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जुलाई 1 से ट्रेन किराया थोड़ा बढ़ेगा, रोज़ाना यात्रियों को राहत

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 24 जून- भारतीय रेलवे 1 जुलाई से यात्री ट्रेन किराए में मामूली वृद्धि लागू करेगा। रिपोर्टों के अनुसार, किराया समायोजन मुख्य रूप से मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में लंबी दूरी की यात्रा पर लागू होगा, दोनों गैर-एसी और एसी वर्ग। एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा कि गैर-एसी मेल और एक्सप्रेस ट्रेन किराए में 1 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि होगी, जबकि एसी श्रेणी के टिकटों में 2 पैसे प्रति किलोमीटर की वृद्धि होगी। यह परिवर्तन देश भर में लगभग 13,000 दैनिक सेवाओं को प्रभावित करेगा। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह बढ़ोतरी बहुत मामूली है और यात्रियों की जेब पर ज्यादा असर नहीं डालेगी।
रोज़ाना या कम दूरी पर यात्रा करने वाले यात्रियों पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
नवीनतम संशोधन के बावजूद यात्रियों की कुल यात्रा लागत पर न्यूनतम प्रभाव पड़ेगा। दैनिक यात्रियों के लिए राहत की बात यह है कि उपनगरीय ट्रेनों और मासिक सीजन टिकटों (MST) के किराए में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। नियमित यात्रियों और कम दूरी के यात्रियों पर किराया समायोजन का बोझ नहीं पड़ेगा। इसके अलावा, साधारण द्वितीय श्रेणी में 500 किलोमीटर तक की यात्रा करने वाले यात्रियों को भी किसी भी किराया वृद्धि से छूट दी जाएगी। सामान्य द्वितीय श्रेणी में 500 किलोमीटर से अधिक की यात्रा के लिए, वृद्धि नाममात्र 0.5 पैसे प्रति किलोमीटर होगी। उदाहरण के लिए, 600 किलोमीटर की यात्रा पर केवल 50 पैसे अधिक खर्च होंगे। रेल मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा नहीं की है.

उपचुनाव नतीजे पर बोले अरविंद केजरीवाल, ‘मैं राज्यसभा नहीं जा रहा

हाल ही में चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आज घोषित किए गए। इन नतीजों में आम आदमी पार्टी (आप) ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच में से दो सीटों पर विजय प्राप्त की। जीत के बाद पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान उन्होंने जनता का विश्वास जताने के लिए आभार व्यक्त किया। केजरीवाल ने कहा, “जनता ने हम पर जो भरोसा दिखाया है, उसके लिए हम उनके आभारी हैं। हमने ये दोनों सीटें बड़े अंतर से जीती हैं। पिछली बार के मुकाबले इस बार हमारी जीत का मार्जिन लगभग दोगुना है।”

आप ने यह जीत गुजरात में विसावदर और पंजाब में लुधियाना वेस्ट विधानसभा सीटों पर दर्ज की है। केजरीवाल ने इस अवसर पर पार्टी के विजयी उम्मीदवारों, संजीव अरोड़ा और गोपाल इटालिया को बधाई दी। साथ ही, उन्होंने इन क्षेत्रों की जनता को भी धन्यवाद दिया।

एक सवाल के जवाब में केजरीवाल ने स्पष्ट किया कि वह राज्यसभा नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि राज्यसभा के लिए उम्मीदवार का फैसला पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति द्वारा लिया जाएगा।

पंजाब के उपचुनाव नतीजों पर बोलते हुए केजरीवाल ने कहा कि यह एक बड़ा संकेत है कि पंजाब के लोग हमारी सरकार के कामकाज से खुश हैं। उन्होंने इस जीत को 2027 के विधानसभा चुनावों का सेमीफाइनल करार दिया और कहा कि पंजाब की जनता ने आप सरकार पर अपनी मुहर लगा दी है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने गुजरात के विसावदर में पार्टी की जीत का भी उल्लेख किया, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार है। उन्होंने कहा कि विसावदर में भी जनता ने आप को अच्छे मार्जिन से जिताया है।

केजरीवाल ने गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि गुजरात में भाजपा सत्ता, पैसा, प्रशासन और हर प्रकार की तिकड़म का इस्तेमाल करके चुनाव लड़ती है, ऐसे में उनसे जीतना आसान नहीं होता। हालांकि, विसावदर में आम आदमी पार्टी की डबल मार्जिन से जीत यह दर्शाती है कि अब जनता भाजपा के 30 साल के शासन से तंग आ चुकी है और बदलाव चाहती है। उन्होंने दावा किया कि गुजरात अब बदलाव की राह पर है।

दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछली विधानसभा चुनावों के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि गुजरात में कांग्रेस को 17 सीटें मिली थीं, जबकि आप को 5। उन्होंने कहा कि अब गुजरात में मुख्य मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच है। उन्होंने हालिया उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि दो सीटों पर चुनाव हुए, जिनमें से एक पर भाजपा और एक पर आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की है। केजरीवाल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उन्होंने दिल्ली और विसावदर के उपचुनावों में भाजपा की मदद की, और कांग्रेस को भाजपा की “कठपुतली” बताया।

सेना को मिलेगा स्वदेशी ‘नगस्त्र-1आर’ का बल

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली, 23 जून- भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने के लिए एक और स्वदेशी कदम उठाया गया है। सेना ने सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड एसडीएएल (SDAL) से 450 नगस्त्र-1आर (Nagastra-1R) लूटिरिंग म्युनिशन की खरीद का ऑर्डर दिया है। यह हथियार प्रणाली न केवल सटीकता में श्रेष्ठ है, बल्कि लगभग पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से निर्मित है।
बयान के मुताबिक, नगस्त्र-1आर कम लागत वाला और पूरी तरह दोबारा उपयोग योग्य लॉन्चर सिस्टम है। इसमें 360 डिग्री घूमने वाला गिंबल कैमरा और रात के ऑपरेशन के लिए थर्मल कैमरा लगाने का विकल्प भी है। इसकी वीडियो और टेलीमेट्री कम्युनिकेशन प्रणाली पूरी तरह एन्क्रिप्टेड है।
नागास्त्र-1R ड्रोन हवा में मंडराकर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है। यह दुश्मन के बंकर, प्रशिक्षण शिविर, लॉन्च पैड और अन्य सैन्य ठिकानों पर हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। बिना सैनिकों की जान को जोखिम में डाले ये ड्रोन दुश्मन से मुकाबला करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं। नगस्त्र-1आर में 2 मीटर सीईपी (CEP) की उच्च सटीकता है. यह लक्ष्य से अधिकतम दो मीटर तक ही चूक सकता है। इसको बनाने में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है। बयान में कहा गया है इस प्रणाली का परीक्षण लद्दाख और उत्तर प्रदेश के बबीना (झांसी) क्षेत्र में किया गया है।
एसडीएएल के ये परीक्षण और अनुबंध देश की रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी तकनीक के बढ़ते कदम और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को नई गति दे रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन सिस्टम्स की तैनाती से सेना की निगरानी, सटीक हमला और ड्रोनों से सुरक्षा की क्षमताएं और मजबूत होंगी।

तीन साल में 1426 तकनीकी खराबियां, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 23 जून- देश की प्रमुख विमानन कंपनियों में बीते तीन वर्षों के दौरान तकनीकी गड़बड़ियों के 1426 मामले सामने आए, लेकिन हैरानी की बात यह रही कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने किसी भी कंपनी को न तो कोई नोटिस भेजा है और न कोई सख्त कार्रवाई की गई है । संसद में पेश किए गए आधिकारिक आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल द्वारा संसद में दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों (2022 से 2024) के दौरान देश में आठ कंपनियों के विमानों में तकनीकी खराबी की 1426 घटनाएं सामने आई हैं। सबसे अधिक त्रुटियाँ इंडिगो (717), स्पाइसजेट (327) और एयर इंडिया लिमिटेड (220), एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड (93) विमानों में पाई गईं। हालाँकि, नागरिक विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने पिछले एक साल में एक भी कंपनी को नोटिस जारी नहीं किया है और एक भी कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है। एयर एशिया, अलायंस एयर, विस्तारा और अक्सा एयर के विमानों में भी मामूली स्तर की खामियां दर्ज की गईं।
12 जून को अहमदाबाद में एयर इंडिया के बोइंग-787 ड्रीमलाइनर विमान के हादसे में 241 यात्रियों और कर्मचारियों, साथ ही 29 मेडिकल छात्रों की मौत हुई थी। इस बड़े हादसे के बाद DGCA ने पहली बार कोई ठोस कदम उठाया और एयर इंडिया के तीन अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए। इससे पहले किसी भी मामले में कोई जवाबदेही तय नहीं की गई थी।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय की वेबसाइट पर 2023-24 की सालाना रिपोर्ट तो मौजूद है, लेकिन 2021-22 और 2022-23 की रिपोर्टें नदारद हैं। वहीं, 2024-25 की रिपोर्ट वेबसाइट पर खुल ही नहीं रही। DGCA की वेबसाइट पर 1960 से 2011 तक की दुर्घटनाओं की जानकारी है, लेकिन उसे आखिरी बार 1 जुलाई 2015 में अपडेट किया गया था। अंतिम दुर्घटना जांच रिपोर्ट 2002 की है। बेल 206 बी-3, वीटी-डीएपी हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष जीएमसी बालयोगी, पायलट कैप्टन जी वी मेनन और बालयोगी के निजी सचिव के.एस. राजू की मौत हो गई थी। वेबसाइट पर कोई अनुवर्ती जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जुलाई 2012 से 2025 तक कुल 102 विमान दुर्घटनाएं हुई हैं। सबसे अधिक 12 दुर्घटनाएं 2022 में हुईं। इसी अवधि में 121 गंभीर घटनाएं भी दर्ज की गईं। सबसे अधिक 27 घटनाएं 2019 में हुईं।
2022 से मार्च 2025 तक विमानों को बम की धमकी से जुड़ी कुल 836 कॉल्स मिलीं। 2024 में ही 728 धमकी कॉल्स आए, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

2022 से 2024 तक कंपनी को मिली तकनीकी खामियां
इंडिगो 717
स्पाइसजेट 327
एयर इंडिया लिमिटेड 220
एयर इंडिया एक्सप्रेस लिमिटेड 93
एयर एशिया 24
एलायंस एयर एविएशन लिमिटेड 20
एक्सटेंशन 17
अक्सा एयर 8

हाइवे और एक्सप्रेस-वे अब सिर्फ सड़कें नहीं, विकास के मानक बनेंगे

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली , 19 जून- देशभर में तेजी से बन रहे नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे अब सिर्फ यात्रा के साधन नहीं रहेंगे, बल्कि ये सामाजिक और आर्थिक विकास के मापदंडों पर भी परखे जाएंगे। केंद्र सरकार अब यह देखेगी कि इन सड़कों से जनता को क्या वास्तविक लाभ हो रहा है.जैसे यात्रा में समय की बचत, ईंधन खर्च में कमी, सड़क सुरक्षा में सुधार और स्थानीय लोगों की जिंदगी में बदलाव।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 5 जून को इसके लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने बताया कि सभी हाईवे और एक्सप्रेस-वे परियोजनाओं के प्रभाव को पांच प्रमुख क्षेत्रों में मापा जाएगा। :
इसमें पहला आर्थिक प्रभाव आर्थिक प्रभाव: क्या इन सड़कों से जीडीपी में वृद्धि हो रही है? क्या स्थानीय बाजारों और आर्थिक केंद्रों तक पहुंच आसान हुई है? लॉजिस्टिक्स सुधार: यात्रा में लगने वाले समय और दूरी में कितनी कमी आई है? क्या लॉजिस्टिक्स की लागत घटी है? सामाजिक प्रभाव: क्या लोगों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान हुई है? क्या ग्रामीण क्षेत्रों की घरेलू आय बढ़ी है? पर्यावरणीय लाभ: ईंधन की खपत घटने से कितना CO2 उत्सर्जन कम हुआ है? सुरक्षा और अनुभव: सड़कों की गुणवत्ता, दुर्घटनाओं की संख्या और उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि को कैसे बेहतर किया गया है?
इन परियोजनाओं के प्रभाव का आकलन किसी सरकारी एजेंसी के बजाय स्वतंत्र थर्ड पार्टी ऑडिट से कराया जाएगा। इसके अलावा, हितधारकों जैसे स्थानीय निवासियों, वाहन चालकों और कारोबारियों से बातचीत कर फीडबैक लिया जाएगा।
हाईवे बनने के बाद एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और बड़े बाजारों तक पहुंचने में कितनी तेजी आई? जिला स्तर की जीडीपी, घरेलू आय में वृद्धि में कितना इजाफा हुआ? आसपास वाहनों की बिक्री में कितनी बढ़ोतरी हुई? क्या इन सड़कों से लोगों की आमदनी बढ़ी?
जनता का पैसा केवल सड़क निर्माण में न लगे, बल्कि वह देश के आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय विकास में भी योगदान दे।

सड़ांध की सच्चाई: मिलावट का लालच

सड़ांध की सच्चाई: मिलावट का लालच,धीरे-धीरे भारत की जनता को ज़हर देना

बृज खंडेलवाल द्वारा-

जो देश कभी सोने की चिड़िया कहलाता था, आज वहाँ हर रोज़ थाली में छुरी चलाई जा रही है। भारत, जो विश्वगुरु बनने का सपना देख रहा है, वहां मिलावट की अनियंत्रित प्रवृति एक बेरहम गद्दार की तरह चुपचाप लोगों की रगों में ज़हर घोल रही है। अब तो नेचर की फ्री गिफ्ट्स, हवा, पानी भी प्रदूषित हो चुकी हैं देश की पॉलिटिक्स की तरह!!

दूध से लेकर दवा तक, शराब से लेकर शिक्षा तक, हर चीज़ आस्थाओं पर कुठाराघात कर रही है। जितना दुग्ध उत्पादन नहीं, उस से ज्यादा पनीर बिक रही है।

यह केवल धोखा नहीं, बल्कि “जनता की नब्ज़ पर वार” है। सामाजिक कार्यकर्ता मुक्ता गुप्ता कहती हैं, “जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद कर रहे हैं। यह सिर्फ़ कानून का उल्लंघन नहीं, इंसानियत के खिलाफ़ जुर्म है।”

मिलावट का खेल—ज़हर की पोटली हमारे घर में है। 2019 की FSSAI रिपोर्ट बताती है कि 28% खाद्य सामग्री में मिलावट है। दूध में पानी मिलाना तो अब पुरानी बात हो गई—अब यूरिया, डिटर्जेंट तक मिलाए जाते हैं। हल्दी, मिर्च जैसे मसालों में ऐसे रंग मिलाए जाते हैं जो सीधे कैंसर को न्योता देते हैं। यानी जिसका कोई ईलाज नहीं, वही रोज़ के खाने में घोला जा रहा है।

पब्लिक कॉमेंटेटर प्रोफेसर पारस नाथ चौधरी कहते हैं, “दुश्मनों की क्या जरूरत, जब शुभ चिंतक ही यमराज की फ्रेंचाइज खोले बैठे हों। नाक के नीचे ढोल बज रहा है और प्रशासन बहरे का नाटक कर रहा है। “मैंने प्लेट में चूहे का टुकड़ा पाया, मेरे दोस्त ने समोसे में दांत! खाद्य निरीक्षक तो जैसे ‘राजा भोज’ बन गए हैं—काम कम, आराम ज़्यादा।”

कानून हैं मगर दाँत नहीं हैं, कहती हैं होम मेकर पद्मिनी अय्यर। 2023 में मात्र 1.2 लाख फूड इंस्पेक्शन—ये तो ऊँट के मुँह में जीरा है। “जाँच हो रही है मगर सिर्फ़ फाइलों में। ज़मीनी हक़ीक़त? ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’।”

और जोशी साहब फरमाते हैं, “नकली शराब—‘जाम-ए-क़ातिल’। 2024 में 200 से ज़्यादा मौतें। मेथनॉल मिला ज़हर, जो आंखों की रौशनी छीन ले या सीधा ऊपर पहुँचा दे। “जो न पीता, वो भी मरा—हवा में घुल चुकी है मौत।”

एनवायरनमेंटलिस्ट डॉ देवाशीष भट्टाचार्य कहते हैं, “कानून ढीले, प्रशासन बेबस, माफिया मज़बूत—“कुर्सी की पेटी बाँध लो, यहाँ इंसाफ़ धीरे चलता है।” दवाओं में धोखा—असली ‘नीम हकीम ख़तरा-ए-जान’। WHO की रिपोर्ट: भारत में बिक रही 10% दवाएं नकली या घटिया। “दवा नहीं, धोखा बिक रहा है। डॉक्टर की जगह दलाल बैठा है।”

एडवोकेट राजवीर सिंह कहते हैं, “यहाँ तो ‘ज़हर भी असली नहीं’ मिलता!”

एजुकेशनिस्ट टीपी श्रीवास्तव के मुताबिक शिक्षा भी नहीं रही पाक—’डिग्री का सौदा’, ₹10,000 में फर्जी डिग्री, खुलेआम सोशल मीडिया पर विज्ञापन। “लिखे-पढ़े बिना अफ़सर बन रहे हैं लोग—और देश गर्त में जा रहा है।”

लोक स्वर अध्यक्ष राजीव गुप्ता कहते हैं, “नाकाबिल हाथों में देश की सर्जरी करवाना, आत्महत्या से कम नहीं।” इस पूरे सिस्टम की हकीकत—‘ऊपर से शीशा, अंदर से सड़ांध’। कानून काग़ज़ी शेर बन चुका है। प्रशासन या तो सोता है या बिकता है।

एक्टिविस्ट चतुर्भुज तिवारी कहते हैं, “ये विभाग नहीं, मलाई खाने की मशीन है— ‘खाओ, खिलाओ, भूल जाओ’।”

अब क्या किया जाए?

समस्या का हल क़ाग़ज़ी बैठकों से नहीं, बल्कि लोहा लेने वाली नीयत से होगा। तालाब साफ करना है तो मेढ़कों को डिस्टर्ब करने से कैसा डरना।

जनता चाहती है बार-बार मिलावट करने वालों को फांसी या आजीवन कारावास मिले। ब्लॉकचेन जैसे तकनीक से हर चीज़ की ट्रेसबिलिटी हो सकती है।

स्वतंत्र एजेंसियों को दखल मुक्त अधिकार मिलने चाहिए, ‘जो करे गुनाह, उसकी कुर्सी छीनो, शान नहीं।’ “न्याय में देरी, न्याय से इनकार है।”

“मिलावट राष्ट्रद्रोह है—इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।”

शशि थरूर ने तोड़ी चुप्पी, कांग्रेस से मतभेद स्वीकारे-पार्टी के भीतर करूंगा चर्चा

अंजलि भाटिया

नई दिल्ली- जून कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पहली बार  पार्टी के साथ  मतभेद होने की बात स्वीकार की. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे इन मतभेदों को सार्वजनिक मंच पर नहीं, बल्कि पार्टी के अंदर उठाना पसंद करेंगे। थरूर ने कहा मैं 16 साल से कांग्रेस में हूं। कांग्रेस नेतृत्व में कुछ मुद्दों के साथ मेरे मतभेद हैं। उनमें से कुछ मुद्दे सार्वजनिक डोमेन में हैं। लेकिन मैं इन पर चर्चा पार्टी के मंच पर ही करूंगा। अभी बोलने का समय नहीं है, जब कोई नेता बात करेगा तो मैं भी बात करूंगा। थरूर ने संकेत दिया कि वह उपचुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद उन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं।   जब उनसे पूछा गया कि वह प्रचार अभियान से अनुपस्थित क्यों थे, तो थरूर ने कहा मैं वहां नहीं जाता, जहां मुझे आमंत्रित नहीं किया जाता है।  उन्होंने कहा कि वायनाड सहित पिछले चुनावों के दौरान भी यही स्थिति थी।थरूर ने कहा हमारे कार्यकर्ताओं ने नीलांबुर में पूरी मेहनत और ईमानदारी से काम किया है। हमारे पास एक सशक्त उम्मीदवार है और मुझे उम्मीद है कि पार्टी के प्रयासों का बेहतर परिणाम सामने आएगा। थरूर की यह चुप्पी ऐसे समय टूटी है जब केरल की नीलांबुर सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं और वे प्रचार से पूरी तरह दूर रहे। प्रियंका गांधी समेत कई बड़े नेता मैदान में डटे रहे, लेकिन थरूर की दूरी को लेकर अटकलें तेज हैं।थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में उनका ध्यान भारत के राष्ट्रीय हित पर था। उन्होंने कहा केंद्र ने मेरी सेवाएं मांगी थीं। वास्तव में मेरी पार्टी ने नहीं मांगी। जब देशहित का मुद्दा होता है, तब हम सभी को एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए।इसलिए मैंने एक भारतीय नागरिक के रूप में अपना कर्तव्य  निभाया।बॉक्स नीलांबुर सीट कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक पीवी अनवर के कारण खाली हुई थी। यहां से कांग्रेस ने आर्यादन शौकत को मैदान में उतारा है.

नेशनल हाईवे के लिए 3000 रुपये का सालाना फास्टैग पास, 200 बार टोल प्लाजा पार कर सकेंगे

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली- नेशनल हाईवे पर बार-बार सफर करने वाले वाहन चालकों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी राहत की घोषणा की है। अब सिर्फ ₹3,000 में फास्टैग (FASTag )वार्षिक पास मिलेगा, जिससे 200 टोल यात्राएं की जा सकेंगी। यह योजना 15 अगस्त 2025 से देशभर में लागू होगी। केवल निजी कार, जीप व वैन मालिकों को ही इसका लाभ मिलेगा। सरकार का दावा इस योजना से क्षेत्र के दैनिक सड़क यात्रियों की सालाना कम से कम सात हजार रुपये की बचत होगी।
गडकरी ने कहा कि 3000 रुपये की फास्टैग पास योजना शुरू होने की तारीख से एक साल अथवा 200 यात्रा तक वैध होगी। यानी यदि एक साल से पहले 200 बार यात्रा की तो फास्टैग पुन: रिचार्ज कराना होगा। उन्होंने कहा कि यह योजना सिर्फ निजी वाहनों जैसे कार, जीप, वैन आदि के लिए है, व्यवसासियक वाहन इसके दायरे में नहीं आते हैं।
गडकरी ने कहा कि सालाना पास से देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर निर्बाध एवं लागत प्रभावी यात्रा संभव हो सकेगी। इसके लिए एक लिंक जल्द ही राजमार्ग यात्रा ऐप के साथ-साथ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि यह नीति 60 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले स्थानीय निवासियों की समस्या को दूर करेगा। वर्तमान में उनको रियायती मासिक पास दिया जाता है। इससे प्रतीक्षा समय, भीड़भाड़ को कम करके तथा टोल प्लाजा पर विवादों को न्यूनतम करके इस वार्षिक पास का उद्देश्य लाखों निजी वाहन मालिकों को तीव्र एवं सुगम यात्रा का अनुभव प्रदान करना है।
गडकरी ने कहा कि टोल प्लाजा पर 50 रुपये लेकर सवा सौ रुपये टोल टैक्स की दरें हैं। इस प्रकार 50 रुपये दर से 200 बार टोल प्लाजा पार करने पर यात्री को 10,000 रुपये देने पड़ते हैं। लेकिन फास्टैग पास योजना 3000 रुपये की है। इसी औसत दर 15 रुपये प्रति यात्रा होगा। फास्टैग पास योजना वैकल्पिक होगा। जिनके पास पहले से ही फास्टैग है, उन्हें नया फास्टैग खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी।
इसके अलावा सालाना फास्टैग पास वाहन पर लगे मौजूदा फास्टैग पर सक्रिय किया जा सकता है। इसके लिए कुछ शर्तें तय की गई हैं. वाहन पर लगा फास्टैग वैध और विंडशील्ड पर ठीक से चिपका हुआ होना चाहिए।फास्टैग वाहन के पंजीकरण नंबर (VRN) से जुड़ा होना चाहिए। चेसिस नंबर वाले फास्टैग मान्य नहीं होंगे और ब्लैकलिस्टेड न हो।
सालाना पास केवल राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) और राष्ट्रीय एक्सप्रेसवे (एनई) टोल प्लाजा पर ही मान्य है। राज्य सरकारों या स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित एक्सप्रेसवे, राज्य राजमार्गों (एसएच),पर यह योजना लागू नहीं होगी। इन स्थानों पर फास्टैग पहले की तरह काम करेगा और सामान्य शुल्क कटेगा।

ओपन टोलिंग (जहां दोनों तरफ टोल प्लाज़ा होते हैं) एक दिशा की यात्रा एक ट्रिप मानी जाएगी। क्लोज्ड टोलिंग (जहां एंट्री और एग्जिट के हिसाब से शुल्क लगता है)पूरी यात्रा को एक ट्रिप माना जाएगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अनुसार, फास्टैग प्रणाली को अपनाने से वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान टोल प्लाजा पर औसत प्रतीक्षा समय 734 सेकंड से घटकर 47 सेकंड हो गया है।

वन नेशन, वन टाइम” की ओर भारत का बड़ा कदम: अब देश में एक ही समय लागू होगा

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली -भारत सभी क्षेत्रों में एक एकीकृत समय-पालन मानक को कानूनी रूप से लागू करने की तैयारी कर रहा है. आज विज्ञान भवन में उपभोक्ता मामले विभाग ने “वन नेशन, वन टाइम” यानी “एक देश, एक समय” विषय पर एक अहम बैठक की। इस बैठक में देशभर में एक जैसे समय (भारतीय मानक समय – IST) को लागू करने की योजना पर चर्चा हुई।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि अब भारत में सभी कानूनी, सरकारी और व्यापारिक कामकाज IST के अनुसार ही होंगे। इसके लिए नया नियम कानूनी माप विज्ञान (IST) नियम, 2025 जल्द ही लागू किया जाएगा। इससे मोबाइल नेटवर्क, बिजली, बैंकिंग, रेलवे, शेयर बाजार जैसी सेवाओं में एकसमान समय रहेगा, डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा, बिलिंग में पारदर्शिता और साइबर जोखिमों को घटाने की दिशा में बड़ा कदम बताया।और इस से कामकाज तेज़, सटीक और सुरक्षित होगा।
देश के पांच शहरों अहमदाबाद, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और गुवाहाटी में आधुनिक प्रयोगशालाएं बनाई जा रही हैं, जो सटीक समय (मिलीसेकंड से माइक्रोसेकंड तक) बताएंगी। यह समय ISRO और CSIR-NPL की मदद से सेट होगा।
सचिव निधि खरे ने कहा कि आज कई सेवाएं विदेशी समय पर चलती हैं, जिससे साइबर खतरे बढ़ जाते हैं। नया नियम भारत को समय के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगा और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसे जोखिम भी कम होंगे।
इस बैठक में रेलवे, बिजली विभाग, बैंक, शेयर बाजार, इंटरनेट कंपनियों, साइबर सुरक्षा संस्थाओं और उद्योग संगठनों के 100 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी ने इस योजना का समर्थन किया।
यह कदम भारत को डिजिटल रूप से मजबूत बनाने और समय में एकरूपता लाने की दिशा में बहुत अहम माना जा रहा है।

सीमा प्रबंधन के लिए भारत में एकीकृत प्राधिकरण की तैयारी, दक्षिण अफ्रीका मॉडल पर हो रहा विचार

अंजलि भाटिया
नई दिल्ली- देश की सीमाओं पर हो रही घुसपैठ, मानव तस्करी और नशीली वस्तुओं की तस्करी जैसे गंभीर मुद्दों से निपटने के लिए केंद्र सरकार अब एक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्राधिकरण (Integrated Border Management Authority) के गठन की दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है। यह प्राधिकरण दक्षिण अफ्रीका की (साउथ अफ्रीकन बॉर्डर मैनेजमेंट अथॉरिटी) तर्ज पर गठित किया जाएगा, जहां पहले से ही सीमा प्रबंधन के लिए अलग संस्था कार्यरत है।
यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा सांसद डॉ. अजित गोपछडे को लिखे पत्र में दी है। डॉ. गोपछडे ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर एक समन्वित प्राधिकरण की मांग की थी।
भारत की सीमाएँ कुल 22,623 किमी लंबी हैं, जिनमें से 15,106.7 किमी भूमि सीमा और 7,516.7 किमी समुद्री सीमा शामिल है। भारत की सीमाएँ बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, म्यांमार और अफगानिस्तान जैसे सात देशों से लगती हैं। इनकी सुरक्षा विभिन्न अर्धसैनिक बलों और एजेंसियों द्वारा की जाती है, जिससे आपसी समन्वय की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है।
गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन विभाग ने सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए बाड़बंदी, फ्लडलाइट्स, सड़क निर्माण, सीमा चौकियाँ और तकनीकी निगरानी जैसी कई पहल की हैं। बावजूद इसके, अवैध गतिविधियाँ जैसे कि अवैध घुसपैठ, ड्रग्स की तस्करी और मानव तस्करी अब भी जारी हैं।
डॉ. गोपछडे ने कहा है कि इस तरह की आपराधिक गतिविधियों को पूरी तरह से रोकने के लिए सीमा सुरक्षा बलों के बीच प्रभावशाली समन्वय की सख्त जरूरत है। इसके लिए एक सशक्त और केंद्रीकृत प्राधिकरण की स्थापना आवश्यक है. डॉ. गोपछडे का मानना है कि जब तक सभी सुरक्षा बलों के बीच ठोस समन्वय नहीं होगा, तब तक इन घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाना मुश्किल है।
सीमा सुरक्षा की मौजूदा स्थिति
वर्तमान में भारत की सीमाओं की सुरक्षा इस प्रकार विभाजित है:

देश की सीमासुरक्षा की जिम्मेदारी
बांग्लादेश और पाकिस्तानसीमा सुरक्षा बल (BSF)
चीनभारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
नेपाल और भूटानसशस्त्र सीमा बल (SSB)
म्यांमारअसम राइफल्स
भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (LoC)भारतीय सेना
भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)भारतीय सेना
समुद्री सीमाभारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल और राज्य की समुद्री पुलिस