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हैलमेट के लिए सिर फुटैल

हमारे समाज में सिर का बड़ा महत्व है। सिर है तो हम हैं। हम हैं तो फिर सिर फुटैल भी कर सकते हैं। राजनीति में तो सिर फुटैल और टांग सिंचाई आम बात है। इतनी आम कि यदि कुछ दिन किसी राजनीतिक दल से ऐसी खबर न आए तो लोगों को लगता है कि वह पार्टी आखिर कर क्या रही है। कोई काम नहीं हो रहा। संसद और विधानसभाओं में कुर्सियों चलाना माईक उखाड़ कर मारना, एक दूजे पर झपटना हमारे लोकतंत्र में कोई नई बात नहीं। यही वजह है कि हमारे दल उसी को टिकट देने लगे हैं जिसके खिलाफ हत्या, मारपीट वगैरा के दो-चार मुकदमे तो दर्ज हों। कहने का मतलब यह है कि शारीरिक तौर पर मजबूत व्यक्ति ही पार्टियों की पहली पसंद बनता जा रहा है। आखिर सदन में पता नहीं कब किसको पीटना पड़े या कब पिटना पड़े। पहला ज़माना था जब सदनों में गंभीर बहस हुआ करती थी। आज भी उनकी बहस को लाइबे्ररी में पड़ा जाए तो यकीन ही नहीं होता कि बहस ऐसी सार्थक भी हो सकती है जिसमें कोई गाली गलौग न हो और सही आंकडे पेश किए जाएं। उस समय संसद में सिर बचाने की ज़रूरत नहीं थी। आज है। इसलिए यदि वहां अपनी सुरक्षा के लिए हैलमेट पहन लिया जाए तो क्या हर्ज है। खैर हैलमेट तो सिर को बचाता है फिर वह संसद में हो या सडक़ पर।

पिछले दिनों एक राज्य के दो प्रमुख पदों पर बैठे नेताओं में हैलमेट को लेकर सिर फुटैल की नौबत आ गई। एक महिला उपराज्यपाल नेआदेश दिए कि जो आदमी बिना हैलमेट पहने स्कूटर या मोटरसाइकिल चलाए उसका चलान मोटर व्हीकल एकट के तहत किया जाए। दूसरे नेता अड़ गए। बोले हम तो हैलमेट नहीं पहनेगे। वह बोली पहनना पड़ेगा, पर ये बोले मैं न पहनू। सरकार हमारी है पुलिस हमारी है तो अगर हमने और जुलूस में शामिल हमारे समर्थकों ने हैलमेट पहन लिए तो हमारी तो इज्ज़त ही तार-तार हो जाएगी। राज्य के प्रशासन में इतने बड़े पद पर बैठने के बाद भी हमने हैलमेट पहन लिया तो हमारे बच्चे हम पर हंसेंगे। यहां तो जिस नौजवान का बाप पुलिस में हवलदार हो वह हैलमेट पहना अपनी शान के खिलाफ समझता है तो जिसके मताहत पूरी पुलिस हो वह कैसे हैलमेट पहन ले। कानून तो आम आदमी के लिए होता है। विशेष दर्जा प्राप्त लोग तो इससे ऊपर होते हैं। खास लोग वही होते हैं जो कानून को नहीं मानते। लाल बत्ती पर न रुकना, गति की निर्धारित सीमा से अधिक स्पीड पर वाहन दौडऩा उनकी शान है। कार में सीट बैल्ट लगा कर बैठना इनकी व्यक्तिगत आज़ादी पर बड़ा प्रहार है और व्यक्तिगत आज़ादी हर भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है तो वे सीट बैल्ट लगाना उने शोभा नहीं देता।

तो साहिब, दोनों बड़े लोगों में ठन गई। मैडम अड़ी हैं चालान करने पर। उनके पास हथियार हैं मोटर व्हीकल एकट, हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट के इस विषय में दिय गए आदेश और निर्देश। जबकि राज्य के मालिक क्या कमाल का तर्क देते है, कहते हैं – भाई अगर में हैलमेट लगा कर स्कूटर की सवारी करूंगा तो मुझे कौन पहचानेगा। उनका तर्क वाजिब है भई हैलमेट लगाने से चेहरा तो ढकता ही है, और इसे ढकने के लिए ही तो हैलमेट पहना जाता है। क्रिकेट के खिलाड़ी भी हैलमेट पहन कर ही बल्लेबाज़ी करते हैं, पर फिर भी स्टेडियम में बैठे हर दर्शक को बल्लेबाज़ की पहचान होती है। पर खिलाड़ी तो आम आदमी होते हैं इसलिए हैलमेट में भी पहचान लिए जाते हैं, पर राज्य का मुख्यमंत्री तो बहुत खास होता है, उसे लोग क्यों नहीं पहचान सकते यह बात हमारी छोटी सी समझ में वहीं आती। वैसे यह सही है कि जो दिखता है वह बिकता है। पर साहब बिकता बिकता तो ईमान है बिकता तो जमीर है, जो बाहर से नज़र नहीं आता।

खैर हमने क्या लेना है कोई कानून माने या न माने उस पर चले यह न चले, हैलमेट पहने या न पहने मर्जी है आप की आखिर सिर है आपका

श्रीनगर में ग्रिनेड हमला, एक की मौत

श्रीनगर में एक ग्रिनेड हमले में कमसे कम एक व्यक्ति की मौत हो गयी है। इस आतंकी हमले में १४ लोगों के घायल होने की खबर है।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने यह ग्रिनेड हमला सुरक्षा बलों को निशाना बनाकर किया है। यह हमला श्रीनगर के एक रिहाइशी इलाके में किया गया है। हरी सिंह हाई स्ट्रीट रोड पर स्थित सुरक्षा बलों के एक शिविर पर यह ग्रिनेड फेंका गया।

जानकारी के मुताबिक इस हमले में वहां मौजूद लोगों में से एक की मौत हो गयी है जबकि १४ अन्य घायल हुए हैं। घायलों को चिकित्सा के लिए अस्पताल ले जाया जा रहा है।

गहरे धुएं से दिल्ली में फ्लाइट्स पर असर

इंसान तो इंसान, जहाज भी दिल्ली में दमघोटू धुएं से ‘परेशान’ हैं। रविवार को गहरे धुएं का असर फ्लाइट्स पर भी दिखा और कम दृश्यता की वजह से रविवार सुबह दिल्ली हवाईअड्डे से करीब ३२ उड़ानों का मार्ग परिवर्तित किया गया। उड़ानों के समय पर भी असर पड़ा है। उधर नोयडा में भी स्कूल दो दिन के लिए बंद रखने की घोषणा की गयी है।

जानकारी के मुताबिक इंडिगो की 6e 6423 फ्लाइट ने लखनऊ से सवा ११ बजे उड़ान भरी जिसे दिल्ली में उतरना था। लेकिन कम दृश्यता की वजह से मौसम खराब होने के चलते जहाज हवा में चक्कर काटता रहा और फिर वापस लौट गया। उतरने की अनुमति नहीं मिलने से यात्रियों को काफी असुविधा उठानी पड़ी।

उधर एअर इंडिया ने एक बयान में कहा है कि प्रदूषण के कारण कम दृश्यता की वजह से रविवार सुबह दिल्ली हवाईअड्डे से ३२ उड़ानों का मार्ग परिवर्तित किया गया। एयर इंडिया प्रवक्ता ने कहा – ‘खराब मौसम के चलते टी३ हवाई अड्डे (दिल्ली) पर सुबह नौ बजे से उड़ान परिचालन प्रभावित रहा। करीब १२ उड़ानों को जयपुर, अमृतसर और लखनऊ भेज दिया गया।”

एयर इंडिया की एआई 817 के अलावा गो एयर की जी8 2510 फ्लाइट ने भी 1.37 घंटे की देरी से सुबह 8.31 बजे उड़ान भरी लेकिन वह भी वापस लौट गई। फ्लाइट्स के वापस लौटने से यात्रियों को काफी असुविधा झेलनी पड़ रही है।

दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की घनी चादर पिछले कल से ही छाई हुई है। सभी इलाकों  में हवा की गुणवत्ता बहुत खराब-गंभीर स्तर के बीच रहने से लोगों को दमघोंटू हवा में सांस लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। असंख्य लोग खांसी और सर दर्द की शिकायत करते देखे गए हैं। कुछ लोगों की यह भी शिकायत है खुले में आने पर उनका उल्टी का मन भी हो जा रहा है।

इस बीच गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) में वायु प्रदूषण के चलते जिला प्रशासन ने सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों को दो दिन बंद करने का आदेश जारी किया है। नर्सरी से कक्षा बारहवीं तक के स्कूलों में छुट्टी की गई है। आदेश का उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी प्रशासन ने दी है।

तो सरकार इस तरह बनाएगी शिवसेना

भले ही विधानसभा चुनाव के नतीजे साफतौर पर बीजेपी शिवसेना गठबंधन के फेवर में आए हों फिर भी महाराष्ट्र में चीफ मिनिस्टर पोस्ट को लेकर पेंच फंसा हुआ दिख रहा है। ऐसे में शिवसेना सांसद संजय राउत ने साफ साफ शब्दों में दावा किया है कि शिवसेना के पास 175 एम.एल.ए का सपोर्ट है, महाराष्ट्र का चीफ मिनिस्टर शिवसेना का ही होगा और शपथ विधि शिवतीर्थ यानी दादर के शिवाजी पार्क में ही होगा। हालांकि राउत ने यह भी जोड़ा कि फाइनल डिसीजन उद्धव ठाकरे का होगा और निर्णय अपने अंतिम चरण में है।

चुनाव के नतीजे आने के 10 दिन बाद भी महाराष्ट्र में सरकार का निर्माण नहीं हो पा रहा है। मामला चीफ मिनिस्टरशिप के 50:50 यानी शिवसेना और बीजेपी के बारी बारी से चीफ मिनिस्टर कार्यकाल को लेकर फंसा हुआ है। शिवसेना का दावा है कि चुनाव से पहले बीजेपी ने उनसे 50:50 फार्मूले का वादा किया था लेकिन महाराष्ट्र के चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस के इस दावे को खारिज करने के बाद शिवसेना और बीजेपी के बीच तल्ख़ियां बढ़ती चली गई।

फिलहाल शिवसेना अपने इस निर्णय पर डटी है कि महाराष्ट्र का अगला चीफ मिनिस्टर शिवसेना का ही होगा और उसने आदित्य ठाकरे का नाम आगे किया है। वहीं फडणवीस पहले ही कह चुके हैं कि अगले पांच साल सीएम के तौर पर वही रहेंगे।

दूसरी ओर एनसीपी चीफ शरद पवार और कांग्रेस द्वारा शिवसेना को सपोर्ट दिए जाने की ख़बरों से राजनीतिक वातावरण गरमा गया है। हालांकि एनसीपी ने शिवसेना को सपोर्ट करने की बात तो कही है लेकिन साथ में यह भी कहा है कि वह चाहती है फिलवक्त सरकार बने और वह विपक्ष की भूमिका में अपनी भूमिका निभाए। इस बीच शिवसेना के सपोर्ट को लेकर कांग्रेस में भी दो ग्रुप बन गए हैं। एक ग्रुप शिवसेना को सपोर्ट करना चाहता है तो दूसरा इसके खिलाफ है। कांग्रेस के सीनियर लीडर हुसैन दलवाई ने तो सोनिया गांधी को पत्र लिखकर उन्हें कंविंस करने की भी कोशिश की है कि कांग्रेस, शिवसेना को सपोर्ट क्यों करें। इस ग्रुप को अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण, प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात आदि का सपोर्ट है। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे, सीनियर लीडर सुशील कुमार शिंदे और संजय निरुपम (जो शिवसेना के एमपी भी रह चुके हैं)का कहना है कि कांग्रेस और शिवसेना की आईडीलॉजी बिल्कुल जुदा है इसलिए शिवसेना को सपोर्ट नहीं करना चाहिए। शिवसेना को सपोर्ट के मुद्दे पर खबर है कि शरद पवार सोनिया गांधी से मीटिंग कर सकते हैं। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक कह चुके हैं बीजेपी के फ्लोर टेस्ट में असफल होने की सूरत पर पर्याय तौर एनसीपी सरकार बनाने को पीछे नहीं हटेगी। इस दौरान संजय राऊत शरद पवार से उनके निवास स्थान पर मीटिंग कर चुके हैं ।राउत ने इस मीटिंग को अनौपचारिक मुलाकात का नाम दिया है लेकिन चर्चा है कि दोनों के बीच में बदलते हुए सत्ता समीकरणों को लेकर गहन बातचीत हुई है। इससे पहले कांग्रेस के सीनियर लीडर पृथ्वीराज चव्हाणहा, अशोक चव्हाण आदि शरद पवार से एनसीपी हेड ऑफिस में मुलाकात कर चुके हैं। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना चीफ राज ठाकरे भी इस दौरान शरद पवार से उनके निवास स्थान सिल्वर ओक पर मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने भी मुलाकात को अनौपचारिक ही कहा है लेकिन इस मुलाकात को लेकर भी कई अटकलें लगाई जा रही है! शनिवार को बीजेपी शिवसेना महागठबंधन के अन्य सहयोगी पार्टियों के लीडरान ने महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोशियारी से मिलकर गुजारिश की, कि वह सबसे बड़े दल बीजेपी को सरकार बनाने के लिए एक मौका दें। गवर्नर कोश्यारी से मिलने आरपीआई के रामदास आठवले, सदाभाऊ खोत, शिवसंग्राम पार्टी के विनायक मेटे और राष्ट्रीय समाज पक्ष पार्टी के महादेव जानकर पहुंचे थे।

इस पूरे परिदृश्य में फिलहाल बीजेपी की ओर से कोई बड़ा रिएक्शन नहीं आया है। शिवसेना के माऊथपीस ‘सामना’ द्वारा बीजेपी पर बार-बार हमला किए जाने से नाराज बीजेपी ने जताने की कोशिश की है कि वह शिवसेना की तरफ से पहल का इंतजार कर रही है। हालांकि शिवसेना के ‘सामना’ के जरिए बीजेपी पर लगाए जा रहे इस आरोप का कि बीजेपी महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी दे रही है और इ.डी जैसे एजेंसीज का उपयोग दबाव डालने के लिए कर रही है, पर बीजेपी नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला जा रहा है! वह सिर्फ अपनी बातें रख रहे थे कि यदि 9 नवंबर तक सरकार न बनी तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू हो सकता है।बीजेपी खेमे से खबरें यहां तक है कि बीजेपी ने शिवसेना को डिप्टी चीफ मिनिस्टर पोस्ट और 13 मंत्री पद देने का ऑफर दिया है हालांकि शिवसेना ने इस तरह के किसी भी ऑफर से इनकार किया है। बीजेपी के 2 बड़े नेता चंद्रकांत पाटील और गिरीश महाजन का कहना है कि उन्हें विश्वास है कि 6 नवंबर से पहले सरकार बनाने का मसला हल हो जाएगा। इतना ही नहीं बीजेपी के स्टेट चीफ़ चंद्रकांत पाटील ने यह भी कहा है कि महाराष्ट्र का जनादेश बीजेपी शिवसेना गठबंधन को मिला है तो सरकार वही बनाएगी। शिवसेना के भीतरी सूत्रों से मिली खबर कहती है कि शिवसेना इस बार अपने निर्णय को लेकर अटल है कि सरकार वह बनाएगी और मुख्यमंत्री चीफ मिनिस्टर पद भी उन्हीं के पास होगा। साथ साथ यह खबर भी है यदि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आकर उद्धव से बातचीत करें और 50:50 वाले फार्मूले पर तैयार हो जाएं तो बीजेपी- शिवसेना की सत्ता आ सकती है। फिलहाल सभी का ध्यान शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे की 3 बजे होने वाली पत्रकार परिषद पर लगी हुई।

महाराष्ट्र में वर्तमान परिस्थितियों में क्या-क्या राजनीतिक समीकरण बन सकते हैं इस पर शिवसेना सांसद संजय राउत का विश्लेषण :

1- शिवसेना को छोड़कर बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी होने की हैसियत से सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है। बीजेपी के पास 105 विधायक हैं। 40 और की जरूरत पड़ेगी ।यह संभव नहीं हुआ तो विश्वासमत प्रस्ताव के दौरान सरकार धराशाई हो जाएगी और 40 हासिल करना भी असंभव दिखता है।

2 – वर्ष 2014 की तरह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ,भारतीय जनता पार्टी को समर्थन देगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन में शामिल होगी, इसके बदले सुप्रिया सुले को केंद्र में तथा अजीत पवार को राज्य में पद दिया जाएगा। परंतु 2014 में की गई भयंकर भूल श्री पवार एक बार फिर करेंगे इसकी लेशमात्र की संभावना नहीं है। पवार को भाजपा के विरोध में सफलता मिली है और महाराष्ट्र ने उन्हें सिर पर उठाया है। आज वे शिखर पर हैं। उनका यश मिट्टी में मिल जाएगा।

3- भाजपा विश्वासमत प्रस्ताव में बहुमत सिद्ध करने में नाकाम होगी तब दूसरी बड़ी पार्टी होने के नाते शिवसेना सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। राष्ट्रवादी 5४, कांग्रेस 44 तथा अन्य की मदद से बहुमत का आंकड़ा 170 तक पहुंच जाएगा। शिवसेना अपना खुद का मुख्यमंत्री बना सकेगी तथा सरकार चलाने का साहस उन्हें करना होगा। इसके लिए 3 स्वतंत्र विचारों वाली पार्टियों को समान अथवा सामंजस्य से योजना बनाकर आगे बढ़ना होगा। अटल बिहारी वाजपेई ने जिस तरह दिल्ली में सरकार चलाई थी उसी तरह सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना होगा। इसी में महाराष्ट्र का हित है।

4 – भारतीय जनता पार्टी तथा शिवसेना को मजबूर होकर साथ आना होगा और सरकार बनानी होगी। इसके लिए दोनों कोई चार कदम पीछे लेने पड़ेंगे। शिवसेना की मांगों पर विचार करना होगा। मुख्यमंत्री पद का विभाजन करना होगा और यह एक बेहतरीन पर्याय है। परंतु अहंकार के चलते यह संभव नहीं।

5- ईडी, पुलिस, पैसा, धाक आदि के दम पर अन्य पार्टियों के विधायक तोड़कर भाजपा को सरकार बनानी पड़ेगी। इसके लिए ईडी के एक प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में शामिल करना होगा। परंतु दल बदलने वालों की क्या दशा हुई, इसे मतदाताओं ने दिखा दिया। फूट डालकर बहुमत हासिल करना, मुख्यमंत्री पद पाना आसान नहीं है। इन सबसे मोदी की छवि धूमिल होगी।

हमारे पास पूर्ण बहुमत, शिव सेना का दावा

शिव सेना ने रविवार को दावा किया कि उसके पास पूर्ण बहुमत है और उसके पास १७० विधायकों का समर्थन है। इस बीच महाराष्ट्र से जुडी बड़ी खबर यह है कि एनसीपी प्रमुख दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलेंगे। संभावना है कि इस मुलाकात में शिव सेना को सरकार बनाने के लिए  समर्थन पर चर्चा होगी।

जानकारी के मुताबिक शिव सेना अब भाजपा पर दबाव बनाने नहीं, उसके बिना सरकार बनाने की तैयारी कर रही है। रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने दावा किया कि पार्टी के पास १७० विधायकों का समर्थन है और शिव सेना का मुख्यमंत्री होगा।

विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार बनाने को लेकर चल रही तनातनी के बीच शिवसेना पूर्ण  बहुमत होने का दावा भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है। ऐसा दिख रहा है कि भाजपा से सख्त नाराज एनसीपी शिव सेना को समर्थन का मन बना रही है और कांग्रेस को भी साथ लेने के लिए मना रही है। भाजपा खेमे में अभी तक यही विचार था कि शिव सेना उससे बाहर नहीं जाएगी लेकिन अब ऐसा नहीं दिख रहा।

शिवसेना के सांसद संजय राउत ने रविवार को बाकायदा पत्रकारों से बातचीत में पार्टी के पास बहुमत का आंकड़ा होने का दावा किया है। उन्होंने कहा – ”अभी हमारे पास १७० विधायकों का समर्थन है, जो १७५ तक पहुंच सकता है। हमारा सीएम बनेगा, जो हम बनाने में सक्षम हैं।”

यही नहीं संजय राउत ने भाजपा पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने कहा – ”गठबंधन सरकार बनाने के लिए गुंडों का इस्तेमाल हो रहा है। जल्द सब बताऊंगा। येदुरप्पा फार्मूला महाराष्ट्र में नहीं चलेगा। ये हमारे लिए रिमोट कंट्रोल का खेल नहीं है। ये सत्य का विषय है। जो खेल कर रहे जनता उनको सबक सिखाएगी। यहां झूठ नहीं चलता झूठ की बात नहीं चलेगी।”

शिव सेना की भाषा बता रही है कि उसने भाजपा से छिटकने का मन बना लिया है। सेना के पास ५६ विधायक हैं जबकि कांग्रेस के ४४ और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के ५४ मिलकर उसका बहुमत हो जाता है। वैसे कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन का दावा शिव सेना पहले ही कर चुकी है।

छठ पूजा में भगदड़, दो बच्चों की मौत

बिहार में छठ पूजा के दौरान अलग-अलग हादसों में दो बच्चों समेत चार लोगों की मौत हो गयी है। पहली घटना औरंगाबाद की है जहां पूजा के दौरान भगदड़ में भीड़ से दबकर दो बच्चों की मौत हो गई। दूसरी घटना हसनपुर बड़गांव की है जहां छठ घाट के पास मंदिर की दीवार ढहने से दो महिलाओं की जान चली गई

रिपोर्ट्स के मुताबिक औरंगाबाद में छठ के मौके पर अर्घ्य के बाद बेकाबू हुई भीड़ से दबकर दो बच्चों की मौत हो गई। मृतकों में पटना के बिहटा का छह साल का एक  बालक और भोजपुर के सहार की डेढ़ साल की बच्ची शामिल हैं। घटना में कुछ लोगों के घायल होने की भी खबर है जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पुलिस के मुताबिक छठ पूजा को लेकर देव में मेला लगा हुआ था। भगदड़ क्यों मची इसका पता अबतक नहीं चला है।

उधर समस्तीपुर के हसनपुर बड़गांव में छठ घाट के पास एक मंदिर की दीवार ढह  गई। हादसे में दोन महिलाओं की मौत हो गई है। वहीं चार श्रद्धालु बुरी तरह से घायल हुए हैं। दीवार गिरने से उसमें लोगों के दबे होने की आशंका जताई गयी है। मरने वाली दो महिलाओं में ६२ साल की लीला देवी और ६० साल की बच्ची देवी हैं।

वकील-पुलिस झड़प का दिल्ली हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान

दिल्‍ली के तीस हजारी कोर्ट में वकीलों और पुलिस के बीच झड़प का मामला गंभीर मुद्दा बन गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने घटना को लेकर पुलिस की निंदा की हैं। इस घटना की एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आई है जिसमें दिख रहा है कि किस तरह वकीलों का एक झुंड तीस हजारी कोर्ट के लॉकअप के अंदर घुस रहा है और पुलिसकर्मियों को बेरहमी से पीट रहा है। बाद में पुलिस वालों ने वकीलों पर हमला कर दिया। मामले की जांच की लिए एसआईटी गठित की गयी है। खबर है कि दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस मामले का खुद संज्ञान लेकर सुनवाई की है।

शनिवार की इस घटना में आठ वकील और २० पुलिस कर्मी घायल हुए हैं। दोनों पक्षों की तरफ से क्रास एफआईआर दर्ज करवाई गयी है। घटना के विरोध में बार एसोसिएशनों ने सोमवार को दिल्ली की सभी जिला अदालतों में काम का बहिष्कार करने का फैसला किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शनिवार दोपहर पुलिस और वकीलों के बीच झड़प हो गयी जिसमें १७ वाहनों में भी तोड़फोड़ की गई है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने शनिवार को वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ इस मामले को लेकर पांच घंटे तक बैठक भी की। उधर एक  सीसीटीवी फुटेज सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि वकीलों का एक झुंड तीस हजारी कोर्ट के लॉकअप के अंदर घुस रहा है और पुलिसकर्मियों को पीट रहा है।  फुटेज में दिख रहा है कि एक पुलिसकर्मी को वकीलों ने बेल्ट से इतनी बुरी तरह पीटा कि वह बेहोश होकर गिर पड़ा। लॉकअप में इस दौरान दर्जनों कैदी बंद थे, जो कोर्ट में पेशी के लिए आये थे। फुटेज के मुताबिक बाद में वकीलों ने लॉकअप के बाहर आग लगा दी। बाद में पुलिस वालों ने वकीलों पर हमला किया जिसमें वकील भी घायल हुए हैं।

महिला-पुरुष हॉकी टीमों को ओलंपिक का टिकट

खेल क्षेत्र से एक अच्छी खबर है। भारत की महिला और पुरुष हॉकी टीमें २०२० के टोक्यो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर गयी हैं। भारतीय महिला टीम ने तीसरी बार ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ किया है। भारतीय पुरुष टीम का कभी हॉकी में दबदबा था लेकिन पिछले ढाई दशक से वह कुछ बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई है।

महिला टीम का ओलिंपिक  क़्वालीफाई करना बड़ी बात इसलिए कही जाएगी कि  अधिकतर वह ओलिंपिक जाने से दूर रही है। रियो ओलिंपिक २०१६ में टीम ने क्वॉलिफाइ जरूर किया था लेकिन वह मौका ३६ साल बाद आया था। यह तीसरा मौका होगा है जब भारत की महिला टीम खेलों के इस महाकुंभ में खेलेगी।

महिला टीम की बात करें तो इसने पहली बार १९८० के मास्को ओलिंपिक में एंट्री की जहाँ इसका प्रदर्शन बेहतर रहा और कांस्य पदक से चौक गयी और चौथे स्थान पर रही। लेकिन इसके बाद उसे ३६ साल का लम्बा इंतजार करना पड़ा ब्राजील में २०१६ में जाकर ओलंपिक में खेल पाई। हालांकि निराशाजनक प्रदर्शन के चलते वह बहुत कमजोर १२वें स्थान पर रही। अब टोक्यो ओलंपिक्स  मिला है। देखना है कि उसका  प्रदर्शन कैसा रहता है।

जहाँ तक क्वालीफायर की बात है महिला टीम को कुछ परेशानी झेलनी पडी और आखिर उसे एग्रीगेट स्कोर के जरिये क़्वालीफाई होने में मदद मिली। शुक्रवार को पहले चरण में रानी रामपाल नेतृत्व वाली भारत की महिला टीम ने अमेरिका को ५-१  से हराया लेकिन दूसरे चरण में उसे अमेरिका ने ४-१ से हरा दिया। एग्रीगेट स्कोर में भारतीय महिला टीम ने ६-५ की बढ़त के साथ ही तीसरी बार ओलिंपिक के लिए क्वॉलिफाइ कर लिया।

जहाँ तक पुरुष टीम की बात है उसका इतिहास स्वर्णिम रहा है। यह अलग बात है कि पिछले कुछ दशक में टीम कमजोर होती गयी है।ओलंपिक हॉकी में भारत की पुरुष टीम के आठ स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक है। वैसे २००८ के पेइचिंग  ओलिंपिक में भारत पुरुष टीम क्वॉलिफाइ ही नहीं कर पाई थी। लंदन के २०१२ और रियो के २०१६ के लिए टीम ने क्वॉलिफाइ तो किया लेकिन क्रमशः १२वें और ८वें स्थान पर रहीं। वैसे टीम १९९६ के एटलांटा ओलिंपिक में भी ८वें स्थान पर लुढ़क गयी थी।अब टोक्यो में उसके प्रदर्शन पर नजर रहेगी।

इस बार के क्वालीफायर में भारत ने दूसरे लेग में ७-१ की बड़ी जीत से रूस को ११-३  के ऐग्रीगेट स्कोर से हराकर ओलंपिक का कोटा हासिल किया।

बेमौसम बारिश से हुए किसानों के नुकसान को तत्काल मदद – सीएम फडणवीस

चीफ मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस ने बताया कि राज्य में बेमौसम बारिश के चलते फसलों की नुकसान के मुआवजे के तौर पर दस हजार करोड़ रूपए के प्रावधान का निर्णय मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक में लिया गया है।

राज्य में बेमौसम बरसात और खरीप फसल की नुकसान के मद्देनजर फडणवीस की अध्यक्षता सीएम निवास स्थान वर्षा मे मीटिंग हुई।

फडणवीस ने कहा कि बेमौसम बारिश के कारण किसानों का बहुत नुकसान हुआ है। इस नुकसान तथा क्षतिग्रस्त फसलों का पंचनामा करने के निर्देश पहले ही दिए गए हैंं। किसानों द्वारा मोबाईल पर फोटो अपलोड करने पर उसे सबूत के रूप में स्वीकारने के निर्देश भी दिए गए हैंं। नुकसान की रिपोर्ट प्राप्त होते ही फसल के अनुसार मुआवजा निश्चित कर वह सीधे किसानों के खाते में जमा किए जाएंगे। इस आपदा के निवारण के लिए केंद्र सरकार की ओर भी वित्तीय सहायता की मांग का प्रस्ताव भेजा जा रहा है। हलांकि अभी केंद्र की मदद की राह न देखते हुए राज्य सरकार अपने निधि से ही मदद दे रही है। राज्य के तकरीबन पचास लाख किसानों ने फसल बीमा लिया है। उन्हें भी बीमा कंपनियां तत्काल मदद करें, इसके लिए संबंधित कंपनियों को निर्देश दिए गए है।

मीटिंग में राज्य के बेमौसम बारिश के कारण फसल के नुकसान का विस्तार से जायजा लिया गया। इसमें फसल के अनुसार नुकसान का अनुमानित क्षेत्र, विविध फल बगीचों, मछुआरों के नुकसान पर भी चर्चा हुई, इस कारण किसानों को अधिक से अधिक मदद देने को लेकर भी निर्णय लिया गया। नुकसान की अंतिम राशि निश्चित होने तक प्रशासन ने इस मुआवजे के लिए तकरीबन दस हजार करोड़ रूपए का प्रावधान करने के निर्देश दिए गए।

‘ राष्ट्रपति तुम्हारी जेब में है?’ शिवसेना की बीजेपी को लताड़

शिवसेना ने बीजेपी के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार के महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के बयान पर पलटवार करते हुए सवाल उठाया है ,’ क्या राष्ट्रपति बीजेपी की जेब में है ? क्या राष्ट्रपति का रबर स्टैंप बीजेपी राज्य सरकार के पास है जो 7 नवंबर तक सत्ता न बन पाने की सूरत में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू कर देगी?’

शिवसेना के माउथपीस ‘सामना’ के जरिए शिवसेना ने बीजेपी के वित्त मंत्री मुनगंटीवार के ‘सात 7 नवंबर तक सत्ता का पेंच हल न होने पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाएगा ‘ इस बयान को महाराष्ट्र और जनादेश का अपमान बताते हुए बीजेपी को खूब खरी-खोटी सुनाई है ।

शिवसेना कहती है, विदा होती सरकार के बुझे हुए जुगनू बार-बार मजाक कर महाराष्ट्र को कठिनाई में डाल रहे हैं। धमकी और जोर-जबर्दस्ती का कोई परिणाम ना होते देख विदा होती सरकार के वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने एक और एक और धमकी का शिगूफा छोड़ा है।इससे कानून और संविधान को दबाकर मनमानी करने की उनकी मंशा जाहिर होती है। ऐसा लगता है राष्ट्रपति उनकी मुट्ठी में है या राष्ट्रपति की मुहर वाला रबर स्टैंप राज्य के भाजपा कार्यालय में ही रखा हुआ है कि यदि उनकी सकार नहीं बनती तो राष्ट्रपति शासन लाद सकते हैं। मुनगंटीवार यह धमकी लोकतंत्र विरोधी और असंवैधानिक है। यह महाराष्ट्र और जनादेश का अपमान है।

सामना आगे लिखता है कि जन्म से ही सत्ता का अमर पट्टा लाने का घमंड और लोकतंत्र में बहुमत का आंकड़ा न होने पर दूसरे को सरकार न बनाने देने का घमंड महाराष्ट्र में टूट चुका है।

फिलहाल महाराष्ट्र में सरकार बनाने का पेंंच बीजेपी और शिवसेना के बीच में फंसा हुआ है दोनों में से कौन पहल करता है इस पर भी शिवसेना ने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा है कि राष्ट्रपति शासन लगाने की धमकी देने वाले को चाहिए पहले वह सरकार स्थापना का दावा तो करें ! बाद की देखी जाएगी। राष्ट्रपति संविधान की सर्वोच्च संस्था है वह कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि देश है और देश किसी के किसी की जेब में नहीं।