हेमंत का मनोबल बढ़ा, डर बरक़रार

डुमरी विधानसभा उपचुनाव का 8 सितंबर को नतीजा आ गया। इंडिया गठबंधन की झामुमो प्रत्याशी बेबी देवी ने रिकॉर्ड मत से जीत हासिल की। इस जीत से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की राजनीतिक परिपक्वता दिखी। उनका गठबंधन दल के बीच क़द बढ़ा। उनका मनोबल बढ़ा। उधर उपचुनाव परिणाम के दूसरे दिन यानी 9 सितंबर को हेमंत सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश होना था; लेकिन वह पेश नहीं हुए। हेमंत में गिरफ़्तारी का डर है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। इस बात की तस्दीक़ वह ख़ुद भी करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने ईडी के ख़िलाफ़ जो याचिका दायर की है, उसमें गिरफ़्तारी का डर दिखाया है। वहीं समय-समय पर हेमंत इस तरह का बयान भी दे रहे हैं।

सवाल है कि क्या हेमंत सोरेन पर लगे आरोप वाक़ई सही हैं? क्या वाक़ई 2024 के चुनाव से पहले हेमंत को गिरफ़्तार किये जाने की सम्भावना है? क्या केंद्र सरकार और भाजपा इस तरह की राजनीतिक साज़िश रच रही है?

राजनीतिक गलियारे की बातों को मानें, तो केंद्र सरकार का प्रयास तो यही दिख रहा है। जिस तरह से ग़ैर-भाजपायई राज्यों में ईडी, सीबीआई, आयकर आदि केंद्रीय जाँच एजेंसियाँ काम कर रही, उसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। हेमंत सोरेन पर लगे आरोप सही हैं या ग़लत? यह तो जाँच का नतीजा बताएगा। लेकिन फ़िलहाल जिस तरह से भाजपा आक्रामक है। जिस तरह से जाँच एजेंसियाँ एक के बाद एक परत खोलते हुए मुख्यमंत्री को लपेटने की कोशिश कर रही हैं। जिस तरह से हेमंत सोरेन लगातार बचाव का रास्ता तलाश रहे हैं। इस स्थिति में तो आने वाले दिनों में झारखण्ड की राजनीति में काफ़ी उठापटक होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

डुमरी उपचुनाव में जीत

राज्य में नवंबर-दिसंबर 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ था। हेमंत सरकार गठन के 3.5 साल हुए हैं। इस दौरान राज्य में कुल छ: विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें से रामगढ़ विधानसभा को छोड़ कर बाक़ी सभी पर सत्तारूढ़ गठबंधन ने जीत हासिल की। डुमरी विधानसभा क्षेत्र झामुमो नेता सह शिक्षा मंत्री स्व. जगरनाथ महतो का गढ़ माना जाता है। उन्होंने लगातार चार चुनाव यहाँ से जीता था।

महतो के निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजनीतिक परिपक्वता दिखाते हुए उनकी पत्नी बेबी देवी को पहले कैबिनेट मंत्री बनाया। फिर अपनी पार्टी झामुमो से प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा। बेबी देवी ने रिकॉर्ड 17,153 मत से जीत हासिल की। इस चुनाव में उन्हें एक लाख से अधिक वोट मिले। डुमरी विधानसभा उपचुनाव ने भविष्य का संकेत तो दे ही दिया। क्योंकि इंडिया गठबंधन और एनडीए ने उपचुनाव में पूरी झोंक रखी थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जीत के बाद कहा कि ‘डुमरी की यह प्रचंड जीत आग़ाज़ है 2024 का। जनता ने ठान लिया है कि झारखण्ड में सिर्फ़ जनतंत्र चलेगा, धनतंत्र नहीं। यहाँ सिर्फ़ झारखण्डियों की सरकार चलेगी।’

झामुमो के साथ मुस्लिम

डुमरी उपचुनाव में इंडिया गठबंधन के झामुमो, कांग्रेस और राजद की एकजुटतता दिखी। वहीं एनडीए के भाजपा और आजसू की ताक़त भी दिखी। दोनों दलों के प्रत्याशी को पिछले चुनाव से अधिक वोट मिले। उपचुनाव के परिणाम से एक बात साफ़ हो गयी है कि तमाम कोशिशों के बावजूद झामुमो का जनाधार अब भी अखण्ड है। पिछले चुनाव में झामुमो प्रत्याशी जगरनाथ महतो को कुल 71,000 से कुछ अधिक वोट मिले थे। भाजपा और आजसू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इनके दोनों प्रत्याशियों के वोट को जोडक़र देखा जाए, तो स्व. महतो क़रीब 6,000 वोट से जीते थे। इस बार हेमंत सोरेन की अगुवाई में झामुमो ने एक लाख से अधिक वोट हासिल किया। झामुमो और आजसू प्रत्याशी के बीच वोटों का अंतर भी 17,000 से अधिक रहा।

यह दिखाता है कि झामुमो के थ्री एम यानी माझी, मुस्लिम और महतो समीकरण को तोड़ पाने में भाजपा-आजसू का गठबंधन कामयाब नहीं हो सका। तमाम आरोपों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता बरक़रार है। एक ख़ास बात और रही कि सन् 2019 के चुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार को 26,000 से ज़्यादा वोट मिले थे। जबकि इस बार उपचुनाव में केवल 3,472 वोट मिले। यानी मुस्लिम वोट पूरी तरह से झामुमो के साथ गया। इंडिया गठबंधन के मज़बूत रहने, मुस्लिम वोट नहीं बँटने आदि 2024 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के लिए संजीवनी का काम करेगी। वहीं भाजपा को अपनी रणनीति पर विचार करना होगा।

हेमंत का बढ़ा क़द

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इंडिया गठबंधन के 14 सदस्यीय संयोजक सदस्यों में रखा गया है। इस वर्ष मार्च में रामगढ़ विधानसभा का उपचुनाव हुआ था। यहाँ कांग्रेस अपनी सीट नहीं बचा सकी। आजसू ने कांग्रेस की सीट को झटक लिया। वहीं, झामुमो ढुमरी उपचुनाव में अपनी सीच बचाने में कामयाब रहा। इससे हेमंत का गठबंधन में कद ज़रूर बढ़ेगा।

हालाँकि उनके क़द को कम करने के लिए विपक्षी दल भाजपा लगातार प्रयासरत है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी संकल्प यात्रा चला रहे। हेमंत सोरेन पर लगातार आरोप लगा रहे। अवैध खनन, ज़मीन फ़र्ज़ीवाड़ा, शराब घोटाला आदि की चर्चा करते हुए 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का दावा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने की बात कर रहे हैं।

ईडी बार-बार भेज रही समन

बाबूलाल मरांडी की बातों को ईडी पुष्ट कर रही है। ईडी ने अवैध खनन मामले में बीते साल 17 नवंबर, 2022 हेमंत सोरेन को तलब किया था। हेमंत से आठ घंटे पूछताछ हुई थी। अब ईडी उन्हें नये मामले ज़मीन फ़र्ज़ीवाड़ा में तीन बार समन कर चुकी है। ईडी ने हेमंत सोरेन को ज़मीन फ़र्ज़ीवाड़ा मामले में 14 अगस्त को पेश होने के लिए पहली बार समन भेजा। वह ईडी कार्यालय नहीं पहुँचे। इसके बाद दूसरी बार समन भेजकर उन्हें 24 अगस्त को बुलाया गया। इस बार भी वह ईडी के सामने नहीं आये और सुप्रीम कोर्ट का रुख़ कर लिया। हेमंत ने ईडी के ख़िलाफ़ याचिका दायर की।

इस बीच ईडी ने तीसरी बार समन जारी करते हुए 9 सितंबर को रांची स्थित जोनल कार्यालय बुलाया। हेमंत सोरेन इस दिन भी ईडी के सामने पेश नहीं हुए और पेशी के दिन ही अपने कमर्चारी के मार्फ़त पत्र भेज दिया। वह राष्ट्रपति द्वारा जी-20 को लेकर बुलाये गये रात्रि भोज में शामिल होने के लिए दिल्ली चले गये। पत्र में क्या लिखा? फ़िलहाल इसका ख़ुलासा नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दूसरे समन के बाद ईडी को पत्र लिखा था। सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने इस पत्र में समन को राजनीति से प्रेरित और ग़ैर-क़ानूनी बताया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने तक इंतज़ार करने का अनुरोध किया था।

सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने राजनीतिक से प्रेरित होने की बात ख़ारिज करते हुए हेमंत सोरेन को पत्र का जवाब भी दिया। पत्र में लिखा कि ईडी प्रोफेशनल एजेंसी है। यह साक्ष्य और क़ानून के अनुसार काम करती है। यह आपके द्वारा घोषित सम्पत्ति की जाँच नहीं है, बल्कि प्रोसिड ऑफ क्राइम से अर्जित सम्पत्ति के पहलुओं की जाँच है। पहली बार आपको 17 नवंबर, 2022 को अलग मामले में समन किया गया था। इस बार अलग मामले में बुलाया गया है। ईडी मनी लॉन्ड्रिंग (पीएमएलए) के तहत जाँच कर रही है।

गिरफ़्तारी की आशंका

ग़ौरतलब है कि ज़मीन फ़र्ज़ीवाड़ा मामले में रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन, कारोबारी विष्णु अग्रवाल समेत आठ लोग पहले से जेल में हैं। हेमंत सोरेन को भी पूछताछ के दौरान अपनी गिरफ़्तारी की आशंका है। इसलिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर की है। रिट पिटीशन में उन्होंने पीएमएलए की धारा-50 और 63 की वैधता की चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि ईडी धारा-50 के तहत बयान दर्ज करने की कार्रवाई के दौरान ही गिरफ़्तार कर लेती है।

इसलिए समन जारी करने के बाद गिरफ़्तारी का डर बना रहता है। हेमंत ने कोर्ट से ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताते हुए स्थगित करने और पीडक़ कार्रवाई नहीं करने का आदेश देने का अनुरोध किया है। गिरफ़्तारी का डर उनके समय-समय पर बयान में भी झलकता है। हाल में उन्होंने एक जनसभा में कहा कि राज्य में जबसे हमारी सरकार बनी है, तब से विपक्ष इसे गिराने में लगा है। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर मुझे जेल भेजने की कोशिश की जा रही है। जब तक वह मुझे जेल भेजेंगे, तब तक झारखण्ड को मज़बूत कर दूंगा।’

नये दाँव की सम्भावना

हेमंत की रिट याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और फ़ैसले का इंतज़ार है। उधर तीसरे समन के बाद भी हेमंत सोरेन ईडी के सामने पेश नहीं हुए। अब ईडी क्या रुख़ अपनाती है? इसका इंतज़ार किया जा रहा है। क्योंकि फ़िलहाल सुप्रीम कोर्ट से कोई आदेश नहीं आया है; इसलिए ईडी स्वच्छंद है। सूत्रों की मानें, तो ईडी एक बार फिर समन भेजने की तैयारी में है। साथ ही क़ानूनी रास्ता अपनाने के लिए भी विचार कर रही है।

लोकसभा चुनाव में अभी छ: महीने का समय है। तय समय अनुसार राज्य में विधानसभा चुनाव में लगभग डेढ़ साल बाक़ी है। चुनाव से पहले हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी हो या न हो; दोनों ही स्थिति में राजनीति गतिविधियाँ तेज़ रहेंगी।

सूत्रों की मानें, तो हेमंत सोरेन नया दाँव खेलने की तैयारी भी कर रहे हैं। वह एक बार फिर विशेष सत्र बुलाकर स्थानीयता और ओबीसी आरक्षण संबंधित विधेयक (जिसे राज्यपाल ने वापस कर दिया था) पारित कर राज्यपाल को भेज सकते हैं। जिससे जनता के एक ख़ास समुह का साथ बरक़रार रहे।