कपिल सिब्बल को गुस्सा क्यों आता है?

संचार मंत्री कपिल सिब्बल फेसबुक, गूगल और याहू जैसे इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइटों से खासे नाराज हैं. उनके मुताबिक इन साइटों पर ऐसा ‘बहुत कुछ आपत्तिजनक’ है जो न सिर्फ ‘भारतीय लोगों की संवेदनाओं और धार्मिक भावनाओं को चोट’ पहुंचा सकता है बल्कि दंगे-फसाद की वजह बन सकता है. इसलिए सिब्बल साहब चाहते हैं कि ये साइटें न सिर्फ ऐसे ‘आपत्तिजनक’ कंटेंट को तुरंत हटाएं बल्कि ऐसी व्यवस्था करें कि इस तरह का ‘आपत्तिजनक’ कंटेंट इन साइटों पर अपलोड होने से पहले फिल्टर किया जाए. लेकिन सिब्बल ने यह कहकर जैसे बर्र के छत्ते को छेड़ दिया. इंटरनेट और खासकर सोशल नेटवर्किंग साइटों की आभासी दुनिया से लेकर न्यूज चैनलों के स्टूडियो तक में  हंगामा और बहसें शुरू हो गईं. माना गया कि सिब्बल इंटरनेट खासकर सोशल नेटवर्किंग साइटों पर अपनी सरकार और नेताओं की आलोचनाओं से बौखलाए हुए हैं. यह भी कि सिब्बल सरकार विरोधी आंदोलनों में लोगों को जोड़ने और सक्रिय करने में इन साइटों की उल्लेखनीय भूमिका से भी घबराए हुए हैं. इसी नाराजगी और घबराहट में वे इन साइटों पर सेंसरशिप आयद करने और उन्हें काबू में करने की कोशिश कर रहे हैं.

भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के कपिल सिब्बल एकजुट हो रहे हैं और इन नए माध्यमों को काबू करने की कोशिशें कर रहे हैं

इन तीखी आलोचनाओं ने सिब्बल को सफाई पेश करने के लिए मजबूर कर दिया. वे अब दावा कर रहे हैं कि इंटरनेट पर सेंसरशिप थोपने का उनका कोई इरादा नहीं है. वे तो सिर्फ इतना चाहते हैं कि ये साइटें ‘आपत्तिजनक’ कंटेंट के मामले में आत्मनियमन (सेल्फ-रेगुलेशन) का पालन करें. लेकिन सिब्बल अपनी तलवार जितनी छिपाने की कोशिश करें, वह छिप नहीं पा रही. वे एक ओर अभिव्यक्ति की आजादी के प्रति अपनी वचनबद्धता की दुहाइयां भी दे रहे हैं लेकिन दूसरी ही सांस में इन साइटों को चेताने से भी बाज नहीं आ रहे हैं कि उन्हें ‘भारतीय संवेदनशीलताओं’ का ध्यान रखना होगा. सिब्बल के मुताबिक, वे इन साइटों पर धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने वाले ‘आपत्तिजनक’ कंटेंट को बर्दाश्त नहीं करेंगे. साफ है कि सिब्बल पीछे हटने के लिए तैयार नहीं और वे पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे हैं.

कहने की जरूरत नहीं है कि इस तैयारी के तहत ही वे इन साइटों पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाले कंटेंट पर अंकुश लगाने की आड़ ले रहे हैं. अन्यथा किसे पता नहीं है कि उनके गुस्से और घबराहट की असली वजह क्या है? सिब्बल साहब मानें या न मानें लेकिन सच यह है कि वे मध्यवर्ग खासकर युवाओं के बीच सूचना, संवाद, चर्चा और संगठन के नए, ज्यादा खुले और वैकल्पिक मंच के बतौर उभरे इन साइटों की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए हुए हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि सरकार और व्यवस्था विरोधी रैडिकल समूहों और व्यक्तियों के लिए ये साइटें मुख्यधारा के काॅरपोरेट मीडिया की तुलना में ज्यादा सुलभ और खुली हुई हैं. इन समूहों की उपस्थिति ने इन साइटों को अभिव्यक्ति का वैकल्पिक मंच बना दिया है.

इन साइटों के प्रति सिब्बल साहब के गुस्से की बड़ी वजह यही है. उनकी बौखलाहट इस खीज से निकली है कि अभी तक वे इस मंच को कॉरपोरेट मीडिया की तरह ‘मैनेज’ करने के तरीके नहीं खोज पाए हैं. इन मंचों पर उनकी घुसपैठ अभी सीमित है, उसे काबू में करने की तो बात ही दूर है. लेकिन यह सिर्फ सिब्बल की खीज और गुस्सा नहीं है. सिब्बल सिर्फ एक प्रतीक हैं. असल में, सत्ता और व्यवस्था विरोधी समूहों ने दुनिया भर में जिस तरह से इंटरनेट और उस पर मौजूद ब्लॉग, सोशल नेटवर्किंग साइट जैसे नए माध्यमों को लोगों तक सूचनाएं पहुंचाने, महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुली चर्चाएं छेड़ने और लोगों को संगठित करने के लिए इस्तेमाल किया है, उससे इस नए खतरे को लेकर सरकारों और शासक वर्गों की नींद खुल गई है. नतीजा, भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के कपिल सिब्बल एकजुट हो रहे हैं. इसके साथ ही, इन नए माध्यमों को काबू करने, उनमें घुसपैठ करने, उन्हें मैनेज करने और उनकी निगरानी की कोशिशें बड़े पैमाने पर शुरू हो गई हैं. कहीं आतंकवाद से निपटने के नाम पर, कहीं धार्मिक भावनाओं की हिफाजत के बहाने और कहीं समाज को ‘आपत्तिजनक’ कंटेंट से बचाने के नाम पर. कहने की जरूरत नहीं है कि जब तक ये नए माध्यम लोगों के मनोरंजन, सतही चैट और सस्ती पोर्नोग्राफी के माध्यम थे, सत्ता और शासक वर्गों को कोई शिकायत नहीं थी.

लेकिन जैसे ही इन माध्यमों को सत्ता की पोल खोलने, वैकल्पिक विमर्शों और आंदोलनों को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा, सरकारों को उनमें देश-समाज-समुदायों के लिए खतरा दिखने लगा है. वे इन माध्यमों खासकर इन्हें इस्तेमाल करने वाले समूहों/व्यक्तियों के खिलाफ टूट पड़ी हैं. इस मायने में, आज जूलियन असांजे और विकिलीक्स के साथ जो हो रहा है वह सिर्फ ट्रेलर है. हैरानी नहीं होगी, अगर आने वाले दिनों में इन साइटों और उनसे ज्यादा इनका इस्तेमाल करने वाले रैडिकल समूहों और व्यक्तियों पर सिब्बलों और उन जैसों की गाज गिरे.