नेता वो नहीं जो हिंसा का नेतृत्व करे : जनरल रावत

विश्वविद्यालयों में छात्र हिंसा की सख्त शब्दों में की निंदा

देश भर में नागरिकता क़ानून और एनआरसी को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने गुरूवार को यूनिवर्स्टीज में हो रहे प्रदर्शनों पर सवाल खड़ा किया है। जनरल रावत ने कहा, ”नेता वे नहीं हैं जो हिंसा करने वाले लोगों का नेतृत्व करते हैं।” गौरतलब है कि आजकल जनरल रावत को देश का पहला चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाये की चर्चा जोरों पर है, हालांकि सरकार की घोषणा का अभी इंतजार है।

राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम में जनरल रावत ने देशभर में (नागरिकता विरोधी) प्रदर्शनों और इस दौरान हुई तोड़फोड़ पर कहा – ”नेता वे नहीं जो हिंसा करने वाले लोगों का नेतृत्व करते हैं। छात्र विश्वविद्यालयों से निकलकर हिंसा कर रहे हैं। हिंसा भड़काना नेतृत्व करना नहीं है।”

कार्यक्रम में सेना प्रमुख ने कहा कि नेता वे नहीं जो लोगों को गलत दिशा में ले जाए। उन्होंने कहा – ”हाल के दिनों में हमने देखा है कि किस तरह बड़ी संख्या में छात्र कॉलेजों और विश्वविद्यालयों से निकलकर आगजनी और हिंसा करने के लिए लोगों और भीड़ का नेतृत्व कर रहे हैं। हिंसा भड़काना नेतृत्व करना नहीं।”

अपने भाषण में सेना प्रमुख ने किसी ख़ास यूनिवर्सिटी का नाम नहीं लिया। हालांकि देश में नागरिकता क़ानून और एनआरसी को लेकर जारी विरोध और विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो। ‘आज हम सब बड़ी संख्या में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं। यह नेतृत्व क्षमता नहीं है।”

नेतृत्व पर अपने विचार बताते हुए हुए सेना प्रमुख ने कहा – ”यह आसान नहीं बल्कि बहुत मुश्किल काम है। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि लीडरशिप एक मुश्किल काम है क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं तो बड़ी संख्या में लोग आपको फॉलो करते हैं। यह दिखने में सामान्य लगता है, लेकिन यह बहुत-बहुत मुश्किल काम है क्योंकि आपके पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ है।”

इस मौके पर जनरल ने सीमा पर मुश्किल हालत में भी देश की सेवा की सराहना की और कहा कि आज हम खुद को ठंड से बचाने के लिए कई तरह के गर्म कपड़े पहने हुए हैं, इसे देखते हुए मैं अपने अन जवानों को श्रद्धा जताना चाहता हूं जो सियाचिन में सॉल्टोरो रिज और अन्य ऊंचाई वाले स्थनों पर सीमा की सुरक्षा के लिए खड़े रहते हैं, जहां तापमान माइनस से भी ४५ डिग्री तक नीचे रहता है।