क्यों पड़ा छापा?
पिछले दिनों सीबीआई ने भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के सचिवालय स्थित दफ्तर के साथ-साथ उनके घर पर भी छापेमारी की. वरिष्ठ नौकरशाह आशीष जोशी ने राजेंद्र कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए एसीबी से शिकायत की थी लेकिन एसीबी ने कोई कार्रवाई नहीं की तो उन्होंने 13 जुलाई को इसकी शिकायत सीबीआई से कर दी. मामला 2007 से 2014 के बीच दिल्ली सरकार के ठेके एक खास कंपनी को देने से जुड़ा है.
कौन हैं राजेंद्र कुमार?
राजेंद्र कुमार 1989 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और केजरीवाल के करीबी अधिकारियों में माने जाते हैं. आशीष जोशी ने राजेंद्र पर आरोप लगाया था कि उन्होंने शिक्षा और आईटी विभाग में अपने कार्यकाल के दौरान बेनामी कंपनियां बनाकर वित्तीय धांधली को अंजाम दिया था. जोशी के मुताबिक, राजेंद्र कुमार 2002 से 2005 तक शिक्षा निदेशक रहे. कुमार ने दिनेश गुप्ता और संदीप कुमार के साथ मिलकर एंडेवर्स सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई. दिनेश शिक्षा विभाग को स्टेशनरी सप्लाई किया करते थे. 2007 में आईटी सचिव रहते हुए उन्होंने अपनी कंपनी को इस तरह से सूचीबद्ध कर दिया था कि वह बिना किसी टेंडर के ही सरकारी विभागों के साथ डील कर सके. शीला दीक्षित के कार्यकाल में सीएनजी किट घोटाले में भी उन पर आरोप लगे हैं. दो कंपनियों को बिना टेंडर ठेका दिया गया था जिसमें दिल्ली सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था.
अरविंद केजरीवाल का क्या है आरोप?
सीबीआई के छापे को लेकर केजरीवाल ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया है. उनका आरोप है कि राजेंद्र कुमार तो केवल बहाना हैं असली मकसद तो डीडीसीए घोटाले में फंस रहे अरुण जेटली को बचाना है. जेटली कुछ समय के लिए दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रहे थे. केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘सीबीआई मेरे कार्यालय में डीडीसीए से जुड़ी फाइलों को पढ़ती रही. अगर मैं मीडिया से बात नहीं करता तो वे उन फाइलों को जब्त कर लेते. मुझे ये जानकारी नहीं है कि सीबीआई उन फाइलों की कॉपी अपने साथ ले गई है या नहीं.’ जेटली से सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा, ‘डीडीसीए में कथित धांधली की जांच किए जाने से जेटली डरे हुए क्यों हैं?’ केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि ये सब पीएमओ के निर्देश पर हो रहा है.