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ट्रम्प 2.0 और भारत

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के साथ भारत सहित दुनिया एक ऐसे व्यक्ति की वापसी के लिए तैयार है, जो अप्रत्याशितता पर पनपता है। भारत के लिए ट्रम्प के साथ सम्बन्धों को प्रबंधित करना आसान नहीं है। एक ओर अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में ट्रम्प अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते थे, यहाँ तक कि मोदी को ‘मेरा अच्छा दोस्त’ भी कहते थे। दूसरी ओर उनके कार्यों और बयानबाज़ी ने बार-बार भारत को कम आकर्षक रोशनी में पेश किया है। ‘तहलका’ के लिए वरिष्ठ पत्रकार गोपाल मिश्रा की आवरण कथा ‘भारत के लिए ट्रम्प-2.0 के मायने’ में विश्लेषण किया गया है कि व्हाइट हाउस में ट्रम्प की वापसी के साथ भारत कैसे नये अवसर पा सकता है। लेकिन उभरती विश्व-व्यवस्था में अपनी सही भूमिका को फिर से स्थापित करने के लिए उसे अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की आवश्यकता होगी।

अमेरिका और भारत के रिश्तों को लेकर एक वर्ग में उत्साह इस बात से है कि ट्रम्प के साथ प्रधानमंत्री मोदी की दोस्ती की चर्चा है। लेकिन अमेरिका ने स्वयं को हमेशा कूटनीतिक रणनीतियों के खोल में रखा है, जिसे समझना इतना आसान नहीं है। पिछली बार प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रम्प के लिए ‘अबकी बार ट्रम्प सरकार’ नारा दिया था। इस बार ट्रम्प की वापसी भारत के साथ उनके रिश्तों के साथ-साथ वैश्विक राजनीति में अमेरिका की भूमिका को स्पष्ट करेगी।

हालाँकि विडंबना यह है कि पिछली बार के अपने शासन में ट्रम्प ने अपने अभियान के दौरान भारत की व्यापार प्रथाओं, विशेष रूप से अमेरिकी वस्तुओं पर इसके भारी मूल्य की आलोचना की थी, और अमेरिकी धन को बढ़ाने के लिए ‘जैसे को तैसा’ नीति की चेतावनी दी थी। इस बार संभवत: मोदी का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान ट्रम्प के ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडे से टकरा सकता है। क्योंकि मोदी का लक्ष्य भारतीय विनिर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है, जबकि ट्रम्प की संरक्षणवादी नीतियाँ इन महत्त्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगा सकती हैं; ख़ासकर उन क्षेत्रों में, जहाँ अमेरिकी हित हावी हैं। आशावादियों को उम्मीद है कि कूटनीतिक मोर्चे पर भारत को उम्मीद होगी कि ट्रम्प के साथ मोदी का तालमेल होने से संभावित क्षेत्रों, जैसे कि गुरपतवंत सिंह पन्नुन और सम्बन्धित मामलों पर चल रहे विवाद को सुलझा सकता है। हालाँकि ट्रम्प के साथ व्यवहार करते समय अप्रत्याशितता ही एकमात्र स्थिरांक है।

कनाडा के घटनाक्रम पर भी भारत क़रीब से नज़र रखेगा, जहाँ ट्रूडो सरकार के भारत-विरोधी तत्त्वों से निपटने के तरीक़े ने नयी दिल्ली के साथ सम्बन्धों में तनाव पैदा कर दिया है। ब्रैम्पटन (कनाडा) में हिन्दू सभा मन्दिर में हाल की हिंसा ने खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं और भारतीय समुदाय के बीच बढ़ते तनाव को संबोधित करने में कनाडाई सरकार की अक्षमता या अनिच्छा को उजागर किया। यह घटना भारत-कनाडा के सम्बन्धों की अनिश्चितता को रेखांकित करती है, जो सन् 2020 में खालिस्तान कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से बिगड़ रहे हैं। इन भारत-विरोधी ताक़तों के ख़िलाफ़ कड़ा रुख़ अपनाने में कनाडा की विफलता को कूटनीतिक विफलता के रूप में देखा जाता है।

ऐसे समय में जब कनाडा सिख अलगाववाद से सम्बन्धित आंतरिक विभाजन को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष कर रहा है, भारत को उम्मीद रहेगी कि दूसरा ट्रम्प प्रशासन इस क्षेत्र में और अस्थिरता न फैलाए। स्थिति जटिल है, और ट्रम्प के साथ मोदी के रिश्ते कुछ कूटनीतिक लाभ प्रदान कर सकते हैं। लेकिन भारत को सतर्क रहना चाहिए। ट्रम्प की अप्रत्याशितता को देखते हुए नई दिल्ली को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए। डोनाल्ड ट्रम्प की सत्ता में वापसी नि:संदेह भारत के लिए कई मोर्चों- व्यापार, कूटनीति और आव्रजन आदि पर चुनौतियाँ पैदा करेंगी। हालाँकि भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ मोदी के सम्बन्धों का लाभ उठाने के कुछ अवसर मिल सकते हैं; लेकिन ट्रम्प की नीतियों की अत्यधिक अप्रत्याशितता के कारण स्पष्ट रास्ता बनाना कठिन हो गया है।

तरक़्क़ी कैसे होगी ?

राजनेता अथवा राजा वही है, जो राजनीति, कूटनीति और रणनीति में माहिर हो। जनता के अहित और अपने हितों को तवज्जो देने वाला, जनता को धर्म में उलझाने, बरगलाने और झूठे आश्वासन देने वाला राजनेता अथवा राजा नहीं हो सकता। ऐसा व्यक्ति भले ही सत्ता के शीर्ष पर आ जाए; लेकिन बौद्धिक स्तर पर उसे भाँड, विदूषक अथवा बहरूपिये से ज़्यादा कुछ नहीं माना जा सकता। ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते। ग़ैर-तो-ग़ैर, सगों के भी सगे नहीं होते। उन्हें सिवाय अपनी तारीफ़ों, अपनी तरक़्क़ी और अपनी ताक़त के कुछ अच्छा नहीं लगता। ऐसे लोग मनमौज़ी, मक्कार, महत्त्वाकांक्षी, अय्याश, अहमक, ऐबदार, धोखेबाज़, धंधेबाज़, धूर्त, विश्वासघाती, विकृत, विक्षिप्त, मुफ़्तख़ोर, मुस्टंडे, मौक़ापरस्त होते हैं। इन्हें देशद्रोही की श्रेणी में रखना चाहिए। लेकिन अधिकांश लोग ऐसे देशद्रोहियों को पलकों पर बैठाते हैं और उनके षड्यंत्रों में फँसकर पिसते रहते हैं।

दुनिया के ज़्यादातर विकासशील देश आज ऐसे ही देशद्रोहियों के चंगुल में फँसे हुए हैं। यही वजह है कि विकास के सपने ही इन देशों की जनता के हिस्से में आते हैं। बेकारी, बेरोज़गारी, बेअदबी, भुखमरी, आत्महत्या, हत्या, लूट, चोरी, ठगी, फिरौती, बलात्कार, दहशत, भ्रष्टाचार, मानवों से लेकर नशे तक की तस्करी और दूसरी तरह के अपराध ऐसे देशों का दुर्भाग्य बन चुके हैं। विडम्बना यह है कि ऐसे किसी देश में एक भी ढंग का राजनेता अच्छी स्थिति में नहीं है। अगर कोई ईमानदार और देश-प्रेमी व्यक्ति ग़लती से राजनीति में आ भी जाए, तो उसे दुर्योधन रूपी सत्ताधारी टिकने नहीं देते। यह सब जनता के अज्ञान और अल्पज्ञान के चलते ही हो रहा है। ऐसे अज्ञानी अशिक्षा, अज्ञान, लालच, चमचागीरी और स्वार्थ की उपज हैं।

भारत की क़रीब 2,142 साल की ग़ुलामी इसी का नतीजा है। यहाँ के इतिहास में बदलाव और मनगढ़ंत कहानियों ने लोगों की मूर्खता को और बढ़ाया है। आज भी ज़्यादातर लोग ग़ुलामी से ज़्यादा दूर नहीं हैं। उन्हें इसकी आदत पड़ चुकी है। धर्मों और झूठे आश्वासनों के झाँसे में आकर लोग आख़िरकार उन्हें ही बार-बार चुन लेते हैं, जो उन्हें लूटते रहते हैं। भारत में 2024 बड़े चुनावों का साल है। लोकसभा चुनाव के बाद चार राज्यों के विधानसभा चुनाव इसी साल में दर्ज होंगे। दो राज्यों- हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव हो चुके हैं। महाराष्ट्र और झारखण्ड के चुनाव हो रहे हैं। अब चुनावों में जीत ताक़त, झूठे प्रचार-प्रसार, जनसभाओं, रैलियों और प्रलोभनों के सहारे तय हो रही है। ईवीएम भी इसमें एक अपवाद है, जिस पर विवाद ख़त्म नहीं हुआ है। जनता के लिए चुनाव अपने मनपसंद नेताओं और पार्टियों को चुनने का एक मौक़ा है। लेकिन चुनाव हमेशा जाति, धर्म, प्रलोभन, शराब, पैसा और जीत की मीडिया-बयार के आधार पर साधे जाते हैं। स्थिति यह है कि जनता का रुझान भी कोई मायने नहीं रखता।

प्रलोभन लोगों का गला रेतने के लिए उन्हें ठीक वैसे ही तैयार कर लेता है, जैसे किसी चिड़िया को जाल में फँसाने के लिए अनाज के दाने। जनता नहीं समझती कि कोई पार्टी जितना पैसा चुनावों में लुटाती है या लोगों पर तरह-तरह से चुनावों में ख़र्च करती है, वह पार्टी जीत के बाद उतनी ही ज़्यादा लूट मचाती है।

लोगों की विडम्बना यह है कि वे बार-बार धोखा पाकर भी नहीं सुधरते। उनकी स्थिति उस जुआरी जैसी है, जो जुएँ में हर रोज़ हारता रहता है, और हारने के बाद हर रोज़ तौबा करके भी जुआँ खेलना नहीं छोड़ता। असल में जनता को लुटने-पिटने की आदत हो चुकी है। आपस में झगड़ना और लूटने वालों के पैरों में नाक रगड़ना ही अब ज़्यादातर लोगों ने सीख लिया है। ये लोग अपनों को बचाने के लिए किसी बाहर वाले से भले ही न लड़ें; लेकिन अपने मनपसंद नेताओं के लिए बिना मतलब किसी से भी हर समय झगड़ने को तत्पर रहते हैं। दिन भर मोबाइल चलाने, सोशल मीडिया पर ऊल-जुलूल राजनीतिक ख़बरें डालने-पढ़ने और उन पर होने वाली बहसों में उलझने वाले लोग आख़िर सिवाय अपना क़ीमती समय बिना मतलब बर्बाद करने के और कर भी क्या सकते हैं? यह भी कह सकते हैं कि ग़लत और अज्ञानी लोग हमेशा ग़लत और अज्ञानियों को ही अपना शासक चुनते हैं। विकासशील देशों में यही हो रहा है। लेकिन विकसित देशों में लोग अपने शासकों को बहुत सोच-समझकर चुनते हैं। उनके क़ानून भी सभी के लिए दाण्डिक प्रक्रिया के दायरे तय करते हैं। इसलिए अगर वे ग़लती से कोई अयोग्य या अन्यायी शासक चुन भी लें, तो भी उसे अपनी मर्ज़ी चलाने की बहुत छूट क़ानून नहीं देता। विकासशील देशों में क़ानून ताक़त, पद और पैसे के आधार पर सज़ा तय करता है। यही कारण है कि यहाँ जो भी शासक बनता है, वह निरंकुश हो जाता है।

इस स्थिति में अब सुधार होना चाहिए। ग़ुलामी की मानसिकता लोगों को अपंग बना देती है। उन्हें न अपने अधिकारों का ज्ञान होता है और न ही कर्तव्यों का। चार पैसे कमाना, खाना, शोर मचाना, गंदगी करना और आपस में झगड़ लेना ऐसे लोगों की ज़िन्दगी के हिस्से हैं। कोई सोच नहीं, कोई भविष्य की योजना नहीं, भावी पीढ़ियों की चिन्ता नहीं। ऐसे लोगों से भरे देश आख़िर तरक़्क़ी कैसे कर सकेंगे?

रायपुर में विमान में बम की सूचना पर मचा हड़कंप, इमरजेंसी लैंडिंग करवाई

रायपुर : छत्तीसगढ़ के रायपुर में स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट पर गुरुवार को नागपुर से कोलकाता जा रहे एक विमान में बम की सूचना मिलने के बाद विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी।

खबरों के अनुसार, विमान में बम होनने की धमकी मिलने के बाद सुरक्षा कारणों से रायपुर एयरपोर्ट पर उसकी इमरजेंसी लैंडिंग करने का निर्णय लिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा कर दिया गया और बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया।

यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और विमान को तुरंत खाली करवा लिया गया। विमान में सवार सभी यात्री सुरक्षित हैं, इस घटना के बाद रायपुर एयरपोर्ट पर कुछ समय के लिए उड़ानें प्रभावित हुईं। सुरक्षा को लेकर विमान की जांच जारी है।

डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में एक और भारतवंशी को मिली अहम जिम्मेदारी

वॉशिंगटन :डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट  में एक और हिंदू नेता की एंट्री हो गई है। ट्रंप ने भारतवंशी तुलसी गबार्ड को अमेरिका की नई राष्ट्रीय खुफिया निदेशक  के रूप में नियुक्त किया है। पूर्व कांग्रेस सदस्य तुलसी गबार्ड की पहचान अमेरिका की पहली हिंदू कांग्रेस वूमन  के तौर पर भी है। तुलसी गबार्ड एक सैनिक भी रह चुकीं हैं और विभिन्न मौकों पर मध्य पूर्व और अफ्रीका के युद्ध क्षेत्रों तैनात रही हैं। वह कुछ समय पहले डेमोक्रेट पार्टी से अलग हो गई थीं और चुनाव के समय रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं।

साल 2019 में तुलसी गबार्ड  ने डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद की प्राथमिक बहस में कमला हैरिस को शिकस्त दी थी। हालांकि वे राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी की दौड़ में पिछड़ गईं। साल 2022 में वो डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हो गईं थीं। ट्रंप ने चुनावी बहस में हैरिस को हराने के लिए तुलसी से मदद भी मांगी थी।

अमेरिकी में जन्मी तुलसी गबार्ड के पिता समोआ और यूरोपीय वंश के हैं, वहीं उनकी मां भारतीय हैं। हिंदू धर्म में उनकी रुचि के कारण उन्होंने उनका नाम तुलसी रखा।डोनाल्‍ड ट्रंप ने कई बड़े पदों पर नियुक्तियों के बाद टेस्ला प्रमुख एलन मस्क और करोड़पति उद्यमी से नेता बने विवेक रामास्वामी को भी बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। ट्रंप ने एलान किया है कि मास्क और रामास्वामी सरकारी दक्षता विभाग का नेतृत्व करेंगे।

विवके रामास्वामी एक धनी बायोटेक उद्यमी हैं। भले ही उनके पास किसी तरह का सरकारी अनुभव नहीं है, लेकिन उन्होंने कॉरपोरेट क्षेत्र में काम किया है और वह लागत में कटौती पर जोर दिया है।

आप विधायक अमानतुल्लाह खान को वक्फ बोर्ड मामले में राहत

नई दिल्ली : आप विधायक अमानतुल्लाह खान को राउज एवेन्यू कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले  में उनके खिलाफ दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया है। अदालत ने उन्हें रिहा  करने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं है, इसलिए संज्ञान लेने से इनकार किया जाता है। राउज एवेन्यू कोर्ट ने आगे कहा कि अमानतुल्लाह खान को 1 लाख के जमानत बांड और इतनी ही राशि के एक जमानती पर न्यायिक हिरासत से तुरंत रिहा किया जाएगा।

दिल्ली में अगले साल विधानसभा के चुनाव हैं और उससे पहले अमानतुल्लाह खान को ये राहत मिली है। अमानतुल्लाह ओखला से विधायक हैं। वह दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार हैं।

कोर्ट ने इससे पहले सप्लीमेंट्री चार्जशीट पर संज्ञान लेने या न लेने के बारे में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि वो 14 नवंबर को अपना आदेश सुनाएगा। अमानतुल्लाह खान पर आरोप है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड का चेयरमैन रहते उन्होंने वित्तीय अनियमिता की। ईडी ने अमानतुल्लाह खान को 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था।

दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी

श्रीनगर : दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में बदीगाम के पास सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ की खबर सामने आई है। इससे पहले, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में एलओसी के पास तीन से चार आतंकियों को घेर लिया गया था।

कुपवाड़ा के नागमर्ग में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ जारी है। यह क्षेत्र बांदीपोरा जिले और एलओसी से सटा हुआ है। अक्सर घुसपैठिए इस क्षेत्र का इस्तेमाल बांडीपोरा, सोपोर, गांदरबल और श्रीनगर के रास्ते दक्षिण कश्मीर जाने के लिए करते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नागमर्ग में आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिलने पर सुरक्षा बलों ने तड़के एक अभियान चलाया। आतंकी घने जंगलों में छिपे हुए हैं और सुरक्षा बलों ने उन्हें घेर लिया है। कुपवाड़ा और बांदीपोरा दोनों तरफ से सुरक्षाबलों के दस्ते भेजे गए हैं।

घेराबंदी में फंसकर आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की। दोनों तरफ से लगभग एक घंटे तक रुक-रुककर गोलीबारी हुई।

बंगाल में  टीएमसी  नेता की गोली मारकर हत्या

पश्चिम बंगाल की 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। उपचुनाव के बीच कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना जिले में बड़ी घटना घटी है। जगदल इलाके में टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) नेता की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। अज्ञात बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया है। टीएमसी नेता की हत्या के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है। मृतक की पहचान जगतदल वार्ड नंबर- 12 के पूर्व अध्यक्ष अशोक शॉ के रूप में हुई। वारदात के समय बदमाशों ने उन पर बम भी फेंका, जिससे आसपास के लोग भी घायल हो गए। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया।

घटना की जानकारी देते हुए उत्तर 24 परगना जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जगतदल पुलिस थाने से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित एक चाय की दुकान के सामने खड़े अशोक शॉ को बदमाशों ने गोली मारी और उन पर बम भी फेंका। बमबाजी के दौरान अशोक शॉ के आसपास खड़े अन्य लोग घायल हो गए। जानकारी मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और अशोक शॉ सहित अन्य घायलों को भाटपारा सरकारी अस्पताल ले गई। भाटपारा सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने अशोक शॉ को मृत घोषित कर दिया, जबकि अन्य घायलों को भर्ती कर इलाज शुरू किया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है। बमबाजी में कुछ अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिनका सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है। वहीं घटना की सूचना मिलते ही बैरकपुर पुलिस कमिश्नर आलोक राजोरिया भी भारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पहुंचे और जांच-पड़ताल की। बैरकपुर पुलिस कमिश्नर आलोक राजोरिया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि मामले की जांच-पड़ताल की जा रही है। कुछ संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। अभी तक की जांच में इस हत्या में कोई राजनीतिक संबंध नहीं मिला है। वहीं हत्या के बाद स्थानीय लोगों ने जगतदल पुलिस थाने के बाहर जमकर प्रदर्शन किया और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। वहीं स्थानीय लोगों ने बताया कि अशोक शॉ 2019 में वार्ड नंबर-12 से तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष थे। वह अभी भी टीएमसी के सक्रिय जमीनी कार्यकर्ता थे। बुधवार सुबह वह ऑटो से जा रहे थे। एक चाय की दुकान के पास पीछे से बाइक सवार कुछ युवक आए और पालघाट रोड पर बाइक से उन पर गोली चला दी। गोलियों की आवाज सुनकर स्थानीय लोग दौड़ पड़े, लेकिन तब तक बदमाश फरार हो गए। 

राजधानी दिल्ली की हवा में जहर, 355 दर्ज किया गया औसत एक्यूआई

नई दिल्ली :  राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा हुआ है। मंगलवार को दिल्ली औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 355 दर्ज किया गया, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है।

केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार दिल्ली में मंगलवार सुबह 7:30 बजे तक औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 355 दर्ज किया गया, जबकि दिल्ली एनसीआर के शहर फरीदाबाद में 205, गुरुग्राम में 234 गाजियाबाद में 269 ग्रेटर नोएडा में 286 और नोएडा में 235 एक्यूआई रहा। राजधानी दिल्ली की 5 इलाकों में एक्यूआई लेवल 400 से ऊपर बना हुआ है, जिसमें आनंद विहार में 404, जहांगीरपुरी में 418, मुंडका में 406, रोहिणी में 415, और वजीरपुर में 424 अंक बना हुआ है।

वहीं, दिल्ली के अन्य अधिकांश इलाकों में एक्यूआई स्तर 300 और 400 के बीच बना हुआ है, जिसमें अलीपुर में 358, अशोक विहार में 391, आया नगर में 347, बवाना में 393, बुराड़ी क्रॉसिंग में 374 चांदनी चौक में 371, मथुरा रोड में 347 डॉक्टर करणी सिंह शूटिंग रेलवे 345, डीटीयू में 364, द्वारका सेक्टर 8 में 366 और आईजीआई एयरपोर्ट में 344 एक्यूआई दर्ज किया गया। इसके अलावा आईटीओ में 347, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 322, लोधी रोड में 313, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 353, मंदिर मार्ग में 335, नजफगढ़ में 356, नरेला में 356, नेहरू नगर में 372, NSIT द्वारका में 364, ओखला फेस 2 में 354, पटपड़गंज में 371, पंजाबी बाग में 382, पूषा में 320, आर के पुरम में 366, शादीपुर में 361, सिरी फोर्ट में 342, सोनिया विहार में 380 और विवेक विहार में 385 एक्यूआई बना हुआ है। बता दें कि इससे एक दिन पहले सोमवार को दिल्ली में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 347 दर्ज किया गया था।

यासिर अराफात की 20वीं पुण्यतिथि पर वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों ने किया याद

वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों ने अपने दिवंगत फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात को उनकी 20वीं पुण्यतिथि पर याद किया। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को मध्य पश्चिमी तट के रामल्लाह में फिलिस्तीनी राष्ट्रपति परिसर में अराफात की कब्र पर एक समारोह आयोजित किया गया, जिसका आयोजन फिलिस्तीनी राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन (फतह) द्वारा किया गया था और इसमें अधिकारियों और आम लोगों दोनों ने भाग लिया।

इस कार्यक्रम में दर्जनों बच्चों सहित प्रतिभागियों ने फिलिस्तीनी झंडे, फतह के पीले बैनर और केफ़ियेह को उठाया, जिसे दिवंगत नेता अक्सर पहने हुए देखे जाते थे।

फतह के उप नेता महमूद अल-अलौल ने अपने भाषण में कहा कि इस साल अराफात की पुण्यतिथि इजरायली “आक्रामकता” के कारण फिलिस्तीनी लोगों के लिए “कठिन समय” में आई है।

अल-अलौल ने कहा कि फिलिस्तीनी लोग “बर्बरतापूर्ण युद्ध अपराधों” का सामना कर रहे हैं क्योंकि ये “कब्जा” सभी अंतरराष्ट्रीय समझौतों, कानून और मानदंडों की अनदेखी करता है। उन्होंने फिलिस्तीनियों के खिलाफ किए गए “उल्लंघन और अपराधों” पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की “चुप्पी” की भी आलोचना की।

यासिर अराफात फाउंडेशन बोर्ड के अध्यक्ष अहमद सोबोह ने कहा उन्होंने अस्तित्व, जीत और “हमारे अधिकारों और स्वतंत्र राज्य” को विश्व मंच पर सबसे आगे रखने के लिए राष्ट्रीय एकता के महत्व पर जोर दिया।

सोमवार को भी, तुलकरम और हेब्रोन सहित कुछ अन्य वेस्ट बैंक शहरों, कस्बों और गांवों ने अराफात की स्मृति में गतिविधियां, प्रदर्शन और फोटो प्रदर्शनी आयोजित की गई। अराफात का 11 नवंबर, 2004 को 75 वर्ष की आयु में फ्रांस के एक अस्पताल में अज्ञात बीमारी के कारण निधन हो गया था। फिलिस्तीनियों ने इजरायल पर जहर देकर मारने का आरोप लगाया था, लेकिन इजरायल ने इस दावे को नकार दिया।

इस साल पुण्यतिथि ऐसे समय में आई है जब गाजा पट्टी में हमास-इजरायल संघर्ष जारी है। ये जंग 7 अक्टूबर, 2023 को शुरू हुई थी। इस संघर्ष के परिणामस्वरूप 43,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए और देश को खासा नुकसान हुआ है।

इजरायली अधिकारियों के अनुसार, हमास के हमले में लगभग 1,200 इजरायली मारे गए थे और लगभग 250 को बंधक बनाया गया था।

रूस में ‘सेक्स मंत्रालय’ बनाने पर विचार कर रहे पुतिन

मॉस्को : रूस में घटती जनसंख्या दर को लेकर सरकार काफी चिंतित है। सूत्रों की माने तो रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अब देश में सेक्स मंत्रालय बनाने पर विचार कर रहे है। यह फैसला यूक्रेन युद्ध के बाद से लगातार घटती जनसंख्या दर को देखते हुए लिया गया है। रूसी संसद की पारिवारिक सुरक्षा समिति की अध्यक्ष नीना ओस्टेनिना इस प्रस्ताव की समीक्षा कर रही हैं।

इस मंत्रालय के माध्यम से सरकार जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के उपाय करने पर विचार कर रही है। इनमें से कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:

रात 10 बजे से सुबह 2 बजे तक इंटरनेट और लाइटें बंद : इस दौरान जोड़े अपनी अंतरंग गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

घर पर काम करने वाली माताओं को भुगतान :  इससे महिलाएं आसानी से बच्चे पैदा कर सकेंगी।

पहली डेट पर 5,000 रूबल तक का फंड :  इससे युवाओं को डेटिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

शादी की रात के होटल का खर्च सरकार उठाएगी : इससे जोड़े शादी के बाद आसानी से गर्भधारण कर सकें।

रूस के अलग-अलग इलाकों में दंपतियों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रेरित करने के उपाय किए जा रहे हैं। सरकार का मानना है कि ‘सेक्स मंत्रालय’ के गठन से देश की जनसंख्या में वृद्धि होगी। वहीं, रूस में ‘सेक्स मंत्रालय’ बनाने के फैसले को लेकर कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोग इसे अजीब मान रहे हैं।