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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को  नहीं मिली जमानत

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मुकदमे में तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत की मांग और इसी मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिकाओं पर शुक्रवार 13 सितंबर को अपना फैसला सुनाएगा।

शीर्ष अदालत की बेवसाइट के मुताबिक न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ अपना फैसला सुनाएगी। याचिकाकर्ता केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और सीबीआई की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू की घंटों दलीलें के बाद पीठ ने पांच सितंबर को सुनवाई पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आम आदमी पार्टी के प्रमुख श्री केजरीवाल ने सीबीआई मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से 05 अगस्त को अपनी याचिकाएं ठुकरा दिए जाने के बाद शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (जो विवाद के बाद रद्द कर दी गई) के कथित और अनियमितताओं के मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च और सीबीआई में 26 जून 2024 को आरोपी मुख्यमंत्री केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की गिरफ्तारी के समय वह ईडी के मुकदमे में न्यायिक हिरासत में थे।

सीबीआई ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुकदमे में मार्च से न्यायिक हिरासत में बंद आरोपी मुख्यमंत्री केजरीवाल को विशेष अदालत की अनुमति के बाद 25 जून को पूछताछ और फिर 26 जून को गिरफ्तार किया था। शीर्ष अदालत ने आबकारी नीति कथित घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से दर्ज मुकदमे में केजरीवाल को 12 जुलाई को अंतरिम जमानत दे दी थी। यदि सीबीआई की ओर से जून में मुकदमा दर्ज नहीं किया गया होता तो वह जेल से रिहा कर दिए गए होते। शीर्ष अदालत ने इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्हें अंतरिम जमानत दी थी।

आबकारी नीति बनाने और उसके कार्यान्वयन में की गई कथित अनियमितताओं के आरोप के आधार पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 17 अगस्त 2022 को एक आपराधिक मुकदमा दर्ज किया था। इसी आधार पर ईडी ने 22 अगस्त 2022 को धनशोधन का मामला दर्ज किया था। शुरू में मुख्यमंत्री केजरीवाल का नाम आरोपियों में नहीं था। सीबीआई मामले में शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई के दौरान केंद्रीय जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को जमानत दिए जाने की दलीलों का पुरजोर विरोध करते हुए कहा था कि अधिनस्थ अदालत को दरकिनार करने की अनुमति केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है। इस पर केजरीवाल पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्री सिंघवी ने दलील दी थी कि सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत आरोपी को नोटिस जारी करने के संबंध में वर्तमान याचिका में उठाए गए आधारों पर हिरासत के दौरान बहस की गई थी। इसके बाद विशेष अदालत ने उसे खारिज कर दिया था। इसलिए याचिकाकर्ता को फिर से उसी मुद्दे पर वहां बहस करने के लिए वापस भेजना न्यायोचित नहीं होगा।

पीठ के समक्ष गुरुवार पांच सितंबर 2024 को श्री सिंघवी ने कहा, “शायद यह एकमात्र ऐसा मामला है, जिसमें मुझे (केजरीवाल) इस अदालत से सख्त धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत दो रिहाई आदेश मिले।उच्च न्यायालय से एक और विस्तृत आदेश मिला। फिर सीबीआई द्वारा पहले से तय गिरफ्तारी हुई।” शीर्ष अदालत को सिंघवी ने यह भी बताया कि केजरीवाल का नाम 2022 में दर्ज मुकदमे में नहीं था और उन्हें इस साल 2024 जून में गिरफ्तार किया गया था।उन्होंने कहा, “तीन अदालती आदेश मेरे पक्ष में हैं। यह एक पहले से तय की गई गिरफ्तारी है, ताकि उन्हें (मुख्यमंत्री) जेल में रखा जा सके।” वरिष्ठ अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल का पक्ष रखते हुए आगे कहा, “सबूतों के साथ छेड़छाड़ का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि लाखों दस्तावेज हैं, जिनमें से कई तो डिजिटल हैं। उनके मुवक्किल न्यायिक हिरासत में रहते हुए गवाहों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं और इस मामले में पांच आरोप पत्र भी दाखिल किए गए हैं।”

उन्होंने दिल्ली आबकारी नीति मामले से संबंधित अन्य आरोपियों – दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सांसद संजय सिंह और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की विधान पार्षद के कविता के जमानत आदेशों का हवाला दिया। शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया था। ये नेता जेल से रिहा कर दिए गए हैं। सिंघवी ने आगे कहा कि सीआरपीसी की धारा 41ए को 2010 में गिरफ्तारियों को विनियमित करने के लिए पेश किया गया था और इसका उद्देश्य मनमानी गिरफ्तारियों को रोकना और यह सुनिश्चित करना था कि कानून प्रवर्तन अधिकारी बिना किसी वैध आधार के किसी को गिरफ्तार न कर सकें। दूसरी ओर राजू ने केजरीवाल की याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने पहले सत्र न्यायालय में गुहार लगाने की बजाय सीधे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

उन्होंने कहा, “यह मेरी प्रारंभिक आपत्ति है। गुण-दोष के आधार पर अधीनस्थ अदालत को पहले इस पर विचार करना चाहिए था। उच्च न्यायालय को गुण-दोष देखने के लिए बनाया गया था और यह केवल असाधारण मामलों में ही हो सकता है। सामान्य मामलों में पहले सत्र न्यायालय का रुख करना पड़ता है। वे (केजरीवाला) यहां आए और फिर उन्होंने उच्च न्यायालय का रुख किया और फिर वे फिर से शीर्ष अदालत आए।” एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने यह भी दावा किया कि केजरीवाल ने अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के माध्यम से पंजाब के एक आबकारी लाइसेंस धारक को परेशान करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल किया। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपी केजरीवाल को कोई भी राहत उच्च न्यायालय पर मनोबल गिराने वाला प्रभाव डालेगी। हालांकि, पीठ ने कहा कि उन्हें (राजू को) यह दलील नहीं देनी चाहिए थी। हालांकि, श्री राजू ने स्पष्ट किया कि उनके खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट उच्च न्यायालय के समक्ष उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने कहा कि किसी विशेष व्यक्ति के लिए जमानत के संबंध में विशेष व्यवहार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कानून में कोई विशेष व्यक्ति नहीं है और “अन्य सभी ‘आम आदमी’ (आम आदमी) को सत्र न्यायालय जाना होगा।”

गवाहों के बयान पढ़ते हुए श्री राजू ने दावा किया था कि इससे संकेत मिलता है कि अरविंद केजरीवाल दिल्ली आबकारी नीति मामले में “मुख्य साजिशकर्ता” हैं। चुनाव में रिश्वत के पैसे के इस्तेमाल का दावा करते हुए राजू ने कहा था कि गोवा में कई अन्य लोग भी इस मामले में फंसे हुए हैं और अगर केजरीवाल जमानत पर बाहर आते हैं तो वे गवाह मुकर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक हलफनामे में सीबीआई ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने के अपने निर्णय को उचित ठहराते हुए दावा किया कि नई आबकारी नीति तैयार करने में सभी महत्वपूर्ण निर्णय दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के इशारे पर तत्कालीन उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलीभगत करके लिए गए थे‌। ये फैसले 100 करोड़ रुपये की अवैध रिश्वत के लिए किए गए थे।

सेमीकंडक्टर सेक्टर में भारत का बड़ा दांव, प्रधानमंत्री मोदी ने किया ये ऐलान

नई दिल्ली:  सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत को पूरी तरीके से आत्मनिर्भर बनाने और अन्य देशों को यहां आकर अपनी फैक्ट्री खोलने और निवेश के लिए प्रेरित करने के लिए सेमीकॉन इंडिया का आयोजन किया गया। जिसमें पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान किया है। सेमीकॉन इंडिया 2024 को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारा सपना है कि दुनिया के हर इलेक्ट्रॉनिक्स में भारत में बनी चिप लगी हो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश में सेमीकंडक्टर की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए निवेश का आह्वान किया।

पीएम मोदी ने कहा कि अगर भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में जगह बनानी है, तो उसके लिए कॉम्पिटीटिव होना एक अहम शर्त है। पीएम मोदी ने कहा कि आज स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक वाहन और एआई तक हर चीज के लिए सेमीकंडक्टर आधार है। पीएम ने कहा कि कोविड-19 जैसीवैश्विव महामारी ने सेमीकंडक्टर और उसकी सप्लाई चेन की जरूरत को सबसे सामने लाया। इस दौरान दुनिया ने सप्लाई चेन का संकट देखा, जिससे आपूर्ति प्रभावित हुई। चीन ने कोविड के प्रसार को रोकने के लिए जो कदम उठाए, उससे दुनिया के उन देशों में उद्योग प्रभावित हुए जो सेमीकंडक्टर के लिए चीन से आयात पर निर्भर थे। इसलिए आने वाले समय में इससे जुड़े किसी भी व्यवधान को खत्म करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर गौर किया जाना चाहिए। आज सेमीकंडक्टर हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस मौके पर पीएम मोदी ने अपने एक सपने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा,”हमारा सपना है कि दुनिया के हर डिवाइस में भारत में बनी चिप हो। हम भारत को सेमीकंडक्टर सेक्टर में वर्ल्ड पावर बनाने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे।” सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने उनकी सरकार के कार्यकाल में उठाए गए कदमों की चर्चा की है। देश में चिप मैन्यूफैक्चरिंग के लिए ”थ्री-डी पावर” की अवधारणा पर फोकस किया गया है, इसमें सुधारवादी सरकार की स्थिर नीतियां, मैन्युफैक्चरिंग का मजबूत आधार और एस्पिरेशनल मार्केट का टेक्नोलॉजी को अपनाना शामिल है। आज का भारत दुनिया में विश्वास जगाता है, जब मुश्किलें आती हैं, तो आप भारत पर भरोसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर सेक्टर में 1.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक का निवेश पहले ही किया जा चुका है और कई प्रोजेक्ट पाइपलाइन में हैं।

सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए देश में कई चुनौतियां पार करनी हैं। इनमें सप्लाई चेन, कच्चा माल और उपकरण, टेस्टिंग फैसिलिटी और स्किल्ड मैनपावर सबसे अहम है। ऐसे में इसकी क्षमता को बढ़ाकर कई गुना करने का प्लान है। ताकि आत्मनिर्भरता के साथ प्रदेश की इकोनॉमी का लक्ष्य 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सके।

एक्ट्रेस मलाइका अरोड़ा के पिता ने छत से कूदकर किया सुसाइड

मुंबई : बालीवुड से इस समय हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। जानकारी के अनुसार अभिनेत्री मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा ने घर की छत से कूदकर आत्महत्या कर ली है।

इस खबर के सामने आने के बाद बालीवुड जगत में शोक की लहर छा गई है। वहीं इस खबर के सामने आने के बाद हर कोई हैरान है। लेकिन उनके सुसाइड करने की वजह अभी तक सामने नहीं आई है। जानकारी के अनुसार छत से कूदकर सुसाइड करने के बाद उन्हें नजदीक के अस्पताल ले जाया गया। जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, आत्महत्या का कारण व्यक्तिगत या मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित हो सकता है, लेकिन फिलहाल कोई निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और अनिल अरोड़ा के परिवार की ओर से दिए गए बयान के आधार पर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की जा रही है।

बॉलीवुड अभिनेता अरबाज़ ख़ान ने मलाइका अरोड़ा के पिता अनिल अरोड़ा के निधन के बाद उनके पहुंचकर शोक व्यक्त किया। अनिल अरोड़ा की आत्महत्या की खबर आज सुबह सामने आई थी, जिसने परिवार और उनके करीबियों को गहरा झटका दिया है। अरबाज़ ख़ान, जो मलाइका अरोड़ा के पूर्व पति हैं, ने इस मुश्किल समय में मलाइका और उनके परिवार के प्रति समर्थन और सांत्वना व्यक्त की। उन्होंने मलाइका की माँ के घर जाकर शोक संवेदना प्रकट की और परिवार को इस कठिन घड़ी में समर्थन देने की कोशिश की।

पाकिस्तान में आए भूकंप से हिला उत्तर भारत

नई दिल्ली : आज दोपहर 12:58 बजे उत्तर भारत के बड़े हिस्सों में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसके अलावा, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में भी भूकंप की जानकारी प्राप्त हुई है। भारत के नेशनल सेंटर फॉर सेसमोलॉजी ने भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.7 आंकी है और इसके केंद्र को पाकिस्तान में डेरा गाजी खान के पास माना जा रहा है। भूकंप के चलते लोगों में डर का माहौल देखने को मिला। भूकंप की गहराई लगभग 10 किलोमीटर थी, जिससे झटकों की तीव्रता अपेक्षाकृत कम महसूस की गई।

पाकिस्तान के अखबार “द ट्रिब्यून” के अनुसार, खैबर पख्तूनख्वा से लेकर पंजाब तक भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। अमेरिकी जियोलॉजिकल सर्वे ने भूकंप की तीव्रता 5.4 के करीब बताई है। पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र के शहरों जैसे मियांवाली, खानेवाल, टोबा टेक सिंह, गुजरात, सरगोधा और झांग, साथ ही राजधानी इस्लामाबाद, मुल्तान और लाहौर में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर, स्वात घाटी, और उत्तरी वजीरिस्तान में भी भूकंप आया है।

फिलहाल, किसी भी देश में जान या माल के नुकसान की कोई रिपोर्ट नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर सेसमोलॉजी के अनुसार, यदि भूकंप की तीव्रता 6 से कम है, तो आमतौर पर बड़ा खतरा नहीं होता है। हालांकि, भूकंप का केंद्र जमीन के काफी नीचे था, जिससे इसका प्रभाव अपेक्षाकृत अधिक हो सकता था। यह भूकंप 29 अगस्त को अफगानिस्तान में आए भूकंप के ठीक बाद हुआ है। राहत और बचाव एजेंसियां स्थिति की निगरानी कर रही हैं और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं।

केदारनाथ मार्ग पर गौरीकुंड और सोनप्रयाग के बीच भूस्खलन, 5 तीर्थयात्रियों की मौत

देहरादून : उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर भूस्खलन के कारण फंसे तीर्थयात्रियों में से मंगलवार सुबह चार और शव बरामद हुए हैं, जिससे मृतकों की संख्या आज पांच हो गई है। जबकि तीन अन्य को घायल अवस्था में बाहर निकाला गया है। मृतक और घायलों में पड़ोसी देश नेपाल के साथ, मध्य प्रदेश और गुजरात के यात्री शामिल हैं। राहत और बचाव कार्य अभी जारी है।

रूद्रप्रयाग के अपर जिलाधिकारी श्याम सिंह राणा ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि कोतवाली सोनप्रयाग क्षेत्रान्तर्गत, सोनप्रयाग से लगभग 01 किमी दूर गौरीकुण्ड की तरफ हाल ही में हुए भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र में गौरीकुण्ड से सोनप्रयाग की ओर आ रहे कुछ यात्री मलबे में दब गए हैं। सूचना पर पुलिस, प्रशासन, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ व डीडीआरएफ की ओर से संयुक्त बचाव अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान देर रात तीन व्यक्तियों को घायल अवस्था में बाहर निकाला गया, जबकि एक अचेत अवस्था में मिला जिसे डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। उन्होंने बताया कि यहां पर रात के समय खराब मौसम व लगातार मलबा-पत्थर आने के कारण रेस्क्यू टीमों को अपना कार्य करने में दिक्कतें आयी व बचाव कार्य रोकना पड़ा।

राणा के अनुसार, मंगलवार तड़के रेस्क्यू टीमों द्वारा फिर बचाव कार्य शुरू किया गया। इस स्थल पर 3 व्यक्ति (2 महिला व 1 पुरुष) अचेत अवस्था में मिले, जिनको डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किया गया है। उन्होंने बताया कि लगातार चले बचाव अभियान के दौरान, कुछ देर बाद रेस्क्यू टीमों को एक और महिला अचेत अवस्था में मिली, जिनको डॉक्टरों द्वारा मृत घोषित किया गया है। इस प्रकार इस हादसे में मृतकों की संख्या 05 हो गई है।

उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान गोपाल पुत्र भक्तराम, निवासी जीजोड़ा, पोस्ट राजोद, जिला धार, मध्य प्रदेश, उम्र 50 वर्ष, दुर्गाबाई खापर पत्नी संघन लाल निवासी नेपावाली, जिला घाट, मध्य प्रदेश, उम्र 50 वर्ष, तितली देवी पत्नी राजेंद्र मंडल, निवासी ग्राम वैदेही, जिला धनवा, नेपाल, उम्र 70 वर्ष, भारत भाई निरालाल पुत्र निरालाल पटेल, निवासी ए 301, सरदार पैलेस करवाल नगर, खटोदरा, सूरत, गुजरात, उम्र 52 वर्ष और समनबाई पत्नी शालक राम, निवासी झिझोरा, जिला धार मध्य प्रदेश, उम्र 50 वर्ष के रूप में हुई है।

अपर जिलाधिकारी राणा ने बताया कि इसके अतिरिक्त, जीवच तिवारी पुत्र रामचरित, निवासी धनवा नेपाल, उम्र 60 वर्ष, मनप्रीत सिंह पुत्र कश्मीर सिंह, निवासी वेस्ट बंगाल, उम्र 30 वर्ष और छगनलाल पुत्र भक्त राम, निवासी राजोत, जिला धार, मध्य प्रदेश, उम्र 45 वर्ष को घायल अवस्था में रेस्क्यू किया गया है। जिनका उपचार किया जा रहा है।

रूद्रप्रयाग के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि जनपद पुलिस के स्तर से यात्रियों की सुरक्षा के दृष्टिगत रात्रि के 06:30 बजे के बाद आवाजाही बिल्कुल बन्द कर दी गयी थी। जो लोग इस समयावधि से पहले गौरीकुण्ड से सोनप्रयाग की ओर चले गये थे, उन लोगों के साथ यह हादसा हुआ। उन्होंने बताया कि बाधित चल रहा मार्ग पैदल आवागमन के लिए खुल चुका है। सुरक्षा बलों की देखरेख में यात्रियों को सुरक्षित तरीके से सोनप्रयाग की ओर भेजा जा रहा है।

मणिपुर में फिर सुलगी हिंसा की चिंगारी, इंफाल समेत तीन जिलों में लगा कर्फ्यू

मणिपुर : मणिपुर में हिंसा की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर राजधानी इंफाल समेत तीन जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। सोमवार को महिलाओं द्वारा ड्रोन हमलों के विरोध में मशाल जुलूस निकालने के बाद स्थिति और भी बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने समोवार को राजभवन पर पथराव किया, जिससे प्रशासन ने कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया।

इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और थौबल जिलों में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू किया गया है। इन जिलों में बीएनएसएस की धारा 162 (2) को लागू कर दिया गया है। जिला मजिस्ट्रेट के आदेश के अनुसार, कर्फ्यू 10 सितंबर की सुबह 11 बजे से प्रभावी हो गया है और अगले आदेश तक जारी रहेगा।

कर्फ्यू के दौरान आवश्यक सेवाओं जैसे बिजली, कोर्ट, स्वास्थ्य सेवाएं और मीडिया को छूट दी गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग को लेकर छात्रों द्वारा बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की संभावना के चलते कर्फ्यू का निर्णय लिया गया।

इंफाल में स्कूल और कॉलेजों के सैकड़ों छात्र पूरी रात ख्वारिमबांद मार्केट में ठहरे रहे। महिलाओं ने उन्हें कैंप लगाने के लिए जगह प्रदान की। सोमवार को हजारों छात्रों ने मणिपुर सचिवालय और राजभवन के बाहर प्रदर्शन किया। हालिया हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई है और 12 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

छात्रों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार से छह प्रमुख मांगें रखीं, जिनमें डीजीपी और सुरक्षा सलाहकार की हटाने की मांग भी शामिल है। छात्रों ने यूनीफाइड कमांड को राज्य सरकार को सौंपने की बात भी कही है, वर्तमान में इसका जिम्मा सीआरपीएफ के डीजी कुलदीप सिंह के पास है।

कांगपोकपी जिले में दो हथियारबंद समूहों के बीच संघर्ष में एक 46 वर्षीय महिला की मौत हो गई। पुलिस के अनुसार, यह घटना रविवार रात को सुदूरवर्ती थांगबूह गांव में घटी। गांव में कुछ मकानों में आग भी लगाई गई, जिससे स्थानीय लोग पास के जंगलों में शरण लेने को मजबूर हो गए। मृतक महिला की पहचान नेमजाखोल लहुंगडिम के रूप में हुई है। चुराचांदपुर जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद महिला का शव उनके परिवार को सौंप दिया गया है।

भारत जब बेहतर स्थिति में होगा तब हम आरक्षण खत्म करने पर विचार करेंगे: राहुल गांधी

नई दिल्ली : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी आजकल अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान उनके बयानों पर विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिकी दौरे पर गए राहुल गांधी ने कहा है कि जब कभी भारत बेहतर स्थिति में होगा, तब कांग्रेस पार्टी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेगी। इस पर मायावती ने कहा कि ओबीसी, एससी और एसटी वर्ग के लोग राहुल गांधी के इस नाटक से सतर्क रहे। कांग्रेस पार्टी सत्ता में आते ही आरक्षण खत्म कर देगी। संविधान और आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से लोग जरूर सजग रहें। अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने एक शख्स से उसका नाम पूछा और कहा कि भारत में इस बात को लेकर लड़ाई है कि एक सिख को पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत दी जाएगी, क्या एक सिख गुरुद्वारे जा सकता है। राहुल गांधी ने कहा कि सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि लड़ाई किस बात को लेकर है। लड़ाई राजनीति को लेकर नहीं है। इस तरह की लड़ाई सिर्फ सिखों के लिए नहीं, बल्कि सभी धर्मों के लिए है। राहुल गांधी के बयान पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने पलटवार करते हुए उन पर केस करने की बात कही और कहा कि वो उन्हें कोर्ट में घसीटेंगे।

गाजा में कहर बनकर टूटा इजरायल, खान यूनिस में किया हवाई हमला; 40 की मौत-65 घायल

गाजा : गाजा में इजरायली हवाई हमले में 40 लोगों की मौत की खबर है। करीब 65 लोग घायल हैं। यह जानकारी गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने साझा की। मंगलवार को इजरायल ने फिलिस्तीनी क्षेत्र के दक्षिण में एक मानवीय क्षेत्र पर हमला। इजरायल की सेना का कहना है कि उसने इस क्षेत्र में हमास कमांड सेंटर को निशाना बनाया है। इजरायली सेना ने यह हमला गाजा के खान यूनिस शहर के अल-मवासी इलाके में किया। यह वह इलाका है जिसे इजरायल की सेना ने युद्ध शुरू होने पर सुरक्षित क्षेत्र घोषित किया था। यहां पर हजारों की संख्या में फिलिस्तीनियों ने शरण ले रखी है।

स्थानीय लोगों और डॉक्टरों ने कहा कि खान यूनिस के पास अल-मवासी में एक टेंट कैंप में चार मिसाइलों से हमला किया गया। यह शिविर विस्थापित फिलिस्तीनियों से भरा हुआ है। गाजा नागरिक आपातकालीन सेवा के मुताबिक 20 टेंटों में आग लग गई। इजरायली मिसाइलों ने नौ मीटर (30 फुट) तक गहरे गड्ढे बना दिए हैं। घायल 65 लोगों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

इजरायली सेना ने कहा कि उसने खान यूनिस में मानवीय क्षेत्र के अंदर स्थित एक कमांड और नियंत्रण केंद्र के भीतर काम कर रहे हमास के आतंकवादियों पर हमला किया। हमास ने इजरायल के आरोपों से इनकार किया। हमास ने एक बयान में कहा, “यह एक स्पष्ट झूठ है। इसका उद्देश्य इन घृणित अपराधों को उचित ठहराना है। हमने कई बार इनकार किया है कि उसके कोई भी सदस्य नागरिक सभाओं में मौजूद नहीं हैं। न ही इनका सैन्य उद्देश्यों से इस्तेमाल कर रहे हैं।”

आन्दोलन और अराजकता का फ़र्क़

शिवेन्द्र राणा

कोलकाता की महिला चिकित्सक के साथ हुई यौन हिंसा एवं हत्या और उसके बाद उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में यौन हिंसा के जघन्य अपराधों ने पूरे राष्ट्रीय समाज को शर्मसार कर दिया। इन घटनाओं ने इस विचार की ही पुष्टि की कि आधुनिकता एवं सभ्यता के तमाम दावों के बावजूद जंगलीपन का एक अंश अभी भी मानवीय जीवन में न सिर्फ़ सक्रिय है, बल्कि समय-समय पर ख़तरनाक रूप से प्रभावी भी हो जाता है। कोलकाता की घटना के बाद चिकित्सक वर्ग में जो आक्रोश दिखा, जैसा उनका आन्दोलन और विरोध-प्रदर्शन हुआ, वह स्वाभाविक था; क्योंकि मानव जीवन सुरक्षा के लिए समर्पित चिकित्सकों के सम्मान एवं जीवन की सुरक्षा राष्ट्र की ज़िम्मेदारी है। अत: आम जनता भी उनके ग़म और ग़ुस्से से उपजे आन्दोलन की समर्थक ही नहीं, बल्कि सहभागी भी थी।

लेकिन इसके बाद यह आन्दोलन विरोध से इतर ज़िद एवं अहम् का टकराव बन गया। देश के तमाम हिस्सों में डॉक्टर्स एसोसिएशन ने चिकित्सिय सेवा ठप कर कई प्रकार की माँगें रखीं, जिनमें सुरक्षा और तत्कालीन माँगें तो थीं ही, साथ ही कुछ समूह तत्काल दाण्डिक क़ानून बनाने के साथ ही त्वरित न्याय करते हुए आरोपियों को अविलम्ब सज़ा देने की माँग करने लगे। उधर आन्दोलन का तात्कालिक परिणाम यह हुआ कि अस्पतालों में मरीज़ तड़पते रहे और आन्दोलनकारियों के साथ ही मरीज़ और तीमारदार सभी सड़कों पर थे। कोई ग़म-ग़ुस्से में, तो कोई अपनी पीड़ा में।

ख़ैर, इस मामले के कुछ पार्श्व पहलुओं पर विमर्श आवश्यक है। उदाहरणस्वरूप पिछले कुछ समय में एक-दो राज्यों में ही महिला पुलिसकर्मियों के साथ ऐसी यौन हिंसा की घटनाएँ भी घटीं। हालाँकि उनमें से कुछ ने पुरुष सहकर्मियों पर ही आरोप लगाए। लेकिन क्या ऐसी घटनाओं पर पूरे पुलिस महकमे को ड्यूटी छोड़ हड़ताल पर चले जाना चाहिए था। लेकिन उसके बाद क़ानून व्यवस्था की क्या गति होती? डॉक्टरों का उच्च शिक्षित वर्ग यह नहीं समझ पाया कि उनके प्रोफेशन की समाज के लिए क्या महत्ता है? वे नगर निगम के कर्मचारी नहीं हैं, जिनकी कामबंदी से सड़कें-नाले साफ़ नहीं होंगे या जन्म प्रमाण-पत्र, भूमि के रिकॉर्ड जैसे काग़ज़ात नहीं बनेंगे, तो आम नागरिक का जीवन उतना प्रभावित नहीं होगा।

आप रेलवे, शिक्षण या डीआरडीओ, आईजीएनसीए आदि शोध संस्थानों जैसी सेवा का हिस्सा भी नहीं हैं, जिसका ठप पड़ना कोई त्वरित संकट पैदा करता है; बल्कि आपकी कार्यक्षमता व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। आप धरती पर श्रेष्ठ ईश्वरीय विधान के जीवन रक्षक हैं। आप ही अपने कर्तव्य से मुँह मोड़ेंगे, तो स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ ध्वस्त हो जाएँगी और हुईं भी। चिकित्सक जीवन-मरण को साधने वाली विद्या के प्रतिनिधि हैं। उनका अपने कर्तव्य से विमुख होना मानवीय जीवन के लिए घातक और प्राणान्तक होगा। क्या हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों को इसका ध्यान नहीं रहा? अत: स्पष्ट कहें, तो यह विशुद्ध भयादोहन (ब्लैकमेलिंग) है, जहाँ आम जनता की जान दाँव पर लगाकर आप सत्ताओं को झुकाना और समाज को डराकर अपनी प्रभावित साबित करना चाहते हैं। यदि आप अपना कार्य करते हुए विरोध जताते हैं, तो समाज में आपके प्रति आदर तथा समर्थन और बढ़ता।

रही अपराध की बात, तो मानव सभ्यता के शुरुआत के साथ ही यह रहा है और जब तक कठोर दण्ड विधान नहीं होगा, यह रहेगा। जैसे अर्थशास्त्रीय भाषा में पूर्ण रोज़गार की आदर्श स्थिति असंभव है, वैसे ही सम्पूर्ण अपराध मुक्त समाज की संकल्पना ऐसी व्यवस्था में एक यूटोपिया सरीखा विचार है। यहाँ ज़रूरत है अपराधों और वीभत्सता की त्वरा शमन और रोकथाम की। अपराधियों पर अंकुश लगाने की। यदि अपराध हो चुका है, तो अपराधियों के विरुद्ध त्वरित कठोर दाण्डिक कार्यवाही की। ऐसे ज़्यादातर मामलों में पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई दोषपूर्ण रही है, जिसे न्यायालय एवं विशेष जाँच एजेंसियों की सक्रियता के बाद अपनी उचित दिशा मिली है। लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल से आर्थिक रूप से सक्षम मरीज़ों के लिए तो निजी नर्सिंगहोम का विकल्प हैं; लेकिन ग़रीब, वंचित वर्ग के मरीज़ क्या करें? धरती के भगवान तो उन्हें मरने के लिए छोड़ गये हैं। इधर पिछले क़रीब 11 दिनों में निजी अस्पतालों की पौ-बारह रही। ऐसे हड़ताल तो उनके लिए नोट छापने के मा$कूल मौक़े होते हैं। उन्हें ऐसी अराजकता में भी मानो अवसर मिल गया हो। प्राइवेट प्रैक्टिसर्न्स तो इसे लम्बा खींचते देख ख़ुश ही होंगे। उनकी कमायी बढ़ गयी। किसी शायर ने ठीक ही कहा है :-

‘सहमी हुई है झोपड़ी बारिश के ख़ौफ़ से,

महलों की आरजू है कि बरसात तेज़ हो!’

यानी सवाल वही है। आख़िर एक व्यक्ति के कुकृत्य का दंड सम्पूर्ण समाज क्यों भुगते? जबकि वह स्वयं आपके संघर्ष का सहयोगी तथा पक्षधर है, तब तो यह अनुचित भी है। देश आपकी मौलिक माँग सुनकर स्वीकार रहा है। उसका समर्थन कर रहा है; लेकिन क्या आप आम जनता के शारीरिक व्याधियों से उपजी पीड़ा की दर्दनाक आवाज़ें सुन रहे हैं? और कैसा त्वरित न्याय चाहिए आपको? इस देश में कोई भी इस दुष्कृत्य को जायज नहीं ठहरा रहा है; लेकिन आधुनिक जम्हूरियत में न्यायिक प्रक्रिया का औचित्य एवं न्याय प्रणाली के सम्मान का अर्थ समझना होगा। देश में न्यायपालिका है। वह अपना काम करेगी, फ़ास्ट ट्रैक अदालतें हैं, परिष्कृत दंड संहिता, महिला अपराध विरोधी कड़े क़ानून हैं। इसके बावजूद त्वरित न्याय की माँग का तो अब एक ही मतलब बचा है कि तत्क्षण शरई अदालत लगाकर बीच चौराहे अपराधियों का सिर काट दिये जाएँ। या अंग-भंग किया जाए या उन्हें गोली मारी जाए। हालाँकि उनका अपराध इतना जघन्य है कि ये सज़ाएँ भी बहुत छोटी हैं। लेकिन न्याय के ऐसे बर्बर तरीक़े अपनाकर क्या आप अपनी लोकतांत्रिक प्रगति को पश्चगामी दिशा में नहीं धकेलेंगे? क्या आप मध्ययुगीन जीवनशैली में लौटने को उतारू हैं?

इसके अतिरिक्त नये आपराधिक क़ानून का निर्धारण तथा इसे त्वरित लागू करना जैसे माँग तात्कालिक भावुक दावे, तो हो सकते हैं; लेकिन यह संवैधानिक गरिमा नहीं है। क़ानून सड़कें बनाने की जगह नहीं है। इसके लिए देश में संसद और विधानमंडल हैं। अधिकार के नाम पर अराजकता को गौरवान्वित एवं संवैधानिक न्याय का विकृतिकरण स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसी परिप्रेक्ष्य में बताते चलें कि बिहार में छात्र आन्दोलन के तीव्र होने के दौरान उस समय के महाराष्ट्र के प्रसिद्ध समाजसेवी एवं पूर्व आईसीएस अधिकारी आर.के. पाटिल, जिनका महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाक़ों में अपने कार्यों के कारण काफ़ी सम्मान था; ने 04 अक्टूबर, 1974 को जे.पी. को लिखे पत्र में लिखा- ‘इंदिरा गाँधी सरकार की ख़ामियों से पूरी तरह वाक़िफ़ हैं; लेकिन वह इस बारे में अभी तक आश्वस्त नहीं हैं कि क्या गलियों-मोहल्लों की बहस से चलने वाली सरकार संसदीय बहसों द्वारा बने क़ानून के तहत चल रही सरकार से बेहतर हो पाएगी? आज आप अच्छाई के लिए लड़ रहे हैं; लेकिन इतिहास गवाह है कि भीड़ द्वारा चलाया जाने वाला आन्दोलन रॉब्सपियर भी पैदा कर सकता है।’

निकट ही बांग्लादेश का उदाहरण देखिए कि एक लोकतांत्रिक आन्दोलन कैसे हिन्दू एवं भारत विरोधी तथा अपने ही देश के स्वतंत्रता आन्दोलन के विरुद्ध हो गया है। राष्ट्रीय नायक शेख़ मुजीबुर्रहमान की प्रतिमाएँ तोड़ीं एवं अभद्र तरीक़े से अपमानित की गयीं। हिन्दुओं के घर, उपासना स्थल, दुकानें लूटी गयीं। उनकी हत्याएँ हुईं। औरतों का बलात्कार हुआ। वो इसलिए, क्योंकि आन्दोलन में जब ध्येय की नैतिकता पतित होती है, तो वो अराजकतापूर्ण एवं विघटनकारी हो जाता है। और अराजकता को प्रश्रय देना राष्ट्रीय समाज के लिए आत्मघाती निर्णय होता है।

बलात्कार के बाद डॉक्टर बेटी की हत्या देश के लिए एक शर्मनाक घटना है और पूर्ण न्यायिक प्रक्रिया के पालन के साथ अपराधियों के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही राष्ट्रीय नैतिकता का वास्तविक तक़ाज़ा है। लेकिन उसकी दोषसिद्धि आम भारतीयों के विरुद्ध होना भी अनैतिकता का प्रतिमान है। हालाँकि सर्वोच्च न्यायालय की अपील और उसके सकारात्मक निर्देशों के बाद अखिल भारतीय चिकित्सक संघ महासंघ (एफएआईएमए) ने अपनी 11 दिनों की हड़ताल को समाप्त करने का निर्णय किया। लेकिन इस दौरान आम लोगों के प्रति डॉक्टर्स एसोसिएशन के संवेदनहीन एवं शुष्क व्यवहार ने भी आहत किया है। किसी भी अन्याय का प्रतिकार व्यक्ति का अधिकार है। और इस रूप में सहकर्मी महिला चिकित्सक के विरुद्ध हुए पाशविक अपराध के विरुद्ध आन्दोलन एवं विरोध-प्रदर्शन चिकित्सक समूह का अधिकार है। लेकिन यह अधिकार तभी अर्थपूर्ण होता है, जब यह कर्तव्य के साथ समन्वित हो।

अधिकारों के प्रति संकुचित-स्वार्थी मानसिकता राष्ट्र की नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था में अराजकता पैदा करती है। उम्मीद है कि धरती पर ईश्वर के प्रतिनिधि ऐसी स्थिति नहीं आने देना चाहेंगे और अपने कर्तव्य पालन के प्रति दृष्टिकोण उन्नत रखेंगे।

महिला पहलवान विनेश फोगाट और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया कांग्रेस में शामिल

नई दिल्ली : हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में अनेक पदक जीतने वाली महिला पहलवान विनेश फोगाट और ओलंपिक पदक विजेता बजरंग पुनिया ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, हरियाणा के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया कांग्रेस के मीडिया व प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा और हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान ने दोनों पहलवानों को कांग्रेस का पटका पहनाकर पार्टी में शामिल कराया। इससे पहले फोगाट और पुनिया ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से उनके आवास पर मुलाकात भी की।

पत्रकारों से बातचीत में दोनों पहलवानों का स्वागत करते हुए कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा दिन है। यह बहुत गर्व की बात है कि दो महान पहलवान कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि दोनों ओलंपियनों ने न केवल खेल के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, बल्कि यौन उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई, किसानों के लिए लड़ाई और अग्निपथ योजना के खिलाफ लड़ाई लड़ने जैसे सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया है।

कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात के लिए फोगाट और पुनिया को कारण बताओ नोटिस जारी करने के लिए रेलवे विभाग की आलोचना की। उन्होंने पूछा कि क्या लोकसभा में विपक्ष के नेता से मिलना कोई अपराध है।

हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने कहा कि दोनों पहलवानों ने अपनी प्रतिभा से पूरी दुनिया में हिंदुस्तान का गौरव बढ़ाया है। वह दोनों का हरियाणा कांग्रेस कमेटी की तरफ से हार्दिक स्वागत करते हैं।

वहीं कांग्रेस में शामिल होने के बाद विनेश फोगाट ने पहलवानों के आंदोलन का समर्थन करने के लिए कांग्रेस का धन्यवाद किया और कहा कि बुरे समय में ही पता चलता है अपना कौन है। जब महिला पहलवानों को सड़क पर घसीटा जा रहा था, तो भाजपा हमारे साथ नहीं थी, जबकि कांग्रेस हमारे साथ थी। कांग्रेस हमारे दर्द और आंसुओं को समझ पा रही थी। विनेश ने कहा कि वह ऐसी विचारधारा से जुड़ रही हैं, जो महिलाओं पर हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़ी है और सड़क से संसद तक उनके हक की लड़ाई लड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि वह अपनी बहनों के साथ खड़ी रहेंगी और साथ ही देश की सेवा करेंगी।

वहीं बजरंग पुनिया ने कहा कि वह कांग्रेस नेताओं का धन्यवाद करते हैं, जो मुश्किल घड़ी में पहलवानों के साथ खड़े रहे। आंदोलन कर रहे पहलवानों ने भाजपा की सभी महिला सांसदों के घर पत्र भेजा, तब भी वे महिला खिलाड़ियों के साथ खड़ी नहीं हुईं। कांग्रेस ने हमारा साथ दिया। जैसे हमने कुश्ती में जी तोड़ मेहनत की है, उसी तरह हम कांग्रेस पार्टी में रहकर मेहनत करेंगे और पार्टी को आगे बढ़ाएंगे।