Wednesday, September 17, 2025
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कश्मीर में बड़ी आतंकी साजिश विफल, विस्फोटकों से भरी कार को उड़ाया गया

डेढ़ साल पहले हुए पुलवामा विस्फोट के बाद कश्मीर में वैसी ही किसी बड़ी साजिश की तैयारी को सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया है। पुलवामा में ही एक कार में ४०   किलो से ज्यादा विस्फोटक होने की सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने कार को ही विस्फोट से उड़ा दिया।
जानकारी के मुताबिक पुलवामा जिले के राजपोरा में आयनगुंड गांव में विस्फोटक से भरी एक कार के जरिए आतंकवादी किसी बड़ी घटना की तैयारी में थे लेकिन वक्त पर मिली सूचना के बाद सुरक्षा बलों ने कार्रवाई कर इस साजिश को नाकाम कर दिया। कार को घेरने के बाद सुरक्षा बलों ने बम स्क्वाड की मदद से इसे सावधानी के साथ उड़ा दिया। आसपास के कुछ घरों को हल्का नुक्सान जरूर पहुंचा है।
बुधवार की रात सुरक्षाबलों को जानकारी मिली कि विस्फोटकों से भरी एक कार सड़क पर जा रही है। कार की तलाश शुरू की गयी और कुछ ही देर में सुरक्षा बलों ने  एक सेंट्रो कार को शक के आधार पर चेक प्वाईंट पर रोकने की कोशिश की तो बेरिकेड तोड़ने की कोशिश की साथ ही सामने से गोलीबारी  शुरू हो गई। सुरक्षा बलों ने भी इसका जवाब दिया। हालांकि, इस दौरान कार चला रहा व्यक्ति भाग निकला।
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम मौके पर पहुँची और कार की तलाशी में पिछली सीट पर एक ड्रम मिला जिसमें विस्फोटक भरे हुए थे। जांच में पाया गया कि इसमें ४० किलो से ज्यादा आईईडी भरे हुए थे।
पुलिस के मुताबिक यह फर्जी रजिस्ट्रेशन नंबर वाली कार थी। बताया जा रहा है कि कार पर स्कूटर का नंबर प्लेट थी, जो जम्मू के कठुआ जिले में पंजीकृत है। सुरक्षाबलों को चार दिन पहले ही सूचना मिल गयी थी कि एक कार में आईईडी जमा करके रखा गया है, जिसे आत्मघाती हमले में इस्तेमाल किया जा सकता है। पिछले साल पुलवामा में भी ऐसे ही एक कार को सुरक्षा बलों के बस से टकराकर विस्फोट किया गया था।

भारत-चीन तनाव पर कूदे ट्रंप, कहा-मध्यस्थता को तैयार

5 मई से सीमावर्ती लद्दाख इलाके में भारत और चीन के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कूद पड़े हैं। उन्होंने कहा कि वह दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए तैयार होने के साथ ही इसके इच्छुक भी हैं। हालांकि इससे पहले कश्मीर मसले पर भी ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात कर चुके हैं, लेकिन तब भारत ने इनकार कर दिया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा कि वह भारत और चीन की सेनाओं के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध का खात्मा चाहते हैं। ट्रंप ने बुधवार को ट्वीट किया- ‘हमने भारत और चीन दोनों को सूचित किया है कि अमेरिका उनके इस समय जोर पकड़ रहे सीमा विवाद में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है। वह इसके लिए इच्छुक और सक्षम भी है।’
बता दें कि भारत और चीन के बीच करीब 3,500 किलोमीटर लंबी सीमा दोनों देशों को छूती है जिसे एलएसी कहते हैं। लद्दाख और उत्तरी सिक्किम व अरुणाचल में भी चीन कई दफा अपना क्षेत्र होने या विवादित क्षेत्र घोषित करने की कोशिश करता रहा है। दोनों ही देशों ने हाल ही में इन इलाकों में काफी कार्य कराए हैं, जिससे सैन्य गविधियों की आवाजाही में आसानी हुई है।
भारत ने स्पष्ट कहा है कि चीनी सेना लद्दाख और सिक्किम में एलएसी पर उसके सैनिकों की सामान्य गश्ती में अवरोध पैदा कर रही है। भारत ने चीन की उस दलील को पूरी तरह खारिज कर दिया जिसमें उसने दावा किया था कि भारतीय बलों द्वारा चीनी पक्ष की तरफ अतिक्रमण किया है, जिससे दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध बढ़ गया है।
विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि सीमा पर गतिविधियां अपने इलाके में संचालित की गयी हैं और भारत ने सीमा प्रबंधन के संबंध में हमेशा बहुत जिम्मेदाराना रुख अपनाया है। भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
सोशल मीडिया पर चीन के खिलाफ फूट रहा गुस्सा
दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण माहौल में भारत उकसावे की कोई बात नहीं कर रहा, लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने की बात कहकर आम भारतीयों को जरूर उकसा दिया है। चीनी राष्ट्रपति की इस हरकत के बाद भारतीयों का गुस्सा फूट पड़ा और लोग सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। लोग चीन को हैशटैग चाइनाइंडियाबाॅर्डर और हैशटैग इंडियाचाइनाफेसआॅफ के साथ 1967 की आखिरी लड़ाई की याद दिला रहे हैं।

ऑडियो विवाद के बाद हिमाचल भाजपा अध्यक्ष बिंदल का इस्तीफा

हिमाचल स्वास्थ्य विभाग के पूर्व निदेशक अजय कुमार गुप्ता की विजिलेंस से गिरफ्तारी और हाल के एक चर्चित ऑडियो विवाद के बाद बुधवार को इस घटनाक्रम में एक नया मोड़ आया जब हिमाचल प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष राजीव बिंदल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। यह इस्तीफा इसलिए अहम है क्योंकि हाल में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा एक ऑडियो वायरल हुआ था जिसमें पार्टी के एक नेता का नाम कथित तौर पर सामने आया था। अभी आलाकमान को बिंदल के इस्तीफे पर फैसला करना है।

भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेजे अपने इस्तीफे में बिंदल ने कहा कि वे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि उन्हें पक्का भरोसा है कि इस मामले से भाजपा के किसी नेता का कोइ लेना-देना नहीं है। इस्तीफे में बिंदल ने कहा कि अप्रत्यक्ष रूप से इस मामले में भाजपा को जोड़ने की कोशिश हो रही हैं, जबकि मामले से पार्टी का कोई लेना देना नहीं है।

बिंदल को नड्डा का नजदीकी माना जाता है। साथ ही उनके मुख्यमंत्री जयराम से भी अच्छे संबंध माने जाते हैं। याद रहे २० मई को एक मामला उस समय सामने आया था, जब एक ऑडियो वायरल हुआ था। इसमें दो लोगों के बीच बातचीत हो रही है, जिसमें पांच लाख रुपये लेने की बात की जा रही है। साथ ही कहा गया है कि बैंक वाले सहयोग नहीं कर रहे हैं।

सतर्कता विभाग ने इस संबंध में मामला दर्ज किया हुआ है। सूबे में इस मामले को बिंदल से जोड़ने के आलावा उन पर आरोपी को संरक्षण देने के आरोप भी लगाए जा रहे थे। लेकिन अब बिंदल ने इन सब बातों को गलत बताया है। नड्डा को भेजे इस्तीफे में राजीव बिंदल ने लिखा कि वायरल ऑडियो से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है। बिंदल ने कहा – ”पूरे प्रकरण की गंभीरता से जांच होनी चाहिए और नैतिक मूल्यों के आधार पर वह त्यागपत्र दे रहे हैं। इसके अलावा, बिंदल ने लिखा कि स्वास्थ्य विभाग के निदेशक का कथित ऑडियो वायरल हुआ था। इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज कर पूर्व निदेशक को गिरफ्तार कर लिया है। मैं पूर्ण विश्वास दिलाता हूं कि पार्टी का इस प्रकरण से कोई लेना देना नहीं है। भाजपा का दामन पाक साफ है। चूंकि, वह  भाजपा के अध्यक्ष हैं और बिना किसी दबाव के जांच हो, इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं।”

हालांकि,बिंदल के इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति गरमा गयी है। वहां भाजपा के  तीन मजबूत गुट हैं, जिनके भीतर जंग लगी रहती है। बहुत से जानकारों का कहना है कि यह भाजपा के भीतर लड़ाई का ही नतीजा है। अभी आलाकमान को बिंदल के इस्तीफे पर फैसला करना है।

बैठक के बाद शिंदे बोले, ठाकरे के नेतृत्व में सरकार एकजुट, १७० विधायक साथ

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मंगलवार देर रात महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से टेलीफोन पर हुई बातचीत के बाद बुधवार शाम तक चली महाविकास अघाड़ी के घटक दलों की बैठक में एकमत से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व पर मुहर लगाई गयी। बैठक में वर्तमान सियासी हालात और कोरोनावायरस के राज्य में बढ़ते मामलों पर भी चर्चा हुई।

बैठक का निचोड़ फिलहाल तो यही लगता है कि उद्धव ठाकरे सरकार को कोइ खतरा नहीं है। आज की बैठक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आवास ”वर्षा” में हुई।  बैठक के बाद शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने बताया कि  सभी पार्टियों के नेता बैठक में शामिल थे। शिंदे ने कहा – ”सरकार में कोई मतभेद नहीं हैं। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास आघाड़ी की सरकार बिल्कुल स्थिर  और मजबूत है। सरकार के साथ १७० विधायक हैं और ये सभी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में काम कर रहे हैं। सबसे बड़ा मुद्दा हमारे लिए लोगों की जान बचाना है।”

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार (एनसीपी), बालासाहेब थोरात (कांग्रेस) के अलावा असलम शेख, वर्षा गायकवाड़ और जयंत पाटिल अदि भी शामिल थे। महाराष्ट्र सरकार के बड़े सहयोगी एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार और भाजपा नेता नारायण राणे २५ मई को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग मिले थे जिसके बाद अटकलों का दौर शुरू हो गया था। उधर भाजपा ठाकरे सरकार को असफल बताते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है।

आज की बैठक में वर्तमान राजनीतिक हालात के अलावा कोरोनावायरस के राज्य में बढ़ते मामलों और मजदूरों के विषय पर भी चर्चा हुई। शिंदे के मुताबिक राज्य में कोविड-१९  का जो प्रभाव है, उसे कैसे रोका जाए जाए, इसपर चर्चा हुई। ”हमारा यहां डेथ रेट पहले 7 फीसदी था, आज वह घटकर ३.२ फीसदी आ गया है। स्वस्थ होने वालों का आंकड़ा २५ से ४० फीसदी हो गया है और उसे और बेहतर करने के लिए के लिए और मृत्यु दर कम करने पर चर्चा हुई।”

एकनाथ के मुताबिक कोरोना संक्रमण की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए बीकेसी में हजार बेड, नेस्को में हजार बेड और कई जगहों पर ऐसे कुल १४,०००  जगहों पर बेड की व्यवस्था मुंबई में की गई है। इसी तरह ऑक्सीजन और आईसीयू जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई। ”राज्य में भी जहां-जहां जरूरत है और जो भी जरूरत है, उस पर चर्चा हुई। सरकार इस कोरोनावायरस से मुकाबला करने के लिए जो भी करना है, वो उपाय कर रही है।”

राहुल की दुनिया के दो टॉप विशेषज्ञों से बातचीत, झा ने कहा मजदूरों को मदद की सख्त जरूरत, जोहान बोले लॉकडाउन में ज्यादा ढील दीजिये

अपनी सक्रियता तेज करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को अर्थव्यवस्था के अपनी सीरीज़ के तहत आज हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से वीडियो कांफ्रेंसिंग से बात की। एक दिन पहले ही राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस करके मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कुछ सुझाव दिए थे। दोनों ही प्रोफेसर दुनिया के जाने माने स्वास्थ्य मामले के विशेषज्ञ हैं।

राहुल ने प्रोफेसर आशीष झा से बातचीत में उनसे पूछा कि लॉकडाउन पर आपका क्या विचार है और इससे मनोविज्ञान पर क्या फर्क पड़ता है साथ ही ये कितना मुश्किल है? अपने जवाब में झा कि लॉकडाउन को लेकर कई तरह के विचार हैं।  लॉकडाउन से आप वायरस को धीमा कर सकते हैं। अगर वायरस रोकना है तो जो पीड़ित हैं, उनको समाज से अलग कर सकते हैं। टेस्टिंग जरूरी है, लॉकडाउन आपको अपनी क्षमता बढ़ाने का वक्त देता है हालांकि, लॉकडाउन अर्थव्यवस्था पर  बड़ी चोट दे सकता है। लॉकडाउन का इस्तेमाल यदि अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया, तो काफी नुकसान करेगा।

गांधी के लॉकडाउन के मजदूरों पर असर को लेकर पूछने पर झा ने कहा कि कोरोना वायरस एक-दो महीने में नहीं जाएगा, ये २०२१ तक रहने वाला है। दैनिक मजदूरों को  मदद पहुंचाने की सख्त जरूरत है, ताकि उन्हें भरोसा मिले कि कल अच्छा होगा।  लॉकडाउन के नुकसान अभी गिनना मुश्किल है, लेकिन इन्हें कम करने की कोशिश की जा सकती है।

टेस्टिंग को लेकर रणनीति के राहुल के सवाल पर झा ने कहा कि ताइवान-दक्षिण  कोरिया जैसे देशों ने इसमें (टेस्टिंग) बढ़िया काम किया है। अधिक टेस्ट जरूरी हैं। साथ ही ऐसे इलाकों की पहचान करनी होगी जहां मामले ज्यादा हैं। किसी भी कारण से अस्पताल आने वाले हर व्यक्ति का टेस्ट जरूरी है और स्वास्थ्यकर्मियों को लेकर तो टेस्टिंग तेज होनी चाहिए।

जब राहुल ने कहा कि भारत में कई युवा हैं, जिन्हें सांस, डायबिटीज आदि की बीमारी है तो उन्हें इससे कैसे निपतना चाहिए, झा ने कहा कि  नहीं सोचना चाहिए कि यदि वह पूरी तरह स्वस्थ है, तो उसे कोरोना वायरस नहीं होगा। युवाओं और खुले में काम करने वाले लोगों को लेकर खास तैयारी होनी चाहिए। गर्मी में कोरोना खत्म हो जाता है इसपर झा ने कहा कि ऐसी बातें कही जा रही हैं कि बीसीजी वैक्सीन से कोरोना वायरस ठीक हो सकता है, लेकिन मेरे हिसाब से ये खतरनाक होगा। अभी मंथन चल रहा है और रिसर्च के पूरी नतीजे आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। कोरोना को लेकर कई तरह के सबूत हैं कि मौसम फर्क डालता है, अगर लोग बाहर अधिक रहते हैं तो कोरोना अधिक फैलता है। लेकिन गर्मी से ये रुक जाएगा, ऐसा तर्क देना पूरी तरह सही नहीं है।

टेस्टिंग तेज करने और ज्वाइंट फैमिली में खतरे को लेकर झा ने कहा कि जो परिवार साथ रहते हैं उनपर खतरा ज्यादा है। न्यूयॉर्क में ऐसा देखा गया है कि जहां युवा बाहर जाते हैं तो उनके घर लौटने पर बुजुर्ग खतरे में पड़ जाते हैं। भारत में टेस्टिंग बढ़ाई जा सकती है, सिर्फ टेस्टिंग से ही इसे पहचाना जा सकता है। राज्यों को अधिक ताकत देने के सवाल पर झा ने कहा कि कोरोना ने दुनिया का ऑर्डर ही बदल दिया है। बड़े यूरोपीय देश और अमेरिका तक कोरोना के खिलाफ लड़ाई हार रहे हैं। वैक्सीन कब आएगी के जवाब में झा ने कि तीन देशों में उम्मीद है कि जल्द आएगी। पूरी उम्मीद यह है कि अगले साल तक वैक्सीन आ पाएगी। भारत को इसके लिए योजना बनानी होगी, क्योंकि भारत को ५० करोड़ से अधिक वैक्सीन बनानी हैं।

राहुल ने प्रोफ़ेसर जोहान से पूछा कि यूरोप में वायरस कैसे असर कर रहा है और आगे क्या होगा, तो उन्होंने कहा कि ये बीमारी तेजी से फैल रही है, लेकिन ये काफी हल्की बीमारी है। करीब ९९ फीसदी लोगों को काफी कम लक्षण होते हैं और सिर्फ एक फीसदी पर ही इसका गहरा असर पड़ रहा है। लॉकडाउन के दुनिया कैसे  चलेगीऔर क्या रणनीति होगी, प्रोफेसर जोहान ने कहा कि किसी भी देश के पास लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति नहीं है। लेकिन हर किसी को विचार करना होगा। एक ही तरीका है कि चरणबद्ध तरीके से इससे निपटा जाएं, पहले एक ढील दें उसे परखें अगर मामला बिगड़ता है तो कदम पीछे खींच लें। टेस्टिंग पर कहा कि  रणनीति बनानी होगी, जिसमें जगह, उम्र के हिसाब से टेस्ट और वो भी रफ़्तार से करने होंगे।

आर्थिक मोर्चे पर इसके असर के सवाल पर जोहान ने कहा – ”स्वीडन में हमने पहले देश को पूरा शटडाउन कर दिया, लेकिन अब हमने धीरे-धीरे ये हटा दिया है। लेकिन भारत जैसे देश में लॉकडाउन के करने से अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरी चोट पड़ सकती है। कोरोना से अस्पताल भर जाने और लोगों को इससे दिक्क्तों पर जोहान ने कहा कि लॉकडाउन हटा दीजिए, सिर्फ बुजुर्गों का ख्याल रखिए और बाकी को बाहर आने दीजिए, क्योंकि कोई युवा अगर कोरोना की चपेट में आता है, तो वह जल्द ठीक हो सकता है। मजदूरों को लेकर जोहान ने कहा कि भारत को जितना हो सके, उतनी अधिक लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए।

याद रहे इससे पहले कांग्रेस नेता गांधी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से बातचीत कर चुके हैं।

तेजस’ की दूसरी स्क्वाड्रन वायुसेना में शामिल, वायुसेना प्रमुख ने भरी उड़ान

स्वदेशी विमान ”तेजस” की दूसरी स्क्वाड्रन बुधवार को वायुसेना में शामिल हो गई। इस स्क्वाड्रन को ”फ्लाइंग बुलेट्स” नाम दिया गया है। इसका शुभारंभ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने किया और खुद ”तेजस” लड़ाकू विमान में उड़ान भरी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कार्यक्रम का आयोजन तमिलनाडु के कोयम्बटूर के पास सुलूर एयरफोर्स स्टेशन पर किया गया। स्क्वाड्रन एलसीए ”तेजस” विमान से लैस है। तेजस को उड़ाने वाली वायुसेना की यह दूसरी स्क्वाड्रन है। वायुसेना ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस को एचएएल से खरीदा है।
इस तरह  भारतीय वायुसेना को तेजस लड़ाकू विमानों का नया और दूसरा स्क्वाड्रन मिल गया है। वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस पर वायु सेना की १८वीं स्क्वाड्रन को सौंपा। साथ ही भदौरिया ने वायु सेना स्टेशन सुलूर में ४५वीं स्क्वाड्रन के साथ लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस लड़ाकू विमान भी उड़ाया। उन्होंने एकल सीटर तेजस में उड़ान भरी।
इस स्क्वाड्रन का गठन १५ अप्रैल, १९६५ को किया गया था। यह स्क्वाड्रन अपने आदर्श वाक्य ”टेवरा और निर्भया” अर्थात ”स्विफ्ट एंड फीयरलेस” के साथ अब तक मिग-२७  विमान उड़ा रहा था। इस तरह एयरफोर्स की १८वीं स्क्वाड्रन अब हल्के लड़ाकू विमान  तेजस से लैस होगी। तेजस विमान उड़ाने वाली एयरफोर्स की यह दूसरी स्क्वाड्रन होगी। इससे पहले ४५वीं स्‍क्वाड्रन ऐसा कर चुकी है।

सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना

लॉकडाउन 4.0 के बीच फ़िल्म इंडस्ट्री से बुरी खबर आई है। छोटे पर्दे के चर्चित टीवी शो ‘क्राइम पेट्रोल’ में नजर आईं अभिनेत्री प्रेक्षा मेहता ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। प्रेक्षा तालाबंदी के चलते काम न मिलने से परेशान थीं। प्रेक्षा ने नाटकों में भी नाख़ूबी किरदार निभाती रही हैं। वो उभरती हुई कलाकार थीं। मध्य प्रदेश के इंदौर से ताल्लुक रखने वाली प्रेक्षा  ने  ‘खूबसूरत बहू’, ‘बूंदें’, ‘राक्षस’, ‘प्रतिबिंबित’, ‘पार्टनर्स’ और ‘अधूरी औरत’ जैसे प्रमुख नाटकों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया।
मूल रूप से इंदौर की रहने वाली प्रेक्षा ‘क्राइम पेट्रोल’ के कई एपिसोड में काम कर चुकी हैं। इसके अलावा कुछ और सीरियलों में भी काम कर चुकी थी। प्रेक्षा के परिवार वालों का कहना है कि उसे लॉकडाउन में काम नहीं मिल रहा था और इससे वह काफी निराश थी। इंस्टाग्राम पर एक वीडियो में प्रेक्षा कहती हैं-ये जो मेरे अलावा तुमपे मरते हैं, मर क्यों नहीं जाते।
प्रेक्षा मेहता थिएटर में भी सक्रिय थी। उन्होंने थिएटर ग्रुप ‘ड्रामा फैक्टरी’ से शुरुआत की और यहीं से ऐक्टिंग का चस्का लग गया। प्रेक्षा का पहला नाटक था ‘खोल दो’। इसमें उनकी ऐक्टिंग को खूब पसंद किया गया था।
महाराष्ट्र में खासकर मुंबई में जिस तरह से कोरोना बढ़ रहा था और लगातार लॉकडाउन बढ़ाया जा रहा है, उससे फ़िल्म-टीवी इंडस्ट्री के लोग डिप्रेशन में जाने लगे हैं। शायद प्रेक्षा को लगने लगा कि लंबे समय तक काम नहीं मिलने वाला, इसी से हताश होकर उसने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। प्रेक्षा ने जान देने से ठीक पहले इंस्टाग्राम स्टोरी पर दिल दुखाने वाला संदेश लिखा-‘ सबसे बुरा होता है सपनों का मर जाना।’

प्रवासी मजदूरों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, जवाब तलब किया

सर्वोच्च न्यायालय ने लॉक डाउन के बाद प्रवासी मजदूरों के बड़े पैमाने पर पलायन, उनकी मुसीबतों और हादसों में मौतों पर सख्त रुख दिखाते हुए मंगलवार को केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया है। खुद इस मामले का संज्ञान लेते हुए सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार और देश भर के राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

इस मामले में सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अब तक प्रवासी मजदूरों के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने कहा है कि यह प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इस स्थिति से उबारने के लिए प्रभावकारी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ ने दो पृष्ठ के अपने आदेश में कहा कि मीडिया और अखबारों में लगतार आ रही रिपोर्ट्स उन्होंने देखी है और इससे जाहिर होता है कि प्रवासी मजदूरों की हालत खराब है वे लंबी दूरी पैदल तय करने को मजबूर हैं, या साइकल से कुछ ये दूरी तय कर रहे हैं। जहां यह लोग फंसे हैं वहां प्रशासन और रास्ते में प्रशासन से शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें खाना और पानी नहीं मिल रहा है।

पीठ ने कहा कि देश भर में अभी लॉक डाउन है। समाज के इस वर्ग को इस परेशानी की घड़ी में सहायता की जरूरत है। इन्हें सरकार से अभी मदद की जरूरत है। खासकर भारत सरकार और राज्य सरकार इसको लेकर कदम उठाएं। अदालत ने कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए ये कठिन दौर है और इन्हें मदद की दरकार है। उन्होंने कहा कि उन्हें तमाम पत्र और प्रतिवेदन दिए गए और प्रवासी मजदूरों की समस्या के बारे में अवगत कराया गया है। प्रवासी मजदूरों की समस्या अभी भी बरकरार है। बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य के बॉर्डर, सड़क, रेलवे स्टेशन और हाइवे पर फंसे हुए हैं। वैसे तो राज्य और केंद्र की सरकार ने कई कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी ये तमाम प्रयास अपर्याप्त हैं और इसमें कमियां हैं। हम इस मामले में एकमत हैं कि प्रवासी मजदूरों के लिए प्रभावकारी व ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि उन्हें मुसीबत से छुटकारा मिले।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा – ”हम भारत सरकार और देश के तमाम राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों को नोटिस जारी करते हैं। मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी तब तक केंद्र सरकार इस मामले में उठाए गए कदम के बारे में अवगत कराएं साथ ही सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में मौजूद रहें।”

कोरोना संक्रमण के साथ टिडिड्यों का आक्रमण

देश में कोरोना के कहर से लोगों का बुरा हाल है. उस पर आज-कल टिडिड्यों के कहर से आम लोंगों के साथ – साथ किसानों का भी बुरा हाल है । उत्तर –प्रदेश , मध्य-प्रदेश, गुजरात,  पंजाब,राजस्थान और बिहार में टिडिड्यों का हमला खाद्य सुरक्षा के लिये  चुनौती बनता जा रहा है। तहलका संवाददाता को उत्तर –प्रदेश के किसान गोविन्द दास ने बताया कि यहां की फसल की कटाई का काम पूरा हो चुका है। लेकिन सब्जियों और चारे की फसल को टिडिड्यों का हमला पूरी तरह से तहस –नहस कर रही है। उनका कहना है ,कि वैसे ही किसान कोरोना के कारण तमाम दिक्कतों से जूझ रहा है । ऐसे में टिडिड्यों का कहर एक गंभीर समस्या बनकर सामने आया है।कृषि विशेषज्ञों और  वैज्ञानिकों का कहना है ,कि यह जलवायु संकट का नतीजा है।कृषि विशेषज्ञ लक्ष्मी प्रसाद का कहना है कि पिछले साल मानसून पश्चिम भारत में 5-6 सप्ताह पहले ही जून के आखिरी सप्ताह में शुरू हुआ था, जिसकी वजह से ये अक्टूबर और नवंबर तक सक्रिय रहा है। इसके कारण प्राकृतिक वनस्पति का उत्पादन जमकर हुआ, जो कि टिडिड्यों के प्रजनन की सरल और आदर्श स्थिति थी।ऐसे में टिडिड्यों के बढते झुड से बचने के लिये विशेषज्ञों की सलाह पर क्लोरपाइरीफाँस का घोल बनाकर छिडकाव कर बचा जा सकता है।

किसान चंद्रपाल सिंह का कहना है, कि टिडिड्यों का कहर कहीं  जुलाई –अगस्त में मूंग. बाजरा. उडद.और मूंगफली की फसल को खराब ना कर दें। यह डर किसानों को सता रहा है।उन्होंने बताया कि टिडिट्यों से बचाव की जानकारी के लिये राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी दल बने हुये है।जो समय –समय पर टिडिड्यों से बचाव व कीटनाशक के बारे में जानकारी देते रहते है।राजस्थान के निवासी व एम्स में कार्यरत सतीश कुमार ने बताया कि टिडिड्यों का झुड का झुड कपास की फसल को नष्ट करने में लगा है।उन्होंने बताया कि राजस्थान के लगभग 15 – 20 जिले टिडिड्यों के प्रकोप से काफी परेशान है। कृषि के जानकार राजकुमार का कहना है, कि 25 -26 साल बाद टिडिड्यों का सबसे भयानक हमला है। ऐसे में दिल्ली और पंजाब को बहुत सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि पाकिस्तान की सीमा से सटी जैसलमेर से उड कर टिडिड्यों का झुड भारत के कई राज्यों में तबाही मचा रही है। टिडिड्यां 24 घंटे में 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकती है।यदि उन्हें हवा का सहारा मिल जाये तो, वे एक दिन में तमाम फसलों को पूरी तरह से नष्ट कर सकती है। जो देश की अर्थव्यवस्था के लिये संकट खडा कर सकती है। मध्य –प्रदेश के लोगों का कहना है कि सरकार को टिडिड्यों से बचाव के लिये कोई कारगर व ठोस कदम उठाने चाहिये । जिससे किसानों की आने वाली फसलों को  नष्ट होने से रोका जा सकें । अगर समय रहते इस दिशा में सही कारवाई ना की गयी तो दालें की फसलें बुरी तरह से तबाह हो जायेगी। जिससे देश में खाद्य संकट पैदा हो सकता है।

लॉक डाउन के नतीजे नहीं निकले, पीएम बैकफुट पर :  राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लॉक डाउन के बांछित नतीजे नहीं निकले हैं और लॉक डाउन में ऐसे समय में ढील दी जानी शुरू हुई है जब देश में कोविड-१९ वायरस से संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी बैकफुट पर हैं। हमें दूसरे देशों के हिसाब से नहीं, अपने देश की जरूरतों के हिसाब से फैसले करने चाहिएं।

पिछले करीब डेढ़ महीने में तीसरी वीडियो कांफ्रेंसिंग प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस नेता गांधी ने मोदी सरकार के कोरोना से निबटने ने तरीकों पर सवाल उठाए और कहा कि पहला लॉक डाउन लगते हुए यह कहने वाले पीएम कि २१ दिन में वायरस की चेन टूट जाएगी, अब बैक फुट पर हैं। राहुल ने पहली बार पीएम मोदी पर कोरोना से निबटने में फेल होने का आरोप लगाया और कहा कि आज ६० दिन के बाद देश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि किसी भी सूरत में जनता का भरोसा सरकार पर से नहीं उठना चाहिए, लेकिन यह भी सच है कि सरकार जनता का भरोसा नहीं बना पा रही। राहुल ने कहा कि सरकार अभी भी मजदूरों की मदद कर सकती है। सरकार को उनके खाते में सीधे पैसा डालना चाहिए।

राहुल ने जोर देकर कहा कि लॉक डाउन का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। बीमारी बढ़ रही है। जनता को सरकार को यह बताना चाहिए कि उसकी क्या योजना है। जनता का उसमें भरोसा बने, इसलिए यह बताना जरूरी है। गरीब, प्रवासी मजदूर और किसानों को लेकर वह क्या कर रही है।

कुछ दिन पहले मजदूरों से अपनी मुलाकात का वीडियो जारी करने पर भाजपा के उनका मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे इसकी चिंता नहीं कि वे (भाजपा) क्या करते हैं। यह उनका (भाजपा) तरीका हो सकता है। राहुल ने कहा कि वे गरीब मजदूरों से मिलकर उनका दुखः साझा करना  चाहते थे और इसे सामने लाना  चाहते थे।

याद रहे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि मजदूरों से मिलकर राहुल ने उनका समय ”बर्बाद” किया। बेहतर होता वे (राहुल) उनका सामान उठाकर साथ चलकर उनकी मदद करते। इसपर राहुल ने आज कहा, कि नहीं उत्तर प्रदेश जाने की इजाजत दे दो तो वे ऐसा करने के लिए तैयार हैं।

चीन को लेकर सवाल पर राहुल ने कहा कि हमारा काम सरकार पर दबाव डालना है। राहुल गांधी ने प्रेस कांफ्रेंस में महाराष्ट्र में अचानक तेज हुई राजनीति को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा कि कांग्रेस वहां निर्णायक भूमिका में नहीं है, भले हम वहां सत्ता में हिस्सेदार हैं। कहा कि सरकार चलना और उसका समर्थन करना अलग-अलग बातें हैं।