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1,500 भारतीय तीर्थयात्री ख़राब मौसम के कारण तिब्बत में फंसे

खराब मौसम और भारी बारिश के चलते लगभग 1,500 भारतीय — जो तिब्बत के कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा से लौट रहे थे — नेपाल में फंस गए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक़ करीब 525 भारतीय श्रद्धालु हुमला जिले के सिमिकोट में , 550 हिलसा में और अन्य तिब्बत की तरफ ही फंसे हुए हैं।

यहां स्थित भारतीय दूतावास ने बताया है कि वह कैलाश मानसरोवर यात्रा (नेपाल के जरिए) के नेपालगंज – सिमिकोट – हिलसा मार्ग के पास स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है। मौसम खराब होने के चलते निकासी विमानों के परिचालन की संभावना बेहद कम है।

दूतावास ने पीटीआई भाषा को बताया कि उसने नेपालगंज और सिमिकोट में अपने प्रतिनिधि तैनात किए हैं जो फंसे हुए प्रत्येक तीर्थयात्री के साथ व्यक्तिगत संपर्क में हैं। वे सुनिश्चित कर रहे हैं कि श्रद्धालुओं को खाने और रुकने की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध हो रही है।

उन्हें कहा है कि वह हिलसा में स्थितियों से निपटने को पहली प्राथमिकता दें जिसकी अवसंरचना दूसरे इलाकों के मुकाबले ज्यादा झुकी हुई है।

साथ ही दूतावास ने सभी यात्रा संचालकों से कहा है कि वह ज्यादा से ज्यादा तीर्थयात्रियों को जहां तक संभव हो तिब्बत की तरफ रोकने का प्रयास करें क्योंकि नेपाल की तरफ चिकित्सीय और नगरीय सुविधाएं कम हैं।

भारत ने भी फंसे हुए भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए नेपाल सरकार से सेना की हेलीकॉप्टर सेवाएं देने का आग्रह किया है।

बैंक कर्ज नहीं चुकाने वालों की पहचान बन गया हूं मैं: माल्या

भगोड़े कारोबारी विजय माल्या ने कहा है कि वह बैंकों का कर्ज नहीं चुकाने वालों की ‘पहचान’ बन गए हैं और उनका नाम आते ही मानों लोगों का गुस्सा भड़क जाता है।

माल्या ने काफी समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए एक बयान जारी किया है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्होंने कहा है कि वह दुर्भाग्य से जिस विवाद में घिरे हुए हैं उसकी ‘तथ्यात्मक स्थिति’ सामने रखना चाहते हैं।

पीटीआई भाषा के अनुसार माल्या ने इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए पांच अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री को पत्र लिखा।

बयान में बताया गया कि “उन्हें किसी से भी प्रत्युत्तर नहीं मिला।”

इसमें माल्या ने कहा है, “राजनेताओं व मीडिया ने मुझ पर इस तरह आरोप लगाए मानों किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए 9000 करोड़ रुपये का कर्ज मैंने चुरा लिया और भाग गया। कुछ कर्जदाता बैंकों ने भी मुझे जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाला करार दिया।”

माल्या ने इस मामले में सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्रों को ‘सरकार व कर्जदाता बैंकों की ओर से आधारहीन व सर्वथा झूठे आरोपों पर की गई कार्रवाई’ बताया है।

माल्या के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय ने उनकी, उनकी समूह कंपनियों व उनके परिवार के स्वामित्व वाली कंपनियों की आस्तियां कुर्क कर दीं जिनका मूल्य लगभग 13900 करोड़ रुपये है।

माल्या ने कहा है, ‘मैं बैंक डिफॉल्ट करने वालों का ‘पोस्टर ब्वाय’ बन गया हूं और मेरा नाम आते ही लोगों का गुस्सा भड़क जाता है।’

माल्या उन्हें ब्रिटेन से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के खिलाफ अदालती लड़ाई लड़ रहे हैं।

मोदी की सुरक्षा के लिये बने नए नियम; मंत्री भी नहीं जा सकेंगे पास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा को बड़ा खतरा बताते हुये गृह मंत्रालय ने नये नियम बनाये हैं।

सभी राज्यों को भेजे गये अलर्ट में आदेश दिया गया है कि प्रधानमंत्री मोदी की विशेष सुरक्षा में तैनात एजेंसी की इजाजत के बिना अब मंत्री और अधिकारी भी उनके नजदीक नहीं जा सकेंगे।

सूत्रों के मुताबिक़ सुरक्षा एजेंसियों की ओर से पीएम मोदी को सलाह दी गई है कि वह रोड शो के कार्यक्रम में कटौती करें. गौरतलब है कि पीएम मोदी ही 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रचार की कमान संभालेंगे और वही मुख्य चेहरा हैं।

गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों के डीजीपी को लिखे पत्र में पीएम मोदी के लिये किसी ‘अज्ञात खतरे’ की बात कही गई है. साथ ही कहा गया है कि किसी को भी पीएम मोदी के नजदीक न जाने दिया जाए, इसका कड़ाई से पालन करने की बात कही गई है।

यहां तक कि पीएम मोदी की सुरक्षा में लगी एसपीजी भी अब मंत्रियों की भी तलाशी ले सकती है. वहीं पीएम मोदी जिस तरह आम जनता से मिलने के लिये लोगों के बीच चले जाते हैं इसको लेकर भी आशंका जाहिर की गई है. पीएम मोदी को रोड शो न करने की सलाह दी गई है. वहीं छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल में आने वाले चुनाव के दौरान पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की गई है।

उत्तरपूर्व में तिल का ताड़ बनी छोटी सी जातीय झड़प

शिलांग मशहूर रहा है महिलाओं की सुरक्षा के लिए। लेकिन शिलांग में अभी हाल एक लंबी रात हुई झड़पों, लूटपाट और आगजनी की क्या बीती उसकी गंूज पंजाब तक पहुंची। इसकी अहम वजह थे वाल्मीकि सिख जो यहां तीन दशकों से जमे हुए हैं। शिलांग में बसे सिखों को इस झड़प में अपनी बेशकीमती वस्तुए और घरेलू ज़रूरत का सम्मान खोना पड़ा। गनीमत रही कि किसी की जिंदगी नहीं गई और कोई घायल भी नहीं हुआ।

अफवाह या कहें एक झूठ जो वाट्सएप के जरिए शिलांग के निचले इलाकों में फैली और पूरे सप्ताह झड़पों, आगजनी और लूटपाट का बाज़ार गर्म रहा। इसके चलते दो समुदायों के बीच घृणा और अफवाहें खूब फैली। मजहबी सिख समुदाय के सदस्यों, शहर के पंजाबी लेन में बरसों से रह रहे लोगों और एक ‘खासीÓ युवक और उसके सहयोगियों के बीच किसी स्थानीय मुद्दों पर नाराज़गी देखते-देखते तिल का ताड़ बन गई। हालांकि झूठ यह प्रचारित किया गया एक घायल युवक की उसके जख्मों के चलते मौत हो गई और ‘खासीÓ प्रदर्शन प्रदर्शनकारियों ने पंजाबी लेन के चारों और घेरा डाल रखा है। उनकी मांग है कि इस इलाके के सिख निवासी इस क्षेत्र से बाहर जाएं। यहां आकर बसे निवासी लगभग एक डेढ़ शताब्दी से यहां रह रहे हैं। उन्हें यहां लाए थे ब्रिटिश कोलोनियर। इनसे वे साफ-सफाई के काम कराते थे। तब से ये यहीं बस गए। उन्हें बाहर से आकर यहां बसा हुआ माना भी नहीं जा सकता। प्रशासन ने ज़रूर बड़ी सजगता से पंजाबी लेन में रहने वालों को हिंसा का शिकार होने से बचाया हालांकि वहां इकट्ठी हुई भीड़ हिंसा पर उतारू रही। तब वहां कफ्र्यू लगाया गया और सेना को ‘अल्र्टÓ रखा गया।

तस्वीरों में आकर्षक ‘पहाडिय़ों की रानी शिलांगÓ अब वह आकर्षक पहाड़ी स्थल नहीं रहा। अब यह शोर भरा शहर है जो बगैर किसी नक्शे के फैला हुआ है। हालांकि अब ज़रूरत है कि यहां भी नगरीय अनुशासन अमल मेें लाएं जाएं। आंदोलनकारियों की मांग है कि सिख समुदाय को यहां से दूसरी जगह बसाया जाए। उनकी यह मांग पूरी तौर पर अतार्किक है और इसका प्रतिवाद किया जाना चाहिए। दरअसल मेघालय हाईकोर्ट ने जि़ला कमिश्नर के उस आदेश पर 1986 में रोक लगा दी जिसमें पंजाबी लेन (जिसे स्वीपर्स कॉलोनी नाम से भी जाता है।)

ऐसी घटनाएं फिर न हों इसलिए सरकार को यहां के सिख निवासियों की रक्षा करनी चाहिए। आंदोलनकारियों की मांग का समर्थन तो कतई नही होना चाहिए। सिख फोरम ने देश की धार्मिक अधिकारों पर नज़र रखने वाली संस्था ‘नेशनल कमीशन फार माइनॉरिटीज (एनसीएम) में अपनी गुहार लगाई है। इसमें कहा गया है कि शिलांग का छोटा सा सिख समुदाय आज एक मजबूत स्थानीय समुदाय के अन्याय का शिकार हो रहा है। सिख फोरम एक गैर राजनीतिक मंच है जिसमें विभिन्न पेशे के लोग हैं जिनमें व्यापारी, पूर्व सैन्य अधिकारी, नौकरशाह आदि हैं। इसका गठन लेफ्टिनेंट जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था जो बांग्लादेश युद्ध के नायक थे। जब पूरे देश में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में सिख विरोधी दंगे हुए थे तब इसका गठन जगजीत सिंह अरोडा ने किया था। इस फोरम में महासचिव पूर्व डीआईजी प्रताप सिंह ने दिल्ली में एनसीएस प्रतिनिधि मंडल के साथ शिलांग पंजाबी लेन में बसे सिखों की रक्षा की मांग की थी।

मेघालय राज्य की राजधानी शिलांग में 29 मई से अखबारों में ‘खासीÓ समुदाय और पंजाब कॉलोनी (स्वीपर्स कालोनी) के निवासियों के बीच झगड़े फसाद की खबरें आने लगी थीं। तकरीबन एक दर्जन लोग घायल हुए। इनमें सिपाही भी थे। यहां बसे सिख निवासी उन दलित पंजाबियों की वंशज हैं जिन्हें ब्रिटिश 1857 के पहले यहां लाए थे। पूरे उप महाद्वीप तब फिरंगी जल बिछ रहा था।

हमने दिल्ली में एनसीएम के सिख सदस्य मनजीत सिंह राय से बातचीत की और अनुरोध किया कि शिलांग में अल्पसंख्यक सिखों की हर तरह की सुरक्षा की जाए। यह जानकारी दी लेफ्टिनेंट- कर्नल सुखविंदर सिंह सोढ़ी ने वे धार्मिक अधिकारों पर नज़र रखने वाली संस्था के प्रतिनिधियों से मिले थे।

एनसीएम सदस्य ने वादा किया कि राज्य और केंद्रीय अधिकारियों ने पहले ही शिलांग के सिख समुदाय की सुरक्षा संबंधी तमाम कदम उठा लिए हैं।

शिलांग में परस्पर विरोधी बयान सामने आए जिनके कारण ‘खासीÓ समुदाय और दलित पंजाबियों में झड़पें हुईं। कुछ खबरों में यह आरोप था कि एक पंजाबी महिला को पार्किग के बहाने परेशान किया गया। यह मामला तब उठा जब एक जगह जो मेघालय स्टेट ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन बस की पार्किग के लिए नियत थी वहां बस खड़ी करने के मुद्दे पर पंजाबी महिला और ‘खासीÓ बस चालक के बीच वाद-विवाद छिड़ा। वह महिला पंजाबी कॉलोनी में ही रहती थी। सिख समुदाय के कुछ सदस्यों का कहना है कि जब एक सिख महिला को ‘खासीÓ समुदाय के लोगों ने परेशान करना शुरू किया तो वह महिला और चार दूसरी महिलाओं ने ‘खासीÓ समुदाय के लोगों की पिटाई कर दी। खासियों का कहना था कि विवाद तो पार्किंग पर था लेकिन बेवजह उन्हें पीटा गया। जिसमें बाद में पंजाब लाइन कॉलोनी के पुरु ष भी आ मिले।

परस्पर दावों का यह मामला स्थानीय कैंटोनमेंट बोर्ड पुलिस स्टेशन जा पहुंचा जहां आपस में सुलह-सफाई की कोशिश हुई। ‘खासीÓ समुदाय के बस चालक ने ‘खासीÓ में समझौते में लिखा है कि उस पर सिख महिला और पुरु षों ने जो हमला किया उस पर उसके मन में कोई प्रतिरोध का भाव नहीं है।

लेकिन व्हाट्सएप पर जो ‘फेक न्यूजÓ (गलत सूचना) प्रसारित हुई उसमें कहा गया कि कॉलोनी के कुछ लोगों ने ‘खासीÓ समुदाय के दो बच्चों को पकड़ लिया है। तुरंत ही एक समूह कॉलोनी के पास इकट्ठा हो गया। वहां मौजूद स्थानीय पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों के साथ उन्होंने हाथा-पाई शुरू कर दी। दोनों पक्षों के लोग घायल हुए। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े जिससे हिंसा पर उतारू भीड़ तितर-बितर हो।

शिलांग के कई हिस्सों में कफ्र्यू लगा। इंटरनेट और व्हाट्सएप वगैरह सेवाएं बंद कर दी गई। जिससे अफवाहों पर रोक लगे। सेना को सतर्क किया गया। अशांत इलाके से सेना ने तीन सौ नागरिकों को कैं टोनमेंट में पनाह दी।

मेघालय की सिख आबादी और उनके धार्मिक संस्थानों की सुरक्षा के संबंध में मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से बातचीत की। उन्हें भरोसा दिया कि सिख समुदाय और उनके धर्मस्थलों की पूरी सुरक्षा की जाएगी। उधर पंजाब सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने राज्य में हुई संप्रदायिक हिंसा की जानकारी पंजाब के मुख्यमंत्री को दी। एक मामूली विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया जिसका संदेश गया कि सिखों के साथ हिंसा हुई है। संगमा ने यह भरोसा दिया कि किसी भी गुरूद्वारे या किसी सिख संस्थान को कोई नुकसान नहीं हुआ है।

जल संकट बरकरार सरकार के प्रयास नाकाफी

हिमाचल की राजधानी शिमला में जल संकट बरकरार है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक लोगों को चौथे दिन पानी मिल रहा था। अभी तक के सबसे गंभीरतम संकट सेे स्थानीय लोगों और सैलानियों को भी दिक्कत झेलनी पड़ी है। नई समस्या बारिश शुरू हो जाने के बाद गाद (सिल्ट) की आई है जिससे पानी लिफ्ट करने में दिक्कत आ रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए पांच विभागों के समन्वय से एक योजना बनाई है।

ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था तब इसे सिर्फ 16-17 हजार की आबादी के हिसाब से विकसित किया गया था। शिमला नगर की आबादी 2011 की जनगणना में 1,69,570 बताई गयी है जो अब निश्चित ही कुछ हजार ज्यादा होगी। पर्यटन सीजन में यह एक लाख के आसपास आबादी बढ़ जाती है। इन दशकों में आबादी तो दस गुणा बढ़ गयी लेकिन सुविधाओं का विकास उस हिसाब से नहीं हो पाया।

राजधानी में पानी की कुल जरूरत 450 लाख  लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है।  यह रिपोर्ट लिखे जाने के वक्त नगर को 31-32 एमएलडी के करीब ही पानी मिल रहा है। पानी के पाँच स्रोत गुम्मा, गिरी, अश्वनी खड्ड, चुरट, चेयड़ और कोटी ब्रांडी हैं जिनमें सबसे ज्यादा 17-18 एमएलडी के करीब गुम्मा से मिलता है। जल आपूर्ति के मुख्य स्रोत अश्वनी खड्ड से सप्लाई दो साल से बंद है जब इसके पानी के गंदले होने से करीब 24 लोगों की पीलिया से मौत हो गयी थी। सर्दियों में कम बर्फबारी और बारिश भी इस बार मुसीबत का कारण बनी है।

कनेक्शन कटने शुरू

हाई कोर्ट की सख्ती के बाद नगर निगम ने वे सभी कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं जिन्हें सीधे लाइन से अवैध रूप से लिया गया है। प्रभावशाली लोगों ने इस तरह के अवैध कनेक्शन का जुगाड़ किया था। यह ज़रूर हैरानी की बात है जो सरकारी अफसर और कर्मचारी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई अभी तक नहीं की गयी है। निगम अधिकारियों के मुताबिक अब तक दो दर्जन से ज्यादा अवैध कनेक्शन काटे जा चुके हैं।  इसके आलावा सीधे लाइन में टुल्लू पम्प लगाने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जा रही है।

सरकार की योजना

जय राम सरकार की बड़ी पेयजल योजना पर सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) के फैसले का इन्तजार है। प्रदेश के आईपीएच विभाग ने इसी महीने 4751 करोड़ की पेयजल योजना का ड्राफ्ट केंद्र सरकार को भेजा था। इसकी डीपीआर तैयार होने जा रही है। इस योजना पर केंद्र सरकार के साथ पहली बैठक 13 जून को दिल्ली में सेंट्रल वाटर कमीशन के साथ हुई। सरकार उम्मीद कर रही है कि इसका बेहतर नतीजा सामने आएगा और इसके लागू होने से शिमला से पानी की समस्या कमोवेश खत्म हो जाएगी।

केंद्र में बीजेपी और प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार होने के नाते सबसे बड़ी पेयजल और सिंचाई योजना पर सीडब्ल्यूसी मुहर लगा सकती है। विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह का दावा है कि इस योजना के शुरू होने से प्रदेश में पेयजल और सिंचाई के लिए संकट से नहीं गुजरना पड़ेगा। ‘इस योजना के तहत प्रदेश में चैकडैम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सहित सूखे प्रोजेक्ट्स को रिचार्ज करने का प्रावधान हैÓ।

 

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जसबीर का जीवट

शिमला में गंभीर जल संकट है, एक महिला टैंकर चालक ने अपनी जीवट से लोगों की मदद की है। पंजाब के संगरूर जिले की जसबीर कौर अपने पति लक्खा सिंह के साथ शिमला में पानी का टैंकर चला रही है। वह हर रोज 16 घंटे ड्राइविंग कर 25000 लीटर के करीब पानी सतलुज से गुम्मा पहुंचा रही है जहाँ से यह पानी फिल्टर करके शिमला में सप्लाई किया जाता है। जसबीर के इस जज्बे के लिए उन्हें 11 जून को सम्मानित किया गया। वैसे तो जसबीर मैदानी इलाके में ट्रक चलाने की अभ्यस्त है परन्तु शिमला में लोगों की दिक्कत देखते हुए उसने यह साहस भरा फैसला किया। जसबीर कौर इन दिनों काफी चर्चा में है और शिमला के लोगों की वह हीरो बन चुकी है। वह पति लक्खा सिंह के साथ टैंकर चलाकर शिमला में लोगों की प्यास बुझा रही है। लोगों की सहायता के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आई हैं जो टैंकर्स से पानी सप्लाई कर पानी उपलब्ध करवा रही हैं। जसबीर 35 साल की हैं और दिलचस्प यह है कि उन्हें ड्राइविंग करते हुए तीन महीने ही हुए हैं। उनके पास ड्राइविंग का हेवी मोटर व्हीकल (एचएमवी) लाइसेंस है।

सवाल है कौन मारेगा बाजी तेलंगाना में

कर्नाटक में जिस फिल्मी अंदाज में केसरिया का राज्यारोहण थमा उसकी कसर अब दो तेलुगु राज्यों में अपनी जीत के परचम से भाजपा पूरी करना चाहती है। दक्षिण भारत में घुसने में कामयाब होने के लिए कर्नाटक में नाकाम भाजपा अब आंध्र प्रदेश और खासकर तेलंगाना के जरिए प्रवेश की हरचंद कोशिश कर रही है। पार्टी अब सब जगह इस प्रचार में लगी है कि उन्हें सबसे ज़्यादा मत तेलुगुभाषी क्षेत्रों में मिले। भाजपा संगठन को भरोसा है कि दक्षिण भारत विजय का सपना तेलंगाना के जरिए ही संभव है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने ज़मीनी स्तर पर गऱीबों के लिए कई कल्याणकारी और विकास की योजनाएं शुरू की। पहले से चल रही योजनाओं के नामों  में यथा अनुरूप सुधार किए। फिलहाल राज्य में केसरिया पार्टी विशिष्ट संपर्क अभियान और कुछ और भी अभियान चला रही है। इसका आरोप है कि ‘राज्य की सत्ता चला रही टीआरएस पार्टी अपने चुनावी वादे पूरे नहीं कर सकी। इसने 2014 के चुनाव में सार्वजनिक सभाओं में कहा कि यह बीपीएल परिवारों को दो कमरे का घर देगी। मुख्यमंत्री के सी आर  ने कहा कि नवगठित तेलंगाना का मुख्यमंत्री अनुसूचित जातियों का ही नेता होगा । लेकिन उन्होंने अपना वादा पूरा नहीं किया।Ó भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. के लक्ष्मण ने आरोप लगाते हुए कहा। अब भाजपा के विशिष्ट संपर्क अभियान कार्यक्रम में पार्टी नेताओं ने स्थानीय गांवों और अनुसूचित जाति के लोगों की बस्तियों में खाने और सोने का कार्यक्रम शुरू कर दिया है, और सहपंक्ति में बैठ कर भोजन करना प्रारंभ किया । इससे  उन्हें उम्मीद है कि उनका वोट हासिल होगा। हमने इन कार्यक्रमों जब में केद्र सरकार की योजनाएं बताई तो बस्तियों के नौजवान और बुजुर्ग हतप्रभ से रह गए । अब तक तीन सौ गांवों में भाजपा के नेता और कार्यकर्ता दौरे कर चुके हैं। उन्हें केंद्र की योजनाओं पर गांव के लोगों की प्रतिक्रिया भी मिली है। ये लोग चार साल में भाजपा राज की उपलब्धि भी बताते हैं और उसकी पुस्तिका बांटते हैं। पार्टी नेे एक सांस्कृतिक शाखा भी बनाई है। इसमें 80 टीमें हैं। इन  टीमों के अभिनय के जरिए पार्टीे के नेता मानते हैं कि अनपढ़ लोगों को पार्टी से जुडऩे में खासी मदद मिलती है। राज्य   भाजपा के नेता मानते हैं कि उज्जवला योजना जिसे 14 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री धमेंद्र प्रधान ने संविधान निर्माता बी आर अंबेडकर के जन्म दिन पर सूर्यपेट में शुरू किया था उसका लाभ आगामी चुनावों में पार्टी को मिलेगा।

भाजपा ने पिछले चुनावों में तेलुगु देशम पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन इस बार यह अपने दम पर अकेले चुनाव लडऩा चाहती हैं। राज्य पार्टी अध्यक्ष ने पहले ही घोषणा कर दी है कि पार्टी राज्य की 119 विधानसभा सीटों और लोकसभा की सत्तरह सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पिछले चुनाव में एक सांसद (बंढारू दत्तारेय, सिकंदराबाद जिन्हें हैदराबाद के शोध छात्र रोहित बेमुला कांड से भी जुड़ा माना जाता हैं) विजयी रहा। पार्टी को विधानसभा में मुशीराबाद, गौशमहल, उपल, खैरताबाद और अंबरपेट में सीटें मिली। ये सारी सीटें हैदराबाद के आसपास के इलाकों की हैं।

सबसे बड़ा सवाल आज यह है कि क्या पार्टी विधानसभा की सभी सीटों पर जीत हासिल कर सकेगी। क्योंकि इतिहास बताता है पहले कभी इसने चुनाव नहीं लड़ा और कई ग्रामीण इलाकों में तो पार्टी के पास अपने नेता नहीं हैं जो चुनाव लड़ सकें। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह राज्य का दो बार दौरा कर चुके हैं। पहली बार उन्होंने नालगोंडा जिले का पिछले साल दौरा किया था फिर वे जून की 22 तारीख को आए लेकिन मतदाताओं में उत्साह नहीं झलका। दूसरी और पार्टी नेतृत्व ने  काकातिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वैकुंठम कुछ गैर निवासी भारतीय और एनजीओ चलाने वालों को पार्टी में शामिल किया और पार्टी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा दिया।

कांग्रेस ने शुरू की बस यात्रा

राज्य के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस ने चरणों में बस यात्राओं के जरिए तेलुगु भाषी लोगों के बीच जाकर उन्हें  कांग्रेस का महत्व और देश के विकास में इसके अवदान से परिचित कराया है। पार्टी ने राज्य में सत्ता चला रही टीआरएस सरकार की चार साल में खेती, किसानी में इसकी नाकामी को मुद्दा बनाया है। अब मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव अचानक  राज्य के किसानों के लिए रायतू योजना लाए हैं। जबकि उन्हीं की सरकार के राज में चार हजार किसानों ने आत्महत्या की। कांग्रेस का कहना है कि सरकार दो लाख मात्र तक का कजऱ् माफ कर देगी बशर्ते  उनकी सरकार राज्य में बन जाए। राज्य में तीन स्तरों में कांगे्रस ने 80 विधानसभा क्षेत्रों में यात्रा कर ली है। इन बस यात्राओं में तेलंगाना की जनता खासी रूचि इसलिए भी ले रही है क्योंकि वह जानती हैं कि राव किस तरह अपना पूरा परिवार राज्य सरकार पर हावी करने में जुटे है।

टीआरएस को किसानों और सिंचाई परियोजना से उम्मीद

बहुत ही कम अंतर से बहुमत पाकर तेलंगाना राष्ट्र समिति ने राज्य में सरकार बनाने का न्यौता चार साल पहले पाया था। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पार्टी पर और शासन में अपनी गिरफ्त बनाए रखने के इरादे से बेटे और बेटी को साथ लिया। उधर पार्टी में परिवार तो हावी हुआ पर दूसरे नेता कमजोर। चार साल में मुख्यमंत्री ने तमाम तरह के कई दिन चलने वाले भव्य यज्ञ कराए और खूब पूजा-पाठ किया। बताया गया कि यह सब राज्य की खुशहाली और समृद्धि के लिए हैं। लेकिन इन सबसे राज्य के अधिकांश मतदाता खिन्न रहे। टीआरएस के कई विधायकों ने यह महसूस किया कि वे चुनाव में हार सकते हैं।

टीआरएस राज में कई विधायकों और बाहर से आकर विधायक बने नेताओं (दूसरे दलों से आए) में मतभेदों का सिलसिला सुनाई देने लगा। राज्य में मुख्यमंत्री ने कई नए जिले विकास के आधार पर तो बना दिए लेकिन उस आधार पर विधानसभा सीटें नहीं बढ़ी।

दूसरी ओर जनप्रिय योजनाएं मसलन कल्याण लक्ष्य, शादी-मुबारक, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, किसानों के लिए पांच लाख रुपए मात्र का बीमा और इन्सेंटिव सब्सीडी योजनाएं चैथे साल में शुरू की । जाहिर है ऐसी योजनाओं की होड में कुछ मझोली और बड़ी सिंचाई योजनाएं शुरू की। इनसे नेताओं में एक आत्मविश्वास ज़रूर बढ़ा । महत्वपूर्ण सिंचाई योजना कालेश्वरम को तो पार्टी आने वाले चुनावों में बतौर नारे इस्तेमाल भी करेगी।

टीडीपी क्या टीआरएस या कांग्रेस के साथ होगी

तेलुगु देशम पार्टी क्या विपक्षी दलों की एकता को और मज़बूत करेगी।  इसके सुप्रीमो और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के अनुसार इस गठजोड़ को नकारा नहीं जा सकता। हालांकि उन्होंने अपनी ओर से कोई इशारा नहीं किया कि वे खुद किसके साथ हैं और वे किसके साथ हो सकते हैं।  लेकिन राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यह समझौता तेलंगाना राज्य की टीआरएस सरकार या फिर कांगे्रस के साथ संभव है। तेलुगु देशम वह पार्टी है जिसने आंध्र प्रदेश के बंटवारे का विरोध किया था। दो बार लगातार सत्ता में रहने के कारण इसकी अपनी पहचान पर अब संदेह होता है। बहुत से महत्वपूर्ण नेता और विधायक कांग्रेस और  टीआरएस में चले गए। राज्य के विभाजन के पहले पिछले चुनाव के दौर से पहले इन नेताओं को विभाजन के बाद अच्छे पद और जगहें भी मिल गई।

हालांकि ‘वोटों के बदले नकदीÓ का मामला दो साल पहले उभरा और आज भी दिखता है। इससे पार्टी की ताकत पर असर पड़ा है। पार्टी के 15 विधायकों ने जो पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था। अब उनमें सिर्फ दो बचे हैं। जो पार्टी में आज भी हैं। इसी बीच 31 जि़लों के 20 जि़ला पार्टी अध्यक्ष या तो टीआरएस से जा मिले या फिर कांग्रेस से। इससे यह पता लगता है कि राज्य में आज  तेलुगु देशम पार्टी की क्या स्थिति है।

ब्रह्मपुत्र में बाढ़ के दिनों के डाटा का अध्ययन करेंगे भारत और चीन

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के किंगडाओ में चल रही शिखरवार्ता में पहुंच कर अपनी धाक और जमाई। कुछ ही दिनों पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बुहान प्रांत मेें जिन मुद्दों पर दोनों देशों के प्रमुखों मेें बातचीत हुई थी उन मुद्दों को नरेंद्र मोदी ने फिर दुहराया। भारत और चीन मे चल रहे असंतुलन को कुछ कम करने के लिए गैर बासमती चावल की दूसरी किस्मों के निर्यात पर भी समझौता हुआ साथ ही ब्रह्मपुत्र नदी के जल के बाढ़ के समय के आंकड़ों के लेन देन पर भी सहमति हुई। दोनों देशों ने मिल कर अफगानिस्तान में किसी परियोजना पर काम करने की योजना भी बनाई। भारत और चीन में इस बात पर सहमति बनी और समझौता हुआ कि ब्रह्मपुत्र नदी के जल संबंधी तमाम डाटा दोनों देशों में (मई 15 से अक्तूबर 15 तक) आदान प्रदान होगा। मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग में हुई बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि चीन भारत से चावल, चीनी और फार्मास्यूटिकल सामग्री खरीदेगा। चावल का निर्यात करने पर हुआ समझौता व्यापारिक संतुलन बनाने की दिशा में एक पहल है।

भारत और चीन के जल संसाधनों, नदी विकास और गंगा सफाई के मंत्रालयों में हुए समझौते के तहत चीन इस बात के लिए राजी हुआ है कि चीन बाढ़ के दिनों में भारत से डाटा लेगा और अपनी नदियों का डाटा भारत को देगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि बाढ़ के मौसम में नदी जल का स्तर दोनों देशों में बनी सहमति से यदि ज्य़ादा हो तो डाटा का आदान प्रदान ज़रूर है।

इसी तरह चावल के निर्यात पर यह समझौता हुआ कि भारत बासमती के अलावा चावल की दूसरी किस्मों के चावल भी अब निर्यात कर सकेगा। चावल निर्यात पर 2006 में एक सहमति दोनों देशों में बनी थी।

पिछले दिनों चीन में ही बुहान प्रांत में भारत के प्रधानमंत्री और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई सहमति के मुद्दों पर अमल की बात की जाएगी। इस साल के आखिरी दिनों में चीन से विदेश रक्षा और सुरक्षा महकमों के अधिकारी भारत आएंगे। दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी सहमतियों पर अमल का खाका फिर तैयार होगा।

अफगानिस्तान में दोनों देश मिल कर किसी प्रोजेक्ट पर काम करने पर भी सहमत हुए। इस मुद्दे पर पहले बुहान में बात भी हुई थी। पिछले चार साल में दोनों देशों के प्रमुखों के बीच एक दर्जन मौकों पर बातचीत हुई है। दोनों ही देश अब उस कुहासे से बाहर आकर परस्पर संबंध और विकसित करना चाहते है जो आज की ज़रूरत है।

दुनिया को बेहतर बनाने की ट्रंप और किम की ऐतिहासिक पहल

सहसा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जांग उन की सिंगापुर में मंगलवार 12 जून को हुई मुलाकात से एक इतिहास रच गया। धुर दक्षिण पूर्व एशिया में शांति के लिहाज से दो एटमी ताकतों का मिलना ज़रूरी था। इसके लिए ट्रंप ने जो पहल की उसका स्वागत होना ही चाहिए। दोनों देशों के अध्यक्षों के बीच तकरीबन पांच घंटे बातचीत हुई। यह दुनिया की बेहतरी की चिंता में हुई एक शुरूआत थी।

अपने पश्चिमी मित्र देशों को एक तरह से झिड़कते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सिंगापुर में किम से मुलाकात करके यह जता दिया कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप राजनीति में अव्वल हैं। उत्तर कोरिया को झुकाने के बाद वे अब ईरान पर भी अमेरिकी हितों के अनुरूप और विश्व शांति पर ज़ोर देते हुए दबाव बनाए रखने में कामयाब होंगे। दोनों देशों में इस बात पर भी सहमति बनी कि एक दूसरे देश के युद्धबंदियों की जल्द रिहाई की जाए।

इस बात पर ज़रूर यह चिंता रही कि बातचीत के इस दौर में अमेरिका ने जहां उत्तर कोरिया को तवज्जुह दी वहीं दक्षिण कोरिया से संपर्क नहीं रखा। एक दिन चली बातचीत में इस बात पर सहमति बनी कि अमेरिका अब दक्षिण कोरियाई सेना के साथ अपना सैनिक अभ्यास रोक देगा। हालांकि संयुक्त युद्ध अभ्यास रोकने से दक्षिण कोरिया में खासी निराशा हुई है।

उत्तर कोरिया ने कहा कि अपने एटमी मिसाइलों के प्रक्षेपण के सारे कार्यक्रम उसने पहले ही रद्द कर दिए हंै। और तेजी से वह उन तमाम अड्डों को भी नष्ट कर देगा जहां से ये प्रक्षेपित होते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया पर लगाई गई आर्थिक पाबंदियां जारी रहेंगी जब तक उत्तर कोरिया अपनी सारी मिसाइल नष्ट नहीं कर देता।

किम से हुई बातचीत से उत्साहित ट्रंप ने कहा कि हमें खुशी है कि उत्तर कोरिया से हमारे पूरे संबंध ही नई तरह से बन रहे हैं और पहले की तुलना में कोरिया के प्रायद्वीप में खासी अलग तस्वीर होगी।

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या वाकई किम इस बात पर राजी हुए हैं कि वे एटमी हथियारों का अपना जखीरा नष्ट कर देंगे। तो ट्रंप ने उस पर कहा कि वह सिलसिला शुरू हो रहा है। जल्दी, बहुत जल्दी।

ट्रंप और किम में बातचीत चली तो पांच घंटे लेकिन दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने मानवाधिकारों के हनन पर ज़्यादा बातचीत नहीं की। अनुमान है कि आने वाले दिनों में अमेरिका फिर से इस संबंध में उत्तर कोरिया बातचीत करे।

दोनों देशों ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि बातचीत का दौर अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो और उत्तर कोरियाई अधिकारियों के बीच चलता रहेगा। मुलाकात की अगली तारीख की घोषणा जल्दी ही होगी जिससे पूरे प्रायद्वीप में शांति का आलम रहे।

ट्रंप ने इस मुलाकात पर अपनी खुशी जताई। किम के कंधों पर उन्होंने अपना हाथ रखा और कहा, मेरे लिए यह खासी महत्वपूर्ण बातचीत है। हमारे बीच संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे। उधर किम ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि बातचीत की मेज़ पर दोनों देशों का आ पाना आसान नहीं था। पुरानी सोच, पुरानी मान्यताएं और पुराने रीति-रिवाज हमारे संबंधों को उस तरह पनपने नहीं दे रहे थे जिस तरह उन्हें पनपना था। लेकिन हमने तमाम बाधाओं पर कामयाबी पा ली है।

तहलका ब्यूरो

राजीव गांधी हत्याकांड और नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश में समानता का मुद्दा

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अभी हाल दिल्ली में विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारियों की बैठक ली। उन्होंने यह समीक्षा बैठक राजीव गांधी सरीखी घटना न होने देने के लिहाज से की। उन्होंने यह बैठक प्रधानमंत्री को निशाना बनाने की माओवादी धमकी के संदर्भ में बुलाई थी। अब सवाल यह उठता है कि क्या कोई अंदेशा वाकई है जिसके चलते एक घटना के बहाने दूसरी घटना को ध्यान में रख कर सरकार विचार करे।

महाराष्ट्र पुलिस से सरकार को कुछ मुद्दे मिले। मसलन कार्यकर्ता रोनी विल्सन के दिल्ली के आवास की तलाशी के दौरान ऐसी जानकारी मिली है जिससे यह जानकारी मिली है कि राजीव  गांधी की हत्या की ही तरह क्या प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश संभव है। विल्सन को भीमा कोरेगांव हिंसा में भूमिका निभाने के आरोप में दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किसी योजना से साफ इंकार किया है। उन्होंने अनुरोध किया है कि इसकी जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी पत्र के होने की संभावना नहीं है। यह सिर्फ हमदर्दी पाने के लिए ऐसी बात कही गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा को जब यह लगा कि वे अपना लोकप्रिय समर्थन खो रहे हैं तो उन्होंने ऐसी साजिश की बात गढ़ी। उधर कांग्रेस ने मांग की है कि इस मुद्दे का राजनीतिकरण न किया जाए।

शिवसेना ने भी ऐसे किसी कथित माओवादी पत्र के होने की संभावना से इंकार किया है कि ऐसी कोई साजिश थी जिसमें राजीव गांधी हत्याकांड की घटना का दुहराव हो यह पूरी कहानी एक आतंकवादी कहानी है जिसे सुनकर सिर्फ हंसा जा सकता है। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामनाÓ में यह लिखा गया। चुनाव के मौके पर ऐसा जिक्र अमूमन होता ही है।

राजीव के संबंध में पहली जानकारी

राजीव गांंधी के बारे में जो पहली बात पकड़ में आई उसमें लिखा है कि राजीव गांधी अवरु दे मंडलाई एडीपोडलम। डंप पन्निडुंगो। मरानाई वेचिडुंगो (राजीव गांधी का सिर, फिर उड़ा दो, उसे खत्म कर दो, उसे मार डालो)। यह बात उभरी थी तमिल ईलम, एक सरकार समर्थक अर्धसैनिक संगठन के वायरलेस संदेश से। इसका संबंध एलटीटीई से था। इसे पहली बार 1990 की अप्रैल में सुना गया था। इसकी तत्कालिक सूचना इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (आईपीकेएफ) को श्रीलंका में दी गई थी। उसके बाद खुफिया एजेंसी इस वायरलेस संदेश की तहकीकात में जुट गई थीं। उन्होंने चेन्नई और जाफना के उन गैर अधिकृत स्टेशनों का भी जनवरी 1991 में पता लगा लिया गया था। लेकिन इसके कोड का पता नहीं लग सका। फिर राजीव की हत्या तक कोई संदेश नहीं मिला। उनकी हत्या के बाद सीबीआई की विशेष छानबीन टीम ने महीनों की अपनी जांच पड़ताल में संदेश कोड खोलने में कामयाबी पाई और पाया कि इसमें एलटीटीई की भागीदारी है।

मोदी के खिलाफ साजिश

अब लगभग 27 साल बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद वह घटना एक पत्र में फिर याद की जाती है। जिसे पुणे पुलिस ने दिल्ली के एक कार्यकर्ता रोनी विल्सन के कंप्यूटर से हासिल किया। विल्सन और विस्थापन विरोधी आंदोलन के कार्यकर्ता महेश राऊत, नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोभा सेन, नागपुर के ही एक वकील सुरेंद्र गाडलिंग और मुंबई के कार्यकर्ता सुधीर ढावले को दिल्ली, नागपुर और मुंबई से गिरफ्तार किया गया। इस पूरे मामले ने एक नया तूल तब पकड़ लिया जब मीडिया के एक वर्ग ने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की संभावना की कथित साजिश का पता लगा लिया और राजीव गांधी हत्याकांड से उसकी समानता की जानकारी हासिल कर ली। फिर इस संबंध में कथित दोषियों की गिरफ्तारी हुई।

अलगाव?

राजीव गांधी की हत्या का मामला एक ऐसे संचार से जुड़ा था जो गंभीर तौर पर कोडेड था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर साजिश की जो बात है उसमें कतई कोई गोपनीयता नहीं है। विल्सन के कंप्यूटर से जो माओवादी पत्र मिलने की बात है उसमें घटना का स्पष्ट उल्लेख है और राजनीतिक नेताओं के नाम हैं और सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी उल्लेख है। महाराष्ट्र पुलिस के डायरेक्टर जनरल सतीश माथुर ने बताया कि पत्र विश्वसनीय है।

आंध्रप्रदेश की खुफिया विभाग के एक उच्च स्तरीय आईपीएस अधिकारी जिनकी माओवादी पर विशेषज्ञता है उन्होंने भी यह कहा कि ‘माओवादी पत्र लिखते हैं लेकिन वे इतने लंबे चौड़े पत्र नहीं लिखते। एम-4 बंदूकों और चार लाख चक्र बुलेट खरीदने का ब्यौरा और प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश जैसी बातें भी विश्वसनीय नहीं लगती। उन्होंने कहा, ‘मैंने अपने पूरे जीवन में माओवादियों के पत्र देखे हैं लेकिन ऐसा पत्र पहली बार ही देखा।Ó  फारेंसिक महकमे के एक अधिकारी ने कहा, हमने पत्रों की कोई छानबीन नहीं की है। हमने सिर्फ हार्ड डिस्क और दूसरे डिवाइस की क्लोनिंग की है। हम यह भी नहीं जानते कि पत्र हाई डिस्क में था भी या नहीं।

सशस्त्र सीमा बल के पूर्व महानिदेशक एमवी कृष्णराव जो सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी भी रहे हैं, उनका कहना रहा कि तमाम सीपीआई (माओवादी) उन लोगोंं को नहीं बहाल करते जो सार्वजनिक तौर पर जाने जाते हैं। ये पांचों लोग और प्रकाश अंबेडकर जिनका उल्लेख इस पत्र में है वे सभी जनजीवन में जाने जाते है। माओवादी ऐसे लोगों की कभी अपने साथ नहीं जोड़ते जो कुछ मशहूर हों।

‘पार्टी या सेंट्रल कमेटी का सदस्य होने वाले के सामने यह दुविधा हमेशा रही है कि उसे कोई भी न पहचाना हो। जहां तक मेरी जानकारी है छह-सात साल से सेंट्रल कमेटी का कोई सदस्य कप्यूटर का इस्तेमाल नहीं करता। यदि इस बीच उन्होंने फिर शुरू किया हो तो यह बात मेरी जानकारी में नहीं है। सेंट्रल कमेटी के सदस्य उस तरीके को भी नहीं अपनाते कि ई मेल के जरिए संदेश भेजें। वे सेंट्रल कमेटी के 2-3 विश्वसनीय लोगों के जरिए संदेश भेजते हैं। जिनका काम आम संदेश पहुंचाना होता है। ये संदेश भी एक या दो लाइन के ही होते हैं। एक साधारण आदमी तो उन्हें समझ भी नहीं सकता। क्योंकि शब्दों में ही होते हैं ‘छिपे होते है अर्थ भीÓ, राव ने बताया।

इन तमाम टिप्पणियों और अनुभवों से लगता है कि असल मामला कुछ और है जिनकी छानबीन की जानी चाहिए।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर उठे सवाल गृहमंत्री ने कहा पूरा है ध्यान

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा पर पूरी तौर पर ध्यान दिया जाता रहा है। वे प्रधानमंत्री की सुरक्षा पर माओवादी साजिश के अंदेशे पर बोल रहे थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने शुक्रवार आठ जून को जानकारी दी थी कि दो दिन पहले गिरफ्तार किए गए एक व्यक्ति के पास से इस आशय का एक पत्र मिला है। कांग्रेस ने मांग की है कि साजिश के इस दावे की पूरी तौर पर जांच की जाए।

उधर महाराष्ट्र की पुणे पुलिस ने दावा किया है कि उन्हें एक ई मेल मिला है जिससे इस साजिश का पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राजीव गांधी की हत्या की घटना की ही शैली में खत्म करने की माओवादी योजना रही है। इस दावे के कुछ ही समय के अंदर भाजपा ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह माओवादी साजिश  पर कतई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं जो हिंसा के जरिए देश में अस्थिरता लाना चाहते हैं। उधर भाजपा के प्रमुख नेता और देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि माओवादी फिलहाल हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। जल्दी ही यह खत्म होगी।

जम्मू में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि हम अपने प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर बराबर गंभीर रहते हैं। जहां तक माओवादियों की बात है उनके बारे में कहना चाहूंगा कि इस समय वे एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे है। माओवादी हिंसा लगातार कम हुई है। इसमें 85 फीसदी कमी आई है। पहले 135 जिलों में इनका प्रभाव था। अब यह घट कर 90 जिलों में हैं। इनमें भी दस में ये ज्य़ादा सक्रिय है। इस उग्रवाद का समापन हो रहा है। जैसे उत्तर-पूर्व में इसका समापन हुआ।

गुरूवार (7 जून) को कथित माओवादी संगठनों से संपर्क रखने वाले पांच लोगों को पुणे पुलिस ने जिला अदालत में उन्हें हिरासत में रखने के लिए पेश किया गया था। जिले के सरकारी वकील उज्जवला पवार ने बिना मोदी का नाम लिए अदालत में कहा था कि इन पांच लोगांं में किसी के लैपटॉप में राजीव गांधी टाइप घटना का जि़क्र आता है। जिन लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है वे हैं एल्गार परिषद के सुधीर ढावले। वे मुंबई में रिपब्लिकन पैंथर्स जाति अवताची चालवाल (आरपी), दिल्ली स्थित कमेटी फार रिलीज ऑफ पॉलिटिकल प्रिज़नर्स (सीआरपीपी) नागपुर स्थित इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीपुल्स लॉयर्स (आईएपीएल) के वकील सुरेंद्र गाडलिंग और नागपुर विश्वविद्यालय की प्रोफेसर शोभा सेन, और प्रधानमंत्री की ग्रामीण विकास (पीएमआरडी) के फेलो रहे महेश राउत। पुलिस का आरोप है कि ये पांचों लोग 31 दिसंबर 2017 को पुणे में शनिवारबड़ा में एल्गार परिषद की ओर से हुई सभा में हुए भाषणों में भी शरीक हुए थे। इसके बाद ही पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव के युद्ध की 200वीं बरसी में हिंसा हुई।

भाजपा के नेतृत्व में केंद्र में सरकार चला रही एनडीए में सामाजिक न्याय के राज्यमंत्री रामदास अठावले ने सात जून को इन गिरफ्तारियों पर कहा था कि दलित अधिकारों की रक्षा के लिए लडऩे वाले दलित कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी अनुचित है। उन्होंने कहा कि पुलिस को भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा पर हिंदू नेता संबाजी भिडे की भूमिका की पड़ताल करनी चाहिए। पहली जनवरी को भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में पुलिस को किसी दलित को गिरफ्तार नहीं करना चाहिए था। अंबेडकर के आदर्शों के लिए आंदोलन करने वाले कार्यकर्ताओं को नक्सली बता कर उन पर कानूनी कार्रवाई करना अनुचित है।

महाराष्ट्र पुलिस ने पहले ऊँ ची जाति के नेता संबाजी भिडे और मिलिंद एकबोटे को पहली जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव युद्ध की 200 वीं बरसी पर हुए आयोजन में हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया था। लेकिन अब जांच करने वाली एजंसियों ने जांच का रु ख अचानक बदल दिया है और शहरी माओवादी समर्थकों में पांच की गिरफ्तारी की। इसके बाद नए-नए खुलासे हो रहे हैं।

अठावले के अनुसार वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि एल्गार परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा में क्या संबंध है जिसे पुलिस अब आपस में जोड़ रही है। मैं मानता हूं कि कानून से बड़ा कोई नहीं है। अपने एक भाषण में संबाजी भिडे ने कहा, ‘सर्वधर्म समभावÓ कुछ नहीं होता। यह बात संविधान विरोधी है। पुलिस क्यों नहीं उस पर कार्रवाई करती। समाज में विवाद पैदा करने वाले भाषण पर कार्रवाई होनी चाहिए। संबा जी भिडे पर कार्रवाई करनी चाहिए।