‘महात्मा गांधी की नीति से देश आगे बढ़ेगा, विदेशी कंपनियों से नहीं’

मुझे नहीं लगता कि अन्ना हजारे का परिचय करवाने की जरूरत है. शाहरुख खान के जाने के बाद भी जिसे देखने और सुनने के लिए आप सारे लोग बैठे हैं मुझे नहीं लगता कि उसके परिचय की जरूरत है. मेरी दादी  कहती थीं कि बचपन में वे पहचानती थीं कि पोस्टकार्ड कैसा होता है, इंदिरा गांधी कौन हैं और वे जानती थीं कि लता मंगेशकर कौन हैं. आज अगर मेरी दादी होती तो वे शायद अन्ना, हजारे को भी जानतीं. अन्ना सब लोग जानना चाहते हैं कि आपकी तबीयत कुछ खराब थी. अब कैसी तबीयत है आपकी.

अभी तबीयत ठीक है. लड़ाई के लिए मैं तैयार हो गया हूं.

डॉक्टरों को परेशानी है कि आप उनकी बात नहीं सुनते हैं. आराम नहीं करते हैं.

आराम हराम है. देश के लिए काम करते रहना चाहिए. शरीर एक दिन जाना है. जब जाना है तो उससे कुछ काम कर लेना है. सिर्फ खाना, पीना और जाना इसके लिए नहीं है शरीर. समाज, देश के बारे में सोचना है. इसलिए मैं सवेरे पांच उठता हूं और रात में दस बजे तक काम करता रहता हूं. 

लोग कहते थे कि क्रांति दो बार नहीं होती. आपने पिछले साल दो बार करके दिखाया. जब देश के चालीस साल के युवा नेता अस्सी साल के बुजुर्गों के जैसा व्यवहार कर रहे थे, तब आप 17 साल के युवा की तरह जोश से भरे हुए दिख रहे थे. इतनी ऊर्जा, इतना उत्साह, इतनी ताकत अन्ना कहां से लाते हैं?

ऐसा नहीं है. युवा शक्ति हमारे लिए राष्ट्रशक्ति है. 16 अगस्त, 2011 का आंदोलन आपने देखा होगा तो करोड़ों युवा सड़क पर आ गए थे. यह हमारे लिए आशा की बात है. मुझे कहने में कोई झिझक नहीं कि सरकार ने हमारे साथ धोखा किया.वे जनलोकपाल नहीं लेकर आए. बार-बार धोखाधड़ी की. लेकिन 2014 से पहले उन्हें जनलोकपाल लाना ही पड़ेगा, वरना जाना पड़ेगा. सिर्फ लोकपाल ही नहीं राइट टू रिजेक्ट, ग्रामसभा को ताकत,  राइट टू रिकॉल ये सब कानून हमें बनाने हैं. हो सकता है इसमें कुछ समय लगे. 10-15-20 साल तक हम इसके लिए लड़ेंगे. अगर ये कानून बन गए तो देश से 90 फीसदी भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा. वह काम हमें करना है. ये मैं नया नहीं लड़ रहा हूं. 26 साल की उम्र में मैं सेना में था. मैंने भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में हिस्सा लिया. मेरे सारे साथी शहीद हो गए. खेमकरन की सीमा पर मैंने प्रण किया कि अब यह मेरा पुनर्जन्म है. यह जीवन अब देश के लिए अर्पण है. मैंने शादी नहीं की क्योंकि खतरा था कि चूल्हा जलाने में ही सारा समय बीत जाएगा. वहां से मैं अपने गांव वापस लौट आया. फिर मैंने मॉडल गांव बनाया. वहां मैंने देखा कि भ्रष्टाचार हो रहा है. तब मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन अपने हाथ में लिया. वहां मैंने छह भ्रष्टाचारी कैबिनेट मंत्रियों को इस्तीफा दिलवाया. 400 से ज्यादा भ्रष्ट अधिकारियों को वापस भेजा. इसके बाद मैं दिल्ली आया. 

अन्ना, मैं युवा नेताओं की बात कर रहा हूं. जब आपका आंदोलन चल रहा था तब बहुत-से युवा नेता जिन्हें देश का भविष्य कहा जा रहा था उनकी हमें कहीं आवाज सुनाई नहीं दी. 

क्या है कि नेताओं का सामाजिक-राष्ट्रीय दृष्टिकोण संकुचित हो गया है. सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता. हमारे बहुत-से नेता समझते हैं कि श्मशान भूमि में जाते समय भी चेयर पर बैठकर ही जाना चाहिए. इतना कुर्सी से चिपक गए हैं. इसीलिए देश की यह हालत बन गई है.

जिन अच्छे और चरित्रशील लोगों को अरविंद चुनाव लड़ाएंगे हम उनकी जांच करेंगे. सबको नहीं, जो चरित्रवान होंगे उनका समर्थन हम करेंगे’

अन्ना, यह बताएं कि आप कह रहे हैं कि जनलोकपाल 2014 तक पास हो जाएगा. लेकिन अभी आपका आंदोलन थोड़ा-सा बंटा है. आपके एक महत्वपूर्ण सहयोगी आपसे अलग हो गए हैं. क्या इससे ताकत कम हुई है?

ऐसा समझने का कोई कारण नहीं है. हमारे रास्ते दो हो गए हैं लेकिन मंजिल हमारी एक ही है-भ्रष्टाचार मुक्त भारत. आज की सड़ी राजनीति को दुरुस्त करने के लिए दोनों रास्तों की जरूरत है. संसद में चरित्रशील लोगों को भेजने के लिए वह भी जरूरी है. वह भी देश की भलाई के लिए है. हमारा रास्ता आंदोलन का है. जहां-जहां भ्रष्टाचार दिखता है उसके खिलाफ आंदोलन करते रहना और व्यवस्था को बदलना. इसलिए तो मैं अरविंद को कह चुका हूं कि आप अगर ईमानदार और चरित्रवान लोगों को चुनाव में खड़ा करेंगे तो हम उनका समर्थन करेंगे और उन्हें संसद में पहुंचाने की कोशिश करेंगे. ऐसे लोग संसद में जाने चाहिए. आज संसद में 163 लोग दागी हैं, 15 केंद्रीय मंत्रियों पर आरोप है. आज संसद के शुद्धीकरण की जरूरत है. तभी भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी. आज भी हम एक-दूसरे को अलग नहीं मानते हैं. अरविंद आज भी बीच-बीच में फोन करके मेरा हाल-चाल पूछते रहते हैं. तो यह सोचना बिल्कुल गलत है कि हमारे बीच कोई मतभेद है. देश को बदलने के लिए दोनों ही रास्ते जरूरी हैं.

अरविंद का तो सबको पता है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाई है. नवंबर में वे पार्टी के नाम की घोषणा करने वाले हैं. अब आपका क्या रास्ता होने वाला है? 

हम लोग 30 जनवरी से पूरे देश की यात्रा करेंगे. आज हमारे पास लाखों लोगों के पत्र आए हैं मेरे साथ जुड़ने के लिए. आर्मी के सौ अधिकारियों के पत्र मेरे पास आए हैं. नौ आईएएस अधिकारी हैं, सात आईपीएस हैं. ऐसे लोग मेरे साथ जुड़ रहे हैं. हम लोग एक महीने से छंटाई कर रहे हैं. तो हमें इनमें से ईमानदार, स्वच्छ छवि के लोगों को चुनना है. यह काम चल रहा है. भारत भ्रमण के बाद 2014 तक मेरे साथ लाख नहीं करोड़ों लोग जुड़ चुके होंगे. ग्राम स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर, जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर संगठन का निर्माण करेंगे. एक बार यह संगठन खड़ा कर लेने पर सरकार की नाक दबाने से उसका मुंह खुल जाएगा. यह हमारा लक्ष्य है. पूरे देश में एक बड़ा संगठन खड़ा करना है. अभी हमें जंतर मंतर पर भीड़ नहीं करनी है, रामलीला मैदान पर भीड़ नहीं करनी है. गांधीजी के, जेपी के, और विनोबा के जो विचार थे उनके आधार पर हमें काम करना है. ग्राम स्तर पर जाकर लोगों के साथ काम करना है.

अन्ना, मैं यह जानना चाहता हूं कि राजनीति में जाने में क्या बुराई थी. आप राजनीति से इतना चिढ़ते क्यों हैं.

मैं राजनीति में जाने को दोष नहीं मानता. मेरा दुख है कि हमारी राजनीति में सामाजिक और राष्ट्रीय दृष्टिकोण का अभाव हो गया है. सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता ही मुख्य ध्येय बन गया है. ये लोग आजादी के बलिदान और उसकी महत्ता को भूल गए हैं. लाखों लोगों की कुर्बानी को ये लोग भूल गए हैं. इसीलिए मुझे आज की राजनीति पसंद नहीं आ रही है. मेरा मानना है कि राजशक्ति पर जनशक्ति का अंकुश लगाना जरूरी है. इसी रास्ते से देश में बदलाव आएगा.

पर अगर राजनीति गंदी है और आप और हम जैसे लोग इसमें नहीं जाएंगे तो राजनीति साफ कैसे होगी?

इसीलिए तो मैंने अरविंद को भेजा ना, इस राजनीति को सुधारने के लिए. और हम बाहर से राजनीति पर दबाव बनाने का काम करेंगे तो दोनों रास्तों से मिलकर राजनीति का शुद्धीकरण होगा. अगर गंदी राजनीति को सही करना है तो अच्छे लोगों को राजनीति में आना होगा. इसीलिए अरविंद को मैंने राजनीति में जाने का समर्थन किया है. मैंने कहा अरविंद से कि तुम राजनीति में जाओ. मैं समाज को इकट्ठा करके सहयोग करूंगा. मेरा विरोध राजनीति से नहीं है. मेरा विरोध मर्यादा और नैतिकताविहीन राजनीति से है. हमने हमेशा लोकतंत्र का इसीलिए तो समर्थन किया है. तो राजनीति से विरोध कैसे हो सकता है. आज देखिए 2जी घोटाला, कोयला घोटाला क्या-क्या हो रहा है. क्या राजनीति इसलिए है. राजनीति से देश का भविष्य सुधारना है.

तो अरविंद केजरीवाल की पार्टी को पूरा सहयोग करेंगे.

मैंने बताया न कि जिन अच्छे और चरित्रशील लोगों को अरविंद चुनाव लड़ाएंगे हम उनकी जांच करेंगे. सबको नहीं, जो चरित्रवान होंगे उनका समर्थन हम करेंगे. हम वहां की जनता से कहेंगे कि यह विकल्प है इसे वोट दो. 

अन्ना, अखबारों में खबर आ रही है कि जनरल वीके सिंह अब आपके लिए अरविंद केजरीवाल की भूमिका निभा रहे हैं.

जी हां. जनरल वीके सिंह हमारे साथ जुड़ गए हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि आप देश में जो डेढ़ साल घूमने वाले हैं मैं भी आपके साथ घूमूंगा. ये हमारे घर में बैठे दुश्मन से लड़ाई है. अभी हम दोनों मिलकर यह लड़ाई लड़ेंगे.

‘आरोप लगना कोई नई बात नहीं है. सतयुग से ऐसा होता रहा है. जिस पेड़ में फल लगता है उस पर सब पत्थर मारते हैं’

आपको लगता है कि भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ा मसला है या इस समय भ्रष्टाचार के अलावा भी देश में कुछ मुद्दे हैं जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए?

नहीं, बहुत-सी समस्याएं हैं देश में, लेकिन भ्रष्टाचार बहुत महत्व का मुद्दा है. यह महारोग है. और विश्व के स्तर पर. तहलका ने ये जो थिंक कार्यक्रम आयोजित किया है उसके लिए मैं उनको धन्यवाद देना चाहता हूं. आज भ्रष्टाचार के साथ पर्यावरण, पानी की समस्या है. आज भ्रष्टाचार के साथ प्रकृति का जो दोहन हो रहा है वह बहुत बड़ा खतरा है. आज पानी का निजीकरण हो रहा है. जंगल का निजीकरण हो रहा है. विदेशी कंपनियों के हाथ देश का पानी, जंगल, खनिज संपत्ति सब कुछ बिक रहा है. आज देश के ज्यादातर लोगों को इसकी गंभीरता का अंदाजा नहीं है. लेकिन इसका बोझ सबके ऊपर पड़ेगा. हम विदेश से लोगों को बुला रहे हंै. हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं विदेशी कंपनियों के निवेश के बिना इस देश का विकास नहीं हो सकता. अरे हम लोग काम कर रहे हैं, आकर देखिए न. मॉडल गांव बनाकर दिखाया है न. महात्मा गांधी कहते थे कि इस देश की अर्थनीति को बदलने के लिए गांव की अर्थनीति को मजबूत करना होगा. जब तक गांव की अर्थनीति नहीं मजबूत होगी तब तक देश की अर्थव्यवस्था नहीं मजबूत होगी. पर प्रधानमंत्री जी को यह बात समझ में नहीं आती है. हमारा पानी खराब हो रहा है, जमीन बिगड़ रही है, हवा प्रदूषित हो गई है. हमने भी गांवों का विकास किया है. लेकिन एक भी विदेशी पैसा नहीं लिया है, मानवता का दोहन नहीं किया है, प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचाया है, प्रकृति ने जो दिया है उसी को संचित कर लिया. बारिश के पानी से जमीन को रिचार्ज कर दिया. जिन गांवों में तीन सौ एकड़ जमीन पर एक फसल के लिए पानी नहीं था आज वहां डेढ़ हजार एकड़ जमीन पर दो फसलों के लिए भरपूर पानी है. जिस गांव में अस्सी फीसदी लोग भूखे थे वहां से आज सब्जी विदेश में सप्लाई होती है. यह गांव की अर्थनीति है.

अन्ना, यह बात तो ठीक है, लेकिन जैसे ही आप आंदोलन शुरू करते हैं लोग आपके ऊपर आरोप लगाते हैं कि आप आरएसएस के साथ मिलकर काम करते हैं.

यह कोई नई बात नहीं है. सतयुग से यही होता आ रहा है. एक बात मान लीजिए कि जिस पेड़ में फल लगता है उस पर सब पत्थर मारते हैं. ऐसे लोगों की चिंता नहीं करनी है. आपके अंदर पांच गुण होने चाहिए. शुद्ध आचार, शुद्ध विचार, निष्कलंक जीवन, जीवन में त्याग और अपमान को सहन करने की शक्ति. ये पांच गुण अगर हैं तो कितना भी कोई निंदा करे, कोई फर्क नहीं पड़ता है.  सत्य कभी पराजित नहीं होता है भले ही समय लगे. निंदा करने वाले को करने दो. हार्ट अटैक से लोग मरते हैं. ऐसे मरने के बजाय देश और समाज के लिए काम करते हुए अगर मृत्यु आ जाए तो यह हमारे लिए सौभाग्य की बात होगी.

मैं एक बार फिर से अरविंद केजरीवाल की बात पर आता हूं. वे भी लंबे समय से सामाजिक कार्यों से जुड़े रहे, आपने भी समाज के कामों में लंबा जीवन बिताया है. साथ मिलकर आप दोनों ने बहुत ही सफल आंदोलन चलाया. अब आप अलग हो गए हैं. क्या यह अच्छा नहीं होता कि आप दोनों मिलकर आगे बढ़ते? आप बेहतर प्रत्याशी चुनने में उनकी मदद करते. वे आपके आंदोलन को आगे बढ़ाने में आपका साथ देते.

आज तो लाखों लोग हमसे जुड़ रहे हैं. डेढ़ साल बाद आपको दिखेगा कि करोड़ों लोग हमारे साथ जुड़े होंगे. हमें बहुत कुछ करना है. राइट टू रिजेक्ट हमें लाना है. दस उम्मीदवार हैं आखिरी चिह्न डाल दो उसमें नापसंद का. वोटर देखेगा कि सारे गुंडे और भ्रष्ट हैं तो वह नापसंदी पर मुहर लगा देगा. अगर ज्यादा वोट नापसंदी को मिलता है तो चुनाव कैंसिल. आठ करोड़-दस करोड़ एक चुनाव में बांटते हो. एक चुनाव कैंसल हो जाएगा, सारा पैसा पानी में चला जाएगा तो दिमाग ठिकाने आ जाएगा इन लोगों का.

आप कह रहे हैं कि राजनीति से कोई विरोध नहीं है, लेकिन ऐसा भी कुछ लोग कहते हैं कि आपने अपने क्षेत्र में कभी किसी को चुनाव प्रचार नहीं करने दिया.

ऐसी बात नहीं है. मैं किसी को मना नहीं करता हूं. पर मैं किसी व्यक्ति विशेष को वोट देने के लिए भी नहीं कहता. चाहे किसी का चुनाव हो मैं किसी से नहीं कहता कि वोट किसे देना है. शुरू शुरू में हम गांव के लोग साथ बैठकर ऐसा करते थे. तब राजनीति में अच्छे लोग थे. पर आज तो राजनीति में चरित्रशील लोगों को खोजना मुश्किल हो गया है. मैं कहता हूं कि जो पसंद हो उसे दे दो.

अन्ना, एक छोटा-सा सवाल है कि कपिल सिब्बल से आप इतने नाराज क्यों हैं?

नहीं मैं नाराज नहीं हूं. वो क्या है कि वे झूठ इतना बोलते हैं कि मुझे गुस्सा आ जाता है. बहुत झूठ बोलते हैं. मैंने उनसे कहा कि जनलोकपाल का ड्राफ्ट बनाने के लिए जनता की हिस्सेदारी कर दो. जनतंत्र में सरकार और जनता मिलकर ड्राफ्ट बनाए और संसद में उस विचार हो. तो कपिल सिब्बल बोले कि बाहर के लोगों को क्या लेना. मैंने कहा कि वे बाहर के नहीं हैं. वे तो हमारे मालिक हैं. आप उनके सेवक हैं. आप उन्हें बाहरी कह रहे हैं. तब उन्हें बात समझ में आई. फिर कमेटी बनाई, तीन महीने तक हमारी मीटिंग चली और फिर वे अचानक पल्टी मार गए. बोले हम नहीं करेंगे.

आपने शरद पवार के लिए भी बोला कि सिर्फ एक ही थप्पड़ क्यों. वे ये कहते हैं कि गांधीवादी अन्ना हिंसा और मारपीट की बात करते हैं.

अभी शरद पवार से हमारी दोस्ती है. ऐसा है कि 1991 में वन विभाग में बड़ा घोटाला हुआ था. मैंने उन्हें खूब सबूत दिए थे और कहा कि इसकी जांच करवा लो. शरद पवार मुख्यमंत्री थे. आज पूरी दुनिया पर्यावरण की चिंता करती है. पर उन्होंने कुछ किया ही नहीं. तब मैंने अपना पद्मश्री पुरस्कार राष्ट्रपति को वापस कर दिया. तब भी वे कुछ करने को तैयार नहीं हुए. लेकिन लोग इस घटना से जग गए, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तब मैं अनशन पर बैठ गया.  फिर इतने लोग जागरूक हो गए कि शरद पवार की सरकार ही चली गई. तब जाकर कार्रवाई हुई.
आज कमी इसी बात की है. हम लोग आपस में इतना लड़ रहे हैं. लोग नारा लगा रहे हैं कि अन्ना हजारे आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं. और पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं है. यह देश की लड़ाई है. देश के हर नागरिक को सड़कों पर उतर कर लड़ना होगा तभी भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण होगा. यह सिर्फ अन्ना हजारे की लड़ाई नहीं है.