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हाथरस सामूहिक दुष्कर्म-मौत मामले की जांच वाली एसआईटी के सदस्य डीआईजी चंद्र प्रकाश की पत्नी ने फांसी लगाकर आत्महत्या की

हाथरस सामूहिक दुष्कर्म और मौत मामले की जांच कर रही एसआईटी टीम के सदस्य डीआईजी चंद्र प्रकाश की पत्नी ने शनिवार दोपहर आत्महत्या कर ली। अभी आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चला है।

जानकारी के मुताबिक राजधानी लखनऊ में डीआईजी चंद्र प्रकाश की पत्नी ने करीब 11 बजे यह कदम उठाया। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है। सुशांत गोल्फ सिटी इलाके में डीआईजी की 36 वर्षीय पत्नी पुष्पा प्रकाश ने फांसी लगा ली।

पता चला है कि इसके बाद कुछ लोगों की मदद से उन्हें लोहिया अस्पताल पहुंचाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने पुष्पा को मृत घोषित कर दिया। पुष्पा प्रकाश ने फांसी क्यों लगाई इसकी वजह अभी तक साफ नहीं है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है और पुलिस मामले की जांच कर रही है।

डीआईजी चंद्र प्रकाश उन्नाव में तैनात हैं। साथ ही वह हाथरस जिले के चंदपा कोतवाली इलाके की युवती की सामूहिक दुष्कर्म और मौत मामले की जांच के लिए बनी एसआईटी में सदस्य भी हैं।

आरजेडी के घोषणा पत्र में 10 लाख नौकरी, किसान कर्ज माफी और निजीकरण बंद करने जैसे वादे

बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सरकार की उम्मीद कर रहे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने शनिवार को अपना चुनाव घोषणा पत्र जारी कर दिया। महागठबंधन का साझा घोषणा पत्र पहले ही जारी हो चुका है जबकि सहयोगी कांग्रेस ने भी अलग से अपना घोषणा पत्र जारी किया है। आरजेडी ने भी आज अपना घोषणा पत्र जारी करते हुए युवाओं को 10 लाख नौकरी के अपने वादे को प्रमुखता से ऊपर  ऊपर रखा है।

आरजेडी ने इसके साथ ही किसानों की कर्जमाफी, बेरोजगारी भत्ता समेत कई बड़े वादे किए हैं। पटना में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, मनोज झा समेत वरिष्ठ नेताओं ने घोषणा पत्र जारी करते हुए कहा कि महागठबंधन सत्ता में आने पर 10 लाख नौकरी, संविदा प्रथा खत्म करना, सभी को समान काम-समान वेतन दिया जाएगा। सरकारी विभागों में निजीकरण बंद होगा और नियोजित शिक्षकों को समान वेतनमान दिया जाएगा।

इसके अलावा आरजेडी ने कहा कि कार्यपालक सहायक लाइब्रेरियन उर्दू शिक्षकों की बहाली की जाएगी, बिहारी युवाओं को सरकारी परीक्षा फॉर्म भरने का फीस नहीं देनी होगी और और उनके आने जाने का किराया सरकार अदा करेगी। आंगनबाड़ी सेविका सहायिका, आशा कर्मी, ग्रामीण चिकित्सक की मांगें पूरी की जाएंगी। किसानों को आमदनी बढ़ाना और उनके कार्य मुक्त करना, किसानों के फसल खरीदने पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोनस। नई उदार उद्योग नीति लाया जाएगा, व्यवसायिक आयोग का गठन किया जाएगा। व्यवसायियों की सुरक्षा और भय मुक्त व्यापार हेतु औद्योगिक क्षेत्रों में व्यापारिक सुरक्षा दस्ता का गठन किया जाएगा।

तेजस्वी ने कहा कि पहली बार शिक्षा पर 22 फीसदी बजट जारी होगा। नेतरहाट के तर्ज पर सभी प्रखंड में एक विद्यालय की स्थापना की जाएगी। हर जिले में 3 से 5 आवासीय विद्यालय। सभी सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों में मातृभाषा के साथ अंग्रेजी और कंप्यूटर की पढ़ाई अनिवार्य की जाएगी। पिछड़े और दलित छात्रों को इंटरमीडिएट में 80 फीसदी से अधिक अंक लाने पर लैपटॉप दिया जाएगा। सभी जिलों में गुणवत्तापूर्ण सरकारी इंजीनियरिंग मेडिकल फार्मेसी पॉलिटिकल पारा, मेडिकल कॉलेज के स्थापना उसका विस्तार किया जाएगा।सभी सरकारी स्कूलों में छात्रों के लिए अलग से शौचालय की व्यवस्था, स्कूली छात्राओं को सेनेटरी नैपकिन नि:शुल्क दी जाएगी।

अमेजन का संसदीय समिति के सामने पेश होने से इनकार, की जा सकती है कार्रवाई

दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने डाटा की सुरक्षा और निजता मामले में संसदीय समिति के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया है। इस बीच अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी 28 अक्टूबर को पेश होने के लिए तलब किया गया है। अब इस मामले में केंद्र सरकार कंपनी पर कार्रवाई कर सकती है, क्योंकि समिति के ज्यादातर सदस्यों ने ऐसी ही राय दी है। भाजपा सांसदों ने समिति के सामने पेश होने से अमेजन के इनकार को संसद के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है।

डाटा संरक्षण पर संसदीय समिति की प्रमुख मीनाक्षी लेखी ने कहा कि अमेजन ने समिति के सामने पेश होने से इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि समिति एकमत से अमेजन पर कार्रवाई किए जाने के पक्ष में है। मीनाक्षी लेखी ने कहा, यदि कंपनी पेशी पर नहीं आती है तो उसके खिलाफ संसदीय विशेषाधिकार हनन का मामला बन जाएगा, जिसके बाद उस पर कार्रवाई हो सकती है। सिफारिश भारत में अमेजन के ऑनलाइन बिजनेस पर रोक लगाने के संबंध में होगी।

बता दें कि पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन विधेयक-2019 पर संसद की संयुक्त समिति की बैठक 28 और 29 अक्टूबर को निर्धारित है। इसमें अमेजन, फेसबुक और ट्विटर को संयुक्त समिति के सामने 28 अक्टूबर को बयान दर्ज करने के लिए तलब किया गया है। इसके अलावा पेटीएम और गूगल को भी समिति ने 29 अक्टूबर को पेश होने के लिए समन जारी किया है।

फेसबुक प्रतिनिधि समिति के सामने हुए पेश
फेसबुक की पॉलिसी हेड अंखी दास व अन्य प्रतिनिधि डाटा सुरक्षा के मुद्दे पर शुक्रवार को समिति के सामने पेश हए। सूत्रों के मुताबिक, समिति के सदस्यों ने फेसबुक इंडिया के प्रतिनिधियों से कई अहम सवाल दागे। समिति ने सवाल किया कि विज्ञापनदाताओं के फायदे के लिए किसी भी यूजर का निजी डाटा का इस्तेमाल न करने दिया जाए।

क्रिकेटर कपिल देव को दिल का दौरा, एंजियोप्लास्टी के बाद अब दिग्गज खिलाड़ी बेहतर

दिग्गज क्रिकेटर और पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव को गुरुवार देर रात दिल का हल्का दौरा पड़ने के बाद उनकी दिल्ली के एक अस्पताल में एंजियोप्लास्टी की गयी है। अस्पताल की प्रेस स्टेटमेंट के मुताबिक उनकी हालत स्थिर बताई गयी है और कपिल खतरे से बाहर हैं। वे फिलहाल आईसीयू में हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक देर रात कपिल देव को सीने में दर्द महसूस हुआ जिसके बाद उन्हें करीब एक बजे ओखला स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया। डाक्टरों ने उनकी स्थिति के आधार पर उनकी आपातकालीन एंजियोप्लास्टी की है और अब वे पहले से बेहतर और खतरे से बाहर हैं।

अस्पताल ने भी इसे लेकर एक ब्यान जारी किया है। इसमें बताया गया है कि कपिल फिलहाल आईसीयू में हैं और डाक्टर अतुल माथुर और उनकी टीम की निगरानी में हैं। अस्पताल के मुताबिक कपिल की हालत स्थिर है और उन्हें कुछ दिन में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी।

कपिल की गिनती दुनिया के दिग्गज ऑलराउंडरों में की जाती है। उनकी ही कप्तानी में भारत ने पहला विश्व कप जीता था और 1983 में फाइनल में वेस्ट इंडीज को हराया था। जहाँ तक उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की बात है, कपिल ने 131 टेस्ट और 225 वनडे मैच खेले हैं। टेस्ट में उनके 5248 रन और 434 विकेट हैं। वनडे इंटरनैशनल करियर में उन्होंने 3783 रन बनाने के साथ 253 विकेट भी झटके। उन्होंने अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला वेस्टइंडीज के खिलाफ फरीदाबाद में साल 1994 में खेला था। फिलहाल वे कमेंट्री में व्यस्त दीखते हैं और आईपीएल पर भी एक निजी चैनल पर विशेषज्ञ के रूप में हिस्सा ले रहे हैं।

मोदी जी आपके आगे सर झुकाते हैं, लेकिन मदद अमीरों की करते हैं : बिहार में बोले राहुल गांधी

बिहार में चुनावी पारा खूब चढ़ रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज पहली चुनाव रैली संबोधित की और उनके महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव भी उनके साथ रहे। लाखों लोगों के लॉक डाउन में पलायन को रखते हुए राहुल ने जमकर मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि दिखाने को वे आपके सामने सर झुकाते हैं, लेकिन जब मदद का वक्त आता है तो अमीर व्यापारियों अंबानी और अडानी की करते हैं। राहुल ने चीन के सैनिकों के भारत की सीमा में घुसने पर भी सवाल उठाया और मोदी से कहा कि वे देश की जनता को इसका जवाब दें।

बड़ी चुनाव सभा से उत्साहित दिख रहे राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने मोदी पर सीधे हमले किये। रैली से पहले राहुल गांधी ने एक ट्वीट करके मोदी सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा – ‘‘तुम्हारे दावों में बिहार का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। कोरोना हो या बेरोज़गारी, झूठे आंकड़ों से पूरा देश परेशान है।आज बिहार में आपके बीच रहूँगा। आइए, इस झूठ और कुशासन से पीछा छुड़ाएं।’

नवादा के हिसुआ की चुनाव जनसभा में राहुल गांधी ने कहा – ‘आपको मोदी जी का भाषण कैसा लगा?’ इसपर जनता ने अपना जवाब दिया। राहुल ने कहा जब बिहार के युवा सैनिक शहीद हुए, उस दिन प्रधानमंत्री ने क्या किया। लद्दाख में हिंदुस्तान की सीमा पर बिहार के युवा अपना खून-पसीना देकर जमीन की रक्षा करते हैं। चीन ने हमारे 20 जवानों को शहीद किया और हमारी जमीन पर कब्जा किया, लेकिन प्रधानमंत्री ने झूठ बोलकर हिंदुस्तान की सेना का अपमान किया।
जनसभा में प्रवासी मजदूरों के पलायन का मसला उठाते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मदद नहीं की। यही सच्चाई है। मुझे पूरा भरोसा है कि इस बार बिहार सच्चाई को पहचानने जा रहे हैं. इस बार बिहार नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार को जवाब देने जा रहा है। उनके यह कहने पर लोग समर्थन में तालियां बजाते दिखे।

राहुल गांधी ने कहा – ‘चीन की सेना ने हमारे 20 सैनिकों को शहीद किया और हमारी 1200 किलोमीटर ज़मीन ली है। जब चीन हमारी ज़मीन के अंदर आया तो हमारे पीएम ने वीरों का अपमान करते हुए ये क्यों बोला कि हिन्दुस्तान के अंदर कोई नहीं आया। आज कहते हैं कि मैं सिर झुकाता हूं। पीएम जी ये बताइए कि चाइना को हिंदुस्तान से कब बाहर करेंगे।’
कांग्रेस नेता ने जनता से पूछा कि बताइए नोटबंदी का क्या फायदा हुआ? उन्होंने कहा कि गरीब का पैसा हिंदुस्तान के अमीरों के खाते में भेजा गया। अंबानी और अडानी के लिए नरेंद्र मोदी रास्ता साफ कर रहे हैं। आने वाले समय में हिंदुस्तान के पूंजीपतियों के पास गरीबों के पैसे होंगे।

गांधी ने कहा – ‘कोरोना हुआ तो मोदी जी ने दूसरे प्रदेशों में रह रहे राज्य के लोगों को भगाकर बिहार भेजा। जब लोग भूखे थे तो नरेंद्र मोदी ने क्या मजदूरों की मदद की? भूखे हो तो क्या हुआ, प्यासे हो तो क्या हुआ, कुछ भी हो जाए उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। बिहार का विकास करने वाली सरकार लानी है। बिहार इसबार सच्चाई को पहचानने जा रहा है। सही जवाब इसबार नरेंद्र मोदी को मिलेगा।’

उनसे पहले सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि पहली केबिनेट में मेरी कलम दस लाख नौजवानों को रोजगार देने के लिए चलेगी। उन्होंने कहा – ‘बिहार में घूसखोरी बढ़ी है। बिना घूस के कोई काम नहीं होता है। पंद्रह साल में बिहार में क्या हुआ ये सब को पता है। जिनके पास रोजगार था उनसे भी मोदी-नीतीश ने छीन लिया। तेजस्वी ने कहा कि नीतीश जी से बिहार संभलने वाला नहीं। उन्होंने कहा कि जिसने 15 साल काम नहीं किया उसे पांच साल क्या देना। उन्होंने कहा कि नौकरी के लिए फॉर्म भरने के लिए पैसे नहीं लिए जाएंगे। वृद्धा पेंशन 15 सौ रुपये कर दी जाएगी। तेजस्वी ने कहा कि नौ नवंबर को लालू यादव की रिहाई है, और दस नवंबर को नीतीश जी की विदाई है।’

राहुल गांधी का ट्वीट
Rahul Gandhi
@RahulGandhi
‘तुम्हारे दावों में बिहार का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है।’ कोरोना हो या बेरोज़गारी, झूठे आँकड़ों से पूरा देश परेशान है। आज बिहार में आपके बीच रहूँगा। आइए, इस झूठ और कुशासन से पीछा छुड़ाएँ।

मेरी सरकार ने कोरोना को नहीं संभाला होता तो ‘हाहाकार’ मच गया होता : बिहार रैली में मोदी

बिहार में चुनावी दंगल में शुक्रवार को पीएम मोदी की भी एंट्री हो गयी। अपनी पहली  चुनावी रैली में मोदी ने अपने भाषण में भोजपुरी का भी खूब सहारा लिया। लॉक डाउन में बिहार के सबसे ज्यादा प्रभावित रहने और बड़े पैमाने पर लोगों के बेरोजगार होने और संकट में पैदल सैंकड़ों मील का सफर करके घर पहुंचने की बात को याद रखते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के समय पर उठाए क़दमों ने देश और बिहार को कोरोना की बड़ी बर्बादी से बचा लिया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने कदम नहीं उठाए होते तो देश में ‘हाहाकार’ मच गया होता।

मोदी ने सासाराम की रैली में कहा कि कोरोना से बचने के लिए तेजी से जो फैसले लिए गए हैं, जिस तरह से बिहार के लोगों ने काम किया, नीतीश जी के नेतृत्व में एनडीए ने जो काम किया , उसके नतीजे दिख रहे हैं। कोरोना से दुनिया की हालत किसी से छिपी नहीं है। बिहार में अगर तेजी से काम नहीं होता तो न जाने कितने लोगों की यह महामारी जान ले लेती। कितना बड़ा हाहाकार मचता, इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। आज बिहार कोरोना का मुकाबला करते हुए लोकतंत्र का पर्व मना रहा है।

अपने भाषण में मोदी ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटाने का जिक्र करके भी लोगों को लुभाने की कोशिश की। यह भी कहा कि विपक्ष के लोग आज कह रहे हैं कि वे सत्ता में आये तो धारा 370 फिर लगा देंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के लोग चाहे जिसकी भी मदद ले ले, यह सरकार अपने फैसलों से पीछ्हे नहीं हटेगी”। मोदी ने बिना नाम लिए गांधी परिवार पर भी हमला किया।

मोदी आज बिहार में तीन रैलियों को संबोधित करेंगे और यह उनके पहली रैली है। कोरोना संक्रमण के दौरान दोनों नेताओं की पहली सभा जिले में होने जा रही है। मोदी ने भाषण में दिवंगत रामविलास पासवान और रघुवंश प्रसाद सिंह को भी याद किया। पीएम मोदी ने कहा कि आज रोहतास के साथ-साथ आसपास के अन्य जिलों के साथी भी यहां आए हैं। तकनीक के माध्यम से भी काफी साथी और एनडीए के उम्मीदवार जुड़े हैं। मैं आप सभी का अनिनंदन करता हूं।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जनसभा को संबोधित किया और कहा कि पीएम मोदी की अगुवाई में देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी गई, बिहार में केंद्र द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन किया। केंद्र सरकार के सहयोग से दूसरे राज्य में फंसे लोगों को बिहार वापस लाया गया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पूरा देश कोरोना से लड़ रहा है। मोदी जी के नेतृत्व मे गांव-गांव में टेक्नॉलजी पहुंच रहा है। आगे मौका मिलेगा तो केंद सरकार के सहयोग से पूरा बिहार आगे बढ़ेगा।

सीबीआई छोटे-छोटे मामलों में घुसने लगी है, अब ऐसा नहीं चलेगा : शिवसेना

पहले अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले की जांच बिहार के जरिये सीबीआई से करवाने के बाद अब टीआरपी घोटाले की जांच  यूपी के जरिये सीबीआई से करवाने पर लोगों के मन में सवाल उठने लगे हैं। वैसे, पहले से ही केंद्रीय जांच एजेंसी पर कई बार सवाल उठाए जा चुके हैं। देश की अदालत पिंजड़े में बंद तोते की उपाधि दे चुकी है।

अब इस मामले में केंद्र बनाम महराष्ट्र सरकार एक तरह से आमने-सामने हैं। अब महाराष्ट्र में किसी मामले की जांच से पहले राज्य की अनुमति लेना जरूरी कर दिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस फैसले का शिवसेना सांसद संजय राउत ने बचाव किया है। राउत ने कहा कि सीबीआई का अपना एक वजूद है। महाराष्ट्र जैसे राज्य में अगर कोई राष्ट्रीय कारण है, तो सीबीआई को जांच करने का अधिकार है। सीबीआई अब छोटे-छोटे मामलों में भी घुसने लगी है, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा।

राज्यसभा सांसद राउत ने कहा, मुंबई या महाराष्ट्र पुलिस ने किसी विषय पर जांच शुरू की, किसी और राज्य में एफआईआर दर्ज की जाती है और वहां से केस सीबीआई को जाता है और सीबीआई महाराष्ट्र में आ जाती है। अब ये नहीं चलेगा। महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस का अपना एक अधिकार है, जो संविधान ने दिया है।

राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा, सीबीआई का राजनीतिक उद्देश्य के लिए दुरुपयोग न हो यह सुनिश्चित करने के लिए हमारी सरकार ने यह कदम उठाया है। अब सीबीआई को भविष्य में नए मामले की जांच शुरू करने से पहले महाराष्ट्र सरकार से अनुमति लेनी जरूरी होगी। कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने सीबीआई को ‘सरकार का तोता’ तक कहकर संबोधित था। हम नहीं चाहते कि मामले में फिर से ऐस ही हो।

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अमर साबले ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले को निंदनीय करार दिया। उन्होंने कहा, वैधानिक संस्थाओं को लेकर राज्य और केंद्र के बीच विवाद खड़ा करना सही है साथ ही यह राष्ट्र हित में भी नहीं है। इस फैसले पर उद्धव सरकार को सूके की जनता को जवाब देना होगा।
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विवाद की वजह
दरअसल, यूपी में एक विज्ञापन एजेंसी की शिकायत पर टीआरपी घोटाले की जांच तत्काल सीबीआई को सौंप देने और एफआईआर दर्ज किए जाने के केंद्र के निर्णय का विरोध करते हुए बुधवार को उद्धव सरकार ने केंद्रीय एजेंसी को राज्य में जांच के लिए मिली आम सहमति वापस ले ली थी। अब सीबीआई को महाराष्ट्र में किसी नए मामले की जांच शुरू करने से पहले राज्य सरकार से अनुमति लेनी होगी। महाराष्ट्र से पहले पश्चिम बंगाल, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भी आम सहमति वापस ले चुके हैं।

पाकिस्तान में शरीफ के दामाद की गिरफ्तारी के बाद पुलिस और सेना आमने-सामने, गृहयुद्ध जैसी हालत

पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दामाद और पीएमएल (एन) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज शरीफ के पति सफदर अवान को गिरफ्तार करने के बाद कराची में हालात तनावपूर्ण हो गए हैं और वहां सेना और पुलिस आमने-सामने आ गए हैं। सिंध में पुलिस ने सेना के खिलाफ एक तरह का ‘विद्रोह’ करते हुए सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी है। विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि वर्तमान स्थिति पाकिस्तान को गृहयुद्ध की तरफ धकेल सकती है।

प्रधानमंत्री इमरान खान पर विपक्ष तेजी से हमलावर हो गया है। विरोधी दलों ने इमरान के खिलाफ एक तरफ से हाथ मिला लिया है और वे खुलकर इमरान खान का विरोध करने लगे हैं। संकट में घिरे इमरान खान की  दिक्क्तें इससे ज्यादा बढ़ सकती हैं।

ख़बरें हैं कि पुलिस ने सिंध पुलिस प्रमुख को कथित तौर पर अगवा किए जाने का आरोप लगाया है और वह सेना के सामने खड़ी हो गयी है। इससे स्थिति बहुत खराब हो गयी है। कराची में गुरूवार को एक सख्त कदम उठाते हुए पुलिस अधिकारियों ने सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दे दी।

सेना और पुलिस के आमने-सामने आने से पाकिस्तान में स्थिति खराब होने की आशंका है। तमाम विपक्षी दल सेना के खिलाफ हैं और उनमें जबरदस्त तनातनी चल रही है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि पीएम इमरान खान सेना के हाथ की कठपुलती बन चुके हैं। पाकिस्तान की घटनाओं पर नजर रखने वाले जानकार आशंका जाता रहे हैं कि वर्तमान हालत पाकिस्तान को तेजी से गृहयुद्ध जैसी स्थिति की तरफ ले जा रहे हैं।

दिवंगत बेनजीर भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह के नेतृत्व में सिंध के कराची में, सिंध पुलिस ने पाकिस्तान सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिससे हालत ज्यादा बिगड़े हैं। पता चला है कि सिंध पुलिस महानिरीक्षक मुश्ताक महर और दो एआईजी, सात डीआईजी और सिंध पुलिस के छह वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) ने छुट्टी पर जाने के लिए आवेदन किया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कैप्टन (रिटायर्ड) सफदर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के मामले के बाद यह फैसला किया है।

आरोप है कि सेना ने नवाज शरीफ के दामाद सफदर अवान की गिरफ्तारी के लिए पुलिस पर दबाव डाला जिसे हालत बिगड़े क्योंकि पुलिस इसके खिलाफ थी। अब पुलिस अफसरों ने छुट्टी पर जाने की धमकी दे दी है, जिससे स्थिति बिगड़ गयी है। बता दें सिंध पुलिस ने सोमवार को अवान को कराची के एक होटल से गिरफ्तार  किया था।

यह गिरफ्तारी तब हुई जब नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल (एन) की उपाध्यक्ष ने 11 विपक्षी दलों के महागठबंधन पीपुल्स डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की एक बड़ी  रैली में पीएम इमरान खान और उनकी सरकार पर तीखे हमले किये। इस रैली के कुछ घंटे बाद ही अवान की गिरफ्तारी हो गयी  माहौल गरमा गया है। सियासी गर्मी  के बाद भले उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन इससे सेना और पुलिस आमने सामने आ गए हैं।

पीपीपी प्रमुख बिलावल भुट्टो-जरदारी ने एक ट्वीट किया है जिसमें उन्होंने सेना और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से सफदर की गिरफ्तारी को लेकर सवाल पूछा है। पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने सफदर अवान की गिरफ्तारी की जांच के आदेश दिए थे। पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक बिलावल ने कहा कि सिंध पुलिस प्रमुख को सफदर की गिरफ्तारी से कुछ घंटे पहले ही पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया विंग ने अगवा कर लिया था।  बिलावल ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान सेना ने सिंध पुलिस पर सफदर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव डाला।

पाकिस्तान मीडिया के मुताबिक पीएमएल (एन) नेता और सिंध के पूर्व गवर्नर मुहम्मद जुबैर ने आरोप लगाया कि सिंध के पुलिस महानिरीक्षक मुश्ताक का अपहरण कर लिया गया है और उन पर मरियम, उनके पति सफदर और 200 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का दबाव डाला गया था। पुलिस प्रमुख पर मोहम्मद अली जिन्ना के मकबरे की पवित्रता के कथित उल्लंघन के लिए यह कार्रवाई करने का दबाव डाला गया। सफदर की गिरफ्तारी से उत्पन्न तनाव के कारण सिंध के पुलिस अधिकारियों की ओर से आईजीपी महर को दी गई छुट्टी की अर्जी में कहा है कि उनके लिए पेशेवर तरीके से कर्तव्य निभाना मुश्किल हो गया है।

आरजेडी, कांग्रेस, एलजेपी के बाद भाजपा का बिहार का घोषणा पत्र भी जारी, सभी के लुभावने वादे

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने गुरूवार को अपना घोषणा पत्र जारी किया। इससे पहले बुधवार को कांग्रेस और एलजेपी ने भी अपने घोषणा पत्र जारी किये थे। आरजेडी ने महागठबंधन का घोषणा पत्र पहले ही जरी कर दिया था जिसमें 10 लाख लोगों को नौकरी देने का बड़ा वादा किया गया है जबकि कांग्रेस ने बेरोजगारी भत्ता देने, एलजेपी ने सीता माता का भव्य मंदिर बनाने जबकि आज भाजपा ने बिहार के लोगों को कोरोना की वैक्सीन मुफ्त देने जैसे बड़े वादे किये हैं।

भाजपा के वादे : भाजपा की वरिष्‍ठ नेता और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया। भाजपा ने इसे ‘संकल्‍प पत्र’ नाम दिया है। भाजपा ने घोषणापत्र में 5 साल में 5 लाख रोजगार देने की घोषणा की है। साथ ही किसानों की आय को दोगुना करने की भी बात की है और एक करोड़ महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का संकल्प किया है। इसके अलावा बिहार के नागरिकों को मुफ्त में कोरोना का वैक्सीन देने का भी वादा किया है। घोषणा में युवा किसान, छात्र दलित सभी वर्ग के विकास का ज़िक्र है। संकल्प पत्र में 3 लाख शिक्षकों की नियुक्ति करने,  हिंदी भाषा में तकनीकी शिक्षा देने, एक लाख लोगों को स्वास्थ्य विभाग में नौकरी देने, 30 लाख लोगों को पक्का मकान देने, आईटी सेक्टर में 5 लाख लोगों को नौकरी देने जैसे कई वादे हैं।

कांग्रेस के वादे : बता दें कांग्रेस ने बुधवार को अपने घोषणा पात्र ‘बदलाव पत्र’ में बिहार के किसानों से सत्ता में आने पर मुफ्त बिजली, किसानों की कर्ज माफी के साथ ही बेटियों की सुरक्षा का वादा किया है। कांग्रेस ने बिजली बिल और मैथिली भाषा को भी मुद्दा बनाया है। पार्टी ने बड़ा वादा बेरोजगारी भत्ता देने का किया है। इसके अलावा, महागठबंधन के 10 लाख रोजगार और किसान कर्जमाफी को भी कांग्रेस ने घोषणा पत्र में शामिल किया है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में राज्य की सुजनी, खटवा, मधुबनी पेंटिंग, टिकुली आर्ट आदि कलाओं को बढ़ावा देने, डा. राजेन्द्र प्रसाद वृद्ध पेंशन योजना के तहत वरिष्ठ नागरिकों, विधवा महिलाओं और एक महिलाओं को सम्मान स्वरूप प्रतिमाह पेंशन देने, महिलाओं को हर क्षेत्र में समान अवसर और पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने, बिहार के लोगों को बिहार में रोजगार देने के लिए, स्थानीय स्तर पर व्यापारियों को उद्योग लगाने के लिए प्रोत्साहित करने, पशुपालन को बढ़ावा देने, पशुपालकों को प्रोत्साहित करने के लिए दूध के क्रय-विक्रय केंद्र बढ़ाने, हर घर तक शुद्ध पेयजल पहुँचाने के लिए अधूरी जल आपूर्ति योजनाओं को समयबद्ध तरीके के पूर्ण करने और महागठबंधन की सरकार बनने पर नौकरी मिलने तक हर बेरोजगारों को हर महीने 1500 देने का वादा किया है।

लोजपा के वादे : लोजपा ने अपने ‘विजन डाक्यूमेंट’ के रूप में अपना घोषणा पत्र जारी किया है।  लोजपा ने बिहार के विकास, रोजगार के साथ ही सीता मैया का भव्य मंदिर बनाने का भी वादा किया है। चिराग ने अपने ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ के विजन के साथ ही  महिलाओं को मुफ्त में बस यात्रा की सुविधा,समान काम समान वेतन के वादे के साथ हीअत्याधुनिक कैंसर संस्थानों की स्थापना का वादा भी किया है।

हाथरस मामले में दो डाक्टरों को हटाने पर विवाद ने तूल पकड़ा

हाथरस मामले में सीबीआई के पूछताछ करने के 24 घंटे के भीतर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में दो अस्थायी चिकित्सा अधिकारियों को हटाए जाने पर बड़ा विवाद पैदा हो गया है। एएमयू प्रशासन ने भले चिकित्सा अधिकारियों की सेवा समाप्ति पर सफाई दी है, लोगों को एक बार फिर इस मामले में आशंकाओं ने घेर लिया है।

एएमयू प्रशासन के फैसले को कनिष्ठ चिकित्सक गलत बता रहे हैं। मामला मंगलवार को प्रकाश में आया जब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में अस्थायी चिकित्साधिकारी के तौर पर काम कर रहे डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन और डॉक्टर उबैद इम्तियाज की सेवाएं समाप्त करने की बात कही।

बता दें हाथरस मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने सोमवार को जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल जाकर पूछताछ की थी। हाथरस मामले की पीड़िता शुरुआत में इसी अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। यहां से उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर किया गया था, जहां इलाज के दौरान 29 सितंबर को उसकी मौत हो गई थी।

अब रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने एएमयू के कुलपति को लिखे पत्र में उनसे दो डॉक्टरों की बर्खास्तगी का आदेश वापस लेने का आग्रह किया है। पत्र में कहा गया है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो एसोसिएशन 24 घंटे के अंदर अपनी बैठक बुलाकर भविष्य की रणनीति तय करेगा। एएमयू प्रशासन अस्थायी ने चिकित्सा अधिकारियों की सेवा समाप्ति को लेकर जताई जा रही आशंकाओं को बेबुनियाद और काल्पनिक करार देते हुए इसे नियमित प्रक्रिया का हिस्सा बताया है।

बर्खास्त किए गए डॉक्टर अजीमुद्दीन और इम्तियाज का कहना है कि उन्होंने हाथरस मामले में कोई भी बयान नहीं दिया है। सेवा समाप्ति से पहले उन्हें अपनी सफाई देने तक का मौका नहीं दिया गया। दोनों ने कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है।

एएमयू के प्रवक्ता प्रोफेसर शाफे किदवई ने इस बारे में पूछे जाने पर बताया कि उन दोनों डॉक्टरों को पिछली 9 सितंबर को एक महीने के लिए नौकरी पर रखा गया था। उसके बाद उन्हें स्थिति के बारे में पूरी तरह अवगत कराया गया था। अब उन्हें हटाया जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। सीबीआई के पूछताछ के बाद दोनों की सेवा समाप्त किया जाना महज एक संयोग है।

बता दें इन डाक्टरों में से एक की तरफ से कहा गया था कि पीड़िता का सैम्पल 11 दिन बाद लाने से सही रिपोर्ट सामने नहीं आ सकती क्योंकि इसके लिए 96 घंटे के भीतर सैम्पल काना जरूरी होता है क्योंकि उसके बाद सैम्पल के तत्व सही रिपोर्ट नहीं दे पाते।