Home Blog Page 118

क्या भारत महिला और पुरु ष में बराबरी ला पाया?

इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2019 का विषय था बराबरी बेहतरी के लिए, सारी दुनिया मेें औरत मर्द कीलैंगिक बराबरी रहे। आज जबकि राजनीतिक दल भारत में आम चुनाव की तैयारी के कोलाहल में उलझे हैं।‘तहलका’ ने तय किया, ‘भारत में अकेली औरत के संकटों पर आवरण कथा दी जाए। उसमें इस बात का भीजायजा लिया जाए कि महिलाओं ने काफी कुछ हासिल किया लेकिन अभी भी उनके सशक्तिकरण के लिएकाफी कुछ बाकी है।’

अभी हाल ही में केरल में जन जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी दस लाख महिलाओं ने कंधे से कंधा मिला कर 620किलोमीटर लंबी ‘महिला दीवार’ बनाई। इनकी मांग समानता और पुनर्जागरण के मूल्यों के मुद्दों पर मर्दऔरत में बराबरी की थी। इन महिलाओं ने पूरे  देश में इतिहास रचा है।

अफसोस की बात है कि व्यापार में महिलाओं के नेतृत्व निभाने की भूमिका में भारत तीसरे नंबर पर है। यहजानकारी मिली उस सर्वे में जिसे ‘ग्रांट थ्रांटन महिलाएं व्यापार में: नया परिदृश्य’ के तहत कराया गया था जोनतीजे सामने आए, वे चौंकाते हैं। भारत में सिर्फ 17 फीसद महिलाएं ही वरिष्ठ अधिकारी की भूमिका में हैं।जबकि 41 फीसद व्यापारिक प्रतिष्ठानों मेें कोई महिला नेतृत्व की भूमिका में नहीं है। भारत में वरिष्ठ प्रबंधकों कीभूमिका में भी महिलाओं का आंकड़ा सात फीसद है। इससे यह जाहिर है कि आज ज़रूरत है कि इस असमानताको दूर किया जाए। जो भी लोग फैसला लेने की स्थिति में हैं भले ही वे व्यापार, समुदाय, सरकार में हों ज़रूर इससंबंध में अपना नज़रिया बदलें।

इसी तरह मुद्दा जब राजनीतिक ताकत का होता है तो यह साफ दिखता है कि दुनिया भर नेताओं में सात फीसदसे भी कम महिलाएं हैं। 24 फीसद महिलाएं कानून बनाने (यानी जनप्रतिनिधि के रूप में) की हैसियत में होती हैं।संयुक्त राष्ट्र संघ के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार राष्ट्र प्रमुखों के रूप में चुनी गई महिलाओं का फीसद पहले 7.2फीसद था। यह अब 2017-2018 में घट कर 6.6 फीसद रह गया। इसी अवधि में सरकार में प्रमुख रही महिलाओंकी तादाद 5.7 फीसद से घट कर 5.2 फीसद ही रह गई।

अब यह बात साफ है कि जब तक भेदभाव खत्म नहीं होता तब तक विकास संभव नहीं है तब तक औरतों औरमर्दों में समानता नहीं होती। इसलिए मांग की गई कि लैंगिक न्याय और बराबरी हो। संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपने‘फिफथ सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल’ का लक्ष्य भी लैंगिक समानता रखा है। महिलाएं चाहती हैं कि उसे फैसलेलेने के विभिन्न स्तरों पर उन्हें नेतृत्व संभालने का मौका मिले साथ ही आर्थिक स्रोतों में बराबरी के अधिकार हों,उत्तराधिकार हो, जमीन पर स्वामित्व और नियंत्रण का अधिकार हो। साथ ही समाज में उसका समादर औरउसकी भूमिका के आधार पर महिलाओं का सशक्तिकरण किया जाए।

एक ऐसा समाज जहां प्रकृति और ऊर्जा के उपयोग में महिलाओं की महती भूमिका को नकार कर सर्वां विकासके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता हो। यह मांबाप की जिम्मेदारी है कि वे बेटे और बेटियों को शिक्षित करें।जिससे वे ऐसे भाषाई प्रयोग भी न करें कि ‘यह तो महिलाओं का काम है।’ और कुछ काम को नीचा दिखाएं।आज महिलाओं के बारे में दकियानूसी उक्तियों का कोई मायना नहीं मतलब नहीं रह गया है। महिलाओं कोदुनिया पर जीत हासिल करने के लिए पुरु षों की ज़रूरत भी नहीं है।

मुंबई और ठाणे सहित महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू ने फैलाये पंख, सीएम की तत्काल मीटिंग

मुंबई और ठाणे सहित महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू ने फैलाये पंख, सीएम की तत्काल मीटिंग

राज्य में संख्या में जिलों में बर्ड फ्लू का संकट अब पूरे राज्य में फैल रहा है। राज्य के कई जिलों में मृत पक्षी पाए गए। एक रिपोर्टों के अनुसार, बर्ड फ्लू मुंबई और ठाणे सहित राज्य के कई जिलों में फैल गया है।
अकेले परभणी जिले में बर्ड फ्लू के कारण एक ही दिन में 800 मुर्गियों की मौत हो गई है।
बीमारी की गंभीरता को देखते हुए चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे ने आज इस विषय पर एक तत्काल मीटिंग बुलाई है जिसमें वह स्थिति का जायजा लेंगे।

देश में बर्ड फ्लू छह से सात राज्यों में फैल गया है। महाराष्ट्र के साथ ही अन्य राज्यों में बर्ड फ्लू फैलने लगा है। रत्नागिरी जिले के दापोल के साथ साथ परभणी, बीड तक फैल गया है। परभणी के साथ, मुंबई, ठाणे, बीड और अन्य जिलों में मृत पक्षी पाए गए। उनके नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए। उनकी रिपोर्ट मिल गई है और प्रशासन ने कहा है कि बर्ड फ्लू पांच जिलों में फैल गया है।
परभणी जिले के मुरुम्बा गाँव में एक ही दिन 800 मुर्गियाँ मर गईं। वह पोल्ट्री फार्म जिसमें यह घटना घटी वह एक स्व-सहायता समूह द्वारा चलाया जाता है। पोल्ट्री फार्म में 8000 हजार मुर्गियाँ हैं, जिनमें से 800 मुर्गियाँ मर चुकी हैं। इसलिए, निवारक उपाय किए गए हैं। प्रशासन के अनुसार, लगभग 80,000 मुर्गियाँ नष्ट की जाएंगी।
रविवार को बीड जिले के पाटोदा तालुका के मुगगाँव में छब्बीस कौवे मृत पाए गए। तीन कौवों के सैंपल भोपाल भेजे गए थे जबकि कुछ अन्य नमूनों को पुणे भेजा गया था। रविवार को मुंबई के चेंबूर इलाके में टाटा कॉलोनी के पास नौ कौवे मृत पाए गए। इस बारे में जानकारी मिलने के बाद बीएमसी के कर्मचारियों ने मृत कौवों के नमूने जांच के लिए भेजे हैं।

हेपेटाइटिस को नजरअंदाज ना करें

विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर आज लीवर रोग व हेपेटाइटिस रोग विशेषज्ञों का कहना है कि हेपेटाइटिस 5 प्रकार का होता है। ए,बी,सी,डी और ई । हेपेटाइटिस एड्स से ज्यादा खतरनाक है। इसमें जरा सी लापरवाही जानलेवा हो सकती है।

एम्स के लीवर रोग विशेषज्ञ डाँ संदीप का कहना है कि हेपेटाइटिस संक्रमित रक्त और गंदे पानी के सेवन से भी होता है। यानि कि संक्रमण की वजह से लीवर तक डैमेज हो जाता है। आई एल वी एस के डाँ शांतनु दुबे ने बताया कि हेपेटाइटिस रोगियों के बढ़ने की मुख्य वजह जागरूकता का अभाव व समय पर इलाज का ना कराना है। जिसके कारण ये रोग तेजी से अपनी गिरफ्त में ले लेता है। आई एम ए के पूर्व संयुक्त सचिव डाँ अनिल बंसल का कहना है कि हेपेटाइटिस एक गंभीर रोग है। जिसके मूल में है। संक्रमण का होना है। गंदे पानी के सेवन से संक्रमित इंजेक्शन से मरीजों को रक्त चढ़ाने से हेपेटाइटिस रोग आसानी से हो जाता है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में अन्य रोग से पीडितों को सही से उपचार नहीं मिल पाया है।डाँ बंसल का कहना है कि जागरूकता के अभाव में व समय पर इलाज होने के कारण लीवर रोग और लीवर कैंसर के मामले तेजी से बड़े है। बचाव के तौर पर इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें जैसे बुखार का आना, आँखों में पीलापन, पीले पेशाब का आना, कमजोरी का महसूस होना आदि शामिल है।

केन्द्र सरकार की कृषि कानून के विरोध में 26 नवम्बर को किसानों का धरना प्रदर्शन

कृषि कानून के विरोध में देश भर के करीब 5 सौ किसान संगठन 26 नवम्बर को दिल्ली में धरना –प्रदर्शन कर केन्द्र सरकार किसान विरोधी नीतियों को उजागर करेगे।

किसान नेता सूरज प्रताप सिंह ने बताया कि देश में जब भी आपदा या विपदा आयी है तो देश के किसानों ने अहम् सकारात्मक भूमिका निभाई है। लेकिन आज केन्द्र की भाजपा सरकार सत्ता के नशे में इस कदर चूर है कि वो किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

किसान पंकज सिंह ने तहलका संवाददाता को बताया कि देश में कोरोना महामारी फैली है। लोगों में डर है। ऐसे में किसान सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाकर सरकार की किसान और कृषि नीतियों का विरोध करेगें। उन्होंने बताया कि अगर हमारी मांगों को नहीं माना गया तो इस बार का विरोध प्रदर्शन तब तक चलेगा । जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं मान लिया जाता है। उन्होंने बताया कि सरकार के समक्ष कई बार अपनी बात रख चुके है। पर सरकार किसानों को गुमराह करने में लगी है।किसान पंकज का कहना है कि देश भर के किसान दिल्ली आने को तैयार है । चाहे उन्हें कितनी परेशानी का सामना क्यों ना करना पड़े।

तमिलनाडु, पुड्डुचेरी कल चक्रवाती तूफान ‘निवार’ को लेकर हाई अलर्ट

तमिलनाडु, पुड्डुचेरी कल चक्रवाती तूफान ‘निवार’ को लेकर हाई अलर्ट

बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव वाला क्षेत्र दक्षिण पश्चिम की तरफ बढ़ रहा है। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों में बेहद गंभीर चक्रवाती तूफान निवार में बदलेगा और बुधवार शाम पांच बजे तक तमिलनाडु, पुड्डुचेरी के कराईकाल व मल्लापुरम तटों से गुजरेगा। इससे तटीय इलाकों में भारी तबाही की आशंका जताई गई है। लोगों से तट पर नहीं जाने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा तमिलनाडु और पुड्डुचेरी के तटों पर मंगलवार रात से ही धारा 144 लगा दी गई।
इस बीच, मंगलवार को तमिलनाडु, पुड्डुचेरी और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में भारी बारिश हुई। इससे कई शहरों में जनजीवन अस्त व्यवस्त हो गया है। राज्य सरकारों ने पुलिस बलों को चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं ताकि कोई भी समुद्र के पास न जा सके। साथ ही सभी सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, ताकि वे दफ्तर में रहकर लोगों के कॉल का जवाब दे सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को तमिलनाडु व पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्रियों से फोन पर बात कर तैयारियों का जायजा लिया। पीएम ने साथ ही दोनों राज्यों को चक्रवाती तूफान निवार से निपटने के लिए केंद्र की तरफ से हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया। नौसेना, पांच बाढ़ राहत टीमें और गोताखोरों की टीम अलर्ट मोड पर हैं। राज्य सरकारों ने भी अपनी तरफ से तैयारी की हैं। एनडीआरएफ महानिदेशक एनएन प्रधान ने बताया कि 1200 राहत कर्मियों को आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और पुड्डुचेरी में तैनात किया गया है। वहीं 18 राहत टीमों को स्टैंड बाई पर रखा गया है।

नौसेना भी अलर्ट
भारतीय नौसेना ने मंगलवार को बताया कि वह अलर्ट मोड पर है। नागापट्टिनम, रामेश्वरम के नौसैन्य अड्डों पर एक-एक बाढ़ राहत टीम तैनात है। वहीं तमिलनाडु और पुड्डूचेरी तट पर आईएनएस परुंदू और आईएनएस ज्योति को तैनात किया गया है।

मराठी फिल्मों की एक्ट्रेस के साथ ‘हाथरस कांड’ दोहराने की धमकी देने वाला गिरफ्तार

मुंबई की ओशिवारा पुलिस ने उस शख्स को गिरफ्तार कर लिया है जो मराठी फिल्मों की एक्ट्रेस दीपाली सैयद भोसले के साथ ‘हाथरस कांड’ को दोहराने की धमकी दे रहा था। पुलिस ने आरोपी संदीप वाघ को अहमदनगर से अरेस्ट किया है।

दीपाली सैयद भोसले ने ओशिवारा पुलिस स्टेशन में दर्ज कंप्लेंट में आरोप लगाए कि संदीप वाघ नामक शख्स ने उन्हें अहमदनगर में शो करने के लिए कॉल किया था,लेकिन बाद में वो उनसे अश्लील बातें करने लगा और जब उन्होंने कॉल काट दिया तो उसने दोबारा कॉल किया और उनके साथ हाथरस कांड जैसी हैवानियत को अंजाम देने की धमकी देने लगा।

तहलका से बात करते हुए दीपाली सैयद भोसले ने कहा,” मैं उसकी धमकी से बहुत ज्यादा डर गयी और मेरी आँखों के सामने हाथरस की विक्टिम की तस्वीर घूमने लगी।”

दीपाली सैयद भोसले ने ड्यूटी पर तैनात ओशिवारा पुलिस स्टेशन के ऑफिसर अमर पाटिल को पूरी बात बताई जिसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा 353 (31), 354 (3), 509, and 506 (2) के तहत केस रजिस्टर किया।

ओशिवारा पुलिस ने आरोपी संदीप वाघ का फ़ोन ट्रेस किया और अहमदनगर से गिरफ्तार कर लिया। इन्वेस्टीगेशन में यह खुलासा हुआ कि आरोपी संदीप वाघ ने दीपाली भोसले का नंबर उस वक़्त उनसे लिया था जब साल 2019 में दीपाली स्थानीय निवासियों की मांगों को लेकर आंदोलन के सिलसिले में अहमदनगर गयी थीं।

शिवसेना से जुड़ी दीपाली महाराष्ट्र में अलग-अलग जगहों पर संवेंदनशील सामाजिक मुद्दों से जुड़े मोरचे में काफी एक्टिव रहीं हैँ।

दीपाली ने 2014 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर अहमदनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इसमें वह हार गई थीं।

दीपाली का नाम पिछले साल हुए इलेक्शन में उस वक्त चर्चा में आया जब वह शिवसेना की तरफ से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गढ मुंब्रा- कलवा से जितेंद्र अव्हाड़ के खिलाफ खड़ी हुई थी उन पर आरोप था कि वह हिंदू बहुल इलाके में हिंदू नाम और मुस्लिम बाहुल्य इलाके में अपने मुस्लिम नाम से प्रचार कर रही है। हालांकि वह इलेक्शन नहीं जीत पाई लेकिन महाराष्ट्र में सरकार शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस की है।

मराठी फिल्मों की हीरोइन दीपाली सैयद का मूल नाम दीपाली भोंसले है। शादी के बाद उन्होंने अपना नाम सोफिया रख लिया। हालांकि, उन्होंने दीपाली सैयद नाम से ही नामांकन किया था।

फिलहाल दीपाली को धमकी देने वाले के बाबत इन्वेस्टीगेशन में पुलिस को पता चला कि संदीप वाघ अहमदनगर का हिस्ट्री शीटर है और उसके खिलाफ कई पुलिस थानों में संगीन आरोप दर्ज हैं।

भाजपा ने मनाया जश्न और कहा कि ये तो अभी झांकी है और काशी, मथुरा बाकी है

बाबारी मस्जिद विध्वंस मामले में आज सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी , कल्याण सिंह , विनय कटियार और उमा भारती सहित 32 नेताओं को प्रबल साक्ष्यों के अभाव में बरी किया गया। अदालत के फैसले के आते ही विश्व हिन्दू परिषद , भाजपा नेताओं और हिन्दू नेताओं ने जमकर दिल्ली में मिठाईयां बांटी और कहा कि आज का दिन भगवान राम का दिन है। दिल्ली में जयश्री राम के नारों के साथ जमकर लोग झूमें और कहा कि अब मथुरा और कांशी बाकी है। लालकृष्ण आडवाणी के निवास स्थान पर भाजपा नेताओँ का बधांई देने वालों का तांता लगा रहा।

भाजपा के नेता व केन्द्रीय फिल्म बोर्ड के सदस्य राजकुमार सिंह ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। देश के सभी नागरिकों को अब राम मंदिर के भव्य निर्माण बनने में सहयोग करना चाहिये। राजकुमार सिंह ने कहा कि अयोध्या में 6 दिसम्बर 1992 को ढहाये गये विवादित ढांचे के मामले में 28 साल से चला आ रहा विवाद अब समाप्त हो गया है।

भाजपा नेता जे के मिश्रा ने फैसला आने के बाद 14 पंत मार्ग भाजपा कार्यालय दिल्ली के बाहर जश्न मनाते हुये  कहा  है कि देश में कई ऐसे मामले है जिनका निपटारा होना चाहिये जैसे मथुरा और काशी का मामला है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर एक ऐसा माहौल बनाया गया था कि जैसे राम मंदिर अयोध्या में हो ही नहीं । लेकिन अब वो भी दिन आने वाला है जब राममंदिर बनकर तैयार होने वाला है। भाजपा नेता डाँ एम सी शर्मा ने कहा कि अभी तो ये झांकी है, काशी ,मथुरा बाकी है।

विपक्ष के आगे झुकी सरकार, अब आधे घंटे का प्रश्न काल करने का फैसला किया

संसद के 14 अप्रैल से शुरू हो रहे मानसून सत्र में सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले प्रश्न काल को नहीं करने के अपने पहले के फैसले से सरकार विपक्ष के गुस्से को देखते हुए पलट गयी है। विपक्ष के आगे झुकते हुए अब उसने प्रश्न काल आधा घंटा तक करने का फैसला किया गया है और इसमें सिर्फ लिखित प्रश्न होंगे।

इसे पहले सरकार के प्रश्न काल नहीं करने के फैसले से विपक्ष सख्त नाराज हो गया था। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र ही हत्या करार दिया था। इसके अलावा शून्य काल का समय भी आधा किये जाने की संभावना है। कांग्रेस और टीएमसी ने इस मसले पर सरकार पर जबरदस्त प्रहार किया था।

प्रश्न काल को लेकर कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने ट्वीट में कहा था – ”मैंने चार महीने पहले कहा था कि मजबूत नेता महामारी को लोकतंत्र को खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। संसद सत्र का नोटिफिकेशन ये बता रहा है कि इस बार प्रश्नकाल नहीं होगा। हमें सुरक्षित रखने के नाम पर ये कितना सही है ?”

एक और ट्वीट में थरूर ने कहा – ”संसदीय लोकतंत्र में सरकार से सवाल पूछना एक ऑक्सीजन की तरह है। लेकिन ये सरकार संसद को एक नोटिस बोर्ड की तरह बनाना चाहती है और अपने बहुमत को रबर स्टांप के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। जिस एक तरीके से जबावदेही तय हो रही थी, उसे भी किनारे किया जा रहा है।”

प्रश्न काल लोकसभा और राज्य सभा की कार्यवाही का सबसे जरूरी हिस्सा माना जाता है जिसमें विपक्ष सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेर सकता है। लोकतंत्रिक प्रणाली में प्रश्नकाल को हमेशा से बहुत जरूरी माना जाता है, लेकिन सरकार ने इस बार इसे रद्द कर दिया है। सरकार ने अपने फैसले के लिए कोरोना का हवाला दिया है।

बता दें मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर पहली अक्टूबर तक चलेगा। इसमें कोई अवकाश नहीं होगा। सरकार ने इसके लिए जो शेड्यूल है उसके मुताबिक इसमें  प्रश्नकाल को रद्द कर दिया गया है। इसके बाद नाराज विपक्ष ने सरकार पर हमला बोला है। टीएमसी के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार पर तीखा हमला करते हुए कहा कि मोदी सरकार महामारी की आड़ में लोकतंत्र की हत्या कर रही है।

शेड्यूल में प्राइवेट मेंबर बिल को लेकर किसी भी खास दिन का चयन नहीं किया गया है। सत्र के दौरान कुछ दिन प्राइवेट मेंबर बिल के लिए पहले से तय किए जाते हैं। शून्य काल को लेकर कहा जा रहा है कि इसका समय आधा किया जा सकता है। विपक्ष संसद के भीतर अपने मजबूत हथियार प्रश्न काल को रद्द करने से बहुत नाराज है। जिस तरह से विपक्ष इस मुद्दे पर आंदोलित हुआ है, उससे 14 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र को लेकर विपक्ष की भूमिका पर अभी से कयास लगने शुरू हो गए हैं।

इस मसले पर ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने कहा – ”सांसदों को 15 दिन पहले ही प्रश्न काल के लिए अपने प्रश्न सब्मिट करना आवश्यक है। सत्र की शुरुआत 14 सितंबर से हो रही है, तो क्या प्रश्न काल कैंसिल हो गया? 1950 से पहली बार विपक्ष के सांसद क्या सरकार से सवाल पूछने का अधिकार खो बैठे। जब संसद के समग्र कामकाजी घंटे समान हैं तो फिर प्रश्न काल को क्यों रद्द किया गया? लोकतंत्र की हत्या के लिए महामारी का बहाना बनाया जा रहा है।”

कोरोना काल में किन्नर से छेड़छाड़, पेटीएम से ली रिश्वत

यूं तो खाकी का घूस से रिश्ता कोई नया नहीं है, पर इनके दिलचस्प किस्से समय-समय पर आते रहते हैं। समय और बदलते दौर के साथ पुलिस वाले किसी को भी नहीं बख्श रहे और तो और रिश्वत भी डिजिटल मोड में लेने लगे हैं। हरियाणा पुलिस ने छेड़खानी के मामले में एक किन्नर से रिश्वत ली वो भी बिना छुए यानी पेटीएम से।
हरियाणा में खट्टर सरकार खाकी वर्दी फिर दागदार हुई है। यहां पुलिसकर्मी ने घूस के पैसे पेटीएम से लिए। आरोप है कि कोरोना संकट के काल में सोनीपत पुलिस बिना नोटों और आरोपियों को छुए यानी डिजिटल मोड से फायदा उठा रही है। इसके लिए उसने चीनी कंपनी के शेयर वाले पेटीएम से पेमेंट किया जाना कुबूल लिया है।
दरअसल, यह मामला हरियाणा के सोनीपत का है, जहां एक किन्नर के साथ छेड़खानी के मामले में रिश्वत मांगी थी। घूस लेने के आरोप रणवीर नामक पुलिसकर्मी पर लगे हैं।
आरोपी पुलिसकर्मी रणवीर ने पेटीएम से दो हजार रुपये की रिश्वत ली। खुलासा होने के बाद डीएसपी के पास पूरा मामला पहुंच गया। डीएसपी का कहना है कि मामले में गहनता से जांच की जा रही है और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

गांवों के स्कूलों पर ध्यान दें सरकार ताकि बच्चों को मिले बेहत्तर शिक्षा

सरकार किसी भी संस्था का नाम बदलकर ना जानें किस बात का गर्व महसूस करती है । ये तो जनमानस को पता नहीं । मानव संशाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। इससे भी देश वासियों को कोई आपत्ति नहीं है पर देश की शिक्षा प्रणाली दिन व दिन ध्वस्त होती जा रही है  । उस पर सरकार अगर गौर करती तो निश्चित तौर पर देश की शिक्षा प्रणाली से सकारात्मक बदलाव आता उससे जरूर पढने वाले छात्रों को काफी लाभ होता और उनका भविष्य सुधरता । भले ही सरकार के नाम बदलने की कार्यप्रणाली को लेकर जो भी सियायत हो रही है। उस देश के शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा के नाम पर गांव से लेकर शहरों तक कार्पोरेट स्कूल खोले जा रहे है । उसमें गरीब के बच्चों को एडमिशन मिलना काफी मुश्किल होता है।सरकारी स्कूलों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। देश में नर्सरी से लेकर काँलेज, यूनिवर्सिटी, लाँ काँलेज सहित तमाम संस्थान ऐसे है जहां पर पैसे के ही दम पर एडमिशन मिलता है। महानगर में नर्सरी में एसमिशन अभिभावकों के लिये तो एक समस्या होती है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व शिक्षक प्रो जगदीश शर्मा का कहना है कि आज देश कोरोना काल से जूझ रहा है। कोरोना के कारण जो आर्थिक व्यवस्था लडखडायी है उससे भी देश में बेरोजगारी बढी है। ऐसे में सरकार का ये भी दायित्व बनता है कि इन पर काबू पाते । शिक्षक सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि सरकार से उम्मीद करते है कि कोरोना काल में जो स्कूलों के बंद होने के कारण स्कूलों बच्चों को जो दिक्कत आयी है उसको दूर करने का प्रयास करें। देश में सरकारी स्कूल जो है उनमें व्यापक सुधार करें ताकि गरीब का बच्चा आसानी से बेहत्तर शिक्षा ग्रहण कर सकें अन्यथा गां का बच्चा बेहत्तर शिक्षा ग्रहण करने से वंचित रह जायेगा।क्योंकि यू पी , बिहार और राजस्थान और उडीसा की पिछडती शिक्षा प्रणाली किसी से छिपी नहीं है।ऐसे में सरकार को शिक्षा  मंत्रालय के तहत सरकारी स्कूलों को बेहत्तर बनाने का प्रयास करना चाहिये ताकि गांव –गांव का बच्चा पढ सकें। क्योंकि आज भी देश के सरकारी स्कूलों में पंखे तक नहीं लगे है।कई में तो बिजली के कनेक्शन नहीं है । स्कूली बच्चों को पीने का पानी तक स्वच्छ नहीं मिलता है। ऐसे में संशाधनों के अभाव में पढनें वाले बच्चों को बुनियादी जरूरतों से दो-चार होना पडता है।