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शाहीन बाग तक सिमट गया भाजपा का प्रचार, मिली हार

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा ने शाहीन बाग के साथ रास्ते धुव्रीकरण की राजनीति को बल ना दिया होता था। तो निश्चित तौर पर भाजपा को करारी हार का सामना करना पडता । चुनावी सभाओं में जिस तरीके से भाजपा के शीर्ष नेत्त्व से लेकर भाजपा शासित राज्यों के मुक्यमंत्री , केन्द्रीय मंत्रियों  और दर्जनों सांसदों ने घर- घर जाकर वोट मांगे। केन्द्रीय ग्हमंत्री अमित शाह ने तो दिल्ली की ज्यादात्तर विधानसभा  में जाकर भाजपा प्रत्याशी के प्रचार में पर्चे बांटे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दो चुनावी सभायें भी की । चुनाव मेंं भाजपा के पक्ष में हवा को  ना देखते हुये मतदान के एक सप्ताह पहले ही काफी युद्व स्तर पर मेहनत की थी ।बतातें चलें चुनाव में प्रबंधन की कमी और जिन प्रत्याशियों को टिकट दिया गया था उससे पार्टी कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी थी जो पार्टी आलाकमान को मालूम था । ऐसे में भाजपा प्रत्याशियों ने भाडे पर लोगों को बुलाकर पार्टी की टोपरी पहनाकर चुनावी सभायें  तो कर ली थी पर चुनाव परिणाम कैसे आने है ये प्रत्याशियों को भली भॉति मालूम था।

चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में ना आने पर भाजपा नेता  व दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी और दक्षिणी दिल्ली से भाजपा के सांसद रमेश बिधूडी ने कहा कि आप पार्टी की बिजली- पानी  और महिलाओं को बस में फ्री में यात्रा जैसी सुविधायें और लोगों को गुमराह करने वाली चाल कामयाब हो गयी । चुनाव में आप के पक्ष में हवा रही और कांग्रेस का चुनाव में लडना एक औपचारिेकता भर था ।जो भाजपा का हार का कारण बना , पर इस बार पिछली बार की तुलना में भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। अब  दिल्ली वालों के लिये वो जो भी अच्छा होगा करेगें। हालांकि हार का कारण ये भी बना कि अरविन्द केजरीवाल की तुलना में भाजपा कोई एक भी एक ऐसा चेहरा चुनाव में ना उतार सकीं जिससे दिल्ली की जनता में ये मैसेज गया कि कब तक मोदी के नाम पर भाजपा को जिताते रहेगे। भाजपा कार्यालय  14 पंत मार्ग में पार्टी के पदाधिकारी इसी गुमान में थे। कि 6 महीनें पहले जिस तरीके आप पार्टी की लोकसभा चुनाव में जमानत जब्त करायी थी और भाजपा का वोट प्रतिशत भी बढा था । तो भाजपा को अंदाजा था कि इस बार दिल्ली में भाजपा को जनता मौका देगी। पर जनता ने भाजपा के पास कोई केजरीवाल सरीखा चेहरा चुनाव में ना उतार पायी जो भाजपा का हार का कारण बना । दिल्ली की जनता को बिजली पानी की फ्री में जो सुविधा मिली उससे जनता केजरीवाल का तो गुनगान कर ही रही थी। अरविन्द केजरीवाल ने जब दिल्ली में चुनाव में जनता के बीच जाने के लिये पहली  चुनावी कांफेंस की थी तो उन्होंने कहा था कि काम के आधार पर जनता वोट ना दें अन्यथा ना दें । बा सजना तक उकेजरीवाल ये मैसेज पहुचांने में सफल रहे कि वो ही  दिल्ली वालों को सही मायनें में सुविधायें दे सकतें है।
दरअसल भाजपा का सारा चुनाव एक जिस तरह शाहीन बाग के इर्द गिर्द सिमट गया था उससे उसे मामूली तो लाभ मिला पर सत्ता तक ना पहुंचा सका।भाजपा नेता राजकुमार ने बताया कि दरअसल भाजपा पार्टी में जो दिल्ली मेें जो स्थापित नेता बैठे है वे अगर हार के जिमेदारी नहीं लेते है तब तक ऐसे ही परिणामों का सामना करना पडेंगा।

कांग्रेस का चुनाव में दम -खम से न लडना भाजपा का हार का कारण बना

दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी को जिताने के लिये आप पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ- साथ जिस तरीके से पर्दे के पीछे कांग्रेस के युवा कार्यकर्ता काम कर रहे थे ।उससे ये बात तो चुनाव के पूर्व सामने आने लगी थी। कि कांग्रेस के ज्यादात्तर कार्यकर्ताओं को ये मैसेज था, कि कांग्रेस तो चुनाव मैदान से बाहर है। ऐसे में भाजपा को सत्ता को दूर करने के लिये क्यों ना आप पार्टी को जिताया जायें। चुनाव के दौरान कांग्रेस के सक्रिय नेताओं का कहना था ,कि कांग्रेस अगर चुनाव मैदान में दम खम से चुनाव लडेगी तो निश्चित तौर पर कांग्रेस सत्ता में तो आएगी नही बल्कि आप पार्टी को सत्ता से दूर कर देगी। ऐसे में क्यों ना भाजपा को सत्ता को दूर करने के लिये प्रयास किया जाये। जहां ही कांग्रेस पार्टी पूरे दम खम के साथ चुनाव लडी वहां निश्चित तौर पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ अशोक वालिया , बल्ली मारान से हारून युसुफ , और राजौरी गार्डन और गांधी नगर  अरविन्द सिंह लवली सहित अन्य सीटों पर कांग्रेस पार्टी के नेता अपने दम खम पर चुनाव लडी ।वहां पर भाजपा ने अच्छी खासी बढत ही हासिल नहीं की बल्कि जीत दर्ज की है। कांग्रेस के युवा नेता अर्जुन और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने तहलका संवाददाता को बताया कि जिस तरीेके से चुनाव के दौरान कांग्रेस आला कामान ने दो -चार रैलियां कर अपनी औपचारिेकता भर दर्ज की है। जिससे मतदाता ये समझ चुका था। कि कांग्रेस चुनाव लड नही रही है। ऐसे में कांग्रेस का सक्रिय मतदाता उदास ही नहीं दिखा बल्कि चुनाव मतदान से दूर रहा है। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि  जिस तरीके से कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव लडा है उससे तो अब स्पष्ट हो गया है कि अगले दो साल बाद दिल्ली नगर निगम के चुनाव में कांगे्रस पार्टी को हार का सामना करना पड सकता है। कांग्रेस पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बार के चुनाव से काफी हताश है । आने वाले दिनों कांग्रेस कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस पार्टी  को अलविदा कर सकते है।सर्वविदित है कि कांग्रेस का मतदाता ही आप पार्टी में तब्दील हुआ था । क्योंकि आंदोलन से निकली आप पार्टी अब पूरी तरह से राजनीतिक पार्टी बन गई है। ऐसे में आप पार्टी के नेताओं ने कांगे्रस तक ये मैसेज पहुंचाने में सफल रहे है कि आप पार्टी को कांग्रेस पार्टी अघोषित रूप से अगर सहयोग करती है तो निश्चित तौर पर भाजपा को सत्ता से दूर किया जा सकता है।

आप पार्टी के नेता मनीष सिसौदिया  चुनाव के पूर्व और चुनाव के दौरान जिस तरीके से भाजपा पर हमला बोल रही थी और कांग्रेस को लेकर पूरी तरह से बेफ्रिक दिख रही थी कि कांग्रेस का चुनाव में लडना एक दिखवा है । चुनावी धुव्रीकरण में सीधा लाभ आप पार्टी को ही मिलना  है।

आप के केजरीवाल की जीत की हैट्रिक

दिल्ली के दंगल में इस बार एकतरफा आम आदमी पार्टी ने बाजी मार ली है। इस तरीके से उसने इस बार जीत की हैट्रिक कर ली है। भाजपा महज आधा दर्जन सीटों पर सिमट गई है। कांग्रेस का पिछली बार की तरह खाता ही नहीं खुला है। अरविंद केजरीवाल लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। शीला दीक्षित के बाद यह पहली बार होगा, जब दिल्ली में कोई नेता लगातार तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेगा। भाजपा ने जब 2019 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ही चेहरे पर लड़ा और उसे 303 सीटें मिलीं तो आम आदमी पार्टी ने इसी से सबक लिया। तब दिल्ली में भाजपा ने सातों लोकसभा की सीटें दर्ज की थीं। उसका मत प्रतिशत भी सभी सीटों पर 50 फीसदी से अधिक था।
मोदी की तरह आप ने भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में यह प्रचारित किया कि केजरीवाल के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। इसे टीना यानी देयर इज़ नो अल्टरनेटिव फैक्टर कहकर प्रचारित किया। अब आप से उम्मीदें बढ़ने के साथ ही लोग उसे आगे देश में फिर से आगे बढ़ाने का दावा करने लगे हैं।
भाजपा ने राष्ट्रवाद का मुद्दा बनाया। आप ने दिल्ली के चुनाव में केजरीवाल का चेहरा आगे रखते हुए काम पर फोकस रखा। कांग्रेस तो शुरू से ही दौड़ में नहीं थी, उसने कोशिश भी नहीं की। भाजपा ने अपने दिग्गजों को उतारा। यहां तक कि कई मुख्यमंत्रियों को भी बुलवाकर प्रचार करवाया। भड़काऊ बयान भी दिए गए, पर सब उलट साबित हुए। उसे भले ही पिछली दफा की तुलना में मत प्रतिशत अधिक मिला हो, पर सीटों में खास परिवर्तन नहीं देखने को मिला। आप का कमाल हर जगह कायम दिखा। उसने महज आधा दर्जन सीटों को छोड़ दें तो एकतरफा कब्जा कर लिया। 2015 में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीती थीं। तब केजरीवाल प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बहुत मुखर थे। इस बार संयमित रहे। क्योंकि इससे पहले लोकसभा और नगर निगम के चुनाव में परिणाम उसके पक्ष में नहीं आया था।

दिल्ली में फिर ‘आप’ की सरकार  

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ५८ सीटों के साथ बड़ी बढ़त ले रही है जिससे तय है कि राजधानी में फिर आम आदमी पार्टी की सरकार बन रही है। आप के सभी बड़े नेता बढ़त बनाये हुए हैं जबकि भाजपा के कई नेता पीछे चल रहे हैं। अभी तक आप ५८ सीटों पर आगे है, जबकि भाजपा १२ सीटों पर। कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आती दिख रही है।
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो काफी देर तक पीछे चल रहे थे, अब ११ राउंड के बाद अजय बढ़त लेते दिख रहे हैं। अभी तक ७० सीटों पर रुझानों को देखते हुए आप ५९ और भाजपा ११ सीट पर आगे दिख रहे हैं। इस तरह आप लगातार बहुमत से कहीं आगे चल रही है  जिससे साफ है कि उसकी सरकार दोबारा बनने जा रही है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया बढ़त के साथ आगे हैं।
भाजपा ने जैसा सघन चुनाव अभियान चलाया उसी का नतीजा दिख रहा है कि वह १० से आगे निकलने में सफल रही है अन्यथा चुनाव के शुरू में भाजपा आप से कहीं पीछे दिख रही थी। कांग्रेस शुरू से ही इस चुनाव में कहीं दिख रही थी और माना जा रहा था कि उसने अपने वोट आप को ”ट्रांसफर” करवाया है।
पिछले चुनाव में ७० में से आप को ६७, भाजपा को ३ और कांग्रेस को शून्य सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस का वोट आप को जाने से उसका बटबारा नहीं हो पाया जिससे भाजपा को नुक्सान हुआ है।

शुरुआती रुझानों में ‘आप’ को बड़ी बढ़त, सरकार दोबारा बनना तय  

दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे अनुमान के मुताबिक आते दिख रहे हैं। वहां सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) बड़ी बढ़त लेती दिख रही है। आप के सभी बड़े नेता बढ़त बनाये हुए हैं जबकि भाजपा के कई नेता पीछे चल रहे हैं। भाजपा दूसरे नंबर पर है जबकि कांग्रेस तीसरे नंबर पर है।
अभी तक ७० सीटों पर रुझानों को देखते हुए आप ५३, भाजपा १७ और कांग्रेस एक सीट पर आगे दिख रही है। इस तरह आप लगातार बहुमत से कहीं आगे चल रही जिससे लगता है उसकी सरकार दोबारा बनने जा रही है। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अच्छे बढ़त के साथ आगे हैं।
भाजपा ने जैसा सघन चुनाव अभियान चलाया उसी का नतीजा दिख रहा है कि वह १० से आगे निकलने में सफल रही है अन्यथा चुनाव के शुरू में भाजपा आप से कहीं पीछे दिख रही थी। कांग्रेस शुरू से ही इस चुनाव में कहीं दिख रही थी और माना जा रहा था कि उसने अपने वोट आप को ”ट्रांसफर” करवाया है।
पिछले चुनाव में ७० में से आप को ६७, भाजपा को ३ और कांग्रेस को शून्य सीटें मिली थीं। इस बार कांग्रेस का वोट आप को जाने से उसका बटबारा नहीं हो पाया जिससे भाजपा को नुक्सान हुआ है।

एससी, एसटी एक्ट को लेकर राहुल का मोदी सरकार पर निशाना, एलजेपी ने भी जताई फैसले से असहमति  

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन कानून २०१८  की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार के संशोधनों को बरकरार रखने के हक़ में आने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जहाँ मोदी सरकार पर हमला बोलै है वहीं भाजपा की सहयोगी लोक जन शक्ति पार्टी ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह इसमें दखल दे क्योंकि पार्टी इस फैसले से सहमत नहीं है।
याद रहे सुबह सर्वोच्च अदालत ने मोदी सरकार के साल २०१८ में एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कानून में कई संशोधन किए थे। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम २०१८ की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई अदालत सिर्फ ऐसे ही मामलों पर अग्रिम जमानत दे सकती है, जहां प्रथमदृष्टया कोई मामला नहीं बनता हो।
उच्चतम न्यायालय का यह फैसला एससी-एसटी संशोधन अधिनियम २०१८ को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर आया है। तीन जजों की पीठ में दो-एक से यह फैसला कोर्ट ने सुनाया है। बेंच ने कहा कि अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए शुरुआती जांच की जरूरत नहीं है और इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की मंजूरी की भी आवश्यकता नहीं है। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने सहमति वाले एक निर्णय में कहा कि प्रत्येक नागरिक को सह-नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा। न्यायमूर्ति भट ने कहा कि यदि प्रथमदृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद्द कर सकती है।
जस्टिस रवींद्र भट ने कहा, ”प्रत्येक नागरिक को सह नागरिकों के साथ समान बर्ताव करना होगा और बंधुत्व की अवधारणा को प्रोत्साहित करना होगा। अगर प्रथम दृष्टया एससी/एसटी अधिनियम के तहत कोई मामला नहीं बनता, तो कोई अदालत प्राथमिकी को रद्द कर सकती है।”
अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भाजपा और आरएसएस पर निशाना साधा। राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा – ”भाजपा और आरएसएस दोनों की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। आरएसएस के डीएनए को चुभता है आरक्षण, आरक्षण को हम कभी मिटने नहीं देंगे।” राहुल गांधी ने कहा भाजपा और आरएसएस आरक्षण के खिलाफ हैं। भाजपा और आरएसएस की विचारधारा आरक्षण के खिलाफ है। वे कभी नहीं चाहते हैं कि एससी/एसटी सुधरे या आगे बढ़े। वे संस्थागत ढांचे को तोड़ रहे हैं, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। मैं एससी/एसटी/ओबीसी और दलितों से कहना चाहता हूं कि हम आरक्षण को कभी खत्म नहीं होने देंगे चाहे कितना भी मोदी जी या मोहन भागवत का सपना देखें इसका।”
उधर भाजपा की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लजेपी) ने भी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई है। पार्टी ने ओबीसी के अलावा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति मिल रहे आरक्षण के लाभों को इसी तरह से जारी रखने की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर एलजेपी अध्यक्ष और सांसद चिराग पासवान ने केंद्र सरकार से दखल की मांग की है।
पासवान ने कहा – ”सात फरवरी, २०२० को दिये गए निर्णय, जिसमें कहा गया है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरी और पदोन्नति में आरक्षण के लिए बाध्य नहीं है। लोक जनशक्ति पार्टी इससे सहमत नहीं है।”

क्या दिल्ली के गार्गी कॉलेज में छेड़खानी करवाई गई?

कहां से कहां जाते जा रहे हैं हम। अब छेड़छाड़ जैसे गंभीर मामलों में भी राजनीतिक रोटियां सेंकी जा रही हैं। पुलिस प्रशासन भी हीलाहवाली कर रहा है। समय रहते एक्शन क्यों नहीं लिया जाता। कानून का खौफ भी नहीं दिख रहा। ये हाल है देश की राजधानी में दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज का। यहां के सालाना कार्यक्रम ‘रेवरी’ में 6 फरवरी को छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें की जाती हैं। दर्जनों बाहरियों को गेट से या दीवार फांदकर जाने दिया जाता है। आखिर इसका जिम्मेदार कौन है? कौन सा समाज बनाते जा रहे हैं और क्या सीख देना चाहते हैं इससे।
मामले ने तब तूल पकड़ा जब छात्राओं ने सोशल मीडिया के जरिये आपबीती बताई। वरना ये पुलिस तो कानून की देवी की तरह अंधी होती जा रही है। बताया गया कि छेड़छाड़ के दौरान कॉलेज के सुरक्षाकर्मी और यहां तक कि दिल्ली पुलिस के जवान भी मौजूद थे। पर उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। मामले में एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
सोमवार को जब छात्राओं ने बड़ी संख्या में उतरकर विरोध प्रदर्शन किया तो पुलिस प्रशासन के कान खड़े हुए और आनन-फानन में तमाम धाराओं के तहत हौज खास थाने में एफआईआर भी दर्ज कर ली गई। अब सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है। मामला संसद तक में गूंजा। आम आदमी पार्टी भी हमलावर हो गई। संसद में आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मुद्दा उठाया तो दूसरी ओर सीएम केजरीवाल ने ट्वीट के जरिये कहा, हमारी बेटियों के साथ इस तरह का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
कुछ छात्राओं ने इस घटना के संबंध में सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की थी। कार्यक्रम के दौरान देर शाम करीब 6.30 बजे नशे में धुत पुरुषों के ग्रुप ने कॉलेजमें जबरन घुस कर छेड़खानी की और अश्लील हरकतें भी कीं। अब मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग और दिल्ली महिला आयोग ने भी दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।

शाहीन बाग धरने पर कोर्ट ने कहा, आप रास्ता नहीं रोक सकते, केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस  

नागरिकता क़ानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से जारी आंदोलन को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक कॉमन क्षेत्र में इस तरह रास्ता रोककर प्रदर्शन जारी नहीं रखा जा सकता है। साथ ही सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। इस मामले पर अगली सुनवाई अब १७ फरवरी को होगी।

न्यायालय ने हालांकि, कोइ अंतरिम आदेश या धरना हटाने को लेकर कोइ आदेश नहीं दिया है। जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसफ की बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि यह धरना प्रदर्शन कई दिन से चल रहा है। अदालत ने कहा कि एक कॉमन क्षेत्र में यह जारी नहीं रखा जा सकता, वरना सब लोग हर जगह धरना देने लगेंगे।

अदालत ने पूछह कि क्या आप पब्लिक एरिया को इस तरह बंद कर सकते हैं, क्या आप पब्लिक रोड को ब्लॉक कर सकते हैं। प्रदर्शन बहुत लंबे अरसे से चल रहा है।

अदालत ने कहा कि प्रदर्शन को लेकर एक जगह सुनिश्चित होनी चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है।

मामले की अगली सुनवाई १७ फरवरी को होगी। गौरतलब है कि नागरिकता कानून के खिलाफ करीब दो महीने से प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शन के चलते यातायात बाधित होने और सड़क बंद होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। यह याचिकाएं भाजपा नेता और पूर्व विधायक नंदकिशोर गर्ग और एक वकील अमित साहनी ने दायर की हुई हैं। याचिका में शाहीन बाग धरने को हटाने के अलावा गाइडलाइन बनाने की मांग की है। साथ ही साहनी ने मांग की है कि शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को हटाया जाए ताकि कालिंदी कुंज और शाहीन बाग का रास्ता फिर से खुल सके। उनकी मांग है कि इसके लिए कोर्ट केंद्र सरकार और संबंधित विभाग को आदेश दे।

उमर पर पीएसए लगाने के खिलाफ बहन सारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की

जम्‍मू कश्‍मीर के पूर्व मुख्‍यमंत्री और नैशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्‍दुल्‍ला की बहन सारा अब्‍दुल्‍ला ने भाई को जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) के तहत नजरबंद किए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उमर को पिछले हफ्ते ही पीएसए के तहत नजरबंद किया गया है। वैसे वे ४ अगस्त के बाद के बाद से ही कश्मीर में नजरबन्द हैं।
उमर के अलावा पीडीपी नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है और वे भी नजरबंद हैं। उमर को भी पीएसए के तहत नजरबंद किया गया था और अब सुप्रीम कोर्ट उनकी बहन की इस याचिका पर सुनवाई करेगा।
कश्मीर में किसी नेता को हिरासत में रखे जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में यह पहली याचिका है। महबूबा और उमर के खिलाफ पीएसए उस समय लगाया गया जब उनकी छह माह से जारी नजरबंदी को खत्‍म होने में बस कुछ घंटों का समय बाकी था। अगस्‍त २०१९ में जब केंद्र सरकार ने अनुच्छेद ३७० को घाटी से हटाया था तो उसके बाद से ही उमर और उनके पिता फारूख अब्‍दुल्‍ला को नजरबंद रखा गया है।  उमर की बहन सारा, जिन्होंने भाई पर पीएसए लगाने को चुनौती दी है वो कांग्रेस नेता और राजस्‍थान के उप-मुख्‍यमंत्री सचिन पायलट की पत्‍नी हैं। उमर अभी श्रीनगर के हरि निवास में पुलिस की हिरासत में रखे गए हैं।

चार बार के चैंपियन भारत को हरा बांग्लादेश अंडर-१९ विश्व कप विजेता बना

सिर्फ २१ रन पर सात विकेट गंवाने वाली भारत की टीम का लगातार पांचवां अंडर-१९ विश्व क्रिकेट कप जीतने का सपना रविवार को टूट गया। फाइनल में बांग्लादेश ने शानदार खेल दिखाकर एक दिलचस्प मुकाबले में उसे तीन विकेट से हरा दिया। बंगलादेश पहली बार यह विश्व कप जीता है।

बांग्लादेश ने २३ गेंद शेष रहते डकवर्थ लुइस नियम के तहत सात विकेट खोकर लक्ष्य हासिल कर लिया। बांग्लादेश की ओर से परवेज हुसैन इमोन ने ४७, कप्तान अकबर अली ने नाबाद ४३ और तंजीद हसन ने १७ रन बनाए। भारत के लिए रवि बिश्नोई ने १० ओवर में ३० रन देकर सर्वाधिक चार विकेट लिए। उनके अलावा सुशांत मिश्रा ने दो और यशस्वी जायसवाल ने एक विकेट हासिल किया।

टॉस हारने के बाद पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत की टीम १७७ रन पर सिमट गयी। यशस्वी जायसवाल ने शानदार ८८ रन की पारी खेली, हालांकि वे शतक बनाने से चूक गए। भारत की शुरुआत ही बहुत धीमी हुई और बांग्लादेश के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजों पर अंकुश लगाकर रखा। भारत की रन गति ३० ओवर तक बहुत धीमी रही जिससे वो एक बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रहा।

एक समय टीम इण्डिया का स्कोर ४० ओवर में १५६ रन था और उसके सिर्फ तीन विकेट ही गिरे थे। तब लग रहा था कि भारत २०० से पार निकल जाएगा जो कुलमिलाकर एक अच्छा स्कोर होगा। लेकिन ऐसा नहीं हो सका और भारत ने सिर्फ २१ रन के भीतर ७ विकेट गँवा दिए।

बंगलादेश ने बहुत सधे तरीके से शुरुआत की लेकिन भारत के गेंदबाजों, खासकर रवि बिश्नोई ने अपनी गुगली से भारतीय खेमे में उम्मीद की किरण जगा दी। बिश्नोई ने चार विकेट झटककर एक मौके पर बंगलादेशी खेमे में हड़कंप मचा दिया। लेकिन बाद में बांग्लादेश ने संभालकर खेलते हुए लक्ष्य के नजदीक जाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी।

यह बांग्लादेश के क्रिकेट इतिहास में पहला वर्ल्ड कप खिताब है। पहले बांग्लादेश की सीनियर या महिला क्रिकेट टीम भी कोई वर्ल्ड कप जैसा खिताब नहीं जीत पाई थी।  अकबर अली की कप्तानी वाली बांग्लादेश टीम ने अंडर-१९ क्रिकेट वर्ल्ड कप जीत लिया।