सरबत खालसा बुलाने का अधिकार सिर्फ अकाल तख़्त प्रमुख को है: एसजीपीसी

पुलिस से भाग रहे अमृतपाल सिंह के मामले के बीच शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कहा है कि सरबत खालसा सभा बुलाना केवल अकाल तख्त प्रमुख का विशेषाधिकार है। याद रहे फरार चल रहे अमृतपाल सिंह ने अपने वीडियो में सिख समुदाय से जुड़े मुद्दों पर चर्चा के लिए सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख़्त के प्रमुख से सरबत खालसा की सभा बुलाने को कहा है।

एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि अमृतपाल सिंह  वह उसकी निजी इच्छा है। सरबत खालसा बुलाना या न बुलाना किसी और नहीं बल्कि अकाल तख्त का ही विशेषाधिकार है।

उन्होंने कहा – ‘चूंकि जत्थेदार सिख समुदाय का नेतृत्व करता है, इसलिए वह प्रत्येक निर्णय गहन विचार के साथ लेता है और सिख विद्वानों और बुद्धिजीवियों की राय लेता है। जत्थेदार देखेंगे कि मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर क्या किया जाना चाहिए।  इसमें कोई संदेह नहीं है कि अमृतपाल सिंह के करीबी कई सिखों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया, जो गंभीर चिंता का विषय है।’

ग्रेवाल ने कहा – ‘हाल में 27 मार्च को जत्थेदार के आह्वान पर अकाल तख्त पर 100 सिख संगठनों की एक सभा हुई थी। सभा का एकमात्र एजेंडा पुलिस की कार्रवाई के बाद बनी स्थिति पर चर्चा करना था। गहन बैठक के बाद, जत्थेदार एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचे और पुलिस कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किए गए सिख युवकों को रिहा करने के लिए पंजाब सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया।’

याद रहे अजनाला पुलिस स्टेशन पर हमला करने की घटना के बाद से कट्टरपंथी उपदेशक और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह 18 मार्च से फरार है। पुलिस उसे तलाश कर रही है। उसकी उपस्थिति को लेकर भी कई भ्रामक जानकारियां सामने आई हैं।

बता दें आखिरी सरबत खालसा का आयोजन 16 फरवरी, 1986 को हुआ था। उस समय ज्ञानी कृपाल सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार थे। अमृतपाल सिंह ककी घटना सामने आने के बाद जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने पंजाब सरकार को ‘अल्टीमेटम’ दिया था कि अमृतपाल सिंह और उसके ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के खिलाफ 18 मार्च से शुरू हुई कार्रवाई के दौरान पकड़े गए सिख युवकों को रिहा किया जाए। अब पंजाब सरकार ने हिरासत में लिए गए 360 में से 348 प्रदर्शनकारियों को रिहा कर दिया है।