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मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चार दिनों की भारत यात्रा पर आए

नई दिल्ली : मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चार दिनों की भारत यात्रा पर आए हैं। मुइज्जू चार दिवसीय राजकीय यात्रा पर रविवार को नई दिल्ली  पहुंचे। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने आश्वासन दिया है कि उनका देश कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जो भारत की सुरक्षा को कमजोर करता हो।  मुइज्जू ने कहा कि चीन के साथ देश के संबंधों से भारत की सुरक्षा को कभी कोई खतरा नहीं होगा।

उन्होंने कहा, मालदीव कभी भी ऐसा कुछ नहीं करेगा जो भारत की सुरक्षा को कमजोर करता हो। भारत मालदीव का एक मूल्यवान भागीदार और मित्र है, और हमारे संबंध आपसी सम्मान और साझा हितों पर बने हैं। जबकि हम विभिन्न क्षेत्रों में अन्य देशों के साथ अपना सहयोग बढ़ाते हैं, हम बने रहेंगे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि हमारे कार्यों से हमारे क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता से समझौता न हो।

साक्षात्कार में जब मुइज्जू से भारतीय सैनिकों की वापसी पर उनके फैसले के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वह घरेलू प्राथमिकताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि “मालदीव और भारत को अब एक-दूसरे की प्राथमिकताओं और चिंताओं की बेहतर समझ है। मैंने वही किया जो मालदीव के लोगों ने मुझसे पूछा था। हालिया बदलाव घरेलू प्राथमिकताओं को संबोधित करने के हमारे प्रयासों को दर्शाते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने जारी की पीएम-किसान सम्मान निधि की 18वीं किस्त

नई दिल्ली  : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब 9.4 करोड़ किसानों के खाते में 20,000 करोड़ रुपये की पीएम-किसान सम्मान निधि की 18वीं किस्त भी जारी की। इससे पहले पीएम मोदी वाशिम पहुंचे। यहां उन्होंने जगदंबा माता मंदिर, पोहरादेवी में दर्शन पूजा-अर्चना की। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के तहत अब तक किसानों को केंद्र सरकार की ओर से कुल 3.45 लाख करोड़ रुपये भेजे जा चुके हैं।

पिछली 17वीं किस्त 18 जून को पीएम मोदी ने अपने लोकसभा क्षेत्र वाराणसी से रिलीज की थी। दरअसल इस योजना का उद्देश्य किसानों की आर्थिक मदद कर उन्हें खेतीबाड़ी के लिए आवश्यक साधन उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी आय में सुधार हो सके। पिछली बार 18 जून 2024 को 9.25 करोड़ किसानों को ये राशि मिली थी, यानी इस बार लगभग 25 लाख नए किसान भी लाभार्थियों में शामिल हुए हैं।

भारत-पाक रिश्तों पर वार्ता नहीं, एससीओ बैठक के लिए जा रहा हूं इस्लामाबाद: एस जयशंकर

नई दिल्ली :  विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाने वाले हैं। उन्होंने पड़ोसी देश की अपनी आगामी यात्रा के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच किसी वार्ता की संभावना से इनकार किया है।

जयशंकर ने माना कि दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रकृति को देखते हुए उनकी पाकिस्तान यात्रा पर मीडिया का खासा ध्यान रहेगा लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि यह दौरा किसी बातचीत के लिए नहीं हो रहा है। उल्लेखनीय है कि लगभग एक दशक में यह पहली बार है कि देश के विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा करेंगे। दोनों देशों के बीच संबंध खास तनावपूर्ण रहे हैं। इसका एक बड़ा कारण पाकिस्तानी धरती से संचालित होने वाली आतंकी गतिविधियां हैं।

विदेश मंत्री ने कहा, “यह (यात्रा) एक बहुपक्षीय कार्यक्रम के लिए होगी। मैं वहां भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने नहीं जा रहा हूं। मैं एससीओ के एक अच्छे सदस्य के रूप में वहां जा रहा हूं। आप जानते हैं, मैं एक विनम्र और सभ्य व्यक्ति हूं, इसलिए उसी के अनुसार व्यवहार करूंगा।” पाकिस्तान 15 और 16 अक्टूबर को एससीओ शासनाध्यक्ष परिषद (सीएचजी) की बैठक की मेजबानी कर रहा है। अपनी यात्रा के बारे में विस्तार से बताते हुए जयशंकर कहा, “मैं इस महीने पाकिस्तान जाने वाला हूं। यह यात्रा एससीओ शासनाध्यक्षों की मीटिंग के लिए है। आम तौर पर, राष्ट्राध्यक्षों के साथ उच्च स्तरीय बैठक के लिए प्रधानमंत्री जाते हैं। इस साल यह मीटिंग इस्लामाबाद में हो रही है क्योंकि पााकिस्तान ग्रुप का एक नया सदस्य है।”

आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस द्वारा आयोजित सरदार पटेल व्याख्यान में जयशंकर ने पाकिस्तान पर उसकी आतंकी गतिविधियों को लेकर परोक्ष हमला भी किया। विदेश मंत्री ने कहा, “आतंकवाद एक ऐसी चीज है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे एक पड़ोसी ने आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखा है। इस क्षेत्र में यह हमेशा नहीं चल सकता। यही कारण है कि हाल के वर्षों में सार्क की बैठकें नहीं हुई हैं।’ जयशंकर ने आगे कहा, “हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि क्षेत्रीय गतिविधियां बंद हो गई हैं। वास्तव में, पिछले 5-6 वर्षों में, हमने भारतीय उपमहाद्वीप में कहीं अधिक क्षेत्रीय एकीकरण देखा है। आज, यदि आप बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, म्यांमार और श्रीलंका के साथ हमारे संबंधों को देखें, तो आप पाएंगे कि रेलवे लाइनों को बहाल किया जा रहा है, सड़कों का पुनर्निर्माण किया जा रहा है और बिजली ग्रिड का निर्माण किया जा रहा है।”

तिरुपति प्रसाद विवाद : सुप्रीम कोर्ट ने नई SIT का किया गठन, सीबीआई और FSSAI के अधिकारी करेंगे मामले की जांच

तिरुपति : तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने SIT बनाने के आदेश जारी किए है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पांच सदस्यीय जांच टीम बनाई जानी चाहिए। इस टीम में दो अधिकारी सीबीआई (CBI) से, दो अधिकारी राज्य सरकार के और एक अधिकारी FSSAI का होना चाहिए। जांच की निगरानी सीबीआई डायरेक्टर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा “हम अदालत को राजनीतिक लड़ाई के प्लेटफार्म में तब्दील होने की इजाजत नहीं दे सकते।” पहले इस मामले की जांच आंध्र प्रदेश सरकार  के अधिकारी कर रहे थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट  ने कहा कि तिरुपति बालाजी प्रसाद बनाने में प्रयोग होने वाले घी में मिलावट के आरोपों की जांच राज्य सरकार की SIT नहीं करेगी और नई SIT के गठन को लेकर निर्देश दिए।

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने पुरानी एसआईटी पर भरोसा जताया था, लेकिन कोर्ट ने नई एसआईटी (SIT) का गठन कर दिया। जस्टिस गवई ने कहा कि हम नहीं चाहते कि यह राजनीतिक नाटक बने। इससे पहले बुधवार को इस मामले की सुनवाई टल गई थी। एसजी तुषार मेहता ने कहा था कि शुक्रवार को केंद्र का जवाब रखेंगे इसलिए इस मामले की सुनवाई एक दिन के टल गई थी।

बता दें कि महीने की शुरुआत में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि राज्य में पिछली सरकार (जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली) के दौरान तिरुपति में लड्डू तैयार करने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था। नायडू के इस बयान के बाद बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया।

पंजाब समेत देश के कई राज्यों में ED की रेड, चिटफंड स्कैम से जुड़े हैं तार

लुधियाना :  देश के कई शहरों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीमों ने रेड की है। ये रेड कोलकाता, पंजाब, दिल्ली और मुंबई  में अलग-अलग ठिकानों पर रेड पड़ी है। चिटफंड मामले  में शामिल लोगों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच जारी है। मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत ईडी शुक्रवार को 24 से अधिक जगहों पर छापेमारी कर रही है।

लुधियाना में शुक्रवार को ईडी की रेड हुई है। नामी कॉलोनाइजर और कारोबारी विकास धामी के घर टीम ने दबिश दी है। ऑफिस और ठिकानों पर रेड बताई जा रही है। जानकारी के अनुसार, रेड के दौरान काफी दस्तावेज खंगाले गए हैं लेकिन बरामदगी को लेकर अभी कोई सटीक जानकारी सामने नहीं आई है। 

इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसलाः सहमति से शारीरिक संबंध, दुष्‍कर्म नहीं

प्रयागराज  : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान कहा कि यदि लंबे समय से सहमति से शारीरिक संबंध हों तो उसे दुष्कर्म नहीं माना जा सकता। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने अभियुक्त श्रेय गुप्ता के खिलाफ मुरादाबाद के महिला थाना में दर्ज दुष्कर्म-लूट की प्राथमिकी तथा सत्र न्यायाधीश न्यायालय में विचाराधीन केस कार्रवाई को रद कर दिया है।

याचिका धारा 482 सीआरपीसी के तहत दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा, मौजूदा मामले में पीड़िता विवाहित है। उसके दो बड़े बच्चे हैं। रिश्ते के समय उसका पति जीवित था, उसकी उम्र 26 साल थी।

प्रेम, वासना और मोह के कारण शारीरिक संबंध बनाया। करीब 12-13 साल तक लगातार ऐसी स्थिति में रही। यह जानते हुए भी ऐसे रिश्ते में प्रवेश किया जो व्याभिचार कहलाता है। इसलिए यह बहाना बेकार है कि याची ने उसके पति की मृत्यु के बाद शादी करने का वादा किया था। याची की उम्र कम है। वह पीड़िता के पति के कारोबार में नौकर था।

पीड़िता ने प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि पति मधुमेह की वजह से चलने फिरने में असमर्थ थे। उन्होंने उसका परिचय आरोपित (याची) से कराते हुए उसे वफादार बताया था। आरोपित ने करीबी बढ़ने पर कहा कि उसका पति बस कुछ दिन और जिंदा रहेगा।

कांगो में नौका डूबने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 87 हुई

गोमा : पूर्वी कांगो के किवू झील में एक नौका डूबने से कम से कम 87 लोगों की मौत हो गई है।

यह नौका दक्षिण किवू प्रांत के मिनोवा शहर से आ रही थी और गुरुवार को उत्तरी किवू प्रांत की राजधानी गोमा के पास, किटुकु बंदरगाह के नजदीक पलट गई।

किंशासा में केंद्रीय सरकार को भेजी गई एक रिपोर्ट में प्रांतीय सरकार ने बताया कि अभी भी 78 लोग लापता हैं। 87 शवों को गोमा के सामान्य अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया है, और 9 बचे हुए लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह जानकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने दी है।

हालांकि बताया जा रहा है कि नौका में 270 से ज्यादा लोग सवार थे लेकिन सटीक संख्या फिलहाल स्पष्ट नहीं है।

किटुकु बंदरगाह के कर्मचारियों ने बताया कि नाव एक जोरदार लहर का सामना नहीं कर पाई और बंदरगाह से लगभग 700 मीटर दूर पलट गई।

गुरुवार देर रात तक, लोग अभी भी किटुकु बंदरगाह पर अपने परिजनों के शवों की खोज में इंतजार कर रहे थे।

गोमा और मिनोवा के बीच की सड़कें कई महीनों से सशस्त्र समूहों और सेना के बीच हो रही लड़ाई के कारण बंद हैं। किवू झील पर तेज हवाओं और नौकाओं के ज्यादा भार होने की वजह से नौका हादसे अक्सर होते रहते हैं।

इस मामले पर राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी ने दुख प्रकट किया है और आपदा से प्रभावित लोगों की मदद के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही आपदा के सटीक कारणों का पता लगाते हुए भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने की बात बात की है।

जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा के हिंदुओं को दी नवरात्रि की बधाई, बोले ये हमारा भी त्यौहार

ओटावा : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने गुरुवार को नवरात्रि के पहले दिन कनाडा के हिंदुओं को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने एक बयान में कहा, “आज रात, कनाडा और दुनिया भर में हिंदू समुदाय नवरात्रि के त्यौहार की शुरुआत का जश्न मनाएंगे। यह बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की जीत का जश्न है। “

साथ ही कहा कि जो लोग नवरात्रि मना रहे हैं, उनके लिए “अगली नौ रातें परिवार और दोस्त प्रार्थना, संगीत और प्रियजनों के साथ समय बिताने की होगी।”

कनाडाई हिंदू लोगों को कनाडा का अभिन्न अंग बताते हुए, ट्रूडो ने कहा: “नवरात्रि की तरह उनके त्योहार और उत्सव भी हमारे त्योहार हैं। कनाडाई हिंदू जिस खुशी, उत्सव और विविधता का उदाहरण देते हैं, वह हमें एक देश के रूप में मजबूत बनाता है।”

उन्होंने कहा, “कनाडा सरकार की ओर से, मैं नवरात्रि मनाने वाले सभी लोगों को खुशी और समृद्धि की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।”

कनाडा में हिंदू धर्म तीसरा सबसे बड़ा धर्म है।

2021 की जनगणना के अनुसार देश की कुल आबादी का लगभग 2.3 प्रतिशत हिंदू है।

कनाडा उन देशों में से एक है जहां प्रवासी भारतीय की संख्या अच्छी खासी है। जो वहां की कुल आबादी का लगभग 4 फीसदी हिस्सा है।

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जेलों में जाति के आधार पर काम देना अनुचित

नई दिल्ली  : जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि जेल मैनुअल निचली जाति को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम देकर सीधे भेदभाव करता है।

अदालत  ने कहा कि यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन होता है। जाति के आधार पर काम के बंटवारे की अनुमति नहीं दी जा सकती।

अंधविश्वास में हत्याओं का खेल बदस्तूर जारी

हाल ही में छत्तीसगढ़ सूबे के सुकमा ज़िले के इतकाल गाँव में लोगों ने जादू-टोने के शक में पाँच लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गयी। मरने वालों में तीन महिलाएँ भी हैं और सभी मृतक एक ही परिवार के थे। यह ख़बर विकसित भारत, स्मार्ट सिटी की घोषणाओं, देश में हवाई अड्डे बनाने की होड़ और अब भारत को दुनिया का चिप हब बनाने की दिशा में जनता के सामने रखी जाने वाली सरकारी तस्वीरों के बीच उस भारत की तस्वीर है, जो अभी तक डायन प्रथा का दंश झेल रहा है। हैरत होती है कि देश में स्कूलों, विश्वविघालयों की संख्या में वृद्धि, साक्षरता दर बढ़ने, बेहतर संचार-व्यवस्था, प्राथमिक अस्पतालों की संख्या में इज़ाफ़ा होने के बावजूद डायन-प्रथा आज भी ज़िन्दा है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड शाखा के अनुसार, वर्ष 2022 में देश में 85 लोगों की हत्या डायन मानकर कर दी गयी इनमें से ज़्यादातर मामले छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखण्ड और ओडिशा राज्यों के थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड शाखा के आँकड़ों के अनुसार, देश में वर्ष 2015 से वर्ष 2021 के दरमियान डायन-प्रथा के तहत 663 हत्याएँ हुईं, जो मामले दर्ज किये गये यानी सालाना औसतन 95 मामले ऐसे दर्ज किये गये, जिनमें लोगों की हत्या उन्हें डायन कहकर कर दी गयी ऐसी हत्याओं में 65 फ़ीसदी मामले झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा राज्यों से थे।

ग़ौरतलब है कि डायन बिसाही सरीखी क्रूर कुप्रथा भारत के 12 राज्यों में अधिक है, इसमें झारखण्ड, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र और असम शामिल हैं। यह क्रूर प्रथा कम आय वाले इलाक़ों और ऐसे समुदायों में जहाँ सामाजिक, आर्थिक असमानता के अलावा लैंगिक असमानता हावी है, में ज़िन्दा है। इसके साथ ही अशिक्षा, जागरूकता का अभाव, स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुँच कम होने जैसे कारण भी इन प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस कुप्रथा की शिकार अधिकतर महिलाओं को ही बनाया जाता है।

सवाल यह है कि इस पुरुष प्रधान समाज, व्यवस्था में अक्सर महिलाएँ ही इसकी गिरफ़्त में क्यों? वो भी ज़्यादातर मौक़ों पर ऐसी महिलाओं को डायन कहकर प्रताड़ना दी जाती है या उनकी हत्या कर दी जाती है, जो उम्रदराज़, अकेली, नि:संतान या विधवा होती हैं। इसके पीछे एक मुख्य मंशा महिलाओं को कमतर आँकना, उनकी संपत्ति हड़पना, किसी रंज़िश के तहत समाज में उन्हें बदनाम करना, एक ख़ास उम्र (प्रजनन-अवस्था) के बाद उन्हें बेकार समझना आदि होते हैं। पीड़ित लोगों में अधिकतर ग़रीब, आदिवासी और दलित होते हैं। डायन घोषित करने के लिए जादू-टोना और काला जादू करने जैसे शक भी करके या आरोप लगाकर लोग, समुदाय पीड़ित और उसके परिवार को कई-कई तरह की यातनाएँ देते हैं। कई बार तो यातनाएँ देने वालों में परिवार के लोग भी शामिल होते हैं।

ऐसी कुप्रथाओं के तहत किसी की हत्या की घटनाएँ हैरत में डालती हैं; क्योंकि कई राज्यों में इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ क़ानून भी बने हुए हैं। बिहार देश का ऐसा पहला राज्य है, जिसने 1993 में ऐसा क़ानून बनाया था। इस क़ानून के तहत किसी को प्रताड़ित करने वालों को छ:-छ: माह तक की क़ैद की सज़ा या 2,000 रुपये तक के आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया था। आज बिहार के अलावा झारखण्ड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, असम में भी इस तरह की प्रताड़ना के ख़िलाफ़ क़ानून बने हुए हैं। ये क़ानून राज्य सरकारों ने बनाये हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि अभी तक इस कुप्रथा के ख़िलाफ़ कोई केंद्रीय क़ानून नहीं बना है। वहीं जिन राज्यों ने पहल करके क़ानून बनाये हैं, वहाँ किसी की हत्या या उसे प्रताड़ित करने वालों के लिए सज़ा बहुत कम है। इसके साथ ही यह भी चलन है कि ऐसा कोई मामला सरकारी दस्तावेज़ में दर्ज हो, ज़रूरी नहीं। कई मर्तबा पुलिस ऐसे मामलों में निष्क्रिय रहती है, तो कई मर्तबा पीड़ित परिवार के लोग दबंग लोगों से डरकर ख़ामोश रहना ही बेहतर समझते हैं। उन्हें यह डर सताता है कि अगर रिपोर्ट दर्ज करायी, तो उनके परिवार के बच्चों को कहीं सामाजिक बहिष्कार न झेलना पड़े। गाँव में उनके लिए रोज़गार, खाने-पीने, समाज में उठने-बैठने के रास्ते बंद हो सकते हैं।

दरअसल इस कुप्रथा के कई सामाजिक, जातीय, आर्थिक व मनोवैज्ञानिक पहलू भी हैं। यह कुप्रथा विकास की गढ़ी गयी परिभाषा पर भी सवाल उठाती है। देश में जन कल्याण, महिलाओं के उत्थान, सशक्तिकरण के लिए चालू महत्त्वाकांक्षी योजनाओं पर भी सोचने को मजबूर करती है। दलित, आदिवासी कल्याण, उत्थान के नाम पर सियासत कभी थमती नहीं दिखती, हर राजनीतिक पार्टी उनका सबसे अधिक हितैषी होने का दावा करता है; लेकिन हक़ीक़त कुछ और ही होती है। 21वीं सदी के दो दशक बीत चुके हैं। इसरो भारत को स्पेस के क्षेत्र में बहुत आगे ले जाने के लिए प्रयासरत है। वैज्ञानिक और डॉक्टर भी रोगियों के इलाज को सुलभ बनाने की दिशा में शोध करने में जुटे हैं। शेयर बाज़ार भी रिकॉर्ड बनाता रहता है। पर इसके बीच छत्तीसगढ़ में अंधविश्वास के कारण पाँच लोगों की हत्या हमें लोगों की घटिया मानसिकता को दूर करने के लिए ठोस क़दम उठाने के लिए आईना दिखाती है।