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देखें पदकों पर निशाने कितने अचूक…!

साल 2019 को अलविदा 2020 का स्वागत के तौर पर हर जाते साल की घटनाओं का ज़िक्र किया जाता है। उनका विश्लेषण होता है और उनके आधार पर भविष्य की योजनाएँ बनती हैं, ऐसा माना जाता है। व्यवहारिक रूप से इस पर कितना अमल होता है यह भी सर्वविदित है। यदि खेलों की बात करें, तो भारत के लिए बीता साल काफी अच्छा माना जाएगा। हमारे पास अपनी पीठ थपथपाने के कई कारण हैं। भारतीय क्रिकेट टीम ने टी-20, एक दिवसीय मैच या फिर टेस्ट मैचों में जीत के झंडे गाड़े। भारत और बांग्लादेश के बीच दिन-रात का टेस्ट मैच खेला गया। इस खेल में एक बड़ा खेल ‘टैलेंट’ सामने आया। अब स्थिति यह है कि यदि कोई खिलाड़ी किसी वजह से टीम से बाहर हो जाए, तो उसे अपना स्थान वापस पाने के लिए कड़ी परीक्षा से गुज़रना पड़ता है। मतलब यह है कि क्रिकेट के खेल ने काफी तरक्की कर ली है। इस साल होने वाली सभी प्रतियोगिताओं के लिए भारत तैयार है। 1964-65 से लेकर 70 के दशक तक जब तक कपिल देव क्रिकेट में नहीं आये थे, तब तक देश में एक भी सही, तेज़ गेंदबाज़ नहीं था। तब उत्तर भारत में क्रिकेट का प्रचलन नहीं था। विशेषज्ञ कहते थे कि जब यह खेल उत्तर भारत में नहीं खेला जाता, तब तक तेज़ गेंदबाज़ नहीं मिल सकते। फिर साल-दर-साल यह खेल लोकप्रिय हुआ और बिशन सिंह बेदी के बाद लगातार उत्तर भारत के खिलाड़ी भारतीय टीम में आते रहे। आज 2020 के आते-आते भारत विश्व क्रिकेट में एक बड़ी ताकत बन चुका है। क्रिकेट के साथ उस समय के पुराने खेल हॉकी, कुश्ती, फुटबॉल, एथलेटिक्स, भारोत्तोलन, निशानेबाज़ी और मुक्केबाज़ी जैसे खेल उतना आगे नहीं बढ़ पाये। लेकिन बैडमिंटन में सितारे निकलते रहे, नंदू नाटेकर, प्रकाश पादुकोण, पुल्लेला गोपीचंद, सैयद मोदी जैसे खिलाडिय़ों ने देश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दी। महिलाओं में सायना नेहवाल और पीवी सिंधु ने ओलंपिक खेलों में पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। पिछले साल की यदि बात करें, तो पीवी सिंधु ने एक विश्व िखताब जीतकर बड़ा काम किया। लेकिन उसके बाद वह और कुछ नहीं कर पायी। अपनी अंतिम प्रतियोगिता तो चार खिलाडिय़ों के मूल में केवल एक ही मैच जीत सकी। नेहवाल के लिए भी यह साल कुछ खास अच्छा नहीं रहा। इन बातों पर ध्यान देने के साथ यह देखना महत्त्वपूर्ण होगा कि बैडमिंटन के पुरुष युगल में भारत को एक पहचान मिली है। यह पहचान दिलायी सात्विक सैराज रैंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी ने। अब माना जा रहा है कि क्रिकेट के बाद यदि कोई खेल भारत में सबसे ज़्यादा लोकप्रिय है, तो वह है- बैडमिंटन। इस खेल में भारत को ओलंपिक पदक की उम्मीद है। एथलेटिक्स के लिए यह साल भी कुछ खास नहीं रहा। कोई चमत्कारिक घटना नहीं घटी। इस साल टोक्यो में ओलंपिक खेल होने है, एथलेटिक्स के पहले पदक की इंतज़ार में है। यदि इतिहास पर नज़र डालें, तो 1964 के टोक्यो ओलंपिक में मिल्खा सिंह 400 मीटर दौड़ में चौथे और रंधाना 110 मीटर बाधा दौड़ में पाँचवें स्थान पर रहे। फिर 12 साल बाद यानी 1976 के मॉन्ट्रियल ओलंपिक में श्रीराम सिंह 800 मीटर दौड़ में सातवाँ स्थान पा सके। 1984 में पीटी उषा भी चौथे स्थान पर रहीं। इसी प्रकार शिवनाथ सिंह मैराथन में 11वाँ स्थान पा सके। इस स्पर्धा में भारत का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यानी पिछली 300 ओलंपिक खेलों में भारत को एथलेटिक्स में निराशा ही हाथ लगी। इस बार भी अब तक केवल छ: एथलीट ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर सके हैं। इनमें 20 किलोमीटर पैदल चाल के कोलोथुम थोडी इरफान, 4&400 मीटर मिश्रित रिले के मोहम्मद अनास, विस्मया, कृष्णा मैथ्यू और नोह निर्मल और 3000 मीटर स्टीपल चेज के अविनाश साबले शामिल हैं। यदि इनके अब तक के प्रदर्शन पर नज़र डालें, तो इरफान ने 1:20:57 घंटे का समय निकालकर क्वालीफाई किया। क्वालीफाइंग समय 1:21:00 घंटे था। इसका अर्थ यह है कि वह मात्र तीन सेकेंड से यह योग्यता-स्तर पा सका। रिले की टीम का समय 3:16:14 मिनट था। यह समय पिछले ओलंंपिक में छठे स्थान पर रही टीम के लगभग बराबर है। यही स्थिति 3000 मीटर स्टीपलचेज में है। अविनाश ने 8:21:37 मिनट के साथ क्वालीफाई किया, जबकि योग्यता स्तर 8:22:00 मिनट था। यदि ये लोग अपने इस प्रदर्शन में काफी सुधार नहीं करते, तब तक देश को पदक की सम्भावना दिखाई नहीं देेती। इतिहास गवाह है कि हमारे एथलीट, कुछ को छोडक़र, ओलंपिक में वह प्रदर्शन भी नहीं दोहरा पाते, जो उन्होंने योग्यता स्तर प्राप्त करने में दिखाया होता है। ऐसा क्यों होता है, इसका उत्तर आज तक नहीं मिला है।

रियो ओलंपिक 2016 में भारत के 30 खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया था; लेकिन सभी शुरुआती दौर में बाहर हो गये। केवल विकास गोदारा डिस्कस में चौथा स्थान पा सके बाकी केवल भाग लेकर लौट आये। इन एथलीटों के साथ 12 निशानेबाज़ भी गये थे, पर वे भी खाली हाथ लौटे। अभिनव बिंद्रा ने अन्त तक संघर्ष किया; लेकिन उनका निशाना भी पदक पर नहीं लगा। इस बार 15 निशानेबाज़ अब तक ओलंपिक के लिए योग्यता स्तर पा चुके हैं। इनमें अधिकतर नये व युवा हैं। इनसे ओलंपिक पदक की आस की जा सकती है। तीरंदाज़ी में पिछले साल (2019) भारत के खिलाडिय़ों ने शानदार प्रदर्शन किया। विश्व चैंपियनशिप में भी उन्होंने ने नार्वे को 5-1 से और कनाडा को 5-3 से हराकर फाइनल में प्रवेश किया। वहाँ वे चीन के साथ बराबरी की टक्कर में 4-5 से हार गये और रजत पदक लेकर लौटे। यदि अतानुदास, तरुणदीप राय और प्रवीण जाधव की तिकड़ी ने तनाव मुक्त रहकर तीर चलाये, तो कोई बड़ी बात नहीं कि ओलंपिक का स्वर्ण पदक भारत की झोली में गिर जाए। रियो में जो दो पदक भारत ने जीते थे, उनमें साक्षी मलिक का कांस्य पदक भी था। इस बार भी कुश्ती में भारत को पदक की उम्मीद करनी चाहिए। अब तक विनेश फोगाट, बजरंग पूनिया, रविकुमार दहिया और दीपक पूनिया ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है। हॉकी एक ऐसा खेल है, जिसमें अब तक भारत ने सबसे अधिक पदक जीते हैं। इनमें आठ स्वर्ण, एक रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। आज भी भारतीय टीम को पाँचवीं वरीयता प्राप्त है। 2008 को छोडक़र भारत की टीम हर ओलंपिक में खेली है। आज की स्थिति को देखते हुए माना जा सकता है कि भारत ओलंपिक पदक की दौड़ में शामिल है। उसके लिए क्वाटरफाइनल में पहुँचना अधिक कठिन नहीं होना चाहिए, पर उससे आगे बढऩे में शक्ति लगानी होगी। हॉकी एक मात्र ऐसा टीम खेल है, जिसमें भारत हिस्सा ले रहा है। बाकी खेलों में अभी बहुत कुछ करना बाकी हैं। कुल मिलाकर देखें, तो तीरंदाज़ी, मुक्केबाज़ी, निशानेबाज़ी, बैडमिंटन, कुश्ती, हॉकी, भारोत्तलन में पदकों की उम्मीद करनी चाहिए। ओलंपिक में भारत का सबसे अच्छा 2012 लंदन ओलंपिक खेलों का रहा है। यहाँ हमने छ: पदक जीते थे। पर 2016 रियो में यह संख्या घटकर दो रह गयी और भारत 67वें स्थान पर खिसक गया। इस बार भारत सरकार और भारतीय ओलंपिक एसोसिशन का प्रयास है कि भारत का प्रदर्शन सुधरे और देश को ज़्यादा से ज़्यादा पदक जीतने का मौका मिले।

नोरा ने बढ़ाई गर्मी

नोरा फतेही एक बार फिर से चर्चा में हैं। वह जब-जब डांस फ्लोर पर आती हैं, अपना जलवा बिखेरती हैं। इन दिनों वह रेमो डिसूजा की िफल्म स्ट्रीट डांसर को लेकर चर्चा में हैं। िफल्म में वह अहम भूमिका निभा रही हैं और बतौर परफॉर्मर उन्हें  बार अपनी डांसिंग स्किल्स का जलवा दिखाने का तो मौका मिल ही रहा है, साथ ही इस बार वह अभिनय भी करने जा रही हैं।

नोरा स्ट्रीट डांसर को लेकर काफी उत्साहित भी हैं। इसकी वजह यह है कि  बतौर परफॉर्मर उन्हें स्ट्रीट डांसर में बेहतरीन गानों पर परफॉर्म करने के मौके मिल रहे हैं। हाल ही में िफल्म का नया गाना रिलीज हुआ है, जिसमें वह स्ट्रीट डांसर के लीड अस्त्र वरुण धवन के साथ थिरकती नज़र आ रही हैं। यह नोरा की खूबी है कि वह अपने डांसिंग स्टेप्स में हमेशा ही नये एक्सपेरिमेंट करती हैं। इसलिए दर्शक उन्हें देखना भी पसन्द करते हैं। स्ट्रीट डांसर का नया गाना ‘हाय गर्मी’ धूम मचा रहा है। इस गाने में वह वरुण धवन के साथ शानदार स्टेप्स कर रही हैं। नोरा के गाने लगातार हिट नंबर बने हैं।  दिलबर -दिलबर के बाद से ही निर्माता नोरा को ध्यान में रखते हुए डांस परफॉर्मेंस वाले गाने अपनी िफल्म में शामिल करते ही हैं। ‘साकी-साकी’ और ‘कमरिया’ जैसे गानों पर परफॉर्म कर नोरा ने अलग ही पहचान बना ली है। यहीं वजह है कि उन्हें स्ट्रीट डांसर, जिसमें पूरी िफल्म ही डांस पर केंद्रित है, उसमें नोरा को अभिनय के साथ-साथ डांस परफॉर्म करने के भी शानदार मौके दिये हैं। नया गाना गर्मी ने धूम मचा रखी है और दर्शक इसे खूब पसन्द कर रहे हैं।

कम लोगों को ही यह जानकारी होगी कि नोरा इस तरह के डांस परफॉर्मेंस गानों के लिए काफी मेहनत करती हैं। अपनी फिटनेस के साथ-साथ वह रोज कई घंटों तक डांस की प्रैक्टिस करती हैं। कभी बीमार रहने पर भी वह प्रैक्टिस नहीं छोड़ती हैं। वह अपने काम को लेकर बेहद संजीदा हैं और टफ डांस मूव्स के लिए भी वह अपने कोरिओग्राफर से शिकायत नहीं करतीं, बल्कि खुद को चैलेन्ज करने की कोशिश करती हैं कि वह हर बार कुछ नया प्रयोग कर पाएं और अपने दर्शकों की उम्मीद पर खरी उतरें।

इस बारे में नोरा कहती हैं कि  मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूँ कि  मेरे परफॉर्मेस के आधार पर मेरे लिए गाने तैयार हो रहे हैं, जिसमें मुझे अपनी डांसिंग स्किल दिखाने और प्रयोग करने के मौके मिल रहे हैं।  मैं लगातार इसी तरह मेहनत करती रहूंगी और अपने डांस में एक्सपेरिमेंट्स करती रहूंगी।

बताते चलें कि हाल ही में उनके सिंगल गाने बड़ा पछताओगे को भी अच्छी लोकप्रियता मिली है। रेमो द्वारा निर्देशित  िफल्म स्ट्रीट डांसर 24 जनवरी को रिलीज होगी। 2020  में वह और भी कई दिलचस्प प्रोजेक्ट्स के साथ जुडऩे वाली हैं

‘डांसर 3 डी’ में बोल्ड लुक में आएँगी नज़र

बहुमुखी अभिनेत्री नोरा फतेही अपनी आगामी िफल्म स्ट्रीट डांसर 3 डी को लेकर बेहद उत्साहित हैं ,िफल्म को रेमो डिसूजा निर्देशित है। िफल्म केवल नृत्य के बारे में नहीं है, बल्कि सितारों का लुक भी िफल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

नोरा का लुक मूल रूप से िफल्म का टॉकिंग पॉइंट होगा क्योंकि इसे विशेष रूप से उस किरदार को ध्यान में रखकर बनाया गया है जिसे वह निभा रही है। चूंकि नोरा एक डांसर की भूमिका निभा रही है, स्ट्रीट डांसर 3 डी में उनके किरदार को ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो की बहुत मजबूत और आत्मविश्वास से भरा है। और उनके लुक को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यह नोरा के किरदार को स्वैग और ऐटिटूड देता है।

नोरा लंदन में पलीबढ़ी एक युवा भारतीय लडक़ी का किरदार निभा रही हैं और वह किरदार के साथ िफल्म में भी एक जीवंतता और ऊर्जा लाती हैं।  नोरा बहुत ही स्पोर्टी और बोल्ड लडक़ी का किरदार निभा रही हैं, जिसके पास आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं  है। पूरी िफल्म में उनसे एक सैसी वाइब दिखाई देगी ,साथ ही िफल्म में बहुत ही अलग अंदाज में अपने लाल बालो के साथ नजर आएँगी।  इस  िफल्म उसका सपना सच हुआ है, नोरा ने अपने किरादर पर कड़ी मेहनत की है और वह िफल्म में  कैसे नजर आना है इस पर विशेष ध्यान दिया है। वह खुद से  डिजाइनरों के साथ बैठकर अपने इनपुट को दिया है  उन्हें कैसे दिखना है और उनके कपड़े, उनके बाल और किस तरह का सामान वह िफल्म में अपने किरदार के लिए उपयोग करना हैं इन सब पर नोरा ने खूब काम किया है ।

ज़िन्दगी की सीख देते सदी के महानायक

‘पाँच डॉलर में लंच उपलब्ध है।’ जहाज़ में एमर हॉस्टेस ने जब घोषणा की तो जहाज़ में सवार सैनिकों मेें एक ने दूसरे से पूछा- ‘क्या लंच करेंगे भाई?’ दूसरे सैनिक ने न करते हुए कहा- ‘बहुत महँगा है।’ इसी जहाज़ में बॉलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन भी सवार थे। उन्होंने सैनिकों की बातें सुन लीं और चुपचाप एयर हॉस्टेस को बुलाकर पैसे दिये और लंच लाने को कहा। दूसरे यात्रियों ने इस दृश्य को देखा, तो उन्होंने अमिताभ बच्चन को सम्मान भी दिया और प्यार भी। अपने एक ब्लॉग में लंदन यात्रा के दौरान हुए इस वाकये को उन्होंने शेयर किया था।

बिग बी यानी बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन को हाल ही में दादा साहेब फालके पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। सिनेमा मेें श्रेष्ठ अभिनय और ऐसी कई खूबियों के कारण वे करोड़ों दिलों पर राज करते हैं। राष्ट्रपति के हाथों से पुरस्कार लेने के बाद उन्होंने कहा- ‘मैं गर्व महसूस कर रहा हूँ; लेकिन मुझे शंका है कि उन्हें कहीं घर बैठकर आराम करने का इशारा तो नहीं।’ अमिताभ ने इच्छा ज़ाहिर की कि उन्हें अभी कई ज़रूरी काम पूरे करने हैं। पिछली 11 अक्टूबर को वे 77 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन काम करने का जज़्बा अब भी बरकरार है।

वर्ष 2013 में एक पत्रिका में उनके जानदार व्यक्तित्व के बारे में लिखा गया था- ‘अमिताभ की दाढ़ी भले ही सफेद हो पर उनके बाल अब तक पूरी तरह नहीं पके हैं। 70 के पार भी वे एकाध घंटे जिम में बर्जिश करते हैं। लेखन, ब्लॉग और ट्वीट करते हुए काफी वक्त गुज़ारते हैं। उनका यह कद बॉलीवुड पर दो दशक तक चले उनके राज से नहीं बना, बल्कि उन्होंने खुद को प्रासंगिक बनाये रखने के लिए मेहनत की है। इसीलिए वे 2013 के सर्वेक्षण में अब्दुल कलाम, अण्णा हजारे, आमिर खान और सचिन तेंदुलकर से ऊपर बने रहे।’ बॉलीवुड में सुपर स्टार की पहचान बनाने के लिए बिग बी को संघर्ष के लम्बे दौर से गुज़रना पड़ा। िफल्मी करियर शुरू होने से पहले का संघर्ष और दो दशकों की अपार सफलता के शिखर के बाद से लेकर एबी कॉर्प बनाने से पहले का जानलेवा संघर्ष। अमिताभ न थके, न हारे। वे मायूस तो हुए, मगर ज़िन्दगी से भागे नहीं। ज़िन्दगी की कठोर तल्िखयों के बीच के अपने रास्ते बनाते रहे। 80 के दशक के अन्त में इस सुपर स्टार का जादू उतरने लगा था। वर्ष 1990 में आयी उनकी पसंदीदा िफल्म अग्निपथ भी दर्शकों का दिल जीत नहीं पायी इस दशक की शुरुआत में बच्चन ने अपनी कम होती लोकप्रियता को स्वीकार किया और सिनेमा जगत से अपना फासला बना लिया। लेकिन इसी दौर में अमिताभ ने अपनी कम्पनी एबीसीएस बनायी। बिग बी को अपनी इस कम्पनी से काफी उम्मीद बँधी थी। शुरू-शुरू में तो अच्छी चली, लेकिन धीरे-धीरे ये प्रयास भी असफल रहा; क्योंकि सही मैनेजमेंट नहीं रह पाया। इससे अमिताभ को सदमा लगा होगा। खासकर उस वक्त जब बेंगलूरु में कम्पनी द्वारा आयोजित की गयी मिस वल्र्ड प्रतियोगिता फ्लॉप हो गयी थी। इतना ही नहीं कानूनी दाँव-पेंच के चलते इन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़े इस शख्स ने अपने प्रसिद्ध कवि पिता डॉ. हरिवंश राय बच्चन की इस कविता को हमेशा अपने ज़ेहन में रखा-

तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी

तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ

अग्निपथ, अग्निपथ, अग्निपथ

अमिताभ ने माना है कि असफलता उन लोगों के लिए रुकावट नहीं होती, जो उच्च लक्ष्य पर पहुँचने की ठान लेते हैं। बिग बी खासकर उन युवाओं के लिए एक बड़ी मिसाल हैं, जो करियर में असफल रहने पर आत्महत्या का सोचने लगते हैं या फिर नशे की लत में फँस जाते हैं। बल्कि देश के उन किसानों को भी इस महानायक से सीख लेनी चाहिए, जो दो-चार लाख के कर्ज़ के बोस तले ज़िन्दगी से दूर जाने की सोच लेते हैं। बॉलीवुड में 50 वर्ष का लम्बा समय रहे अमिताभ ने िफल्म सात हिन्दुस्तानी से लेकर आज तक कई हिट िफल्में दीं, जिन्होंने बॉक्स आफिस पर करोड़ों का बिजनेस किया। इनकी हिट िफल्मों में शोले, जंज़ीर, दीवार, अभिमान, शराबी, डॉन, कुली, गंगा यमुना, अमर अकबर एंथोनी, नमकहराम, आनंद, वक्त, ब्लैक, फैमिली, बागवान, आरक्षण, सत्यागृह, पिंक, सरकार, पीकू, नि:शब्द, कभी अलविदा न कहना, मोहब्बतें, अक्स, चीनी कम आदि।

अमिताभ के बड़े कद यानी व्यक्तित्व के पीछे एक मज़बूत पृष्ठभूमि काम करती है, जिसके पीछे इनके माता-पिता की शिक्षा भी रही है। वह है अमिताभ का ज़मीन से जुड़े होना, अपनी संस्कृति को जीना, अनुशासन, अनुभवी, स्वाभाविकता, संज़ीदगी, स्वावलंबन, अंतर्मुखी और कम बोलने वाले, परिस्थितियों से हार न मानने वाले। यही चीज़े उनके व्यक्तित्व को विराट बनाती हैं और उन्हें सदी के महानायक की उपाधि दिलाने में मुखर होती हैं।

डॉ. आशा अर्पित

(यह लेख लेखिका की आने वाली पुस्तक ‘अपने हिस्से का आदमी’ से है।)

आखिर मान ही गये माँ-बाप

सन् 1997 की बात है,  उत्तराखण्ड के नैनीताल में गॢमयों की छुट्टियाँ बिताने के लिए इस्लाम नाम का एक युवा गया हुआ था। वहीं पर अपने परिवार के साथ एक युवती सीमा भी गयी हुई थी। कहते हैं कि ईश्वर को जिससे जिसे मिलाना होता है, उसे किसी न किसी बहाने से मिला ही देता है। अगर ऐसे लोगों को अलग भी करना चाहती है, तो भी अलग नहीं कर पाती। लेकिन दुनिया या समाज की ओछी सोच के चलते कई बार हँसती-खेलती ज़िंन्दगियाँ बर्बाद हो जाती हैं। ऐसे कई उदाहरण भी मेरे ज़ेहन में हैं, जो आज भी अंदर तक हिलाकर रख देते हैं। लोगों को ऐसा नहीं करना चाहिए। अगर इस दुनिया को लम्बे समय तक ज़िंन्दा रखना है; मानव अस्तित्व को बचाकर रखना है, तो इंसानियत, मोहब्बत और इज़्ज़त को बचाकर रखना पड़ेगा। यह बहुत छोटी-सी बात है, मगर जब मामला दो लोगों के प्यार का आता है, तो सभी प्यार के विरोध में खड़े हो जाते हैं। जब कोई िफल्म में प्यार के िखलाफ होता है, तो हम उसके विरोध में होते हैं और दिल से यही चाहते हैं कि दो प्यार करने वालों का मिलन होना ही चाहिए, परन्तु असल ज़िंन्दगी में हम ही प्यार करने वालों के दुश्मन हो जाते हैं। वहाँ हम नकली मोहब्बत में इतने इमोशनल हो जाते हैं कि हम नकली बिलेन को असली बिलेन मान लेते हैं और यहाँ सिर्फ दिखावे की शान-ओ-शौकत और झूठी इज़्ज़त के लिए खुद ही बिलेन बन जाते हैं।

खैर, यहाँ इस्लाम और सीमा की बात करते हैं। यह इत्तेफाक ही था कि इस्लाम और सीमा तथा उसका परिवार एक ही होटल में  ठहरे हुए थे। दोनों के कमरे भी अगल-बगल के थे। दूसरे दिन सुबह नाश्ते की टेबल पर इस्लाम जाकर बैठा था, तभी सीमा और उसके परिजन भी नाश्ता करने पहुँचे और इस्लाम के बगल में लगी डाइनिंग टेबल पर बैठ गये। सीमा बराबर की टेबल पर इस्लाम के सामने की तरफ बैठी थी और उसके माता पिता इस्लाम के बराबर में। नाश्ता करने के दौरान दोनों की एक-दो बार नज़रें मिलीं। शायद दोनों की ही नज़रों में एक-दूसरे के प्रति आकर्षण पैदा हुआ और फिर यह सिलसिला चोरी-छिपे शुरू हो गया। इस दौरान सीमा के माता-पिता का भी ध्यान दोनों की तरफ गया, परन्तु उन्होंने इस बात को सामान्य रूप से ही लिया। नाश्ते के बाद इस्लाम और सीमा तथा उसका परिवार होटल के लॉन में धूप सेंकने पहुँचे। लॉन में होटल में ठहरे हुए और भी सैलानी गये थे। जब सीमा अपने माता-पिता के साथ लॉन में टहल रही थी, तभी उसका पैर फिसल गया और उसमें मोच आ गयी। इस्लाम यह सब देख रहा था। सीमा आई! करके मैदान में बैठ गयी और उसके माता-पिता क्या हुआ सीमा बेटा? कहते हुए उसके पास दौड़े। उन्होंने सीमा को उठाने का प्रयास किया, पर वह उठ नहीं पायी। जैसे ही उसने उठने की कोशिश की, वह दर्द से कराहकर दोबारा बैठ गयी। इस्लाम के दादा वैद्य थे और इस्लाम उनसे छोटी-मोटी तकलीफों का इलाज सीख चुका था। वैसे इस्लाम बीएड कर रहा था और अध्यापक बनना चाहता था। यह सीमा के पास आने का मौका था या इंसानियत, पता नहीं; पर इस्लाम वहाँ आया औ उसके माता-पिता से कहा कि वह सीमा का पैर ठीक कर सकता है। उसके माता-पिता ने पहले तो उसे हैरत भरी नज़रों से देखा और फिर बेटी को परेशान देखकर इजाज़त दे दी। इस्लाम ने सीमा का पैर पकड़ा और थोड़ी ही देर में मालिश आदि करके ठीक कर दिया। हालाँकि, शुरू में सीमा चिल्लाई, पर बाद में आराम होन पर खुश भी हुई। सीमा और उसके माता-पिता ने इस्लाम का शुक्रिया किया। इसके बाद तो वे एक ही जगह जाकर बैठे और बातें करने लगे। दोनों की तरफ से बहुत सारी बातें हुईं। सीमा के माता-पिता ने इस्लाम से कई सवाल किये। इसी बीच सीमा के पिता ने अपने और सीमा के बारे में भी थोड़ा-बहुत बताया। सीमा बीए फस्र्ट में पढ़ती थी और अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी। जब सीमा के पिता इस्लाम से सवाल पूछ रहे थे तब सीमा इस्लाम की तरफ देखे जा रही थी और जब वे सीमा का परिचय इस्लाम को दे रहे थे, तब सीमा की तरफ इस्लाम देखे जा रहा था। यह एक इत्तेफाक था कि दोनों एक ही ज़िंले के थे। अब दोनों में बातचीत होने लगी। पता और टेलिफोन नंबर का आदान-प्रदान हो गया। दो दिन वहाँ रहने के बाद इस्लाम चला गया। वहीं सीमा और का माता-पिता शायद एक दिन और रुके। किसी को नहीं मालूम था कि दोनों में प्यार हो गया है। करीब तीन महीने बाद जब सीमा ने अपनी माँ को बताया कि वह इस्लाम से शादी करना चाहती है, तब यह बात आग की तरह फैल गयी और हंगामा खड़ा हो गया। सीमा को थप्पड़ भी पड़े, डाँट भी और कॉलेज आने-जाने पर पाबंदी भी लगी। इसी तरह करीब छ: महीने का समय बीत गया। दोबारा सब सामान्य हो गया। सीमा फिर से कॉलेज जाने लगी। इस बीच उसकी शादी तय कर दी गयी। सॢदयों में उसकी शादी होनी थी। एक दिन सीमा शाम को घर नहीं लौटी। उसके माता-पिता ने उसे ढूँढना शुरू किया, पर कहीं पता नहीं लगा।

अगले दिन एक छोटे से अखबार में एक इश्तहारनुमा खबर निकली कि मज़हबों की सीमाएँ तोडक़र प्रेमी युगल ने की कोर्ट मैरिज। खबर पढक़र सीमा के पिता सन्न रह गये और माँ रोने लगी। पर अब क्या होना था? दोनों प्रेमी मज़हबी दीवारों को तोडक़र पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते में बँध चुके थे। एक साल तक सीमा न अपने घर लौटी और न ही उसके घर वालों ने उसे बुलाया। हाँ, याद सबने किया। लोगों ने उसे खूब कोसा। मगर इस बीच सीमा की अपने घर वालों से, खासकर अपनी माँ से बात होने लगी थी। दोनों ओर से मिलने की एक तड़प थी। सीमा को एक बेटा हुआ और दोनों परिवारों का मिलन भी। मगर इस मिलन ने सीमा की तरफ के कई रिश्ते तोड़ दिये। पर उसके माता-पिता ऐसा नहीं कर सके।

कुपवाड़ा में हिमस्खलन से ४ जवानों सहित ९ की मौत

जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही बर्फबारी कहर साबित हो रही है। कश्मीर संभाग के कुपवाड़ा इलाके में भारी बर्फबारी के कारण चार सैनिकों समेत ९ लोगों की जान चली गयी है।

जानकारी के मुताबिक कुपवाड़ा के माछिल सेक्टर में हिमस्खलन से चार जवान शहीद  हो गए। जानकारी के मुताबिक माछिल सेक्टर में सेना की कई चौकियां हिमस्खलन की चपेट में आई हैं।

अन्य घटनाओं में घाटी में हिमस्खलन की चपेट में आने से पांच आम नागरिकों की मौत होने की खबर है। रामपुर और गुरेज सेक्टर में हिमस्खलन की कई घटनाएं हुई हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक माछिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास मंगलवार को सेना की एक चौकी हिमस्खलन की चपेट में आ गई। इस हादसे में चार जवान शहीद हो गए। उधर नौगाम सेक्टर में तैनात एक बीएसएफ कांस्टेबल भी हिमस्खलन की चपेट में आने से शहीद हो गया। इससे पहले सोमवार को गांदरबल जिले में नौ लोग हिमस्खलन की चपेट में आए थे। उनमें से पांच की मौत हो गई हैं। इनमें एक की परिवार के तीन लोग शामिल हैं।

बंगलोर के इस बैंक के खाताधारकों के लिए बुरी खबर

महाराष्ट्र के सबसे बड़े सहकारी बैंक पीएमसी बैंक पर आरबीआई की लगाई गई पाबंदियों का मामला अभी पूरी तरह थमा भी नहीं था, कि कर्नाटक की राजधानी से ऐसा ही एक और मामला सामने आ गया है। बंगलोर के एक सहकारी बैंक पर अब केंद्रीय बैंक ने तत्काल प्रभाव से कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। निजी क्षेत्र का यह बैंक अगले छह महीने तक आरबीआई की अनुमति के बिना कोई नया कर्ज भी नहीं दे सकता है। साथ ही बिना अनुमति वह इस दौरान कोई निवेश भी नहीं कर सकता है। इसी तरह की पाबंदियां  महाराष्ट्र के पीएमसी बैंक पर भी लगाई गई थीं।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक पर ये अंकुश लगाए हैं। इससे जमाकर्ताओं का बेचैन होना लाजिमी है। आरबीआई की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि अब इस बैंक से कोई भी खाताधारक अधिकतम 35000 रुपये ही निकाल सकेगा। इसके अलावा भी कुछ और पाबंदियां लगाई गई हैं।

देश में बैंकों की हालत पहले से ही खस्ता चल रही है। अर्थव्यवस्था में भी काफी सुस्ती छाई हुई है। इन सबके बीच अगर देश के बैंक जिन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था का रीढ़ कहा जाता है, क्योंकि बैंकों से ही पैसों और कर्ज का लेन-देन होता है। अगर बैंक ही दिवालिया होने के कगार पर पहुंचने लगें या इनमें इतनी अनिमिततता बरती गई हो कि  उन बैंकों को बंद करने की नौबत आ जाए तो यह भविष्य के लिए अच्छे संकेत तो नहीं कहे जा सकते।

बंगलोर के सहकारी बैंक पर पाबंदियों के मामले में भाजपा के सांसद तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि ‘मैं श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक के जमाकर्ताओं को आश्वासन दिलाता हूं कि उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इस बाबत अवगत करा दिया गया है और वह स्वयं इस मुद्दे की निगरानी कर रही हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार सभी खाताधारकों के हितों की रक्षा करेगी। वित्त मंत्री की ओर से जताई गई इस चिंता के लिए आभारी हूं।’

यूपी में पहली बार कमिश्नर प्रणाली लागू

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने ऐतिहासिक फैसला किया है। कानून व्यवस्था और अपराध में सुधार के लिए यूपी सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए लखनऊ व नोएडा को मेट्रोपोलिटन शहर घोषित कर दिया है। इसके साथ ही इन दोनों बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी है।

सोमवार को योगी कैबिनेट की हुई बैठक में मुहर के बाद दोनों जिलों के पहले पुलिस आयुक्त की तैनाती का आदेश भी जारी कर दिया गया। प्रयागराज के एडीजी जोन सुजीत पांडेय को लखनऊ और मेरठ रेंज के एडीजी आलोक सिंह को नोएडा का पहला पुलिस कमिश्नर नियुक्त किया गया है।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को दी। उन्होंने कहा कि इच्छा शक्ति के अभाव के कारण प्रदेश में 50 सालों में पुलिस सुधार का यह महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो पाया था। नई व्यवस्था से आम लोगों को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। कानून व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और सुरक्षा की दृष्टि ये काफी अहम कदम है।

कमिश्नर को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के अधिकार
पुलिस आयुक्त व उपायुक्तों को जिला प्रशासन से संबंधित तमाम अधिकार मिल जाएंगे। इसमें शांति-व्यवस्था, गुंडा, गैंगस्टर, अनैतिक व्यापार, पशु क्रूरता, विस्फोटक,, गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम सहित 15 अधिनियमों में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की तरह कार्रवाई के अधिकार हासिल होंगे।

डीएम के पास बचेंगे ये अधिकार 
शस्त्र लाइसेंस जारी करने, बार लाइसेंस जारी करने, सराय एक्ट और मनोरंजन कर के अधिकार पूर्व की तरह डीएम के पास ही रहेंगे।

बिहार में एनआरसी नहीं करेंगे लागू, नीतीश कुमार ने कहा

देश भर में विरोध प्रदर्शनों के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि बिहार में किसी भी सूरत में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा।

उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून पर कहा कि इसपर बहस होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एनआरसी आया कहा से ? फिर कहा, यह तो राजीव  गांधी के समय में असम को लेकर आया था। उनहोंने कहा कि बिहार में एनआरसी को किसी भी सूरत में लागू नहीं किया जाएगा।

हालांकि उनके ब्यान के बाद आरडी नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश के ब्यान को नाटक बताया और कहा कि यदि वे एनआरसी के विरोधी हैं तो क्यों उन्होंने संसद में सीएए का समर्थन किया था।

यहाँ यह भी दिलचस्प है कि नीतीश कुमार ने निकट सहयोगी प्रशांत किशोर ने एक दिन पहले ही कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में एनआरसी और नागरिक क़ानून का पुरजोर विरोध करने के लिए पार्टी के अलावा कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की खुलकर तारीफ की थी। यही नहीं रविवार को एक ट्वीट कर किशोर नेदावा किया था कि ”नीतीश कुमार न नागरिक क़ानून और न एनपीआर-एनआरसी लागू करेंगे।”

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने लोगों को गुमराह किया : सोनिया गांधी  

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में सोमवार को विपक्षी दलों की नागरिकता क़ानून, एनआरसी के खिलाफ और छात्र आंदोलन के समर्थन में हुई बैठक में विपक्ष के २० दल शामिल हुए। इस मौके पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा के सीताराम येचुरी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जैसे नेता उपस्थित थे। बैठक के  बाद सोनिया गांधी ने मोदी सरकार कर जबरदस्त हमला किया और कहा कि सीएए और एनआरसी के खिलाफ नागरिकों खासकर युवाओं ने देश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया है जिससे जाहिर होता है कि इन कानूनों के खिलाफ के खिलाफ युवाओं और देश में बड़े पैमाने पर निराशा और क्रोध है। कांग्रेस की पहल पर हुई इस बैठक से हालांकि बसपा प्रमुख मायावती, शिव सेना, टीएमसी जैसे दलों ने किनारा किया।

संसद एनेक्सी में हुई इस बैठक में प्रमुख नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा के सीताराम येचुरी, झामुमो के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,रालोद के अजित सिंह, भाकपा के डी राजा, राजद के मनोज झा, नेशनल कांफ्रेस (एनसी) नेता हसनैन मसूदी, एनसीपी के प्रफुल्ल पटेल के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, एके एंटनी, केसी वेणुगोपाल, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सुरजेवाला भी शामिल रहे।

बैठक के बाद सोनिया गांधी ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ नागरिकों खासकर युवाओं के विरोध प्रदर्शनों पर यूपी और दिल्ली में पुलिस की कार्रवाई को चौंकाने वाला बताते हुए इसे पक्षपातपूर्ण और क्रूर करार दिया। कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने उत्पीड़न के खिलाफ ढीला रवैया अपनाया, नफरत फैलायी और लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश की।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा – ”देश में अभूतपूर्व उथल-पुथल है। संविधान को कमजोर किया जा रहा है और शासन के उपकरणों का दुरुपयोग किया जा रहा है। सीएए और एनआरसी के खिलाफ नागरिकों खासकर युवाओं ने देशव्यापी विरोध प्रदर्शन किया  है। यह सीएए और एनआरसी उनके व्यापक निराशा और क्रोध को दर्शाता है।”

सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने लोगों को गुमराह किया है। उन्होंने केवल हफ्तों पहले दिए गए अपने खुद के बयानों का खंडन किया और अपने उत्तेजक बयान जारी रखे।

बैठक में देश के वर्तमान हालात पर विस्तार से चर्चा की गयी। इनमें संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद बने हालात और आर्थिक मंदी शामिल हैं।

जामिया हिंसा पर कल ही कार्रवाई करेंगे : कुलपति अख्तर ने कहा

दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने कहा कि उनकी तरफ से जामिया हिंसा मामले में एफआईआर दर्ज की गयी थी, लेकिन वह अभी तक रिसीव नहीं हुई है। उन्होंने यह बात तब कही जब बड़ी संख्या में छात्रों ने सोमवार को अख्तर के कार्यालय का घेराव किया और दिसंबर में इसके परिसर के भीतर हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। अख्तर ने कहा कि कल से ही इस पर कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस नेता शशि थरूर भी रविवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे छात्रों, महिलाओं और अन्य लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया ही नहीं शहीनबाग स्थित प्रदर्शन स्थल पर भी गए थे। यह आंदोलन आज भी जारी रहा।
उधर सोमवार को जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के छात्रों ने करीब दो घंटे प्रदर्शन किया जिसके बाद वीसी नजमा अख्तर बाहर आईं और उन्होंने प्रदर्शनकारी छात्रों के सारे सवालों के जवाब दिए। उन्होंने १५ दिसंबर को जामिया हिंसा पर कहा कि दिल्ली पुलिस बिना इजाजत कैंपस के अंदर घुसी। ”कल से दिल्ली पुलिस के खिलाफ एफआईआर की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी”।
प्रदर्शनकारी छात्रों को कुलपति ने बताया कि विवि प्रशासन की तरफ से जामिया हिंसा मामले में एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन वह अभी तक रिसीव नहीं हुई है। ”हम इससे आगे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि हम सरकारी कर्मचारी हैं। इस मामले में हमने सरकार के सामने भी आपत्ति दर्ज कराई है। अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट भी जाएंगे”।
उधर रविवार देर शाम कांग्रेस नेता शशि थरूर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध कर रहे छात्रों, महिलाओं और अन्य लोगों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया और शाहीन बाग स्थित प्रदर्शन स्थल पर गए। उनके साथ दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और सीलमपुर के पूर्व विधायक मतीन अहमद भी थे।
थरूर ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम और नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ इस लड़ाई में पार्टी छात्रों के साथ खड़ी है। बाद में थरूर ने एक ट्वीट में कहा – ”जामिया मिलिया के प्यारे दोस्तो, मजबूती के साथ खड़े रहो। हम तुम्हारे साथ हैं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस।” एक और ट्वीट में थरूर ने कहा – ”’शाहीन बाग की महिलाओं के साहस, जुनून और दृढ़ संकल्प को देखना शानदार रहा। इसमें बहुत बुजुर्ग दादियां भी शामिल हैं। वे शुरुआत से ही भूख हड़ताल पर हैं। उन सभी को उनकी पूरी प्रशंसा के साथ संबोधित किया।”