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बजट, राजनीति और चुनाव

यह संयोग ही है कि जिस दिन केंद्रीय बजट आया उसी दिन राजस्थान में लोक सभा की दो सीटों और एक विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे भी आये। भाजपा जिस युवा वर्ग की बात करती है उसका एक बड़ा वर्ग मिडल क्लास का प्रतिनिधित्व करता है। इसी मिडल क्लास को भाजपा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने राहत न देकर झटका दे दिया। फिर भी आंकड़ों के आधार पर इसे गरीबों और  किसानों का बजट बताया। टीवी चैनलों पर भाजपा के प्रवक्ता जब बजट का गुणगान का रहे थे तो लगभग उसी समय खबर आई कि राजस्थान के तीनों उपचुनाव भाजपा बुरी तरह हार गयी। राजस्थान में इसी साल के आखिर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। सवाल यह है कि इस बजट और उपचुनाव के नतीजों को देखते हुए भाजपा या मोदी-शाह की जोड़ी इसी साल लोक सभा के चुनाव करवाने की हिम्मत करेगी? इसका जवाब है, हाँ !
केंद्र सरकार के इस बार के बजट को भाजपा ने ”न्यू इंडिया का बजट” बताया है। भाजपा का दावा है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में किसानों और ग्रामीणों का का खासा ध्यान रखा है। वैसे पहले से आर्थिक मोर्चे पर दबाव झेल रहे माध्यम वर्ग की चिंता बजट ने और बढ़ा दी है। नया बजट आम आदमी के घर का पूरा हिसाब किताब बिगाड़ने वाला है। टैक्स के मोर्चे पर कोई राहत नहीं और लगातार बढ़ रही महंगाई पर लगाम के लिए कोइ ऐलान नहीं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में महंगाई और बढ़ सकती है। रसोई गैस, पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बाद रही हैं जिसका असर दैनिक उपभोग की चीजों पर पडेगा और उनकी कीमतें बढ़ेंगी।
ट्विटर और सोशल मीडिया पर यदि जेटली के बजट की खिल्ली उड़ी है तो इसके पीछे कहीं न कहीं लोगों में इस बजट के प्रति निराशा रही होगी। ट्वविटर पर तो कुछ यूजर्स ने इसे ‘पकौड़ा बजट” बताया। यहां तक कि भाजपा जिस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अभिन्न अंग है उसी ने इस बजट को  खारिज कर दिया। संघ ने बजट के विरोध में देश भर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
सोशल मीडिया पर युवाओं की बड़ी संख्या है और इनका अवलोकन करने से लगता है कि ज्यादातर ने बजट पर निराशा जताई है। बजट में कई वस्तुएं सस्ती हुईं तो कई के लिए आम लोगों को अब ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। बजट 2018 में टीवी सेट, लैपटॉप और मोबाइल महंगे हो गए हैं। कस्टम ड्यूटी बढ़ने से आयातित कई वस्तुएं महंगी हो जाएंगी। खासकर विदेशों से लग्जरी कार मंगवाना महंगा हो जाएगा। रॉ काजू पर कस्टम ड्यूटी घटाकर 2.5 फीसद कर दी गई है, लिहाजा यह सस्ता हो जाएगा। पॉलिशड कलर्ड स्टोन पर इंपोर्ट ड्यूटी 5 से घटाकर 2.5 फीसद कर दिया गया है। गोल्ड पर कस्टम ड्यूटी में कोई बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन सेाना-चांदी के आयात पर तीन फीसद सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगा दिया गया है। अनब्रांडेड पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी प्रति लीटर 4.48 रुपये से घटाकर दो रूपये कर दिया गया है। वहीं, अनब्रांडेड डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 6.33 रुपए से घटाकर 2 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। पेट्रोल और डीजल के आयात पर भी 3 फीसद सोशल वेलफेयर सरचार्ज लगेगा। इसके अलावा भी कई अन्य वस्तुओं पर लगने वाले टैक्स को बढ़ा दिया गया है।
बजट में समर्थन मूल्य बढ़ाने से देश में फसल के दामों में इजाफा होगा, जिसकी वजह से महंगाई बढ़ने की आशांका है। समर्थन मूल्य के इस फैसले से केंद्र सरकार के खजाने पर भी काफी बोझ बढ़ेगा और आम आदमी को गेंहू, दाल, चावल और तिलहन समेत कई चीजें निर्धारित दामों से अधिक पर मिलेेगी। जिसके चलते आम आदमी के किचन पर काफी असर होगा। बजट में सरकार ने मोबाइल फोन समेत आयात किए जाने वाले कई उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है। कस्टम ड्यूटी घटने या बढ़ने से कुछ आइटमों के दाम महंगे और सस्ते हुए हैं। वित्त मंत्री ने बताया कि मोबाइल और टीवी जैसे आइटमों पर सीमा शुल्क (कस्टम ड्यूटी) 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 20 पर्सेंट किया गया है। वहीं काजू पर कस्टम ड्यूटी 5 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत की गई है। कस्टम ड्यूटी बढ़ने का नुकसान आम आदमी को झेलना पड़ सकता है। कस्टम ड्यूटी में बढ़ोतरी होने से भारत में आयात करने वाली कंपनियों की लागत बढ़ जाती है। कंपनियां इस लागत का भारत आम आदमी पर डालती है। तो इसलिए आम आदमी को टीवी और फ्रीज खरीदना महंगा पड़ सकता है। आज के ज़माने में इन चीजों को ”लग्जरी” में नहीं गिना जाता है।
मोदी सरकार ने बजट में टैक्स पर भी आम आदमी को कोई राहत नहीं दी  इनकम टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आम आदमी को उम्मीद थी कि उसे इस बजट में टैक्स के मोर्चे पर कम से कम 50 हजार रुपये की राहत मिलेगी लेकिन सरकार ने इसमें कोई बदलाव नहीं किया है और इन्हें पुराने टैक्स स्लैब में ही रखा है। मौजूदा समय में आपको आपकी आय के मुताबिक 5 से 30 फीसदी तक टैक्स चुकाना पड़ता है। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अगर आपकी इनकम 2.5 लाख रुपए तक है, तो कोई टैक्स नहीं देना होगा। 2.5 से 5 लाख पर 5 फीसदी, 5 लाख-10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से अधिक पर आपको 30 फीसदी टैक्स देना पड़ता है।
यही नहीं आम आदमी के लिए झटके की बात करें तो स्वास्थ्य और शिक्षा में सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया है। इससे सरकार को व्यक्तिगत करदाताओं से 11,000 करोड़ रुपये ज्यादा हासिल होंगे। इस सेस को अब स्वास्थ्य और शिक्षा सेस नाम दिया गया है। बजट में बुजुर्गों के लिए राहत भरी खबर है। सीनियर सिटीजन के लिए हेल्थ इंश्योरेंस छूट 1 लाख रुपए होगी। बैंकों डिपॉजिट में ब्याज से हुई आमदनी पर 10 हजार रुपये से छूट बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रस्ताव है। साथ ही जो लोग माता-पिता की सेवा करते हैं उन्हें छूट दी जाएगी।

बजट भाषण में 70 लाख नई नौकरियां पैदा करने की बात वित्त मंत्री ने कही है। उन्होंने कहा कि इस बजट में नौकरियां पैदा करने की क्षमता है और रोजगार बढ़ाने के ज्यादा मौकों पर ध्यान दिया जाएगा। टेक्सटाइल, लेबर और फुटवियर क्षेत्र में 50 लाख युवाओं को 2020 तक प्रशिक्षण दिए जाने की बात भी वित्त मंत्री ने कही। लेकिन यहाँ दिलचस्प यह है कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले रोजगार के जो वाडे किये थे उसके आसपास भी सरकार नहीं पहुँची है। उलटे जानकारों के मुताबिक नोटबंदी ने लाखों की नौकरी छीन ली है। इससे युवाओं में निश्चित ही आने वाले समय में गुस्सा बाद सकता है।
संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के ईपीएफ योगदान पर वित्त मंत्री ने महत्वपूर्ण घोषणा की। फॉर्मल सेक्टर में रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार नए कर्मचारियों के ईपीएफ में 12 फीसद का अंशदान, अगामी तीन वर्षों तक करेगी। ईपीएफ में महिला कर्मचारियों द्वारा दिए गए योगदान को 12 फीसद से कम कर 8 फीसद पर लाने का ऐलान भी किया। साथ ही मेटर्निटी लीव को 12 सप्ताह से 26 सप्ताह का किया गया है। स्टार्ट-अप इंडिया का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि तीन साल पहले शुरू की गई इस योजना के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। बजट में छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ खर्च करने की योजना है। साथ ही मुद्रा योजना के लिए 3 लाख करोड़ के फंड का ऐलान किया गया है जिससे लोगों को अपना कारोबार शुरू करने में आर्थिक मदद मिल सके।

वित्त मंत्री ने किसानों के लिए कई घोषणाएं की हैं। अब किसानों को सभी फसलों का न्यूनतम समर्थम मूल्य मिलेगा, अभी कुछ ही फसलों का मिलता है। वहीं ग्रामीण बाजार ई-नैम का भी ऐलान किया गया। इसके अलावा 42 मेगा फूड पार्क भी बनाए जाएंगे। किसानों के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का फंड अलॉट किया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में भी कई घोषणाएं की गई हैं। प्री नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा पर जोर दिया जाएगा। 24 नए मेडिकल कॉलेज खोल जाएंगे।  बडोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी बनेगी। आदिवासियों के लिए एकलव्य विद्यालय बनाए जाएंगे। मेडिकल की बात करें तो वित्त मंत्री ने कहा कि देश की 40 फीसदी जनता के इलाज का खर्च सरकार उठाएगी। वहीं शेयर बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी होगा। नए कर्मचारियों के ईपीएफ में सरकार 12 फीसदी देगी। दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से निपटने के लिए नई स्कीम लाई जाएगी।
इस बजट के बाद राजनीतिक जानकार कयास लगा रहे हैं कि क्या अब भाजपा इस साल लोक सभा के चुनाव करवा सकती है ? कई का कहना है कि वह ऐसा कर सकती है।  इस का कारण है इस साल कुछ बड़े प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव हैं। यदि भाजपा इन चुनावों में हारती है तो देश भर में भाजपा के खिलाफ सन्देश जाएगा। मोदी की चुनाव जीता सकने वाली छवि पर भी इसका विपरीत सर पड़ेगा। यदि अगले साल चुनाव करवाए तो एक साल से भी काम बक्त में भाजपा को हो सकता है सँभालने का अवसर न मिले। ऐसे में लोक सभा के चुनाव में उसके लिए बड़ी दिक्क्तें पैदा हो सकती हैं। लिहाजा विश्लेषक मानते हैं कि साल के आखिर में बड़े प्रदेशों में विधानसभाओं के चुनाव के साथ लोक सभा के चुनाव करवाने का दांव भाजपा खेल सकती है। राजनैतिक विश्लेषक एसपी शर्मा ने ”तहलका” को बताया कि गुजरात विधानसभा और राजस्थान की तीन उपचुनाव नतीजे भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं देते। ”भाजपा अगले साल तक राजनीतिक मोर्चे पर और दिक्क्तें झेल सकती है। हो सकता है वह साल के बीच में माध्यम वर्ग के लिए राहत की कोइ बड़ी घोषणा कर दे जिसे इस बजट में उसने कोइ राहत नहीं दी है।”
इस संकेतों को देखते हुए इसी साल लोक सभा के जल्दी चुनाव की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता।  देखना है आने वाले महीनों में राजनीति किस कार्बेट बैठती है। अगले महीने होने वाले चार विधानसभाओं के चुनाव क्या नतीजे लेकर आते है। और फिर अभी १० महीने हैं जब और विधानसभाओं के चुनाव होने हैं। इस बीच राजनीति के कई रंग दिखेंगे !

सरकार नारंगी पासपोर्ट जारी नहीं करेगी


orange passport

केंद्र सरकार ने तय किया है कि ईसीआर पासपोर्ट होल्डरों के लिए अलग से नारंगी कवर वाला पासपोर्ट नहीं जारी किया जाएगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ पासपोर्ट का अंतिम पन्ना पहले की ही तरह छापा जाएगा।
कुछ समय पहले मंत्रालय ने ईसीआर पासपोर्ट होल्डरों के लिए अलग से नारंगी कवर वाला पासपोर्ट जारी करने की बात कही थी और ये भी फैसला किया था कि पासपोर्ट बुकलेट का अंतिम पेज नहीं प्रिंट किया जाएगा।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अध्यक्षता वाली एक बैठक में यह निर्णय लिया गया। इसमें उनके डिप्टी वी के सिंह और अन्य लोग ने भाग लिया।
“विदेश मंत्रालय को अपने किये हुए फैसले पर पुनर्विचार करने के कई व्यक्तिगत और सामूहिक निवेदन प्राप्त हुए थे”, एक प्रेस रिलीज़ में कहा गया।
विभिन्न हितधारकों के साथ व्यापक चर्चा के बाद, “विदेश मंत्रालय ने पासपोर्ट के अंतिम पृष्ठ की छपाई की वर्तमान प्रक्रिया को जारी रखने का निर्णय लिया है और ईसीआर पासपोर्ट धारकों को नारंगी रंग की जैकेट के साथ एक अलग पासपोर्ट जारी नहीं करने का निर्णय लिया है।”
विदेश मंत्रालय के निर्णय का राजनीतिक दलों ने आलोचना की थी, जिसमें कहा गया था कि अलग नारंगी रंग पासपोर्ट भाजपा की “भेदभावपूर्ण मानसिकता” दर्शाते हैं।

देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7-7.5% की वृद्धि हो सकती है: आर्थिक सर्वेक्षण

ecoonomic survey

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में 2017-18 के आर्थिक सर्वेक्षण को प्रस्तुत करते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2018-19 में देश के सकल घरेलू उत्पाद में 7-7.5% की वृद्धि हो सकती है।
सर्वेक्षण ने संकेत दिया कि कृषि सहायता, एयर इंडिया का निजीकरण और बैंक पुनर्पूंजीकरण खत्म करना अगले साल के लिए नीतिगत एजेंडा होगा।
आर्थिक सर्वेक्षण के कुछ अन्य मुख्य आकर्षण इस प्रकार हैं:

  • वित्त वर्ष 2017-18 में 6.75% जीडीपी वृद्धि होने का अनुमान है
  • पॉलिसी सतर्कता की ज़रुरत होगी अगर तेल की कीमतों में और बढ़ौतरी होती है या शेयर की कीमतें तेजी से सही होती हैं
  • जीएसटी डेटा अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50% वृद्धि दर्शाता है
  • राज्यों द्वारा कर संग्रह, स्थानीय सरकारें अन्य संघीय देशों में काफी कम हैं
  • विमुद्रीकरण ने वित्तीय बचत को प्रोत्साहित किया है
  • दिवालियापन कोड एनपीए संकट को हल करने के लिए सक्रिय रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है
  • खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान 2017-18 में 3.3% था, पिछले 6 वर्षों में सबसे कम
  • भारत को अपील और न्यायिक क्षेत्र में लंबितता, देरी और बैकलॉग को संबोधित करने की जरूरत है
  • शहरी प्रवास ने कृषि क्षेत्र के नारीकरण की ओर अग्रसर किया
  • चालू वित्त वर्ष में किसानों के लिए ब्याज अनुदान के लिए 20,33 9 करोड़ रुपये का मंजूरी
  • सुधार की वजह से 2017-18 में सेवा क्षेत्र में एफडीआई 15% बढ़ी है
  • वित्तीय संतुलन, कम संतुलन जाल से बचने में मदद करने के लिए जवाबदेही
  • वैश्विक व्यापार में संभावित सुधार से भारत को मज़बूती मिल सकती है
  • श्रम कानूनों के बेहतर प्रवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए
  • स्वच्छ भारत पहल की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज में 2014 में 39% से बढ़कर जनवरी 2018 में 76% की वृद्धि हुई
  • समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक बुनियादी ढांचे की प्राथमिकता
  • केंद्र, राज्यों को गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने चाहिए
  • लिंग मुद्दों को उजागर करने के लिए गुलाबी रंग में 2017-18 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया

कर्फ्यू के बावजूद कासगंज में हिंसा जारी; अब तक 49 गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में गणतंत्र दिवस पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली गयी मोटरसाइकिल रैली पर शुक्रवार को हुए पथराव के बाद उत्पन्न तनाव अभी भी बना हुआ है।
ताज़ा घटना में रविवार की सुबह उपद्रवी तत्वों ने एक दुकान में आग लगा दी। पिछले दो दिनों में कासगंज में कर्फ्यू लगा है, पीएसी और पुलिस के जवान तैनात हैं, लेकिन हिंसा और आगजनी की घटनाओं में पर पूरी तरह क़ाबू नहीं किया जा सका है।
अब तक कुल 49 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और पूरे शहर में धारा 144 लागू कर दी गयी है और कई इलाकों और नेटवर्क की इंटरनेट सेवा ठप कर दी गई हैं।
कर्फ्यू लगाने और भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के बावजूद शनिवार सुबह फिर हिंसा भड़क उठी थी। जिले में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और पीएसी के जवानों ने चौकसी बढा दी है।
घटना को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कानून व्यवस्था बनाये रखने के अलावा हमारा प्रयास है कि समुदायों में परस्पर भाईचारा कायम रहे।’’
इस बीच उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्वीट किया कि घटना के सिलसिले में कम से कम नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के अनुसार कासगंज थाने में शिकायत दर्ज कर ली गयी है। हिंसा में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं।
राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि कासगंज में निषेधाज्ञा लागू है। हालांकि उन्होंने कर्फ्यू हटाये जाने के बारे में स्पष्ट नहीं किया।
विहिप और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं द्वारा निकाली जा रही मोटरसाइकिल रैली पर कल पथराव के बाद हिंसा भडक उठी थी। इसके बाद हुई आगजनी एवं फायरिंग में चंदन नामक 16 वर्षीय किशोर की मौत हो गयी जबकि दो अन्य घायल हो गये।
पुलिस ने बताया कि कुछ अज्ञात असमाजिक तत्वों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर निकाली गयी मोटरसाइकिल रैली पर पथराव कर दिया था।
अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आनंद कुमार ने कल कहा था कि पथराव की घटना सुनियोजित नहीं लगती बल्कि ये सब कुछ अचानक हुआ है ।

आदमी ने कुत्ते को काटा; पुलिस ने किया गिरफ्तार

अमेरिका में एक व्यक्ति ने गिरफ्तारी से बचने की कोशिश करते हुए एक पुलिस के कुत्ते को काट लिया। यूएस पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया है।

न्यू हैम्पशायर के आदमी, जिसकी पहचाना गुप्त रखी गयी है, सप्ताहांत में गिरफ्तारी से बचने के लिए कपड़ों के एक ढेर के नीचे छिपने की कोशिश किया। जब पुलिस के कुत्ते ने उसे देख लिया तो उसको चोकहॉल्ड में डाल दिया और फिर सिर पर काट लिया।

पुलिस ने बताया कि घटना तब हुई जब पुलिस छानबीन के लिए बॉस्कोवेन शहर के एक घर पर पहुंची जहां पर एक व्यक्ति की गोली मार दी गई थी।

इस व्यक्ति पर गिरफ्तारी का विरोध करने और कुत्ते को काटने का आरोप लगाया गया है।

चारा घोटाले में लालू और जगन्नाथ मिश्र को हुई पांच वर्ष की क़ैद

राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र को सीबीआई की विशेष अदालत ने चाईबासा कोषागार से जुड़े मामले में पांच-पांच वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनायी है ।

दोनों पर दस लाख और पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। देवघर कोषागार से जुड़े़ एक मामले में सजा होने के बाद से लालू प्रसाद यहां बिरसा मुंडा जेल में बंद हैं।

एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक़ विशेष न्यायाधीश स्वर्ण शंकर प्रसाद ने 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से जुड़े़ चाईबासा कोषागार से 35 करोड़ 62 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने के जुर्म में राजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री समेत 50 अभियुक्क्तों को दोषी ठहराया। अदालत ने छह लोगों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।

अदालत ने लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र को पांच-पांच वर्ष, ध्रुव भगत को तीन वर्ष की कैद और जुर्माने की सजा दी। अदालत ने विद्यासागर निषाद को तीन वर्ष और जगदीश शर्मा को पांच साल कैद की सजा सुनायी। अदालत ने तीन पूर्व आईएएस फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद एवं सजल चक्रवर्ती को चार-चार वर्ष की कैद और दो लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनायी। जुर्माना नहीं देने पर उन्हें तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

सभी राजनीतिक कैदियों तथा अधिकारियों को तीन से पांच वर्ष की कैद, महिला आरोपियों को तीन वर्ष की कैद और चारा आपूर्तिकर्ताओं को तीन से पांच वर्ष कैद की सजा सुनायी गयी।

अदालत ने तीन वर्ष की सजा पाने वाले आरोपियों को जमानत के लिए जमानत पत्र भरने के निर्देश दिये। इससे पूर्व देवघर कोषागार मामले में सीबीआई अदालत ने जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया था।

उल्लेखनीय है कि चारा घोटाले का यह तीसरा मामला है जिसमें लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया गया है। पिछले एक माह में ही लालू प्रसाद चारा घोटाले के इस दूसरे मामले में भी आज दोषी करार दिये गये हैं। इसके अलावा चारा घोटाले से ही जुड़े एक अन्य मामले में भी फरवरी माह में फैसला आने की संभावना है।

चारा घोटाले से जुड़े़ देवघर कोषागार से 89 लाख 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मुकदमे में लालू प्रसाद यादव को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख रूपये जुर्माने की सजा सुनायी थी। वहीं उनके दो पूर्व सहयोगी लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा को सात वर्ष की कैद एवं बीस लाख रुपये जुर्माना एवं बिहार के पूर्व मंत्री आर के राणा को साढ़े तीन वर्ष की कैद एवं दस लाख जुर्माने की सजा विशेष सीबीआई अदालत ने सुनायी थी।

ग़रीबों के खातों पर कभी कोई शुल्क नहीं लगता: एसबीआई प्रमुख

वित्तीय रुप से कमजोर लोगों के खाते पर कभी कोई शुल्क नहीं लगाया जाता है। इस बात की पृष्टि की है भारतीय स्टेट बैंक की पूर्व चेयरमैन अरुंधति भट्टाचार्य।
ये उन्होंने एक न्यूज़ एजेंसी को बैंकों द्वारा गरीबों पर बैंक खातों में न्यूतम अधिशेष राशि बनाए रखने में विफलता पर जुर्माना लगाए जाने की ख़बरों का खंडन करते हुए बताया। उन्होंने कहा, ‘‘किसी गरीब व्यक्ति के खाते पर कभी कोई शुल्क नहीं लगाया गया।’’
उन्होंने यह भी बताया कि वित्तीय समावेशन की प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों पर ‘किसी भी चीज का शुल्क नहीं लगाया गया है।’’ इन खातों को न्यूनतम मासिक औसत जमा राशि रखने से भी छूट प्राप्त है।
इस बात के लिए अरुंधति ने भारतीय स्टेट बैंक के ‘बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट’ (बीएसबीडी) खातों का उदाहरण दिया जो विशेष तौर पर समाज के गरीब तबके के लिए होते हैं ताकि उन्हें शुल्कों के बोझ के बिना बचत करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
अरुंधति ने कहा कि जो लोग ‘पूर्ण सक्रिय खाते’ नहीं चाहते हैं वह अपने खाते को बीएसबीडी खाते में तब्दील कर सकते हैं।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई (आईआईटी-मुंबई) के प्रोफेसर आशीष दास द्वारा किए गए अध्ययन में दावा किया गया था कि यस बैंक और इंडियन ओवरसीज जैसे कई बैंक ग्राहकों द्वारा अपने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर 100 प्रतिशत से अधिक का सालाना जुर्माना लगा रहे हैं।
इस बारे में रिजर्व बैंक के स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि न्यूनतम शेष नहीं रखने पर ग्राहकों पर उचित जुर्माना ही लगाया जाना चाहिए।
अध्ययन में कहा गया था कि भारतीय स्टेट बैंक 24.96 प्रतिशत का जुर्माना लगा रहा है। विभिन्न बैंकों में न्यूनतम शेष राशि रखने की सीमा 2,500 रुपए से एक लाख रुपए तक है।

आयकर छूट सीमा 3 लाख रुपये तक बढ़ाने की एसबीआई ने की सिफारिश

सातवें वेतन आयोग के बाद व्यक्तिगत डिस्पोजेबल आय में वृद्धि के साथ, आयकर छूट सीमा 3 लाख रुपये तक बढ़ा दी जानी चाहिए। ये मानना है एक एसबीआई रिपोर्ट का।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि आवास ऋण के तहत ब्याज के भुगतान की छूट सीमा मौजूदा होम लोन क्रेता के लिए 2.5 लाख रुपये तक बढ़ा दी जाये जो अभी 2 लाख रुपये है ,तो इसका लाभ 75 लाख गृह ऋण खरीदार को होगा और सरकार को लगभग 7,500 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को मौजूदा सरकार का पांचवां और अंतिम पूरा बजट पेश करने जा रहे हैं। सरकार ने 1 990-92 से धीरे धीरे आयकर स्लैब को 22,000 रुपये से बढ़ाकर 2014-15 में 2.5 लाख कर दिया है।
दूसरी रिपोर्टों के मुताबिक़ बार बजट में 60 साल से ज्यादा और 80 साल से कम के सीनियर सिटीजन के लिए टैक्स छूट सीमा 3.50 लाख रुपये और 80 साल और उससे अधिक उम्र के सुपर सीनियर सिटीजन के लिए छूट 5.50 लाख रुपये या इससे ज्यादा हो सकती है।
इनकम टैक्स की छूट सीमा बढ़ाने को लेकर तीन प्रस्तावों पर विचार किया जा रहा है। ये तीन प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने इकनॉमिस्ट और टैक्स एक्सपर्ट के साथ बातचीत करके बनाए हैं। इस पर अंतिम फैसला पीएमओ के साथ मीटिंग के बाद किया जाएगा।
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार पहले प्रस्ताव में टैक्सपेयर्स के लिए छूट की सीमा 2.75 लाख रुपये से 3 लाख रुपये करने, सीनियर सिटीजन के लिए 3.30 लाख से 3.50 लाख और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए 5.50 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है।
दूसरे प्रपोजल में इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये करने की बात है। सीनियर सिटीजन की इनकम टैक्स छूट को 4 लाख रुपये और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए 6 लाख रुपये करने का प्रस्ताव इसमें है।
तीसरे प्रपोजल में टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स छूट सीमा 2.80 लाख रुपये करने की बात है, जबकि सीनियर सिटीजन और सुपर सीनियर सिटीजन के लिए छूट की सीमा में 30,000 रुपये की बढ़ोतरी करने की बात कही गई है।
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक़ बैंकों के साथ सावधि जमा पर मिलने वाले ब्याज पर टीडीएस पर छूट की सीमा 10,000 रुपये प्रतिवर्ष की वर्तमान सीमा से बढ़ाई जा सकती है।

सीमा पर गोलीबारी, बढ़ रहा तनाव

जम्मू कश्मीर सीमा पर फिर आग के गोले खूनी खेल खेल रहे हैं। खेत सूने हो रहे हैं और किसान सुरक्षित ठिकानों की तलाश में भटक रहे हैं। हमेशा मुस्तैद सेना प्रभावित लोगों को राहत शिविरों में पहुंचा रही है और दुश्मन की गोलियों का जवाब उसी की भाषा में दे रही है। साल २००२ में अटल बिहारी वाजपयी सरकार के वक्त हुआ ”सीजफायर” का दोनों देशों का समझोता गोलियों की आग में झुलस कर रह गया है। सीमा पर रहने वाले किसान और आम जान इस आग में झुलसने वाले सबसे बड़े शिकार हैं। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पर तनाव पिछले कुछ सालों की बनिस्बत ज्यादा है और यह २००१ की सर्दियों की याद दिलाता है जब सीमा पर युद्ध जैसे हालात बन गए थे।
पिछले एक हफ्ते के बक़्फ़े में दर्जन भर लोग सीमा के इस पार अपनी जान गँवा चुके हैं जिनमें सैनिक भी हैं। चिंता की बात यह है कि सीमा पर हो रही यह गोली बारी इस बार सामान्य जैसी नहीं है। बीएसएफ के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इस संवाददाता को बताया कि पाकिस्तान की तरफ से पिछले दशक में सीजफायर का यह सबसे गंभीर तरह का उल्लंघन है। उनके मुताबिक डोकलाम में चीन के साथ उपजे तनाव के बाद किसी सीमा पर यह सबसे गंभीर रूप तक पहुँच रहा तनाव है। सुरक्षा एजेंसियों और सेना के केंद्र सरकार को दिए इनपुट के मुताबिक चीन परदे के पीछे से पाकिस्तान की पीठ थपथपा रहा है।
भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने खासी चोट खाई है, लेकिन उसकी तरफ से गोली बारी लगातार जारी है। आरएस पुरा सेक्टर पिछले करीब इक हफ्ते से पाकिस्तान ने कई बार संघर्ष  विराम का उल्लघंन किया है। पाक की गोलाबारी में एक जवान के शहीद होने के अलावा कपूरपुर गाँव के युवा गारू राम, अब्दुल्लियां के गार सिंह और गजनसू के तरसेम रसेम लाल की जान चली गयी जबकि पिछले दो दिन में पाकिस्तानी गोलीबारी में एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीण घायल हुए हैं। अब्दुल्लियां गाँव सीमा पर तनाव के वक्त हमेशा ज्यादा प्रभावित होता है। इस गाँव के सामने ही पाकिस्तान का छपरार गांव है और दोनों तरफ लोगों की हलचल साफ़ दिखती है। बीएसएफ के प्रवक्ता के अनुसार सुचेतगढ़ सेक्टर में चुंगी से लेकर चिनाब के किनारे बसे अखनूर तक पाकिस्तान ने गोले दागे हैं। अखनूर वही इलाका है जहाँ नब्बे के दशक से लेकर २००२ में सीजफायर समझोते के दस सालों में लोगों ने भयानक त्रासदी झेली थी। इन सालों में स्कूलों और अस्पतालों की इमारतों पर बड़ी-बड़ी घास उग आई थी और खेत उजाड़ हो गए थे।
ताजा गोलीबारी के बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने सीमा के सटे इलाकों में राहत और बचाव के लिए लगभग 200 एंबुलेंस को तैनात की हैं। पिछले एक हफ्ते में गोलीबारी से प्रभावित गाँवों से बड़ी तादाद में ग्रामीणों को सुरक्षितको ठिकानों पर पहुँचाया गया है। सेना के बंकर वाहन और जेके पुलिस इस काम में लोगों की मदद कर रही है। प्रशासन इस इलाकों में पहले ही अलर्ट जारी कर चुका है।
सेना के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि एहितियात के तौर पर सीमा पर पांच किलोमीटर तक के गाँवों में लोगों को घर खाली करने को कहा गया है। यही नहीं इन इलाकों के तमाम स्कूल और कालेज बंद कर दिए गए हैं। लोगों को स्वास्थ्य सम्बन्धी दिक्क्तों से दो चार होना पद रहा है क्योंकि इन सीमावर्ती इलाकों में अस्पताल भी बंद कर दिए गए हैं। जबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग और बच्चे हो रहे हैं जिन्हें राहत शिविरों में न के बराबर उपलब्ध सुविधाओं की मार झेलनी पड़ रही है।
सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय सीमा ही नहीं नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भी पाकिस्तान सीजफायर का उल्लंघन कर गोलियां बरसा रहा है। पूंछ के मनकोट सेक्टर में अग्रिम चौकी पर तैनात सिपाही सीके रॉय तीन दिन पहले शहीद हो गए थे। गुरूवार (१८ जनवरी) से लेकर यह रिपोर्ट लिखे जाने तक नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा (इंटरनेशनल बॉर्डर) से सटे पांच जिलों जम्मू, कठुआ, सांबा, पूंछ और राजौरी में अब तक  एक दर्जन लोगों की जान गयी है जिनमें सात नागरिक, सेना के तीन और बीएसएफ के जवान शामिल हैं। अकेले गुरूवार को एक बीएसएफ जवान और एक युवती की जान चली गई थी जबकि शुक्रवार को पाकिस्तानी फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई। इनमें दो नागरिक और एक बीएसएफ जबकि एक सेना का जवान शामिल है। उधर शनिवार को पाकिस्तानी गोलीबारी में पुंछ के मनकोट सेक्टर में एक अग्रिम चौकी पर तैनात सिपाही सीके रॉय शहीद हो गए। वह ३७ आरआर रेजिमेंट में सिग्नल मैन थे।
इसके बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और राजौरी जिलों में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारी गोलाबारी की, जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई ।  भारतीय बलों ने भी जवाबी गोलीबारी की। पाक सैनिकों ने लगातार चौथे दिन रविवार को भी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया। जम्मू जिले में रविवार रात अंतरराष्ट्रीय सीमा पर कंचक-परगवाल सेक्टर में एक मकान पर गोले गिरने से दो सगे भाई घायल हो गए। बीएसएफ प्रवक्ता ने बताया, ” पाकिस्तान रेंजर्स ने रविवार रात जम्मू के कंचक सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर फिर से गोलाबारी की।” राजौरी के उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी के मुताबिक पाकिस्तानी सैनिकों ने रजौरी के भवानी, कराली, सैद, नुंब और शेर मकरी इलाकों में रविवार शाम से देर रात तक भारी गोलाबारी की। भारतीय जवानों ने इसका मुहंतोड़ जवाब दिया।
बीएसएफ प्रवक्ता के मुताबिक सांबा और कठुआ जिलों में सोमवार दोपहर सीमा पार से गोलीबारी बंद हो गई लेकिन जम्मू जिले के कुछ इलाकों में यह बीच-बीच में जारी रही। लोगों को अपने घरों के अंदर ही रहने को कहा गया है। गोलीबारी के चलते हजारों लोगों को अपना घर बार छोड़ कर पलायन करने और राहत शिविरों या अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। अब तक पिछले पांच दिन में करीब चार दर्जन लोग घायल हुए हैं जबकि दो दर्जन के करीब मवेशियों की भी जान गयी है।
सूत्रों ने बताया कि सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी को लेकर सेना पूरी एहितियात बरत रही है। सेना के एक अधिकारी ने सोमवार दुपहर तहलका संवाददाता को फ़ोन पर बताया कि सीमा पार से गोलीबारी का पूरी ताकत से जवाब दिया जा रहा है। अधिकारी के मुताबिक़ गोलीबारी के पीछे एक कारण आतंकवादियों की घुसपैठ कराना भी हो सकता है। अधिकारी ने बताया – ”पिछले कुछ महीनों में इस स्तर पर आतंकवादियों का सफाया किया गया है उससे आतंकवादी ही नहीं सीमा पार उनकी मदद करने वाले भी बौखलाए हुए हैं। आतंकवादियों की घटती तादाद से परेशान वे घुसपैठ करवा सकते हैं। लेकिन उनकी इस कोशिश को किसी सूरत सफल नहीं होने दिया जाएगा। ”
अधिकारी ने माना कि सीमा पर पाकिस्तान के सीजफायर के बार बार उल्लंघन से तनाव है। ‘हम दुश्मन की गोलीबारी का जवाब पूरी ताकत से दे रहे हैं।” अपुष्ट सूत्रों के मुताबिक अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास बनी डिच-काम-बंध (डीसीबी) को कुछ जगह पानी से भरा गया है। गौरतलब है कि डीसीबी को सीमा पर बहुत तनाव के हालात में ही पानी से भरा जाता है। आमतौर पर डीसीबी को पानी से भरने के पीछे मकसद दुश्मन को युद्ध की स्थिति में इस पार आने से रोकना होता है। डीसीबी कमसे काम १५ फुट गहरी और इतनी ही चौड़ी होती है और कोइ भी इसे आसानी से पार नहीं कर सकता।

आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा: प्रधानमंत्री

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया है कि आगामी बजट लोकलुभावन नहीं होगा। “आम आदमी छूट या मुफ्त की चीज नहीं चाहता है… यह (मुफ्त की चीज की चाहत) आपकी कोरी कल्पना है,” उन्होंने कहा।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के फैसले जनता की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए होते हैं।
एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार सुधारों के एजेंडे पर काम कर रही है जिसकी वजह से भारत ‘कमजोर पांच’ अर्थव्यवस्थाओं से निकल कर एक ‘उज्ज्वल स्थान’ तक पहुँच गया है।
अपनी आर्थिक नीतियों का बचाव करते हुए मोदी ने कहा कि विमुद्रीकरण “एक बहुत सफल क़दम था”।
जीएसटी के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार माल एवं सेवा कर में संशोधन के सुझाव पर अमल के लिए तैयार है ताकि इसे अधिक कारगर प्रणाली बनाया जा सके और इसकी खामियां दूर हों।
उन्होंने बेरोजगार विकास प्रदान करने की आलोचना को खारिज करते हुए कहा कि “रोजगार सृजन के बारे में झूठ” फैलाया जा रहा है और उनकी सरकार की नीतियां नौकरियां पैदा करने में सक्षम रही हैं।
कृषि संकट के बारे में उन्होंने पीटीआई के मुताबिक कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वो किसानों के मुद्दों की पहचान कर उसका हल निकालें।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी सरकार 201 9 के आम चुनाव से पहले अपने अंतिम पूर्ण बजट में लोकलुभावन बंद कर देगी, मोदी ने कहा कि यह मुद्दा वित्त मंत्री के दायरे में आता है और वह इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहते।
“लेकिन जिन लोगों ने मुझे मुख्यमंत्री (गुजरात) और प्रधान मंत्री के रूप में देखा है (पता होगा) कि आम आदमी इन सब चीजों को नहीं चाहता है। यह एक मिथक है,” उन्होंने कहा।
प्रधान मंत्री ने कहा आम आदमी ईमानदारी से शासन की अपेक्षा करता है।