कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी

asheem

क्या है असीम त्रिवेदी से जुड़ा विवाद?
वर्तमान राजनीति पर तीखा कटाक्ष करते कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के कार्टून अन्ना हजारे के आंदोलन से लोकप्रिय होना शुरू हुए. बढ़ती लोकप्रियता के साथ ही असीम के कार्टून विवादों से भी घिरते गए. दिसंबर 2011 में मुंबई के एक स्थानीय अधिवक्ता द्वारा असीम पर राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने और आईपीसी की धारा 124ए के तहत देशद्रोह का आरोप लगाया गया. 10 सितम्बर 2012 को उन्हें देशद्रोह के आरोप में हिरासत में ले लिया गया जिसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया. उनके ऊपर से धारा 124ए को हटाने की मांग की गई. असीम ने अपने मामले की पैरवी के लिए न तो कोई वकील रखा और न ही उन्होंने जमानत की अर्जी दी. बाद में हाईकोर्ट ने खुद ही उन्हें जमानत दी.

क्या है आईपीसी. की धारा 124 ए?
धारा 124ए के तहत देशद्रोह की परिभाषा में वर्णित है कि यदि कोई भी व्यक्ति सरकार विरोधी सामग्री लिखता है, प्रसारित करता है या उसका समर्थन करता है तो उसे आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है. यह कानून 1857 के विद्रोह के बाद आंदोलनकारियों को दबाने के लिए अंग्रेजों ने बनाया था. बाद में इसे भारतीय दंड संहिता में शामिल कर लिया गया. आज़ादी के बाद से ही इस क़ानून को हटाए जाने की मांग उठती रही है.

क्यों है 124 ए को खत्म करने की जरूरत?
आईपीसी की यह धारा संविधान में वर्णित ‘अभिव्यक्ति की आज़ादी’ का अतिक्रमण करती है. इसके जरिए वर्षों से आंदोलनकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और कार्टूनिस्टों का दमन करने की कोशिश होती रही हैं. आज़ादी से पहले महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक पर भी इस धारा के अंतर्गत मुकदमा चल चुका है. 124ए के जरिए सरकार को निरंकुश होकर अपने खिलाफ बोलने/लिखने वाले को जेल में डालने का मौका मिलता है. आशीष नंदी, विनायक सेन, अरुंधती रॉय के साथ ही कई राज्यों में आन्दोलनकारियों के खिलाफ इस धारा का इस्तेमाल होता रहा है. इस धारा को शुरू करने वाले आंग्रेजों के देश इंग्लैंड में भी इस धरा को समाप्त कर दिया गया है.

-राहुल कोटियाल