“हम किसी को फंसा नहीं रहे हैं”

आरुषि-हेमराज हत्याकांड की एक क़दम आगे तो दो क़दम आड़े चल रही सीबीआई जांच पर तहलका संवाददाता तुषा मित्तल ने सीबीआई के संयुक्त निदेशक और मामले के प्रभारी अरुण कुमार से बातचीत की।  

क्या आपको विश्वास है कि आपने असली क़ातिलों को पकड लिया है?

हां।

सीबीआई का कहना है कि उसके पास डॉ. राजेश तलवार के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है, फिर भी उन्हें सिर्फ ज़मानत पर रिहा किया गया। क्या उन्हें आरोपमुक्त किया जाएगा?

हमारे पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। जब हम आरोपपत्र दाखिल करेंगे तो उसमें सारी बातें साफ हो जाएंगी।

अगर उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं थे तो फिर उन्हें पचास दिनों तक हिरासत में रखने की क्या जरूरत थी?

शुरुआत में ये बात साफ नहीं थी। उनका पहला लाई-डिटेक्टर टेस्ट आधा-अधूरा था। इसके बाद उनका पॉलीग्राफ टेस्ट हुआ। जैसे ही इसके नतीजे हमें मिले हमने उन्हें रिहा करने के लिए कहा।

अगर कृष्णा और राजकुमार अपराधी थे तो वो फरार क्यों नहीं हुए? कृष्णा उसी कॉलोनी में रहता रहा जहां तलवार का घर है…

शायद हत्यारों को दोनों शवों के पाए जाने की उम्मीद ही नहीं रही होगी। स्थानीय पुलिस तुरंत ही हेमराज की तलाश में उसके दोस्तों के पास गई। एक और वजह ये हो सकती है कि अगर वो फरार हो जाते तो उन पर सीधे शक चला जाता।

सीबीआई का कहना है कि ये हत्या पूर्व नियोजित थी साथ ही आप ये भी कह रहे हैं कि हत्या दुष्कर्म की कोशिश में हुई। क्या ये दोनो बातें विरोधाभासी नहीं है?

मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा। मेरे लिए ये कहना सही नहीं होगा कि हमें इस बारे में पता नहीं है। हम इस बारे में आपको नहीं बता सकते।

राजकुमार के टी-शर्ट पर खून के धब्बे थे। क्या उनकी जांच हुई? क्या अभी कोई नतीज़ा नहीं मिला है?

हम नतीज़ों का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्होंने पीड़ित के मां-बाप और रिश्तेदारों के खून के ताज़ा नमूने मांगे है।

कृष्णा और राजकुमार के वकीलों का आरोप है कि उन्हें इकबालिया बयान देने के लिए यातनाएं दी गई।

जांच तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं में अलग-अलग लोगों ने कीं। लिहाजा उन्हें फंसाने का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता।

वकीलों का कहना है कि कृष्णा और राजकुमार को आरुषि के कमरे में नंगे पांव ले जाया गया और उन्हें आरुषी के बिस्तर पर लिटाया गया। आरोप है कि सीबीआई सुबूतों को गढ़ने की कोशिश कर रही है।

अगर हमने उन्हें आरुषि के बिस्तर पर लिटाया तो इससे कौन सा पहाड़ टूट पड़ा। ये कैसे सबूत बन सकता है? अपराध के 15 दिनों बाद कोई सबूत नहीं लिया जा सकता।

नुपुर तलवार ने बताया कि अमूमन वो आरुषि के कमरे की चाबी अपने तकिए के नीचे रखती थी। क़ातिल उस रात आरुषि के कमरे में घुसे कैसे?

उस दिन चाबी ताले में पड़ी रह गई थी। नुपुर तलवार ने हमें बताया कि हेमराज पर विश्वास होने के कारण कभी कभार वो चाबी ताले में ही लगी छोड़ देती थी।

हेमराज का खून आरुषि के तकिए पर कैसे आया?

हत्यारे इसे ले आए थे। उन्होंने पहले हेमराज का क़त्ल कर दिया और फिर जब वो वापस आरुषि के कमरे में लौटे तो उसका खून आरुषि के तकिए पर लग गया।

अगर उनका मकसद आरुषि का बलात्कार करने का था तो फिर इसके बजाय उन्होंने हेमराज की हत्या के बाद आरुषि का गला क्यों काट दिया?

उन्होंने पहले ही उसके सिर पर किसी भारी चीज़ से वार किया था, इससे लगी चोट काफी घातक थी, हो सकता है उन्हें लगा हो कि वो बच सकती है।

हम कब तक इस क़त्ल के रहस्य से पर्दा उठने की उम्मीद करें?

काफी कुछ पहले ही साफ हो चुका है। हमने कह दिया है कि हत्या में शामिल अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इक्का-दुक्का चीज़े पूरी करने की जरूरत है। हम उसी पर काम कर रहे हैं।