‘मैं इंदिरा गांधी की बहू हूं, मैं किसी से नहीं डरती’

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मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया और राहुल को निजी तौर पर पेशी के लिए समन भेजा था जिसे उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट ने दोनों को कोई राहत न देते हुए अदालत में पेश होना का आदेश दिया था. नेशनल हेराल्ड अखबार पर मालिकाना हक एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का है. कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को एजेएल की 90 करोड़ रुपये की देनदारी का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया. जिसके बाद पार्टी ने एजेएल को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया और फिर 5 लाख रुपये की पूंजी वाली यंग इंडियन कंपनी बनाई. इसमें सोनिया और राहुल की 38-38 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी. बाकी 24 फीसदी की हिस्सेदारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास है.

बाद में एजेएल के 10-10 रुपये के 9 करोड़ शेयर यंग इंडियन कंपनी को दे दिए गए जिसके बदले उसे कांग्रेस का कर्ज चुकाना था. 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन कंपनी की एजेएल में हिस्सेदारी 99 फीसदी हो गई. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने टीजेएल का 90 करोड़ रुपये का लोन माफ कर दिया. ऐसा करने से यंग इंडियन कंपनी को मुफ्त में ही एजेएल का मालिकाना हक मिल गया. इसका मतलब ये हुआ कि मुफ्त में यंग इंडियन कंपनी को एजेएल का मालिकाना हक मिल गया. भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इन 90 करोड़ रुपये के मामले में हवाला कारोबार का शक जताया है.

स्वामी ने आरोप लगाया है कि ये सब दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 1600 करोड़ रुपये की संपत्ति पर कब्जा करने के लिए किया गया है. स्वामी की याचिका के मुताबिक साजिश के तहत जानबूझकर यंग इंडियन कंपनी को एजेएल की संपत्ति पर मालिकाना हक दे दिया गया. उनका कहना है, ‘हेराल्ड हाउस को केंद्र सरकार ने अखबार चलाने के लिए संपत्ति दी थी इसलिए उसका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.’ इस मामले पर मंगलवार को संसद में कांग्रेस सांसदों ने जमकर हंगामा किया. कांग्रेस और राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर बदले की राजनीति के तहत कार्रवाई करने का आरोप लगाया है. वहीं भाजपा का कहना है कि मामला कोर्ट में है और उसका इससे कोई लेना-देना नहीं है.

नेहरू ने शुरू किया था नेशनल हेराल्ड

नेशनल हेराल्ड नाम के अंग्रेजी समाचार पत्र की स्थापना 9 सिंतबर 1938 को लखनऊ में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने की थी. इसका मालिकाना हक एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड के पास था जो कौमी आवाज (उर्दू), नवजीवन (हिंदी) अखबार भी निकालती थी. आजादी के बाद नेशनल हेराल्ड कांग्रेस का मुखपत्र समझा जाता था जिसमें नेहरू संपादकीय लेख लिखा करते थे. शुरू से ही इस अखबार को वित्तीय घाटे का सामना करना पड़ा और 1940 और 1970 में कुछ समय के लिए बंद भी करना पड़ा था. घटते सर्कुलेशन के कारण अंततः ये अखबार 2008 में बंद हो गया.