पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी नहीं रहे

परिवार ने माकपा से दूरी रखी, बंगाल सरकार ने राजकीय सम्मान से विदा दी।

भारतीय संसद को जनता के करीब लाने का काम सोमनाथ चटर्जी का है। उन्होंने संसद परिसर में पुस्तकालय और संसद की गतिविधियों को घर-घर पहुंचवाने का इंतजाम किया। खुद माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ज़मीनी नेता होने और दस बार सांसद रहे होने के कारण उनकी राजनीति बहुत साफ थी। जबकि पार्टी के पोलित ब्यूरो में बैठ किताबी नेताओं ने जहां यूपीए गठबंधन को छोडऩे का फैसला लिया वहीं उनसे लोकसभा का अध्यक्ष पद भी छोडऩे को कहा जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। बाद में 2008 में वे पार्टी से मुक्त किए गए।

सोमनाथ चटर्जी अब नहीं है। संसद में रहते हुए उन्होंने अपने हर फैसले में जनहित का ध्यान ज़रूर रखा। सभी पार्टियों के वे सांसद जो उनकी अध्यक्षता के दौरान लोकसभा में थे वे उनके जाने से काफी अंदर तक बेचैन दिखे। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी आदि को कुछ घंटे यह तय करने में लगे कि उन्हें पार्टी किस रूप में सम्मान दे। पार्टी के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद सलीम और बिमाम बसु उनके घर भी पहुंचे। लेकिन उनके बेटे ने उन्हें श्रद्धांजलि देने की बजाए लौटने को कहा। पार्टी के लोग चले जाएं क्योंकि उनका संबंध पार्टी से नहीं रहा। पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ज़रूर रूके लेकिन सोमनाथ चटर्जी के पुत्र प्रकाश ने कहा कि पार्टी के दूसरे नेता ज़रूर चले जाएं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंतिम विदाई के आदेश दिए। अगस्त की 13 तारीख को सुबह साढ़े आठ बजे उन्होंने कोलकाता के बेलव्यू अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे 89 साल के थे। उनके शरीर के विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। ममता बनर्जी उन्हें अस्पताल में देखने पहुंची थी। उन्होंने उनके जाने को अपूर्णनीय क्षति बताया और उन्हें बंगाल का महान राजनेता बताया।

पार्थिव शरीर को राज्य विधानसभा ले जाया गया जहां राजकीय सम्मान के साथ सैनिक टुकड़ी ने उन्हें विदा दी। फिर उसे घर लाया गया। जहां से शाम को शव एसएसकेएम कॉलेज -अस्पताल के सुपुर्द किया गया। उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में पढाई शोध के लिहाज से अपनी देह दान कर दी थी।

सोमनाथ चटर्जी की बेटी अनुशीला बसु ने बताया कि माकपा नेता उनकी देह पार्टी मुख्यालय अलीमुद्दीन स्ट्रीट ले जाना चाहते थे। वे चाहते थे कि पार्टी के झंडे को उनकी देह पर रखा जाए। हमने इससे इंकार कर दिया। क्योंकि पार्टी से तो उनकी मुक्ति हो चुकी थी, काफी पहले। वे आज़ाद पंछी थे।

माकपा की सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती सारे समय चटर्जी की मृत देह के साथ रहे। उनका सोमनाथ चटर्जी के परिवार से भी अच्छा संबंध रहा। पार्टी महासचिव येचुरी ने कहा कि हमने सोमनाथ दादा को पार्टी की ओर से श्रद्धांजलि दी है। उनका निधन लोकतंत्र के लिए बड़ा आधात है। आज हमें उनसे मार्ग दर्शन की अपेक्षा थी। मेरे उनके और उनकी पत्नी से बेहद अच्छे संबध थे।

 जब दादा सोमनाथ चटर्जी का पार्थिव शरीर उनके घर से निकला तो माकपा कार्यकर्ता भी बड़ी तादाद में इक_े हो गए। शव वाहन के साथ दो पंक्तियों में वे चलते रहे और गाते रहे

कम्युंिनस्ट इंटरनेशनल गीत ‘हम होगें कामयाब, एक दिन’।