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कोरोना संकट के चलते इस साल दिल्ली में सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा नहीं
दिल्ली में इन दिंनों कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर का दौर चल रहा है। इसके साथ ही ठंड बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण का कहर संक्रमण को फैलाने में सहायक साबित हो रहा है। इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार ने इस साल किसी भी सार्वजनिक स्थल पर छठ पूजा नहीं आयोजित करने का फैसला किया है। हालांकि दिल्ली वाले अपने घरों में या किसी निजी स्थल पर छठ पर्व मना सकेंगे। इस दौरान भी कोरोना प्रोटोकाॅल का पालन करना होगा।
दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सभी संबंधित जिला अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि राजधानी में कोरोना के मामलों में लगातार इजाफा हा ेरहा है, ऐसे ऐसे में सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लोगों से घर पर ही पूजा मनाने की सलाह दी गई है। सभी जिला अधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को छठ पूजा से जुड़ी धार्मिक कमिटियों के साथ बैठक करने के निर्देश भी दिए हैं।
बता दें कि छठ पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। दिवाली के बाद इस साल छठ पर्व की शुरुआत 18 नवंबर से होगी और समापन 21 नवंबर को सुबह सूर्य के अघ्र्य देने के साथ ही संपन्न होगा।
अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम जमानत
एक हफ्ते से जेल में बंद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल गयी है। उनके साथ उनके सह आरोपियों को भी अंतरिम जमानत पर रिहा करने के आदेश सर्वोच्च अदालत ने दिए हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कनने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना सही नहीं था।
आज अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने सख्त टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।अदालत ने कहा जिन्हें रिपब्लिक टीवी पसंद नहीं वह उसे न देखें।
कोर्ट ने कहा कि ‘हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (अर्नब के टीवी पर ताने) को नजरअंदाज करना चाहिए’। अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस मामले की जांच सीबीआइ को देने का अदालत से आग्रह किया। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?
सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?… अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। हालांकि उनके खिलाफ दर्ज मामले की जांच जारी रहेगी।
बता दें कि मई 2018 में अलीबाग के अपने बंगले में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां ने खुदकुशी कर ली। नाइक ने अपने सुसाइड नोट में गोस्वामी को अपनी मौत का जिम्मेदार बताया। पुलिस का कहना है कि गोस्वामी के चैनल और दो कंपनियों ने नाइक को उनकी सेवाओं के लिए भुगतान नहीं किया था जिससे तंग आकर दोनों ने आत्महत्या कर ली। हालांकि, अर्नब गोस्वामी की तरफ से अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया है।
भारत और चीन सीमा पर सेनाएं पीछे ले जाने के समझौते की तैयारी में !
भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लद्दाख क्षेत्र में तनाव घटाने को लेकर सहमति बनती दिख रही है। अप्रैल से चल रही इस तनातनी को कम करने का रास्ता दोनों देशों की सेनाओं के पहली वाली स्थिति में वापस जाने के रूप में सामने आने की मजबूत संभावना बनी है। सैन्य स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत से इतर राजनयिक स्तर पर भी बातचीत हुई है जिसके बाद सुलह की संभावना बनी है।
चुशूल में 6 नवंबर को भारत और चीन के बीच सैन्य स्तर की आठवें राउंड की थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच ‘शांति’ का रास्ता खुला है। पता चला है कि सैन्य स्तर की बैठक में तीन चरणों में सेनाओं को पुराणी स्थिति में ले जाने पर सहमति की रूपरेखा तैयार हुई थी जिसके बाद राजनयिक स्तर पर बातचीत के बाद बात आगे बढ़ी। बता दें चीन के सीमा पर सेना के जमाबड़े के बाद भारत ने ऊंची पहाड़ियों पर पोजीशन लेकर चीन को रक्षात्मक कर दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब जो रास्ता निकला उसके मुताबिक तीन चरणों में योजना पर सहमति बनी है। सबसे पहले शुरुआती चरण में पैंगोंग झील के इलाके में जमी सेना को पीछे लौटाया जाएगा। वहां जिस सैन्य मशीनरी (टैंक आदि) को जमा किया गया है, उसे और सैनिकों को पीछे हटाया जा सकता है। इसके बाद के चरण में भारत की सेना और पीएलए दोनों पैंगोंग झील क्षेत्र से क्रमबद्ध तरीके से पीछे हटाया जाएगा। इसमें तीन से चार दिन का समय लग सकता है, क्योंकि क्षेत्र में तापमान काफी नीचे है और वहां भारी बर्फबारी हुई है।
समझौते के मुताबिक पीएलए अपनी पुराणी स्थिति – फिंगर 8 – की पोजीशन पर चली जाएगी जबकि भारत फिंगर 2 से वापस पुरानी धान सिंह थापा पोस्ट वाली पोजीशन पर आ जाएगी। आखिरी चरण में भारत और चीन की सेनाएं पैंगोंग झील के दक्षिण क्षेत्र से अपनी सेनाओं को पूरी तरह हटाकर पीछे ले जाएंगी। चीनी जमाबदे के बाद चुशूल और रेजांग ला की जिन पहाड़ियों पर भारत ने पोजीशन ले ली थी, वहां से भी भारत अपनी सेना हटा लेगा। तीनों चरणों की पूरी प्रक्रिया की बाकायदा सेनाएं निगरानी करेंगी, ताकि समझौते का ईमानदार पालन हो।
संभावना है कि इस समझौते पर बाकायदा हस्ताक्षर होंगे और इसे दोनों देशों के समझौता डाक्यूमेंट में जगह मिलेगी, हालांकि भारत और चीन की तरफ से इसे लेकर कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है। वैसे भारत के बहुत से सैन्य विशेषज्ञ चीन के प्रति भारत को चेताते रहे हैं और उनका कहना रहा है कि सेना पीछे हटाने के किसी भी तरह के समझौते के प्रति अति सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि चीन पर वर्तमान स्थिति में कतई भरोसा नहीं किया जा सकता।
चीन की सेना पीएलए ने अप्रैल के आसपास भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी जिसके बाद तनाव काफी बढ़ गया था। इसी दौरान 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। यह भी कहा गया कि चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिक मारे गए, भले चीन ने इनकी संख्या सिर्फ 5 ही बताई थी।
यहाँ यह भी बता दें कि शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रुख सख्त रहा और उन्होंने अपने संबोधन में पाकिस्तान और चीन के प्रतिनिधियों का जिक्र तक नहीं किया। हालांकि, इसके बावजूद संभावना बन रही है कि भारत और चीन के बीच दिवाली से पहले कोइ ठोस रास्ता तनाव काम करने को लेकर निकल सकता है।
बिहार में एनडीए को पूर्ण बहुमत, नीतीश ही होंगे सीएम: भाजपा
भाजपा-जदयू-अन्य के गठबंधन ने बिहार की सत्ता में फिर वापसी कर ली है। चुनाव आयोग की तरफ से देर रात घोषित नतीज़ों के मुताबिक एनडीए ने चुनाव में 125 सीटें जीती हैं जिनमें भाजपा की सबसे ज्यादा 74 सीटें हैं। हालांकि, सरकार नहीं बना सकने के बावजूद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी ने भाजपा से भी ज्यादा 75 सीटें जीती हैं और इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। यूपीए को 110 सीटें मिली हैं।
संभावना है कि नीतीश कुमार बुधवार (आज) राज्यपाल फागू चौहान को अपना इस्तीफा पेश करेंगे। नीतीश कुमार बुधवार या गुरुवार को राज्यपाल से मिलकर नई सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। यदि ऐसा हुआ तो वो चौथी बार बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे। भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मंगलवार देर रात साफ़ कर दिया है कि नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे।
आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी गठबंधन को तमाम एग्जिट पोल ने बड़े बहुमत से चुनाव जीतते हुए दिखाया था लेकिन नतीजे उसके बिलकुल विपरीत रहे। हालांकि, कोरोना के कारण इस बार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने के लिए ज्यादा ईवीएम का इस्तेमाल किया गया जिससे नतीजों में बहुत ज्यादा वक्त लगा। इसके लिए चुनाव आयोग ने दो बार प्रेस कांफ्रेंस की।
इस चुनाव में जदयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गयी है हालांकि यह उसका सौभाग्य ही है कि उसके नेता नीतीश कुमार दोबारा मुख्यमंत्री बनने की स्थिति में दिख रहे हैं। हालांकि, यह भी साफ़ है कि नीतीश नई सरकार में अपनी पार्टी की कमजोर संख्या के कारण अब उतने ताकतवर मुख्यमंत्री शायद नहीं रह पाएंगे। यह कहा जाता है कि भाजपा भी चुनाव से पहले यही चाहती थी। यह गौर करने लायक बात है कि चुनाव नतीजों पर अभी तक नीतीश कुमार की तरफ से एक भी ब्यान नहीं आया है।
वोटों की गिनती के बीच यह खबर भी आई थी कि नीतीश की पार्टी आरजेडी को समर्थन दे या उससे समर्थन ले सकती है, क्योंकि उनकी पार्टी जदयू के बहुत से नेता खुद को भाजपा के हाथों अपमानित होता महसूस कर रहे थे। लेकिन भाजपा ने समय रहते उन्हें संभाल लिया। अमित शाह ने दिल्ली से उनसे फोन पर बातचीत की जबकि पटना में सुशील मोदी सहित कुछ बड़े नेता घंटों उनके पास बैठे रहे।
इस चुनाव में जिस पार्टी को अवसर होने के बावजूद सबसे बड़ा नुक्सान सहना पड़ा वो कांग्रेस है। उसे पिछली बार 27 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार 19 ही मिल पाईं। इसके मुकाबले सीपीआई (माले) ने कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए पिछली बार से तीन ज्यादा 11 सीटें जीत लीं। आरजेडी सहयोगी वामपंथियों को कुल 16 सीटें मिली हैं। कांग्रेस को उम्मीद से कहीं कम सीटें मिलने का भी आरजेडी गठबंधन को बड़ा नुक्सान हुआ क्योंकि यदि कांग्रेस 30 तक सीटें जीत जाती, जिसकी उम्मीद उसे और आरजेडी दोनों को थी, तो आरजेडी सत्ता में आ सकती थी। हालांकि, यह भी सच है कि करीब 20 सीटें ऐसी थीं जहां उसका ज्यादा आधार नहीं होते हुए भी उसे गठबंधन ने मुकाबले में उतारा था।
एलजेपी ने चिराग पासवान के नेतृत्व में नीतीश कुमार को हराने के लिए चुनाव लड़ा था। लेकिन यदि अब नीतीश दुबारा भाजपा की मदद से सीएम बन जाते हैं तो एलजेपी को अपनी इस ‘कुर्बानी’ की बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी क्योंकि उसे एक ही सीट मिल पाई है। हालांकि, यह अब साफ़ लगता है कि चिराग भाजपा के उस गेमप्लान का हिस्सा थे, जिसमें वह नीतीश की पार्टी को 50 से नीचे रखना चाहती थी।
चुनाव में ओवैसी की पार्टी एआईएआईएम भी 5 सीटें मिली हैं। इस चुनाव में सबसे चौंकाने वाला नतीजा वीआईपी के लिए रहा जिसने 4 सीटें जीती हैं। ‘हम’ पार्टी ने भी 4 सीटें जीती हैं। यह दोनों दल भाजपा-जदयू गठबंधन के साथी हैं। अन्य को 7 सीटें मिली हैं।
बिहार की जीत पर दिल्ली भाजपा ने जश्न मनाया
बिहार विधानसभा में भाजपा (राजग) को मिली जीत पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने दिल्ली में जमकर कर जश्न मनाया और मिठाईंया बांटी। भाजपा के कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल, केरल, असम और तमिलनाड़ु विधानसभा चुनावों में भी भाजपा की जीत का परचम लहरायेगा। भाजपा नेता राजकुमार सिंह ने कहा कि बिहार की जीत से ये साबित होता है कि लोगों की भाजपा के चाल , चरित्र और चेहरा पर पूरा विश्वास है।
राजकुमार सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में चुनाव में ऐतिहासिक जीत मिली है। उन्होंने कहा कि बिहार की सियासत में भले ही महागठबंधन में जो भी सियासी तीर चलाये हो पर चुनाव परिणाम में महागठबंधन धराशाही हो गया है। बिहार की जीत का मैसेज पूरे देश में जायेगा और भाजपा की आगामी विधानसभा के चुनावों में जीत दर्ज कराएगी।
मुंबई को पांचवां आईपीएल खिताब, फाइनल मैच में दिल्ली को हराया
मुंबई इंडियंस ने मंगलवार को दुबई में आईपीएल के फाइनल में दिल्ली कैपिटल्स को 5 विकेट से हराकर आईपीएल-13 का खिताब जीत लिया। खिताब जीतने के लिए 157 के लक्ष्य को मुंबई ने आसानी से हासिल कर लिया। मुंबई ने पांचवीं बार यह खिताब जीता है। दिल्ली कैपिटल्स पहली बार फाइनल में पहुँची थी।
दिल्ली कैपिटल्स ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और 20 ओवर में 156 रन बनाए। इस तरह मुंबई को 157 रन का लक्ष्य मिला जो उसने 5 विकेट खोकर ही हासिल कर लिया। मुंबई की जीत में कप्तान रोहित शर्मा ने 50 गेंदों में 68 रन की शानदार पारी खेली।
रोहित तब आउट हुए जब टीम का स्कोर 137 था। रोहित शर्मा ने कमाल की पारी खेलते हुए अपना अर्धशतक पूरा किया। उनकी जगह आए केरोन पोलार्ड 9 रन बनाकर आउट हो गए जिससे दिल्ली टीम में एक उम्मीद बंधी लेकिन ईशान किशन (33) ने दिल्ली की हसरत पूरी नहीं होने दी। हार्दिक पांडया जीत के लिए जरूरी 1 हुए कैच थमा बैठे।
मुंबई इंडियंस को दूसरा झटका सूर्य कुमार यादव के रूप में लगा जो 19 रन बनाकर आउट हुए। कप्तान रोहित शर्मा ने ड्राइव लगाकर एक रन भागने की कोशिश की लेकिन वो गेंद को देख नहीं पाए दूसरे छोर ने सूर्य कुमार यादव ने रन न लेने के लिए आवाज भी लगाई लेकिन तब तक वो दूसरी तरफ भाग चुके थे और फिर मजबूरी में सूर्य कुमार यादव को रन भागना पड़ा और वो रन आउट हो गए। सूर्यकुमार ने धमाकेदार शुरुआत की और पहली दो गेंदों पर चौक्का और छक्का जमा दिया। हालांकि बाद में वो यह गति नहीं पाए।
क्विंटन डि कॉक (20) को मार्कस स्टॉयनिस ने ऋषभ पंत के हाथों कैच करवाया और मुंबई को पहला झटका लगा। यह विकेट 5वें ओवर की पहली ही गेंद पर गिरा जब मुंबई का स्कोर 45 रन था। वैसे पारी में अपना पहला ओवर करने आए कागिसो रबाडा को डि कॉक ने निशाने पर लिया। उन्होंने एक छक्का और दो चौके जड़े, जबकि एक चौका लेग बाई के रूप में आया। इस ओवर में कुल 18 रन बने।
इससे पहले मुंबई इंडियंस की पारी की शुरुआत क्विंटन डि कॉक और कप्तान रोहित शर्मा ने की। दिल्ली की ओर से पहला ओवर आर अश्विन को दिया गया। पहले ओवर की तीसरी गेंद पर रोहित ने जड़ा सिक्स। उनका और टीम का खाता खुला।
इससे पहले दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान श्रेयस अय्यर और पंत ने टीम को एक मजबूत साझेदारी दी। दिल्ली ने इस साझेदारी की बदौलत 150 रन का आंकड़ा पार किया। दिल्ली के तीन विकेट बहुत जल्दी गिर गए थे उसके बाद इन दोनों खिलाड़ियों के बीच 96 रन की साझेदारी हुई। कप्तान अय्यर 65 रन बनाकर नाबाद रहे जबकि पंत ने 56 रनों की साझेदारी की। शिरोमन हेटमायर आज 5 ही रन बनाए।
मुंबई की ओर से घातक गेंदबाजी देखने को मिली। मुंबई इंडियंस के ट्रेंट बोल्ट ने तीन विकेट जबकि नॉथन कूल्टर नाइल ने 2 विकेट झटके। दिल्ली ने 20 ओवर में 156 रन बनाए।
यह थीं टीमें
मुंबई इंडियंस: क्विंटन डि कॉक (विकेटकीपर), रोहित शर्मा (कप्तान), सूर्यकुमार यादव, ईशान किशन, हार्दिक पंड्या, कायरन पोलार्ड, क्रुणाल पंड्या, जेम्स पैटिंसन, ट्रेंट बोल्ट, जयंत,जसप्रीत बुमराह।
दिल्ली कैपिटल्स: शिखर धवन, मार्कस स्टोइनिस, अजिंक्य रहाणे, श्रेयस अय्यर (कप्तान), ऋषभ पंत (विकेटकीपर), शिमरॉन हेटमायर, प्रवीण दुबे, अक्षर पटेल, रविचंद्रन अश्विन, कागिसो रबाडा, एनरिक नॉर्त्जे।
आरजेडी ने बिहार में वोटों की गिनती में गड़बड़ी का नीतीश सरकार पर लगाया आरोप
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए और महागठबंधन में कांटे की टक्कर दिख रही है और इसी बीच आरजेडी ने नीतीश सरकार पर वोटों की गिनती में धांदली का आरोप लगाया है। उसने कहा है कि कमसे कम 10 सीटों पर महागठबंधन के उम्मीदवारों को जीत के बावजूद विजेता का सर्टिफिकेट नहीं दीने का आरोप लगाया है। पार्टी ने दावा किया है अंतिम नतीजों में आरजेडी-कांग्रेस गठबंधन विजेता बनकर उभरेगा। बिहार में अब तक 86 फीसदी वोटों की गिनती हो चुकी है और कई सीटों पर बढ़त का अंतर 1000 से भी कम है। इस बीच भाजपा के कुछ बड़े नेता शाम को सीएम नीतीश कुमार से मिले हैं।
वोटों की गिनती के बीच आरजेडी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। आरजेडी के प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य मनोज झा ने कहा – ‘बिहार को अपनी नई सरकार मिलने वाली है कोई भी इसे रोक नहीं सकता है। सीएम नीतीश कुमार का जाना तय है, मैं उनसे आग्रह करता हूं कि रिटर्निंग अफसर को फोन करके वोटों की गिनती को धीमा करने के लिए कहलवाना बंद करें। वो सिर्फ अपनी हार को टाल सकते हैं।’
झा ने मंगलवार शाम कहा – ‘टीवी बता है कि आरजेडी की 73 सीटें हैं लेकिन वास्तव में हम 86 सीटों पर आगे हैं। हमारी बढ़त दिखाई नहीं जा रही। हमारी सरकार बनना तय है आप दो घंटे इंतजार कीजिए। नीतीश जी जाते जाते कोई ऐसा काम न करें। हम पूछना चाहते हैं कि पोस्टल बैलेट की गिनती क्यों रोक दी गई है।’
पिछले कई घंटों से एनडीए 125 सीटों के आसपास झूल रहा है जबकि यूपीए 115 के आसपास। ओवैसी की पार्टी भी 4-5 सीटों पर आगे है जबकि चिराग पासवान की पार्टी किसी भी सीट पर आगे न होने के बावजूद सत्ता विरोधी वोटों का बंटवारा करने में सफल रही है जिसका लाभ लगता है भाजपा को हुआ है, जबकि महागठबंधन को नुक्सान। ऐसा ही ओवैसी के अच्छे खासे वोट लेने से हुआ है।
चुनाव आयोग ने आज दो बार प्रेस कांफ्रेंस की हैं और कहा है कि कोरोना काल में हुए मतदान की वजह से पोलिंग बूथ की संख्या बढ़ाई गई थी इसलिए मतगणना में अभी समय लग सकता है।
नीतीश से मिले भाजपा नेता
उधर सुशील मोदी समेत कुछ वरिष्ठ भाजपा नेता पटना में सीएम नीतीश कुमार से उनके घर पर मिले हैं। कहा जा रहा है कि गृह मंत्री अमित शाह की भी नीतीश से फोन पर बात हुई है। भाजपा के कुछ नेता नतीजों के बीच अपना सीएम बनाने की बात उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि भाजपा से आधी सीटें होने के कारण नीतीश ‘नैतिकता दिखाते हुए’ खुद ही भाजपा को अपना सीएम बनाने दें। बीच में यह भी चर्चा रही कि नीतीश को यदि भाजपा ने किनारे करने की कोशिश की तो वह ‘कोई भी’ फैसला कर सकते हैं। जदयू में यह चर्चा है कि चुनाव में जदयू की स्थिति खराब होने के पीछे वास्तव में पर्दे के पीछे ‘भाजपा का रोल’ रहा है, और यदि नीतीश को किनारे करने की कोशिश होती है तो ‘भाजपा को सबक सिखाने के लिए’ आरजेडी-कांग्रेस सरकार बनवाकर उसे बाहर से समर्थन दे दिया जाए।
उपचुनावों में भाजपा की बल्ले-बल्ले, एमपी में सरकार बचने की संभावना, हरियाणा में कांग्रेस की जीत
बिहार चुनाव में भले अभी तस्वीर साफ़ होने में कुछ समय लगे, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश समेत 11 राज्यों की 58 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव की मतगणना में भाजपा बहुत आगे चल रही है। हरियाणा में अन्ग्रेस्स ने जरूर बड़ी जीत दर्ज की है, मध्य प्रदेश में भाजपा अपनी सरकार बचाती हुई दिख रही है।
मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव का परिणाम राज्य की शिवराज सिंह चौहान सरकार का भविष्य तय करेंगे। ज्यादातर राज्यों में सत्तारूढ़ दल उपचुनाव में फायदे में दिख रहे हैं। भाजपा ने एमपी की 28 में से 20 सीट, यूपी की सात में से 5 सीटें औऱ गुजरात की सभी आठ में से 7 सीटों पर बढ़त बना ली है। कर्नाटक में भाजपा ने दोनों सीटें जीत ली हैं जबकि हरियाणा में कांग्रेस विजयी रही है।
उपचुनाव के लिए इन सीटों पर तीन नवंबर को मतदान हुआ था। गुजरात की आठ विधानसभा सीटों, मणिपुर की चार सीटों और हरियाणा की एक सीट, छत्तीसगढ़ की एक, झारखंड की दो सीटों, कर्नाटक की दो विधानसभा सीटों के लिए मतगणना हो रही है।
नागालैंड की दो सीटों, तेलंगाना की एक सीट और ओडिशा की दो सीटों के लिए भी वोटों की गिनती हो रही है। मणिपुर को छोड़कर सभी सीटों पर तीन नवंबर को मतदान हुआ था। मणिपुर की विधानसभा सीटों के लिए सात नवम्बर को मतदान हुआ था। बिहार की वाल्मीकि नगर सीट पर हुए लोकसभा उपचुनाव में जदयू प्रत्याशी आगे चल रहे हैं।
तेलंगाना की डुब्बक सीट पर भाजपा के रघुनंदन राव ने जीत दर्ज की है। रघुनंदन राव यहां से पिछले तीन चुनाव हार चुके थे। एमपी के इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद्र गुड्डू के समर्थकों ने मतगणना केंद्र पर हंगामे की खबर है। कांग्रेस नेता अजित बोरासी ने कहा कि मतगणना में धांधली के खिलाफ वे कोर्ट जाएंगे।
आँनलाइन पढ़ाई में असहज और असहमति व्यक्त कर रहे है शिक्षक
कोरोना महामारी ने शिक्षा के सिस्टम को को तहस –नहस कर दिया है। आज शिक्षा, को सिस्टम में लाने के लिये तामाम जतन किये जा रहे है, कि शिक्षा अपने पुराने तारतम्य में आ सकें । जिस प्रकार दुनिया भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में आँनलाइन शिक्षा का माँडल तेजी से विस्तार ले रहा है। वहीं मेडिकल काँलेज तक में भी आँनलाइन परीक्षा कराकर शिक्षा के स्वरूपों में नये बदलाव की शुरूआत कर रहे है। हालांकि तहलका संवाददाता ने उच्च शिक्षा से जुड़े प्रोफेसरों और छात्रों से बात की तो उन्होंने कहा कि माना कि कोरोना काल में आँनलाइन एक विकल्प तो हो सकता है। पर समाधान नहीं हो सकता है। आँनलाइन और आँफलाइन को लेकर काफी असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
बतातें चलें यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने अपने दिशा –निर्देश में जारी करते हुये कहा कि अब कंटेनमेंट जोन के बाहर यूनिवर्सिटीज और काँलेजों को खोला जाये और आँनलाइन ,आँफलाइन और मिश्रित मोड़ में पढ़ाई कराई जाये।यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन की ओर से जारी दिशा –निर्देश के अनुसार कैंपस प्लेसमेंट , प्रयोगशाला, लाइब्रेरी और कक्षाओं में 50 प्रतिशत छात्रों को एक दिन में आने की अनुमति होगी। छात्रों को 6 फुट की दूरी का पालन करना होगा और मास्क लगाना जरूरी होगा। साथ ही कैंटीन पूरी तरह से बंद रहेगी। अपने दिशा-निर्देश पर इस बात पर पूरा बल दिया गया है, कि अगर किसी के संक्रमित मिलने पर कैंपस को फिर से बंद किया जायेगा।
अब बात करते है कि टीचर्स आँनलाइन पढ़ाई को लेकर असहज और असहमति व्यक्त कर रहे है। इसके पीछे उनके तर्क और तथ्य है कि उन्होंने ने कोरोना काल के पूर्व आँनलाइन पढ़ाई के बारे में सोचा तक नहीं था।अब आँनलाइन को लाईन में लाने में उनकी दिक्कत हो रही है कि कहीं वे पढ़ाई में कोई चूक ना कर जाये। सो असहज महसूस कर रहे है।
इस बारे में दिल्ली यूनिवर्सिटी की सहायक प्रो. सुचि वर्मा का कहना है कि आँनलाइन पढ़ाई के पक्ष में वे नहीं है। लेकिन कोरोना काल में एक विकल्प के तौर पर आँनलाइन पढ़ाई तो ठीक है। क्योंकि कोरोना जैसी संक्रमित बीमारी से बचना जरूरी है।उनका कहना है कि वे रसायन विज्ञान की सहायक प्रोफेसर है। जहां पर छात्रों को प्रयोगशाला में जाकर प्रयोग करने होते है। लैबों में जाकर टीचरों के समक्ष प्रयोग करना होता है। जब तक टीचरों और छात्रों के बीच परस्पर शिक्षा नहीं मिलती है। तब तक पढ़ाई को खास कर काँलेजों में आने वालें नये छात्रों को सही जानकारी व ज्ञान हासिल नहीं हो सकता है। प्रो. वर्मा का कहना है कि आमने-सामने टीचरों और छात्रों के बीच जो पढ़ाई होती है। उससे छात्रों के बीच जो प्रश्न होते है उनका समाधान तुरन्त टीचर करते है।दिल्ली यूनिवर्सिटी के सहायक प्रो. संजय कुमार का कहना है कि भले ही यूजीसी कहें कि आँनलाइन पढ़ाई होनी चाहिये पर टीचरों के समक्ष कोरोना काल में एक प्रकार से टीचरों के सामने में तकनीकी सिस्टम में पढ़ाना काफी असहज हो रहा है। बड़ी संख्या में टीचर आँनलाइन पढ़ाई से असहमत है और असहज महसूस कर रहे है। ज्यादा टीचरों का कहना है कि बदलते कोरोना के माहौल में और नौकरी बचाने के लिये तकनीकी सिस्टम के बीच तालमेल बैठाने का प्रयास किया जा रहा है। क्योंकि महामारी ने सभी नये तरीकों पर नये तरीके से सोचने को मजबूर कर दिया है। हालत तो ये है कि अब .कोविड फ्री. कैंपस तक बन रहे है।
जे एन यू के छात्र कुमार पराग का कहना है कि कोरोना काल में जिस तरीके से सरकार अपनी मनमर्जी कर सरकारी सिस्टम को अपने तरीके चला रही है।जिसमें शिक्षा प्रणाली को तहस –नहस किया जा रहा है। क्योंकि सरकार के संकेतों पर गौर किया जाये तो आने वाले दिनों में कुछ सरकारी संस्थानों को छोड़ दे तो छोटे-छोटे संस्थानों में आँनलाइन पढ़ाई के माध्यमों से उन संस्थानों के भवनों और कैंपस को खाली कराया जायेगा। फिर धीरे-धीरे बड़े कैंपसों को।
अभिभावक पीयूष जैन का कहना है कि कोरोना काल ने हमें तामाम परेशानियों में डाला है, तो तामाम नये अनुभवों और स्वरूपों से परिचित करवाया है। उनका कहना है कि आने वाले दिनों में सारा सिस्टम तकनीकी पर ही निर्भर होगा। उसमें अगर शिक्षा प्रणाली तकनीकी के तहत आँनलाइन होती है। तो ठीक है। क्योंकि आँनलाइन सिस्टम पार्दशिता लाती है। आँनलाइन के माध्यम से जब काँलेजों की फीस जमा की जा सकती है तो पढ़ाई क्यों नहीं । क्योंकि आँनलाइन में पढ़ाई करने वाले छात्रों का कैंपस-कालेजों में आने –जाने का समय बचेगा। यातायात व्यवस्था वाधित नहीं होगी। हां इतना जरूर होना चाहिये छात्रों को काँलेज में आने के लिये एक दिन निर्धारित करना चाहिये ताकि छात्र- टीचर का परस्पर संपर्क बना रहे।
पूर्व शिक्षक केदार नाथ भट्ट का कहना है कि ये तो होना ही था । क्योंकि संकेत तो पहलें ही मिलने लगे थे कि तकनीकी का जिस तरीके से बोलबाला और दखल बढ़ रहा था तो शिक्षा विभाग कैसे बच सकता था। क्योंकि मोबाइल युग आने के बाद अस्पताल का एपायमेंट, रेल का टिकट, बैकों में रूपयों का आदान –प्रदान हो ही रहा था। तो ये बात तो समझ में आने लगी थी कि आने वालें दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी दखल ही नहीं देगा बल्कि अपने सिस्टम में शामिल ही करेगा।उनका कहना है कि तकनीकी से हमें तुरन्त तामाम जानकारियां मिलती है। पर ज्ञान नहीं मिलता है। ज्ञान को हासिल करने के लिये हमें जो सदियों से चली आ रही गुरू और शिष्य के बीच चली आ रही परम्परा के तहत ही पढ़ाई करना होगा।
आँनलाइन पढ़ाई को साजिश का हिस्सा बताते हुये जेएनयू के छात्रों का कहना है कि देश दुनियां में जो एक सिस्टम आँनलाइन का चला है वो घर बैठे पढाई कराने और घर बैठे काम करने को प्रेरित करता है। ताकि सरकारी भवनों को सरकार बड़ी आसानी से खाली करा सकें। छात्रों का कहना है कि जेएनयू को खाली कराये जाने के लिये फिछले सालों में काफी कम छात्रों के दाखिले हुये है। क्योंकि जेएनयू की कीमतीजगह पर सरकार की पहले से ही नजर है।
जेएनयू के एक प्रोफेसर का कहना है कि जब धीरे-धीरे सब कुछ खुल रहा है । बाजार खुल रहे है। चुनाव हो रहे है चुनावी सभाये हो रही है। आना-जाना हो रहा है। तब कोई कोरोना का डर नहीं दिख रहा है। तो अब ऐसा क्या हो रहा है कि आँनलाइन के माध्यम से पढाई पर ही बल दिया जा रहा है।










