोग बीच में ही फंस गए। एसएचओ बसंतगढ़, राबिन चलोत्रा ने पुष्टि करते हुए बताया कि सभी 8 लोग नाले के बीच एक सुरक्षित ऊंचे स्थान पर फंसे हुए हैं और बचाव के लिए लोदरा पुलिस चौकी से एक टीम को मौके पर रवाना कर दिया गया है।

वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है कि उनका कार्यालय लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और प्रशासन से अपडेट ले रहा है।

एशिया कप से पहले बीसीसीआई ने इस दिग्गज की कर दी छुट्टी

बीसीसीआई ने भारतीय टीम के खिलाड़ियों की मालिश करने वाले दिग्गज राजीव कुमार से नाता तोड़ लिया है। राजीव कुमार एक दशक से भी ज्यादा समय से टीम इंडिया का हिस्सा थे। वह हाल ही में इंग्लैंड दौरे पर टीम के साथ भी गए थे, लेकिन अब उन्हें नया कॉन्ट्रैक्ट नहीं दिया गया। इसकी जानकारी खुद राजीव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्टोरी शेयर करते हुए दी।

दरअसल, एशिया कप 2025 से पहले टीम इंडिया को लेकर बड़ी खबर सामने आई। टीम इंडिया के साथ 15 साल से जुड़े सपोर्ट स्टाफ राजीव कुमार को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। एशिया कप के दौरान अब राजीव टीम के साथ नजर नहीं आएंगे।

बता दें कि जब भारतीय खिलाड़ी मैच खेलने के बाद थके होते थे तो राजीव अपनी मालिश के जरिए खिलाड़ियों की थकान को दूर करते थे। वह 15 खिलाड़ियों की टीम में एक जाना पहचाना चेहरा थे। राजीव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर स्टोरी शेयर करते हुए बीसीसीआई के साथ कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने की जानकारी देते हुए लिखा, “भारतीय क्रिकेट टीम की एक दशक (2006-2015) तक सेवा करना मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात रही। इस अवसर के लिए भगवान का धन्यवाद, मैं दिल से आभारी हूं और आगे की राह को लेकर उत्साहित हूं।”

भारत पर कल से लागू होगा 50% टैरिफ, अमेरिका ने नोटिफिकेशन जारी किया

अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले सामान पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना का ऐलान कर दिया है। यह वही कदम है जिसकी घोषणा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले कर चुके हैं। अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने एक ड्राफ्ट नोटिस जारी कर इसकी रूपरेखा पेश की है।

नोटिस के अनुसार, यह बढ़ा हुआ टैरिफ भारत के उन उत्पादों पर लागू होगा, जो 27 अगस्त, 2025 की रात 12:01 बजे (ईस्टर्न डेलाइट टाइम) के बाद खपत के लिए आयात किए जाएंगे या गोदाम से निकाले जाएंगे। ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में भारत से आने वाले सामान पर टैरिफ को 25 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की घोषणा की थी। अमेरिका का कहना है कि यह कदम रूस से भारत की तेल खरीद के जवाब में उठाया जा रहा है।

अमेरिकी रणनीति का मकसद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाना है, ताकि वे यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए बातचीत की मेज पर आएं। अमेरिका रूस के तेल व्यापार को रोकने की कोशिश में है और भारत पर यह “सेकेंडरी टैरिफ” उसी रणनीति का हिस्सा है।

भारत ने इन टैरिफों को अन्यायपूर्ण करार देते हुए अपने हितों की रक्षा का ऐलान किया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शनिवार को स्पष्ट कहा कि भारत अपने ऊर्जा विकल्पों से कोई समझौता नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि रूस से तेल खरीदने के लिए भारत को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि चीन और यूरोप के कई बड़े देश भी ऐसा कर रहे हैं लेकिन उन पर कोई सवाल नहीं उठाया जा रहा। जयशंकर ने इसे “तेल विवाद” को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश बताया और भारत की रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोमवार को अहमदाबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि किसानों, पशुपालकों और छोटे कारोबारियों के हित सर्वोपरि हैं। उन्होंने कहा, “हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन भारत हर मुश्किल का सामना करेगा। मोदी के लिए किसानों और छोटे उद्योगों का हित सबसे ऊपर है।” पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भगवान श्रीकृष्ण और महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत ‘चक्रधारी श्रीकृष्ण’ और ‘चर्खाधारी गांधी’ की शक्ति से सशक्त है और अपने हितों की रक्षा के लिए किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा।

चीन पर मेहर बान हुए ट्रंप, 6 लाख चीनी छात्रों को देंगे अमेरिकी वीजा

एक ओर भारत जैसे देशों पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात करने वाले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब चीन पर मेहरबान नजर आ रहे हैं। उन्होंने चीन के प्रति एक बड़ा नीतिगत बदलाव दिखाते हुए 6 लाख चीनी छात्रों को अमेरिकी वीजा उपलब्ध कराने का ऐलान किया है। ट्रंप का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर अहम बातचीत चल रही है।

सोमवार को व्हाइट हाउस में एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच ‘बहुत महत्वपूर्ण संबंध’ हैं। उन्होंने कहा, “हम उनके (चीन के) छात्रों को आने की अनुमति देने जा रहे हैं। यह बहुत महत्वपूर्ण है, 600,000 छात्र। हम चीन के साथ मिलकर काम करेंगे।” इस घोषणा के साथ ही ट्रंप ने 6 लाख चीनी छात्रों के लिए अमेरिकी कॉलेजों में पढ़ाई का रास्ता खोल दिया है।

यह फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा पहले अपनाए गए आक्रामक रुख से एक बड़ा यू-टर्न है, जिसमें चीनी नागरिकों, खासकर कम्युनिस्ट पार्टी या संवेदनशील शोध क्षेत्रों से जुड़े लोगों के वीजा को रद्द करने की बात कही गई थी। ट्रंप के इस नए ऐलान से उनके कट्टर समर्थक भी अब उनकी आलोचना करने लगे हैं।

यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रही उच्च-स्तरीय व्यापार वार्ता के बीच उठाया गया है। दोनों देश टैरिफ, अमेरिकी उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई और अमेरिका में बने उन्नत एआई चिप्स तक चीन की पहुंच जैसे मुद्दों पर समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इस नरमी के बीच ट्रंप ने चीन को चेतावनी देते हुए यह भी कहा कि बीजिंग को रेयर अर्थ मैग्नेट तक वॉशिंगटन की पहुंच सुनिश्चित करनी होगी, अन्यथा उसे 200 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।

जगदीप धनखड़ जी ने अपनी व्यक्तिगत और स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया- अमित शाह

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर बढ़ती अटकलों के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को विपक्ष के सभी दावों को खारिज कर दिया। न्यूज एजेंसी के साथ बातचीत करते हुए अमित शाह ने विपक्ष पर खूब निशाने साधे।

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे पर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, “धनखड़ जी एक संवैधानिक पद पर आसीन थे और अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने संविधान के अनुरूप अच्छा काम किया। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य समस्या के कारण इस्तीफा दिया है। किसी को भी इसे ज्यादा खींचकर कुछ खोजने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।”

विपक्ष ने लगाए थे गंभीर आरोप– इस दौरान 130वें संविधान संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्ष के रुख पर उन्होंने कहा कि आज भी विपक्ष के लोग कोशिश कर रहे हैं कि अगर कभी जेल गए तो जेल से ही आसानी से सरकार बना लेंगे। जेल को ही सीएम हाउस, पीएम हाउस बना देंगे और डीजीपी, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव जेल से ही आदेश लेंगे। ऐसा नहीं हो सकता। उन्होंने भरोसा जताया कि कांग्रेस पार्टी के कई लोग इस बिल का समर्थन करेंगे और यह बिल आसानी से पास होगा। विपक्ष पर निशाना साधते हुए गृहमंत्री ने कहा “लालू यादव को बचाने के लिए मनमोहन सिंह द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़ने का राहुल गांधी का क्या औचित्य था? अगर उस दिन नैतिकता थी, तो क्या आज नहीं है क्योंकि आप लगातार तीन चुनाव हार चुके हैं? मुझे पूरा विश्वास है कि यह पारित हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी और विपक्ष में ऐसे कई लोग होंगे जो नैतिकता का समर्थन करेंगे और नैतिकता के आधार को बनाए रखेंगे।”

नया कानून होता तो केजरीवाल को इस्तीफा देना पड़ता– अमित शाह ने कहा कि विपक्ष के नेता जिस कानून का विरोध कर रहे हैं। अगर वह पहले से बना होता तो जब केजरीवाल को जेल हुई थी, तब उन्हें इस्तीफा देना पड़ता। अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के कहने पर उन्होंने इस्तीफा दिया था। उन्होंने कहा कि नए कानून के लिए जेपीसी बनाई गई है, लेकिन विपक्ष उसमें शामिल नहीं होना चाहता। यह जनता देख रही है। अगर विपक्ष नहीं शामिल होता है, तो भी जेपीसी अपना काम करेगी।

ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने अमेरिका के साथ सीधी बातचीत को किया खारिज

ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने कहा कि अमेरिका इसलिए ईरान का विरोध करता है क्योंकि वह चाहता है कि ईरान उसकी बात माने। उन्होंने इस मांग को अपमानजनक बताया और कहा कि ईरान कभी झुकेगा नहीं।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना के हवाले से बताया कि तेहरान में रविवार को दिए भाषण में खामनेई ने साफ कहा कि अमेरिका से सीधी बातचीत की कोई जरूरत नहीं है। उनके अनुसार 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से अमेरिका की शत्रुता लगातार बनी हुई है।

उन्होंने 13 जून को ईरान पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अमेरिका से जुड़े समूह अगले दिन एक यूरोपीय राजधानी में “इस्लामी गणराज्य के बाद” व्यवस्था पर चर्चा करने के लिए मिले थे, यहां तक कि राजशाही का सुझाव भी दिया गया। खामेनेई के अनुसार, ईरानी जनता और संस्थाओं की मजबूती ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया।

खामेनेई ने जून में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों का भी जिक्र किया। उनका कहना था कि इन हमलों का मकसद ईरान को अस्थिर करना था, लेकिन ईरान ने इसका जवाब दिया। खामेनेई ने घरेलू एकता और राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के लिए समर्थन का आग्रह किया और चेतावनी दी कि ईरान के विरोधी अब घरेलू स्तर पर विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने गाजा में इजरायल की कार्रवाई की निंदा की, पश्चिमी देशों से उसकी मदद रोकने की अपील की और यमन के हूती समूह द्वारा इजरायल के खिलाफ किए गए कदमों को जायज बताया। ज्ञात हो कि, 1979 की इस्लामी क्रांति और उसके परिणामस्वरूप अमेरिकी दूतावास में हुए बंधक संकट के बाद तेहरान और वाशिंगटन के बीच संबंध टूट गए थे। तब से, वाशिंगटन ने तेहरान पर कई प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें से सबसे हालिया प्रतिबंध उसके परमाणु कार्यक्रम के कारण लगाए गए हैं।