महाराष्ट्र: साथ पर संशय

शिवसेना के मुशिया उ व ठाकरे(बाएं)
बीते लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र उन राज्यों में शामिल था जहां की राजनीति को भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने सिर के बल लाकर खड़ा कर दिया. यानी जिस जगह पर वे राजनीतिक हाशिए पर थे वहां जनता के आशीर्वाद ने उन्हें रातोंरात राजनीति का सबसे बड़ा सितारा बना दिया. महाराष्ट्र में भी भाजपा गठबंधन (जिसमें भाजपा और शिवसेना के साथ चार अन्य दल शामिल हैं) ने कुछ ऐसा ही कमाल दिखाया. चुनाव में प्रदेश की 48 सीटों में से भाजपा गठबंधन को 42 सीटें मिलीं. वहीं कांग्रेस मात्र दो और उसकी सहयोगी एनसीपी चार सीटों पर सिमट गई. भाजपा गठबंधन में किसी को इतनी शानदार सफलता की उम्मीद नहीं थी. गठबंधन ने मिलकर कांग्रेस-एनसीपी को उनके सबसे बुरे राजनीतिक दौर पर लाकर खड़ा कर दिया था. प्रदेश एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में जाने की तैयारी में है. ऐसे में यह चर्चा आम है कि क्या भाजपा शिवसेना गठबंधन लोकसभा में मिली अभूतपूर्व सफलता को विधानसभा चुनाव में दोहरा पाएगा. या फिर कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन लोकसभा में अपनी खोई हुई सियासी हैसियत की भरपाई विधानसभा चुनाव में कर लेगा.
जनमत सर्वेक्षणों और आम चर्चाओं को अगर आधार मानें तो प्रदेश की राजनीति फिलहाल भाजपा गठबंधन के पक्ष में झुकी हुई है. सर्वेक्षणों में बताया जा रहा है कि अगली सरकार भाजपा गठबंधन की ही बनने जा रही है. कांग्रेस और एनसीपी की 15 साल से चली आ रही सरकार पर अब ब्रेक लगने वाला है. भाजपा गठबंधन भी इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त दिख रहा है कि बस अब उनकी सरकार बनने ही वाली है. Read More>>
जम्मू-कश्मीर: बाढ़ ने बदले समीकरण
जम्मू-कश्मीर की भयानक बाढ़ एक तरफ नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की दुर्गति तो दूसरी ओर भाजपा के लिए अच्छे दिनों का सबब बन सकती है.

जम्मू-कश्मीर बाढ़ से उपजी त्रासदी की गिरफ्त में है. बाढ़ के पहले प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों की बाढ़ आई हुई थी. माना जा रहा था कि हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड के साथ ही जम्मू कश्मीर में लगभग एक साथ ही विधानसभा चुनाव होंगे. लेकिन बाढ़ के कारण जम्मू-कश्मीर का चुनाव टल गया है. कब होगा ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता. जब भी चुनाव होगा तो उसके परिणाम क्या होंगे, आज इस प्रश्न से ज्यादा बड़ा प्रश्न यह है कि राज्य में चुनाव कब होंगे. क्योंकि प्रदेश में विधानसभा चुनाव में क्या होगा यह काफी कुछ इस पर भी निर्भर करेगा कि चुनाव होते कब हैं. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव जब भी होंगे बाढ़ से आई त्रासदी उसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी. यानी जनता जब वोट देने जाएगी तब ईवीएम का बटन दबाते समय उसके दिमाग में इस समय की त्रासदी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
ऐसे में पहले यह जानना जरूरी है कि बाढ़ के कारण राजनीतिक तौर पर प्रदेश में क्या बदला है और इसके कारण आने वाले समय में क्या-क्या और कितना बदल सकता है. Read More>>