Home Blog Page 790

गोरखपुर में कारोबारी के बेटे का अपहरण कर की हत्या

यूपी में कोरोना संकट के बीच अपहरण का धंधा मानो तेजी से फल फूल रहा है। अभी कानपुर का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अब योगी के गढ़ गोरखपुर में अपहरण की बड़ी वारदात कर बदमाशों ने कारोबीरी के बेटे का अपहरण कर फिरौती की रकम न मिलने पर 14 साल के ‌किशोर की हत्या कर दी।

उत्तर प्रदेश में अपराध पर काबू पाने के तमाम सख्ती के दावों के बावजूद बदमाशों के हौसले बुलंद हैं। गोरखपुर के पिपराइच में रविवार को दिनदहाड़े पान कारोबारी महाजन गुप्ता के 14 वर्षीय इकलौते बेटे बलराम की अपहरण कर लिया गया। इसके बाद बदमाशों ने पिता को फोन कर एक करोड़ की फिरौती मांगी। पैसे न मिलने पर मासूम की घोटकर हत्या कर दी। 14 साल के छात्र का शव सोमवार को घर से सात किलोमीटर दूर एक नाले में बोरे में मिला। पांच बहनों का इकलौता भाई था बलराम। महाजन जमीन का कारोबार भी करते हैं।

हत्या के बाद योगी सरकार की पुलिस सक्रिय हुई। आनन-फानन में एसएसपी ने दरोगा दिग्विजय सिंह समेत पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर जांच कराने का आदेश दिया।

इसके बाद पुलिस ने वारदात में शामिल सात में से पांच अपहर्ताओं को गिरफ्तार कर घटना का पर्दाफाश किया। पुलिस ने अपहरण और हत्या में शामिल इस सनसनीखेज मामले में निखिल, नितेश पासवान, दयानंद, रिंकू और अजय गुप्ता को गिरफ्तार किया है। बाकी दो आरोपियों नितिन चौहान और अजय चौहान की तलाश में छापे मारे जा रहे हैं।

जानकार ही मास्टरमाइंड
पुलिस के मुताबिक, दयानंद को मालूम था कि महाजन गुप्ता के पास रुपये है। क्योंकि, कुछ दिन पहले ही उसने अपने हिस्से की जमीन बेची थी और 35 लाख रुपये मिले थे। दयानंद भी प्रॉपर्टी का काम करता था इससे उसके पास पूरी जानकारी थी और उसने ही पूरी साजिकश के तहत अपहरण की वारदात के लिए बदमाशों को तैयार किया।

ट्विस्ट : फेसबुक पर सचिन पायलट के अकॉउंट में दोबारा से लौट आया कांग्रेस का ‘हाथ’ चिन्ह

एक बहुत ही दिलचस्प ‘ट्विस्ट’ में राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बागी होकर इन दिनों अज्ञातवास में हैं, ने अपने फेसबुक अकॉउंट पर दोबारा कांग्रेस का चुनाव निशान ‘हाथ’ लगा लिया है। अभी यह पता नहीं कि क्या सचिन कांग्रेस से बातचीत कर रहे हैं या इसका कोई और कारण है, लेकिन उनके इस ट्विस्ट ने राजनीति के गलियारों में नई चर्चा को जन्म दे दिया है।

पायलट ने फेसबुक के अपने अकॉउंट में यह परिवर्तन आज ही किया है। पहले उन्होंने हाथ का यह चिन्ह हटा दिया था। हाथ, कांग्रेस का चुनाव चिन्ह है, जिसकी बजह से यह चर्चा फिर शुरू हो गयी है कि क्या सचिन कांग्रेस में ही रहने के लिए पार्टी आलाकमान से कोई बात कर रहे हैं, या यह भी किसी ‘कानूनी पहलु’ का हिस्सा है।

सचिन पायलट ने फेसबुक पर आज अभी तक तीन पोस्ट की हैं। इनमें से पहली गोस्वामी तुलसी दास के संबंधित है जबकि दूसरी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के स्थापना दिवस पर  शुभकामनाएं देने वाली पोस्ट है। तीसरी पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस की है। इन तीनों में सचिन ने कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ फिर वापस लाया है।

यदि एक दिन पहले रविवार की बात करें तो सचिन ने कारगिल विजय दिवस और अन्य पोस्ट्स में हाथ का यह चिन्ह नहीं लगाया था। सच तो यह है कि सचिन ने इस चिन्ह को बहुत पहले हटा लिया था, जब 19 विधायकों वाला मामला सामने आया था। आज की उनकी पोस्ट्स में कांग्रेस का ‘हाथ’ चिह्न वापस लौट आने से कई कयास शुरू हो गए हैं।

पूर्व उप-मुख्यमंत्री ने आज फेसबुक पर केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं, जिसमें हाथ का चिह्न दिखाई दिया। उन्होंने पोस्ट में लिखा – ‘सेवा और निष्ठा के पर्याय और राष्ट्र की सुरक्षा और जनता की रक्षा के लिए सदैव निःस्वार्थ भाव से समर्पित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के समस्त जवानों और देशवासियों को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।’

इसके अलावा, उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर भी फेसबुक पर पोस्ट लिखा है। इन दोनों पोस्ट में नीचे के भाग में कांग्रेस पार्टी का चिह्न ‘हाथ’ दिख रहा है। जब उन्होंने हाथ चिन्ह हटाया था तभी उनके भाजपा में जाने की अटकलें शुरू हुई थीं, हालांकि, उन्होंने याचिकाओं में सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेजों से लेकर हाई कोर्ट तक यही कहा है कि कांग्रेस में हैं, और पार्टी नहीं छोड़ रहे।

गहलोत को बड़ी राहत, बसपा विधायकों को लेकर भाजपा, बसपा की याचिकाएं खारिज

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजस्थान हाई कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट ने भाजपा के विधायक मदन दिलावर की बसपा के 6 विधायकों से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया है। इस तरह दिलावर की याचिका में एक पक्षकार बनने की बसपा की आज दायर अर्जी भी खारिज हो गयी है।

जानकारी के मुताबिक बसपा की अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अब जबकि मदन दिलावर की याचिका ही खारिज हो गई तो पक्षकार बनने की जरूरत नहीं है। याद रहे भाजपा विधायक मदन दिलावर ने बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ याचिका दायर की थी।

दिलावर ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ स्पीकर सीपी जोशी के सामने दायर याचिका पर कार्रवाई नहीं होने को राजस्थान हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।  इस मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

याद रहे दिलावर ने स्पीकर सीपी जोशी के सामने 4 महीने पहले बसपा विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने इसमें कहा था कि इन 6 विधायकों को दल-बदल कानून के तहत विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाए, लेकिन स्पीकर ने कोई कार्रवाई नहीं की।  अब 24 जुलाई को स्पीकर ने शिकायत को निस्तारित कर दिया जिसके बाद अब  हाई कोर्ट में अर्जी खारिज हो गई।

याद रहे साल 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में बसपा टिकट पर जीते संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुधा ने पिछले साल कांग्रेस में एक समूह के रूप में विलय कर लिया था जिसके बाद स्पीकर ने इसे मंजूर करते हुए आदेश जारी किया था कि इन छह विधायकों से कांग्रेस के अभिन्न सदस्य की तरह माना जाए।

आखिर सत्र बुलाने को राजी हो गए राजस्थान के राज्यपाल

राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच खबर आई है कि राज्यपाल कलराज मिश्र विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए आख़िरकार राजी हो गए हैं। इससे पहले उन्होंने कुछ किंतु, परंतु के सवाल उठाए थे, जिसको लेकर सीएम अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक बात पहुंचा दी।
राज्यपाल ने सोमवार दोपहर को राज्य कैबिनेट की मांग को स्वीकार करते हुए विधानसभा सत्र का आह्वान किया है। बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में बताया था कि उन्होंने राज्यपाल के ‘व्यवहार’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है।
हालांकि, राज्यपाल ने इससे इनकार किया कि वह जानबूझकर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी कर रहे थे। कांग्रेस ने कहा था कि राज्यपाल ने ऐसा करके लोकतंत्र को बाधित करने का सबसे खराब तरीका अपनाया है।
इससे पहले राज्यपाल मिश्र ने विधानसभा का सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल के संशोधित प्रस्ताव को कुछ बिंदुओं के साथ गहलोत सरकार को वापस भेज दिया था।
…तो हाई कोर्ट के झटके से बिगड़ा भाजपा का खेल
वहीं राजस्थान में उहापोह को लेकर कांग्रेस राजस्थान राजभवन को छोड़कर आज देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है। इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट में भाजपा की ओर से दायर की गई, बीएसपी विधायकों के दलबदल की अर्जी खारिज हो गई, जिससे शायद उसका बनता दिखता ‘खेल’ बिगड़ गया। भाजपा विधायक ने बीएसपी के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती दी थी।

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका वापस ली

कांग्रेस ने राजस्थान मामले से जुड़ी सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका वापस ले ली है। यह याचिका विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी ने दायर की थी। इस तरह लगता है कांग्रेस ने अपना पूरा ध्यान राजनीतिक लड़ाई पर फोकस कर लिया है। उधर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार की तरफ से विधानसभा का सत्र बुलाने  की मांग वाली फाइल कुछ और सवालों के साथ वापस सरकार को लौटा दी है।

स्पीकर सीपी जोशी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही अपनी याचिका वापस ले ली। जोशी ने अपनी याचिका में कहा था कि राजस्थान हाई कोर्ट ने उनके बागी विधायको को जारी नोटिस पर ‘स्टे’ लगा दिया है, जो स्पीकर के रूप में उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। स्पीकर की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कोर्ट में ये जानकारी दी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक से इंकार कर दिया था।

इस बीच पता चला है कि राज्यपाल ने एक दिन पहले की गयी गहलोत सरकार की विधानसभा सत्र बुलाने की लिखित मांग वाली फाइल दो नए सवाल पूछते हुए वापस लौटा दी है। इसमें राज्यपाल ने पूछा है कि क्या सरकार सत्र के दौरान विश्वास मत लाना चाहती है, क्योंकि मीडिया में इस तरह की ख़बरें हैं। राज्यपाल ने दूसरे बिंदु में कहा है कि कोरोना की आज की स्थिति में सभी विधायकों को जयपुर बुलाना इतना सरल नहीं है, लिहाजा 21 दिन का नोटिस सत्र के लिए देने के लिए क्या सरकार तैयार है ?

उधर कुछ महीने पहले सभी 6 विधायकों वाला बसपा विधायक दल कांग्रेस में शामिल कर गया था। लेकिन भाजपा ने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी जिसपर राजस्थान हाई कोर्ट सुनवाई करेगा। दिलचस्प यह है कि बसपा ने कांग्रेस में जा चुके अपने छह विधायकों को ‘व्हिप’ जारी करके कहा है कि ‘विधानसभा में वे गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करें’। यह विधायक गहलोत का समर्थन करते हैं।

भाजपा लोकतंत्र के लिए खतरनाक, देश इसके खिलाफ एकजुट हो : राहुल गांधी, कांग्रेस सभी राजभवनों पर करेगी प्रदर्शन  

राजस्थान में राज्यपाल कलराज मिश्र के रोल को देखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को देश की जनता से अपील की कि उसे लोकतंत्र को बचाने के लिए आगे आना होगा। इस बीच कांग्रेस ने राजस्थान में राज्यपाल के आचरण की निंदा करते हुए देश भर में राजभवनों के सामने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। राजस्थान में कांग्रेस ने आज भी प्रदर्शन किया।
राहुल गांधी ने रविवार को लोकतंत्र के लिए गंभीर संकट बताते हुए देश की जनता से एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा में आवाज उठाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि  हमें एकसाथ आना होगा। एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश लोकतंत्र के हिसाब से चलेगा। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा राजस्थान की 8 करोड़ जनता का अपमान कर रही है, जिसने एक उम्मीद के साथ कांग्रेस की सरकार चुनी थी और भाजपा को सत्ता से बाहर किया था।
कांग्रेस नेता ने राजस्थान के सियासी संकट पर कहा कि पैसे के जोर पर कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। राहुल ने कहा – ”देश कानून और संविधान से चलता है, सरकारें बहुमत से बनती और चलती हैं। भाजपा राजस्थान के 8 करोड़ लोगों का अपमान कर रही है।”
इस बीच राजस्थान के राजनीतिक संकट को देखते हुए कांग्रेस 27 जुलाई से देशभर में धरना प्रदर्शन करेगी। केंद्र सरकार के खिलाफ देशभर में राजभवन के बाहर धरना-प्रदर्शन करेगी। पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने निर्देश देते हुए कहा कि प्रदेश में राजभवन के बाहर भी धरना-प्रदर्शन होगा।
याद रहे शनिवार को कांग्रेस ने भाजपा के राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या के षड़यंत्र के खिलाफ राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शनों का नेतृत्व पार्टी नेता कर रहे हैं, क्योंकि राजस्थान के मंत्री और विधायक होटल में रोके गए हैं।

कारगिल दिवस पर वीर शहीदों को याद किया

कारगिल विजय दिवस पर रविवार को दिल्ली स्थित नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के अलावा तीनों सेना प्रमुख भी उपस्थित थे। उधर ‘मन की बात’ में कहा कि पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने का दुःसाहस किया था लेकिन जवाब में भारत की सेना ने जो पराक्रम दिखाया, उसे पूरी दुनिया ने देखा।
इधर दिल्ली में नेशनल वॉर मेमोरियल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद एक संदेश में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान और चीन को चेताया और कहा कि भारत पहले हमला नहीं करता है, लेकिन हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब देने से भी पीछे नहीं हटता।
विजय दिवस की आज 21वीं वर्षगांठ है और पूरे देश में भारत के वीर सपूतों के अदम्य साहस और कुर्बानी को याद किया गया। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह ने शहीदों को नमन किया। मोदी ने कहा कि आज हम 1999 में हमारे देश की रक्षा करने वाले सशस्त्र बलों के साहस और दृढ़ संकल्प को याद करते हैं। उनकी वीरता पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
उन्होंने ‘मन की बात’ के रेडियों संदेश में कहा – ”साथियों, कारगिल का युद्ध जिन परिस्थितियों में हुआ था, वो भारत कभी नहीं भूल सकता। पाकिस्तान ने बड़े-बड़े मंसूबे पालकर भारत की भूमि हथियाने और अपने यहां चल रहे आंतरिक कलह से ध्यान भटकाने को लेकर दुस्साहस किया था। भारत तब पाकिस्तान से अच्छे संबंधों के लिए प्रयासरत था। लेकिन कहा जाता है न – बैरू अकराण सब काहू सों, जो कर हित अनहित ताहूं सों…यानि दुष्ट का स्वभाव ही होता है, हर किसी से बिना वजह दुश्मनी करना। ऐसे स्वभाव के लोग जो (उनका) हित करता है, उसका भी नुकसान ही सोचते हैं। इसलिए भारत की मित्रता के जवाब में पाकिस्तान की तरफ से पीठ में छुरा घोंपने की कोशिश हुई। लेकिन उसके बाद भारत ने जो अपनी ताकत दिखाई, सैनिकों ने जो पराक्रम दिखाया, उसे पूरी दुनिया ने देखा।”

अफगानिस्तान से 11 सिख भारत लौटे, बताया इस्लाम स्वीकार करने का डाला जाता था दबाव

अफगानिस्तान में रहने वाले 11 सिख रविवार को भारत आ गए। इनमें निदान सिंह सचदेवा भी शामिल हैं, जिन्हें एक महीने पहले तालिबानियों ने अपहृत कर लिया था। हालांकि, बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था। दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने बताया कि उनपर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला जाता था।

निदान सिंह सहित यह 11 सिख अफगानिस्तान से विशेष विमान के जरिए काबुल से दिल्ली पहुंचे। दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आईजीआईए) पहुंचने पर इनका जबरदस्त स्वागत किया गया। भारत की धरती पर पहुंचते ही सभी की आंखें उल्लास से भर उठीं और नम भी हो गईं। निदान सिंह के साथ 16 वर्षीय एक  नाबालिग युवती सुनमित कौर भी है, जिसका अपहरण कर उसे जबरन मुस्लिम बनाकर निकाह करवाया जा रहा था।

निदान सिंह के 17 जून को अपहरण के बाद उनकी पत्नी ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और उनकी रिहाई करवाने की गुहार लगाई थी। इसके बाद भारत सरकार ने उन्हें रिहा करवाने के लिए बड़ी भूमिका निभाई। तालिबानियों ने उनका अफगानिस्तान के पकटिया गुरुद्वारा से अपहरण कर लिया था। उनकी रिहाई करवाने में एक महीन लग गया था।

अफगानिस्तान से लौटे इन लोगों को लंबी अवधि के वीजा के तहत भारत में रहने की अनुमति होगी। इन सभी को छह महीने के लिए वीजा प्रदान किया गया है। इस बीच उन्हें नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। वे संभवता सीएए के तहत नागरिकता पाने वाले पहले विदेशी नागरिक होंगे।

निदान सिंह के साथ एक 16 साल की नाबालिग युवती सुनमित कौर भी है। उसका अपहरण करके जबरन मुस्लिम बनाकर निकाह करवाया जा रहा था। ये सभी लंबी अवधि के वीजा के तहत भारत आए हैं। नागरिकता संशोधन कानून के तहत इन्हें नागरिकता दी जाएगी।

निदान सिंह सचदेवा ने दिल्ली पहुंचने के बाद खुलासा किया कि उन्हें हर रोज पीटा  जाता था और पेड़ से बांधकर इस्लाम कबूल करने को कहा जाता था। उन्होंने कहा – ”मुझे नहीं पता कैसे हिन्दुस्तान का धन्यवाद करूँ, लेकिन हिंदुस्तान तो हिंदुस्तान ही है।

गहलोत सरकार ने राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए नया प्रस्ताव भेजा

विधानसभा सत्र बुलाने की अपनी मांग को जारी रखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को राज्यपाल कलराज मिश्र को विधानसभा का 31 जुलाई को सत्र बुलाने के लिए नया प्रस्ताव भेजा है। इसमें सत्र बुलाने के लिए एजेंडा कोरोना वायरस महामारी बताया गया है। राज्यपाल की तरफ से अभी सिर्फ इतनी प्रतिक्रिया आई है कि वे नए प्रस्ताव की जांच-पड़ताल कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र में कहा कि सरकार 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र बुलाना चाहती है। नए प्रस्ताव में फ्लोर टेस्ट (बहुमत परीक्षण) कराने का जिक्र नहीं है। राज्यपाल ने कहा, “वह नए प्रस्ताव की जांच-पड़ताल कर रहे हैं”।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने बताया कि विधानसभा का सत्र  बुलाने का एजेंडा कोरोनावायरस है। इसमें फ्लोर टेस्ट शब्द नहीं है। इससे पहले, राज्यपाल एक प्रस्ताव को खारिज कर चुके हैं। वैसे कहा जा रहा है कि सत्र में कुछ बिल पर चर्चा भी हो सकती है।

इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कालराज मिश्रा पर विधानसभा का सत्र बुलाने के फैसले को रोकने का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनके ऊपर से कुछ दबाव है। सीएम गहलोत का कहना था कि वह सोमवार को एक सत्र चाहते हैं, जिसमें वह सरकार का बहुमत साबित करना चाहते हैं।

विधानसभा सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव 7 दिन के नोटिस के साथ राजभवन पहुंचा है। अब राज्यपाल को इस प्रस्ताव पर फैसला करना है।

तहलका एक्सपोज : जया जेटली समेत तीन भ्रष्टाचार मामले में दोषी करार

समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष और पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज की करीबी जया जेटली और दो अन्य लोगों को 20 साल पुराने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दिया गया है। इस रक्षा सौदे का भंडाफोड़ तहलका न्यूज पोर्टल के सनसनीखेज स्टिंग ऑपरेशन से हुआ था। विशेष सीबीआई जज वीरेंदर भट ने जेटली, उनकी ही पार्टी के पूर्व सहयोगी गोपाल पचेरलवाल और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एसपी मुरगई को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश का दोषी ठहराया। तीनों की सजा का एलान 29 जुलाई को किया जाएगा।

न्यूज पोर्टल *तहलका* ने जनवरी 2001 में ‘ऑपरेशन वेस्टएंड’ नामक स्टिंग किया था। इसमें काल्पनिक कंपनी बनाकर सेना के लिए हाथ से संचालित होने वाले थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति आर्डर के लिए इन लोगों द्वारा रिश्वत लेते दिखाया गया था। जया जेटली ने तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज के आधिकारिक आवास पर काल्पनिक कंपनी का प्रतिनिधि बनकर आए मैथ्यू सैम्यूअल से 2 लाख रुपये की रिश्वत ली थी जबकि मुरगई ने 20 हजार रुपये लिए थे। एक अन्य आरोपी सुरेंदर कुमार सुरेखा बाद में इस मामले की गवाह बन गई थीं।

रक्षा मंत्री को देना पड़ा था इस्तीफा
तहलका के स्टिंग के सामने आने के बाद काफी बवाल मचा था। इसके चलते रक्षा मंत्री फर्नांडीज को तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार से इस्तीफा देना पड़ा था। इस मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण का भी नाम सामने आया था लेकिन उन्हें बाद में क्लीन चिट दे दी गई थी।