Home Blog Page 1029

दिल्ली में युवक को पीट-पीट कर मार डाला

मॉब लिंचिंग का कहर अब राजधानी दिल्ली तक पहुँच गया है। यहाँ चोरी के शक में  नाबालिग को पीट-पीट कर मार डाला।
रिपोर्ट्स के मुताबिक घटना दिल्ली के आदर्श नगर के लाल बाग इलाके की है। वहां  चोरी के शक में लोगों ने १४ साल के एक युवक की लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी है। घटना शुक्रवार रात की है। उधर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस मामले में छह  लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक जब लिंचिंग की घटना हुई, वहां मौजूद कुछ लोगों ने इस घटना का वीडियो बना लिया। जानकारी मिलने तक जब पुलिस मौके पर पहुंची तो युवक बेहोशी की हालत में पहुँच गया था। उसकी हालत को देखते हुए उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। इलाज के बीच ही उसकी मौत हो गई।
बताया गया है कि युवक जब एक घर में घुसा तो मकान मालिक ने उसे पकड़ लिया। शोर सुनकर आसपास के लोग वहां इक्कट्ठा हो गए। चोरी के शक में इन लोगों ने युवक को पीटना शुरू कर दिया। उसे पीट-पीट कर अधमरा कर दिया। पीटने से युवक  बेहोश हो गया। पुलिस के मुताबिक जब वह घटनास्थल पर पहुँची युवक की हालत नाजुक थी।
चोटों से उसके जिस्म से खून रिस रहा था। उसे अस्पताल ले जाया गया लेकिन वहां  उसकी जान चली गयी। उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस  मामले की जांच कर रही है। फिलहाल छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक युवक को ड्रग्स का चस्का था। अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि वह चोरी करने गया था या नहीं। जांच चल रही है।

कश्मीर में मुठभेड़, २ आतंकी ढेर

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में शनिवार सुबह सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच एक मुठभेड़ में लश्कर (एलईटी) के कमांडर सहित दो आतंकियों को मार गिराया है। एक  अन्य घटना में कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई है।

उधर पाकिस्तान की तरफ से हुई गोलीबारी में कुपवाड़ा में एक जवान शहीद हो गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में शनिवार को नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान ने सीजफायर का उल्लंघन करते हुए गोलाबारी की जिसमें एक जवान शहीद हो गया।

उधर ख़बरों के मुताबिक दक्षिण कश्मीर के बोनबाजार क्षेत्र में आतंकवादियों के होने की सूचना मिलते ही सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर सर्च अभियान जारी कर दिया। आतंकियों ने सेना पर गोलियां चलाईं लेकिन सुरक्षाबलों ने इसका करारा जवाब दिया।

सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को घेर लिया । दोनों ओर से लगातार फायरिंग हुई।   सर्च ऑपरेशन के बाद दो आतंकियों के शव मिले हैं।

मुंबई में बारिश का कहर ।मुंबई के पास बदलापुर में महालक्ष्मी एक्सप्रेस फंसी। NDRF ,नेवी, सेना राहत कार्य में लगी

मूसलाधार बरसात के चलते मुंबई एक बार फिर जलमग्न हो गई है। बारिश के चलते लोकल ट्रेन के अलावा मेल ट्रेनों की आवाजाही भी प्रभावित हुई है। शुक्रवार और देर रात से लगातार हो रही बरसात से कई इलाकों में पानी भर गया है। हालांकि मौसम विभाग ने शनिवार को भारी भारिश की चेतावनी दी थी। एयरपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार बारिश की वजह से 7 उड़ानें रद कर दी गईं और 17 फ्लाइट्स का रूट डायवर्ट कर दिए गए।

मूसलाधार बारिश की वजह से सबसे बड़ी खबर है कि मुंबई के पास बदलापुर और वांगनी के बीच मुंबई से निकली महालक्ष्मी एक्सप्रेस ट्रैक पर पानी भरने के कारण फंस गई है। मिली जानकारी के मुताबिक महालक्ष्मी एक्सप्रेस में 2 हजार यात्री फंसे हैं। ट्रेन में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने के लिए मौके पर NDRF और सेना पहुंच गई है। पटरियों में 2 फीट तक पानी भर गया था। एनडीआरएफ, नौ सेना और वायुसेना ने मिलकर अब तक 800 यात्रियों को रेस्क्यू कर लिया है। बचाव कार्य अभी भी जारी है।बोट और हेलीकॉप्टर के जरिए भी बचाव का कार्य चल रहा है।

सवाल उठाया जा रहा है कि जब मौसम विभाग में भारी वर्षा की चेतावनी जारी कर दी थी तो एहतियातन तौर पर ट्रेन को रोक देना चाहिए था। फिर भी ट्रेन क्यों रवाना की गई?

वैसे भी भारी वर्षा के चलते मुंबई और आसपास के इलाकों में पानी भर गया था। थाना, कल्याण, बेलापुर, डोंबिवली आदि इलाके जलमग्न हो चुके थे।

येदियुरप्पा चौथी बार मुख्यमंत्री बने

बीएस येदियुरप्पा शुक्रवार को चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री हो गए। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल वजुभाई वाला ने येदियुरप्पा को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

उन्होंने अकेले ही पद की शपथ ली। राज्यपाल ने उन्हें बहुमत सिद्ध करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। वे चौथी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने हैं। येदियुरप्पा कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष भी हैं। एक लिंगायत नेता के नाते येदियुरप्पा की राज्य की राजनीति में मजबूत पैठ है और अक्सर कहा जाता है कि वे इसी का फायदा उठाकर कई बार भाजपा आलाकमान की सलाह को भी नजरअंदाज  करने से नहीं हिचकते हैं।

यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि वे कैसे विधानसभा में अपना बहुमत साबित करेंगे। स्पीकर रमेश कुमार को अभी भी १५ बागी विधायकों के भविष्य पर फैसला करना है। जानकारों के मुताबिक यदि स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे नामंजूर कर  देते हैं तो येदियुरप्पा के लिए बड़ी दिक्कत आ सकती है।

गौरतलब है कि येदियुरप्पा ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का आज सुबह दावा पेश किया था और राज्यपाल ने उन्हें शाम ६ बजे शपथ के लिए बुलाया था। आजके शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व विदेश मंत्री एसएम कृष्णा भी मौजूद थे। वे अब भाजपा में ही हैं। राज्य भाजपा के तमाम बड़े नेता भी उपस्थित थे।

येदियुरप्पा की शपथ तब हुई है जब विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश को अभी १५ और बागी विधायकों को लेकर फैसला करना है जबकि तीन को स्पीकर ने गुरूवार को सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था। माना जाता है कि पहले शपथ का समय दोपहर १२.३० बजे का था और इसका पत्र भी तैयार हो गया था लेकिन बाद में में इसे काटकर ६ बजे कर दिया गया।

विश्वास मत के बाद सदन की जो स्थिति सामने आई  है उसके मुताबिक कांग्रेस-जेडीएस के पास ९९ और भाजपा के पास १०५ सदस्य संख्या है। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार बनाने की गंभीर कोशिशों में जुटे थे। ऐसा माना जाता है कि भाजपा आलाकमान उनकी इस  जल्दबाजी से सहमत नहीं थी और चाहती थी कि वे थोड़ा इन्तजार करें। लेकिन येदियुरप्पा को लग रहा था कि सरकार न बनने में देरी पर कहीं बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायक अपना इरादा न बदल लें।

यह माना जाता है कि येदियुरप्पा को लगता है कि भाजपा उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी लिहाजा वे हर हालत में मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। भले इसके लिए उन्हें भाजपा आलाकमान को नाराज करना पड़े। पिछले दिनों में येदियुरप्पा ने जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि से सरकार बनाने की अपनी इच्छा को लेकर संपर्क किया था, तो माना जाता है कि उन्हें कोइ गर्मजोशी भरा रेस्पांस नहीं मिला था।

आज़म खान की टिपण्णी पर लोक सभा में हंगामा

लोकसभा में गुरूवार को समाजवादी पार्टी के सदस्य आजम खान की अध्यक्ष ओम बिरला की अनुपस्थिति में सदन का संचालन कर रहीं वरिष्ठ सदस्य रमा देवी पर की टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को लोक सभा में जमकर हंगामा हुआ। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इसपर सख्त ऐतराज जताते हुए आज़म खान के ब्यान का  जबकि कुछ ने उनके निलंबन की मांग की। कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वे महिलाओं के अपमान का विरोध करते हैं और इस मामले को संसदीय कमिटी को भेजा जाए।

लोक सभा में भाजपा सहित कमोवेश सभी दलों के सदस्यों ने आजम खान के बयान का विरोध किया। आज़म के बयान पर खूब हंगामा हुआ। भाजपा सदस्यों स्मृति ईरानी और रविशंकर प्रसाद (दोनों मंत्री) ने आजम खान के निलंबन की मांग की।  टीएमसी सांसद मिमि चक्रवर्ती ने कहा कि पार्टियों से वैचारिक तौर पर मतभेद हो सकता है, लेकिन महिलाओं के सम्मान पर पूरे सदन करे एकजुट होना चाहिए।

मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लगभग पूरे सदन ने बयान की निंदा की है। जो शब्द उन्होंने (आजम खान) ने कहे हम उन्हें दोहराना भी नहीं चाहेंगे। पूरे देश ने जो यहां हुआ, वह देखा। मैं हर उस सदस्य की आभारी हूं, जो इसके विरोध में खड़ा हुआ। यह सिर्फ महिला का अपमान नहीं बल्कि उस महिला का भी अपमान है, जो स्पीकर की भूमिका में है।

लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह इस घटना का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन जिनके खिलाफ शिकायत है, उनका पक्ष भी सुना जाना चाहिए। बीजेपी सांसदों ने इस पर जबर्दस्त हंगामा किया। चौधरी ने कहा कि एथिक्स कमिटी इस पर विचार कर सकती है।

भाजपा सदस्य संघमित्रा मौर्या ने कहा कि कल जो सदन में हुआ है, हमारे की बीच के एक सांसद, जो पीठासीन अधिकारी के रूप में सदन में बैठी थीं, उन पर अशोभीय कॉमेंट किया गया। आजम खान को इसके लिए माफी मांगनी पड़ेगी। उन्होंने इस्तीफे के बात की है, हमें इस्तीफा नहीं, उनकी माफी चाहिए। उन्हें माफी मांगनी होगी।

तृणमलू कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि जो महिला का सम्मान नहीं जानता, वह देश की संस्कृति नहीं जानता है। जब लक्ष्मण जब राम के साथ वनवास में थे, तो उन्होंने कभी भी सीता जी का मुंह नहीं देखा। वह सीताजी के पांव देखते थे। जो बोला गया, वह अच्छा नहीं है। यह महिलाओं की भावनाओं को आहत करने वाला है। माता को देखा, बहन भी, जब लड़की पैदा हुई, तो अहसास हुआ कि बेटी क्या है। कोई बेटी, बहन को अपमान करेगा, तो मैं इसे सहन करने वाला आखिर इंसान होऊंगा।

विजय दिवस पर कारगिल के शहीदों को नमन

देश भर में कारगिल विजय दिवस की धूम के बीच शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी जा रही है। कारगिल विजय दिवस के २० साल पूरे होने के मौके पर पूरे देश में कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमान बड़े नेताओं ने देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की बधाई दी है। इस मौके पर जम्मू कश्मीर के द्रास में बने कारगिल वार मेमोरियल को दुल्हन की तरह सजाया गया है। हालांकि मौसम खराब होने के कारण कार्यक्रम श्रीनगर में किया गया है। इस कार्यक्रम में मुख्य अथिति राष्ट्रपति कोविंद थे जिन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। तीनों सेनाओं के प्रमुखों की मौजूदगी में समारोह की शुरुआत हुई और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी इस समारोह में शामिल रहे।

याद रहे २६ जुलाई, १९९९ को भारत ने कारगिल की चोटियों से घुसपैठ कर चुके पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ कर तिरंगा फहराया था। ऊंचाई पर दुश्मन के होने के  बावजूद सैनिकों के अविस्मरणीय शौर्य और बोफोर्स तोपों की मदद से देश के वीर सैनिक पाकिस्तान के दांत खट्टे करने में सफल रहे थे।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार सुबह शहीदों को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया – ”ये दिन कारगिल की चोटियों पर अपने सशस्त्र बलों की वीरता का स्मरण करने का दिन है।”

उधर पीएम नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर भारतीय सेना के वीरों को याद किया है। मोदी ने अपनी एक पुरानी तस्वीर ट्विटर पर शेयर करते हुए लिखा कि उन्हें भी १९९९ में कारगिल जाकर वीर जवानों से मिलने का मौका मिला था।

कारगिल दिवस के मौके पर खास कार्यक्रम भारतीय सेना की ओर से जम्मू-कश्मीर के द्रास वॉर मेमोरियल में आयोजित हो रहा है। राजधानी दिल्ली में भी इस मौके पर शहीदों को नमन करने के लिए कार्यक्रम आयोजिन किए जाएंगे। दिल्ली के इंदिरा गांधी इनडूर स्टेडियम में आयोजिन कार्यक्रमों में आज पीएम मोदी शिरकत करेंगे। मोदी ने विजय दिवस के मौके पर देशवासियों को बधाई देते हुए लिखा – ”कारगिल विजय दिवस पर मां भारती के सभी वीर सपूतों का मैं हृदय से वंदन करता हूं। यह दिवस हमें अपने सैनिकों के साहस, शौर्य और समर्पण की याद दिलाता है। इस अवसर पर उन पराक्रमी योद्धाओं को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। जय हिंद!”

इस बीच सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को पाकिस्तान को दोबारा ऐसी हरकत नहीं करने की नसीहत दी। जनरल रावत ने कहा कि अगली बार ऐसा करने पर पाकिस्तान को और करारा जवाब दिया जाएगा।

शाम ६ बजे येदियुरप्पा की शपथ

कर्नाटक में अपने पोलिटिकल थिएटर का संचालन करते हुए आखिर येदियुरप्पा शाम ६ बजे मुख्यमंत्री होने की अपनी ख्बाहिश पूरी कर लेंगे। माना जाता है कि भाजपा आलाकमान येदियुरप्पा की इस जल्दबाजी से इत्तेफाक नहीं रखती थी, लेकिन येदियुरप्पा के आगे उसे एक बार फिर हार माननी पड़ी। येदियुरप्पा ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का आज सुबह दावा पेश किया था और राज्यपाल ने उन्हें शाम ६ बजे शपथ के लिए बुलाया है।

येदियुरप्पा की शपथ की तैयारी तब हो रही है जब विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश को अभी १५ और बागी विधायकों को लेकर फैसला करना है जबकि तीन को स्पीकर ने गुरूवार को सदस्यता से बर्खास्त कर दिया था। माना जाता है कि पहले शपथ का समय दोपहर १२.३० बजे का था और इसका पत्र भी तैयार हो गया था लेकिन बाद में में इसे काटकर ६ बजे कर दिया गया।

विश्वास मत के बाद सदन की जो स्थिति सामने आई  है उसके मुताबिक कांग्रेस-जेडीएस के पास ९९ और भाजपा के पास १०५ सदस्य संख्या है। कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद कर्नाटक में येदियुरप्पा सरकार बनाने की गंभीर कोशिशों में जुटे थे। ऐसा माना जाता है कि भाजपा आलाकमान उनकी इस  जल्दबाजी से सहमत नहीं थी और चाहती थी कि वे थोड़ा इन्तजार करें। लेकिन येदियुरप्पा को लग रहा था कि सरकार न बनने में देरी पर कहीं बागी कांग्रेस-जेडीएस विधायक अपना इरादा न बदल लें।

यह माना जाता है कि येदियुरप्पा को लगता है कि भाजपा उनकी उम्र को देखते हुए उन्हें अगले विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं देगी लिहाजा वे हर हालत में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। भले इसके लिए उन्हें भाजपा आलाकमान को नाराज करना पड़े। पिछले दिनों में येदियुरप्पा ने जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आदि से सरकार बनाने की अपनी इच्छा को लेकर संपर्क किया था, तो माना जाता है कि उन्हें कोइ गर्मजोशी भरा रेस्पांस नहीं मिला था।

विधानसभा अध्यक्ष को अभी १५ और बागी विधायकों के बारे में फैसला करना है। गुरूवार को स्पीकर ने तीन विधायकों को अयोग्य करार दिया था। इन विधायकों में आर शंकर, रमेश जरकिहोली और महेश कुमथल्ली शामिल हैं। इससे पहले रमेश जरकिहोली और महेश कुमथल्ली के बारे में स्पीकर रमेश कुमार ने कहा था कि उन्होंने (दोनों विधायक) मुझे कभी सूचित नहीं किया कि वे ६ जुलाई को मेरे कक्ष में आए थे। उन्होंने एक गलत प्रारूप में इस्तीफा दिया। मैंने अपने सचिव को उनके पत्र लेने का निर्देश दिया था। अयोग्य विधायकों के बारे में स्पीकर ने कहा है कि वे  मौजूदा असेंबली भंग होने के बाद ही चुनाव लड़ सकेंगे।

ट्रम्प ने ‘दोस्त’ मोदी को डाल दिया मुश्किल में

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सचमुच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से कश्मीर मसले के हल के लिए मध्यस्थता करने को कहा था ? बड़ा सवाल है। ट्रम्प ने खुद अपनी कही बात का खंडन नहीं किया और न खुद पीएम मोदी ने ट्रम्प को झूठा  बताया। पीएम मोदी ट्रम्प को दोस्त कहते रहे हैं और यहाँ तक दावा करते हैं कि उनका ट्रम्प से रिश्ता ”तू-तड़ाक” बाला रहा है। ऐसे में ट्रम्प ने क्यों अपने ”दोस्त” को फ़ज़ीहत बाली स्थिति में डाल दिया, यह बड़ा सवाल है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तक ने सरकार का पक्ष रखा कि पीएम मोदी ने ऐसा नहीं कहा और मोदी सरकार शिमला समझौते और लाहौर घोषणा पर कायम है। सरकार इसे द्विपक्षीय (भारत और पाकिस्तान के बीच) का मसला मानती है।
ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने प्रेस कांफ्रेंस में मोदी के मध्यस्थता के आग्रह वाला दावा किया। जाहिर है भारत, खासकर खुद पीएम मोदी के लिए, यह बड़ी फ़ज़ीहत वाली बात बन गयी। ट्रम्प के ब्यान के सामने आते ही भारत में मोदी के खिलाफ बयानों का सिलसिला शुरू हो गया। विपक्ष, खासकर कांग्रेस इस मसले पर सरकार के खिलाफ हमलावर है। हो भी क्यों न। लोकसभा चुनाव में भाजपा का सारा फोकस ही कश्मीर/पाकिस्तान पर रहा था।
सरकार के सामने बड़ी पेचीदगी वाली स्थिति बन गयी। तुरंत विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश ने ट्वीट कर ट्रम्प के दावे को गलत बताया। अगले दिन संसद में विदेश मंत्री विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी भारत के रुख को साफ़ करते हुए कहा मोदी ने ऐसा कुछ ट्रम्प से नहीं कहा। मोदी के मित्र ट्रम्प ने ऐसा कहा क्यों, इस खुलासे से अभी तक पर्दा नहीं उठ पाया है।
हो सकता है मोदी अपने वर्तमान पांच साल के इस दूसरे कार्यकाल में भारत-पाक के बीच मसले के हल की कल्पना करते हों। हो सकता है ”बैक डोर चैनल्स” के जरिये ऐसी कोइ कोशिश शुरू भी हुई हो। पुलवामा के बाद बालाकोट के वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के वक्त उबाल को ठंडा करने में ट्रम्प की ”भूमिका” की चर्चा राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में होती रही है।
भारत में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो ट्रम्प को ”कुछ भी कह देने वाला नेता” बताते हैं। वे प्रमाण सहित पिछले कुछ उदहारण देते हैं और दावा करते हैं कि ट्रम्प कई बार ऐसे ”बेतुके ब्यान” और मसलों के सन्दर्भ में दे चुके हैं। वैसे यह सोचकर हैरानी ही होती है कि अमेरिका जैसे राष्ट्र (महाशक्ति) का राष्ट्रपति इतने संवेदनशील बिंदु के प्रति अनभिज्ञ हो और एक देश के प्रधानमंत्री के साथ बातचीत का झूठा हवाला देकर कोइ दावा कर दे !
चूँकि देश के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने संसद में ट्रम्प के दावे को गलत बताते हुए साफ़ किया कि पीएम मोदी ने ट्रम्प से ऐसा कुछ कहा ही नहीं तो हमारे पास उसपर भी अविश्वास करने का कोइ कारण नहीं। लेकिन एक सवाल अनुतरित ही रह गया कि न प्रेजिडेंट ट्रम्प ने अपने दावे का खंडन किया न पीएम मोदी ने ट्रम्प को झूठा कहा।
कुछ जानकारों को यह भी लगता है कि चूंकि मोदी खुद को ट्रम्प के ”दोस्त” की तरह पेश करते हैं, हो सकता है निजी बातचीत में उन्होंने कश्मीर के सन्दर्भ में कोइ बात की हो और ट्रम्प ने उसे ”मिस अंडरस्टुड” किया हो। या हो सकता है मोदी ने कश्मीर के हल को लेकर पाकिस्तान पर दवाब बनाने के लिए ट्रम्प को मदद का इशारा किया हो। या हो सकता हो मोदी कहना चाहते हों कि वे (मोदी) इस मसले के हल के इच्छुक हैं, क्या ट्रम्प इसमें कोइ रोल अदा कर सकते हैं।
जो भी हो ट्रम्प के दावे से देश में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इस मसले पर सरकार को घेर रही है। दरअसल यह मसला काफी गंभीर है। सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रम्प ने ऐसा दावा किया ही क्यों जिसमें भारत की फ़ज़ीहत होती हो। इस ब्यान से खुद व्यक्तिगत रूप से पीएम मोदी को भी फ़ज़ीहत झेलनी पड़ी है, भले उनके मंत्रियों ने ट्रम्प के ब्यान का लाख खंडन किया हो।
ट्रम्प के ब्यान का डिप्लोमैटिक स्तर पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान को लाभ मिला। गौर करिये, इस प्रेस कांफ्रेंस में इमरान ने ट्रम्प की जमकर बड़ाई की। इस प्रेस कांफ्रेंस से ऐन पहले ट्रम्प-इमरान की मुलाकात हुई थी लिहाजा ट्रम्प के ब्यान को शंका की नजर से भी देखा जा सकता है।
पाकिस्तान कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का समर्थन करता रहा है, जबकि भारत सख्त विरोध। ऐसे में ट्रम्प ने जब पीएम मोदी का नाम लेकर कश्मीर में मध्यस्थता के आग्रह का दावा कर दिया तो जाहिरा तौर पर यह भारत के लिए फजीहत वाली स्थिति बन गयी है। यह भी सवाल है कि क्या भारत डिप्लोमेटिक स्तर पर पाकिस्तान से कमजोर साबित हुआ है ?
कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के समय कभी अमेरिका भारत को लेकर ऐसा कोइ झूठा दावा करने की हिम्मत नहीं कर पाया था। इसलिए पीएम मोदी के लिए ट्रम्प का ब्यान कोइ छोटा मामला नहीं है।
पांच सवाल अब उठ रहे हैं। एक – क्या ट्रम्प से दोस्ती वाले रिश्ते का मोदी का दावा झूठा है ! दो – मोदी क्यों ऐसा कद नहीं बना पाए कि किसी देश का राष्ट्रपति उनका नाम लेकर उन्हें झूठ ”कोट” करने की हिम्मत न कर पाए ! तीन – क्या ट्रम्प पाकिस्तान को भारत की कीमत पर खुश रखने की कोशिश कर रहे हैं ! चार – क्या पाकिस्तान के मुकाबले यह भारत की डिप्लोमेटिक हार है ! पांच – क्या सचमुच मोदी ने ट्रम्प से निजी बातचीत में ऐसी बात कही और उन्हें भरोसा था कि दोस्त ट्रम्प इसे अपने तक सीमित रखेंगे !
कुल मिलाकर ट्रम्प ने ऐसा तीर छोड़ दिया है जो कभी म्यान में वापस नहीं लौटेगा। मोदी ने सचमुच ट्रम्प से ऐसा कुछ नहीं कहा था तो इससे ट्रम्प और मोदी के ”दोस्ती” वाले रिश्ते पर भी आंच आ सकती है। देश में विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया है और मोदी सोच रहे होंगे कि ”दोस्त ट्रम्प” ने आखिर उनके साथ ऐसा भद्दा मजाक क्यों किया !
विपक्षी कांग्रेस की मांग 
राज्य सभा में कांग्रेस दल के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा – डोनाल्ड ट्रंप के कश्मीर वाले बयान पर पीएम मोदी को सदन में सफाई देनी चाहिए।  डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी का नाम लेकर कहा है कि पीएम ने उनसे अनुरोध किया है कि वह कश्मीर के मसले को सुलझाने के लिए भारत-पाक के बीच में मध्यस्था करें।  अगर पीएम ने उनसे ऐसा नहीं कहा है तो उन्हें सदन में आकर बोलना चाहिए कि अमेरिका के राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं।
क्या बोले विदेश मंत्री
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस मसले पर लोक सभा में कहा – प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है। पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा। हम सदन को पूरी तरह आश्वस्त करना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया है। हम अपना रूख फिर से दोहराते हैं कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय तरीके से ही किया जाएगा। पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत सीमा पार से जारी आतंकवाद बंद होने के बाद, लाहौर घोषणापत्र और शिमला समझौते के अंतर्गत ही होगी।रक्षा मंत्री की सफाई 

कश्मीर मुद्दे पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता का प्रश्न ही नहीं उठता है। कश्मीर  मुद्दा हमारे लिए राष्ट्रीय स्वाभिमान का सवाल है। हम सब चीजों से समझौता कर सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्वाभिमान से समझौता नहीं कर सकते।
जानें, कहा क्या था ट्रम्प ने 
इमरान के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा – ”मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी। और उन्होंने (मोदी) वास्तव में कहा कि क्या आप (ट्रम्प)  मध्यस्थता करना या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?’ मैंने कहा, ‘कहाँ?’ (मोदी ने कहा) ‘कश्मीर।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्ष से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है।’’ बीच में हस्तक्षेप करते हुए इमरान ने कहा – ७० साल से चल रहा है। फिर ट्रम्प ने कहा – ”मुझे लगता है कि वे (भारतीय) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। मुझे लगता है कि आप (खान) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। और यदि मैं सहायता कर सकता हूं, तो मैं मध्यस्थ बनना पसंद करूंगा। यह होना चाहिए…. हमारे पास दो अद्भुत देश हैं जो बहुत होशियार हैं और जिनका नेतृत्व बहुत होशियार हैं, (और वे) इस तरह की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, तो मैं ऐसा करने को तैयार हूं।’ ट्रम्प ने कहा, ‘इसलिए इन सभी मुद्दों का हल होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने (मोदी) यही करने को कहा। इसलिए हो सकता है हम उनसे बात करें। या मैं उनसे बात करुंगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’’

महाराष्ट्र में सुखे पर चर्चा के लिए विशेष अधिवेशन की मांग।

मानसून के दौरान बरसात न होने की वजह से बिगड़ती जा रही किसानों की दशा पर चर्चा करने के लिए अपोजिशन ने 2 दिन के लिए विधानमंडल के विशेष सत्र बुलाने की मांग की है। विधानसभा में प्रतिपक्ष नेता विजय वडेटीवार ने कहा कि जुलाई समाप्त होने को है लेकिन राज्य के कई क्षेत्रों में बारिश बेहद कम हुई है। किसान 50 फ़ीसदी बुवाई भी नहीं कर पाए हैं इसलिए किसानों की मदद करने के लिए सरकार को तुरंत विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाना चाहिए।

बडेट्टीवार का कहना था कि कम वर्षा के चलते मौसमी फसल(खरीफ) को खतरा पैदा हो गया है। बुआई बर्बाद हो गई है धान के रोप मुरझा गए हैं और सोयाबीन की फसल खतरे में पड़ गई है। किसानों के पास फिर से बुवाई के लिए पैसे नहीं है । तकरीबन 3000000 किसान अब भी सरकार के कर्ज माफी से वंचित है।

कर्नाटक का बदला लिया कमलनाथ ने !

मध्य प्रदेश में भाजपा को तगड़ा झटका देकर सीएम कमलनाथ ने लगता है कर्नाटक का ”बदला” ले लिया है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार गिरने के एक दिन बाद ही मध्य प्रदेश में भाजपा को तब बड़ा झटका लगा जब उसके दो विधायक कांग्रेस के साथ चले गए। पहले कहा जा रहा था कि कर्नाटक के बाद भाजपा के निशाने पर मध्य प्रदेश होगा लेकिन कमलनाथ ने ऐसा खेल खेला कि भाजपा अपने जख्म सहलाती रह गयी।

कमलनाथ ने न केवल भाजपा के दो विधायक अपने साथ कर लिए, बल्कि उन्होंने बहुत चतुराई के साथ इन दो भाजपा विधायकों का वोट भी विधानसभा के भीतर एक बिल पर कांग्रेस के पक्ष में डलवाकर बहुमत सिद्ध कर दिया। अब मध्य प्रदेश में भाजपा की खूब खिल्ली उड़ रही है क्योंकि वो कमलनाथ सरकार के गिरने की बार-बार भविष्यवाणी कर रही थी।

विधायकों के कमलनाथ (कांग्रेस) के साथ आने की तब जाहिर हुई जब मध्य प्रदेश विधानसभा में आपराधिक कानून (संशोधन) पर मतदान के दौरान इन दो भाजपा विधायकों ने कमलनाथ सरकार के पक्ष में मतदान कर दिया। भाजपा खेमा भी कमलनाथ के इस कमाल से हैरान रह गया। कमलनाथ ने भाजपा के सरकार के बहुमत में न होने के दावे की पोल खोलने के लिए विधानसभा में उपरोक्त बिल पर विभाजन की मांग कर दी जिसके बाद पता चला कि भाजपा के दो विधायकों ने भी सरकार के हक़ में वोट डाला है।

दोनों विधायक नारायण त्रिपाठी और शरद कौल बाद में मुख्यमंत्री के साथ मीडिया के सामने भी आये और कमलनाथ के नेतृत्व में भरोसा जताया। कमलनाथ ने तंज़ कसते हुए कहा कि रोज भाजपा हमारी सरकार को अल्पमत की बता रही थी। ”अब साबित हो गया कि उसके दावे कितने झूठ थे।”