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महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद !

महाराष्ट्र विधानसभा की अवधि ख़त्म होने से पहले ही वहां शिव सेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार बनाने की गंभीर कोशिश शुरू हो गयी है। शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के भाजपा को झूठा कहने के बाद, कुछ देर पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तीन पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वी राज चव्हाण, सुशील कुमार शिंदे और वरिष्ठ नेता बाला साहेब थोराट मुंबई में एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलने उनके घर पहुंचे हैं।

भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस ने कहा है कि चूंकि शिव सेना एक तरह एनडीए से बाहर ही आ गयी है, भाजपा को रोकने के लिए शिव सेना को सरकार बनाने में मदद कर देनी चाहिए। यह खबर थी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तब तक शिव सेना को किसी भी तरह का समर्थन देने के खिलाफ़थीन जब तक कि वह एनडीए के साथ है। अब जबकि शिव सेना-भाजपा का रिश्ता कमोवेश औपचारिक रूप से टूट गया है, कांग्रेस समर्थन को लेकर अपना पुराण स्टैंड बदल सकती है।

इससे पहले एक प्रेस कांफ्रेंस में शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर सीधे हमला करते हुए उसे ”झूठा” करार दिया। उनके ब्यान के बाद साफ़ हो गया है कि भाजपा-शिव सेना गठबंधन टूट गया है।

जानकारों के मुताबिक यदि कांग्रेस और एनसीपी शिव सेना को समर्थन देते हैं तो उसमें तीन संभावनाएं हो सकती हैं। एक – दोनों उसे बाहर से समर्थन दें। दो – एनसीपी सरकार का हिस्सा बने और कांग्रेस बाहर से समर्थन दे और ३ – दोनों शिव सेना के साथ सरकार में जुड़ें। वैसे यह संभावना भी है कि पहले ढाई साल के लिए शिव सेना शरद पवार को मुख्यमंत्री का पद ऑफर कर दे और आदित्य ठाकरे को उप मुख्यमंत्री बनाया जाए ताकि वे अनुभव हासिल कर सकें और बाद में आदित्य को सीएम बनाया जाए।

कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना तीनों को आशंका है कि यदि राष्ट्रपति शासन लगा तो भाजपा के लिए उनके विधायकों को ”तोड़ना” आसान हो जाएगा।  वैसे भाजपा नेता बार-बार यह कह चुके हैं कि वह दूसरे दलों के विधायकों को तोड़ने की कोशिश नहीं कर रही है, न वह ऐसा करती है।

भाजपा-शिव सेना के सियासी तलाक के बाद महाराष्ट्र में तेज राजनीतिक गतिविधियां दिख रही हैं। शिव सेना के भाजपा के खिलाफ खुले रूप से आ जाने के बाद एनसीपी और कांग्रेस अपने स्टैंड को लेकरदोबारा सोचने के लिए तैयार दिख रहे हैं। जानकारों के मुताबिक महाराष्ट्र के कुछ नेताओं ने टेलीफोन से शाम को दिल्ली में आलाकमान को घटनाओं और नई राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया है।

अभी तक की जानकारी के मुताबिक शरद पवार से उनके घर मिलने पहुंचे वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण, पृथ्वी राज चव्हाण, बाला साहेब थोराट और सुशील कुमार शिंदे उनसे वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर गहन मंथन कररहे हैं। यह माना जाता है कि यह सभी नेता शिव सेना को समर्थन देने और भाजपा के ”मंसूबे” नाकाम करने के हक़ में हैं।

गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस लेने के विरोध में प्रदर्शन

केंद्रीय गृह मंत्रालय के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटाने का कांग्रेस ने कड़ा विरोध किया है। इसे लेकर युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार शाम गृह मंत्री अमित शाह का आवास के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार के खिलाफ नारे लगाए। इस बीच राहुल गांधी ने एसपीजी का आभार जताते हुए कहा है कि उसकी तरफ से दी गयी सुरक्षा के लिए वे उसके शुक्रगुजार हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक गांधी परिवार से एसपीजी की सुरक्षा हटाए जाने को लेकर काफी बवाल पैदा हो गया है। कांग्रेस की ओर से इसके खिलाफ सख्त प्रतिक्रिया आई है और इसे राजनीतिक द्वेष से भरा फैसला बताया है। कांग्रेस ने गांधी परिवार के एसपीजी सुरक्षा वापस लेने के विरोध में बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेस कर इस फैसले का सख्त विरोध किया।

शाम को ही पार्टी के छात्र संगठन एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने गृह मंत्री अमित शाह के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने एसपीजी सुरक्षा बहाल करने की मांग की। उनका आरोप था कि यह फैसला मोदी सरकार ने दुराग्रह से ग्रस्त होकर किया है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार के नए फैसले के अनुसार अब गांधी परिवार को सीआरपीएफ के जेड प्लस सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाएगी। इसका फैसला ”थ्रेट परसेप्शन” के आधार पर किया गया है।

पहले पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और बाद में पूर्व पीएम राजीव गांधी के हत्या के बाद गांधी परिवार को खतरा देखते हुए एसपीजी की सुरक्षा दी गयी थी। हालांकि सरकार  का मानना है कि क्योंकि विदेशी दौरे में गांधी परिवार एसपीजी को साथ नहीं ले जाता था और उन्हें वहां पर इस सुरक्षा के बगैर भी खतरे जैसा कुछ इनपुट नहीं मिला, लिहाजा इस सुरक्षा की जरूरत उन्हें जरूरत नहीं है। अब गांधी परिवार को पूरे भारत में सीआरपीएफ की ‘जेड प्लस’ सुरक्षा दी जाएगी।

याद रहे एलटीटीई के आतंकवादियों ने २१ मई, १९९१ को पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। गांधी परिवार २८ साल बाद बिना एसजीपी सुरक्षा के रहेगा। उन्हें सितंबर १९९१ में १९९८ के एसजीपी कानून के संशोधन के बाद वीवीआईपी सुरक्षा सूची में शामिल किया गया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इकलौते शख्स होंगे जिनके पास एसपीजी सुरक्षा रहेगी।

शिवसेना को खत्म करने की कोशिश थी बीजेपी की- उद्धव

शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने आज बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी मीठा बोल कर शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रही थी। अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्हें दुख इस बात का है पहली दफा, अमित शाह के बयानों का हवाला देते हुए ठाकरे परिवार को झूठा ठहराने की कोशिश की गई। उद्धव ठाकरे ने कहा,मुझे देवेंद्र फडणवीस से ऐसी अपेक्षा नहीं थी। सत्ता की कुर्सी इंसान को किस तरह से पागल कर देती है यह मैंने देखा।’ उन्होंने कहा कि कार्यवाह मुख्यमंत्री के तौर पर देवेंद्र फडणवीस, अमित शाह का नाम लेकर झूठ बोल रहे हैं कि हमारे बीच फिफ्टी फिफ्टी फार्मूला पर कोई डील नहीं हुई।जो बिल्कुल झूठ है।उन्होंने स्पष्ट कहा कि उन्हें अमित शाह एंड कंपनी पर अविश्वास है। ठाकरे का यह भी कहना था कि उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश करने वाले देवेंद्र फडणवीस से वह कभी बात नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि जब अमित शाह मातोश्री में आए थे तब उनके साथ क्या बातचीत हुई थी या देवेंद्र फडणवीस भी जानते हैं फिर भी वह मुझे झूठा ठहरा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी से कोई शत्रुत्व नहीं है लेकिन जुबान देख कर फिर जाना यह शिवसेना की फितरत नहीं है बीजेपी की है।.उद्वव ने यह सवाल भी पूछा कि जब उनके पास संख्या बल नहीं है बावजूद इसके वह किस बिला पर मिला दावा कर रहे हैं कि सरकार बनाएंगे?

उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी झूठ बोलती है और उसके झूठ की वजह से ही उन्होंने उसके साथ सरकार गठन को लेकर बातचीत रोक दी है।

उद्वव ने कहा कि सरकार गठन के लिए शिवसेना अन्य विकल्पों को लेकर गंभीर है। बीजेपी को झूठा बताते हुए ठाकरे ने कहा कि उन्होंने अपने पिता बाला साहेब को वचन दिया था कि एक दिन शिवसेना का सीएम होगा और हम अपना वचन निभाएंगे। उन्होंने कहा कि वचन पूरा करने के लिए हमें न अमित शाह और न बीजेपी के आशीर्वाद की जरूरत है।

फडणवीस ने इस्तीफा दिया

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यपाल  कोश्यारी से मिलकर फडणवीस ने अपना इस्तीफा अब से कुछ देर पहले करीब ४.३५ बजे दिया। राज्य में अब राष्ट्रपति शासन लगने की संभावना बढ़ गयी है। यह भी संभावना बन रही है कि शिव सेना एनडीए से बाहर आ जाए। इस्तीफे के बाद  फडणवीस ने कहा कि भाजपा ने कभी भी शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के खिलाफ कोइ ब्यान नहीं दिया जबकि शिव सेना के कुछ नेताओं ने पीएम मोदी के बारे में ऐसी बातें कहीं जो हमारे विपक्षियों ने भी कभी नहीं कही।

महाराष्ट्र में भाजपा और शिव सेना के बीच सरकार बनाने और मुख्यमंत्री पद को लेकर चली खींचतान से अब तक वहां सरकार नहीं बन पाई है। शिव सेना की मांग है उनका मुख्यमंत्री बनाया जाए लेकिन भाजपा इसके लिए कतई तैयार नहीं थी। अब यह तय हो गया है कि भाजपा-शिव सेना पूरी तरह से एक-दूसरे के खिलाफ आ गए हैं। इस्तीफे के बाद फडणवीस की प्रेस कांफ्रेंस से यह जाहिर हो गया है। उन्होंने कहा – ”वो (शिव सेना नेता) जिस भाषा में बात करते हैं हम उससे भी खराब तरीके से जवाब दे सकते हैं लेकिन हम ऐसा नहीं करना चाहते।”

फडणवीस ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके नेतृत्व में पिछले पांच साल में सरकार ने महाराष्ट्र में बहुत काम किये हैं। उन्होंने तमाम लोगों का आभार भी जताया। फडणवीस ने कहा कि उन्होंने शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे को फोन किया था उन्होंने जवाब नहीं दिया। ”ऐसा लगता है कि वे (शिव सेना) हमारे साथ रिश्ते नहीं रखना चाहते थे।

फडणवीस ने कहा कि मुख्यमंत्री बनाने को लेकर ५०-५० के फार्मूले की कोइ बात ही नहीं हुई थी। सीएम ने कहा कि ने तमाम संकटों का बहादुरी से किया। सीम ने पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्षों अमित शाह और जेपी नड्डा के अलावा सूबे की जनता का भी आभार जताया।

पहले चर्चा थी कि शिव सेना एनसीपी और कांग्रेस से समर्थन लेकर सरकार बनाएगी लेकिन अभी तक ऐसा दिख नहीं रहा जिससे संभावना बन रही है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग जायेगा।

शिवसेना एनसीपी का आरोप महाराष्ट्र में राष्ट्रपतिशासन चाहती है बीजेपी

शिवसेना और एनसीपी दोनों ही दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह जानबूझकर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन चाहती है। दोनों ही दलों का कहना था कि राष्ट्रपति शासन महाराष्ट्र और महाराष्ट्र की जनता का अपमान होगा जिसने बीजेपी शिवसेना को जनादेश दिया है सरकार बनाने का।

शिवसेना नेता संजय राउत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस दौरान वह बीजेपी अपने हितों को साधने का काम करती रहेगी।

दूसरी ओर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने ट्वीट करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी महाराष्ट्र में जानबूझकर राष्ट्रपति शासन चाहती है ताकि महाराष्ट्र मेंं मोदी और अमित शाह का राज चलता रहे।

मलिक ने ट्वीट किया- ‘महाराष्ट्र को बीजेपी राष्ट्रपति शासन की ओर धकेल, मोदी और शाह जी की जोड़ी के जरिये दिल्ली से महाराष्ट्र की सत्ता की बागडोर चलाना चाहती है। यह महाराष्ट्र का अपमान जनता सहन नहीं करेगी।’ दिल्ली के तख्त के आगे महाराष्ट्र नहीं झुकता, यह इतिहास है।’मलिक ने आगे जोड़ते हैं।

संजय राउत का कहना था कि यदि बीजेपी के पास संख्याबल है तो वह सरकार बनाने का दावा कर सकती है।पर राज्य पर राष्ट्रपति शासन थोपना जनादेश का अपमान होगा। उन्होंने आगे कहा, ‘न्याय और अधिकार की लड़ाई जारी रहेगी। न उद्धव ठाकरे झुके हैं और न ही शरद पवार। महाराष्ट्र की अस्मिता से समझौता न करने की बात कहते हुए संजय राउत ने कहा, ‘महाराष्ट्र को केयर टेकर की जरूरत नहीं है। सीएम को संवैधानिक दायरे में इस्तीफा देना पड़ेगा।’

गौरतलब है पिछले 15 दिनों से महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर बीजेपी शिवसेना के बीच रस्साकशी चल रही है। शिवसेना का दावा है कि चुनाव से पहले बीजेपी और उसके बीच 50:50 फार्मूला का वादा हुआ था जबकि बीजेपी इसे सिरे से नकार रही है। आज केंद्रीय नितिन गडकरी ने भी शिवसेना के इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि बीजेपी शिवसेना के बीच इस तरह कोई करार नहीं हुआ था।

आज शिवसेना काफी तीखे तेवरों के साथ दिखी रही है। संजय राउत ने सीधे-सीधे कहा कि वह इस मामले में किसी तीसरे की मध्यस्थता नहीं चाहते। गडकरी ने एक चैनल से बातचीत में कहा था कि वह बीजेपी शिवसेना के बीच मध्यस्थता के लिए तैयार हैंं। संजय राउत ने तो यहां तक कह दिया यदि शिव सेना को सीएम पद नहीं मिलता तो वह एनडीए से अलग होने के लिए तैयार है।

गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा वापस होगी

मोदी सरकार ने गांधी परिवार को मिली एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया है। गृह मंत्रालय की शुक्रवार को हुई बैठक में यह फैसला किया गया है। जानकारी  के मुताबिक अब गांधी परिवार को सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा दी जाएगी। अब गांधी परिवार की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के कमांडो संभालेंगे। यह नई सुरक्षा चरणवद्ध तरीके से बदली जाएगी। कांग्रेस ने इसे राजनीतिक द्वेष से किया गया फैसला बताते हुए इस फैसले की निंदा की है।

‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को हुई गृह मंत्रालय की उच्च स्तरीय  बैठक में देश में वीवीआईपी को मिली सुरक्षा की समीक्षा की गयी है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में गांधी परिवार की स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) सुरक्षा वापस लेने का फैसला किया गया है। यह समीक्षा एसपीजी एक्ट के तहत की जाती है जिसमें देखा जाता है कि जिस व्यक्ति को यह सुरक्षा प्रदान की गयी है उसका थ्रेट परसेप्शन कितना है।
अब गांधी परिवार की सुरक्षा का जिम्मा सीआरपीएफ के कमांडो संभालेंगे। गांधी परिवार में अब तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को मिली हुई थी।

जानकारी के मुताबिक भविष्य में अब गांधी परिवार को ‘जेड प्लस सुरक्षा दी जायेगी।   इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का एसपीजी सुरक्षा कवच वापस ले लिया गया था। उन्हें भी सीआरपीफ की जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की गयी है। मनमोहन का  सुरक्षा कवच डालने का फैसला अगस्त में किया गया था।

मनमोहन सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाने का फैसला भी रिव्यू के बाद किया गया था।  यह सुरक्षा देश के बड़े नेताओं को दी गई है जिनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी शामिल हैं। गांधी परिवार को यह सुरक्षा (एसपीजी) पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या के दृष्टिगत दी गयी थी। अहन यह भी गौरतलब है कि मनमोहन सिंह की बेटियों और उनसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की दतक पुत्री ने खुद ही ऐसी सुरक्षा लेने से इंकार कर दिया था।

सीजेआई ने यूपी में क़ानून व्यवस्था की जानकारी ली अफसरों से

अयोध्या में रामजन्म भूमि मामले में फैसला आने के पहले शुक्रवार सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी और पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह से उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर जानकारी  ली। जानकारी के मुताबिक प्रधान न्यायाधीश ने इस बैठक की जानकारी सार्वजानिक न करने के निर्देश उन सभी अधिकारियों को दिए हैं जो इस बैठक में उपस्थित थे।

सर्वोच्च अदालत परिसर में सीजेआई के चैंबर में गोगोई के साथ इन अधिकारियों की बैठक के दौरान अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली पीठ के चारों न्यायाधीश और राज्य सरकार के अधिकारी उपस्थित थे। माना जाता है कि प्रधान न्यायाधीश ने राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर पूरी जानकारी ली।

अयोध्या के विवादित स्थल पर कब्जे को लेकर अर्वॉच अदालत का फैसला अब कभी भी आ सकता है। सम्भावना है कि १३ से १५ नबंवर के बीच किसी दिन यह फैसला सर्वोच्च अदालत की पीठ सुनाएगी। इसे देखते हुए उत्तर प्रदेश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है ताकि किसी भी संभावित अनहोनी से निपटा जा सके। प्रधान  न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने १७ अक्टूबर को सुनवाई पूरी कर ली थी और फैसला सुरक्षित रख लिया था।

आडवाणी हुए ९२ के, बधाइयों का तांता

दिग्गज भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी शुक्रवार को ९२ वर्ष के हो गए। इस मौके पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। प्रमुख लोगों में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हैं, जिन्होंने आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाई और शुभकामनाएं दीं।

भाजपा की राजनीति के दिग्गज और कई मायनों में हीरो कहे जाने वाले आडवाणी ने भाजपा को उस दौर में ज़मीनी मजबूती दी, जब देश में कांग्रेस की राजनीति का बोलबाला था। आडवाणी अयोध्या आंदोलन के सूत्रपात रहे और कहा जा सकता है कि भारत की राजनीति को उन्होंने नई धारा दी। उनके समर्थक ही नहीं अन्य भी आडवाणी को १९९२ के अयोध्या आंदोलन का ”नायक” मानते हैं।

यह दिलचस्प है कि आज जबकि आडवाणी अपना जन्मदिन मना रहे हैं, अयोध्या पर सर्वोच्च न्यायालय का सबसे बड़ा फैसला भी आने वाला है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की मांग पर आडवाणी ने १९९० में गुजरात के सोमनाथ से रथ यात्रा शुरू की थी, जिसने भारतीय राजनीति में हिंदुत्व को नई धारा दी।

दिग्गज नेता के जन्मदिन पर पीएम मोदी ने अपने ट्वीट में कहा – ‘विद्वान, राजनीतिज्ञ और सबसे आदरणीय लालकृष्ण आडवाणीजी भारत हमेशा आपके अभूतपूर्व योगदान को याद रखेगा। आडवाणीजी ने भाजपा को आकार और ताकत देने के लिए दशकों तक कठिन परीश्रम किया है।’

सीजेआई ने अयोध्या फैसले से पहले यूपी के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को तलब किया

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख (डीजीपी) को आज (शुक्रवार) तलब किया है। प्रधान न्यायाधीश की इन अधिकारियों के साथ यह बैठक आयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के इंतजार के बीच हो रही है। दोनों अधिकारी इस समय सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गए हैं।

जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में भी सरकार की तरफ से फैसले से पहले अभूतपूर्व सुरक्षा इंतजाम किये जा रहे हैं। वहां सुरक्षा दस्तों को किसी भी अप्रयाशित हालत से निपटने की ट्रेनिंग दी जा रही है। सर्वोच्च अदालत का इस मामले में फैसला १३-१५ नवम्बर के बीच आने की संभावना जताई जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के तालाब करने के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र तिवारी और डीजीपी ओपी सिंह सर्वोच्च न्यायालय पहुँच चुके हैं। उनकी प्रधान न्यायाधीश से बैठक कुछ देर बाद हो सकती है। ऐसी सम्भावना है कि प्रधान न्यायाधीश दोनों के साथ बैठक में राज्य की कानून व्यवस्था का जायजा लेंगे। सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले मामले में फैसला सुनाने से पहले सुनिश्चित करना चाहता है कि राज्य में सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम पुख्ता हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहके केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद दिख रहे हैं। पंच कोसी परिक्रमा को लेकर अलग व्यवस्था की गई है। साथ ही ड्रोन से अयोध्या शहर की निगरानी की जा रही है।

अयोध्या के फैसले को देखते हुए गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एडवाइजरी भेजी है। सभी राज्यों को फैसले को लेकर अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही अतिरिक्त सुरक्षा के लिए गृह मंत्रालय ने अर्धसैनिक बलों की ४० कंपनियाँ भेजी हैं। इन ४० कंपनियों में ४००० पैरा मिलिट्री फोर्स के जवान शामिल हैं।

कांग्रेस ने भी बीजेपी पर विधायकों को तोड़ने का लगाया आरोप!

शिवसेना के बाद अब कांग्रेस ने भी बीजेपी पर उनके विधायकों को तोड़ने के लिए विधायकों से संपर्क करने और उन्हें प्रलोभन देने का आरोप लगाया है। विजय वाडेट्टीवार ने एक निजी चैनल पर बीजेपी के व्यवहार को असंवैधानिक कहते हुए बीजेपी पर शिवसेना द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को सही ठहराया है।

वडेट्टीवार ने आगे कहा कि उन्हें उनके 44 विधायकों पर पूरा विश्वास है कि उन्हें तोड़ना नामुमकिन है। लेकिन इस बात में भी दो राय नहीं कि विधायकों से संपर्क करने की कोशिशें की जा रही है। कल उनके साथ जबरदस्ती की जा सकती हैं, उन्हें डराया धमकाया जा सकता है।उन्होंने इस मामले में गवर्नर से मिलने की बात भी कही।

वडेट्टीवार का कहना था कि यदि बीजेपी का मित्र पक्ष, जो 25 सालों से उनके साथ है ,यह आरोप लगाता है कि उन्हें बीजेपी की तरफ से धमकाया जा रहा है और उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश की जा रही है तो इसमें सच्चाई है। और हमें भी यही लगता है।’ हमें हमारे विधायकों से खबर मिली है हमारे लोगों को भी फोन किए जा रहे हैं और तोड़ने की कोशिशेें की जा रही है’ उन्होंने कहा।

उन्होंने कहा कि जिस तरह से संजय राऊत कह रहे हैं, ठीक उसी तरह से बीजेपी की तरफ से धमकियां दी जा रही हैंं और प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं।’ हम जल्द ही इस बात का खुलासा करेंगे कि किस तरह से यह काम चल रहा है! हम अपने विधायकों को कहीं भी अलग नहीं रखेंगे हमें उन पर पूरा विश्वास है’ कांग्रेस नेता ने कहा।