बिहार का बहुचर्चित चारा घोटाला

जब चारा घोटाला उजागर हुआ तो इसकी आंच बिहार के कुछ मुख्यमंत्रियों से होते हुए उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक पहुंची थी. इसके बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था. दरअसल, बिहार के पशुपालन विभाग में कुछ गड़बड़ चल रही है, इसे उस वक्त के सीएजी टीएन चतुर्वेदी ने पकड़ा था. चतुर्वेदी ने जब 1985 में यह देखा कि विभाग अपने खर्चे का हिसाब सही ढंग से नहीं दे रहा तो उन्होंने बिहार के उस समय के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर सिंह को पत्र लिखा. लेकिन बिहार सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. बाद में सीएजी और राज्य के ऑडिटर की तरफ से सरकार को कई बार चेतावनी दी गई लेकिन इन्हें नजरअंदाज किया गया. इससे यह संदेह गहराया कि इस गड़बड़ी में बिहार के आला नेताओं और अधिकारियों की मिलीभगत है.

1992 में राज्य विजिलेंस के सब इंस्पेक्टर बिधू भूषण द्विवेदी ने इस मामले में एक रिपोर्ट सौंपी जिसमें बताया गया कि इसमें अन्य नेताओं और अधिकारियों समेत मुख्यमंत्री स्तर तक पर गड़बड़ी है. इसके बाद पहले तो द्विवेदी का स्थानांतरण हुआ और बाद में निलंबन. मामले ने तूल तब पकड़ा जब पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अमित खरे ने जनवरी, 1996 को चाईंबासा में पशुपालन विभाग के कार्यालय पर छापेमारी की. इससे पता चला कि खेल बड़े स्तर पर चल रहा है. लालू यादव ने मामले की जांच के लिए एक समिति बनाई. लेकिन विपक्ष ने निष्पक्षता को आधार बनाते हुए सीबीआई जांच की मांग की. इस मांग को लेकर उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई.

  • 1985 में पहली बार यह मामला सीएजी की निगाह में आया
  • 1997 में मुख्यमंत्री लालू यादव के इस्तीफे की वजह यह घोटाला बना
  • बिहार के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सजा की तलवार लटक रही है

सर्वोच्च अदालत के निर्देश पर उच्च न्यायालय ने मार्च में जांच का काम सीबीआई को सौंप दिया. 23 जून, 1997 को सीबीआई ने लालू यादव और अन्य 55 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिए. इनमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र, पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा समेत कई विधायक, अधिकारी और कारोबारी शामिल थे. हर ओर से खुद को घिरा देख लालू यादव को 25 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. 30 जुलाई को उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. 

900 करोड़ रुपये से अधिक के चारा घोटाले में कुल 61 मामले दर्ज किए गए. 42 में निर्णय सुनाए जा चुके हैं. इन्हीं मे से एक मामले में बीते मई में 34 लोगों के खिलाफ सजा सुनाई गई. लालू यादव और जगन्नाथ मिश्र चारा घोटाले से संबंधित पांच मामलों में अभियुक्त हैं. विशेष अदालत ने इनके खिलाफ आरोप तय कर लिए हैं. माना जा रहा है कि दोनों को सजा हो सकती है. पिछले दिनों सामाजिक कार्यकर्ता मिथिलेश सिंह ने विशेष अदालत में याचिका दायर करके इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड के नेता शिवानंद तिवारी को भी अभियुक्त बनाने की मांग की है. उनका आरोप है कि इन दोनों को पशुपालन विभाग के उस समय के निदेशक एसबी सिन्हा ने क्रमशः एक करोड़ रुपये और 60 लाख रुपये दिए थे. याचिका पर फैसला होना बाकी है.

-हिमांशु शेखर