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विश्व ह्रदय दिवस: हार्ट रोग से बचना है तो रोज करें व्यायाम

विश्व ह्रदय दिवस के अवसर पर आज डाक्टरों ने कहा कि कोरोना काल में हार्ट रोगियों को अपने स्वास्थ्य की विशेष देखभाल करने की जरूरत है क्योंकि जरा सी लापरवाही घातक हो सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ राकेश यादव ने बताया कि जागरूकता के अभाव में और खानपान में तलीय पदार्थो के अत्याधिक सेवन से हार्ट रोग जैसी बीमारी पनप रही है।

मैक्स अस्पताल के हार्ट रोग सर्जन डाँ रजनीश मल्हौत्रा का कहना है कि देश में युवाओं में हार्ट रोग के बढ़ते मामलों का एक कारण ये है कि हार्ट रोग के लक्षणों को नजर अंदाज करते है और समय पर इलाज कराने से बचते है जो उनके लिये घातक होता है। जैसे जबड़े व वाये हाथ के दर्द के नजरअंदाज करना, घबराहट के साथ पसीना का आना आदि शामिल है।

जाने –माने हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ अनिल ढ़ल का कहना है कि एक दौर था जब हार्ट रोग का इलाज बढ़ा माना जाता था पर आज चिकित्सा क्षेत्र में हो रही तरक्की  से और नये –नये शोधों से हार्ट रोग का इलाज सरल हुआ है। इंडियन हार्ट फाउण्डेशन के चैयरमेन डाँ आर एन कालरा का कहना है कि कोरोना काल में लोगों में एक में लोगों ने अपने स्वास्थ्य पर ध्यान तो दिया है लेकिन इलाज कराने से बचें है। उन्होंने कहा कि कोई भी रोग हो उसका इलाज जरूर करवाये। मधुमेह रोगी, उच्च रक्त चाप और मोटापा रोग से पीड़ित मरीज अपने स्वास्थ्य का चैकअप जरूर साल में एक बार करवायें । कोलेस्ट्राल को ना बढ़ने दें और व्यायाम प्रतिदिन 40 मिनट हर रोज करें। कोरोना का भी असर हार्ट पर होता है। इसलिये हार्ट रोगीको अगर सांस लेने में दिक्कत में होती है तो निश्चित तौर अपने हार्ट का चैकअप करवायें।डाँ आर एन कालरा का कहना है कि हार्ट रोग से बचना है तो नियमित व्यायाम करें।

‘इतनी शक्ति हमें दे न दाता’ के गीतकार अभिलाष नहीं रहे

चर्चित गीतकार ओम प्रकाश ‘अभिलाष’ का रविवार रात निधन हो गया। लॉकडाउन लगने के दौरान उनके पेट के ट्यूमर का ऑपरेशन हुआ था, इसके बाद बाद से ही उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। उनकी पहचान एक अच्छे गीत गाने वालों और मुशायरों में शिरकत करने वाले के तौर पर की जाती है।
13 मार्च 1946 को दिल्ली में जन्मे अभिलाष ने महज 12 साल की उम्र में कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं। 14-15 साल की उम्र में ही मंच पर कविता पाठ करने लगे। उनका असली नाम ओम प्रकाश है। अभिलाष नाम उनको दोस्तों का दिया है, जो उनके पहले गाने की रिकॉर्डिंग के बाद उनका नाम ओम प्रकाश एलबम में नहीं देना चाहते थे। ओम प्रकाश का एक तखल्लुस ‘अजीज’ भी रहा। ओमप्रकाश ‘अजीज’ के नाम से उनकी गजलें, नज्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं।
मुशायरों में वे अजीज देहलवी नाम से शिरकत करते थे। वह मन ही मन साहिर लुधियानवी को अपना उस्ताद मानते रहे। दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी से मिलकर नौजवान शायर अजीज देहलवी ने उनका आशीर्वाद लिया और अपनी कुछ नज्में सुनाईं। साहिर ने कहा, ‘मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं अपाकी जुबां से अपनी नज्में सुन रहा हूं। तुम अपना रास्ता अलग करो। ऐसी गजलें और नज्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े। इसके बाद उन्होंने अपनी शैली में ही लेखन किया।
तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने उनकी प्रतिभा को पहचानकर उन्हें कलाश्री सम्मान से नवाजा था। ज्ञानी जैल सिंह ने मंच से इस बात का जिक्र किया कि अभिलाष का लिखा विश्व प्रसिद्ध गीत ‘इतनी शक्ति हमें दे न दाता’ देश के 600 विद्यालयों में तब प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता था। अब तो इनकी संख्या हजारों में पहुंच चुकी है। इतना ही नहीं, विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद  किया जा चुका है।
बता दें कि संगीतकार कुलदीप सिंह ने ‘इतनी शक्ति हमें दे न दाता’ गीत को एन चंद्रा की फिल्म अंकुश के लिए संगीतबद्ध किया था। उन दिनों फिल्म ‘साथ साथ’ में कुलदीप का संगीत सुपर हिट हो चुका था। कुलदीप ने इस गीत के लिए पारिश्रमिक भी नहीं लिया था। यह गीत इतना हिट हुआ कि हर भारतीय की जुबां पर चाहे बच्चा हो या युवा अथवा बुजुर्ग सभी इसे गुनगुनाते मिले।

किसान कानूनों के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह धरने पर बैठे

कृषि कानून, जिन्हें मोदी सरकार ने संसद में पास करवाया है, के खिलाफ आंदोलन अब देश के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगा है। बता दें राष्ट्रपति ने भी इन बिलों को मंजूरी दे दी है जिसके बाद अब यह क़ानून बन गए हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह आज कृषि क़ानून के खिलाफ धरने पर बैठे, वहीं दिल्ली में युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने एक ट्रैक्टर जला दिया जिसके बाद पुलिस ने 5 लोगों को गिरफ्तार किया है। उधर कर्नाटक, तमिलनाड और महारष्ट्र में भी किसान संगठनों का आंदोलन जोर पकड़ गया है। कांग्रेस ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर देशव्यापी प्रदर्शन की योजना बनाई है।

पंजाब में कृषि कानूनों के खिलाफ सत्तारुढ़ कांग्रेस ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर उनके जन्मस्थान पर धरना दे रही है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, पंजाब कांग्रेस प्रभारी महासचिव और उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ के साथ मंत्री, विधायक और कांग्रेस कार्यकर्ता भगत सिंह के गांव खटकर कलां में धरने पर बैठ गए हैं।

अमरिंदर ने भगत सिंह की प्रतिमा के आगे श्रद्धांजलि अर्पित की। पंजाब प्रभारी बनने के बाद पहली बार पंजाब पहुंचे हरीश रावत ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेककर अपने दौरे की शुरुआत करनी थी लेकिन बाद में उनका कार्यक्रम पंजाब में कृषि कानून को लेकर उग्र विरोध प्रदर्शन को देखते हुए धरने में बैठने का बनाया गया।

पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा – ‘रावत को यहाँ (खट्करकलाँ) लाने का मकसद किसानों की ऊर्जा को दिशा देना है। वह एक परिपक्व नेता हैं और केंद्र के खिलाफ किसानों की नाराजगी को रास्ता दिखाकर अब इसका हल ढूंढ़ने पर जोर दिया जा रहा है। जाखड़ के मुताबिक कांग्रेस 2 अक्टूबर को देशभर में प्रदर्शन की योजना बना रही है।

इस बीच राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कृषि कानून के खिलाफ उग्र प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने ट्रैक्टर जला दिया। इस दौरान पुलिस ने कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज भी किया। प्रदर्शन और ट्रैक्टर जलाने के मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। ये सभी पंजाब के रहने वाले हैं।

जम्मू कश्मीर में भी कृषि कानून के खिलाफ कांग्रेस ने प्रदर्शन किया है। जम्मू कश्मीर के सांबा में ऑल जेके किसान संघ ने नए कृषि कानून का विरोध में प्रदर्शन किया। कानून का विरोध करते हुए कार्यकर्ताओं ने कहा कि देश के 70 फीसदी लोग खेतीबारी करते हैं लेकिन सरकार ने मात्र पांच फीसदी लोगों को खुश करने के लिए किसान विरोधी कानून पास किया है। छत्तीसगढ़ किसान यूनियन पांच अक्टूबर को अपना विरोध दर्ज करेगी।

तमिलनाड में कृषि कानून के खिलाफ किसान विरोध में उतर आये हैं। डीएमके अध्यक्ष एमके स्टॉलिन भी किसानों के साथ विरोध में शामिल हुए। उन्होंने कहा – ‘पड़ोसी राज्य केरल कानून के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है। हम भी अपनी सरकार से इस मामले को कोर्ट में ले जाने की बात करेंगे और नहीं तो सारे विपक्षी दल मिलकर कोर्ट जाएंगे।’
उधर कर्नाटक में कृषि बिल, भूमि सुधार अध्यादेशों, कृषि उपज मंडी समिति में संशोधन और श्रम कानूनों के विरोध में, आज किसान संगठनों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। राज्य सरकार ने कहा कि बंद के दौरान सरकारी दफ्तर खुले हैं और आवश्यक सेवाएं जारी हैं।

इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में नये कृषि कानून को लागू नहीं करने का एलान किया है। सरकार ने कहा – ‘यह किसान विरोधी कानून है इसलिए इसे राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। महाविकास अगाड़ी भी राज्य में इस कानून के लागू होने का विरोध कर रहा है। महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बाला साहब थोराट ने कहा – ‘हम सभी एक साथ बैठकर इसके लिए रणनीति तैयार करेंगे।’

जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया पत्रकार न्यायिक हिरासत में भेजा

चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार एक पत्रकार राजीव शर्मा को दिल्ली की एक अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उसे पुलिस ने सरकारी गोपनीयता कानून के तहत जासूसी के मामले में गिरफ्तार किया था।

गिरफ्तार स्वतंत्र पत्रकार के वकील आदिश अग्रवाल के मुताबिक अदालत ने मामले में दो सह आरोपियों – चीनी महिला क्विंग शी और उसके नेपाली सहयोगी – को भी न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बता दें दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने बताया था कि 14 सितंबर को गिरफ्तार इस पत्रकार के पास से रक्षा संबंधी कुछ गुप्त दस्तावेज बरामद हुए थे। पुलिस के मुताबिक उसके साथ गिरफ्तार दो अन्य आरोपी फ़र्ज़ी कंपनियों के जरिए पत्रकार राजीव को बड़ी रकम का भुगतान कर रहे थे।

राजीव के वकील के मुताबिक रविवार रात उन्हें (राजीव) अदालत में पेश करते हुए जांच अधिकारी ने कहा कि अब आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है।

याद रहे गुरूवार को अदालत ने सुनवाई राजीव के खिलाफ एफआईआर के तथ्यों को  संवेदनशील तो बताया था लेकिन साथ ही कहा था कि यह आधे-अधूरे हैं। अदालत ने कहा कि प्रेस रिलीज से एफआईआर को मिलाने पर इसकी जानकारी अधूरी लगती है क्योंकि इसमें केस की जांच के संबंध में जानकारी नहीं दी गई है। दिल्ली पुलिस ने आरोपियों को एफआईआर की कॉपी देने की मांग का विरोध किया था और कहा था कि इससे मामले की जांच प्रभावित होगी। हालांकि, कोर्ट ने आरोपियों को एफआईआर की कॉपी देने की हिदायत दी थी लेकिन साथ ही कहा था कि बचाव पक्ष के वकील इसे सार्वजनिक न करें।

बिहार चुनाव में अटकलों और असमजंस का दौर अपने-अपने सहयोगियों को लेकर

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजग और महागठबंधन में अभी असमजंस और अटकलों का दौर इस बात को लेकर ही चल रहा है कि दोनों दलों में गठबंधन जस का तस ही रहेगा, कि आया राम और गया राम वाली स्थिति बनेगी। राजग का दावा है कि इस बार पिछले चुनाव की अपेक्षा ज्यादा मजबूती से जीत होगी। वहीं महागठबंधन का अगर चेहरा तेजस्वी यादव होते है तो चुनाव परिणाम चौकांने वाले होगे। भाजपा के नेता व केन्द्रीय फिल्म बोर्ड के सदस्य राजकुमार सिंह का कहना है कि टिकटों को लेकर भले ही सहयोगियों में अनमन होती है, जैसे ही चुनाव अपने रंग में रंगने लगता है वैसे ही सहयोगी दल चुनाव को जिताने में एक जुट होकर चुनाव जीतने में लग जाते है। लोजपा के नेता राम विलास पासवान और उनका बेटा चिराग पासवान किसी भी हालत राजग से अलग नहीं होगे। भाजपा और जेदयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगे। वहीं कांग्रेस के नेता अविनाश पांडे का कहना है कि महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही होगें। राजद के नेता भानु प्रसाद का कहना है कि पिछले चुनाव में राजद चुनाव दमदार और शानदार जीता था। लेकिन नीतिश कुमार ने ही स्वार्थी राजनीति के कारण राजद से नाता तोड़ा था। अब जनता समझ गयी है राजग की नीति को, इस बार राजग को किसान, बेरोजगार और कोरोना काल में जो सरकार द्वारा कोई विशेष ध्यान बिहार के लोगों पर नहीं दिया गया उससे बिहार और केन्द्र की सरकार से जनता त्रस्त है।

बताते चलें कि अभी राजग में लोजपा चिराग पासवान तो महागठबंधन में आरएलएसपी के मुखिया उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव में अहम् व निर्णायक भूमिका में साबित हो सकते है।

कंधार विमान हाईजैक के बाद यात्रियों को छुड़ाने वाले पूर्व मंत्री जसवंत सिंह का निधन

अटल सरकार में रक्षा, विदेश और वित्त मंत्रालय संभाल चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार सुबह निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
तीन जनवरी, 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के जसौल गांव में जन्मे जसवंत सिंह ने अजमेर के मायो कॉलेज से बीए और बीएससी की डिग्री हासिल की। जसवंत सिंह ने सेना के अफसर के तौर पर देश की सेवा की और सेवानिवृत्त हुए।  सिंह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। जसवंत सिंह भारत के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसदों में से एक थे। 1980 या 2014 के बीच वह कभी उच्च सदन के सदस्य रहे या फिर वह निचले सदन के सदस्य रहे।
जसवंत सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दुख जताया है। पीएम मोदी ने कहा, जसवंत सिंह जी ने पूरी लगन के साथ हमारे देश की सेवा की। पहले एक सैनिक के रूप में और बाद में राजनीति के साथ अपने लंबे जुड़ाव के दौरान। वहीं, रक्षा मंत्री ने कहा, पूर्व मंत्री श्री जसवंत सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्होंने रक्षा मंत्रालय के प्रभारी सहित कई क्षमताओं से देश की सेवा की।
भैरों सिंह शेखावत ने जसवंत की जनसंघ में एंट्री कराई थी। इसके बाद जी दफा कभीब्लोकसभ तो कभी राज्यसभा सांसद रहे। अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री बनने पर जसवंत सिंह 5 दिसंबर, 1998 से 1 जुलाई, 2002 तक भारत के विदेश मंत्री रहे। इस पद पर रहते हुए जसवंत ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति का निपटान किया। जुलाई 2002 में, जसवंत सिंह फिर से वित्त मंत्री बने। उन्होंने मई 2004 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया।
आतंकियों को लेकर कंधार गए थे जसवंत
जसवंत सिंह ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त जैसे तीन अहम विभागों को संभाला। जब 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट नंबर आईसी-814 को हाईजैक करके अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया था। इस दौरान यात्रियों को आतंकियों के चंगुल से छुड़ाने के लिए भारत सरकार को तीन खूंखार आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। जिन आतंकियों को छोड़ा गया था, उनमें मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख और मौलाना मसूद अजहर शामिल थे। इन्हें कंधार तक खुद जसवंत सिंह ही लेकर गए थे।
विवाद के बाद पार्टी ने निकाला
जसवंत सिंह विवादों में घिर गए, जब उनकी पुस्तक ‘जिन्नाह: इंडिया-पार्टिशन-इंडिपेंडेंस’ में दावा किया गया कि विभाजन के लिए पंडित जवाहरलाल नेहरू की केंद्रीकृत राजनीति जिम्मेदार थी। अपनी किताब में जसवंत ने मोहम्मद अली जिन्ना की तारीफ की। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। हालांकि, 2010 में उन्हें फिर से भाजपा में शामिल किया गया। 2014 में उन्हें भाजपा ने लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। निर्दलीय चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।

किसान आंदोलन के बीच अकाली दल एनडीए से बाहर निकला

भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। उसके सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल ने भाजपा और एनडीए से नाता तोड़ लिया है। मोदी सरकार के कृषि बिलों के देशव्यापी विरोध के बीच भाजपा को यह झटका मिला है।

पंजाब, जहां अकाली दल का एकमात्र बड़ा आधार है, में आंदोलन की धार देखते हुए अकाली दल को यह फैसला करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। कुछ दिन पहले ही कृषि बिलों के खिलाफ अकाली मंत्री हरसिमरत कौर ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया था।

चंडीगढ़ में अकाली दल की आज हुई कोर कमेटी की बैठक में यह फैसला किया गया है। अपने 40 साल पुराने साथी को झटका देते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने साफ़ कहा कि भाजपा अर्थात मोदी सरकार ने इस बिल को लेकर अपने सहयोगियों से सलाह नहीं की।

इस तरह बिहार चुनाव से पहले भाजपा को यह बड़ा झटका लगा है। सुखबीर ने कहा कि उनकी पार्टी पूरी पंजाब में इस बिल के खिलाफ आंदोलन करेगी। हालांकि, किसान पहले से ही पंजाब में मोदी सरकार के कृषि बिलों के खिलाफ जबरदस्त आंदोलन कर रहे हैं। हाल में सुखबीर के गृह गाँव बादल में एक किसान ने इसी मुद्दे पर आत्महत्या का रास्ता अपना लिया था।

पंजाब में अकाली दल बहुत दबाव में है। वहां कांग्रेस पहले से मोदी सरकार के तीनों कृषि बिलों के खिलाफ बोल रही है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार जो बिल संसद में लाई उसमें अकाली दल का पूरा समर्थन रहा। उस वक्त अकाली दल ने कोई विरोध नहीं किया। अब वो आंदोलन करने का नाटक कर रही है क्योंकि उसके नीचे से ज़मीन खिसक चुकी है।

सुखबीर ने कहा कि वो किसानों की पार्टी है लिहाजा इसके विरोध में भाजपा और एनडीए दोनों से बाहर जाने का फैसला उसने किया है। इस तरह निश्चित ही भाजपा को झटका लगा है। सुखबीर ने कहा कि खेती-किसानी पंजाब की जान है।

नड्डा की नई टीम घोषित, राम माधव की छुट्टी

लंबे इंतजार के बाद आखिर अमित शाह की जगह भाजपा के जनवरी में अध्यक्ष बने जगत प्रकाश नड्डा ने अपनी नई टीम गठित कर दी है। नई टीम में राम माधव सहित कई कई बड़े नामों को जगह नहीं मिली है। अनिल बलूनी को मीडिया विभाग के प्रमुख का जिम्मा दिया गया है। इस टीम में 8 महासचिव, तीन संयुक्त सचिव और 12 उपाध्यक्ष शामिल किये गए हैं।

जानकारी के मुताबिक कई नए लोगों को जिम्मेवारी दी गयी है। चार ताकतवर महासचिव हटा दिए गए हैं जिनमें राम माधव भी शामिल हैं। यह अनुभव और युवा टीम दिखती है। सभी राज्यों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की गयी है। युवा चेहरों  को खूब अवसर दिया गया है जबकि महिलाओं को भी स्थान दिए गए हैं। टीम में 23 प्रवक्ता बनाये गए हैं।

आरएसएस से भाजपा में आये राम माधव जैसे बड़े नाम को नई टीम में जगह नहीं मिली है। माधव अभी तक जम्मू कश्मीर का जिम्मा देख रहे थे। देखना होगा कि क्या राम माधव पूरी तरह आरएसएस में वापस लौट जायेंगे।

दुष्यंत कुमार गौतम, तरुण चुग को नया महासचिव बनाया गया है। राधामोहन सिंह और रेखा वर्मा नए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होंगे।

तेजी से एक लाख की तरफ बढ़ रहा है कोरोना से मौतों का आंकड़ा

देश में कोरोनावायरस के मामले बढ़ते-बढ़ते 59 लाख के पार हो गए हैं। कोरोना संक्रमितों की अब तक की कुल संख्या 59,03,932 हो गई है जबकि पिछले 24 घंटे  में कोरोना के 85,362 नए मामले सामने आए हैं। देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या, हालांकि, अब एक लाख की तरफ बढ़ती दिख रही है जो अब तक 93,379 हो चुकी है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले कुछ दिन से कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या बढ़ रही है, हालांकि संक्रमित लोगों की संख्या भी काफी बढ़ी है। पिछले 24 घंटे में देश भर में 93,420 मरीज ठीक हुए हैं जबकि इस दौरान देश में 1089 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक कुल 48,49,584 मरीज ठीक हो चुके हैं जबकि 93,379 लोगों की जान गई है। इस समय 9,60,969 एक्टिव केस हैं। रिकवरी रेट की बात करें तो यह मामूली बढ़ोतरी के बाद 82.14 प्रतिशत पर पहुंच गया है जबकि पॉजिटिविटी रेट 6.36 प्रतिशत है।

शुक्रवार को ( 25 सितंबर) को 13,41,535 कोरोना सैंपल टेस्ट किए गए। अभी तक कुल 7,02,69,975 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं। दुनिया में अमेरिका के बाद भारत दूसरा सबसे ज्यादा टेस्ट करने वाला देश बन गया है, हालांकि भारत की आबादी को देखते हुए प्रति 10 लाख टेस्ट के हिसाब से टेस्ट की संख्या अभी भी बहुत कम बताई जा रही है।

बिहार चुनाव में सियासी दलों के गठबंधन में गांठ पड़ने के संकेत

बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। बिहार में राजनीतिक समीकरणों के साथ सियासी दल अपने –अपने दावों के साथ जीत हार का गुणा-भाग लगाने में लगे है।  राजनीति दलों के आकाओं के पास इस समय बड़ी ही असमजंस की स्थिति बनी हुई है, कि गठबंधन भी हो जाये और गांठ भी ना बने । पर ऐसा होता दिख नहीं रहा है। बिहार के नेताओं का कहना है कि अगर लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव को कांग्रेस सहयोग करती है तो तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री घोषित किया जा सकता है। क्योंकि तेजस्वी यादव की छवि तेजी से बिहार की राजनीति में उभरी है। पर कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई ऐसे संकेत नहीं मिले है । वहीं लोजपा के नेता रामविलास पासवान के बेटा चिराग पासवान भले ही जेडीयू और भाजपा से अपनी बात को अपने तरीके से कह रहे है कि चुनाव में उनको सीटें ज्यादा से ज्यादा दी जाये । पर जेडीयू और भाजपा की और से उनकी मांगों पर कोई गौर ना किया गया है और ना भाव दिये गये है। ऐसे में कुछ गठबंधन की राजनीति में गांठ पड़ने के संकेत मिल रहे है। जबकि भाजपा आलाकमान और बिहार इकाई के नेताओं का कहना है कि भाजपा जेडीयू के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी ।

बिहार के नेता रोहित सिंह का दावा है कि “अगर कांग्रेस, राजद या अन्य विपक्षी दल नीतिश कुमार और भाजपा के खिलाफ सिर्फ किसान की मांगों, कोरोना महामारी पर सरकार की असफलता और बेरोजगारी पर ही चुनाव लड़ेगे तो चुनाव परिणाम चौकांने वाले साबित होगें। क्योंकि जनता कोरोना काल में काफी परेशानी से जूझ रही है । लेकिन सरकार द्वारा कोई भी ऐसा काम नहीं किया जा रहा है जिससे वो राहत में हो, बिहार की जनता बदलाव चाहती है।”