सत्ता के लिए द्वेशपूर्ण राजनीति

क्या चुनाव जीतने और विपक्षियों को कमज़ोर करने की कोशिश में लगी है मोदी सरकार?

शैलेंद्र कुमार ‘इंसान’

सन् 2014 से अब तक ईडी 3,010 से ज़्यादा जगहों पर छापेमारी कर चुकी है। वहीं इस दौरान सीबीआई ने 118 विपक्षी नेताओं को शिकंजे में लिया है। ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद भी एक डेटा के मुताबिक, नौ वर्षों में ईडी सिर्फ़ नौ मामलों में ही आरोपियों को दोषी सिद्ध कर पायी है। ये नौ मामले काफ़ी छोटे प्रोफाइल थे। इन नौ वर्षों में बड़े नेताओं पर 221 मामले ईडी के पास हैं। इनमें 115 मामले विपक्षी दलों के ऊपर हैं। यानी 95 फ़ीसदी मामले विपक्षी दलों के नेताओं के ऊपर हैं, जिसमें कई मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों के नाम शामिल हैं। इससे साफ़ पता चलता है कि सरकार ईडी के ज़रिये देश को एक अच्छा संदेश देने के बजाय नेताओं, पत्रकारों और उद्योगपतियों सहित व्यापारियों को भी डराने-धमकाने का काम कर रही है, जिससे सारे लोग सरकार के पक्ष में रहें और उसके ख़िलाफ़ कुछ भी न बोलें। अगर वे भाजपा सरकार यानी मोदी सरकार का विरोध करेंगे, तो उनके ऊपर ईडी, सीबीआई और आईटी के छापे पड़ेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी विभिन्न याचिकाओं के मद्देनज़र ईडी की कार्रवाई को देखते हुए अब उसकी शक्तियों की न्यायिक समीक्षा सर्वोच्च न्यायालय को करना पड़ रहा है। इसे लेकर सरकार की तरफ़ से बार-बार यही दुहाई दी जा रही कि सुप्रीम कोर्ट को ईडी के शक्तियों की न्यायिक समीक्षा नहीं करनी चाहिए। इससे पहले भी ईडी के पूर्व डायरेक्टर संजय मिश्रा के तीन बार कार्यकाल बढ़ाने के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर भी इसी प्रकार की दलीलें दी गयी थीं और बार-बार अनुरोध किया था कि उनको इस पद पर बने रहने दिया जाए। अब फिर दलीलें दी जा रही कि सुप्रीम कोर्ट ईडी की शक्तियों की न्यायिक समीक्षा एक महीने के लिए स्थगित कर दे। इस तरह के अनुरोध से साफ़ पता चलता है कि ईडी महज़ विरोधियों को परेशान करने की मशीनरी बन गयी है, जिसे मनमानी करने का पूरा ह$क केंद्र सरकार ने दे रखी है। राजनीतिक जानकारों और विपक्षी नेताओं का आरोप है कि केंद्र सरकार 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के लिए ईडी का इस्तेमाल कर रही है, जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के लिए किसी ख़तरे से कम नहीं है।

कथित शराब घोटाला मामले में दिनेश अरोड़ा को सरकारी गवाह बनाकर संजय सिंह की गिरफ़्तारी तो हो गयी; लेकिन अब संजय सिंह की जमानत मामले में राउज एवेन्यु कोर्ट ने ईडी से जवाब माँगा है। 4 अक्टूबर से गिरफ़्तार संजय सिंह ने हाई कोर्ट में अपनी गिरफ़्तारी को चुनौती दी थी; लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहकर जमानत अर्जी खारिज कर दी कि उनकी गिरफ़्तारी सही है। संजय सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाज़ा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में केंद्र और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को नोटिस जारी किया है और उनसे गिरफ़्तारी के संबंध में 11 दिसंबर से पहले जवाब दाख़िल करने को कहा है।

इसी मामले में फरवरी माह में पहले सीबीआई ने मनीष सिसोदिया पर शिकंजा कसा, फिर उसके अगले महीने ईडी ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया। गिरफ़्तारी के आठ महीने बाद भी सुबूत नहीं होने पर कई सवाल खड़े हुए। पहले उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दाख़िल की, तो हाईकोर्ट ने यह कहकर जमानत देने से इनकार कर दिया कि उनके ऊपर गम्भीर आरोप हैं। इसके बाद सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट पहुँचे; लेकिन वहाँ से भी उन्हें जमानत नहीं मिली। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से आरोपी के ख़िलाफ़ सुबूत दिखाने को कहा। 

इससे पहले 30 मई को ईडी ने सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ़्तार किया था। उस समय दिल्ली के उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया ने सत्येंद्र जैन पर लगे आरोपों को फ़र्ज़ी बताया था। उन्होंने कहा था कि सत्येंद्र जैन के ख़िलाफ़ 8 साल से फ़र्ज़ी मामला चलाया जा रहा है। फ़िलहाल सत्येंद्र जैन अभी ख़राब स्वास्थ्य के चलते सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये बेल पर हैं और अपना इलाज करा रहे हैं। ईडी जिस तरह कारवाई कर रही है, उससे यही कयास लगाया जा रहा है कि अब अगला नंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का है। ईडी ने जिस दिन सांसद संजय सिंह को गिरफ़्तार किया था, उसी दिन केजरीवाल से पूछताछ के लिए समन जारी कर दिया था। आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ईडी को पत्र लिखकर जवाब माँग चुके हैं कि वह उन्हें क्यों बुलाना चाहती है? अपनी गिरफ़्तारी की आशंका के बीच वह विधायकों के साथ मीटिंग कर पूछ चुके हैं कि उनके जाने के बाद सरकार कैसे चलेगी? इसको लेकर वह दिल्ली की जनता से भी पूछ रहे हैं कि अगर उन्हें गिरफ़्तार किया जाता है, तो क्या उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए या जेल से ही सरकार चलानी चाहिए? इसके लिए वह जनता के बीच रायशुमारी में लगे हुए हैं कि उन्हें आगे क्या करना चाहिए?

देखा जाए, तो आम आदमी पार्टी के गठन के 11 साल में 17 से ज़्यादा बड़े नेता गिरफ़्तार हो चुके हैं। ये वो गिरफ़्तारियाँ हैं, जिसमें मंत्री से लेकर सांसद, विधायक शामिल हैं। आँकड़े बताते हैं कि दिल्ली विधानसभा चुनाव, 2020 में जीतने वाले आप विधायकों में से 50 फ़ीसदी से ज़्यादा के ख़िलाफ़ गम्भीर आपराधिक मामले दर्ज कराये गये हैं और ये सारे मामले लंबित हैं।

आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार की अगर बात करें, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर कुल 27 मामले लंबित हैं। इनमें 13 गम्भीर आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज हैं। वहीं मनीष सिसोदिया पर कुल 12 मामले लंबित हैं। इनमें से तीन गम्भीर आईपीसी धारा के तहत दर्ज हैं। दिल्ली की मौज़ूदा शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना के ख़िलाफ़ कुल एक मामला गम्भीर आईपीसी के तहत दर्ज है। सत्येन्द्र जैन के ख़िलाफ़ कुल दो मामले गम्भीर आईपीसी के तहत दर्ज हैं। सोमनाथ भारती के ख़िलाफ़ कुल 27 मामले दर्ज हैं, जिनमें से छ: गम्भीर आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज हैं। अमानतुल्ला $खान के ख़िलाफ़ कुल 32 मामले दर्ज हैं, जिनमें 12 गम्भीर आईपीसी धाराओं के तहत दर्ज हैं। गोपाल राय के ख़िलाफ़ कुल तीन मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक गम्भीर आईपीसी धारा के तहत दर्ज है। राज कुमार आनंद के ख़िलाफ़ कुल तीन मामले दर्ज हैं, जिनमें से एक गम्भीर आईपीसी धारा के तहत दर्ज है। राम निवास गोयल एक मामला दर्ज है। दिलीप पांडे के ख़िलाफ़ भी कई मामले दर्ज हैं। इस प्रकार देखा जाए, तो कुल 38 विधायकों पर एक या उससे ज़्यादा मामले दर्ज कराये गये हैं और लगभग सभी मामले लंबित हैं।

26 नवंबर को आम आदमी पार्टी के 12वें स्थापना दिवस के मौ$के पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कथित भ्रष्टाचार के मामले जेल में बंद अपने साथी मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, सत्येंद्र जैन और विजय नायर को याद करते हुए कहा कि पिछले 11 वर्षों में आप को जितना टारगेट किया गया है, उतना किसी अन्य राजनीतिक दल को नहीं किया गया है। केजरीवाल ने कहा कि ‘पिछले 11 वर्ष में आप के ख़िलाफ़ 250 मामले दर्ज किये गये। लेकिन कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं मिला। यही हमारी ईमानदारी का सुबूत है। ईडी, सीबीआई, आईटी, दिल्ली पुलिस कोई एजेंसी नहीं छोड़ी। मोदी ने देश के सभी एजेंसियों को आम आदमी पार्टी के पीछे छोड़ दिया। लेकिन आज तक इन्हें एक भी सुबूत या एक भी पैसे की हेराफेरी नहीं मिली और एक भी पैसे की रिकवरी नहीं हुई है। आज मेरा मन थोड़ा भारी है। जब मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संजय सिंह और विजय नायर हमारे साथ नहीं हैं। उन लोगों को फ़र्ज़ी केस बनाकर जेल में डाल दिया गया है। भाजपा वालों को दूसरी पार्टियों के नेताओं को झुकाना आता है। लेकिन उन्हें आम आदमी पार्टी को झुकाना नहीं आता। यह हम सबके लिए गर्व की बात है कि आज तक हमारा एक भी विधायक न बिका, न टूटा। उनके परिवार भी मज़बूती के हमारे साथ खड़े हैं।’

आम आदमी पार्टी के अलावा कांग्रेस के भी कई नेताओं के ख़िलाफ़ मामले दर्ज हैं। चाहे वो सोनिया गाँधी हों, चाहे राहुल गाँधी हों या दूसरे कुछ नेता। अभी हाल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ख़िलाफ़ भी ईडी ने महादेव सट्टेबाज़ी एप से 508 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का मामला दर्ज किया; लेकिन कोर्ट में जाकर महादेव एप का प्रमोटर रिश्वत मामले से मुकर गया। हैरानी की बात यह है कि बिना कोई ठोस सुबूत सामने आये भाजपा नेता और मंत्री भूपेश बघेल को बदनाम करते रहे। अब जब आरोप साबित नहीं हो पाया, तो सब $खामोश हैं। 

इसी तरह शिवसेना (यूबीटी), झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद), राष्ट्रीय जनता दल और भारत राष्ट्र समिति के अलावा कई विपक्षी पार्टियों के ख़िलाफ़ मामले दर्ज हैं। हाल ही में हुए इंडिया गठबंधन के करीब आठ पार्टियों के कई बड़े नेता अभी ईडी के रडार पर हैं, जिनमें पाँच राष्ट्रीय पार्टियों के और अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के नेता हैं। आरोप लग रहे हैं कि केंद्र सरकार चुनावी फ़ायदे और विपक्षी नेताओं को कमज़ोर करने के लिे ईडी, सीबीआई, आईटी और पुलिस का इस्तेमाल कर रही है। यदि ऐसा है, तो इसे द्वेशपूर्ण राजनीति ही कहा जाएगा। हालाँकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ ही मामले दर्ज हो रहे हैं, सत्ता पक्ष के नेताओं के ख़िलाफ़ भी मामले दर्ज हुए हैं; लेकिन ये मामले विपक्षी नेताओं ने दर्ज कराये हैं।