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हिमाचल के सोलन में ईमारत गिरी, सेना के जवानों सहित ३० लोग मलबे में दबे

एक बड़े हादसे में हिमाचल के सोलन जिले के कुमारहट्टी के नजदीक एक होटल  भवन के गिरने से कम से कम ३० लोग मलबे के भीतर दब गए हैं। जिला प्रशासन के तमाम बड़े अधिकारी घटनास्थल पर पहुँच गए हैं। जब यह हादसा हुआ उस समय सेना के कई जवान वहां भोजन कर रहे थे।

”तहलका” की जानकारी के मुताबिक यह हादसा कुमारहट्टी से करीब २ किलोमीटर दूर नाहन रोड पर हुआ है। भारी बारिश के चलते बिल्डिंग ढह गयी। बिल्डिंग गिरने से ३० से ३५ के बीच लोग उसमें फंस गए हैं। इनमें सेना के जवान भी शामिल हैं। प्रशासन ने भारी बारिश के बीच  रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया है।

बचाव कार्य सोलन के एसडीएम रोहित राठौर के नेतृत्व में चल रहा है। इमारत गिरने के कारण का अभी पता नहीं है। हादसा जब हुआ उस समय होटल में सेना के जवान भोजन करने के लिए रुके हुए थे। यह जवान भी मलबे में दबे हो सकते हैं। हादसे की जानकारी मिलने के बाद प्रशासन और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुँची।

नवजोत सिद्धू का मंत्री पद से इस्तीफा

महकमा बदलने से नाराज चल रहे पंजाब के केबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री ने पिछले महीने किये मंत्रिमंडल के  फेरबदल में उनका महकमा बदल दिया था। माना जाता है कि वे इससे प्रसन्न नहीं थे।

”तहलका” की जानकारी के मुताबिक लोगों में जबरदस्त पैठ रखने वाले लोकप्रिय नेता सिद्धू को संगठन में कोइ बड़ी जिम्मेबारी दी सकती है या पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

सिद्धू ने रविवार दोपहर अपने पद से इस्तीफा दिया। उन्होंने इस्तीफे का कोइ कारण  नहीं बताया है। पिछले लोक सभा चुनाव में सिद्धू ने कांग्रेस के लिए देश भर में चुनाव प्रचार किया था। हालांकि वे पंजाब काम ही प्रचार करने आये।

यह माना जाता है कि उनकी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से ज्यादा नहीं पटती। इसी कारण सीएम ने उनका महकमा भी पिछले फेरबदल में बदल दिया था। हालांकि सिद्धू ने नए महकमे का प्रभार एक महीने तक संभाला ही नहीं। इसे देखते हुए आलाकमान उन्हें  कांग्रेस संगठन में कोइ बड़ी जिम्मेबारी दे सकती है।

सिद्धू को राहुल-प्रियंका का बेहद करीबी नेता माना जाता है। पिछले महीने जब वे उनसे मिलने दिल्ली गए थे तो दोनों से उनकी मुलाकात हुई थी। अब देखना है कि उन्हें संगठन में क्या जिम्मेबारी मिलती है।

पैसे के जोर पर सरकारें गिरा रही भाजपा : राहुल ने कहा

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि ”दबाने और डराने” की कोशिश हो रही है। पैसे के जोर पर विपक्ष की सरकारें गिराने की कोशिश हो रही है।
राहुल ने कहा – ”मैं इससे नहीं डरता हूं। यह संविधान की लड़ाई है। देश के भविष्य की लड़ार्ई है। भ्रष्टाचार और अत्याचार के खिलाफ लड़ाई है। मैं खड़ा रहूंगा, लड़ता रहूंगा।” नोटबंदी के दौरान गुजरात के अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) पर  ७४५ करोड़ रुपये ब्लैकमनी को व्हाइट कराने के आरोप वाले ब्यान पर मानहानि मामले में जमानत मिलने के बाद राहुल ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर भी बिना उसका नाम लिए हमला बोला।
इस मौके पर राहुल ने आरोप लगाया कि दबाने और डराने की कोशिश हो रही है।
राहुल गांधी ने भाजपा पर कर्नाटक सरकार को गिराने के लिए धन बल का उपयोग करने का आरोप लगाया। राहुल ने कहा – ”भाजपा राज्य सरकार को गिराने के लिए धन बल का इस्तेमाल करती है जहां चाहे वहां धमकी दे सकती है। आपने इसे गोवा में, नॉर्थ-ईस्ट में देखा था। वे इसे अब कर्नाटक में करने की कोशिश कर रहे हैं। यह उनका तरीका है। उनके पास पैसा है, शक्ति है, इसलिए वे इसका उपयोग कर रहे हैं।”

और लता ने कहा धोनी रिटायर मत होइए

वर्ल्ड कप की दौड़ से भारत के बाहर होने पर क्रिकेट प्रेमी काफी निराश हैं। कयास तो माही के रिटायरमेंट की भी लगाई जा रही है। लेकिन इन सबके बीच उत्साहित करने वाली खबर स्वर कोकिला लता मंगेशकर की है। उन्होंने एमएस धोनी से अपील की है वह रिटायर ना हों।

धोनी को ट्वीट करते हुए लता मंगेशकर लिखती हैं,’नमस्कार एम एस धोनी जी। आजकल मैं सुन रही हूं कि आप रिटायर होना चाहते हैं। कृपया आप ऐसा मत सोचिए। देश को आप के खेल की जरूरत है और यह मेरी भी रिक्वेस्ट है कि रिटायरमेंट का विचार आप मन में मत लाइए।’

उन्होंने इंडियन टीम को सपोर्ट करते हैं निराश ना होने की अपील करते हुए ट्विटर पर एक गाना शेयर किया। उन्होंने लिखा,’ कल भले ही हम जीत ना पाए हो लेकिन हम हारे नहीं है। गुलजार साहब का क्रिकेट के लिए लिखा हुआ ये गीत मैं हमारी टीम को डेडीकेट करती हूं।’

आलीशान क्लब को लेकर घिरे बीजेपी के विधायक नरेंद्र मेहता!

मीरा भायंदर के बीजेपी विधायक नरेंद्र मेहता इन दिनों चारों तरफ़ से घिरते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों उनके सेवन स्क्वेयर स्कूल में हथियार प्रशिक्षण की तस्वीरें क्या उजागर हुईं थीं। इस मामले में विपक्ष और कुछ भीतरी लोगों ने नरेंद्र मेहता को घेरने की कोशिश की थी लेकिन उनकी ऊपर तक पकड़ के चलते यह मामला परवान ना चढ़ सका।

नरेंद्र मेहता ने बहुत कम समय में बीजेपी को मीरा भायंदर की सबसे बड़ी पार्टी बना कर ना सिर्फ अपना कद ऊंचा कर लिया बल्कि मीरा भायंदर में एनसीपी के गिल्बर्ट मेंडोंसा और कांग्रेस के मुजफ्फर हुसैन जैसे दिग्गजों को कोने में बैठा दिया। अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा का बचाने गिल्बर्ट शिवसेना की शरण में आ ग‌ए। मुजफ्फर फिर से अपनी जमीन ही तलाश रहे हैं जो फिलहाल दूर की कौड़ी ही लगती है।
एक समय भायंदर पश्चिम के साठ फीट रोड पर जैन मंदिर के सामने मसाला बेचने वाला ‘नरु’ आज करोड़ों का आसामी बन चुका है। मगर शॉर्टकट कामयाबी की सड़क पर फिसलन बहुत होती है। और अब कुछ-कुछ यही होता नजर आ रहा है ,नरेंद्र मेहता के साथ। मेहता के साथ उनकी बेशुमार प्रॉपर्टी भी विवादों के घेरे में रही है और वह साम दाम दण्ड भेद नीतियों के चलते उन्हें बचाए रखने में कामयाब रहे हैं। अब नया विवाद है नरेंद्र मेहता के शाही क्लब का। महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र में यह मामला उठा। उठाया है एनसीपी के जयंत पाटिल और जितेंद्र आव्हाड ने। आव्हाड ने आरोप लगाया है, “नरेंद्र मेहता ने मीरा रोड में खाड़ी के आसपास की सीआरजेड जमीन को अवैध तरीके से कब्ज़ा कर उस पर अपना शानदार क्लब बनाया है”।
हालांकि आव्हाड के इस आरोप पर नरेंद्र मेहता ने चुनौती देते हुए कि अगर आव्हाड अपने आरोपों को साबित कर देंगे तो वह राजनीति छोड़ देंगे। आव्हाड अपने आरोपों पर कायम हैं और मेहता अपनी चुनौती पर।आरोप प्रत्यारोप का दौर और दिलचस्प होता चला जाएगा क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक
हैं ।
चर्चा ये भी है कि इस बार मीरा भायंदर विधानसभा सीट महिला के लिए आरक्षित होने की संभावना है। और फिर टिकट जा सकती है पूर्व महापौर गीता जैन की झोली में। अगर यह उसी खेल का हिस्सा है तो विवाद लंबा ही चलने वाला है। क्योंकि मीठालाल जैन परिवार की ठाणे की राजनीति में गहरी पकड़ है।
वैसे नरेंद्र मेहता के सेवन इलेवन अस्पताल,सेवन इलेवन स्कूल, सेवन स्क्वायर स्कूल और होटल्स के अलावा पर्सनल चॉपर और लिम्बोर्गिनी कार अपनी ही पार्टी के बड़े नेता हजम नहीं कर पा रहे। नजदीकी सूत्रों की मानें तो मेहता के खिलाफ अन्य पार्टी के ही नहीं उनकी अपनी पार्टी के लोग भी उनके करप्शन के मामलों को लेकर उन्हें घेर , दबाव बना अपना हित साधने से पीछे नहीं हट रहे हैं। खबरों की माने तो नरेंद्र मेहता दबाव के चलते अपने अस्पताल का हक किसी और अपनी ही पार्टी के नेता को सौंप चुके हैं। हालांकि इस खबर की पुष्टि खुल कर करने कोई तैयार नहीं है।
फिलहाल मसले का केंद्र बना सेवन इलेवन आलीशान क्लब अपने निर्माण के दौरान से ही सुर्खियों में रहा है। मुंबई से लगभग 20किलोमीटर की दूरी पर स्थित मीरा भायंदर इलाके में लगभग 4 एकड़ की जमीन पर फैले नरेंद्र मेहता की मालिकाना हक वाले इस क्लब के निर्माण में पर्यावरण को लेकर हाई कोर्ट के नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं। आरोप है कि इसके निर्माण के दौरान समुचित परमिशन नहीं लिए गए हैं, मैनग्रोव को नष्ट किया गया है, खाड़ी की जगह का रिक्लेमेशन किया गया है और अपने राजनीतिक रसूख का फायदा उठाया गया है।
इन आरोपों को गलत बताते हैं नरेंद्र मेहता कहते हैं,,’इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है यदि मैंने सदन में अपने ऊपर लगाए गए आरोपों की सफाई दी है और मुझ पर आरोप लगाने वाले जितेंद्र अवार्ड को चुनौती दी है कि वह सबूत पेश करें तो मैं जानता हूं कि सदन की सदन की गरिमा क्या होती है। एक जिम्मेदार सदन के सदस्य के तौर पर मेरी अपनी प्रतिबद्धता है। मुझ पर आरोप लगाते समय उन्होंने सजन के नियमों का पालन नहीं किया। नियम है कि सदन में किसी भी विधायक पर आरोप लगाने के 24 घंटे पहले उक्त विधायक को इस बात की जानकारी दे देनी चाहिए कि उन पर आरोप लगाए जा रहे हैं और उसके सबूत भी दिए जाने चाहिए।’
‘यह सब राजनीतिक रणनीति और साजिशों का हिस्सा है। मुजफ्फर हुसैन जो कि कांग्रेस के हैं और अपनी जमीन खो चुके हैं, फिर से एक बार चुनाव लड़कर अपने लिए जमीन तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं । उन्हीं के कहने पर जयंत पाटील और जितेंद्र अह्वाड़ ने आरोप लगाया है। जयंत पाटील को यह भी नहीं पता कि क्लब कहां है और न कभी वह मीरा भायंदर आए हैं। दूसरों के कहने पर जब आरोप लगाया जाता है तो वह दूसरे की भाषा होती है जिसका कोई सिर पैर नहीं होता। इसलिए जब मैंने उन्हें चुनौती दी तो कोई जवाब नहीं आया है।’नरेंद्र मेहता कहते हैं।
क्लब को लेकर नरेंद्र मेहता पर आरोप लगाने वाले एनसीपी के नेता जितेंद्र अह्वाड़ का दावा है कि उनके पास नरेंद्र मेहता के कारनामों के पुख्ता सबूत हैं। इस बात को नरेंद्र मेहता की अच्छी तरह से जानते हैं। यह बात अलग है कि वह इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। एक कहावत है ले डूबेंगे सनम तुम्हें भी। मेरा मतलब यह है कि वह खुद भी डूब जाएंगे और सरकार को भी ले डूबेंगे।

वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और पति के दफ्तर/ घर सीबीआई छापे

सीबीआई ने गुरूवार सुबह वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के दफ्तर और घर पर छापेमारी की। यह छापेमारी अब ख़त्म हो गयी है। अपनी प्रतिक्रिया में इंदिरा ने कहा – ”मेरे पति आनंद और मुझे टारगेट किया गया है।”
आज जो छापेमारी सीबीआई ने की है वह इंदिरा जय सिंह के एनजीओ को विदेशी चंदा नियमन अधिनियम के उल्लंघन मामले में मारे गए हैं। सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक दिल्ली और मुंबई दोनों जगह छापे मारे गए हैं। अब यह छापेमारी ख़त्म हो गयी है।
इस बीच दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इंदिरा जय सिंह के घर छापेमारी की निंदा की है। उन्होंने टि्वटर पर लिखा – ”मैं जाने-माने वरिष्ठ वकीलों इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर पर सीबीआई छापों की कड़ी निंदा करता हूं… कानून को अपना काम करते रहना चाहिए, लेकिन जो दिग्गज सारी ज़िन्दगी कानून के शासन और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई साफ-साफ बदले की कार्रवाई है।”
गौरतलब है कि सीबीआई ने इंदिरा जय सिंह और आनंद ग्रोवर और और एनजीओ के लॉयर्स कलेक्टिव के खिलाफ विदेशी चंदा नियमन अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज किया था। सीबीआई का दोनों पर विदेशी फंड का गलत इस्तेमाल करने का आरोप है। यह मामला २००९ से २०१४ के बीच का जब इंदिरा जयसिंह एडिशनल सॉलिसिटर जनरल थीं। सीबीआई का आरोप है कि उनकी (इंदिरा जयसिंह) की विदेशी यात्रा पर खर्च गृह मंत्रालय की मंजूरी के बिना उनके एनजीओ के फंड से किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या पर मध्यस्थता पैनल से स्टेटस रिपोर्ट मांगी

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरूवार को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर मध्यस्थता पैनल से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। आज सुनवाई के दौरान अदालत ने यह आदेश दिया। स्टेटस रिपोर्ट १८ जुलाई तक सामने आएगी जिसके बाद अदालत इस पर फैसला करेगी कि क्या इस मामले में रोजाना सुनवाई की जाए।
याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि इस मसले पर मध्यस्थता का जो रास्ता अदालत ने निकाला था, वह काम नहीं कर रहा। अब सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल से रिपोर्ट मांग ली है। इस मसले की सुनवाई अब २५ जुलाई को होगी और उससे पहले १८ जुलाई तक मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करनी होगी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, दीपक गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने कहा कि अनुवाद में समय लग रहा था, इसी वजह से मध्यस्थता पैनल ने अधिक समय मांगा था। अब हमने पैनल से रिपोर्ट मांगी है। सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यदि पैनल कहता है कि मध्यस्थता कारगर साबित नहीं हो सकती है तो २५ जुलाई के बाद ओपन कोर्ट में रोजाना इसकी सुनवाई होगी। अब मध्यस्थता पैनल जारी रहेगा या नहीं, इसका फैसला १८ जुलाई को हो जाएगा।
अदालत में हिंदू पक्ष की तरफ से वकील रंजीत कुमार ने कहा कि १९५० से ये मामला चल रहा है लेकिन अभी तक सुलझ नहीं पाया है। मध्यस्थता कारगर नहीं रही है इसलिए अदालत को तुरंत फैसला सुना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब ये मामला शुरू हुआ था तब वह जवान थे, लेकिन अब उम्र ८० के पार हो गई लेकिन मामले के  हल का अभी इन्तजार है।
उधर रामजन्म भूमि विवाद में एक मूल वादकार गोपाल सिंह विशारद ने अपनी याचिका में कहा है कि मध्यस्थता कमेटी की अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं लेकिन हल निकलने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही। लिहाजा शीर्ष अदालत इस पर जल्द सुनवाई करे।

कर्नाटक के बाद अब गोवा में कांग्रेस को बड़़ा धक्का!

कर्नाटक की घटनाक्रम से सांसत फंसी कांग्रेस को गोवा में एक और बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के 15 विधायकों में से 10 विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। इन विधायकों का नेतृत्व नेता प्रतिपक्ष बाबू कवलेकर ने किया है। इसके साथ ही अब बीजेपी में विधायकों की संख्या 27 हो जाएगी।

सूत्रों का दावा है कि बाबू कबलेकर नई सरकार में डेप्युटी चीफ मिनिस्टर का पद दिया जा सकता है। चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेस छोड़कर आए कुछ विधायकों को मंत्री पद देने के लिए वर्तमान मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। गोवा बीजेपी के प्रभारी एसपी संतोष पिछले 2 दिनों से गोवा में बैठे हुए हैं। पणजी में हुई एक गुप्त मीटिंग में बगावत करने वाले कांग्रेसी विधायकों को निर्देश दिया गया कि वे लोग पहले कांग्रेस से इस्तीफा दें और एक नई इंडिपेंडेंट पार्टी निर्माण करें और फिर बीजेपी में शामिल हो जाएं।

इस नए घटनाक्रम से कांग्रेस सकते में है गोवा में अब उनके पास सिर्फ 5 विधायक बचे हुए हैं। जिनमें पूर्व चीफ मिनिस्टर राम सिंह राणे, रवि नाईक ,दिगंबर कामत, अलेक्स रुजिनाल्ड लॉरेंस और लुइस इन फालेरो हैं।

कांग्रेस छोड़ने वालों में कबलेकर के साथ नीलकंठ हलणकर, इजिदोर फर्नांडिस, फिलीप नेरी रॉड्रिग्ज, फ्रान्सिस सिल्वेरा, टोनी फर्नांडिस, बाबूश मोन्सेरात, विल्फ्रेड डिसा (बाबाशान), जेनिफर मोन्सेरात और क्लाफास डायस। ये सभी लोग दिल्ली रवाना हो गए हैं।
गौरतलब है कि गोवा की 40 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी के 17, कांग्रेस के 15, जीपीएफ के 3, एनसीपी के दो और 2 निर्दलीय विधायको के साथ एमजीपी का एक विधायक हैं। कांग्रेस के 10 विधायकों के बीजेपी में विलय की घोषणा के चलते अब गोवा विधानसभा में बीजेपी विधायकों की संख्या बढ़कर 27 हो गई है और कांग्रेस के पास सिर्फ 5 विधायक बचे हैं।

कर्नाटक का राजनीतिक नाटक, २ और विधायक हुए बागी

कर्नाटक में कांग्रेस के दो और विधायकों के इस्तीफे हुए हैं जिसके बाद कांग्रेस-जेडीएस सरकार पर ख़तरा और ज्यादा बढ़ गया है। इस्तीफा देने विधायकों की संख्या अब १८ हो गयी है। कांग्रेस इस मसले पर हमलावर हो गयी है और उसने संसद से लेकर सड़क तक विरोध के स्वर तेज करते हुए भाजपा हाईकमांड पर पैसे के जोर पर सरकार गिराने का आरोप लगाया। उधर गोवा से भी खबर है कि वहां कांग्रेस के १० विधायक ”बागी” हो गए हैं।
उधर कई मौकों पर कांग्रेस के संकटमोचक रहे डीके शिवकुमार मुम्बई में होटल में ”ठहराए” गए कांग्रेस विधायकों से नहीं मिल पाए। उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और खबर कि उन्हें जबरदस्ती बेंगलुरु भेजने की तैयारी कर ली गयी है। बुधवार को कांग्रेस विधायक एमटीबी नागराज और के सुधार ने इस्तीफा दिया है।
गोवा से भी खबर आ रही है कि वहां कांग्रेस के १० विधायक ”बागी” तेवर दिखा रहे हैं। अभी तक मुताबिक यह विधायक पाला बदल सकते हैं। वहां सरकार भाजपा की ही सरकार है लेकिन उसका बहुमत बहुत कम विधायकों पर ही टिका है।
आज सुबह कर्नाटक के सियासी संकट के बीच मुंबई से बेंगलुरू और दिल्ली तक राजनीतिक हलचल दिखी। कांग्रेस के संकटमोचक डीके शिवकुमार ”बागी” विधायकों से मिलने मुंबई पहुंचे लेकिन उन्हें होटल के भीतर ही जाने नहीं।  शिवकुमार ने कहा कि उन्होंने उस होटल में कमरा बुक किया है लेकिन उन्हें भीतर नहीं जाने दिया जा रहा। इस बीच वे विरोध में पांच घंटे तक बारिश के बीच होटल के बाहर इंतजार करते रहे।  इस बीच मुंबई पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
दिल्ली से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद भी संकट टालने के इरादे से  बेंगलुरू पहुंचे। भाजपा पर आरोप लगाते हुए राजभवन के बाहर वे अन्य नेताओं के  कर रहे थे जब पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।
फिलहाल २२४ सदस्यीय विधानसभा में जेडीएस-कांग्रेस सरकार अल्पमत में दिख रही है और उसके सामने अस्तित्व बचने का संकट खड़ा हो गया है। अब तक गठबंधन के १८ एमएलए इस्तीफा दे चुके हैं। यदि सभी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो विधानसभा की वर्तमान सदस्य संख्या कम हो जाएगी और बहुमत का आंकड़ा भी। इससे भाजपा के  बहुमत साबित करना आसान हो जाएगा। फिलहाल सभी की नजर स्पीकर पर टिकी है। वे ८ विधायकों के इस्तीफे खारिज कर चुके हैं जिसे इन विधायकों ने कोर्ट में चुनौती दी है।

भारत हारा, न्यूजीलैंड फाइनल में

न्यूजीलैंड के महज २३९ (टारगेट २४०) रन का पीछे करते हुए भारत शुरुआत में मिले झटकों के कारण फाइनल में जाने से बंचित रह गया और न्यूजीलैंड फाइनल में पहुँच गया। न्यूजीलैंड ने भारत को १८ रन से हरा दिया।

भारत के तीन विकेट महज ५ रन पर गिर गए जिसके बाद टीम पर बहुत ज्यादा दवाब आ गया। हालांकि युवा ऋषभ पंत ने उम्मीद जगाई और हार्दिक पांडये के साथ एक मौके पर भारत के रास्ता खोलने की कोशिश की लेकिन पंत के आउट होने बाद भारत को बड़ा झटका लगा।

रविंदर जाडेजा ने ७९ रन की साहसिक पारी खेलकर पूर्व कप्तान एमएस धोनी के साथ १०० से ज्यादा की पार्टनरशिप करके एक मौके पर भारत को जीत के काफी नजदीक ले गए।  लेकिन जाडेजा के आउट होने के बाद छका मरना के बाद धोनी रन आउट हो गए।