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भाजपा पर आप-का पोस्टर वार

दिल्ली में आप पार्टी ने सीधे तौर पर भाजपा पर पोस्टर वार कर दिल्ली के तीनों जोनों पर काबिज भाजपा को घेरा है। बताते चले मामला ये है, कि स्वच्छता सर्वेक्षण में दिल्ली को गंदे शहरों की सूची में शामिल किया गया है। इस पर आप पार्टी का कहना है गंदगी के लिये भाजपा ही जिम्मेदार है।आप पार्टी ने भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन कर दिल्ली के फ्लाईओवरों में और सिविक सेन्टर पर बैनर –पोस्टर लगाकर निगमों पर निशाना साधा है।

आप पार्टी के नेताओं का कहना है, कि भाजपा के निगम में बैठे नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान को असफल कर दिया है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी का जोर सफाई अभियान में रहा है। दिल्ली नगर निगम में भाजपा और दिल्ली में आप पार्टी की सरकार होने की वजह से दोनों के बीच सियासी खींचतान अक्सर रहती है। जिसके कारण दिल्ली में सफाई कर्मचारियों को समय पर वेतन ना मिल पाने के कारण सफाई कर्मचारियों को कई बार हडताल पर जाना पडा है । भाजपा के निगम नेताओं का कहना रहा है कि दिल्ली सरकार की लापरवाही की वजह से निगम के सफाई कर्मचारियों को वेतन समय पर वेतन नहीं मिल पाता है , जबकि आप पार्टी का कहना है कि निगम में भाजपा के नेताओं की वजह से । इसके कारण दिल्ली की सडकों में कूडे का ढेर देखा जाता रहा है। जो गंदगी का कारण बना है।

आप पार्टी के कार्यकर्ता रमेश कुमार का कहना है कि दिल्ली में जब से आप पार्टी चुनाव में हारी है तब से वो आप को बदनाम करने के फेर में खुद ही गंदगी के जाल में फंस गई है जिसका नतीजा ये हुआ कि दिल्ली को गंदे शहरों में शामिल कर दिया है जिसके कारण देश की राजधानी की क्षवि धूमिल हुई है। भले ही पोस्टर वार पर भाजपा ने अभी पोस्टर व बैनर वार शुरू ना किया हो पर आने वाले दिनों में आप पार्टी जरूर इसका जबाब देगी। भाजपा के नेता राजकुमार सिंह का कहना है कि आप पार्टी की नीतियों का खामियाजा दिल्ली वालों को भुगतना पड रहा है । क्योंकि सारी दिल्ली जब मुख्यमंत्री के अधीन है । ऐसे में जो भी विकास और अविकास होगा उसके लिये दिल्ली सरकार ही जिम्मेदार होगी। उनका कहना है कि दिल्ली की जनता सब समझ रही है कि 2022 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव को लेकर आप पार्टी सियासी समीकरण सांधने में लगी है ।

पहली बार खिलाड़ियों के लिए वर्चुअल सम्मान समारोह आयोजित

पिछले दिनों आईआईटी-बॉम्बे ने वर्चुअल तरीके से दीक्षांत समारोह आयोजित कर नई शुरुआत कर दी थी। अब राष्ट्रीय खेल दिवस पर शनिवार को खिलाड़ियों और कोच को पुरस्कार वितरित किए गए। इतिहास में पहली बार कोरोना के कारण सम्मान समारोह राष्ट्रपति भवन में न होकर वर्चुअल तरीके से हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अलग-अलग सात श्रेणियों में 74 खिलाड़ियों और कोच को पुरस्कार प्रदान किया। इस वर्चुअल सम्मान समारोह में 74 की बजाय 60 खिलाड़ी और कोच ही शामिल हुए।
खेल मंत्रालय के प्रोटोकॉल के तहत हर खिलाड़ी और कोच को समारोह में शामिल होने से पहले कोरोना टेस्ट कराना जरूरी था। खेल रत्न के लिए चुनीं गईं महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल तो बाकायदा पीपीई किट पहनकर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के बंगलोर सेंटर में अवॉर्ड लेने पहुंचीं।
पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न
पहली बार एक साथ पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न दिया गया। इसमें से दो खिलाड़ी रोहित शर्मा और रेसलर विनेश फोगाट सेरेमनी में शामिल नहीं हुए। विनेश एक दिन पहले ही कोरोना पॉजिटिव पाई गईं। वहीं, क्रिकेटर रोहित शर्मा  आईपीएल-13 के लिए यूएई में हैं। इसके अलावा टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, 2016 के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मरिप्पन थंगावेलु साई सेंटर से अवॉर्ड सेरेमनी में जुड़े। 27 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड प्रदान किया गया।
सम्मान समारोह सफलता का उत्सव : राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने खिलाड़ियों की हौसला अफजाई करते हुए कहा कि आप सबने यह साबित किया है कि इच्छा, लगन और मेहनत के बल पर सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। यही खेल-कूद की सबसे बड़ी विशेषता है, यही अच्छे खिलाड़ी का आदर्श है। आज का यह पुरस्कार समारोह, कड़ी मेहनत और समर्पण से प्राप्त की गई आप सबकी सफलता का उत्सव है।
अमित शाह ने दी खिलाड़ियों को बधाई
राष्ट्रीय खेल दिवस के पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं और कहा कि मोदी सरकार खेलों को बढ़ावा दे रही है और युवा प्रतिभाओं को निखारने के लिये भी प्रतिबद्ध है। उन्होंने अपने जुनून और कठिन परिश्रम से देश का गौरव बढ़ाने वाले सभी खिलाड़ियों की सराहना की। प्रख्यात हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयंती को खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है। उनका जन्म 29 अगस्त 1905 को हुआ था।

एनईईटी, जेईई की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

कांग्रेस, टीएमसी और अन्य कुछ दलों के जबरदस्त विरोध के बीच एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने के मोदी सरकार के फैसले को शुक्रवार को चुनौती दी गयी गयी है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने इन परीक्षाओं को लेकर पहले केंद्र सरकार को अनुमति वाला जो आदेश दिया था, उसके खिलाफ छह राज्यों ने पुनर्विचार याचिका दायर की है। इस बीच कांग्रेस ने देश भर में इन परीक्षाओं को करवाने के मोदी सरकार के फैसले के खिलाफ आज भी प्रदर्शन किया।

एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने को लेकर पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब और राजस्थान सरकारों के शिक्षा मंत्रियों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर इन्हें वर्तमान हालत को देखते हुए टालने की मांग की है। गुरुवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अन्य दलों के साथ इस मसले पर बातचीत हुई थी जिसमें यह फैसला किया गया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन सहित कई विपक्षी नेता भी यह परीक्षाएं फिलहाल स्थगित करने की मांग कर चुके हैं।

आज जो याचिका दायर की गयी है उसमें सभी मंत्रियों ने याचिका एक साथ निजी हैसियत से दाखिल की है। इसमें कहा गया है कि करोना कि वजह से सरकार अभी एग्जाम कराने कि स्थिति में नहीं है। एग्जाम के दौरान छात्रों की करोना हो सकता है या इस रोग के फैलने का खतरा भी हो सकता है।

याद रहे कि एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं करवाने की सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को अनुमति दी थी अब छह राज्यों ने उस आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। एनईईटी और जेईई की परीक्षाएं क्रमशा 13 सितंबर और पहली नौ सितंबर के बीच रखी गईं हैं। आज की याचिका दाखिल करने वालों में पश्चिम बंगाल के मंत्री मोलॉय घटक, झारखंड के मंत्री रामेश्वर ओराओं, राजस्थान के मंत्री रघु शर्मा,  छत्तीसगढ़ के मंत्री अमरजीत भगत, पंजाब के मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू और महाराष्ट्र के मंत्री उदय रविन्द्र सामंत शामिल हैं।

प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की मांग है कि कोविड-19 के फैलने और कुछ राज्यों में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए परीक्षा को टाल देनी चाहियें। हालांकि, सरकार ऑफ कर चुकी है कि परीक्षा निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उपयुक्त सावधानी बरतते हुए आयोजित की जायेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विश्वविद्यालयों की फाइनल इयर परीक्षा होगी; यूजीसी का फैसला सही, बिना परीक्षा डिग्री नहीं

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को यूनिवर्सिटी ग्रांड कमीशन (यूजीसी) के यूनिवर्सिटी के फाइनल ईयर की परीक्षाओं के बिना डिग्री जारी नहीं करने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा है कि राज्य बिना परीक्षाओं के किसी को डिग्री नहीं दे सकते। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि राज्य भी यह परीक्षा करवाएं, ताकि छात्र आगे बढ़ सकें।

अदालत ने विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा से जुड़े मामले में आज कहा कि विश्वविद्यालयों के फाइनल इयर के एग्जाम होंगे। कोर्ट ने कहा कि किसी राज्य को लगता है, उनके लिए परीक्षा कराना मुमकिन नहीं, तो वह यूजीसी के पास जा सकता है। राज्य अंतिम वर्ष की बिना परीक्षा लिए विद्यार्थियों को प्रमोट नहीं कर सकते। यूजीसी के 30 सितंबर तक परीक्षा करवाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह मुहर लगा दी है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने कहा कि राज्य और यूटी स्वयं ही छात्रों को बिना परीक्षा पास नहीं कर सकते हैं। उन्हें कोविड-19 महामारी को देखते हुए यूजीसी से परीक्षाओं को स्थगित करने  के लिए संपर्क करना होगा। बेंच ने कहा कि यूजीसी गाइडलाइंस को खत्म करने का निवेदन अस्वीकार कर दिया गया है। किसी राज्य विशेष में परीक्षाओं को रद्द करने के लिए आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूजीसी के निर्देशों से उपर होंगे, लेकिन राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पास छात्रों को बिना परीक्षा पिछले वर्षों के आधार पर पास करने का अधिकार नहीं है।

बेंच ने कहा कि यदि किसी राज्य में परीक्षाएं आयोजित करना संभव नहीं है तो राज्य सरकार यूजीसी से परीक्षाओं की तिथि में विस्तार की मांग कर सकती है। परीक्षाएं आयोजित करने की डेडलाइन बढ़ाई जा सकती है। लेकिन परीक्षाएं करानी ही होंगी।

दिल्ली नगर निगम के 2022 के चुनाव के लिये कांग्रेस ने कमर कसी

भले ही कांग्रेस आला कमान में, चिट्टी विवाद को लेकर मामला अभी शांत होता नहीं दिख रहा है , पर दिल्ली में  कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का जोश बढ रहा है उनका कहना है कि उनकी निष्ठा और आस्था सोनिय़ा गांधी और राहुल गांधी में है। बताते चले दिल्ली में 2022 में दिल्ली नगर निगम के चुनाव है। भाजपा का तीनों जोनों में कब्जा है। वहीं 2017 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव में आप पार्टी भाजपा के बाद दूसरे नंबर पर थी। कांग्रेस के नेताओं का कहना है, कि केन्द्र में भाजपा और दिल्ली में आप पार्टी की मिली भगत से कोई भी ऐसा काम दिल्ली में नहीं हो रहा है, जिसकी जनता में सराहना हो रही है।

दिल्ली में कोरोना का कहर अब फिर से बढ रहा है और दिल्ली  मुख्यमंत्री  अरविन्द केजरीवाल बाजारों और साप्ताहिक बाजार को खुलवाने में लगे है। जिससे जनका भीड बढेगी और कोरोना का वायरस भी फैल सकता है।स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बुरा है। कांग्रेस के नेता अंबरीश रंजन का कहना है कि देश में जिस तरीके से लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड रहा है और सरकार अपनी कमियों को छुपाने के लिय कोरोना महामारी का बहाना बना रही है । जिससे देश का हर नागरिक काफी परेशान है। दिल्ली में आप और भाजपा की खींचतान में जनता पिस रही है।

कांग्रेस नेताओं का कहना कि कांग्रेस ने कोरोना काल में लोगों की काफी मदद की है और कांग्रेस के प्रति जो लोगों का गुस्सा था वो भी काफी कम हुआ है । अब दिल्ली नगर निगम में आप और भाजपा का एक बिकल्प बन कर कांग्रेस उभरेगी। क्योंकि कोरोना महामारी में केजरीवाल की सांख को बट्टा लगा है । भले ही आप पार्टी अपनी बढाई करें पर धरातल पर कुछ और ही है।दिल्ली मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल धर्मनिरपेक्ष की बजाय हिन्दुत्व की राजनीति में ज्यादा फोकस कर रहे है।कांग्रेस के एक नेता का कहना है कि भाजपा के साथ-साथ आप पार्टी से इस बार कांग्रेस दिल्ली नगर के चुनाव में मुकाबला करेगी । जिससे कांग्रेस के चुनाव परिणाम चौकाने वाले होगे। दिल्ली कांग्रेस के नेता श्याम सुन्दर कद का कहना है कि भाजपा का तीनों जोनों में कब्जा है वहां के कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है ।

स्थानीय समस्यायें जैसे सडकों और सीवरों का टूटा होना तमाम मोर्चों पर भाजपा दिल्ली में असफल है। जिसका विरोध कांग्रेस लगातार कर रही है, और जो विकास दिल्ली में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के शासन में हुआ है वैसा विकास अरविन्द केजरीवाल नहीं कर पा रहे है। उनका कहना है कि आप पार्टी और भाजपा की जन विरोधी नीतियों का वह पुरजोर विरोध कर रहे है। जो गलती दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020में कांग्रेस से हुई है अब वो 2022 के दिल्ली नगर निगम के चुनाव में ना होगी।

अनुष्का बोलीं-जनवरी 2021 में हम दो से तीन हो जाएंगे

भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा के घर नया मेहमान आने वाला है यानी क्रिकेटर नई ‌इनिंग्स की शुरुआत करने वाले हैं। विराट ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया के जरिये लोगों को दी। अनुष्का और विराट दोनों  ने अपने-अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर एक तस्वीर साझा करते हुए लिखा-खुशबरी! जनवरी में दोनों पहले बच्चे का स्वागत करेंगे।

विराट ने जो तस्वीर शेयर की है, उसमें अनुष्का का बेबी-बंप नजर आ रहा है। बॉलीवुड अदाकारा अनुष्का ने लिखा- और फिर जनवरी 2021 में हम दो से तीन हो जाएंगे। कुछ समय पहले अनुष्का को मुंबई में एक क्लीनिक के बाहर देखा गया था, जिसके बाद इस बात के कयास लगाए जाने लगे कि अनुष्का गर्भवती हैं।

इस एलान के साथ ही सोशल मीडिया में दोनों दोस्तों, करीबियों और फैंस ने जोड़े के परिवार में नए सदस्य के आने की शुभकामनाएं दीं और यह सोशल मीडिया में ट्रेंड करने लगा। टेनिस स्टार सानिया मिर्जा और अभिनेत्री आलिया भट्ट ने बधाई दी, जबकि विराट को दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान फाफ डुप्लेसिस ने शुभकामनाएं दीं।

अनुष्का शर्मा और विराट कोहली पहली बार एक शैम्पू के विज्ञापन की शूटिंग के दौरान मिले थे। विराट और अनुष्का देश की सबसे चर्चित और पसंदीदा जोड़ियों में से एक हैं। दोनों ने 11 दिसंबर 2017 को इटली में सात फेरे लिए थे।
विराट इस समय इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के 13वें सीजन में हिस्सा लेने के लिए दुबई गए हैं, जबकि अनुष्का मुंबई में हैं। कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन के चलते खेल गतिविधियां और फिल्मों की शूटिंग पूरी तरह ठप पड़ी थी।  लॉकडाउन में विराट-अनुष्का साथ ही थे, इस दौरान उन्होंने सोशल मीडिया पर कई तस्वीरे भी पोस्ट की थीं।

लचर परिवहन व्यवस्था भी कोरोना को बढा रही है

दिल्ली में कोरोना के मामलों में इजाफा के मुख्य कारणों में से एक दिल्ली की लचर परिवहन व्यवस्था। बताते चले इस समय दिल्ली सरकार की बसों में सिर्फ 20 ही सवारियों को बैठने की इजाजत है । जिसका बस चालक और कंडेक्टर भी भली- भाँति पालन कर रहे है।वहीं  सरकार के परिवहन अधिकारियों और यातायात पुलिस की मिली भगत से आँटो वाले और फटाफट सेवा के नाम पर कारों में ठूंस-ठूस कर सवारियों को ले जा रहे है। जो कोरोना के बढने का एक कारण है।

तहलका संवाददाता को दिल्ली के नागरिकों ने और बस स्टैण्डों में खडी  सवारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार जनता के साथ मजाक कर रही है। क्योंकि दिल्ली में आँटों वालों को एक आँटों में ड्राईवर सहित पीछे सीट में 3 ही सवारियों की अनुमति मिली हुई है। लेकिन आँटों वालों की यातायात पुलिस से सेटिंग होने के कारण अपनी आँटों में 6 और 7 सवारियों को बैठा रही है। ड्राईवर अपनी ही सीट पर 2 और 3 सवारियों को बैठाने कर यातायात नियमों की धज्जियों को तार –तार कर रहे है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे है ।

आँटों में सवारी एक- दूसरे से चिपक कर बैठती है। यही हाल फटाफट सवारियों के नाम पर जो कार चल रही है वो, तो सारे नियम कायदों को ताक पर रख कर सवारियों को ठूंस कर चलती है । अगर कोई यात्री विरोध करता है ,तो उसको कार से उतार देते है। सवारियों का कहना है कि बस में जब सवारियों को बैठने नहीं दिया जाता है क्योंकि 20 सवारी पहले से ही बैठी तो, जो सवारी बस के इंतजार में बस स्टेण्ड में खडी रहती है । वे भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करती है। जिससे कोरोना का संक्रमण फैलने का खतरा बढ रहा है।दिल्ली परिवहन विभाग से रिटायर्ड कर्मचारी ने बताया कि इस समय दिल्ली में बसों की कमी है और सरकार बचाव सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर 20 ही सवारियों को बैठने की इजाजत दे रही है । जबकि सरकार को ये मालूम है कि बसों के ना आने से बस स्टेँण्ड में यात्रियों का जमावडा होता है जो काफी घातक होता है। ऐसे में सरकार का दायित्व बनता है कि बसों की संख्या बढाये अन्यथा कोरोना का कहर बढता ही जायेगा। दिल्ली के पिछडे इलाकों में जहां के लोग बसों पर ही आश्रित है वहां पर बसों की संख्या बढायी जाये ।सबसे चौकाने वाली बात ये है कि सरकार को भली-भाँति मालूम है ,कि  बाहरी लोगों के आने –जाने वालों के संपर्क में आने से ही संक्रमित बीमारी फैलती है फिर भी सरकार इस मामलें में कोई कदम ना उठा रही है।

आज़ाद, आनंद सोनिया की समिति से बाहर ; जितिन पर कार्रवाई चाहती है   यूपी के लखीमपुर की कांग्रेस इकाई 

लगता है कांग्रेस कार्यकरिणी की बैठक के बाद भी पार्टी में अभी तनातनी बनी हुई है। दो नए घटनाक्रम बताते हैं कि कांग्रेस में अभी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। पहली बात पार्टी की तरफ से मोदी सरकार की तरफ से जारी अध्यादेशों पर विचार के लिए बनाई गयी एक कमेटी है जिसमें वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा को शामिल नहीं किया गया है। दूसरे कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस की लखीमपुर खीरी इकाई ने सोनिया गांधी को नामित करते हुए चिट्ठी पर दस्तखत करने वाले नेताओं में एक जितिन प्रसाद पर कार्रवाई की मांग की गयी है। उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी हैं, लिहाजा यह मांग बहुत मायने रखती है।

गुलाम नबी आज़ाद, जिन्हें गांधी परिवार के सबसे नजदीक नेताओं में से एक माना जाता है, हाल में लिखी एक चिट्ठी के बाद पार्टी के भीतर नेताओं के निशाने पर हैं। इसमें कभी कोई दो राय नहीं रही है कि आज़ाद कांग्रेस के उन नेताओं में हैं जो पार्टी से बाहर की बात सोच भी नहीं सकते। शायद यही कारण भी है कि जब 23 नेताओं के दस्तखत वाली चिट्ठी सामने आई और उसमें आज़ाद का नाम सबसे ऊपर देखा गया तो बहुत से लोगों को हैरानी हुई है। कुछ ऐसा ही आनंद शर्मा के बारे में भी कहा जा सकता है।

हाल के सालों में जो महत्वपूर्व समितियां कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बनाई हैं, उनमें आज़ाद का नाम हमेशा रहा है। खासकर ऐसी समितियां, जिन्हें मोदी सरकार के खिलाफ या उसके फैसलों के ख़िलाफ कुछ रणनीति तैयार करने का जिम्मा दिया गया। अब चिट्ठी मामले के बाद बनाई पहली समिति से उनका नाम बाहर होने से जाहिर होता है कि गांधी परिवार में उनके प्रति नाराजगी है। आज़ाद का नाम उसमें होता तो यह मान लिया जाता कि कांग्रेस में चिट्ठी वाला अध्याय समाप्त हो गया।

कांग्रेस ने गुरुवार को मोदी सरकार की ओर से जारी किए अध्यादेशों पर विचार के लिए एक समिति बनाई है। इसमें गांधी परिवार के कई करीबी नेताओं को तो जगह मिली है, लेकिन गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा इससे बाहर रखे गए हैं। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी की बनाई इस समिति में पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, अमर सिंह और गौरव गोगोई हैं। जयराम रमेश को समिति का संयोजक बनाया गया है। समिति को केंद्र की ओर से जारी प्रमुख अध्यादेशों पर चर्चा और पार्टी का रुख तय करने का जिम्मा सौंपा गया है।

आज़ाद और आनंद शर्मा के समिति में न होने से यह संकेत जा रहा है कि गंधी परिवार उनसे नाराज है। इसमें कोई दो राय नहीं सोनिया व्यक्तिगत रूप से कभी नहीं चाहेंगी कि आज़ाद जैसे नेता को अलग-थलग किया जाये, लेकिन उनका नाम समिति में न होने से यह तो पता चल रहा है कि आज़ाद सोनिया के सामने पत्र को लेकर अपनी स्थिति अभी ठीक से साफ़ नहीं कर पाए हैं। वैसे ख़बरें रही हैं कि चिट्ठी और सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान के समय में सोनिया ही नहीं राहुल गांधी ने भी आज़ाद से फोन पर बात की थी।

आज़ाद पर तब दाबाव बन गया जब सीडब्ल्यूसी की बैठक में 23 नेताओं के पत्र की भाषा को ”भाजपा के हित साधने वाली भाषा” बताया गया। आज़ाद ने सफाई दी थी, लेकिन मामला अभी सुलटा नहीं है, ऐसा संकेत मिल रहा है। कहते हैं कि आज़ाद चिट्ठी लिखने ववालों को भाजपा से जोड़ने से नाराज हैं, और उन्होंने इस्तीफे तक की भी पेशकश की थी। कपिल सिब्बल ने भी बैठक के दौरान इस मसले को ट्वीट करके जगजाहिर किया था, हालांकि बाद में उन्होंने ”राहुल ने भाजपा के साथ” वाला ट्वीट हटा लिया था।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस का बहुत बड़ा वर्ग गांधी परिवार के साथ है और वह मानता है कि गांधी परिवार के बाहर कांग्रेस का कोई अस्तित्व नहीं है। बहुत साल पहले जब दिग्गज नेता शरद पवार गांधी परिवार के खिलाफ विद्रोह के लिए उठे थे तो उन्हें कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिला था, लिहाजा उन्हें अपनी अलग पार्टी बनाई पड़ी। आखिर 2004 में पवार सोनिया गांधी से ही समझौता करके कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए का हिस्सा बने और आज तक हैं। आज भी यह माना जाता है कि पवार वापस कांग्रेस में लौटने के ”इच्छुक” रहे हैं।

संसद के मानसून सत्र से पहले कांग्रेस के बीच जो शुरू हुआ है, उसे निश्चित ही पार्टी के लिए अच्छा नहीं माना जा सकता। आज़ाद वो नेता जो हैं संसद के भीतर हमेशा कांग्रेस के बुलंद आवाज रहे हैं। लेकिन अभी तो साफ़ दिख रहा है कि कांग्रेस के भीतर कुछ पक रहा है। निश्चित ही उनकी और अन्य की चिट्ठी ने पार्टी के बीच नाराजगी पैदा की है। आनंद शर्मा को भी अगर किनारे करने के संकेत जाते हैं तो निश्चित ही उनके अपने गृह राज्य हिमाचल प्रदेश में भी उनकी स्थिति कमजोर होगी।

उधर यह मामला इसलिए भी बढ़ता दिख रहा है कि गुरुवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस की लखीमपुर खीरी इकाई ने सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए प्रस्ताव रखा है कि पार्टी नेता जितिन प्रसाद पर कार्रवाई की जाए। इकाई ने बल्कि चिट्ठी लिखने वाले सभी नेताओं के खिलाफ ही कार्रवाई करने की मांग की है। इकाई के प्रस्ताव में लिखा है- ”पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले उत्तर प्रदेश के जितिन प्रसाद एकमात्र व्यक्ति हैं।  उनका पारिवारिक इतिहास गांधी परिवार के खिलाफ रहा है और उनके पिता स्वर्गीय जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़कर इसे साबित किया था। इसके बावजूद सोनिया गांधी ने जितिन प्रसाद को लोकसभा का टिकट दिया और मंत्री बनाया।”

लखीमपुर खीरी इकाई का यह प्रस्ताव इस मायने में भी अहम है कि यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी हैं। इस प्रस्ताव में जितिन के चिट्ठी का हिस्सा बनाने को ”घोर अनुशासनहीनता” बताया गया है और जिला कांग्रेस कमेटी ने लिखा है कि उनके (जितिन) के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

कहना मुश्किल है कि इन कथित ”बागी” नेताओं की क्या रणनीति है, लेकिन पूर्व के तमाम उदाहरण बताते हैं कि असली कांग्रेस गांधी परिवार के ही आसपास रही है। इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और सोनिया गांधी के समय में हुए इस तरह के ”विद्रोह” इसका उदाहरण हैं। एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शायद यह नेता किसी ”बाहरी” के संपर्क में हैं और ऐसी विवादित चिट्ठी लिखी है। उन्होंने कहा – ”लेकिन यह सब किनारे लग जायेंगे, क्योंकि पार्टी के लाखों-लाख कार्यकर्ता गांधी परिवार के साथ रहेंगे। इन्हीं में से कुछ नेता हैं जिन्होंने राहुल गांधी को अध्यक्ष के नाते फेल करने की कोशिश की थी।”

जिन वरिष्ठ नेताओं का नाम चिट्ठी में सामने आया है, उनमें से कमोवेश सभी ऐसे हैं जो एक-दूसरे को ही अपना नेता नहीं मानते रहे हैं। ऐसे में यह नेता किसे नेता बनाएंगे और और उनमें सर्वसम्मति कैसे बनेगी, यही सबसे बड़ा सवाल है। यही कारण भी है कि पार्टी के बहुत समझदार नेता गांधी परिवार में से ही नेता चुनने के पक्ष में रहे हैं। हाँ, यह अवश्य सच है कि पिछले कुछ सालों में पार्टी नेताओं ने ज़मीन पर काम करना बंद कर दिया है, जिससे जनता से पार्टी का संपर्क कमोवेश टूट गया है।

लेकिन इसका एक बड़ा कारण पार्टी नेताओं की आरामपरस्ती और खुद के लिए राज्य सभा की सीट का इंतजाम करने तक सीमित हो जाना भी है। यह लोग दिल्ली से बाहर निकलते नहीं है। न केंद्र सरकार के खिलाफ उनके कोई मजबूत ब्यान ही आते हैं। ज़मीन पर इन महीनों में देखा जाए तो राहुल गांधी ही हैं जो लगातार मोदी सरकार के खिलाफ आबाज बुलंद करते रहे हैं। लेकिन इन नेताओं ने उनका भी समर्थन करते रहने की जहमत नहीं उठाई है।

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी अभी भी गहरे कोमा में, फेफड़ों के आलावा उनके गुर्दे में भी बनी है समस्या  

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ है। गुरूवार को आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल ने उनके मेडिकल बुलेटिन में कहा है कि मुखर्जी गहरे कोमा में हैं और उनके फेफड़ों में संक्रमण के आलावा मंगलवार से उनके गुर्दे में भी कुछ समस्या पैदा हुई है।

अस्पताल के मुताबिक वर्तमान में प्रणब मुखर्जी गहरे कोमा में हैं और उन्हें लगातार वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। अस्पताल के मेडिकल बुलेटिन में कहा गया है कि पूर्व राष्ट्रपति पिछले 16 दिन से अस्पताल में भर्ती हैं और ब्रेन सर्जरी के बाद गंभीर स्थिति में हैं। पूर्व राष्ट्रपति की हालत ”हीमोडायनेमिकली स्टेबल” है जिसमें मरीज का दिल ठीक तरीके से काम कर रहा होता है और शरीर में रक्त का संचार सामान्य होता है।

हालांकि, वे गहरे कोमा में हैं और मुखर्जी के फेफड़ों में संक्रमण भी हो गया है। इसका लगातार इलाज किया जा रहा है। उनके गुर्दे की स्थिति भी मंगलवार से ठीक नहीं है। याद रहे मुखर्जी के फेफड़ों में संक्रमण के बाद उनकी सेहत ज्यादा खराब हुई थी। विशेषज्ञ चिकित्स्कों की टीम लगातार मुखर्जी की निगरानी कर रही है।

पूर्व राष्ट्रपति  को 10 अगस्त की दोपहर को एक जीवन रक्षक सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनका कोविड-19 टेस्ट भी पॉजिटिव पाया गया था। उस समय से ही उनकी स्थिति लगातार खराब बनी हुई है। हालांकि, उनके बेटे ने बीच में यह भी कहा था कि उनके पिता कुछ बेहतर हो रहे हैं।

दिल्ली भाजपा की नई टीम के गठन को लेकर ना बन सकी सहमति

दिल्ली भाजपा की प्रदेश इकाई की सियासत में ऐसा क्या पेंच फंसा है कि नई टीम का गठन तक नहीं हो पा रहा है। जबकि इस मामलें में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ बैकठ भी हो चुकी है । फिर भी अभी तक स्थिति साफ ना होने से भाजपा के जिला अध्यक्षों के नामों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है । भाजपा के नेता ने तहलका संवाददाता को बताया कि भाजपा की नई टीम के गठन को लेकर चली आ रही कवायद लगभग पूरी हो चुकी है। कोरोना के कारण जरूर कुछ बैठके नहीं हो सकी लेकिन अब भाजपा दिल्ली की प्रदेश इकाई के गठन के इंतजार में है। जबकि जिला अध्यक्षों के नाम को लेकर सांसदों और विधायकों के बीच पहले ही रायशुमारी हो चुकी है । लेकिन ना जाने क्यों मामला फंसा है।

पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अंदर ही सियासत हो रही है। जैसे प्रदेश के महामंत्री और जिला अध्यक्ष के नाम को लेकर भाजपा आलाकमान और प्रदेश के संगठन के बीच सहमति नहीं बन सकी है। इसलिये राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष को इस मामले फिर से सलाह करने को कहा है, ताकि आपसी सहमति से गठन हो सकें। बताते चलें जिला अध्यक्ष और नई टीम की गठन एक साथ हो सकता है ।क्योंकि वैसे ही गठन को लेकर काफी देर हो चुकी है। भाजपा के नेता हेमंत कुमार का कहना है कि जितनी जल्दी  नई टीम के नेताओं की घोषणा होगी उतनी जल्दी कोरोना काल में आप पार्टी द्वारा की जा रही मनमानी को रोकने का अवसर मिलेगा क्योंकि दिल्ली में कोरोना के मामले बढ रहे है और दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि कोरोना काबू में है। वैसे भी भाजपा दिल्ली में जनता को हर संभव सहायता के लिये काम कर रही है। क्योंकि इस समय दिल्ली में कोरोना के साथ चिकनगुनिया और डेंगू का कहर लगातार बढ रहा है।