Wednesday, September 17, 2025
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देश में घरेलू उड़ानें शुरू

कोविड-१९ के बीच लगे लॉकडाउन में १५ मार्च को बंद हुईं घरेलू उड़ानें करीब ७० दिन बाद घरेलू उड़ानें शुरू हो गईं। देश में कई जगह बस और ट्रेन सेवा पहले ही आंशिक रूप से शुरू हो चुकी हैं। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने एयर इंडिया को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों में अगले १० दिन तक बीच में सवारी बैठने की मंजूरी तो दे दी है, लेकिन उसके बाद इसपर पाबंदी लग जाएगी।

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट (आईजीआईए) के टी-३ से तड़के पौने पांच बजे पुणे के लिए सबसे पहली उड़ान रवाना हुई। ये फ्लाइट इंडिगो की थी। एयरपोर्ट पर यात्री उड़ानें शरू होने से काफी उत्साहित थे हालांकि, कोरोना को लेकर वे बहुत चौकन्ने और थोड़ा डरे हुए भी दिखे। यहाँ यात्री रविवार देर रात से ही आने शुरू हो गए थे। हालांकि, पहले दिन करीब ८० फ्लाइट्स कैंसिल होने की भी खबर है।

दिल्ली एयरपोर्ट पर पूरी तैयारियां की गयी हैं। आपसी दूरी (फिजिकल डिटेन्सिंग) का पूरा पालन हो, इसके लिए एयरपोर्ट पर जबरदस्त सुरक्षा तामझाम किये गए हैं। टर्मिनल के बाहर सुरक्षा से जुड़े लोग लगातार यात्रियों को आपसी दूरी का पालन करने की सलाह देते दिखे। यही नहीं, टी३  एयरपोर्ट पर लगातार अनाउंसमेंट भी हो रही है ताकि यात्रियों को नियमों का पालन करने के लिए कहा जा सके। सभी यात्री मास्क पहने दिखे।

आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल को छोड़कर पूरे देश में देर रात से यात्री एयरपोर्ट यात्रियों को आना शुरू हो गए थे। यात्रियों के बैठने की जगह (लाउंज) में कुर्सियों पर एक सीट छोड़कर ही बैठने के इंतेज़ाम किए गए हैं। अभी भी आने वाले दिनों में सुरक्षा की दृष्टि से अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती आपसी दूरी का पालन करवाना ही रहेगा।

दिल्ली एयरपोर्ट पर हर दूसरे गेट पर कियोस्क (स्टाल) बनाए गए हैं जहां सैनिटाइजर, पीपीई किट्स, मास्क् जैसी चीजें उपलब्ध हैं और यात्री इन्हें खरीदते भी देखे गए। पहले चरण में २८०० उड़ानों की योजना है। दिल्ली हवाईअड्डे पर पहले दिन (सोमवार) को करीब ३८० विमानों का संचालन (टेक ऑफ और लैंडिंग) होगी।

बीच की सीट
सुप्रीम कोर्ट ने एक बहुत अहम फैसले में एयर इंडिया को अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के दौरान अगले १० दिन तक तो बीच की सीट पर बैठने की इजाजत दे दी है, लेकिन उसके बाद इसपर पाबंदी लगाने को कहा है। एक याचिका की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने यह भी सख्त टिपण्णी की है कि सरकार को एयरलाईंस का नहीं, जनता का ध्यान रखना चाहिए। बीच की सीट में बैठने से आपसी दूरी के नियम का बिलकुल भी पालन नहीं हो पायेगा। यह मामला सुप्रीम कोर्ट ने अब बॉम्बे हाईकोर्ट को आगे की सुनवाई के लिए भेज दिया है।

हॉकी के एक युग का अंत

बलबीर सिंह सीनियर चले गए। अपने पीछे छोड़ गए एक लंबा इतिहास। एक एहसास जीने का। उनका पूरा जीवन, जीवन की एक मिसाल है। उनके जाने से हॉकी के उस युग का खात्मा हो गया जिस में हम आज भी जी रहे हैं।

बलबीर सिंह सीनियर ने न केवल देश को तीन ओलंपिक के स्वर्ण पदक दिलवाए बल्कि 1956 के अपने अंतिम ओलंपिक के बाद 2020 तक के 64 सालों में अपने व्यक्तित्व और शब्दों से हर उस खिलाड़ी का मार्गदर्शन भी किया जो निराशा के गहरे साए में डूबा उनके पास आया। बलबीर सिंह सीनियर एक व्यक्ति नहीं एक संस्था थे। वे केवल हॉकी तक सीमित नहीं रहे बल्कि उन्हों ने देश में खेल संस्कृति को विकसित करने की भरपूर कोशिश की।

1975 के विश्व कप को जितने वाली भारतीय हॉकी टीम के वे मैनेजर थे। वे चंडीगढ़ में आयोजित कैंप से ही कप जीतने का मजबूत इरादा ले कर मलेशिया के कुआलालंपुर गए थे। वे हमेशा टीम के साथ रहते। उसका पूरा ध्यान रखते।

मुझे याद है जब 1976 के मोंट्रियल ओलंपिक में पहली बार एस्ट्रो टर्फ का इस्तेमाल हुआ और भारत की टीम विश्व कप जीतने के एक साल के भीतर ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना जैसी टीमों से हार गई। ओलंपिक में भारत पहली बार बिना पदक के लौटा। इस पर देश में एक हंगामा हो गया। देश की हॉकी फैडरेशन ने इस हार के लिए एस्ट्रो टर्फ को विलेन बना दिया। किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया कि हॉकी में गिरावट तो १९६० के रोम ओलंपिक से दिखानी शुरू हो गई थी जब हमने पहली बार अपना स्वर्ण पदक खोया था। इसके बाद 1968 मैक्सिको और 1972 के म्यूनिख ओलंपिक खेलों में भी हमें केवल ब्रोंज़ मेडल हासिल हुए। 1976 के मंट्रायल ओलंपिक के प्रदर्शन और भारत के हॉकी जानकारों के बयान देखने के बाद मैंने एक दिन चंडीगढ़ प्रेस क्लब में बलबीर सिंह सीनियर से इस पर सवाल किया, “अगर आप के टाईम में एस्ट्रो टर्फ होती तो परिणाम क्या होते”? उन्हों ने पूरे आत्मविशवास और ठेठ पंजाबी अंदाज़ में कहा, “जे उदों एस्ट्रो टर्फ हुंदी ता में उस्तों दुगने गोल कर्दा जिन्ने मै ओलंपिक बीच कीते” (यदि उस समय एस्ट्रो टर्फ होती तो मैं उससे दुगने गोल करता जीतने मैंने ओलम्पिक में किए)। ध्यान रहे उन्हों ने तीन ओलंपिक खेलों में कुल आठ मैच खेले और 22 गोल किए। उनका कहना था कि एस्ट्रो ट्रफ पर गेंद को काबू करना आसान है। घास पर वह नियंत्रण नहीं रहता।

साफ कहूं तो ध्यान चंद के बाद आज देश ने हॉकी का दूसरा जादूगर खो दिया। जब तक हॉकी ज़िंदा है तब तक ज़िंदा रहेगा बलबीर सिंह सीनियर।

सर्वाधिक कोरोना प्रभावित 10 देशों में शामिल हुआ भारत

भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण न सिर्फ तेजी से बढ़ता जा रहा है, बल्कि यह विकराल रूप लेता जा रहा है। रविवार को दुनिया भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में भारत टॉप-10 में पहुंच गया है। संक्रमण के मामले में ईरान को पीछे छोड़ दिया है।

ईरान में जहां वर्तमान में 1.35 लाख संक्रमण के मामले सामने आए हैं, जबकि भारत में यह तादाद 1.38 लाख को पार कर चुकी है। भारत में पिछले करीब एक हफ्ते से अधिक समय रोजाना 5000 से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं। ये रोजाना नया रिकाॅर्ड बनता जा रहा है।

अच्छी खबर ये है कि कुल संक्रमितों में से 57,429 लोग ठीक होकर घर वापस जा यचुके हैं। भर्ती लोगों में से 8900 से भी अधिक की हालत बेहद गंभीर है।

अकेले महाराष्ट्र में आंकड़ा 50 हजार पार

महाराष्ट्र में पिछले एक दिन में कोविड-19 के रिकाॅर्ड 3041 नए मामले सामने आने के बाद राज्य में संक्रमितों की कुल संख्या 50,231 हो गई है। महामारी के कारण 58 और लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 1635 हो गई है। करीब एक हफ्ते से प्रतिदिन 2,000 से अधिक नये मामले यहां सामने आ रहे हैं। यहां 14,600 लोगों को स्वस्थ होने के बाद अस्पतालों से छुट्टी दी जा चुकी है जबकि अभी 33,988 का इलाज चल रहा है।

गुजरात की हालत भी है खस्ता

गुजरात में 24 घंटे में कोरोना वायरस के 394 नये मामले सामने आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 14,063 हो गई है। वहीं 29 और लोगों की मौत होने से मृतकों का आंकड़ा 858 तक पहुंच गया। यहां 6,169 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 6,793 का इलाज चल रहा है।

इधर, दिल्ली में संक्रमण का मामाल बढ़कर 13,000 के पार पहुंच गया, जबकि मृतक संख्या 261 हो गई।

नांदेड़ में साधू, सेवादार की हत्या, आरोपी गिरफ्तार

महाराष्ट्र के नांदेड़ में एक साधु की हत्या सहित दो लोगों की हत्या का मामला सामने आया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है जिसने शनिवार देर रात इन कृत्य किया। साधू और आरोपी एक ही समुदाय के हैं। आरोपी का आपराधिक रेकार्ड बताया गया है।

जानकारी के मुताबिक घटना नांदेड़ के उमरी ताल्लुका की है। बीती रात लिंगायत समाज के एक साधु और उनके सेवक की हत्या के दी गयी। साधु पशुपति महाराज का शव आश्रम में मिला जबकि उनके सेवादार भगवान राम शिंदे का शव आश्रम से कुछ दूर पर पड़ा मिला। हत्यारोपी की पहचान साईनाथ लिंगाडे के रूप में हुई है, जिसे तेलंगाना से गिरफ्तार कर लिया गया है।

पशुपति महाराज नांदेड के आश्रम में रहते थे। सुबह  शिष्यों ने उन्हें आश्रम में मृत पाया तो पुलिस को खबर की। पुलिस को जांच के दौरान ही जानकारी मिली कि आश्रम की सेवा करने वाले एक सेवादार भगवान राम शिंदे का शव गांव में आश्रम से कुछ ही दूरी पर मिला है।

जांच से जाहिर हुआ है कि हत्यारोपी साईनाथ रात के समय आश्रम में दाखिल हुआ था। हत्या करने के बाद वह साधु का शव साथ ले जाना चाहता था और जैसे ही साईनाथ साधु पशुपति महाराज का शव कार में रखकर बाहर निकलने लगा तभी उसकी कार दरवाजे में फंस गई। शोर सुनकर छत पर सो रहे दो सेवादार जाग गए।  उन्होंने साईनाथ को रोकने की कोशिश की लेकिन वह भाग निकला। पुलिस ने आरोपी साईनाथ को तेलंगाना से गिरफ्तार कर लिया है।

कोरोना के साथ लू का कहर, लू की चपेट में आने से हीट स्ट्रोक का खतरा

कोरोना वायरस के कहर के साथ – साथ अब लोगों को लू की चपेट में आने के कारण स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। देश के कई हिस्सों में 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान दर्ज किया गया है। ऐसे में जरा सी लापरवाही हीट स्ट्रोक का कारण बन सकती है।डाक्टरों का कहना है कि मानव शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है अगर ऐसे में शरीर का तापमान 45 डिग्री की चपेट में यानि कि लू -गर्म हवा के कारण की चपेट में आता है, तो ब्रेन अटैक और हार्ट अटैक होने का चांस बढ सकता है।इस लिये ऐसे मौसम में सावधानी के तौर पर तेज धूप में जाने से बचें । मैक्स अस्पताल के कैथ लैब के डायरेक्टर डाँ विवेका कुमार का कहना है कि इस समय कोरोना के कहर के साथ –साथ लू के कहर से बचना होगा । क्योंकि कई बार जरा सी लापरवाही घातक होती है।डाँ विवेका का कहना है कि कोरोना और लू की चपेट में आने सबसे अधिक खतरा हार्ट रोगियों को होता है।क्योंकि गर्मी के मौसम में उच्च रक्तचाप और मानसिक तनाव के रोगियों को हार्ट रोगियों को काफी दिक्कत होती है। ऐसे में बचाव के तौर पर तरल और हरी सब्जियों का सेवन करें। जाने- माने आयुर्वेदाचार्य डाँ दिव्यांग देव गोस्वामी का कहना है, कि पहली बार ऐसा संयोग बना है कि कोरोना से साथ लू का कहर लोगों को हिलाकर रख रहा है। क्योंकि इसके पहले तो कोरोना जैसे संक्रमित महामारी का कहर नहीं था । पर इस बार लू और कोरोना दोनों एक साथ है । ऐसे में बचाव के तौर पर आर्युवेद के मुताबिक नीबू , पुदीना हरा , तरबूज और खरबूज का सेवन लाभदायक हो सकता है।

आईएमए के पूर्व संयुक्त सचिव अनिल बंसल ने बताया कि लू और कोरोना दोनों के एक साथ में अगर कोई मरीज आता है । तो निश्चित तौर पर उसके लिये काफी घातक हो सकता है । ऐसे में इन दिनों खासकर कोरोना युग में जिस तरह घर में रहकर कोरोना से बचाव किया है । वैसे ही लू से बचाव करें । सुबह – सुबह ठहलें और अधिक से अधिक पानी का सेवन करें जिससे लू से बचा जा सकें।

मुंबई में 1566 नए मामले, 40 लोगों की मौत

मुंबई में शनिवार को 1566 नए मामले रिपोर्ट किए गए और 40 लोगों की मौत हो गई। इसके साथ ही आर्थिक नगरी में कुल संक्रमितों की संख्या 28,634 हो गई है। सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र ही है, उसमे भी मुंबई और पुणे सर्वाधिक प्रभावित शहर हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और गुजरात सर्वाधिक प्रभावित राज्य हैं।
देश में लॉकडाउन 4 लागू  होने के बावजूद नये मामलों में तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है। पिछले 24 घण्टे में 6654 नए मामले सामने आये और 137 लोगों की मौत कोरोना संक्रमण से हुई। इसके साथ ही देश में संक्रमितों का आंकड़ा 1,25,101 हो गयाऔर मारने वालों की संख्या 3720 हो गई। 69,597 सक्रिय मामले हैं।
गुजरात में आए 396 नए मामले
गुजरात में 24 घंटे में 396 नए मामले सामने आए। राज्य में संक्रमित मामलों की संख्या 13,699 हो गई है, जिनमें 6169 मरीज ठीक हो गए हैं और 829 लोगों की मौत हो चुकी है।
उत्तराखंड में 72 नए मामले
उत्तराखंड में 72 नए मामले रिपोर्ट किए गए। इसी के साथ राज्य में संक्रमितों की कुल तादाद 244 हो गई है।

पुरी बोले, इंटरनेशनल फ्लाइट्स अगस्त-सितंबर तक, और स्थिति बनी तो जून-जुलाई में संभव

घरेलू उड़ानें शुरू करने के बाद नागरिक उड्‌डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शनिवार शाम एक लाइव फेसबुक चैट में लोगों से कहा कि अगस्त-सितंबर से पहले हम इंटरनेशनल फ्लाइट्स सेवाएं शुरू कर सकते हैं। फ्लाइट शुरू करने से पहले कोरोना के हालात का आकलन किया जाएगा। हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने यह भी कहा कि अगस्त-सितंबर का इंतजार क्यों करना? हालात बेहतर हुए और कुछ प्रबंध करने की स्थिति बनी तो जून मध्य या जुलाई में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें क्यों नहीं शुरू कर सकते?

अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव हुए पूरी ने लोगों के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि २५ मई से ३३ फीसदी घरेलू उड़ानें शुरू हो रही हैं। अभी जो आंकड़े आए हैं, उसके मुताबिक बुकिंग के पहले दिन काफी लोगों ने टिकट लिए हैं। फ्लाइट सेवा की काफी डिमांड है। लॉकडाउन के बीच मंत्रालय ने लाइफ लाइन उड़ान शुरू की थी। इसके जरिए एक हजार टन मेडिकल उपकरण व अन्य जरूरी सेवाओं की सप्लाई देशभर में की गई।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि घरेलू उड़ान के लिए डिटेल एसओपी जारी कर दी गई है। एयरपोर्ट पर दो घंटे पहले आने होगा और मास्क पहनना होगा। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग पालन करना होगा। सेल्फ डिक्लेरेशन देना होगा कि उनमें कोई लक्षण नहीं है, तभी बोर्डिंग पास मिलेगा। उन्होंने बताया कि अगर डिमांड अच्छी रही और राज्यों के साथ तालमेल ठीक रहा तो जल्द ही घरेलू उड़ानों की संख्या बढ़ा दी जाएगी।

हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों को लेकर उन्होंने पहले कि अगस्त-सितंबर से पहले हम इंटरनेशनल फ्लाइट्स सेवाएं शुरू कर सकते हैं। हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने यह भी कहा – ”अगस्त-सितंबर तक इंतजार क्यों करना? हालात बेहतर होते हैं और इस संक्रमण के साथ हम जीने का कोई रास्ता निकाल लेते हैं और कुछ प्रबंध करने की स्थिति में होते हैं तो जून मध्य या जुलाई में अंतरराष्ट्रीय उड़ानें क्यों नहीं शुरू कर सकते? उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल फ्लाइट शुरू करने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी और एयरलाइंस पूरी तरह से तैयार हैं।

मजदूरों के दर्द को एक डाक्यूमेंट्री में सामने लाये राहुल गांधी, भाजपा ने उड़ाया मजाक

लॉकडाउन के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी सिर्फ अपनी प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार पर सवाल उठाने या सुझाव देने के लिए ही चर्चा में नहीं हैं। वे पिछले दिनों  दिल्ली में घर जाने के लिए सड़कों पर भटक रहे प्रवासी मजदूरों से मिले थे और फुटपाथ पर बैठकर उनसे बात की थी। अब उन्होंने मजदूरों की दिक्क्तें सामने लाने के लिए इसकी एक डॉक्यूमेंटरी जारी की है। हालांकि, भाजपा ने राहुल गांधी के मजदूरों का दर्द दिखाने पर उनकी खिल्ली उड़ाई है और इसे ”ड्रामा” बताया है।

राहुल गांधी के मजदूरों के दर्द वाला यह वीडियो पोस्ट करते ही वायरल हो गया।  पिछले दिनों प्रवासी मज़दूरों से राहुल गांधी ने जो मुलाकात की थी यह वीडियो उसी से जुड़ा है। गांधी ने आज सुबह इस मुलाकात की डॉक्यूमेंटरी जारी की। वीडियो में घर लौट रहे प्रवासी मज़दूरों ने अपना दर्द बंया किया है। ये प्रवासी मजदूर हरियाणा से उत्तर प्रदेश के झांसी पैदल जा रहे थे। वीडियो में एक प्रवासी महिला यह कह रही हैं  – ”तीन दिन से भूखे हैं, भूख से मर रहे हैं, उसके साथ बच्चे हैं, घर नहीं जाए तो क्या करें।”

प्रवासी मजदूरों ने इस बातचीत में राहुल गांधी को बताया कि वे हरियाणा से आ रहे हैं और करीब १०० किलोमीटर की दूरी तक कर चुके हैं। खाने के सवाल पर एक प्रवासी परिवार ने बताया कि रास्ते में कुछ मिल गया तो खा लेते हैं वरना ऐसे ही चल रहे हैं।  परिवार ने कहा लॉकडाउन से पहले अगर कुछ गैप दे दिया जाता तो सब अपने गांव निकल जाते हैं। लॉकडाउन की तारीख बढ़ रही हैं लिहाजा वे घर जाने को मजबूर हैं।

याद रहे हाल में एक प्रेस कांफ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी राहुल गांधी के मजदूरों का दुःख-दर्द जानने पर उनका मजाक उड़ाया था। निर्मला ने कहा था – ”उन्होंने (राहुल गांधी) मजदूरों के साथ बैठकर, उनसे बात करके उनका समय बर्बाद किया। उन्हें मज़दूरों के बच्चों को और उनके सामान को उठाकर उनके साथ चलना चाहिए था।” हालांकि, राहुल ने इस टिप्पणी पर कोइ प्रतिक्रिया नहीं दी थी। अब उन्होंने मजदूरों से अपनी बातचीत का वीडियो जारी किया है।

वीडियो में वापसी के सवाल पर मजदूर कह रहे हैं कि ”हम फिलहाल तो वापस आने का सोच ही नहीं रहे हैं। उन्होंने राहुल गांधी को बताया कि ”दो महीने तक हमने पड़ोसियों से पैसे लेकर, गेहूं बेचकर काम चलाया।’ इस दौरान, एक महिला ने कहा कि ”जान बचे तो लाखों पाए। खाते में पैसे डालने की बात कही जा रही हैं, लेकिन हमें  एक भी पैसा नहीं मिला है।”

उधर भाजपा ने कहा – ”राहुल गांधी का ड्रामा करना और फिर उस पर हास्यास्पद कमेंट करना उनकी आदत बन गई है।” भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता नलिन कोहली ने वीडियो जारी करते हुए कहा – ”अगर कांग्रेस सच में प्रवासी मजदूरों की चिंता करती है तो उन्हें उनकी मदद करनी चाहिए न की राजनीति। ऐसा लग रहा है कि ये राहुल जी की आदत बन गई है कि बाहर जा कर वो ड्रामे कर इस तरह प्रजेंटेशन दें और फिर उस पर हास्यास्पद कमेंट करें। अगर सही मायने में राहुल गांधी और कांग्रेस गरीब प्रवासी मजदूरों की चिंता करते हैं तो कम से कम जिन राज्यों में उनकी सरकार है वहां उन्हें उनकी मदद करनी चाहिए थी।”

राहुल गांधी का ट्वीट
Rahul Gandhi

@RahulGandhi
कुछ दिन पहले, इन मजदूर भाई-बहनों से भेंट हुई जो हरियाणा से सैकड़ों किमी दूर यूपी के झांसी  में अपने गाँव पैदल ही जा रहे थे। आज सुबह 9 बजे इनके धैर्य, दृढ़ संकल्प और आत्मनिर्भरता की अविश्वसनीय कहानी मेरे YouTube चैनल पर देखिए।

लॉक डाउन बिना तैयारी था, आर्थिक पैकेज मजाक ही साबित हुआ : सोनिया गांधी  

कोविड-19 और लॉक डाउन के चलते राजनीति में जो ठहराव सा आ गया था, उसे ख़त्म करते हुए कांग्रेस ने विपक्ष को एक बार फिर मोदी सरकार के ख़िलाफ सक्रिय करने की पहल की है। कांग्रेस के नेतृत्व में हुई इस बैठक में २२ विपक्षी दलों ने हिस्सा लिया। सोनिया गांधी ने बैठक में मोदी सरकार के लॉक डाउन लागू करने के तरीके  को बिना तैयारी का फैसला बताया और आर्य ठीक पैकेज को लेकर भी मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार किया।

यूपी की दो पार्टियों बसपा और सपा ने इस बैठक से किनारा किया, जिसका कारण कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की यूपी में जबरदस्त सक्रियता को बताया जा रहा है। अन्य बड़े नेताओं के आलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, डीएमके नेता एमके स्टालिन, एनसीपी प्रमुख शरद पवार भी वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस बैठक में उपस्थित रहे, हालाँकि दिल्ली में सत्तारूढ़ आप को बैठक में आमंत्रित ही नहीं किया गया था।

इस बैठक में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया गया लॉक डाउन का फैसला तो ठीक था लेकिन उसे सही तरीके से नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार के पास कोइ ”एग्जिट प्लान” नहीं था जिससे यह मजाक बन कर रह गया। सिर्फ ४ घंटे के नोटिस पर किया गया जिससे करोड़ों लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ी।

गांधी ने कहा कि लॉक डाउन का हमने भी समर्थन किया लेकिन सरकार ने बिना योजना इसे लागू कर दिया किया जिससे यह करोड़ों लोगों की मुसीबत बन गया।  कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि मोदी सरकार का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज भी देश के लिए मजाक ही साबित हुआ है।

सोनिया ने कहा कि सारी ताक़तें अब एक दफ्तर में सिमटकर रह गई हैं और इसका नाम प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) है। सोनिया ने कहा – ”संघवाद की भावना हमारे संविधान का अटूट अंग है, लेकिन इसे भुला दिया गया है।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि अर्थव्यवस्था बुरी तरह लड़खड़ा गई है और हर अर्थशास्त्री इस बात को कह रहा है कि इस समय बड़े वित्तीय प्रोत्साहन पैकेज की ज़रूरत है लेकिन प्रधानमंत्री का घोषित २० लाख करोड़ का पैकेज देश के लिए मजाक साबित हुआ है। उन्होंने आरोप लगया कि वर्तमान सरकार के पास मुसीबतों का कोई हल न होना चिंताजनक है लेकिन ग़रीबों और कमजोरों के लिए किसी तरह की हमदर्दी या दया न होना बहुत ही निराश करता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अलावा देश की आबादी के १३ करोड़ ग़रीब लोगों को बेदर्द तरीक़े से नज़रअंदाज कर दिया गया है। इसमें किराये पर खेती करने वाले किसान, नौकरी से निकाले गए लोग, दुकानदार और ख़ुद का काम करने वाले शामिल हैं। सोनिया ने कहा कि प्रधानमंत्री को लगता था कि वायरस के ख़िलाफ़ यह जंग २१ दिन में ख़त्म हो जाएगी, लेकिन वह ग़लत निकले। ऐसा लगता है कि यह वायरस तब तक रहेगा, जब तक इसकी वैक्सीन नहीं मिल जाती। मेरा यह मानना है कि सरकार लॉकडाउन को लेकर निश्चित नहीं थी और न ही उसके पास इससे बाहर निकलने की कोई रणनीति है।

बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के दो लक्ष्य हैं,  बीमारी को रोकना और आने वाली बीमारी से लड़ने की तैयारी करना। लेकिन आज संक्रमण बढ़ रहा है और हम लॉकडाउन खोल रहे हैं। क्या इसका मतलब यह है कि एकाएक बग़ैर सोचे किए गए लॉकडाउन से सही नतीजा नहीं आया। लॉकडाउन से करोड़ों लोगों को ज़बरदस्त नुक़सान हुआ है। अगर आज उनकी मदद नहीं की गई, अगर उनके खातों में ७५०० रुपये नहीं डाले गए, राशन का इंतज़ाम नहीं किया गया, प्रवासी मज़दूरों, किसानों और एमएसएमई की मदद नहीं की गई तो आर्थिक तबाही हो जाएगी।

खशोगी के बेटे ने पिता के कातिलों को किया माफ

सऊदी अरब के चर्चित पत्रकार जमाल खशोगी के परिवार ने उनके हत्यारों को माफ कर दिया है। खशोगी के बेटे सालेह खशोगी ने ट्वीट करके इसकी जानकारी दी। सालेह ने ट्वीट किया, ‘ हम शहीद जमाल खशोगी के पुत्र यह घोषणा करते हैं कि हम उन लोगों को माफ करते हैं जिन्होंने हमारे पिता की हत्या की। मामले में दोषी पाए गए 11 लोगों में से पांच को मौत की सजा सुनाई गई, तीन को कुल 24 वर्ष जेल की सजा हुई और अन्य बरी हुए थे।
वाशिंगटन पोस्ट के पत्रकार की हत्या ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। कुछ पश्चिमी सरकारों के अलावा अमेरिका की इंटेलिजेंस एजेंसी सीआइए ने कहा कि उनका मानना है कि प्रिंस सलमान ने हत्या का आदेश दिया था। हालांकि सऊदी अधिकारियों इससे इनकार कर दिया था।

पिछले साल सितंबर में सऊदी क्राउन प्रिंस ने कुछ व्यक्तिगत जवाबदेही का संकेत देते हुए कि ऐसा उनके निगरानी में हुआ। सऊदी अरब ने पिछले दिसंबर में खशोगी की हत्या के लिए पांच लोगों को मौत की सजा और तीन को कैद की सजा सुनाई थी। संदिग्धों के खिलाफ सऊदी अरब की राजधानी रियाद में गुप्त तरह से केस चलाया गया। इसकी संयुक्त राष्ट्र और अधिकार समूहों द्वारा निंदा की गई थी। हालांकि, सलाह खशोगी ने दिसंबर के फैसले पर संतुष्टि जताई थी और कहा था कि उन्हें इंसाफ मिला है।

जमाल खशोगी के बेटों ने शुक्रवार को घोषणा की कि उन्होंने अपने पिता के हत्यारों को माफ कर दिया है, जिससे सऊदी के पांच सरकारी एजेंटों की मौत की सजा पर रोक लग गई है। सलाह खशोगी ने ट्वीट किया, हम शहीद जमाल खशोगी के बेटे अपने पिता के हत्यारों को माफ करते हैं, जिसका  अज्र अल्लाह से मिलेगा।

सलाह खशोगी सऊदी अरब में रहते हैं और पिता की हत्या के मामले में उन्हें शाही अदालत से वित्तीय मुआवजा भी मिल चुका है। अरब न्यूज ने खशोगी के बेटों की घोषणा पर स्पष्टता देते हुए कहा कि बेटों के माफ कर देने से हत्यारे मौत की सजा से बच सकते हैं, लेकिन इसका यह मतलब यह नहीं है कि उनको कोई भी सजा नहीं मिलेगी।