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राहुल समर्थक तंवर का कांग्रेस से इस्तीफा

कांग्रेस में एक और राहुल गांधी समर्थक अशोक तंवर पार्टी से बाहर हो गए हैं। हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष तंवर ने विधानसभा चुनाव में टिकटों को लेकर नाराजगी ही नहीं जताई थी बल्कि टिकट ”बेचने” तक का आरोप लगाया था। तंवर ने आखिर शनिवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया।

एक और राहुल समर्थक मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष रहे संजय निरुपम ने भी एक दिन पहले ही आरोप लगाया था कि ज़मीन से जुड़े और राहुल गांधी समर्थकों को एक-एक कर पार्टी से बाहर करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने इस सिलसिले में त्रिपुरा कांग्रेस अध्यक्ष किरीट प्रद्योत देब बर्मन भी कुछ ऐसी ही स्थिति से गुजर रहे हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले हरियाणा में कांग्रेस को उस समय झटका लगा जब दलित नेता पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वे टिकटों के वितरण के तरीके पर सख्त नाराजगी जताते हुए पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास के बाहर धरना भी दे चुके थे। उन्होंने पांच करोड़ रूपये में एक टिकट बेचने का आरोप लगाया है। तंवर के इस्तीफे से कांग्रेस को हरियाणा में झटका लगा है।

तंवर पिछले कुछ दिन से नाराज चल रहे थे। उन्हें ऐन चुनाव से पहले अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था और एक और दलित नेता कुमारी सैलजा को अध्यक्ष बनाया गया था। उनके आरोप के मुताबिक टिकट वितरण में उनकी घोर अनदेखी की गयी क्योंकि उनके मुताबिक टिकट कथित तौर पर पैसे लेकर बेचे गए। तंवर ने सोहना विधानसभा सीट का नाम लेकर आरोप लगाया था कि वहां टिकट ५ करोड़ रुपए में बेची गयी है। है। तंवर का भी यही आरोप था कि पार्टी के लिए जीजान लगाने वाले नेताओं को टिकट बंटवारे के दौरान अनदेखा कर दिया गया। उन्होंने पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा पर भी भड़ास निकाली थी।

हमारी ही मिसाइल का शिकार हुआ था हमारा एमआई-१७ : वायुसेना प्रमुख

भारतीय वायुसेना ने स्वीकार किया है कि बालाकोट के बाद २७ फरवरी को पाकिस्तान की तरफ से भारत की सीमा में आने के समय भारत का जो एमआई-१७  चॉपर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, वो हमारी ही मिसाइल का निशाना बना था। याद रहे इस हादसे में भारतीय वायुसेना के ६ अधिकारियों की मौत हो गयी थी। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शुक्रवार को माना कि ”यह एक बड़ी गलती थी”।

भारतीय वायुसेना के नवनियुक्त एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शुक्रवार को वायुसेना दिवस से पहले पहली प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित किया। इसमें उन्होंने कहा कि एमआई-१७ चॉपर दुर्घटना मामले की ”कोर्ट ऑफ इंक्वायरी” पूरी हो चुकी है।

भदौरिया ने कहा – ”इस दुर्घटना में हमारी गलती थी क्योंकि हमारी मिसाइल ने हमारे ही हेलिकॉप्टर को निशाना बनाया था। इस मामले में हम दो अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। हम स्वीकार करते हैं कि यह हमारी बड़ी गलती थी और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी गलतियां न दोहराई जाएं।”

उन्होंने कहा – ”बडगाम हादसा हमारी गलती थी । कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी से मालूम पड़ा कि एमआई १७ हेलीकॉप्टर हमारी अपनी ही मिसाइल से टकराया था । अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।”

बालाकोट कार्रवाई का प्रमोशनल वीडियो रिलीज
वायुसेना ने इस मौके पर एक प्रमोशनल वीडियो रिलीज की, जिसमें बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान वायुसेना के अदम्य साहस समेत वायुसेना की ताकतों का जिक्र किया गया । बाद में प्रेस कांफ्रेंस में भदौरिया ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा – ”आतंकी पोषित देश ने यदि फिर किसी आतंकी हमले को अंजाम दिया तो भारत फिर से एयरस्ट्राइक करने से पीछे नहीं हटेगा। सरकार के आदेश के बाद हम कार्रवाई करेंगे।”

वायुसेना के प्रमोशनल वीडियो के बारे में उन्होंने कहा – ”भारतीय वायुसेना अब बहुत कम समय में किसी भी बड़े हमले की जवाबी कार्रवाई करने में सक्षम है। हमारे पास भी आधुनिक से आधुनिक हथियार और क्षमता है। वायु सेना छोटे नोटिस में युद्ध लड़ने के लिए तैयार है।

एयर चीफ मार्शल ने कहा कि २७ फरवरी को पाकिस्तान के हवाई हमले के बाद हुई  लड़ाई में भारतीय वायु सेना ने एक मिग-२१ और पाकिस्तान ने एक एफ-१६ खो दिया था।

इस मौके पर भदौरिया ने कहा कि राफेल और एस-४०० एयर डिफेंस मिसाइल भारतीय वायु सेना की क्षमता को और बढ़ा देंगे। पाकिस्तान के भारतीय सीमा में हथियार छोड़ने के लिए ड्रोन का प्रयोग किए जा रहे हैं सवाल पर वायुसेना प्रमुख ने कहा कि छोटे ड्रोन एक नया खतरा हैं और इस मुद्दे से निपटने के लिए कुछ खरीद पहले से ही प्रक्रिया में हैं। ”यह क्षेत्र उल्लंघन का मुद्दा है और इस पहलू पर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी गई है”।

आरबीआई ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट घटाया

घर के लिए कर्ज लेनों वालों के लिए अच्छी खबर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार पांचवीं बार रेपो रेट में २५ आधार अंकों की कटौती करने की घोषणा की है। नया रेपो रेट घटकर अब ५.१५ फीसदी हो गई है। पहले यह ५.४० फीसदी थी।

आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट भी ४.९० फीसदी और मार्जिनल स्‍टैंडिंग फेसिलिटी (एमएसएफ) रेट और बैंक रेट घटाकर ५.४० प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई ने बाजार की उम्मीद के मुताबिक प्रमुख नीतिगत दर रेपो में ०.२५ फीसदी की कटौती कर दी है। रेपो दर ०.२५ प्रतिशत घटकर ५.१५ प्रतिशत पर आ गई है। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर का अनुमान ६.९ फीसदी से घटाकर ६.१ फीसदी कर दिया है।

रिजर्व बैंक ने अपने बयान में कहा – ”अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार के प्रोत्साहन उपायों से निजी क्षेत्र में खपत बढ़ेगी साथ ही निजी निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी। नीति में कटौती का लाभ आगे ग्राहकों तक पहुंचाने का काम आधा- अधूरा है।”

रेपो रेट घटने से कर्ज पर ब्याज की दर घटेगी जिससे कर्ज सस्ता होगा। बैंक से मिलने वाले लोन इससे सस्ते हो जाएंगे। रेपो रेट कम होने से होम लोन, ऑटो लोन समेत सभी के लोन सस्ते होते हैं।

राहुल बनाम सोनिया कांग्रेस !

संजय निरुपम व्यथित हैं। अशोक तंवर और ओर भी बहुत होंगे। लेकिन एक गंभीर और अहम खबर इस व्यथा और नाराजगियों से छनकर सामने आ रही है। कांग्रेस ”दोफाड़” हो गयी है – राहुल और सोनिया कांग्रेस में। तो क्या राहुल को अबके सोनिया के नजदीकी बुजुर्ग लोगों (नेताओं) ने सिर्फ इसलिए ”फेल’ करने की कोशिश में रोल अदा किया, क्योंकि वे राहुल के रहते अप्रसांगिक होने की तरफ बढ़ रहे थे और युवा नेता कांग्रेस का नेतृत्व ओढ़ने की तैयारी कर रहे थे !

दिल्ली के बंद कमरों में बैठकर सुदूर इलाकों के टिकट तय करने वाले यह बुजुर्ग नेता   राहुल के समय कमोवेश अप्रसांगिक हो रहे थे। राजनीति की भाषा में कहें तो इनकी ”दुकान” बंद हो रही थी। यह राहुल ही थे जिन्होंने अपने इस्तीफे के बाद यह कहने की हिम्मत की थी कि कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष चुनना चाहिए। लेकिन कांग्रेस के भीतर बुजुर्ग नेताओं ने राहुल की इस कोशिश को बहुत योजनाबद्ध तरीके से किनारे कर अस्वस्थ चल रहीं सोनिया गांधी को दोबारा कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया।

क्या कांग्रेस राहुल के युवा और सोनिया गांधी के बुजुर्ग साथियों के बीच बंट गयी है ? या संजय निरुपम और अन्य के भीतर की बैचेनी का कोइ और कारण है। कहीं संजय शिव सेना में जाने की भूमिका तो तैयार नहीं कर चुके। बड़े सवाल हैं, लेकिन एक बात सच है कि कांग्रेस में राहुल गांधी को किनारे करने की कोशिश हो रही है।

राहुल के काम करने के तरीके पर नजर दौड़ाएं तो साफ़ होता है कि वे कांग्रेस को लोकतंत्रिक तरीके से पुनर्जीवित करने की कोशिश रहे थे। ज़मीन से जुड़े लोगों और आम कार्यकर्ता की सलाह को फैसलों में शामिल करने की राहुल की कोशिश एक खुला सच है। इसी तरह टिकट वितरण में भी वे कार्यकर्ता की सलाह को शामिल करने पर जोर दे रहे थे। बुजुर्ग हो रहे या हो चुके नेता इससे विचलित थे। उन्हें लग रहा था कि इससे तो पार्टी में उन्हें कोइ पूछेगा तक नहीं। उन्हें यह बिलकुल गवारा नहीं था।

राहुल कांग्रेस में कितने अकेले हो चुके हैं यह उनकी गतिविधियों से जाहिर होता है। हाल के लोकसभा चुनाव में जनवरी तक वे पीएम मोदी को गंभीर टक्कट देते दिख रहे थे। लोकप्रियता दिखाने वाले सर्वे राहुल को लगातार मोदी के निकट आते दिखा रहे थे। लोग उनकी बातों को गंभीरता से सुन रहे थे।

लेकिन ”पुलवामा और बालाकोट ने” सारा परिदृध्य बदल दिया। मोदी (भाजपा) का ग्राफ अचानक दोबारा ऊपर चढ़ गया। यह देश की राजनीति का ऐसा घटनाक्रम था जिसमें राहुल का कोइ रोल, राजनीतिक दोष या नाकामी नहीं थी। यह ऐसा घटनाक्रम था जिसके असर को इतनी जल्दी और किसी राजनीतिक कलाबाजी से बदला नहीं जा सकता था। राहुल भी नहीं बदल सकते थे। इसलिए माहौल के जोर पर मोदी दोबारा ज्यादा ताकत के साथ सत्ता में लौट आये। लेकिन राहुल पार्टी की हार के बाद कांग्रेस के भीतर ”अकेले” से पड़ गए।

राहुल ऐसे नेता नहीं जो तिकड़मबाजी और समर्थकों की ताकत के बूते राजनीति करें। कांग्रेस में इसलिए वे अलग-थलग दिख रहे हैं। वे समर्थकों के होते हुए भी सोनिया के इर्द-गिर्द जमा बुजुर्ग नेताओं को चुनौती नहीं दे पायेंगे। विपक्ष से ज्यादा पार्टी के ही इन नेताओं ने कांग्रेस के भीतर यह विचार स्थापित कर दिया है कि राहुल पार्टी को चुनाव ”नहीं” जितवा सकते।

राहुल अध्यक्ष होते हुए भी मर्जी के फैसले नहीं कर पा रहे थे। आठ महीने पहले तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद मुख्यमंत्री चयन के समय ही यह साफ़ हो गया था। राहुल जिन्हें सीएम बनाना चाहते थे, वे नहीं बने। राहुल का जोर युवाओं को जिम्मा देने का था। ऐसा कांग्रेस की इस बुजुर्ग कोटरी ने ही नहीं होने दिया।

बहुत दिलचस्प बात है कि कांग्रेस की जो युवा ब्रिगेड आज राहुल गांधी के साथ है, इसे किसी और ने नहीं खुद सोनिया गांधी ने बनाया है पार्टी अधयक्ष रहते। तब राहुल और यह सभी नेता काफी युवा थे। सोनिया ने इन्हें बेटों की तरह पार्टी के भीतर बहुत योजनाबद्ध तरीके से ताकत दी। लेकिन समय का फेर देखिये कि सोनिया के अध्यक्ष रहते हुए ही यह युवा नेता किनारे हो रहे हैं

इसका कारण है सोनिया गांधी का बुजुर्ग नेताओं पर ज़रुरत से ज्यादा निर्भर हो जाना। कांग्रेस की जैसी हालत है उसमें शायद यह उनकी मजबूरी भी है। अन्यथा सोनिया आज से दस-ग्यारह साल पहले अध्यक्ष के नाते जितनी ताकतवर थीं, उसमें इस तरह की संभावनाओं के लिए जगह ही नहीं थी।

सोनिया की रणनीति कांग्रेस में बुजुर्ग और युवा नेताओं का साझा नेतृत्व बनाने की रही। यह ठीक भी है। लेकिन राहुल के अध्यक्ष बनने के बाद युवा जिस तरह उभरे, उसने बुजुर्ग नेताओं में असुरक्षा का भाव जगा दिया क्योंकि राहुल उन्हें यह सन्देश नहीं दे पाए कि वे उनका भी साथ चाहते हैं।

राहुल दरअसल कांग्रेस का ढांचा बदलना चाहते थे। वे पार्टी सिस्टम को ज्यादा खुला और लोकतांत्रिक बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि संगठन फैसलों से लेकर टिकट वितरण तक में कार्यकर्ता को इन्वॉल्व किया जाये। लेकिन बुजुर्ग नेताओं को लगता है कि इससे उनकी अपनी प्रसांगिकता ख़त्म हो जाएगी। जब असुरक्षा की यह भावना उनपर बहुत हावी हो गयी तो उन्होंने राहुल के साथ ही ”असहयोग” की नीति अपना ली। इसमें सिर्फ कांग्रेस का नुक्सान हुआ है।

सिर्फ छह महीने पहले तक कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी के भविष्य के पीएम उम्मीदवार  राहुल गांधी आज कांग्रेस में अकेले और चुपचाप हैं। उनके बनाये लोगों को सोनिया गांधी के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद एक-एक करके निपटा दिया गया है। उनके बहुत से समर्थकों को चुनावों में टिकट से महरूम कर उनकी ज़मीन ख़त्म की जा रही है। इनमें ज्यादातर ऐसे हैं जो ज़मीन से जुड़े कार्यकर्ता हैं और लगातार पार्टी के लिए काम करते रहे हैं।

राहुल अपने मन की कांग्रेस बनाने से कुछ कदम ही दूर रह गए, क्योंकि वे ”घाघ” टाइप के नेता नहीं हैं। यह राहुल ही कर सकते थे कि कांग्रेस में गैर गांधी अध्यक्ष बनाने की ईमानदार और बहुत लाभकारी सलाह दें, खुद अपना पद त्यागकर। भले इसके पीछे ”बहाना” लोकसभा चुनाव में हार का हो। राहुल कांग्रेस को कभी कमजोर नहीं कर रहे थे बल्कि एक ऐसा स्वरुप देने की कोशिश कर रहे थे, जो संगठन को ज़मीन से जोड़कर स्थाई मजबूती दे।

अब सोनिया गांधी और उनके बुजुर्ग सलाहकारों के सामने हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव कांग्रेस को जिताने की बड़ी चुनौती है। सभी टिकट उनकी मर्जी से बंटे हैं। जिम्मेदारियां उनकी मर्जी से दी गयी हैं। चुनाव प्रचार का पूरा नियंत्रण उनके लोगों के हाथ में है। ऐसे में कांग्रेस को जीतना चाहिए। नहीं जीती तो सोनिया के इन बुजुर्ग सलाहकारों के पास क्या जवाब होगा। राहुल के नेतृत्व में तो कांग्रेस ने २०१८ की दिसंबर में तीन प्रदेशों में विधानसभा चुनाव जीते थे।

मयंक दोहरा शतक बनाकर आउट

विशाखापत्तनम में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट के दूसरे दिन ओपनर मयंक अग्रवाल ने जबरदस्त खेल का प्रदर्शन करते हुए दोहरा शतक बना दिया है। हालाँकि २१५ रन पर उन्होंने अपना विकेट खो दिया।

उनसे पहले गुरूवार को कप्तान विराट कोहली (२०),  चेतेश्वर पुजारा (६) और अजिंक्य रहाणे (१५) सस्ते में आउट हो गए लेकिन मयंक अग्रवाल ने रोहित शर्मा के शानदार प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ते हुए शानदार बल्लेबाजी की और दोहरा शतक जड़ दिया। भारत ने अब तक पांच विकेट पर ४३६ रन बना लिए हैं और रविंदर जडेजा और हनुमा बिहारी खेल रहे हैं।

मयंक ने २२ चौकों और ५ छक्कों की मदद से २०० रन ३६० गेंदों में बनाये। दोहरा शतक पूरा करते ही मयंक ने एक छक्का मार कर दक्षिण अफ्रिका के गेंदबाजों को जाता दिया कि वे अभी थके नहीं हैं और ऊर्जा से भरपूर हैं। मयंक यह रिपोर्ट लिखे जाने तक २१० और अजिंक्या रहाणे १५ रन पर खेल रहे हैं। भारत का स्कोर ४ विकेट  पर ४३१ है और सम्भावना है कि कप्तान कोहली ५०० और ५५० के बीच पारी घोषित कर सकते हैं, यदि तब तक भारतीय पारी समाप्त नहीं होती है।

आज दूसरे ओपनर रोहित शर्मा, जिन्होंने कल शतक बनाया था, गुरूवार को दोहरे शतक की तरफ बढ़ते दिख रहे हैं लेकिन वे १७६ रन बना कर आउट हो गए। उन्होंने २४४ गेंदों में २३ चौकों और ६ छक्कों की मदद से अपनी शानदार पारी खेली। उनके आउट होने के बाद आये चेतेश्वर पुजारा कुछ ख़ास कमाल नहीं दिखा पाए और ६ रन बनाकर चलते बने।

उनके बाद कप्तान कोहली मैदान में उतरे और कुछ अच्छे हाथ दिखाने के बाद २० रन पर आउट हो गए जबकि अजिंक्या रहने भी ज्यादा कमाल नहीं दिखा सके और १५ रन पर आउट हो गए।

दूसरा दिन अभी तक मयंक अग्रवाल के नाम रहा है और वे नावाद हैं। वे भारत में अपना पहला टेस्ट खेल रहे हैं और दूसरे दिन के पहले सत्र में उन्होंने शतक पूरा किया था । लंच के बाद दोहरा शतक भी जड़ दिया। भारत की ओर से ऐसा १०वीं बार हुआ है, जब एक पारी में दोनों ओपनर्स ने शतक लगाया हो। उनसे पहले यह करिश्मा शिखर धवन और मुरली विजय ने अफगानिस्तान के खिलाफ पिछले साल बेंगलुरु टेस्ट में किया था।

आज खेल जब शुरू हुआ तो मयंक शतक से १६ रन दूर थे। शतक तक पहुँचाने में इस युवा बल्लेबाज को कोइ दिक्कत नहीं आई और उन्होंने मर्जी से शॉट खेले। मयंक ने अपना १००वां रन ६९वें ओवर में पूरा किया जब केशव महाराज की गेंद पर उन्होंने सिंगल लिया। इसके लिए मयंक ने २०४ गेंदों का सामना किया।

यह मयंक के टेस्ट करियर का पहला शतक है जो उनके बल्ले से ८वीं पारी में आया है। इससे पहले उनका व्यक्तिगत उच्च स्कोर ७७ था, जो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी में बनाया था।

जमानत के लिए चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट गए

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गुरुवार को आईएनएक्स मीडिया मामले में जमानत के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता इस समय न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद है। चिदंबरम ने मामले में उनकी जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के ३०  सितंबर के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह चिदंबरम से कांग्रेस का पूरा समर्थन जताने के लिए पिछले दिनों उनसे तिहाड़ जेल में मिलने गए थे।
गुरूवार को चिदंबरम का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ के सामने तत्काल सूचीबद्ध किए जाने के लिए मामले का उल्लेख किया। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी भी इस पीठ में शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि मामला सूचीबद्ध करने के संबंध में फैसला लेने के लिए चिदंबरम की याचिका प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के पास भेजी जाएगी। चिदंबरम की जमानत याचिका पर प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि हम केस सुनने के बाद फैसला करेंगे।

सैलजा, तंवर कांग्रेस की हरियाणा सूची में नहीं

कांग्रेस ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर को विधानसभा चुनाव में मैदान में नहीं उतारा है। तंवर पैसे देकर टिकट देने का आरोप लगा चुके हैं जिसके बाद उनकी भूमिका पर सवाल उठ गए हैं। कांग्रेस ने ९० सदस्यों की विधानसभा के लिए सभी ९० नामों का ऐलान कर दिया है।

कांग्रेस की केन्द्रीय चुनाव समिति ने बुधवार देर रात पहली सूची जारी की जबकि दूसरी सूची गुरूवार दोपहर जारी की गयी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई सीट से और कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कैथल विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगे। सूची में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर के नाम नहीं हैं।

कांग्रेस ने पहली सूची में रेणुका बिश्नोई को छोड़ पिछले चुनाव में जीते सभी विधायकों को टिकट दिए । राई में कांग्रेस ने आचार संहिता लगने से पूर्व इस्तीफा देने वाले विधायक जयतीर्थ दहिया पर विश्वास जताया है। रेणुका विश्नोई को अब हिसार जिले में बरवाला सीट से ही टिकट मिल सकता है। चूंकि, इस सीट पर अभी प्रत्याशी घोषित होना है।

कांग्रेस ने भजनलाल के दोनों बेटों पूर्व डिप्टी सीएम चंद्रमोहन बिश्नोई और विधायक कुलदीप बिश्नोई को टिकट दिया है। साथ ही बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के दामाद और पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के बेटे चिरंजीव राव को भी टिकट मिला है। अंबाला कैंट सीट पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा करीबी पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा को टिकट दिलाना चाह रहे हैं जबकि सैलजा अपना लोकसभा क्षेत्र होने के कारण अपने विश्वासपात्रों को टिकट देना चाह रही हैं। कैंट सीट पर उम्मीदवार घोषित होना है। हुड्डा के ज्यादा समर्थकों को टिकट मिले हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने १७ सीटें जीती थीं।

पार्टी ने कालका में पूर्व विधायक प्रदीप चौधरी, पंचकूला चंद्रमोहन, नारायणगढ़ शैली, अंबाला सिटी जसबीर मलौर, मुलाना वरुण चौधरी, साढौरा रेणु बाला, जगाधरी अकरम खान, यमुनानगर निर्मल, शाहाबाद अनिल धंतौती, थानेसर अशोक अरोड़ा, पिहोवा मनदीप सिंह चट्ठा, गुहला दिल्लू राम बाजीगर, कलायत जयप्रकाश, कैथल रणदीप सुरजेवाला, पुंडरी सतबीर सिंह जांगड़ा और नीलोखेड़ी में बंता राम बाल्मीकि को मैदान में उतारा है।

इसी तरह इंद्री से नवजोत कश्यप पंवार, करनाल त्रिलोचन सिंह, घरौंडा अनिल राणा, पानीपत ग्रामीण ओपी जैन, पानीपत शहरी संजय अग्रवाल, इसराना बलबीर बाल्मीकि, समालखा धर्म सिंह छोक्कर, गन्नौर कुलदीप शर्मा, राई जयतीर्थ दहिया, खरखौदा जयबीर बाल्मीकि, सोनीपत सुरेंद्र पंवर, गोहाना विधायक जगबीर मलिक, बड़ौदा श्रीकृष्ण हुड्डा, जुलाना धर्मेंद्र ढुल, सफीदों सुभाष देसवाल, जींद अंशुल सिंगला, उचाना कलां बलराम, नरवाना विद्या रानी, टोहाना परमवीर सिंह, रतिया जरनैल सिंह, कालांवाली शीशपाल केहरवाला, डबवाली अमित सिहाग, रानियां विनीत कंबोज, सिरसा से होशियारी लाल शर्मा पर दांव आजमाया है।

उधर ऐलनाबाद भरत सिंह बेनीवाल, आदमपुर कुलदीप बिश्नोई, उकलाना बाला देवी, नारनौंद बलजीत सिहाग, हांसी ओमप्रकाश पंघाल, हिसार रामनिवास, नलवा रणदहीर पनिहार, लोहारू सोमबीर सिंह, बाढड़ा रणबीर महेंद्रा, दादरी मेजर नपेंद्र सिंह सांगवान, भिवानी अमर सिंह, तोशाम किरण चौधरी, बवानीखेड़ा रामकिशन फौजी, महम आनंद सिंह दांगी, गढ़ी सांपला किलोई भूपेंद्र हुड्डा, रोहतक बीबी बत्रा, कलानौर शकुंतला खटक,  बहादुरगढ़ से राजिंदर जून तो टिकट दिया गया है।

पार्टी ने बादलीसे कुलदीप वत्स, झज्जर गीता भुक्कल, बेरी रघुबीर कादियान, अटेली राव अर्जुन सिंह, नारनौल नरेंद्र सिंह, महेंद्रगढ़ राव दान सिंह, नांगल चौधरी राजा राम गोलवा, बावल एमएल रंगा, कोसली यदुवेंद्र यादव, रेवाड़ी चिरंजीव राव, पटौदी सुधीर चौधरी, बादशाहपुर कमलवीर यादव,  गुरुग्राम सुखबीर कटारिया, सोहना शमशुद्दीन, नूंह आफताब अहमद, फिरोजपुर झिरका माम्मन खान, पुन्हाना मोहम्मद एजाज खान, हथीन से मोहम्मद इजराइल,  होडल उदयभान, पलवल करण दलाल, पृरघुबीर तेवतिया, फरीदाबाद एनआईटी नीरज शर्मा, बड़खल विजय प्रताप सिंह बल्लभगढ़ आनंद कौशिक, फरीदाबाद लक्ष्मण कुमार सिंगला और तिगांव से ललित नागर को मैदान में उतारा गया है।

रादौर से बिशन लाल सैनी, अम्बाला कैंट से वेणु सिंगला अग्रवाल, लाडवा से मेवा सिंह,   असंध से शमशेर सिंह विर्क गोगी, फतेहबाद से प्रह्लाद सिंह गिलानखेड़ा और बरवाला से भूपेंदर गंगौर को टिकट दिया गया है।

दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस को शाह ने दिखाई हरी झंडी

दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस गुरूवार को पटरी पर उतर गयी जब गृह मंत्री अमित शाह ने इसे हरी झंडी दिखाई। वैसे इस ट्रेन का व्यावसायिक संचालन ५ अक्टूबर से शुरू होगा। टिकटों की बुकिंग आईआरसीटीसी की वेबसाइट पर पहले ही आरम्भ हो चुकी है।

यह ट्रेन मंगलवार को छोड़कर सप्ताह के सभी दिन चलेगी। ट्रेन संख्या २२४३९ नई दिल्ली-कटरा वंदे भारत एक्सप्रेस नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से सुबह छह बजे रवाना होगी और दोपहर दो बजे कटरा पहुंचेगी। ट्रेन अंबाला कैंट, लुधियाना और जम्मू तवी में दो-दो मिनट रुकेगी। उसी दिन वापसी यात्रा पर ट्रेन संख्या २२४४० कटरा-नई दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस अपराह्न तीन बजे कटरा रेलवे स्टेशन से रवाना होगी और रात ११ बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचेगी।

नयी दिल्ली और श्रीमाता वैष्णो देवी कटरा के बीच चेयर कार (सीसी) का न्यूनतम किराया १६३० जबकि एग्जीक्यूटिव चेयर कार के लिए ३०१५ रुपय होगा। गौरतलब है कि हाई स्पीड ट्रेन चलने से दिल्ली और कटरा के बीच यात्रा का समय १२ घंटे से कम होकर आठ घंटे रह जाएगा।

रेलवे ने दिल्ली- कटरा वंदे भारत में भी ”डायनामिक फेयर” लागू नहीं किया है। दिल्ली और वाराणसी के बीच चलने वाली वंदे भारत में भी यह किराया प्रणाली लागू नहीं है। ट्रेन में रिवॉल्विंग चेयर सहित कई अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।

आदित्य ठाकरे ने भरा नामांकन

ठाकरे परिवार से चुनाव लड़ने वाले आदित्य ठाकरे पहले सदस्य होने जा रहे हैं। वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में वर्ली से मैदान में उतरे हैं। आदित्य ने गुरूवार को अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। इससे पहले उन्होंने बड़ा रोड शो निकाला। शिव सेना आदित्य को अगले मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रही है हालांकि उसकी सहयोगी भाजपा के गले शिव सेना की यह बात नहीं उतर रही।

ठाकरे परिवार से आदित्य के चुनावी रण में उतरने से विधानसभा चुनाव बहुत दिलचस्प और खास हो गया है। कारण यह भी है कि ठाकरे परिवार में महाराष्ट्र की  राजनीति के इतिहास में पहली बार कोई सदस्य चुनाव लड़ रहा है। गुरुवार को आदित्य ठाकरे ने अपना नामांकन भरा।

आदित्य शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के बेटे हैं और सेना की युवा विंग का जिम्मा भी उनके कंधों पर है। वे वर्ली विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में उत्तर रहे हैं। नामांकन दाखिल करने जाने से पहले आदित्य ने  दादा बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर के सामने दंडवत होकर आशीर्वाद लिया। नामांकन से पहले शिवसेना ने बड़े रोड शो का भी आयोजन किया।

गौरतलब है कि २०१४ में महाराष्ट्र विधानसभा की २८८ सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने अभी तक की सर्वाधिक १२२ सीटें हासिल की थीं जबकि शिवसेना ६३  सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही थी। गठबंधन के साथ कांग्रेस ने ४२ और सहयोगी  राकांपा ने ४१ सीटें जीती थीं। इस बार चुनाव का क्या नतीजा रहेगा, देखना होगा।

मध्य प्रदेश सड़क हादसे में ७ की मौत

मध्यप्रदेश में गुरूवार तड़के एक सड़क हादसे में ७ लोगों की मौत हो गयी है जबकि ३७ लोग घायल हुए हैं। हादसा तब हुआ जब रायसेन इलाके में एक यात्री बस दरगाह के पास पुल से रीछन नदी में गिर गई।

अभी तक की ख़बरों के मुताबिक हादसे में सात लोगों की मौत हो गई जबकि ३७  लोग घायल हुए हैं। हादसा देर गुरूवार तड़के डेढ़ बजे हुआ। बस भोपाल से छतरपुर जा रही थी। रात की वजह से अधिकतर यात्री नींद में थे।
मृतकों में दो साल का बच्चा और उसका पिता शामिल है। यात्रियों से खचाखच भरी बस जिस पुल से नदी में गिर गयी वहां पुल पर रेलिंग नहीं थी। यह बस इंदौर से छतरपुर जा रही थी। पहले दरगाह के पास बस रीछन नदी के पुल पर गड्ढे में फंस गई  और फिर बाहर निकलने की कोशिश में झटका खाकर करीब २० फुट नीचे नदी में जा गिरी।

सात यात्रियों की मौके पर ही मौत हो गई जबकि बस में सवार सभी लोग चोटिल हो गए हैं। गंभीर रूप से घायल ७ यात्रियों को इलाज के लिए जिला अस्पताल भेजा गया है। वहीं दो लोगों के लापता होने की भी सूचना है।

बस के पल से लुड़कते ही चीखपुकार मच गई। आवाज सुनकर स्थानीय लोग मदद के लिए पहुंचे। लोगों ने पुलिस को हादसे की सूचना दी जिसके बाद पुलिस एनडीआरएफ की टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच कर बचाव कार्य में जुट गई। हालांकि हादसे में ७ लोगों की मौत हो गयी। ख़बरों के मुताबिक पुलिस ने नदी से शवों को बाहर निकाला साथ ही घायलों को बस से निकालकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचाया। कुछ घायलों की हालत अभी गंभीर बने हुई है।