जनता के प्रधानमंत्री

रोमन शासक जूलियस सीजर ने अपने पुराने दोस्त ब्रूटस से आखिरी जो शब्द कहे थे। वे थे ‘तुम भी मेरे बच्चे।’ यह बात लिखी है रोमन इतिहासकार सुटोनियस ने। रोमन सिविल वार में राजधानी पर विजय हासिल हुई और सिंहासन भी मिला। सीजर की पहचान उसकी हिम्मत, बहादुरी से होती है। उसने रुबिकॉन नदी पार की। अपने विरोधी पोंपेई को उसने पदास्त किया। सीजर ने अपने नेतृत्व का कौशल दिखाया जिसके चलते वह औरों से कहीं अलग था। वह जन आंदोलन के मंच पर आया, बेहद नाटकीय तरीके से। उसने अपनी जि़ंदगी के शुरूआती दिनों में ही यह पहल ली। धीरे-धीरे रोम की जनता के दिल में उसने अपनी छाप छोड़ी।

सीजर एक कुशल सैनिक योद्धा था। वह अपने अर्धसैनिकों से छापा मुकाबलों में भी कामयाब रहता था। रण के मैदान में या तो वह एक ऊंची पहाड़ी से अपनी सेनाओं को ऊंचा दिखाई देता था या फिर युद्ध के मैदान में वह सैनिकों के बीचों-बीच होता था। वह उनका नेतृत्व करता था। वह सैनिकों में खासा लोकप्रिय था। सैनिक उसके इरादे के प्रति समर्पित थे। उनके लिए वह महान था।

नेता वह नहीं होता जो खुद को वैसा बना लेता है जैसा समाज चाहता है बल्कि सच्चा नेता वह होता है जो खुद को योग्यता और अपने कर्म के चलते जनता में अपनी छवि बनाता है। ऐसी छवि पहले कभी सीजर की थी। आज नरेंद्र मोदी की है। मोदी की असल ताकत उनका फोकस और ध्यान है। वे अकेले जीत पर केंद्रित रहते हैं। उनका फोकस और उनकी जबरदस्त छवि एक अजेय योद्धा के तौर पर उभरती है। एक जनरल और सैन्य रणनीति के कुशल जानकार कार्ल वॉन क्लॉजविट्ज ने एक बार कहा था,’सबसे अच्छी रणनीति तो यह है कि हमेशा मज़बूत रहा जाए, पहले सबके साथ फिर फैसला लेते हुए। रणनीति में कोई और सबसे ऊंची और रणनीति की सबसे निचली तकनीक नहीं होती जिस पर सेनाएं अपना ध्यान जमाती है।। संक्षेप में कहें तो पहला सिद्धांत यही है कि बहुत ध्यान से कार्रवाई की जाए।’

विपक्ष में जिस तरह का नेतृत्व है उसकी तुलना में मोदी के संदेश लक्ष्य केंद्रित हैं और कतई अस्पष्ट नहीं हैं। उनकी ‘चौकीदार’ प्रचार शैली बताती है कि उनकी नेतृत्व क्षमता क्या है। आलोचकों के लिए भले ही यह उत्तेजक और नाटकीय हो, लेकिन मोदी के लिए यह एक ऐसा लक्ष्य रहा है जिसका एक उद्देश्य था।

मोदी बेवजह महात्मा गांधी को याद नहीं करते। गांधी के पास लक्ष्य तक पहुंचने के अपने तरीके थे। उनकी लंगोटी, उनका सत्याग्रह उनके अहिंसक प्रतिरोध और उनके हरिजन आंदोलन ने ताकतवर ब्रिटिश शासन को घुटने टेकने पर मज़बूर कर दिया था। मोदी गांधी को इसीलिए भी याद करते हैं।

मोदी के प्रचार में जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है – वह गांधी का भी था- कि गऱीब इंसान को सम्मान दो। माक्र्स और माओ ने भी ऐसे समाज के बारे में सोचा था कि ऐसा समाजवादी समाज हो जहां सभी नागरिक एक समान हों। वे कामयाब इसलिए नहीं हुए क्योंकि समान दर्जे से वे खुद जुड़े हुए थे। मोदी ने अपना नज़रिया  कहीं अलग रखा है।

उन्होंने ‘चौकीदार’ प्रचार में ‘बिरादरी की भावना’ खुद को ‘चैकीदार’ के तौर पर पेश करने और उस भावना से जोड़कर उन्होंने दो वस्तुनिष्ठता साधी। सीजर की शैली में वे दुश्मनों के सामने अविजित योद्धा बन गए। दूसरे डाक्टरों, इंजीनियरों, सरकारी मुलाजि़मों और व्यापारियों के लिए वे चौकीदार प्रधानमंत्री बन गए। बड़ी ही चतुराई से उन्होंने एक छोटे समझे जाने वाले पेशे में भी सम्मान की भावना भर दी। अब आज कोई भी जो ऐसे छोटे समझे जाने वाले पेशे में हैं वह कभी सर्विस वर्ग के ऐसे काम को कम नज़रिए से नहीं देखेगा।

साधारण लोगों के लिए सम्मान की भावना जगाना ही मोदी का सुशासन है। प्रधानमंत्री जन-धन योजना से स्वच्छ भारत, उनकी ऐसी योजनाएं रहीं हैं, जो शांत और गंभीर और सम्मान पर ज़ोर देती हैं। सरकारी लाभ जो उनके लिए होते थे वह नगद दिए जाते थे। उससे भ्रष्टाचार बढ़ रहा था और राजनीतिक आधिपत्य भी। गऱीब तब नौकरशाहों और राजनीतिकों की कृपा पर जी रहे थे। जनधन, आधार, मोबाइल एप आदि से बहुत कुछ बदल गया। जेएएम से एक नई आधुनिक आर्थिक पहचान बनी जिससे गऱीब आर्थिक तौर पर न केवल मज़बूत हुआ है बल्कि उसका सम्मान भी बढ़ा है।

आलोचक भी मानते हैं कि मोदी की वक्तृता कौशल अद्वितीय है जिसका उन्हें मौका भी मिला है। बिना अच्छा काम किए कोई लोगों के दिल पर राज नहीं कर सकता। भारतीय मतदाता वर्ग एक स्तर पर बहुत प्रौढ़ है तो दूसरे ही क्षण बेहद निर्मम। पिछले कई चुनावों में कई नेताओं के साथ ऐसा हो चुका है।

मोदी के संबंध में उनके वादों के पूरे होने और उनके वक्तृता कौशल के चलते वे आज भी जन के दुलारे हैं। इस बार का आम चुनाव भ्रष्टाचार के खिलाफ मोदी की लड़ाई, विकास कार्य पर उनका ज़ोर और साधारण नागरिकों के जीवनशैली में सुधार लाने की उनकी कोशिशों पर ही केंद्रित है। मोदी का ‘सब का साथ, सब का विकास’ महज नारा नहीं है। यह देश के 126 करोड़ नागरिकों के प्रति उनका वादा है। जिन्हें वे अपना परिवार कहते हंै।

चुनाव में असल मुद्दा भटक कर किसी और दिशा में भी जा सकता है। लेकिन यह मानने की कोई वजह नहीं है कि समाज के अल्पसंख्यक समुदाय उनसे घृणा करते हैं। पिछले पांच साल में अल्पयंख्यकों का उन्हें खासा भरोसा मिला है।

देश में मोदी ने एक बहुत बड़ा बदलाव लाने में खासा नाम कमाया है। एक मज़बूत नेता जिसके पास विकास करने का एक अच्छा एजेंडा है देश की संस्कृति को अच्छी तरह जानने समझने के कारण उन्होंने विकास को एक मकसद माना है। अब इसी कारण उन्होंने दिल जीते हैं। और पूरी दुनिया में यश। इसी कारण यदि वे इस बार फिर विजयी होकर आते है। जिसकी प्रचंड संभावना है। इस चुनाव में भी हम उनकी जीत की उम्मीद में ही हैं।

राम माधव

(महासचिव भारतीय जनता पार्टी)