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सलमान बने किसान

कोरोना वायरस के चलते देश भर में हुए लॉकडाउन से जहाँ लोगों का रोज़गार छिन गया और वे खाली हो गये, वहीं कुछ लोग अपने आपको व्यस्त रखने के लिए कुछ न कुछ करते दिखे। इनमें कुछ बड़े नामों में सलमान खान का नाम शामिल है। वे इन दिनों बिल्कुल भी खाली नहीं बैठे। उन्होंने लॉकडाउन शुरू होने के दौरान पहले प्रवासी मज़दूरों की मदद करने का काम किया और उसके बाद अपने पनवेल स्थित फार्महाउस में एक आम आदमी की तरह साफ-सफाई की। साफ-सफाई से पहले उन्होंने इसी फार्महाउस पर अपने गाने रिलीज किये थे, जिससे वह काफी चर्चा में रहे थे। इन गानों में सलमान खान द्वारा निर्देशित और खुद की आवाज़ में गाया हुआ रोमांटिक गाना ‘तेरे बिना’ रिलीज हुआ था, जिसमें उनकी को-स्टार जैकलीन फर्नांडीज हैं। इस गाने के बोल शब्बीर अहमद ने लिखे और अजय भाटिया ने कम्पोज किया।

दरअसल इस लॉकडाउन में सलमान अपना अधिकतर समय पलवेल स्थित अपने इस फार्महाउस पर ही बिता रहे हैं। गानों की शूटिंग के बाद निसर्ग चक्रवात आने से उनके फार्महाउस पर तमाम गन्दगी हो गयी थी, जिसे उन्होंने पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपनी महिला दोस्त लूलिया वंतुर के साथ बिल्कुल आम आदमी की तरह ही साफ किया और इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया। इस बहाने बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान ने स्वच्छ भारत अभियान को भी बढ़ावा दिया। सलमान ने फार्महाउस परिसर में गिरी हुई पत्तियों, घास को झाड़ू लगाकर उठाया और गीली सडक़ पर भी झाड़ू लगायी। इस दौरान सलमान के कर्मचारी भी काफी खुश थे; क्योंकि उनके साथ सलमान ने बड़े प्यार से उन्हीं की तरह सफाई का हर काम किया। अपनी सफाई की वीडियो सोशल मीडिया पर डालते हुए सलमान ने लिखा- हैशटैगस्वच्छभारत, हैशटैगवल्र्डइन्वारॉन्मेंटडे।

सफाई के बाद खेती

इतना ही नहीं उन्होंने फार्महाउस और उसके आसपास सफाई के बाद वहीं मौज़ूद अपनी ज़मीन पर खुद से खेती भी की। सलमान खान पनवेल में अपने खेतों में धान की रोपाई की। इससे पहले उन्होंने ट्रैक्टर से जुताई, गुड़ाई और कंधैर (खेत में पानी भरकर मिट्टी को धान की पौध रोपने लायक गीला) किया। इसमें उन्होंने ट्रैक्टर भी चलाया और कंधैर करने में दूसरे चालक की मदद भी की। इतना ही नहीं उन्होंने बाकायदा धान की पौध उखाड़ी और उसे रोपा भी। हालाँकि वह किसान नहीं हैं और इससे पहले शायद ही उन्होंने खेती-बाड़ी का काम कभी किया हो, क्योंकि इससे पहले साफ-सफाई की उनकी तस्वीरें और वीडियोज तो वायरल हुई थीं; लेकिन खेती करने की नहीं। हाल के एक वीडियो में वह खेती में हर काम करते दिखे, जिसमें उनकी महिला मित्र लूलिया वंतुर भी हैं। इस वीडियो को सलमान ने इंस्टाग्राम पर शेयर किया, जो अब सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वह धान की बुआई करते हुए नज़र आ रहे हैं। इस वीडियो में सलमान खान के साथ लूलिया वंतुर भी बराबर काम करती दिखीं। उनका भी इतने गहरे से साफ-सफाई और खासकर खेती करने का यह पहला ही अनुभव रहा होगा। इस वीडियो पर सलमान के प्रशंसक उनकी खूब तारीफ कर रहे हैं। सलमान खान के इंस्टाग्राम अकाउंट पर इस वीडियो को लगभग 20 लाख से भी ज़्यादा बार देखा जा चुका है। धान की पौध की रोपाई के बाद सलमान खान अपने पम्पसेट (ज़मीन से पानी खींचने वाले इंजन) के पानी में हाथ धोकर फ्री महसूस करते दिख रहे हैं। इस वीडियो को पोस्ट करने के बाद उन्होंने लिखा है- धान की बुआई पूरी हुई। सलमान खान के इस वीडियो पर बॉलीवुड, हॉलीवुड स्टार और नेता भी लाइक कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री कर चुके हैं तारीफ

2014 में गांधी जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चलाये गये स्वच्छ भारत अभियान में जब उन्होंने सडक़ पर झाड़ू लगायी, उसके बाद अनेक नेता-अभिनेता और बड़े लोग हाथ में झाड़ू थामे दिखे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने सफाई अभियान का हिस्सा बनने के लिए नौ लोगों का चयन किया था, जिसमें सलमान खान भी शामिल थे। सलमान प्रधानमंत्री की इस मुहिम का हिस्सा बने और मुम्बई के कारजात इलाके में खुशी-खुशी साफ-सफाई की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी अपने ट्वीटर अकाउंट पर सराहना भी की।

युवाओं और किसानों में खेती के प्रति जगेगा लगाव

सलमान खान ने साफ-सफाई के बाद खेती करके यह दिखा दिया है कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। उन्होंने आजकल खेती से दूर हो रहे युवाओं और खेती में घाटे से टूट चुके किसानों को यह संदेश भी दिया है कि खेती-बाड़ी कोई छोटा या घिनौना काम नहीं है और हर किसी को इससे प्यार करना चाहिए। कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने भी सलमान के वीडियो पर टिप्पणी की है कि सलमान खान ने भले ही यह वीडियो अपने आनन्द के लिए बनाया हो, लेकिन इससे देश के नौजवानों में खेती के प्रति नया उत्साह ज़रूर ज़ाहिर होगा। किसी ने लिखा है कि आप वास्तव में हीरो हैं। एक टिप्पणी में किसी ने जय जवान, जय किसान लिखा है। सवाल यह है कि क्या वाकई देश के किसान और खेती से मुँह मोड़ रहे युवा इससे प्रेरणा लेंगे और खेती-बाड़ी को अपनी रोज़ी-रोटी का ज़रिया बनाएँगे। वैसे तो इन दिनों सोशल मीडिया पर अनेक खबरें आ रही हैं, जिनमें दिखाया जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद पढ़े-लिखे युवा भी मनरेगा में मज़दूरी करने को मजबूर हुए हैं। वहीं अनेक युवा खेती में लगे भी हैं।

काम का काम, नाम का नाम

बॉलीवुड हस्ती हो या कोई और प्रसिद्ध व्यक्ति, हर किसी की इच्छा रहती है कि वह प्रसिद्धि के चरम पर रहे। यही वजह है कि नेता, अभिनेता और यहाँ तक कि छोटे-बड़े कलाकार भी लगातार कुछ-न-कुछ करते रहते हैं। सलमान खान ने भी इस खाली समय का जमकर सदुपयोग किया। इससे उनका काम भी हो गया और वह चर्चा में रहकर खूब वाह-वाही भी लूट रहे हैं।

प्रशंसकों को फिल्म राधे का इंतज़ार

सलमान खान के दुनिया भर में लाखों प्रशंसक हैं। लॉकडाउन से पहले सलमान की फिल्म राधे पूरी हुई थी, जिसके इस साल की बीती ईद पर रिलीज होने की चर्चा थी; लेकिन लॉकडाउन के चलते वह रिलीज नहीं हो सकी। अब उनके प्रशंसकों को इस फिल्म के आने का बेसब्री से इंतज़ार है। सलमान की यह फिल्म दिशा पटानी के साथ है।

भाईचारे को मिटाना मुमकिन नहीं

आजकल डॉ. कफील खान को रिहाई दिलाने के लिए बहुत-से लोग, जिनमें काफी संख्या में हिन्दू हैं; आगे आ रहे हैं। सभी के द्वारा एकजुट होकर आवाज़ उठाने और अच्छाई के साथ खड़े होने का नतीजा यह हुआ है कि डॉ. कफील खान को क्लीन चिट मिल गयी; लेकिन फिर उन पर रासुका लगा दी गयी। दूसरी तरफ हिन्दुओं की मौत के बाद कोरोना वायरस के संक्रमण के डर के चलते बहुत-से हिन्दू उनकी अरथी को काँधा तक नहीं दे रहे हैं। ऐसे में अनेक मुस्लिम उनका अन्तिम संस्कार तक कर रहे हैं। यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब लोगों को मज़हब और जातिवाद के नाम पर तोडऩे, लड़ाने की लगातार कोशिशें हो रही हैं। मज़हब की दीवारों को और ऊँचा उठाने की कोशिशों के बीच इस तरह की भाईचारे और इंसानियत की मिसालें दिल को बेहद सुकून देती हैं। यही हमारी सभ्यता है, यही भारतीय एकता और भाईचारे की असली बुनियाद है और यही इंसानियत है, जिसकी सीख दुनिया का हर मज़हब देता है। आज अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले इंसानों को खतरा है। यही वजह है कि कोई किसी की मदद नहीं करना चाह रहा है; लेकिन फिर भी इंसानियत के आगे हैवानियत हार रही है। उसे डर है कि इंसानियत और मज़बूत हो गयी, तो उसकी सत्ता छिन जाएगी, उसके ऐश-ओ-आराम पर ग्रहण लग जाएगा। अगर सभी अच्छे लोग इस बात को समझ लें और इंसानियत के दुश्मनों को समय-समय पर मुँहतोड़ जवाब देते रहें, तो वह दिन दूर नहीं जब वाकई बुरे लोगों की सत्ताएँ छिन जाएँगी और उनके ऐश-ओ-आराम पर ग्रहण लग जाएगा। क्योंकि यह सब हमारी आपसी फूट में ही निहित है, उनकी सत्ताएँ भी और उनके ऐश-ओ-आराम का ज़रिया भी।

दु:ख इस बात का होता है कि जब आज तक सभी ने उन सीखों को ही अपनाया है, जो अच्छाई और सच्चाई के रास्ते पर ले जाती हैं और उस पर तमाम परेशानियों के बावजूद चलने का हौसला देती हैं। उन्हीं किताबों को मज़हबी किताब / धर्म-ग्रन्थ माना है, जिनमें नेकी, अच्छाई, इंसानियत, प्यार, दरियादिली और ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता बताया गया है। इस सबके बाद भी हम लोग बुराई के रास्ते पर क्यों चल पड़ते हैं? अगर कोई गलत रास्ता कभी भी सही माना जाता, तो उसे कहीं, किसी मज़हब में तो मान्यता दी ही जाती? पर ऐसा नहीं किया गया; क्योंकि गलत कभी सही नहीं हो सकता और सही कभी गलत नहीं हो सकता। लेकिन इसके बावजूद हमने गलत को चुनने में ज़रा भी देर नहीं की। आज हम सही गलत के जिस दो-राहे पर खड़े हैं, वहाँ से गलत रास्ता ही सहज मालूम होता है। सिर्फ इसलिए, क्योंकि वह ऐश-ओ-आराम के संसाधन जुटाने का सरल रास्ता बन चुका है। लेकिन यह सरल रास्ता अंतत: गड्ढे में ही डालेगा, इस बात को भी हमें भली-भाँति समझ लेना चाहिए।

हर आदमी इस बात को मानता है कि बुरे काम का बुरा ही फल मिलेगा और ईश्वर उसका दण्ड ज़रूर देगा; फिर भी कुछ लोग क्षणभंगुर सुख के लिए गलत रास्ते पर चलने लगते हैं। यहाँ तक कि दूसरों को भी गलत रास्ते पर धकेलने का प्रयास करते हैं और जो लोग गलत रास्ता नहीं अपनाते, उनके उनके साथ बेरहमी से पेश आते हैं, उन पर अत्याचार करते हैं। लोग यह भी मानते और जानते हैं कि बुरा कर्म कभी-न-कभी दु:खदायी साबित होगा। इसके बावजूद गलत रास्ते पर चलते हैं। ऐसे लोग अगर सत्ता में आ जाएँ, तो आम लोगों का जीना मुश्किल हो जाता है। आज के हालात कुछ ऐसे ही हो चुके हैं। अच्छाई पर बुराई की जीत इस तरह हो चुकी है कि सही लोगों पर ज़ुल्म-ही-ज़ुल्म हो रहे हैं। गरीबों और किसानों की दुर्दशा हो रही है। यहाँ तक कि लोग आत्महत्या करने को भी मजबूर हो रहे हैं। कहीं लोगों को पुलिस पीट रही है, तो कहीं आपराधिक प्रवृत्ति के लोग। कहीं जाति, धर्म के नाम पर दबंग गरीबों की हत्याएँ कर रहे हैं। महिलाएँ, यहाँ तक कि बच्चियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं। कुल मिलाकर यह सब इसलिए किया-कराया जा रहा है, ताकि लोग दबंगों का वर्चस्व स्वीकार कर लें और मज़हब के नाम पर आपस में नफरत करें और एक-दूसरे के दुश्मन बने रहें; लड़ते-मरते रहें। यह वैमनस्य, भेदभाव फैलाने के लिए किया जा रहा है, ताकि गलत लोग हमेशा सत्ता में बने रहें।

गलत लोगों की यह चाल आम लोगों को समझनी होगी। उन्हें यह भी समझना होगा कि वे किस तरह से प्रताडि़त किये जाने के साथ-साथ हर तरह से लूटे भी जा रहे हैं। उनमें इसलिए भेदभाव की खाई में धकेला जा रहा है, ताकि वे बिखरे रहें और किसी पर अत्याचार होने पर उसके समर्थन में खड़े न हो सकें। अत्याचारियों का विरोध करने की हिम्मत न कर सकें। अधिकतर लोग इस चाल को नहीं समझते और या तो डरे-सहमे रहते हैं या फिर बुरे लोगों के बहकावे में आकर आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं और ज़रूरत पडऩे पर एक-दूसरे की मदद नहीं करते। कुछ लोग जो इस बात को समझते हैं, वे दुश्मनी की आग लगाने वालों के झाँसे में नहीं आ रहे और इंसानियत के बचाव में हर तरह की कोशिश कर रहे हैं। अनेक लोग इंसानियत को बचाने के लिए अपनी जान की बाज़ी तक लगा चुके हैं और अनेक अपनी जान भी कुर्बान कर चुके हैं। इसके बाद भी इंसानियत पर हैवानियत भारी पड़ती दिख रही है। अत्याचार दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। दरअसल सीधे-सरल-सामान्य लोगों मेें एकता का अभाव ही उनके साथ अत्याचार का सबसे बड़ा कारण है। आज भी अपराधियों से सैकड़ों गुना ज़्यादा है, लेकिन डर और आपसी फूट इंसानियत की हार का सबसे बड़ा कारण है।

लेकिन अखण्ड भारत की बुनियाद ही भाईचारे और इंसानियत के आधार पर पड़ी है, इसलिए अलग-अलग मज़हबों को मानने वालों के बीच कड़ुवाहट भले ही घोल दी जाए, लेकिन हमेशा के लिए दीवार उठा पाना आसान नहीं है। लोगों के बीच सदियों से चले आ रहे भाईचारे के रिश्ते को खत्म करना इतना आसान भी नहीं है।

दिल्ली में न्यूज़ एंकर फांसी के फंदे से लटकी मिली

देश की राजधानी दिल्ली में लॉकडाउन के बाद बेरोज़गारी के साइड इफेक्ट नज़र आने लगे हैं। हर फील्ड से लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है या फिर उनकी सैलरी में कटौती कर दी गई है। काम का बोझ भी बढ़ा दिया गया है, भले ही वर्क फ्रॉम होम ही क्यों न कर रहे हों।
टीवी न्यूज़ एंकर प्रियंका जुनेजा ने शुक्रवार को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हालांकि मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। इस घटना के बाद से पूरी मीडिया इंडस्ट्री में सनसनी फैल गई है। जानकारी मिलने के बाद पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। परिजन समेत उनके साथी भी समझ ही नहीं पा रहे कि यह सुसाइड क्यों किया गया? क्या वजह थी?
शुरुआती जानकारी के मुताबिक, पुलिस को प्रियंका जुनेजा के पास से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, जिससे यह साबित हो सके कि यह आत्महत्या है? अब यह मामला और पेचीदा हो गया है। हालांकि पुलिस ने परिजनों व रिश्तेदारों, दोस्तों से पूछताछ शुरू कर दी है।
मामला पूर्वी दिल्ली के वेलकम इलाके का है। यहीं प्रियंका जुनेजा रहा करती थीं, बता दें कि प्रियंका कई चैनल में काम कर चुकी हैं। बताया गया है कि मौजूदा वक्त में वह हरियाणा के एक यूट्यूब चैनल में एंकर थीं। फिलवक्त वह काम और भविष्य को लेकर परेशान थीं। आखिरी एफबी पोस्ट जुनेजा ने मध्य जून में पोस्ट की थी। लॉकडाउन बहुतों को परर्षण कर दिया है, पर आत्महत्य या खुद को नुकसान पहुंचा कोई हल नहीं है। बल्कि इससे परिजनों समेत कइयों को तकलीफ होती है।
शुरुआती जांच में पता चला है प्रियंका अपनी नौकरी को लेकर काफी परेशान थी। वहीं पुलिस ने जांच करना शुरू कर दिया है, दोषियों पर सख्त कार्यवाई का आश्वासन दिया है. वहीं प्रियंका जुनेजा की मौत के बाद से ही सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्दांजलि अर्पित कर रहे हैं।

गहलोत का भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप, कांग्रेस विधायक जैसलमेर शिफ्ट किये

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को भाजपा पर कांग्रेस विधायकों को खरीदने के लिए ”मुंह मांगी कीमत” की ऑफर का आरोप लगाते हुए अपने समर्थक तमाम विधायकों को जयपुर से जैसलमेर शिफ्ट कर दिया है। यह सभी विधायक चार्टेड प्लेन से भेजे गए। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इनके साथ गए हैं। राज्यपाल ने 14 अगस्त को विधानसभा का सत्र बुलाया है, लिहाजा संभावना यही है कि यह विधायक तब तक वहीं रहेंगे।

सीएम गहलोत ने आज भाजपा पर सीधा हमला किया और आरोप लगाया कि ”उसने पहले विधायकों को 10 फिर 20 करोड़ का ऑफर दिया था और अब मुंह मांगी कीमत देने का ऑफर किया है। गहलोत ने कहा – ”भाजपा किसी भी कीमत पर कांग्रेस की सरकार गिराना चाहती है। हमारे विधायक एकजुट हैं और भाजपा का यह मंसूबा किसी भी सूरत में सफल नहीं होने देंगे।”

कांग्रेस सभी विधायकों को जैसलमेर ले गयी है या नहीं, यह साफ़ नहीं क्योंकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनके साथ सभी विधायक नहीं गए हैं। अभी तक यह विधायक जयपुर के फेयरमोंट होटल में रुके हुए थे। विधायकों को चार्टर प्लेन से जैसलमेल ले जाया गया है।

इस बीच सीएम अशोक गहलोत ने एक ट्वीट में कहा – ”भाजपा ने टीडीपी के चार सांसदों का राज्यसभा के अंदर रातोंरात मर्जर करवा दिया। वो मर्जर तो सही है और राजस्थान में बीएसपी के छह विधायक मर्जर कर गए, कांग्रेस में वो मर्जर गलत है। तो फिर भाजपा का चाल-चरित्र-चेहरा कहां गया, मैं पूछना चाहता हूं? राज्यसभा में मर्जर हो वो सही है और यहां मर्जर हो वो गलत है?”

गहलोत  लगाया कि ”बहनजी को भाजपा ने आगे कर रखा है और उन्हीं के इशारे पर वो बयानबाजी कर रही हैं। भाजपा जिस प्रकार से सीबीआई-ईडी-इनकम टैक्स का दुरुपयोग कर रही है। सबको ही डरा रही है, धमका रही है, राजस्थान में क्या हो रहा है, सबको मालूम है। ऐसा तमाशा कभी देखा नहीं। वे उनसे डर रही हैं और मजबूरी में बयान दे रही हैं।”

सीएम गहलोत का ट्वीट –

@ashokgehlot51
BJP ने TDP के 4 MPs को राज्यसभा के अंदर रातों रात मर्जर करवा दिया, वो मर्जर तो सही है और राजस्थान में 6 विधायक मर्जर कर गए कांग्रेस में वो मर्जर गलत है, तो फिर BJP का चाल-चरित्र-चेहरा कहां गया, मैं पूछना चाहता हूं? राज्यसभा में मर्जर हो वो सही है और यहां मर्जर हो वो गलत है?

महबूबा मुफ्ती की पीएसए के तहत हिरासत तीन महीने और बढ़ाई गयी, सज्जाद लोन को सरकार ने रिहा किया

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर जन सुरक्षा क़ानून (पीएसए) तीन और महीने के लिए बढ़ा दिया गया। उन्हें एक साल पहले 5 अगस्त को तब नजरबंद किया गया था, जब मोदी सरकार ने संसद के जरिये सूबे को दो भागों में बांट कर वहां धारा 370 के तहत राज्य का विशेष दर्जा ख़त्म कर दिया था। बाद में पीएसए भी लगा दिया गया था। उधर एक और नेता सज्जाद लोन को आज रिहा कर दिया गया।

याद रहे महबूबा मुफ्ती की ही तरह दो और पूर्व मुख्यमंत्रियों  फारूक अब्दुला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को भी नजरबंद कर दिया गया था। उनपर भी पीएसए  लगा दिया गया था। महबूबा पर पीएसए तीसरी बार  लगाया गया है।

हालांकि, कुछ महीने पहले अब्दुल्ला सीनियर और जूनियर दोनों को तो रिहा कर दिया गया था, लेकिन महबूबा को जेल में ही रखा गया था। अब्दुल्ला की रिहाई  कुछ हलकों में इसे राजस्थान में सचिन पायलट की कांग्रेस से बगावत से जोड़ कर भी देखा गया था, हालांकि उमर के अभी तक के बयानों से साफ़ है कि ऐसा कुछ नहीं है। सचिन उमर अब्दुल्ला के जीजा हैं।

अब कुछ देर पहले जारी जम्मू कश्मीर सरकार के प्रशासिक आदेश के मुताबिक महबूबा मुफ्ती की पीएसए की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गयी है। यह आश्चर्य जताया जा रहा है कि अब्दुल्ला परिवार की रिहाई के बावजूद मुफ्ती को क्यों जेल में  रखा जा रहा है। उधर एक और नेता सज्जाद लोन को आज रिहा कर दिया गया।

जहरीली शराब ने 21 की जान ली, एक की आंखों की रोशनी

पंजाब के अमृतसर और तरनतारन में शुक्रवार को जहरीली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा 21 तक पहुंच गया। पंजाब की विभिन्न जगहों पर जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत हुई है। इन मौतों के बाद पुलिस व प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी है। उन्होंने मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं।
अकेले तरनतारन जिले में शुक्रवार को सात लोगों की मौत हो गई। इससे पहले शनिवार को भी जिले के गांव रटौल में जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई थी और एक व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली गई।
पीड़ित परिवारों ने भी पुलिस को सूचित किए बिना ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया था। अब उन्होंने पुलिस को शिकायत देकर नशा तस्करों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। मृतकों की पहचान रौनक सिंह (48), जोगिंदर सिंह (50) और सुरजीत सिंह (27) के रूप में हुई थी।
तरनतारन के डीएसपी सुच्चा सिंह बल्ल ने कहा कि गांव रटौल के किसी भी व्यक्ति ने इस घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी। अब शिकायत मिली है, कार्रवाई जरूर की जाएगी। उन्होंने बता कि पुलिस ने एक माह में अवैध शराब का कारोबार करने वाले सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
वहीं, डीसी कुलवंत सिंह धूरी ने कहा कि जांच के लिए एसडीएम रजनीश अरोड़ा की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें आदेश दिया है कि ग्रामीणों के बयान दर्ज करके रिपोर्ट दें।

एक दिन में अब तक के रेकॉर्ड 55,078 मामले, कोविड-19 से जा चुकी है 35,747 की जान

देश में कोविड-19 के मामले अब चिंताजनक आंकड़ों की तरफ बढ़ रहे हैं। दुनिया में मौतों के मामले में भारत अब 5वें नंबर पर पहुंच गया है। पिछले 24 घंटे में देश में रेकॉर्ड 55,078 मामले सामने आए हैं जिससे इस महामारी के कुल मरीजों की संख्या अब 16 लाख के पार चली गयी है। देश में कोविड 19 से मरने वालों की कुल संख्या  35,747 हो गई है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 779 लोगों की मौत हुई है। वैसे अच्छी खबर यह है कि स्वस्थ होने वालों की संख्या बढ़कर 10,57,805 हो गई है। आज सुबह आठ बजे तक के डाटा के मुताबिक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक 16,38,870 मामले सामने आए हैं।

पिछले 24 घंटों में 779 की मौत के साथ मरने वालों की कुल संख्या 35,747 हो गई है। लगातार दूसरे दिन 50,000 से अधिक कोविड-19 मामले सामने आए हैं। देश में आज की तारीख में 5,45,318 लोग संक्रमण की चपेट में हैं और उनका इलाज चल रहा है।

आंकड़ों के मुताबिक मरीजों के स्वस्थ होने की दर 64.54 प्रतिशत हो गई जबकि इस बीमारी से मृत्यु दर घटकर 2.18 प्रतिशत हो गई है। आईसीएमआर के मुताबिक 30 जुलाई तक कुल 1,88,32,970 नमूनों की जांच की गई है जिनमें से 6,42,588 नमूनों की जांच बृहस्पतिवार को की गई।

पिछले 24 घंटे में (सुबह 8 बजे तक) हुई 779 लोगों की मौतों में 266 की मौत महाराष्ट्र में हुई जबकि तमिलनाडु में 97, कर्नाटक 83, आंध्र प्रदेश 68 और उत्तर प्रदेश में 57 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 46, दिल्ली 29, गुजरात 22, जम्मू-कश्मीर 17, मध्य प्रदेश 14 और राजस्थान और तेलंगाना में 13-13 लोगों की जान गयी है।

ओडिशा में 10, पंजाब में नौ, झारखंड में पांच, बिहार, हरियाणा, मणिपुर और उत्तराखंड में चार-चार, गोवा और छत्तीसगढ़ में तीन-तीन, असम, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह और केरल में दो-दो जबकि लद्दाख और पुडुचेरी में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई है।

20 साल में 4 साल की सजा, हाईकोर्ट ने ढाई घंटे बाद लगाई रोक

तहलका के सनसनीखेज स्टिंग ऑपरेशन वेस्ट एंड के 20 साल पुराने रक्षा सौदा भ्रष्टाचार मामले में समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली को निचली अदालत ने चार साल की सजा सुनाई, जिस पर उच्च अदालत ने रोक लगा दी है। दिल्ली की सीबीआई की विशेष अदालत ने जया जेटली और उनके दो अन्य सहयोगियों को चार साल की कैद की सजा सुनाई थी। उनके दो सहयोगियों में पूर्व पार्टी सहयोगी गोपाल पचेरवाल और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एस पी मुरगई शामिल है। इन दोनों लोगों को भी चार साल की सजा सुनाई गई। अदालत की कार्रवाई बंद कमरे में हुई। तीनों दोषियों पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्हें आज शाम पांच बजे तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था।

सजा सुनाए जाने के महज करीब ढाई घंटे बाद ही  दिल्ली हाई कोर्ट ने सजा को सस्पेंड कर दिया है।

​फिलहाल दोषियों को मामले में बड़ी राहत मिल गई है। इससे पहले बुधवार को  बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोषियों की सजा को लेकर अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनी।  जया जेटली और उनके दो अन्य सहयोगियों के लिए सीबीआई ने सात साल की कैद की मांग की थी।

विशेष सीबीआई जज वीरेंदर भट के समक्ष सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से कहा था कि दोषियों को अधिक से अधिक सजा देनी चाहिए, क्योंकि उनके द्वारा किए गए अपराध बेहद गंभीर है। सीबीआई ने कहा था कि तहलका न्यूज पोर्टल के स्टिंग ऑपरेशन के बाद इस मामले में आरोपियों की भूमिका खुले तौर पर सबके सामने आई।

रक्षा मंत्री के आवास पर ली थी रिश्वत
इस मामले में न्यूज पोर्टल तहलका ने जनवरी 2001 में ‘ऑपरेशन वेस्टएंड’ नामक स्टिंग किया था। इसमें काल्पनिक कंपनी बनाकर सेना के लिए हाथ से संचालित होने वाले थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति ऑर्डर के लिए दोषियों को रिश्वत लेते दिखाया गया था। जया जेटली ने तत्कालीन रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज के सरकारी आवास पर काल्पनिक कंपनी का प्रतिनिधि बनकर आए मैथ्यू सैम्युअल से 2 लाख रुपये की रिश्वत ली थी, जबकि मुरगई ने 20 हजार रुपए लिए थे। एक अन्य आरोपी सुरेंदर कुमार सुरेखा बाद में इस मामले की गवाह बन गई थीं।

विधानसभा सत्र तक होटल में ही रुकेंगे कांग्रेस और समर्थक विधायक, दल की बैठक में किया गया इसका फैसला

राजस्थान में कांग्रेस और उसके सभी समर्थक विधायक 14 अगस्त तक होटल में ही रहेंगे। इसका फैसला कांग्रेस विधायक दल की बैठक में किया गया जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की। हालांकि, मंत्री अपने कार्यों को लेकर सचिवालय जा सकते हैं।

याद रहे उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों के ‘बागी’ होने के बाद जब सरकार के लिए खतरा पैदा हो गया था तब कांग्रेस इन विधायकों को फेयरमोंट होटल ले गयी थे और तब से यह सभी वहीं रह रहे हैं। आज इसी होटल में हुई कांग्रेस विधायक दल की बैठक में यह फैसला हुआ कि विधायक 14 अगस्त तक होटल में ही रुकेंगे।

याद रहे बुधवार को राज्यपाल कलराज मिश्र 14 अगस्त से विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए तैयार हो गए जिसके बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दे गयी। गहलोत सरकार ने कहा है कि वह सत्र के दौरान कोरोना को लेकर चर्चा करना चाहती है। संभावना है कि इस दौरान कुछ बिल भी सदन में लाए जा सकते हैं।

देखना दिलचस्प होगा कि पायलट समर्थक जिन 19 विधायकों को स्पीकर सीपी जोशी ने नोटिस जारी किया था और जिसपर राजस्थान हाई कोर्ट ने किसी तरह की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी, उन्हें लेकर अब क्या होता है क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले को स्पीकर ने आज ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विधानसभा सत्र के लिए राजभवन की तरफ से देर रात जारी बयान के मुताबिक राज्यपाल ने कोरोना के नियमों के पालन का मौखिक निर्देश दिया है।

उधर नाराज कांग्रेस नेता सचिन पायलट, जिन्हें कुछ रोज पहले उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था, ने राजस्थान कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को उनके पदभार ग्रहण करने पर ट्वीट के जरिये बधाई दी और कहा उम्मीद है कि डोटासरा बिना किसी दबाव या पक्षपात के उन कार्यकर्ताओं, जिनकी की मेहनत से सरकार बनी है, उनका पूरा मान-सम्मान रखेंगे।

डोटासरा ने भी इसका जवाब दिया – ‘बहुत बहुत धन्यवाद सचिनजी। मुझे भी उम्मीद है कि आप भाजपा और खट्टर सरकार की मेहमानवाज़ी छोड़कर उन सभी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं जिनकी मेहनत से सरकार बनी है, उनके मान-सम्मान को बरक़रार रखने के लिए जयपुर आकर कांग्रेस सरकार के साथ खड़े होंगे।’ यही नहीं सचिन पायलट ने स्पीकर सीपी जोशी को भी उनके जन्मदिन पर बढ़ाई दी है।

यूपी के डाक्टर कफील को लेकर प्रियंका गांधी ने सीएम योगी को लिखा पत्र, रिहाई की मांग  

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के डॉ. कफील खान की रिहाई के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है। प्रियंका ने इसमें योगी से कहा है कि सरकार संवेदनशीलता परिचय देते कफील को न्याय देने की मांग की है।

दो दिन पहले ही प्रियंका गांधी ने गाजियाबाद के व्यवसायी विक्रम त्यागी के लापता होने और इससे उनके परिवार की परशानी को लेकर भी सीएम योगी को पत्र लिखकर चिंता जताई थी। याद रहे त्यागी करीब एक महीने से गायब हैं और उनके परिवार को आशंका है कि उनका अपहरण हुआ है। परिवार के कई बार के आग्रह के बावजूद यूपी पुलिस और प्रशासन ने त्यागी को ढूंढ़ने को लेकर कुछ नहीं किया है।

यूपी कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल भी दो दिन पहले त्यागी के परिजनों से मिला था। इसके बाद प्रियंका ने योगी को पात्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा – ”वे बहुत ही चिंतित और परेशान हैं। कृपया उनकी मदद करें और पुलिस अधिकारियों को सख्ती से निर्देशित करें कि पूरी तरह से उनकी सहायता की जाए।”

कांग्रेस नेता ने पत्र में कहा कि उत्तर प्रदेश में अपहरण की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कानून-व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और ऐसे में पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि पूरी मुस्तैदी और दक्षता से कार्रवाई करें। पहले भी प्रियंका ने यूपी में हो रही अपहरण घटनाओं का जिक्र करते हुए योगी को पत्र लिखकर कहा था कि मुख्यमंत्री प्रदेश की कानून व्यवस्था ठीक करें क्योंकि जनता परेशान है।

उधर अब गुरूवार को प्रियंका ने कफील खान का मामला उठाया है। प्रियंका ने कहा कि उनकी पत्नी शाबिस्ता ने बताया था कि जेल में उसके पति की जान को खतरा है। उन्हें अधिक सुरक्षा दिए जाने की मांग की थी। शाबिस्ता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को भी पत्र लिखा है जिसमें पति के  लिए सुरक्षा की मांग की है। उनका आरोप है कि उनके पति को जेल में प्रताड़ित किया जा रहा है और उनसे गरिमा के खिलाफ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है साथ ही उनकी हत्या की आशंका भी उन्होंने जताई है।