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इसी महीने आयेगी फिल्म ‘यहाँ सभी ज्ञानी हैं’

इन दिनों स्थानीय भाषाओं में लिखे डायलॉग्स और कहानियों का दर्शक मंत्रमुग्ध होकर लुत्फ ले रहे हैं। दरअसल, ये स्थानीय भाषाएँ हल्की चुटीली और मज़ेदार भी लगती हैं। कानपुर की खास खड़ी बोली भी इसी तरह की भाषा है। पहले भी कानपुर की भाषा और कहानियों पर कई फिल्में बन चुकी हैं; लेकिन इस बार कानपुर के खास डायलॉग ‘यहाँ सभी ज्ञानी हैं’ पर फिल्म आ रही है। यह फिल्म 31 जनवरी, 2020 को लॉन्च हो रही है।

हाल ही में इस फिल्म का ट्रेलर शानदार अंदाज़ में लॉन्च कर दिया गया। यह अतुल श्रीवास्तव, नीरज सूद व अपूर्व अरोड़ा द्वारा अभिनीत फिल्म है। ट्रेलर लॉन्च इवेंट पार्टी में अतुल श्रीवास्तव, नीरज सूद, अपूर्व अरोड़ा, मीना नाथानी, अनंत नारायण त्रिपाठी, सिद्धार्थ शर्मा और ज्योति शर्मा मौज़ूद रहे। अतिथियों में सौरभ शुक्ला, पार्थो घोष और सिद्धार्थ शुक्ला भी शामिल हुए। इस शानदार पार्टी में अतुल श्रीवास्तव और नीरज सूद ने मज़ेदार कनपुरिया नाटक मीडिया और दर्शकों के सामने लाइव परफॉर्म करके सबको हँसाया और फिर लाइव म्युजिक ने समा बाँध दिया। उसके बाद पूरी टीम मीडिया से रू-ब-रू हुई।

इस फिल्म को अल्टीरियर विज़न प्रोडक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले और फ्यूचर िफल्म्स की साझेदारी में बनाया गया है। इस फिल्म के निर्माता हैं सिद्धार्थ शर्मा, तो वहीं इसे को-प्रोड्यूस ज्योति शर्मा ने किया है। इस फिल्म का संवाद लेखन, इसकी कहानी लिखने के अलावा इस फिल्म का निर्देशन भी अनंत नारायण त्रिपाठी ने किया है। उन्होंने ज्योति शर्मा के साथ मिलकर इस फिल्म का स्क्रीनप्ले भी लिखा है।

इस फिल्म का सम्पादन राजेश पांडे और इसकी सिनेमाटोग्राफी शिरीष देसाई ने की है। फिल्म का संगीत दिया है साधु तिवारी ने और इस फिल्म के कुछ गीत भी उन्होंने गाये हैं। फिल्म के गाने रोहित शर्मा ने लिखे हैं और निशांत सलील ने इसका पाश्र्वसंगीत दिया है। इस फिल्म में नीरज सूद, अतुल श्रीवास्तव और अपूर्वा अरोड़ा जैसे लोकप्रिय चेहरे अहम िकरदारों में नज़र आएँगे, जो अपने उम्दा अभिनय के लिए जाने जाते हैं। ये कलाकार सलमान खान, अक्षय कुमार और आयुष्मान खुराना जैसे बड़े सितारों के साथ काम कर चुके हैं। बहरहाल, इस फिल्म में विनीत कुमार, मीना नथानी, गुलिस्ता, राधे श्याम दीक्षित, मंजू गुप्ता, शशि रंजन भी अहम िकरदारों में नज़र आएँगे।

कानपुर में शूट हुई यह फिल्म एक कॉमेडी-ड्रामा है, जो कि पप्पू तिवारी (अतुल श्रीवास्तव) और उनके परिवार की अजीबोगरीब परेशानियों पर बनी है। अपनी सम्पत्ति बेचने के बाद पप्पू और उसकी डिस्फंक्शनल फैमिली की माली हालत पहले से कहीं बेहतर हो जाती है। अब महज़ विरासत में मिली एक ही सम्पत्ति बची होने की वजह से उनके सिर पर आॢथक संकट मंडरा रहा होता है। ऐसे में पप्पू के मन में विरासत में मिली अपनी सम्पत्ति को अच्छी कीमत पर बेच देने का खयाल आता है। मगर जब यह खयाल उनके ज़ेहन में आता है, तो उनकी दिवंगत अम्माजी उनके सपने में आकर उन्हें सताने लगती है। इस बात का कोई ओर-छोर नहीं समझ पाने के बाद एक दिन वह पारिवारिक पंडित के पास जाते हैं। यहाँ पप्पू को बताया जाता है कि उनकी कुंडली में पूर्वजों की छिपी हुई सम्पत्ति हासिल करने का योग लिखा हुआ है। ऐसे में उसे अब इस बात का एहसास होता है कि उनकी अम्माजी उस वक्त क्या कहना चाहती थीं। इस खबर को सुनने के बाद उनका पूरा परिवार खुशी से झूम उठता है। करोड़पति बनने के खयाल के मद्देनज़र वो सम्पत्ति से जुड़े तमाम ऑफर को ठुकरा देता है। इस खुशहाल माहौल में पंडितजी उनकी बेटी गोल्डी के लिए कानी के बेटे राकेश के साथ शादी का रिश्ता ले आते हैं। कानी शहर का नवधनाढ्य िकस्म का शख्स है, जो हाल ही में राजनीति से जुड़ा है। मगर कानी दहेज की माँग करके पप्पू को एक बड़ी मुश्किल में डाल देता है। पप्पू यह सोचकर उनकी हर माँग मान लेता है कि उनके इस त्याग का सिला उसे उस वक्त मिल जाएगा, जब उसे अपने बेटे के लिए दहेज माँगने का मौका मिलेगा।

इस एक घटना से पप्पू और उसके परिवार को ऐसा लगने लगता है कि अम्माजी की आत्मा गोल्डी में आ गयी है, ताकि उन्हें अपने पूर्वजों की सम्पत्ति ढूँढने में मदद मिल सके। लेकिन धन नहीं मिलता। शादी की तारीख करीब आ जाती है, कर्ज़ का पैसा वापस माँगने वालों का ताँता लग जाता है। रियल एस्टेट की कीमत गिर जाती है और इस तरह दहेज की माँग पूरी नहीं होती है। तब जाकर इस परिवार को सबक मिलता है कि उसके पास जो असली सम्पत्ति थी, उसे उसने पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया। इस फिल्म की शूटिंग कानपुर, उत्तर प्रदेश और मुम्बई के विभिन्न लोकेशन्स पर पूरी की जा चुकी है।

जैसा कि सभी जानते हैं कि कई बॉलीवुड फिल्में उत्तर प्रदेश की स्थानीय भाषा और कलेवर से प्रेरित होकर बनी हैं और बन रही हैं। हाल ही की कुछ िफल्मों, जैसे- ‘लुका छुपी’, ‘बाला’, ‘पति पत्नी’ और ‘वो’ ने बॉक्स ऑिफस पर धाक जमायी है। ऐसे ही एक और बॉलीवुड फिल्म ‘यहाँ सभी ज्ञानी हैं’ आने वाली है, जो कि कानपुर के एक परिवार की कहानी है। कानपुर अपनी खड़ी बोली और देशी भाषा के लिए जाना जाता है।

डायलॉग्स को लेकर सेट पर ही हुई थी तकरार

शूट के दौरान फिल्म के लेखक/निर्देशक अनंत नारायण त्रिपाठी और मुख्य अभिनेता अतुल श्रीवास्तव के बीच डायलॉग में इस्तेमाल की जा रही अभद्र भाषा को लेकर सेट पर खासी तकरार हो गयी। दरअसल, एक सीन में पप्पू तिवारी यानी कि अतुल श्रीवास्तव को बेहद गुस्सा आते ही तुरन्त गाली देनी होती है। अभिनेता अतुल श्रीवास्तव ने फिल्म में अब्यूजिव डायलॉग बोलने से इन्कार कर दिया। इसी सीन के कारण फिल्म के लेखक/निर्देशक अनंत नारायण त्रिपाठी और अतुल श्रीवास्तव में बहस शुरू हो गयी कि गाली का इस्तेमाल इस डायलॉग में ज़रूरी है या नहीं; लेकिन अतुल अपनी बात पर डटे रहे कि गुस्से का इज़हार अलग ढंग से बिना गाली बोले भी किया जा सकता है। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे और इस विवाद के कारण अंत में अतुल सेट छोडक़र चले गये। नीरज सूद जो कि फिल्म में लड्डू (पप्पू तिवारी का साला) का रोल निभा रहे हैं, उन्होंने बताया कि मुझे लगा कि फिल्म कैंसिल हो जाएगी या फिर अतुल जी के रोल के लिए किसी और कलाकार को लाया जाएगा। सेट के माहौल को देखते हुए उस दिन शूट रोक दिया गया और अगले दिन अतुल सेट पर नहीं आये, तो दूसरे सीन का शूट किया गया

निर्देशक के कुछ कानपुर में चूँकि खड़ी बोली आमतौर पर बोली जाती है। ‘यहाँ सभी ज्ञानी हैं’ के लेखक और निर्देशक अनंत के मुताबिक, फिल्म में स्क्रिप्ट के हिसाब से वो डायलॉग ज़रूरी थे, जबकि अतुल श्रीवास्तव के मुताबिक उन्हें कानपुर की बोली के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करना कहीं से भी सही नहीं लग रहा था। इसी गर्मागर्मी में अतुल सेट छोडक़र चले गये और शूट बन्द करना पड़ा। अतुल श्रीवास्तव ने कहा, मुझे नहीं लगता कि कानपुर की बोलचाल दिखाने के लिए अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करना ज़रूरी है। ये फिल्म एक फैमिली ड्रामा हैं और मेरे हिसाब से साफ-सुथरी कॉमेडी फिल्में ज़्यादा अच्छी होती हैं; क्योंकि हर उम्र के लोग इसे साथ बैठकर देख सकते हैं।

आखिर में काफी बहस के बाद ऐसा लगा कि फिल्म का नया लीड मिलने तक फिल्म निर्माण को कुछ दिनों के लिए रोकना होगा; लेकिन अनंत और अतुल ने सोचा कि आपस में दोबारा बैठ के शान्ति से मसला हल किया जाना चाहिए। तब दोनों एक बार फिर आपस में बैठे और एक-दूसरे की बात को समझने की कोशिश की। अनंत ने अपनी भूल को मानते हुए कहा- ‘चूँकि मैं फिल्म का लेखक भी हूँ और कभी-कभी लेखक होने के कारण अपने लिखे शब्दों से लगाव हो जाता है। इस वजह से मुझे लगा कि फिल्म की भाषा भी यहाँ की खड़ी बोली मूल भाषा जैसी ही होनी चाहिए। लेकिन जब अतुल ने मुझे समझाया कि अपनी बात कहने के लिए गाली का इस्तेमाल ज़रूरी नहीं है और ये एक फैमिली ड्रामा है, जिसे हम चाहेंगे कि हर वर्ग के लोग देख सकें। मैंने उनकी सारी बात एक निर्देशक के रूप में सुनी और मुझे उनकी बात सही लगी।’ जिस सीन के करण इतना विवाद हुआ उसे दोबारा लिखने में अनंत को पाँच घंटे लगे और पूरी फिल्म का शूट 25 दिनों में पूरा हो गया। हालाँकि, ये आपस का विवाद एक तरह से प्रोजेक्ट के लिए अच्छा ही साबित हुआ; क्योंकि फिल्म को सेंसर बोर्ड से यू सर्टििफकेट आसानी से मिल गया।

शादी इंसानों की है, मज़हबों की नहीं

रजत अपने गृह राज्य बिहार से जब दिल्ली निकला था, तब उसने यह नहीं सोचा था कि उसकी िकस्मत उसे कहाँ से कहाँ ले जाएगी। उसने सिर्फ इतना ही सोचा था कि किसी कम्पनी में नौकरी करेगा और आराम से ज़िन्दगी जियेगा। इसका एक कारण यह भी था कि अंग्रेज़ी बिल्कुल भी नहीं जानता था। उसे इस बात का शुरू में तो कोई आभास नहीं था कि अंग्रेज़ी आज के दौर में कितनी ज़रूरी है, लेकिन जब वह दिल्ली आया और उसे एक छोटी कम्पनी में नौकरी मिली, तो उसे एक झटका-सा लगा। वहाँ दूसरों की अपेक्षा उसकी अंग्रेज़ी बहुत कमज़ोर थी, अंग्रेज़ी ही क्या, हिन्दी भी कमज़ोर थी।

लेकिन कहते हैं कि अगर िकस्मत इंसान को राजा बनाना चाहे, तो वह राजा भी बन जाता है। रजत को इस बात का अफसोस था कि उसकी अंग्रेज़ी इतनी खराब क्यों है? उसने ज़िद ठान ली कि अंग्रेज़ी सीखकर ही दम लेगा और वह इस दिशा में जी-जान से लग गया। एक साल के अंदर ही उसकी अंग्रेज़ी इतनी अच्छी हो गयी कि सभी हैरत में रहने लगे। यहाँ तक कि कम्पनी में उसका स्तर और इज़्ज़त दोनों ही बढ़ गये। और एक दिन उसकी िकस्मत ने ऐसा ज़ोर लगाया कि उसे भी आश्चर्य हुआ। कम्पनी ने रजत को विदेश भेजने का प्रस्ताव दिया और वह तैयार हो गया। महीने भर के अंदर दो साल का कम्पनी ने रजत का वीजा कराया  और लंदन भेज दिया। 2013 में रजत जो गया, तो उसे क्या पता था कि वह ज़िन्दगी भर के लिए वहीं बस जाएगा। एक साल के अन्दर ही उसे उसी के साथ काम करने वाली अपनी वरिष्ठ कर्मी तनीशा जैकसन से प्यार हो गया। तनीशा भारतीय मूल की युवती थी; लेकिन उसका जन्म लंदन में ही हुआ था। रजत की समस्या यह थी कि वह पूरी तरह से भारतीय था और हिन्दू रीति-रिवाज़ों से बँधा था। तनीशा को जिस दिन यह लगा कि रजत उसकी ओर आकॢषत है, उसे रजत की ओर चाहे-अनचाहे एक खिंचाव-सा महसूस होने लगा। धीरे-धीरे दोनों में अच्छी दोस्ती हो गयी और फिर प्यार। यह वह साल था, जब रजत के भारत लौटने में केवल आठ माह बचे थे। रजत इसी अफसोस में घुला जा रहा था कि पता नहीं, वह जिस लडक़ी को चाहने लगा है, वह उसकी जीवन-साथी बन भी सकेगी या नहीं! वह तनीशा से भी यह कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था कि वह उससे शादी की बात खुलकर कह सके। इधर, तनीशा इस इंतज़ार में थी कि रजत उससे खुद कहे कि वह उससे शादी करना चाहता है। इसी कशमकश में दोनों तीन महीने तक एक-दूसरे की ओर से पहल करने की उम्मीद में रहे। एक दिन तनीशा को पता चला कि रजत पाँच महीने बाद भारत लौट जाएगा, रुक न सकी और रजत से बात की। जैसे ही रजत ने अपनी मजबूरी बतायी, तनीशा ने रजत को लंदन में रोकने की कोशिशें शुरू कर दीं और अपने परिवार से भी उसे मिलाया। परिवार वालों को रजत और तनीशा के रिश्ते से कोई आपत्ति तो नहीं थी, मगर रजत का ईसाई न होना कुछ अखर रहा था। उन्होंने रजत से कहा भी कि वह ईसाई बन जाए, तो उन्हें बहुत खुशी होगी। लेकिन रजत ने उन्हें ऐसा जवाब दिया कि वे आगे कुछ बोल न सके। रजत का जवाब था कि शादी दो इंसानों की हो रही है, दो मज़हबों की नहीं। खैर, तनीशा के पिता को यही खुशी थी कि उन्हें एक भारतीय दामाद मिल रहा है, जो कुछ भी हो, पर ईमान का पक्का है।

इधर, रजत ने अपने ग्रामीण और गैर पढ़े-लिखे माँ-बाप को जब यह बताया कि वह लंदन की गोरी से शादी करने की सोच रहा है, तो उसके घर में खुशी और रंज दोनों ही थे। एक तरफ जहाँ उसके माँ-बाप बहुत खुश थे, तो वहीं रजत के पड़ोसी और रिश्तेदार उसके माँ-बाप को डराने लगे कि ‘लइका तुम्हार नहीं रहला, ऊ तौ गोरी मैम का होइला।’ रजत के माँ-बाप जब यह सुनते तो काफी दु:खी होते और कई बार तो रोने भी लगते।

इधर रजत और तनीशा शादी की तैयारियों में लगे थे। हर रोज़ दफ्तर से निकलकर खरीदारी करते, तो कभी-कभी घूमने निकल जाते। साप्ताहिक अवकाश पर दोनों दिन भर एक-दूसरे के साथ िफल्म देखते और मस्ती करते। …और रजत के वीजा की अवधि समाप्त होने से पहले उसकी तनीशा से शादी हो गयी। शादी होने के बाद वह अब स्थायी रूप से लंदन में रहने के लायक था। हालाँकि, इसके लिए अनेक कागजी प्रक्रियाओं से भी गुज़रना था। लेकिन यह नामुमकिन जैसा कुछ नहीं था; क्योंकि अब वह लंदन निवासी तनीशा का पति था। तनीशा के कहने पर उसने पुरानी कम्पनी की नौकरी छोड़ दी और दूसरी कम्पनी में नौकरी के लिए आवेदन करके नौकरी भी कर ली।

शादी के करीब डेढ़ साल बाद रजत और तनीशा भारत आये। जैसे ही रजत अपने घर पहुँचा, उसके माँ-बाप की खुशी का ठिकाना नहीं था। जो पड़ोसी और रिश्तेदार उन्हें ताने मारते थे, वे अब भौंचक होकर रजत और तनीशा को देखते थे; बल्कि रजत से ज़्यादा लोग तनीशा को देखते थे। उसकी चर्चा करते। लेकिन चर्चा में बार-बार यह कहना नहीं भूलते कि रजत गोरी मैम ले आया, यहाँ लड़कियों की क्या कमी थी। एक से एक पढ़ी-लिखी मिलती। विदेसन में भला क्या मिला? न अपनी जात की, न धरम की। इस पर रजत चिढक़र कहता- तुम लोग इसीलिए दु:खी रहते हो, कोई भी मज़हब और जाति से बाहर नहीं निकलता। शादी दो इंसानों की होती है, दो मज़हबों की नहीं। इस पर सब खामोश हो जाते।

इसी तरह करीब डेढ़ माह रजत और तनीशा वहीं रहे और अब उन्हें लंदन वापस जाना था। घर में खुशी के डेढ़ माह के बाद एक बार फिर खामोशी और बिछडऩे की पीड़ा थी। दिल्ली से फ्लाइट पकडऩे से तीन दिन पहले दोनों ने माँ-बाप और बड़ों का आशीर्वाद लिया और घर से रवाना हो गये। जाने से पहले रजत ने अपने माँ-बाप का बैंक अकाउंट खुलवाया, उसमें साल भर के खर्च के लिए पैसे डाले और घर में ज़रूरत का बहुत सारा सामान खरीदकर रखा।

अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा : पीएम मोदी  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि पड़ोसी देश (पाकिस्तान) को हराने में हमें दस दिन भी नहीं लगेंगे। पड़ोसी देश भारत से अतीत में तीन बार जंग हार चुका है। उन्होंने कहा कि ‘अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा, यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत।’

दिल्ली में नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के एक कार्यक्रम में पीएम ने आतंकियों को  पनाह देने वाले पाकिस्तान पर बिना उसका नाम लिए निशाना साधा। मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश प्रॉक्सी वॉर लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ‘देश आगे बढ़ रहा है, इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक करता है, एयर स्ट्राइक करता है और आतंक के सरपरस्तों को उनके घर में जाकर सबक सिखाता है।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘युवा देश बदलना चाहता है, स्थितियां बदलना चाहता है।  इसलिए उसने तय किया है कि अब टाला नहीं जाएगा, अब टकराया जाएगा, निपटा जाएगा। यही है युवा सोच, यही है युवा मन, यही है युवा भारत’।

एनएसएस के कार्यक्रम में पीएम मोदी ने  निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दशकों पुरानी समस्याओं की सुलझा रही हमारी सरकार के फैसले पर जो लोग सांप्रदायिकता का रंग चढ़ा रहे हैं, उनका असली चेहरा भी देश देख चुका है और देख रहा है। ‘मैं फिर कहूंगा कि देश देख रहा है, समझ रहा है। चुप है, लेकिन सब समझ रहा है।’

कश्मीर को लेकर मोदी ने कहा कि कश्मीर भारत की मुकुटमणि है। सत्तर साल बाद वहां से आर्टिकल ३७० को हटाया गया। ‘हम जानते हैं कि हमारा पड़ोसी देश हमसे तीन-तीन युद्ध हार चुका है। हमारी सेनाओं को उसे धूल चटाने में हफ्ते-दस दिन से ज्यादा समय नहीं लगता।’

उन्होंने कहा कि आज दुनिया में हमारे देश की पहचान, युवा देश के रूप में है। देश के ६५ फीसदी से ज्यादा लोग ३५ साल से कम उम्र के हैं। देश युवा है, इसका हमें गर्व है, लेकिन देश की सोच युवा हो, ये हमारा दायित्व होना चाहिए।

विवादित ब्यान देने पर शरजील इमाम गिरफ्तार

पुलिस ने उस शरजील इमाम को गिरफ्तार कर लिया है जिसपर असम में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। शरजील के वकील के मुताबिक उसने आत्मसमर्पण किया जिसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। यहां यह बताना दिलचस्प है कि शरजील इमाम के दिवंगत पिता अकबर इमाम बिहार में भाजपा की सहयोगी जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं जबकि उनके भाई मुजम्मिल इमाम भी जेडीयू के नेता रहे हैं।
शरजील को पुलिस ने मंगलवार को बिहार के जहानाबाद से दबोचा। विवादित भाषण देने के बाद शरजील छिप गया था। वह जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का छात्र है। वो असम को भारत से अलग करने जैसे भड़काऊ बयान के बाद पुलिस की नजर में था।
उसे दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जहानाबाद से गिरफ्तार किया। पुलिस उसके भाई को हिरासत में ले चुकी है। शरजील की गिरफ्तार के बाद उसके वकील ने कहा है कि शरजील ने पहले सरेंडर किया, फिर उसे गिरफ्तार किया गया है। शरजील के खिलाफ पांच राज्‍यों में केस दर्ज हैं। उसकी तलाश के लिए गठित पांच टीमों ने मुंबई, दिल्ली, पटना के कई इलाकों में छापेमारी की।
शरजील का परिवार जहानाबाद जिले के काको का रहने वाला है। उसके दिवंगत  पिता अकबर इमाम जेडीयू नेता थे और वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी रहे हैं। अकबर ने २००५ में जहानाबाद विधानसभा सीट से जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ा और सहयोगी के नाते भाजपा ने भी उन्हें समर्थन दिया था।  वैसे वे चुनाव हार गए थे।
उनके जिस भाषण के लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया था वह दरअसल एक वीडियो था जिसमें कथित तौर पर उन्होंने कहा था – ”हमारे पास संगठित लोग हों तो हम असम से हिंदुस्तान को हमेशा के लिए अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो एक-दो महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से कट कर ही सकते हैं। रेलवे ट्रैक पर इतना मलबा डालो कि उनको एक महीना हटाने में लगेगा। जाना हो तो जाएं एयरफोर्स से। असम को काटना हमारी जिम्मेदारी है।”

फिर जेल में गुरमीत से मिलने पहुंची हनीप्रीत

दुष्कर्म और हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख गुरमीत राम रहीम फिर चर्चा में है। उससे मिलने के लिए उनकी कथित मुंहबोली बेटी हनीप्रीत मिलने के लिए जेल पहुंची। दोनों के बीच करीब 25 मिनट की मुलाकात हुई।

हरियाणा की सुनारिया जेल में सजा काट रहा गुरमीत को कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। हनीप्रीत के साथ वकील और डेरा की चेयरपर्सन शोभा गेरा भी पहुंची। सभी तीन लज्जरी गाडिय़ों में सवार होकर काफिले के साथ जेल पहुंचे थे। सुरक्षा को देखते हुए तीनों गाडिय़ों के शीशों पर काली फिल्म चढ़ाई गई थी।

कथित बाबा जो कभी देश की 100 सबसे ताकतवर हस्तियों में शामिल था, उससे हनीप्रीत की सुनारिया जेल में यह पांचवीं मुलाकात बताई जा रही है। हनीप्रीत के राम रहीम के परिवार वालों से मतभेद बताए जाते हैं। इसलिए वह अकेले ही मिलने पहुंचती है। बता दें कि पंचकूला हिंसा के मामले में हनीप्रीत भी जेल में लंबा समय बिता चुकी है। फिलहाल वह जमानत पर बाहर है।

दिल्ली विधानसभा चुनावों में जमकर चल रहे है बयानों के तीर

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली की गलियों में जिस तरीके से आरोप -प्रत्यारोप के दौर में जो घिनौनी राजनीतिक बयानों से की जा रही है उससे दिल्ली के मतदाता ही नहीं बल्कि यहां के स्थानीय लोगों में एक अजीब सा माहौल बनता जा रहा है ।दिल्ली में आप पार्टी और भाजपा के बीच जरूर मुकाबला दिख रहा है। पर कांग्रेस भी चुनाव में कोई भी मौका चूकना नहीं चाहती है वो भी इस बार चुनाव में भडकाउ तो नहीं पर भाजपा के विरोध में आप के आस पास खड़ी दिखती है।

जैसे आप के नेता मनीष सिसौदिया ने कहा कि वे जेएनयू और शाहीन बाग के लोगों के साथ है । तो कांग्रेस के दिल्ली प्रदेष अध्यक्ष सुभाष चोपडा ने देरी नहीें की उन्होंने कहा कि वे भी जेएनयू और शाहीन बाग के लोगों के साथ है। ऐसे में भाजपा के युवा नेता व सांसद प्रवेष साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि दिल्ली में जो भी शाहीन बाग और जेएनयू में हो रहा है उसमें आप पार्टी और कांग्रेस का हाथ है ऐसे में भाजपा को दिल्ली विधान सभा चुनाव में अगर भाजपा की सरकार आती है तो एक दिन के भीतर ही शाहीन बाग में बैठे लोगों को खदेड़ दिया जायेगा। वहीं केन्द्रीय वित राज्स मंत्री अनुराग ठाकुर ने तो दिल्ली की एक चुनावी सभा में कहा कि दिल्ली में शाहीन बाग में जो देश के गद्दार बैठे है उनको भगाना है और जोश ही जोश में कहा कि देश के गद्ददारों को तो चुनावी सभा उपस्थित लोगों ने कहा कि गोली मारो सालों को ।

हालांकि उनके बयानों को चुनाव आयोग ने संज्ञान में लिया है।दिल्ली के विधान सभा चुनाव में इसके पहले आरोप -प्रत्यारोप के दौर चलते थे पर इस बार तो धुव्रीकरण की राजनीति के चक्कर में पाकिस्तान और दो धर्मो के बीच का चुनाव दिल्ली में धूम मचा रहा है ।जैसा कि भाजपा से प्रत्याषी कपिल मिश्रा ने कहा कि दिल्ली को पाकिस्तान नहीे बनने देना है। इस पर भी दिल्ली की राजनीति में बवाल मचा था । हालांकि कपिल मिश्रा के बयान पर चुनाव आयोग ने संज्ञान ही नहीं लिया था बल्कि 24 घंटे तक चुनाव प्रचार करने पर रोक लगायी थी।

दिल्ली विधान सभा चुनाव में इस बार पूरी तरह राजनीति धर्म की राजनीति के इर्द गिर्द हो रही है जिससे मतदाता के साथ साथ स्कूली बच्चों में भी ये चर्चा आम है कि दिल्ली में देश विरोधी तत्वों का जमावड़ा लोगों के कारण ही जेएनयू और शाहीन बाग में धरना प्रदर्षन चल रहा है।

खालिस्तानी चरमपंथी हरमीत सिंह की लाहौर में हत्या

भारत से भागकर पाकिस्तान चले गए खालिस्तानी चरमपंथी नेता हरमीत सिंह की मंगलवार को पाकिस्तान के लाहौर में हत्या कर दी गयी। उसकी हत्या एक गुरूद्वारे के पास की गयी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक हरमीत सिंह उर्फ़ हैप्पी पीएचडी लम्बे समय से पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई के इशारे पर काम कर रहा था। हैप्पी पीएचडी की पाकिस्तान के लाहौर के एक गुरुद्वारे के पास गोली मारकर हत्या की गई। वहां की पुलिस का मानना है कि स्थानीय गैंग उसकी हत्या में शामिल हो सकता है। पुलिस को आशंका है कि ड्रग्स सप्लाई के पैसे के विवाद के चलते हरमीत सिंह की हत्या हुई है।

भारत के पंजाब में अपनी गतिविधियों के चलते हरमीत सिंह पुलिस की मोस्टवांटेड सूची में था। हैप्पी पर अमृतसर में हैंड ग्रेनेड हमले और पंजाब में आरएसएस और शिवसेना नेताओं की हत्या की साजिश के आरोप थे। उसे पाकिस्तान में बैठकर भारत में ड्रग्स सप्लाई और खालिस्तान समर्थक आतंकियों के स्लीपर सेल और टेरर मॉड्यूल खड़े करने की भी साजिश का भी आरोप रहा है।

वह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का स्वयंभू मुखिया था। भारतियों एजंसियों को उसके  आईएसआई के इशारे पर काम करने और पाकिस्तान से ही भारतीय पंजाब में अपने नेटवर्क के जरिये ड्रग्स की सप्लाई की जानकारी थी। यही नहीं वो आतंकियों के लिए टेरर मॉड्यूल और स्लीपर सेल भी खड़े कर रहा था।

शाहीन बाग, शाहीन बाग, शाहीन बाग…गृह मंत्री है या बस का कंडक्टर : संजय सिंह

दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अपने चरम की ओर है। नेताओं, मंत्रियों की जुबानें बेलगाम होती जा रही हैं। कहीं बिगड़े बोल बोले जा रहे हैं, तो कहीं मारने, काटने और दुष्कर्म व लूटपाट जैसी आपत्तिजनक और गिरी हुई भाषा का कथित दिग्गज नेता खुलेआम इस्तेमाल कर रहे हैं। केंद्र सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर जहां ‘गोली मारने’ वाले जैसे जनता से नारे लगवा रहे हैं तो दिल्ली से भाजपा सांसद घरों में घुसकर दुष्कर्म व लूटपाट जैसी वारदात की आशंका जताकर वोट बटोरना चाहते हैं।
इन दिनों भाजपा के चुनाव प्रचार के केंद्र में सीएए के खिलाफ चल रहा प्रदर्शन का केंद्र शाहीन बाग है। उनके लगभग हर नेता की जुबां पर शाहीन बाग का नाम है। इसे लेकर आम आदमी पार्टी को घेरने की कोशिश की जा रही है। मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शरजील इमाम को लेकर आमने-सामने आ गए। शाह ने पूछा कि आप शरजील के साथ हैं या नहीं, तो केजरीवाल ने सवाल दागा कि अभी तक उसकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
आप, कांग्रेस और भाजपा शाहीन बाग पर अपनी-अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रही हैं। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस और आप के समर्थन से शाहीन बाग का आंदोलन चल रहा है। जबकि आप का कहना है कि विरोध का अड्डा बनाए जाने के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। इस आंदोलन को अब 8 फरवरी के बाद ही भाजपा हटाएगी।
शाहीन बाग जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे दिग्गज
एक ओर जहां शाहीन बाग में बैठे प्रदर्शनकारियों से सामना करने के लिए सोशल मीडिया में पीएम नरेंद्र मोदी से वहां जाकर औरतों की बातें सुनने की गुजारिश की जा रही है। तो दूसरी ओर अमित शाह ने आप पर निशाना साधते हुए कहा कि केजरीवाल जी, आप में हिम्मत है तो जाकर शाहीन बाग में धरने पर बैठें, फिर दिल्ली की जनता आपको अपना फैसला सुनाएगी।
अब इस मामले में आप के राज्यसभा सांसद ने भाजपा पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट किया-शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग शाहीन बाग, जनता : ‘भाई तू गृह मंत्री है या बस का कंडक्टर।’

भारत में कोरोना के १५ संदिग्ध मामले, चीन में मरने वालों की संख्या १०६ हुई

चीन में अब तक १०६ लोगों की जान ले चुके कोरोना वायरस ने भारत में भी दस्तक दे दी है और अब तक इस वायरस के कमसे कम १५ संदिग्ध मामले सामने आये हैं। दिल्ली में तीन और मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी मंगलवार को संदिग्ध मामलों की जानकारी दी गयी है। इसके अलावा बिहार और यूपी में भी मामले सामने आये हैं।

दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण की आशंका में तीन लोगों को आरएमएल अस्पताल के अलग वॉर्ड में निगरानी में रखा गया है। आरएमएल अस्पताल में भर्ती इन तीन मरीजों की उम्र २४ से ४८ साल के बीच बताई गयी है। उन्हें सोमवार को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और उनके नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। इनमें से दो व्यक्ति दिल्ली के निवासी हैं

इसके अलावा मध्य प्रदेश के उज्जैन में कोरोना वायरस का एक संदिग्ध मरीज मिला है जिसे अस्पताल के आईसोलेशन वार्ड में रखा गया है, जहां उसका इलाज जारी है। वायरस की पुष्टि के लिए नमूना जांच के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे भेजा गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार, उज्जैन निवासी छात्र चीन के वुहान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है और यहां लौटा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार से कोरोना वायरस के चार जबकि उत्तर प्रदेश से एक संदिग्ध मरीज मिला है। इनमें चीन से २२ जनवरी को लौटी सारण जिले की मेडिकल छात्रा भी शामिल है। चीन के तिआन्जिन प्रांत से छपरा आई शोध छात्रा को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एकांत वार्ड में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा दो संदिग्ध सीतामढ़ी और एक मुजफ्फरपुर का निवासी है।

मुजफ्फरपुर निवासी संदिग्ध का चीन से लौटने के बाद दिल्ली में इलाज चल रहा है। वहीं, सीतामढ़ी निवासी एक अन्य मरीज अभी चीन में ही है। वहीं, उत्तर प्रदेश के महराजगंज के एक छात्र चीन से घर वापस आया और शनिवार देर रात अधिकारी जांच के लिए उसे जिला अस्पताल ले आए। उसे एकांत वार्ड में निगरानी में रखा गया है।

वायरस के खतरे को देखते हुए भारत के हवाईअड्डों पर चीन से लौट रहे लोगों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है। उधर चीन में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या १०६ पहुँच गयी है। करीब १३०० नए मामले सामने आए हैं। मध्य हुबेई प्रांत में स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि २४ और लोगों की मौत वायरस से हुई है और १२९१  अधिक लोग संक्रमित हुए हैं।

चिंता की बात यह है कि कोरोना वायरस दूसरे देशों में भी पांव पसार रहा है।  अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका, हांगकांग, मकाऊ, ताईवान और भारत के बाद अब श्रीलंका में भी कोरोन वायरस के संदिग्ध मिले हैं। चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग ने नए कोरोनो वायरस के कारगर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की है और लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास, इसे वापस लेने की केंद्र से उठाई मांग

तीन राज्यों केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद सोमवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने भी नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। इसमें मांग की गयी है कि इस क़ानून को निरस्त किया जाये क्योंकि यह जनविरोधी है। कांग्रेस और माकपा भी सरकार के इस प्रस्ताव हे हक़ में हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीएए, एनसीआर और एनपीआर की मुखर विरोधी रही हैं। वे साफ़ तौर पर कह चुकी हैं कि इन्हें बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा। आज विधानसभा में प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए जनविरोधी है, इस कानून को फौरन निरस्त किया जाना चाहिए।

चर्चा के दौरान ममता ने कहा कि तुच्छ मतभेदों को दूर रखने और देश को बचाने के लिए एकजुट होने का वक्त आ गया है। ममता ने कहा – ”दिल्ली में एनपीआर बैठक में शामिल नहीं होने की बंगाल के पास कुव्वत है, यदि भाजपा चाहे तो मेरी सरकार बर्खास्त कर सकती है।”

बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ पास प्रस्ताव में केंद्र सरकार से इसे रद्द करने, राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) की योजनाओं को निरस्त करने की अपील की गई है। पश्चिम बंगाल से पहले केरल, पंजाब और राजस्थान विधानसभाओं में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास हो चुके हैं।