इंद्रधनुषी पत्रकारिता के पांच साल

अगर हिंदी के किसी मीडिया संस्थान को निष्पक्ष पत्रकारिता करते हुए अपने पाठकों में वैसा ही विश्वास भी जमाना हो तो उसे कम से कम दो छवियों से जूझना पड़ेगा. आज समाज के अन्य क्षेत्रों की तरह समूची पत्रकारिता पर ही अविश्वास करने वालों की कमी नहीं और दूसरा हिंदी पत्रकारिता, खुद को रसातल में पहुंचाने के लिए लगातार की गई कोशिशों के चलते खास तौर पर सवालों के घेरे में है.

तहलका की हिंदी पत्रिका के सामने संकट इससे कहीं बड़े थे. एक संस्थान के रूप में तहलका को कई लोग सिर्फ छुपे हुए कैमरों के जरिये लोगों को फंसाने की पत्रकारिता करने वाला मानते थे तो कई बार उस पर एक पार्टी और एक धर्म से जुड़े लोगों के प्रति सहानुभूति रखने के भी आरोप लगाए जाते रहे. कुछ समय से, हमेशा अपना बिलकुल अलग अस्तित्व रखने के बावजूद हिंदी पत्रिका को कुछ और भी अवांछित छवियों से मुठभेड़ करने के लिए विवश होना पड़ रहा है.

तहलका की हिंदी पत्रिका की शुरुआत अंग्रेजी पत्रिका के अनुवाद के तौर पर हुई थी. लेकिन ऐसे में भी शुरुआत से ही हमने किताबों में पढ़ी पत्रकारिता की परिभाषा के मुताबिक काम करने की कोशिशें शुरू कर दीं. हमने पत्रकारिता और हिंदी की जरूरतों की अपनी समझ की कसौटी पर अच्छी तरह से कसने के बाद ही अंग्रेजी पत्रिका में से समाचार-कथाओं को अपनी पत्रिका में लिया.

धीरे-धीरे हिंदी तहलका इसकी सामग्री और पहचान के मामले में अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद कुलांचें भरने लगी. पिछले दो सालों में कुछ ऐसा हुआ जो पहले शायद हुआ नहीं था. तहलका की हिंदी पत्रिका में अंग्रेजी से अनुवादित कथाओं का लिया जाना लगभग बंद हो गया और पत्रिका की गुणवत्ता के चलते इसका उलटा (यानी हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद होना) एक वृहद स्तर पर शुरू हो गया. इसके अलावा पिछले एक साल में तहलका की हिंदी पत्रिका को जितने और जैसे देश-विदेश के पुरस्कार मिले उतने और वैसे इससे दसियों गुना बड़े भी किसी संस्थान को शायद नहीं मिले.

लेकिन तहलका की हिंदी पत्रिका की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि इसने अपनी कोशिशों से एक आम पाठक के मन में समूची पत्रिकारिता के प्रति विश्वास को गहरा करने का काम किया. हम गर्व से कह सकते हैं कि अपने पांच साल के इतिहास में हमने कोई भी ऐसा काम नहीं किया जिससे हमारी नीयत पर उंगली उठाई जा सके.

इस विशेषांक में तहलका हिंदी द्वारा समय-समय पर की गईं उत्कृष्ट कथाओं में से कुछ हैं. हमारे ज्यादातर पाठक इनमें से कुछ को पढ़ चुके होंगे, कुछ ने हो सकता है इनमें से सभी को अलग-अलग अंकों में पढ़ा हो. लेकिन अपने संपादित स्वरूप में इतनी सारी उत्कृष्ट समाचार-कथाओं को एक साथ पढ़ना भी एक अनुभव है, ऐसा इन्हें संकलित करते हुए हमें लगा है और विश्वास है कि इन्हें पढ़ने के बाद आप भी ऐसा अनुभव करेंगे. इन्हें पढ़कर आपका और हमारा भी हममें विश्वास थोड़ा और मजबूत होगा, इस विश्वास के साथ आपके लिए ही समय-समय पर की गईं कथाओं का यह अंक आपको समर्पित है.