मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार भले ही विज्ञापनों एवं भाषणों में स्वयं की प्रशंसा करती रहती है; मगर प्रदेश की सच्चाई कुछ अलग ही है। प्रदेश में कई सुखद एवं कई दु:खद समाचारों की धारा बहती है; मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं उनके मंत्री प्रचार यही करते हैं कि उनसे अच्छा शासन पूरे विश्व में कहीं नहीं है। स्थिति यह है कि राम राज्य का ढिंढोरा पीटने वाले योगी आदित्यनाथ ने किसी भी तरह उपचुनाव में नौ में सात सीटें अवश्य जीत ली हों; मगर प्रदेश की अधिकांश जनता में अब उनकी स्वीकार्यता घट रही है। एक भाजपा नेता एवं राजनीति के अच्छे जानकार नाम प्रकाशित न करने की विनती करते हुए कहते हैं कि योगी आदित्यनाथ अपनी पीठ स्वयं थपथपाते रहते हैं; मगर सच्चाई यह है कि भाजपा के ही अधिकांश नेता, विधायक एवं मंत्री भी उनसे प्रसन्न नहीं हैं। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण कारण यही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने अलावा किसी को भी कुछ नहीं मानते हैं। उन्हें अधिकारी भी वही पसंद हैं, जो उनकी चरण वंदना करने के लिए तत्पर रहते हैं।
राजनीति के जानकार अध्यापक बलवंत सिंह कहते हैं कि जनता से लोकतांत्रिक मूल्य एवं स्वतंत्रता छीन लेने का प्रयास करना भी एक अपराध है, जो अब उत्तर प्रदेश के चुनावों में दिखने लगा है। बीते कई दशकों से होते आ रहे चुनावों में हर पार्टी ने यह किया है; मगर भारतीय जनता पार्टी से ऐसी आशा नहीं थी। इस पार्टी से आशा थी कि वह लोकतांत्रिक मूल्यों एवं संविधान की गरिमा का पालन करते हुए जनता के साथ न्यायपूर्वक व्यवहार करेगी; मगर ऐसा नहीं हो रहा है। बहराइच के बाद संभल में हिंसा एवं प्रयागराज में जिस प्रकार का व्यवहार विद्यार्थियों से किया गया है, वह भी इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि योगी आदित्यनाथ नौकरियाँ देने की जगह युवाओं को पीटने के लिए पुलिस को आगे कर रहे हैं। प्रयागराज में तो यह कई बार हो चुका है। अपनी कमियों को सुधारने की जगह मुख्यमंत्री योगी स्वयं को सबसे सही एवं न्यायप्रिय नेता घोषित करने में लगे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। उन्हें कट्टर हिन्दू नेता होने से कोई नहीं रोक रहा है; मगर उन्हें एक हिन्दू संत अथवा हिन्दू नेता होने के साथ एक अच्छे न्यायप्रिय मुख्यमंत्री की भूमिका भी निभानी चाहिए जिसमें वह विफल ही रहे हैं। उनके लिए जनता में सभी समान हैं; मगर वह सभी को एक समान नहीं मानते हैं। इसका प्रमाण यह है कि उनका प्रशासन जाति एवं धर्म देखकर ही लोगों के साथ व्यवहार करता है। कहीं तो उन्हें पीड़ितों का रुदन भी सुनाई नहीं देता अपराधियों के अपराध दिखायी नहीं देते तो कहीं-कहीं विरोधी भी अपराधी ही दिखायी देते हैं। एक मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें जनता को देखने की दो दृष्टियाँ नहीं रखनी चाहिए। यही तो पहले के मुख्यमंत्रियों ने किया है, जिससे तंग आकर जनता ने योगी आदित्यनाथ को संत समझकर अपना मुख्यमंत्री चुना। मगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी उन्हें वही व्यवहार मिल रहा है, जो पहले के मुख्यमंत्रियों से मिला।
अखाड़ों को दी गयी भूमि
प्रयागराज में इन दिनों महाकुंभ की चहल-पहल है। आजकल प्रयागराज दिन में जितना सुंदर लग रहा है, उससे अधिक सुंदर रात्रि में लग रहा है। महाकुंभ से पहले ही बढ़ी यह चहल-पहल योगी आदित्यनाथ एवं उनकी सरकार की हिन्दू त्योहारों में विशेष रुचि को दर्शाती है। यह सच है कि पहले की सरकारों से अधिक व्यवस्था मुख्यमंत्री योगी ने महाकुंभ के उपलक्ष्य में प्रयागराज में की है; मगर इसके इतर दु:खद समाचार यह रहा कि बीते दिनों महाकुंभ की तैयारी के दौरान अखाड़ों में एवं नेताओं में अलग अलग मतों को लेकर इतना विवाद हुआ कि मारपीट तक हो गयी। जैसे तैसे झगड़ा निपटाया गया। अब सभी अखाड़े अपने अपने डेरे जमा रहे हैं। अखाड़ों की बसावट की प्रक्रिया एवं व्यवस्था सरकार द्वारा की जा रही है। साधु संतों की सेवा एवं महाकुंभ की तैयारियों में प्रदेश सरकार कोई कमी नहीं रखना चाहती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मेला प्रशासन ने सभी अखाड़ों को कुंभ क्षेत्र में भूमि आवंटन करने की प्रक्रिया में कई बड़े अखाड़ों को भूमि आवंटित कर दी है। 12 वर्ष में एक बार लगने वाले महाकुंभ को सरकार ने इस बार भव्य महाकुंभ नाम दिया है। साधु संतों के अखाड़ों को दी गयी भूमि पर छावनियाँ बनायी जा रही हैं। भूमि आवंटन को लेकर सभी 13 अखाड़े एकजुट एवं सहमत हैं। विदित हो कि गंगा, यमुना एवं सरस्वती आदि तीन पवित्र नदियों के संगम स्थल प्रयागराज में लगने वाला महाकुंभ 12 वर्ष में एक बार लगता है। एवं अर्ध महाकुंभ हर छ: वर्ष में एक बार लगता है। इस बार दिन सोमवार दिनाँक 13 जनवरी, 2025 से दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी, 2025 तक महाकुंभ लगेगा। शाही स्नान मकर संक्रांति के दिन मंगलवार दिनाँक 14 जनवरी को, मौनी अमावस्या के दिन बुधवार दिनाँक 29 जनवरी को, बसंत पंचमी के दिन सोमवार दिनाँक 03 फरवरी को, माघी पूर्णिमा के दिन बुधवार दिनाँक 12 फरवरी को एवं महाशिवरात्रि के दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी हो होंगे। महाशिवरात्रि के दिन बुधवार दिनाँक 26 फरवरी 2025 को अंतिम स्नान के साथ महाकुंभ का समापन होगा।
विद्यार्थियों की बार-बार पिटाई
प्रयागराज में ही महाकुंभ की तैयारियों के बीच बीते दिनों विद्यार्थियों पर पुलिस बल के प्रयोग से स्थिति इतनी बिगड़ गयी कि योगी आदित्यनाथ की रोज़गार देने की नीयत पर प्रश्नचिह्न लग गये। वास्तव में बात इनती बड़ी नहीं थी, जितनी पुलिस एवं प्रशासन ने बढ़ा दी। विद्यार्थियों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग से पीसीएस एवं आरओ, एआरओ प्रारंभिक परीक्षा को एक ही दिन में एक ही समय में कराने की माँग की थी; मगर छात्रों के हंगामा करने पर पुलिस ने चार छात्रों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद क्रोधित हज़ारों छात्रों ने लोकसेवा आयोग के बाहर पहुँचकर उग्र प्रदर्शन किया एवं नारे लगाते हुए आन्दोलन की घोषणा कर दी। प्रदेश की जनपदीय पुलिस ने इस पर आयोग जाने वाले सभी रास्तों को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया एवं प्रतियोगी विद्यार्थियों को रोकने के लिए सैकड़ों पुलिसकर्मियों ने बल प्रयोग करना आरंभ कर दिया। इससे स्थितियाँ इतनी बिगड़ीं कि टकराव आरंभ हो गया।
मुंबई : महाराष्ट्र में भाजपा विधायक दल के नेता के रूप में देवेंद्र फडणवीस के चयन के बाद महायुति के तमाम नेताओं ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस, एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मिलकर राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश किया है।
इस दौरान भाजपा के केंद्रीय पर्यवेक्षक निर्मला सीतारमण और विजय रूपाणी समेत तमाम नेता मौजूद रहे। महाराष्ट्र के भावी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने राज्यपाल से मुलाकात की और राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए समर्थन पत्र सौंपा। हमारे गठबंधन सहयोगियों शिवसेना और एनसीपी ने राज्यपाल से अनुरोध किया है कि मुझे महायुति के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई जाए। राज्यपाल ने अनुरोध स्वीकार कर लिए हैं और उन्होंने हमें कल शाम 5.30 बजे शपथ समारोह के लिए आमंत्रित किया है।”
उन्होंने आगे कहा, “नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह कल शाम 5 दिसंबर शाम 5.30 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में होगा। हम शाम तक तय कर लेंगे कि कल कौन-कौन शपथ लेंगे। कल मैंने एकनाथ शिंदे से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि महायुति कार्यकर्ताओं की इच्छा है कि वह इस सरकार में हमारे साथ रहें। मुझे पूरा विश्वास है कि वह हमारे साथ रहेंगे। हम महाराष्ट्र की जनता से किए गए वादे पूरे करेंगे।”
वहीं भाजपा विधायक दल की बैठक को संबोधित करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं सभी निर्वाचित विधायकों को बधाई देती हूं। मैं विधायक दल के नेता के रूप में चुने जाने पर देवेंद्र फडणवीस को बधाई देती हूं। इस चुनाव में 14 करोड़ मतदाताओं का जनादेश पूरे भारत के लिए एक संदेश है। यह सिर्फ एक सामान्य विधानसभा चुनाव नहीं था। लोकसभा चुनाव के बाद देश के नागरिकों ने हरियाणा चुनाव और फिर महाराष्ट्र चुनाव के माध्यम से स्पष्ट जनादेश दिया है। महाराष्ट्र में अप्रत्याशित और अभूतपूर्व जीत विकसित भारत की दिशा में एक बड़ा संदेश है।” जैसे ही भाजपा नेताओं ने सर्वसम्मति से देवेंद्र फडणवीस को विधायक दल का नेता चुना, ‘देवा भाऊ तुम आगे बढ़ो’ के नारे लगाए गए।
लापरवाही करने वाले अफसरों और निर्माण एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी
चंडीगढ़, 04 नवंबर- हरियाणा के लोक निर्माण मंत्री श्री रणबीर गंगवा ने कहा है कि सड़कों एवं भवनों के निर्माण में सामग्री की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। निर्माण सामग्री में गुणवत्ता के किसी प्रकार की कोई कमी पाए जाने पर न केवल निर्माण एजेंसी के खिलाफ बल्कि संबंधित अधिकारी और कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। श्री गंगवा ने यह बात बुधवार को सचिवालय स्थित अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही।
लोक निर्माण मंत्री श्री रणबीर गंगवा ने कहा कि हरियाणा में तीसरी बार हमें जनादेश मिला है। पहले भी कार्यों में पारदर्शिता रही है और आगे भी पारदर्शिता से कार्य किया जाएगा। पारदर्शिता और निष्पक्षता से कार्य करने का ही परिणाम है कि हरियाणा में तीसरी बार डबल इंजन की सरकार बनी है। उन्होंने कहा कि मंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने प्रदेश में सड़कों के नए प्रोजेक्टों और सड़कों की मरम्मत को लेकर मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी और केंद्रीय परिवहन मंत्री श्री नितिन गडकरी से विस्तृत चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय परिवहन मंत्री जी ने हरसंभव सहयोग करने का भरोसा दिया है। जल्द ही विभिन्न प्रोजेक्टो की रिपोर्ट तैयार कर उनसे अनुमति लेकर काम किया जाएगा।
अधिकारियों से मांगी सड़कों के सम्बन्ध में विस्तृत रिपोर्ट
लोक निर्माण मंत्री श्री गंगवा ने पत्रकारों को बताया कि अधिकारियों से प्रदेशभर की उन सभी सड़कों को रिपोर्ट मांगी है, जिनका पुनर्निर्माण होना है या नए सिरे से बनाई जानी हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सड़कों में निर्माण सामग्री में गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कार्यों में लापरवाही बरतने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि शहरों को जाम से मुक्ति दिलाने के लिए योजना बनाकर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हिसार में रिंग रोड बनाया जाएगा जिससे आम जन को लाभ मिलेगा। अन्य स्थानों पर भी यातायात को सुगम बनाने के लिए योजना बनाकर काम किया जाएगा।
सेल्फी लेने का युवाओं में बढ़ा क्रेज, ढेरु गाथा ग्रुप के कलाकार जमा रहे है ब्रह्मसरोवर पर लोक संस्कृति का रंग
चंडीगढ़ 4 दिसंबर- हरियाणा की लोक कला और संस्कृति की लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी कई विधाओं को संरक्षित करने का काम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कर रहा है। इस महोत्सव में ढेरु गायन गाथा, बाजीगर कला और कच्ची घोड़ी जैसी लोक कलाओं को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर देखा जा रहा है। इस महोत्सव से न केवल लोक संस्कृति को जीवित रखने का प्रयास सरकार की तरफ से किया जा रहा है बल्कि लोक कलाकारों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करवाएं जा रहे है। अहम पहलू यह है कि ब्रह्मसरोवर के तट पर ढेरु गाथा गायन ग्रुप के कलाकार हरियाणवी संस्कृति का रंग जमा रहे है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला, हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग, हरियाणा कला परिषद और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के साथ-साथ राज्य सरकार की तरफ से हरियाणा ही नहीं विभिन्न प्रदेशों की लोक संस्कृति को संरक्षित करने और कलाकारों को एक मंच मुहैया करवाने का काम अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के जरिए किया जा रहा है। इस महोत्सव में विभिन्न प्रदेशों की लोक कला को पर्यटकों के समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। लोक कलाकार ने बातचीत के दौरान इस बात का खुलासा किया कि हरियाणा प्रदेश में कुछ ही कलाकार बचे है जो बीन, तुंबा, ढोलक, खंजरी बजा कर जोगी नाथ बीन सपेरा परम्परा को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है।
उन्होंने कहा कि उनके ग्रुप में उनके अन्य साथी कलाकार भी उनके साथ इस कला को जीवित रखने का काम कर रहे है। सभी कलाकार पारम्पकि वेशभूषा से सुसज्जित होकर बीन, तुम्बा, ढोलक, खंजरी बजाकर लोगों का मनोरंजन कर रहे है। यह महोत्सव लोक कलाकारों का एक बड़ा मंच बन चुका है। राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार के कलाकारों को और अधिक प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव जैसे मंच उपलब्ध करवाने का काम लगातार किया जा रहा है। महोत्सव के शिल्प और सरस मेले के सातवें दिन हरियाणा के विभिन्न गांवों के लोक कलाकारों ने ब्रह्मसरोवर के उत्तरी तट पर ढेरु गाथा गायन की प्रस्तुति देकर पर्यटकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इन लोक कलाकारों ने ढेरु गाथा गायन के जरिए गुरु गोरख नाथ जी की गाथा, जाहवीर गूगा पीर की गाथाओं का गुणगान किया। इन लोक कलाकारों का कहना है कि यह लोक कला विलुप्त करने के कगार पर पहुंच चुकी है। सरकार और प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव से लोक कलाओं को जीवंत रखने का प्रयास किया जा रहा है।
यमुनानगर के लोहगढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर स्मारक केंद्र के कार्य की प्रगति की निगरानी करेगी
चंडीगढ़ 4 दिसंबर- हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यमुनानगर जिले के लोहगढ़ में बाबा बंदा सिंह बहादुर स्मारक केंद्र के कार्य की प्रगति की निगरानी के लिए उच्च स्तरीय लोहगढ़ परियोजना विकास समिति के गठन को स्वीकृति प्रदान की है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यहां इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी विकास मामले मंत्री मनोहर लाल समिति के मुख्य संरक्षक होंगे जबकि मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी इसके अध्यक्ष होंगे।
उन्होंने बताया कि केन्द्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी मामले मंत्री मनोहर लाल समिति के मुख्य संरक्षक होंगे तथा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इसके अध्यक्ष होंगे। मुख्यमंत्री के ओएसडी डॉ. प्रभलीन सिंह समिति के सदस्य सचिव होंगे।
उन्होंने बताया कि समिति के अन्य सदस्यों में पर्यटन एवं विरासत मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा, पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री कंवर पाल, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री राजेश खुल्लर, पूर्व सांसद श्री तरलोचन सिंह, सिख इतिहासकार एवं पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला के पूर्व कुलपति डॉ. जसपाल सिंह, विरासत एवं पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव, हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष श्री रणदीप सिंह जौहर, यमुनानगर के उपायुक्त, हरियाणा पर्यटन निगम के प्रबंध निदेशक और सिग्मा समूह के अध्यक्ष श्री जगदीप एस. चड्ढा शामिल हैं।
महत्वाकांक्षी लोहगढ़ विकास परियोजना लोहगढ़ स्मारक स्थल को एक विशाल परिसर में विकसित करेगी।
प्रवक्ता ने बताया कि यह महत्वाकांक्षी लोहगढ़ विकास परियोजना लोहगढ़ स्मारक स्थल को एक विशाल परिसर में विकसित कर रही है, जो न केवल महान बाबा बंदा सिंह बहादुर को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि सिख समुदाय की समृद्ध विरासत को भी प्रदर्शित करता है।
इस बदलाव का एक अहम पहलू अत्याधुनिक संग्रहालय का निर्माण करवाना
उन्होंने कहा कि दो चरणों में शुरू होने वाली इस परियोजना का उद्देश्य स्मारक स्थल के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को फिर से जीवंत करना है। पहले चरण में, किले, मुख्य द्वार और परिसर की चारदीवारी को बहाल करने और उसे बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह परिसर 20 एकड़ के विशाल क्षेत्र में विकसित किया जाएगा। इस बदलाव का एक अहम पहलू अत्याधुनिक संग्रहालय का निर्माण होगा। इस संग्रहालय में बाबा बंदा सिंह बहादुर से जुड़ी जीवन गाथा को नवीनतम तकनीकी नवाचारों के साथ मिलाकर आगंतुकों को इतिहास और आधुनिकता के बीच की दुनिया में ले जाया जाएगा। इस उल्लेखनीय स्थान पर, बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन का सार, उनके जन्म से लेकर उनके अंतिम दिनों तक, को जीवंत रूप से चित्रित किया जाएगा।
अमृतसर : अमृतसर के श्री दरबार साहिब में सजा भुगत रहे पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर सिंह बादल पर बुधवार को फायरिंग की गई। हालांकि, इस हमले में सुखबीर सिंह बादल बाल-बाल बच गए। सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी को मौके पर ही पकड़ लिया। उसके पास से पिस्टल भी बरामद हुई है। सुरक्षाकर्मियों ने सुखबीर बादल को घेरा हुआ है।
फायरिंग करने वाले व्यक्ति की पहचान गुरदासपुर के डेराबाबा नानक के रहने वाले नारायण सिंह चौड़ा के रूप में हुई है। वह दल खालसा का सदस्य बताया जा रहा है। बादल सुबह अकाल तख्त की सजा भुगतने के लिए पहुंचे थे। वे बरछा पकड़कर घंटाघर के बाहर बैठे हुए थे। तभी उन पर हमला किया गया।
बता दें कि दो दिसंबर को श्री अकाल तख्त साहिब पर राम रहीम मामले में 5 सिंह साहिबानों की बैठक हुई, जिसमें उन्हें और शिरोमणि अकाली दल सरकार के दौरान अन्य कैबिनेट सदस्यों को धार्मिक दुराचार के आरोपों के लिए सजा सुनाई गई थी।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा ने सबको चौंकाते हुए 232 सीटों को जीतकर अपनी महायुति की सरकार बनाने की राह बना ली। भाजपा ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने का सपना ही पूरा करते हुए महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी जीत हासिल की है। मुंबई के कोने-कोने में ऐसी चर्चा है कि अब महायुति सरकार अपनी मनमानी करेगी और महाराष्ट्र में अब कई घपले-घोटाले होंगे। फ़िल्म इंडस्ट्री, मछली के व्यवसाय मुंबई के बड़े पैसे कमाने के दो धंधे हैं, जिन पर भाजपा का क़ब्ज़ा बहुत पहले से हो चुका है और अब इन पर भाजपा की ज़्यादा मनमानी चलेगी। इसमें घोटाले हों, तो हैरान नहीं होने का। घोटाले तो पहले भी होते ही रहे हैं। पर सबसे बड़ा घोटाला होगा- एशिया के सबसे बड़ी झोंपड़पट्टी धारावी की ज़मीन उसकी पुनर्विकास योजना के नाम पर हड़प लेना। कोई 20 साल से धारावी के पुनर्विकास में कुछ नहीं हो सका, तो महाराष्ट्र की महायुति सरकार ने अदाणी ग्रुप के साथ मिलकर इस झोंपड़पट्टी के विकास के नाम पर अपना प्रोजेक्ट शुरू कर दिया।
अभी सर्वे ही पूरा नहीं हो पाया है। आदित्य ठाकरे, राहुल गाँधी और दूसरे कई विपक्षी नेताओं ने इस प्रोजेक्ट को भाजपा की नीयत पर सवाल उठाते हुए धारावी की ज़मीन हड़पने की नीयत वाला प्रोजेक्ट माना है। अभी हाल ही में कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गाँधी ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके धारावी के पुनर्विकास की योजना को लेकर भाजपा और महायुति सरकार की नीति और नीयत पर सवाल उठाये। उन्होंने एक तिजोरी से दो पोस्टर निकालकर जनता को दिखाये, जिसमें एक पोस्टर में ‘एक हैं तो सेफ हैं’ लिखा था और दूसरे पोस्टर में धारावी की तस्वीर लगी थी। राहुल गाँधी ने दोनों पोस्टर लहराते हुए कहा कि भाजपा धारावी की ज़मीन अडाणी को देना चाहती है। एक हैं तो सेफ हैं का मतलब है कि मोदी, अडाणी, शाह एक हैं, तो सेफ हैं। और नुक़सान जनता का होगा। उन्होंने कहा कि सात लाख करोड़ के कई प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र से छीनकर अन्य राज्यों को दे दिये गये और पाँच लाख लोगों का रोज़गार छीन लिया गया है। उन्होंने साफ़ कहा कि धारावी का भविष्य सुरक्षित नहीं है। राहुल गाँधी की बात को धारावी के लोग जितना समझ सकते हैं उतना कोई और नहीं समझ सकता। हम यह नहीं कहते कि धारावी का विकास नहीं होना चाहिए; मगर यहाँ तो ‘बिल्ली से दूध की रखवाली करायी जाएगी, तो दूध कैसे सुरक्षित रहेगा’ वाली बात है। 12-13 लाख लोगों की बस्ती धारावी पर क़रीब 23,000 करोड़ रुपये ख़र्च होने हैं। अडाणी ग्रुप और महायुति सरकार की योजना है कि यहाँ, जिनकी झोंपड़पट्टियाँ हैं, उन्हें 350 वर्ग फीट एरिया में बने फ्लैट दे दिये जाएँ और बाक़ी ज़मीन पर अडाणी जो मर्ज़ी करें। पहले 01 जनवरी, 2000 से पहले धारावी में बसे लोगों को पक्के फ्लैट देने की योजना थी, पर 2019 में महाविकास अघाड़ी की सरकार बनने से भाजपा की यह योजना थम गयी। सन् 1999 में भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के पुनर्विकास का प्रस्ताव विधानसभा में रखा था, पर जानकार बताते हैं कि इसमें मलाई लूटने के खेल में भाजपा और शिवसेना में अंदर-ही-अंदर झगड़ा बढ़ने लगा और जब दोनों ने गठबंधन तोड़ लिया, तो भाजपा के मंसूबे पर पानी फिरता दिखायी दिया। पर इससे पहले 2003 में तो इन्हीं पार्टियों की महाराष्ट्र सरकार ने धारावी को इंटीग्रेटेड प्लांड टाउनशिप की तरह विकसित करने के प्रस्ताव को स्वीकार्यता भी दे दी थी। सन् 2011 में कांग्रेस की सरकार ने सभी टेंडर कैंसिल कर दिये और अपना अलग एक मास्टर प्लान बना लिया। इस योजना पर बोलियों का खेल शुरू हुआ, पर बोली को 2019 में पॉवर में आते ही महायुति सरकार ने रिजेक्ट कर दिया।
जब बीच में ही एकनाथ शिंदे शिवसेना तोड़कर महाअघाड़ी सरकार गिराकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे, तो अक्टूबर 2022, में उन्होंने नये टेंडर जारी करके अडाणी ग्रुप को इस झोंपड़पट्टी के पुनर्विकास का ठेका दे दिया। कुछ अड़चन लगी, तो 29 नवंबर, 2022 को फिर बोली के तहत अडाणी ग्रुप को ठेका मिला। इस ठेके में 80 प्रतिशत अडाणी ग्रुप की और 20 प्रतिशत महाराष्ट्र सरकार की हिस्सेदारी है। अब भाजपा की चलेगी और काम अडाणी से ही कराया जाना तय है। इस योजना के तहत तय हुआ है कि जो लोग धारावी के रहने वाले हैं; उन्हें एमएमआर योजना के तहत मुंबई के बाहर 300 वर्ग फीट का घर मिलेगा। हालाँकि इस बात का निर्णय सर्वेक्षण और सरकार के डेटा के आधार पर लिए जाने की बात तय हुई है, पर जब भाजपा की सरकार अपनी-अपनी ही मनमानी करेगी।
समस्या यह है कि हमारे देश के सभी शहरों में झोंपड़पट्टियाँ हैं, पर उनके पुनर्विकास के नाम पर सरकारें अपने मनपसंद ठेकेदारों से मिलकर पैसा बनाती हैं। धारावी कोई आम झोंपड़पट्टी नहीं है, यहाँ हर तरह के काम-धंधे लोगों के चलते हैं और क़रीब-क़रीब हर चीज़ यहाँ बनती है, कपड़े से लेकर खिलौने तक और बहुत तरह की फैक्ट्रियाँ तक यहाँ हैं। लोगों के पुनर्विकास का सीधा मतलब है- उनके रोज़गार भी छिन जाना। धारावी के लोग भी विकास चाहते हैं, पर वो धारावी से उजड़कर नहीं चाहते, ख़ासकर अपने धंधे चौपट नहीं करना चाहते। मेरी धारावी के लोगों की तरफ़ से सरकार से विनती है कि नयी सरकार इस बात पर भी ध्यान दे।
इंट्रो- लोगों के बैंक खातों (अकाउंट्स) से पैसा उड़ाने वाले हैकर्स काफ़ी तेज़-तर्रार और चालाक होते हैं। किसी खाता धारक (अकाउंट होल्डर) की ज़रा-सी ग़लती इन हैकर्स को उसके बैंक खाते से पैसे उड़ाने का मौक़ा देती है। इस बार ‘तहलका’ एसआईटी की रिपोर्ट में ख़ुलासा किया गया है कि साइबर अपराधी किस तरह व्यक्तिगत बैंक खातों को हैक करते हैं। गेमिंग प्लेटफॉर्म पर जाकर ऑनलाइन गेम खेलने वालों को निशाना बनाते हैं और अपनी अवैध गतिविधियों को छिपाने के लिए चोरी किये गये धन (रुपयों) को ग़रीबों को लालच के जाल में फँसाकर उनके बैंक खातों में डालते हैं। इससे बैंकिंग सुरक्षा में गंभीर ख़ामियाँ तो उजागर होती ही हैं, हैकर्स को रोकने के लिए बनी बैंकों की आईटी सेल और क्राइम ब्रांचों की नाकामी भी सामने आती है। पढ़िए, तहलका एसआईटी की विशेष पड़ताल :-
साइबर अपराधियों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी करने के लिए उपयोग में न आने वाले बैंक खातों को ख़रीदने का एक नया तरीक़ा ईजाद किया है। हैकर्स इसके लिए ग़रीबों के खाते ही ढूँढते हैं। ये खाते हैकिंग और अन्य धोखाधड़ी गतिविधियों के माध्यम से चुराये गये धन (हैक किये गये पैसों) को स्थानांतरित करने और धन-शोधन के लिए हैकर्स का माध्यम बनते हैं।
‘मुझे बैंक खातों की ज़रूरत है। बचत खाते, चालू खाते और यहाँ तक कि कॉर्पोरेट खाते भी चलेंगे। वर्तमान में मैं ऐसे कई खातों का प्रबंधन करता हूँ। हम इन खातों को उनके मालिकों को कमीशन देकर हासिल करते हैं, जो हमें दूसरों के खातों से चुराये गये पैसों को जमा करने की अनुमति देते हैं। यह पीड़ितों के खातों को हैक करके किया जाता है। जो लोग हमें अपने खाते उपलब्ध कराते हैं, उन्हें 10 प्रतिशत कमीशन मिलता है।’ -‘तहलका’ द्वारा चलाये गये एक अंडरकवर ऑपरेशन के दौरान कोलकाता के एक हैकर जीतू सिंह ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया।
‘पैसे चुराने के लिए मैं लोगों के बैंक खातों का विवरण सीधे बैंक से, अक्सर सरकारी बैंकों से प्राप्त करता हूँ। ऐसी ही एक कोलकाता शाखा (बैंक की ब्रांच) के प्रबंधक मेरे क़रीबी सहयोगी हैं। वह मुझे ग्राहकों की संवेदनशील जानकारी उपलब्ध कराते हैं, जिसमें एटीएम पिन, आईएफएससी कोड, खाता संख्या आदि शामिल हैं। इस जानकारी का उपयोग करके हम पैसे चुराते हैं और इसे दूसरों से उधार लिये गये खातों में जमा करते हैं।’ – यह बात जीतू सिंह ने फ़र्ज़ी ग्राहक बनकर गये ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को बतायी।
‘अगर आप हमें बैंक खाते उपलब्ध कराते हैं, तो वहाँ हम अन्य लोगों के खातों से चुराये गये पैसों को जमा कर सकते हैं।’ जीतू ने ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर से अपील करते हुए कहा।
‘हमारा कोलकाता स्थित पाँच लोगों का एक गिरोह है, जिसका नेतृत्व मोहम्मद इमरान करता है। हम न केवल व्यक्तिगत बैंक खातों को हैक करते हैं, बल्कि ड्रीम-11 जैसे ऑनलाइन गेम (खेल) खेलने वालों को भी निशाना बनाते हैं। ऑनलाइन गेम में हम केवल उन लोगों के अकाउंट हैक करते हैं, जो हार रहे होते हैं; उन्हें क्योंकि धोखाधड़ी का पता लगाना कठिन होता है। हारने वाले यह मान लेते हैं कि उन्होंने हैकिंग के ज़रिये नहीं, बल्कि खेल में ही पैसे गँवा दिये हैं।’ -कोलकाता के एक अन्य हैकर मोहम्मद तौसीफ़, जिसका सहयोगी जीतू भी है; ने ‘तहलका’ के अंडरकवर रिपोर्टर को बताया।
‘मैं पिछले तीन वर्षों से बैंक खातों को हैक कर रहा हूँ। अब तक हमारे समूह, जिसमें शिराज और आतिफ़ शामिल हैं; ने 12-13 ऑनलाइन गेमिंग खातों और कई व्यक्तिगत बैंक खातों को हैक कर लिया है। हम सभी पाँच लोग कोलकाता में हवाई अड्डे के पास मजूमदार पाड़ा नामक जगह पर रहते हैं।’ -तौसीफ़ ने रिपोर्टर को आगे बताया। भारत में डिजिटल अरेस्ट और बैंक खाते से पैसे चोरी के बढ़ते मामलों को देखते हुए ‘तहलका’ ने साइबर अपराध की दुनिया में बहुप्रतीक्षित पड़ताल शुरू की। इस पड़ताल से हमें मोहम्मद तौसीफ़ और जीतू सिंह नामक साइबर धोखाधड़ी गिरोह के दो सदस्यों का पता चला, जो कोलकाता से सक्रिय हैं और उनकी गतिविधियाँ दिल्ली तक फैली हुई हैं।
पड़ताल की शुरुआत दिल्ली के एक पाँच सितारा होटल में जीतू के साथ बैठक से हुई। जीतू ने बिना किसी हिचकिचाहट के ‘तहलका’ रिपोर्टर को बताया कि उसके गिरोह को ड्रीम-11 जैसे ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को हैक करने सहित धोखाधड़ी गतिविधियों के माध्यम से चुराये गये धन को स्थानांतरित करने के लिए ग़रीब लोगों के बैंक खातों की आवश्यकता है। निम्नलिखित बातचीत में जीतू ने ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से पैसे उड़ाने की जटिल कार्यप्रणाली के बारे में भी काफ़ी-कुछ बताया कि कैसे उसका गिरोह आर्थिक रूप से वंचित लोगों के खातों का फ़ायदा उठाकर चोरी की गयी धनराशि को हस्तांतरित करता है और ड्रीम-11 जैसे लोकप्रिय ऐप्स पर गेम्स खेलने वाले अनजान उपयोगकर्ताओं को निशाना बनाकर उन्हें धोखा देता है।
रिपोर्टर : भाई! बैंक अकाउंट, …मतलब?
जीतू : सेविंग और कॉर्पोरेट, दोनों।
रिपोर्टर : सेविंग और कॉर्पोरेट; …सिर्फ़ अकाउंट चाहिए?
जीतू : हाँ। …अकाउंट, मतलब अकाउंट नंबर हुआ, सिम हुआ।
रिपोर्टर : सिम?
जीतू : अकाउंट में हम लोग सिम देते हैं ना! …वो नंबर वाला सिम।
रिपोर्टर : क्या करेगा उसका?
जीतू : जो गेमिंग पैसा होता है ना! गेमिंग पैसा वो सब ऐसा होता है, …हम तो अपना अकाउंट दे नहीं सकता। इसलिए जो बहुत ग़रीब है ना! जिनको खाने का नहीं है। पैसा नहीं है, जो ग़रीब हो। काम नहीं कर सकता, वो लोग के अकाउंट में हम देता है। …हम लोग गेमिंग का पैसा मारते हैं, और यहाँ जमा करते हैं। ये सब अकाउंट में होता है।
रिपोर्टर : ये समझा मुझे डिटेल में। …मुझे समझ नहीं आया। मुझे पता ही नहीं है कुछ। ये मेरे लिए नयी चीज़ है; …मुझको समझा।
जीतू : गेमिंग मतलब क्रिकेट, फुटबॉल, …जितने भी गेमिंग ऐप्स हैं।
रिपोर्टर : जैसे ड्रीम-11 हो गया?
जीतू : हाँ; जितना भी गेमिंग ऐप है, उसमें तो फंड लगता है। …रोज़ का आप पकड़ लो कितना फंड लगता? …लगाने को बहुत है। करोड़ों आदमी है। 10 रुपया भी लगाता है। इस समय हम लोग बैठा रहता है।
रिपोर्टर : कहाँ बैठा रहता है?
जीतू : देखते हैं कि आईडी में कितना ठंड लगने वाला है।
जीतू : जैसा आप क्रिकेट में लगाता है। जैसे इंडिया-पाकिस्तान मैच हुआ, …आप 10,000 रुपये लगा दिया।
रिपोर्टर : सट्टा लगा दिया?
जीतू : जो आईडी है ना! वो हम लोगों के पास रहता है। हम लोग देखता है कौन-सी आईडी में सबसे ज़्यादा पैसा लगा हुआ है। …वो आईडी से पैसा $गायब करता है।
रिपोर्टर : कैसे? इल्लीगल तरीक़े से?
जीतू : हाँ; उसका 2-4 आईडी होता है। आप बैठे-बैठे समझ ही नहीं पाओगे, …पैसा $गायब हो जाएगा।
रिपोर्टर : अकाउंट से पैसा $गायब हो जाएगा? …हैकिंग भी कर रहे हो?
जीतू : हम नहीं, मतलब मेरा दोस्त लोग करता है। …वो लोग रोज़ मारता है। और रोज़ उसको अकाउंट चाहिए।
रिपोर्टर : उसमें रखने के लिए?
अब जीतू ने ख़ुलासा किया है कि उसे 50,000 रुपये की एटीएम निकासी सीमा वाले बचत खातों की आवश्यकता है; और वह ऐसे खाता धारकों को 10 प्रतिशत कमीशन देने की पेशकश कर रहा है, जो धोखाधड़ी से दूसरे के खातों से उड़ाये गये (हैक किये गये) पैसों को स्थानांतरित करने के लिए अपने खातों का उपयोग करने देंगे। उसने इस बात भी का ख़ुलासा किया कि किस प्रकार उसका गिरोह अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए बचत और कॉर्पोरेट खातों का दुरुपयोग करता है।
जीतू : सेविंग अकाउंट होता है, तो उसमें एटीएम का लिमिट क्या होता? 50 के (हज़ार)। और एक अकाउंट में 1.5 लाख तक का काम। 1.5 लाख का हमको 10 परसेंट, जिसका भी अकाउंट होगा, उसको मिल जाएगा। …कॉर्पोरेट अकाउंट होता है करेंट अकाउंट के ऊपर, …उसमें होता है करोड़ का। उसमें समझ लो हमको 25 परसेंट मिलता है।
रिपोर्टर : तो आपको बेसिकली अकाउंट चाहिए?
जीतू : किसी का भी। कोई भी एटीएम का लिमिट हो, कॉर्पोरेट कोई भी हो।
रिपोर्टर : मतलब, एटीएम से 50,000 रुपये तक निकाल सकते हैं, एक दिन में?
जीतू : हाँ।
रिपोर्टर : उसको क्या फ़ायदा, जो अकाउंट देगा?
जीतू : रोज़ का 1.5 लाख का ट्रांसफर होगा उसके अकाउंट में। …1.5 लाख का 10 परसेंट, 15,000 रुपये उसको मिलता रहेगा।
रिपोर्टर : मतलब, …जो तुम्हारे पास अकाउंट हैं, उसमें तुम पैसा डालते हो?
जीतू : हाँ।
रिपोर्टर : फिर उसको निकालते होगे अपने-उसके लिए; तो जिसका अकाउंट है, उसको कितना पैसा देते हो?
जीतू : उसको 10 परसेंट।
अब जीतू ने एक चौंकाने वाला ख़ुलासा किया है कि उनकी टीम न केवल ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को हैक कर रही है, बल्कि पैसे चुराने के लिए व्यक्तिगत बैंक खातों को भी निशाना बना रही है। उसने कोलकाता के एक प्रतिष्ठित सरकारी बैंक से ग्राहकों की जानकारी, जिसमें एटीएम पिन, आईएफएससी कोड और खाता संख्या आदि की जानकारी शामिल है; प्राप्त करने की बात स्वीकार की। चौंकाने वाली बात यह है कि जीतू ने ख़ुलासा किया कि एक बैंक मैनेजर, जो उसका क़रीबी दोस्त है; ऐसी संवेदनशील जानकारी उपलब्ध कराता है, जिससे गिरोह को खाते हैक करके पैसे उड़ाने में मदद मिलती है।
रिपोर्टर : क्या-क्या देता है तू? …अकाउंट की डिटेल?
जीतू : हम देता है एटीएम, अकाउंट का नंबर और पिन।
रिपोर्टर : एटीएम का पिन? वो कैसे मिल जाएगा तुझको?
जीतू : बैंक में सब मिल जाता है।
रिपोर्टर : बैंक वाले बता देते हैं?
जीतू : हाँ; उसको अकाउंट नंबर, आईएफएससी कोड सब दे देता है।
रिपोर्टर : कौन-सी बैंक का अभी तक तूने ज़्यादा दिया है?
जीतू : xxxxx…।
रिपोर्टर : xxxxx, सरकारी बैंक का? किसने दिया तुझे उसकी डिटेल?
जीतू : आ जाती है। xxxxx बैंक तो ऐसा है कि वो मेरा घर है।
रिपोर्टर : कौन-सी ब्रांच xxxx की? कोलकाता में?
जीतू : xxxx…।
रिपोर्टर : xxxx ब्रांच, कोलकाता की? मैनेजर कौन है?
जीतू : xxxx है कोई। …मैनेजर चेंज होता रहता है। वो आप मेरे साथ जब भी जाएगा, कोई भी बैंक में जाएगा, आपको लाइन में लगना पड़ेगा। मगर मेरे साथ जाएगा, तो नहीं। …मैनेजर भी खड़ा रहेगा।
रिपोर्टर : xxxx ब्रांच?
जीतू : xxxx ब्रांच।
‘तहलका’ रिपोर्टर ने जीतू से उसके दूसरे साथी तौसीफ़ के साथ एक बैठक की व्यवस्था करने का अनुरोध किया और उसने इस उद्देश्य के लिए तौसीफ़ को दिल्ली बुलाया। दोनों (रिपोर्टर और तौसीफ़) की मुलाक़ात नोएडा के एक प्रतिष्ठित रेस्तरां में हुई। बातचीत के दौरान तौसीफ़ ने ‘तहलका’ रिपोर्टर के सामने क़ुबूल किया कि वह गेम में हारने वालों के ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट हैक करता है। उसने यह भी बताया कि वह केवल हारने वाले खातों को ही क्यों लक्ष्य बनाता है; जीतने वाले खातों को नहीं। निम्नलिखित चर्चा ऑनलाइन गेमिंग खातों को हैक करने और धन चुराने के लिए धोखेबाज़ों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली परिष्कृत तकनीकों को उजागर करती है।
रिपोर्टर : किस तरीक़े से काम करते हो आप?
तौसीफ़ : हमारा काम तो गेमिंग का है। जैसे कि गेमिंग का अकाउंट होता है, ऑनलाइन गेम अकाउंट, उसे मैं हैक करता हूँ।
रिपोर्टर : जैसे- ड्रीम-11 हुआ?
तौसीफ़ : ड्रीम-11 हुआ, विंजो में जितने भी, और भी ऑनलाइन गेम हैं। जैसे आप खेल रहे हो, आपका नाम शो हो गया। वहाँ से हम हैक करके अपने अकाउंट में ले लेते हैं।
रिपोर्टर : समझा नहीं मैं?
तौसीफ़ : जैसे आप गेम खेल रहे हैं और आप गेम जीत गये, तो वो पैसे आपके अकाउंट में आ जाएगा। …अगर आप लॉस (नुक़सान) होते हो, वहाँ से आपको पता नहीं लगेगा, वहाँ से हम अकाउंट को हैक कर लेते हैं और उस पैसे को अपने अकाउंट में ट्रांसफर कर लेते हैं।
रिपोर्टर : लॉस वाले का क्यूँ हैक करते हो, जीतने वाले का क्यूँ नहीं?
तौसीफ़ : नहीं, ऐसा नहीं होता। जो आपको, …जो विन (जीत) दिखाएगा, वो आपके अकाउंट में दिखाएगा, जो लॉस मनी (पैसे की हानि) होगा, वो आपको शो नहीं होगा। आपको तो यही लगेगा कि आप हार चुके हो। लेकिन उसको हम हैक करके अपने अकाउंट में लेते हैं।
तौसीफ़ ने क़ुबूल किया कि वे पाँच लोगों का एक गिरोह है, जो कोलकाता के हवाई अड्डे के पास मजूमदार पाड़ा में रहता है। उन्होंने बताया कि उनके अलावा इस समूह (ग्रुप) में आतिफ़ और सिराज भी शामिल हैं तथा इसका नेतृत्व मोहम्मद इमरान कर रहा है। तौसीफ़ ने बताया कि उसके गिरोह ने अब तक 12-13 ऑनलाइन गेमिंग अकाउंट हैक किये हैं। एक स्पष्ट बातचीत से उनके कामकाज के तरीक़ों और सीमा का पता चलता है।
रिपोर्टर : तो कितने अकाउंट आप गेमिंग के हैक कर चुके हो?
तौसीफ़ : 12-13 कर दिये हैं।
रिपोर्टर : 12-13 आपने ख़ुद ने?
तौसीफ़ : नहीं, हमारी एक टीम है।
रिपोर्टर : कितने लोग हैं?
तौसीफ़ : हम पाँच लोग हैं। एक मैं हूँ, एक सिराज़ है, आतिफ़ है, मोहम्मद इमरान है।
रिपोर्टर : पाँच लोगों का ग्रुप है, उसमें हेड (प्रमुख) कौन है?
तौसीफ़ : हेड हमारा मोहम्मद इमरान है।
रिपोर्टर : मोहम्मद इमरान?
तौसीफ़ : जी!
रिपोर्टर : आप पाँचो कोलकाता से हो? …किस जगह रहते हो?
तौसीफ़ : एयरपोर्ट के पास है।
रिपोर्टर : कौन-सी जगह कहलाती है?
तौसीफ़ : मजूमदार पाड़ा।
रिपोर्टर : मजूमदार पाड़ा?
तौसीफ़ ने ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स से उसके और उसके गिरोह द्वारा चुरायी गयी कुल राशि का भी ख़ुलासा किया है। यह हाल के दिनों में धोखेबाज़ों द्वारा बैंक खाते हैक करने की घटनाओं में ख़तरनाक बढ़ोतरी की ओर इशारा करता है। तौसीफ़ ने ख़ुलासा किया कि उसके गिरोह का सरगना इमरान ही लोगों के अकाउंट हैक करने के लिए ज़रूरी सारी जानकारी हासिल करता है।
रिपोर्टर : आपने अभी तक कितना पैसा हैक किया लोगों के गेमिंग अकाउंट से?
तौसीफ़ : गेमिंग में जैसे आपने 2,500 लगाये हैं। आपकी तरह औरों ने भी, जैसे- चार-पाँच लोग; …अब हम पाँच बंदे हैं। हम सभी 50 के – 50 के (50-50 हज़ार) भी रखते हैं, तो 2.5 लाख हो जाते हैं।
रिपोर्टर : अच्छा, मतलब पाँच लोग हो आप, तो सब अलग-अलग करते हो?
तौसीफ़ : हाँ जी! ये नहीं कि एक पर, …अलग-अलग सब करते हैं।
रिपोर्टर : तो आपको उनकी डिटेल कैसे पता लगती है?
तौसीफ़ : ऐसा है, जो गेम खेलते हैं ऑनलाइन; …हम उनको चेक करते हैं। कौन जीत रहा है, कौन हार रहा है।
रिपोर्टर : आप चेक कैसे करते हो?
तौसीफ़ : हम नहीं, हम तो हैक करते हैं। जो हमारा बॉस है ना! वो डिटेल निकालता है।
रिपोर्टर : मोहम्मद इमरान, वो कैसे निकालते हैं?
तौसीफ़ : वो सारी बातें आपको ऐसे थोड़ी बता देंगे।
तौसीफ़ ने ख़ुलासा किया कि जीतू हमारे गिरोह को ग्राहकों के बैंक खातों का विवरण प्रदान करने का काम करता है, जिससे धन की चोरी की जा सके।
तौसीफ़ : जीतू भाई एक्चुअली हमारे फ्लैट के पास ही रहते थे ये। …नीचे-ऊपर निकलते बातचीत हो जाती है ना! तो ऐसे ही मुलाक़ात हो गयी। ये मदद करते हैं हमारी।
रिपोर्टर : मदद कैसी?
तौसीफ़ : ये हमें अकाउंट लाकर देते हैं। …जैसे किसी का अकाउंट है, बैंक अकाउंट है; …ये डिटेल लाकर देते हैं।
तौसीफ़ ने स्वीकार किया कि वह पिछले तीन वर्षों से न केवल ऑनलाइन गेमिंग खातों, बल्कि व्यक्तिगत बैंक खातों को भी हैक कर रहा है। उन्होंने बताया कि जीतू उन्हें ग्राहकों के व्यक्तिगत बैंक खाते का विवरण प्राप्त करने में सहायता करता है, जिसके लिए वे उसे 10 प्रतिशत कमीशन देते हैं।
रिपोर्टर : हाँ, अब बताओ।
तौसीफ़ : जीतू भाई हमको बैंक अकाउंट लाकर देते हैं। …जितने ये हमें बैंक अकाउंट लाकर देते हैं, उनके हम इनको 10 परसेंट देते हैं।
रिपोर्टर : मतलब, पैसा उड़ा लेते हो आप। …और ये काम आप कबसे कर रहे हो?
तौसीफ़ : तीन साल से।
तौसीफ़ ने क़ुबूल किया कि उसके गिरोह का सरगना इमरान अपने चार साथियों के साथ मिलकर लंबे समय से लोगों के बैंक खाते हैक कर रहा है। उसने ख़ुलासा किया कि कोलकाता के धर्मतला इलाक़े में इमरान से मिलने के बाद वह गिरोह का पाँचवाँ सदस्य बन गया।
रिपोर्टर : तो आप इमरान से कैसे मिले?
तौसीफ़ : एक्चुअली, आपने सुना होगा धर्मतला?
रिपोर्टर : ये क्या है?
तौसीफ़ : एक जगह है, …कोलकाता का मेन (प्रमुख) जगह है।
रिपोर्टर : धर्मतला? …क्या है वहाँ पे?
तौसीफ़ : वहाँ पे मार्केट है सबसे बड़ी। उसके क्लोज (निकट) आपका ईडन गार्डन है…।
रिपोर्टर : तो धर्मतला में मिले आप इमरान से?
तौसीफ़ : जी! मैं तो लास्ट में मिला, किसी के थ्रू (ज़रिये) मिला।
रिपोर्टर : मतलब, ये सब पहले से; …चार पहले से और आप फिफ्थ (पाँचवें) आदमी थे।
तौसीफ़ : जी!
अब तौसीफ़ ने स्वीकार किया है कि उसके साथी जीतू ने हैकिंग के लिए उत्तर प्रदेश के कुछ ग्राहकों के बैंक खातों का विवरण जुटाया था।
रिपोर्टर : कितने अकाउंट दिलवा दिये जीतू भाई ने अभी तक?
तौसीफ़ : अभी तो यूपी (उत्तर प्रदेश) से दिलवाये हैं।
रिपोर्टर : यूपी से?
इसके बाद तौसीफ़ ने ‘तहलका’ रिपोर्टर को एक ऑफर दिया, जिसमें उसने ग़रीब लोगों के बैंक खातों की जानकारी माँगी, जिससे उसका गिरोह ग़लत तरीक़े से कमाये गये पैसे को ट्रांसफर कर सके। बदले में उसने रिपोर्टर को 10 प्रतिशत कमीशन देने का वादा किया।
रिपोर्टर : अच्छा; मुझे ये बताओ, हम और आप मिलकर कैसे काम कर सकते हैं?
तौसीफ़ : आप हमको अकाउंट दो ग़रीब का। …हम हैक करेंगे, आपके जो अकाउंट में जाएगा, आपको भी 10 परसेंट मिलेगा। जो कि ग़रीब के अकाउंट में जाएगा।
रिपोर्टर : एक दिन में कितनी कमायी हो जाएगी?
तौसीफ़ : हो जाएगी एक-दो लाख की।
रिपोर्टर : एक दिन में?
तौसीफ़ ने स्वीकार किया कि उसका बॉस इमरान उन्हें आमतौर पर सप्ताह में दो से तीन बार हैक करने के लिए बैंक खातों का विवरण उपलब्ध कराता है। एक बार जब इन लोगों को विवरण मिल जाता है, तो गिरोह के सभी पाँच सदस्य हैकिंग को अंजाम देने के लिए एक साथ काम करते हैं।
तौसीफ़ : हैक करना पड़ता है इस चीज़ को। ….अर्केा थोड़ी ना कर रहा है; पाँच-पाँच बंदे लगे पड़े हैं।
रिपोर्टर : रोज़ करते हो आप?
तौसीफ़ : रोज़ का नहीं, एक ह$फ्ते में; …कभी-कभी दो बार हो गया, तीन बार हो गया।
रिपोर्टर : तो फिर रोज़ आमदनी कैसे होगी?
तौसीफ़ : जैसे ऊपर से ऑर्डर आता है, एमडी की तरफ़ से, उसी दिन हम बैठ जाते हैं।
तौसीफ़ ने कहा कि उसे चोरी के पैसे जमा करने के लिए हमसे (रिपोर्टर से) केवल ग़रीब लोगों के बैंक खाते ही चाहिए। धनी व्यक्तियों के बैंक खातों को हैक करने के बारे में उसने बताया कि उनके खाते का विवरण पहले से ही उनके गिरोह के सरगना इमरान के पास उपलब्ध रहता है।
रिपोर्टर : अच्छा; आपको जो मुझसे चाहिए, वो ग़रीबों के अकाउंट चाहिए?
तौसीफ़ : हाँ।
रिपोर्टर : अमीरों के नहीं चाहिए?
तौसीफ़ : नहीं।
रिपोर्टर : अगर मैं किसी अमीर का भी दे दूँ अकाउंट, …फिर?
तौसीफ़ : एक्चुअली (दरअसल), हमें इन कामों के लिए ग़रीबों के अकाउंट ही चाहिए। …अब एक के अकाउंट में तो सारा पैसा डाल नहीं सकते; इसलिए।
तौसीफ़ ने बताया कि किस प्रकार वह और उसके गिरोह के सदस्य बैंक खातों को हैक करने की अपनी रणनीति के तहत अनजान लोगों को फोन करते हैं। उसने यह भी बताया कि ये लोग और दूसरे हैकर्स किस प्रकार अपने लक्षित पीड़ितों से ओटीपी प्राप्त करने के लिए लैपटॉप और सिम कार्ड्स का उपयोग करते हैं।
रिपोर्टर : तो आप किस तरीक़े से हैक करते हो, वो तरीक़ा बताओ। …आप कॉल कैसे करते हो, वो तो बताओ?
तौसीफ़ : यही लैपटॉप पर काम हो जाता है।
रिपोर्टर : किस तरीक़े से कॉल करते हो, ये तो बताओ?
तौसीफ़ : हम सबके अलग-अलग लैपटॉप हैं। और सारी जानकारी एमडी इमरान निकालते हैं।
रिपोर्टर : ठीक है, वो आपको दे देते हैं; …फिर?
तौसीफ़ : वो डिटेल निकालकर रखते हैं।
रिपोर्टर : सिम का इस्तेमाल कब करते हो?
तौसीफ़ : अपनी सिम? अपनी सिम इस्तेमाल नहीं होती। …वो तो एमडी इमरान लाता है।
रिपोर्टर : उस सिम से कैसे फोन करते हो, वो तो बताओ तरीक़ा?
तौसीफ़ : कस्टमर (ग्राहक) को कॉल करते हैं; …जो हमारे बंदे हैं। ये जो ओटीपी आता है ना! ओटीपी जो होता है ना! उसी के थ्रू (ज़रिये) करते हैं हम।
रिपोर्टर : तो आप कॉल करते हो?
तौसीफ़ : हमारे लोग करते हैं।
रिपोर्टर : अच्छा; कॉल करने वाले अलग बंदे हैं? …कितने हैं वो?
तौसीफ़ : दो ही हैं। पाँच बंदे हैं हमारे ग्रुप…। हम एक चीज़ पूछते हैं उनसे ओटीपी की। …हमारे जो बंदे होते हैं ना! वो कॉल करके ओटीपी पूछते हैं।
रिपोर्टर : किसी आदमी को फोन तो करते हो ना! तो मैं वही पूछ रहा हूँ, क्या करते हो आप?
तौसीफ़ : जैसे- बैंक से कॉल आता है, ये एटीएम कार्ड चाहिए आपको? आप कहते हो नहीं। उसी में जो चाहता है, हम उससे ओटीपी माँगते हैं। कोई-कोई बता देता है और कोई-कोई फोन काट देता है।
रिपोर्टर : तो उसका आप पैसा नहीं निकाल पाते, जो ओटीपी नहीं बताता है? उसी का निकाल पाते हो, जो बताता है?
तौसीफ़ : हाँ।
रिपोर्टर : तो आप क्या बोलकर उनको फोन करते हो?
तौसीफ़ : बैंक से।
रिपोर्टर : बैंक से? …सबको बैंक से बोलते हो?
तौसीफ़ : जो बंदे कॉल करते हैं, वो बोलते हैं।
रिपोर्टर : मतलब, ओटीपी मिलना ज़रूरी है?
तौसीफ़ : हाँ।
रिपोर्टर : ओटीपी न मिले, तो आप पैसे नहीं निकाल पाते?
तौसीफ़ : पैसे तो नहीं निकाल पाते ओटीपी के बग़ैर। …गेमिंग में कर लेते हैं।
रिपोर्टर : अच्छा; गेमिंग में बिना ओटीपी के हो जाता है काम? उसमें ओटीपी की ज़रूरत नहीं होती?
तौसीफ़ : हाँ।
अब तौसीफ़ ने अब तक हैक किये गये गेमिंग और बैंक खातों की संख्या का ख़ुलासा किया, जिससे इन हैकर्स की अवैध गतिविधियों की व्यापक प्रकृति पर प्रकाश पड़ता है।
रिपोर्टर : अच्छा; ये बताओ, कितने बैंक अकाउंट आपने अभी तक हैक कर दिये और कितने गेमिंग अकाउंट?
तौसीफ़ : अब तक मैंने बताया था- गेमिंग के 12-13 कर दिये, और बैंक के हमने अभी तक आठ-नौ कर दिये होंगे।
आख़िर में पूछने पर तौसीफ़ ने अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा के बारे में बताया। उसने दावा किया कि वह कोलकाता से स्नातक है और उसके दिवंगत पिता सरकारी नौकरी करते थे। पारंपरिक रोज़गार में रुचि न होने के कारण उसने लोगों के बैंक खातों से पैसे चुराने के अनैतिक धंधे को चुना। इससे पता चलता है कि अवैध गतिविधियों में लिप्त लोग नौकरी या व्यवसाय करना नहीं चाहते।
रिपोर्टर : आप कहाँ तक पढ़े हो तौसीफ़?
तौसीफ़ : मैं बीए पास हूँ।
रिपोर्टर : बीए पास हो, नौकरी नहीं की कहीं?
तौसीफ़ : नौकरी में ऐसा है न सर! नौकरी में मन नहीं लगता।
रिपोर्टर : रहने वाले कहाँ के हो आप?
तौसीफ़ : वहीं, कोलकाता…।
रिपोर्टर : वहीं, पैदा हुए, वहीं पढ़े; …फादर (पिता) क्या करते हैं?
तौसीफ़ : जी! फादर गवर्नमेंट जॉब (पिता सरकारी नौकरी) में थे।
रिपोर्टर : थे? …अब हैं नहीं वो? कौन-से डिपार्टमेंट (विभाग) में थे फादर?
तौसीफ़ : पापा थे हिंदुस्तान पेपर मिल में; …धर्मतला।
‘तहलका’ की पड़ताल से पता चलता है कि किस प्रकार धोखेबाज़ आम लोगों को चालू खाते खोलने या उनके मौज़ूदा खातों तक पहुँच प्रदान करने का लालच देते हैं, जिससे वे उनके अकाउंट हैक कर सकें और चुराये गये पैसों का हस्तांतरण संभव हो सके। ये धोखेबाज़ ग़रीबों को उनके खाते लेने के लिए आकर्षक प्रोत्साहन देते हैं और लगभग 50,000 रुपये मासिक कमीशन का वादा करते हैं। हाल ही में केरल पुलिस ने एक ऐसे ही साइबर घोटाले का पर्दाफ़ाश किया और ऐसे लोगों को गिरफ़्तार किया, जिन्होंने अपने बैंक खाते साइबर अपराधियों को बेच दिये थे। चिन्ता की बात यह है कि ऐसे खाते न केवल चुराये गये धन के साधन बनते हैं, बल्कि इनका उपयोग आतंकवाद सम्बन्धी गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को गंभीर ख़तरा पैदा हो सकता है।
‘तहलका’ की यह पड़ताल इस बढ़ती हुई समस्या से निपटने के लिए सख़्त नियमों और जन-जागरूकता बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है। इसके अलावा जिस ख़तरनाक आसानी से धोखेबाज़ हैकर्स बैंकों से संवेदनशील जानकारी प्राप्त करने का दावा करते हैं, वह बैंकिंग सुरक्षा प्रणालियों की गंभीर कमज़ोरी को उजागर करता है। इस तरह की धोखाधड़ियों को रोकने के लिए प्रमाणीकरण प्रोटोकॉल को मज़बूत करना अनिवार्य है। व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा पहले से कहीं ज़्यादा महत्त्वपूर्ण हो गयी है, क्योंकि इन धोखेबाज़ों की चालों से आम लोगों और समाज, दोनों के लिए दूरगामी विनाशकारी परिणाम होते हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की पहली महिला बटालियन के गठन की मंज़ूरी दे दी है। इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और लैंगिक समानता में योगदान देने वाला एक ऐतिहासिक क़दम के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाना और सशस्त्र पुलिस बलों में महिलाओं को अधिक मौक़े प्रदान करना है। 10 मार्च, 1969 को सीआईएसएफ की स्थापना की गयी थी और वर्तमान में इसमें 1,88,000 सैनिक हैं, जिनमें महिला कार्मिकों की संख्या सात प्रतिशत है। अब सीआईएसएफ की पहली महिला बटालियन में महिला कर्मियों की संख्या 1,025 होगी।
सीआईएसएफ के प्रवक्ता के अनुसार, प्रशिक्षण विशेष रूप से एक बेहतरीन बटालियन बनाने के लिए डिजाइन किया जा रहा है, जो वीआईपी सुरक्षा और हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो आदि की सुरक्षा में कमांडो के रूप में एक बहुमुखी भूमिका निभाने में सक्षम हो। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि महिला बटालियन के जुड़ने से देश भर की अधिक महत्त्वाकांक्षी युवा महिलाओं को सीआईएसएफ में शामिल होने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे सीआईएसएफ में महिलाओं को एक नयी पहचान मिलेगी।
दरअसल सरकार की ओर से केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में महिला कर्मियों की भर्ती को प्रोत्साहित करने के लिए क़दम उठाये जा रहे हैं। इन दिनों प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करके भर्ती अभियान चलाया जा रहा है। महिलाओं को आवेदन शुल्क के भुगतान से भी छूट दी गयी है। इसके साथ ही बलों में भर्ती के लिए महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मानक परीक्षण और शारीरिक दक्षता परीक्षण में छूट दी गयी है।
ग़ौरतलब है कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों- सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल, सशस्त्र सीमा बल, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड और असम राइफल्स की कुल संख्या लगभग 10 लाख है और इसमें महिलाओं की तादाद महज़ 41,006 ही है। महिलाओं की कम तादाद चिन्ता का विषय है। सन् 2016 में केंद्र सरकार ने सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में महिला कर्मियों के लिए कांस्टबेल स्तर पर 33 प्रतिशत पद और बीएसएफ, एसएसबी और आईटीबीपी में कांस्टेबल स्तर पर 14-15 प्रतिशत पद आरक्षित करने के निर्देश जारी किये थे; लेकिन इस निर्देश के बावजूद महिला कर्मियों की संख्या कम है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लैंगिक समानता का रास्ता बहुत लंबा नज़र आता है। इसके पीछे कई कारण हैं।
भारतीय समाज की आम सोच आज भी महिलाओं को पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की वर्दी में देखने को तैयार नज़र नहीं आती। समाज का पुरुष-प्रधान ढाँचा ऐसी वर्दी में अपने बेटों को ही देखने में सहज है। उसने महिलाओं के लिए घर से बाहर निकलकर नौकरी करने वाले कुछ क्षेत्र ही तय किये हुए हैं, जिसमें उसे लगता है कि पारिवारिक ढाँचा अधिक चरमराता नहीं है। और समाज ऐसे क्षेत्रों को सम्मान की निगाहों से भी देखता है। मसलन, अध्यापन और बैंकिंग आदि। लेकिन रात की पाली वाली नौकरी और ऐसी नौकरियाँ, जिनमें अवकाश बहुत कम मिलते हों और तबादला जल्दी होता हो, किसी भी पल दफ़्तर से बुलावा आ जाता हो, पुरुष सहकर्मियों के साथ ड्यूटी लगती हो, घर व बच्चों की देखभाल में संतुलन नहीं बैठता हो, समाज को महिलाओं के लिए अधिक नहीं भाती हैं।
दिल्ली मेट्रो में सफ़र के दौरान सीआईएसएफ की एक महिला कर्मी से बातचीत करके उनके पेशे से जुड़ी चुनौतियों को समझने की कोशिश लेखिका ने की, तो पता चला कि तेलंगाना की रहने वाली वह महिला कर्मी बीते साढ़े सात साल से दिल्ली मेट्रो में तैनात हैं। घर व नौकरी के बीच संतुलन बनाने के सवाल पर उन्होंने बड़ी मायूसी से बताया कि हमारी नौकरी सिविल क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं से बिलकुल अलग है। यही चुनौती है। हमारे काम में कोई अवकाश निश्चित नहीं है। परिवार, बच्चे प्रभावित होते हैं। कब कहाँ धकेल दिया जाए, नहीं मालूम। इसके लिए हर पल मानसिक रूप से तैयार रहना पड़ता है। शारीरिक फिटनेस पर भी फोकस रहता है।
जहाँ तक कार्यस्थल संस्कृति का सवाल है, वह कितनी महिला अनुकूल है, यह बताने की ज़रूरत नहीं है। उच्च अधिकारी भी कई मर्तबा मानसिक प्रताड़ना देते हैं। इसके अलावा शारीरिक शोषण के मामले भी सामने आते रहते हैं। हाल ही में कई राज्यों से महिला जवानों के साथ रेप होना बेहद शर्मनाक है। कार्यस्थल का माहौल तो अमूमन ही महिला कर्मियों की शारीरिक बनावट पर तंज कसने वाला व उनकी गरिमा को चोट पहुँचाने वाला होता है। दरअसल पुलिस से लेकर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तक की व्यवस्था पुरुषवाद को ही सम्मानित करती है। इसे तोड़ना एक बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए एक साथ कई मोर्चों पर काम करने की ज़रूरत है।
जातिवाद और धर्मवाद जहाँ देश के लोगों को आपस में बाँटने का काम कर रहे हैं, वहीं इनके सहारे देश की तमाम राजनीतिक पार्टियाँ पुष्ट हो रही हैं। यही वजह है कि कोई भी राजनीतिक पार्टी जाति-धर्म की राजनीति करने के लिए सहज ही न सिर्फ़ तैयार है, बल्कि इनके सहारे नफ़रत की आग को हवा भी देने में पीछे नहीं है। अब तो हालत यह है कि जातियों में जातियाँ और उपजातियाँ निकाली जा रही हैं, जो काफ़ी समय से थीं; लेकिन अब इसे और हवा दी जा रही है। अब चुनावों में हर पार्टी जातिगत जनगणना या जातिगत बँटवारे के साथ-साथ धर्मों के जिन्न निकाल लेती है और उसका चुनावों में फ़ायदा लेना चाहती है।
दरअसल, देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से दिल्ली के इर्द-गिर्द के राज्यों या यूँ कहे कि हिंदी भाषी क्षेत्रों में विशेष किसान नस्लों और उनमें भी ख़ास तौर पर जाटों को सियासी रूप से शून्य करने की योजना पर दोनों राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियाँ- भाजपा और कांग्रेस काम करती रही हैं। आजकल तो उत्तर प्रदेश और बिहार की क्षेत्रीय पार्टियाँ भी इस षड्यंत्र में शामिल होती नज़र आती हैं। आज जिस प्रकार से सत्ताधारी भाजपा ने हरियाणा में 35 बनाम एक किया है, इस ख़तरे की गहराई को कितने प्रतिशत लोग, आम किसान या यूँ कहे कि 35-1 रूपी ब्रह्मास्त्र से घायल जाट समझते हैं? और क्या जो समझते हैं, उन्होंने इन राजनीतिक दलों की $गुलामी स्वीकार कर ली है?
ग़ौरतलब है कि पिछले 10 वर्षों में किसान बिरादरियाँ, ख़ासतौर पर जाट भाजपा, संघ और तथाकथित सवर्ण हिन्दू समाज के एक भयंकर षड्यंत्र का शिकार हुए हैं। आप अगर ग़ौर करें, तो केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार बनते ही सर्वोच्च न्यायालय ने किसान जाति के सबसे बड़े वर्ग यानी जाट आरक्षण समाप्त कर दिया, तो केंद्र सरकार की ओर से कोई ख़ास पैरवी न करना बताता है कि पार्टी किसानों को आरक्षण दिलाने में दिलचस्पी न लेकर केवल रस्म अदायगी करती रही है। जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जाटों को अपने आवास पर बुलाकर आरक्षण देने का आश्वासन दिया था, जो न सिर्फ़ झूठा साबित हुआ, बल्कि सिर्फ़ एक जुमला बनकर रह गया है। हालाँकि इसके बाद भी तक़रीबन हर चुनाव में गृहमंत्री अमित शाह जाटों से उन्हें उनका हक़ दिलाने का वादा करते रहे हैं। जाटों को आरक्षण देने का वादा उन्होंने 2019 में भी किया था। लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने जाटों से कभी उनका हाल भी नहीं पूछा। और इसका नतीजा यह हुआ कि इससे लाखों जाट युवाओं का भविष्य बर्बाद हो गया। आज भी जो जाट युवा नौकरी करना चाहते हैं, और जिसके लिए उन्होंने महँगी पढ़ाई लंबे समय तक अपने माता-पिता की गाड़ी मेहनत की कमायी से ख़र्च करके की है, उनमें से ज़्यादातर युवा नौकरी के लिए जगह-जगह धक्के खा रहे हैं। हालात ये हैं कि साल 2016 के जाट आरक्षण आन्दोलन में जाटों के दो दज़र्न युवाओं को हरियाणा की भाजपा सरकार ने गोलियों से भून डाला। इतना ही नहीं, बल्कि इस आन्दोलन को बदनाम करने के लिए मुरथल रेप कांड की कहानी गढ़कर सोशल मीडिया पर जाटों को $खूब नीचा दिखाया गया। किसान आन्दोलन में भी जाटों के पीछे ही केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हरियाणा सरकार ने षड्यंत्र रचे और कई जाट किसानों की बलि ले ली। उनके ख़िलाफ़ झूठे मुक़दमे दर्ज किये और उन पर कई तरह के आरोप लगाये। हालाँकि इसमें सिख और दूसरे किसानों को भी उसी प्रकार परेशान और प्रताड़ित किया गया, जिस प्रकार जाट किसानों को किया गया। लेकिन चाहे वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट किसान हों, चाहे हरियाणा के जाट किसान हों, चाहे राजस्थान के जाट किसान हों और चाहे पंजाब के जाट किसान हों, उन्हें सबसे ज़्यादा परेशान और प्रताड़ित किया गया, क्योंकि किसान आन्दोलन की अगुवाई जाट समुदाय के किसान नेता ही कर रहे थे।
दरअसल, वर्तमान समय में देश की राजनीति में शिखर से शून्य पर आ चुके कुछ तथाकथित नेता अपनी राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक इच्छाओं की पूर्ति में डेमोग्राफी संतुलन के ख़तरे को अपने-अपने क्षेत्र और राज्यों के निवासियों को जानबूझकर बता नहीं रहे हैं। हाशिए पर खड़े जाटों से राजनीतिक रूप से दिल्ली भी छिन गयी और उनके हाथों से राष्ट्रीय राजनीति भी गयी। अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान से किसानों को राजनीतिक वनवास दिलाने की नीति के तहत इन तमाम राज्यों में काम धंधों के बहाने और निजी उद्योग लगाकर बिहार, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से रोज़ी-रोटी के ज़रिया यानि रोज़गार के लिए आने वालों को पश्चिमी जाट बहुल राज्यों में बसाकर वोट का कारख़ाना लगाने को प्रयासरत मौज़ूदा केंद्र सरकार और भाजपा की राज्य सरकारें इन नयी चाल से जाटों का हक़ मारने का काम कर रही हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता और विचारक जितेंद्र सिंह सहरावत कहते हैं कि अगर हमें अपने जाट बहुल राज्यों में अपनी पहचान, संस्कृति, कारोबार, व्यापार और शिक्षा को बचाना है, तो इन राज्यों में अच्छे विश्वविद्यालय यानी उच्च शिक्षण संस्थान खोलने पर ज़ोर दें, ताकि हमारे बच्चे पढ़कर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार आदि राज्यों से उच्च प्रशासनिक, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों में सेवा देकर उन राज्यों की डैमोग्राफी चेंज करके इन राज्यों की विधानसभाओं और विधानसभाओं से लोकसभा, राज्यसभा में जाकर अपने सामाजिक हितों को सुरक्षित और मज़बूत कर सकें। पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित बागपत बड़ौत के जाटों का एक बड़ा वर्ग चौधरी चरण सिंह से इसलिए नाराज़ रहता था कि उन्होंने अपने विधानसभा और लोकसभा सहित पार्टी के राजनीतिक क्षेत्र में कोई बड़े उद्योग नहीं लगवाये।
सहरावत कहते हैं कि मैं कहता हूँ, वे इस (डेमोग्राफी) ख़तरे को जानते थे। इसलिए उन्होंने इस तरफ़ ध्यान नहीं दिया, इस क्षेत्र में शिक्षण संस्थान बनवाने में चौधरी अजीत सिंह ने भी कोई ध्यान नहीं दिया। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के जाट नेताओं ने भी पिछले 10-15 वर्षों में इस तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया। दिल्ली को लहू से सींचने वाले जिन जाट, गुज्जर और अहीरों की संतानों को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बाहरी लोगों के आने से मकान का किराया और रुपये पर ब्याज का धंधा करके जो मोटा धन मिल रहा है। वे यह भूल रहे हैं कि पहले तो आपकी अधिकतम संतानें लंबे समय तक बिना कोई संघर्ष किये मौज़ उड़ाने के कारण बर्बाद हो रही हैं। दूसरा मनुष्य के भाग्य निर्णय निर्धारित करने वाले जीते जागते मंदिरों विधानसभा, लोकसभा और नगर निगम आदि सहकारी संस्थाओं में आपके पुजारी यानी जन-प्रतिनिधि शून्य होते जा रहे हैं। इसलिए अपने हक़ के लिए जाटों को जागना होगा और समझदारी से सत्ता में हिस्सेदारी पाकर अपने समुदाय को हक़ दिलाना होगा।
इसी प्रकार से दूसरी जातियों के लोगों को भी आपसी मनमुटाव और जातिवाद का ज़हर दिमाग़ से निकालकर आपस में एक होना होगा, जिससे नेता उनकी फूट का फ़ायदा न ले सकें। कुछ नहीं तो भाजपा के ही नारे को समझ लें कि बँटेंगे, तो कटेंगे। यानी अगर जातिवाद के चक्कर में पड़कर बँटे, तो भी कटेंगे, और अगर धर्म के चक्कर में फँसकर बँटे, तो भी कटेंगे। कटेंगे का मतलब है कि अपनी हिस्सेदारी और हक़ कभी नहीं ले सकेंगे और उसका फ़ायदा नेता और उनके क़रीबी उठाते रहेंगे। और आम लोगों को वही पाँच किलो राशन के लिए हर महीने लाइन में लगना पड़ेगा, जो कि उनके स्वाभिमान को ठेस लगाने के लिए काफ़ी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर से किसान जातियों जाट, गुज्जर और अहीर आदि का राजनीतिक वजूद ख़त्म होता जा रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से आकर लोगों का युद्ध स्तर पर बसना जारी है, जिसके परिणाम असंतुलन के रूप में हमारे सामने है। इसके अलावा सियासत के शिकार होकर किसान जातियाँ हिन्दुत्व की अफ़ीम पीये जा रही है, जिसमें जाट, गुज्जर और सैनी आदि मुख्य हैं। ये तमाम जातियाँ इस सत्य भूली हुए हैं कि किस प्रकार से इनको बाँटा और बर्बाद किया जा रहा है।
दु:ख इस बात का होता है कि आज हिन्दुस्तान में कई धर्म और पंथ हैं, तो जातियाँ भी अनगिनत हैं। और इन जातियों में आपसी फूट होने के चलते राजनीतिक पार्टियाँ अपना फ़ायदा देखती हैं। इस समय देश में कुल कितनी जातियाँ हैं, इसका कोई आँकड़ा नहीं है। हालाँकि सन् 1901 में तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत ने जातिगत गणना की थी, जिसमें देश में कुल जातियों की संख्या 2,378 थी। यह जातिगत गणना अब तक की सबसे सही जनगणना मानी जाती है। लेकिन इसके ठीक 30 साल बाद साल 1931 में जब ब्रिटिश हुकूमत ने देश में पहली जनगणना में करायी, तो जातियों की संख्या 4,147 बनायी गयी। इसके बाद जब कांग्रेस सरकार में साल 2011 में हुई जनगणना हुई, तो उसमें जातिगत गणना के तहत देश में कुल जातियों और उपजातियों की संख्या 46 लाख से भी ज़्यादा निकली। इसके बाद जातियों और उपजातियों की संख्या और भी बढ़ी है। और इसी जातिवाद या कहें कि जातीय भिन्नता का फ़ायदा, और इससे भी ज़्यादा धर्मों की आड़ लेकर राजनीतिक पार्टियाँ अंग्रेजों की नीति फूट डालो और राज करो की ही तरह देश में आज यही काम कर रही हैं।
बहरहाल, संकेत साफ़ है कि राजनीति के शिकार वही लोग हो रहे हैं, जो जातिवाद के नाम पर, तो कभी धर्म के नाम पर बँटते जा रहे हैं। इसलिए लोगों से अपील है कि न तो जाति के नाम पर और न ही धर्म के नाम पर बँटिए, वर्ना भविष्य में आपकी नस्लों को न सिर्फ़ $गुलामी की खाई में धकेल दिया जाएगा, बल्कि उन्हें राजनीतिक वनवास इस प्रकार दे दिया जाएगा कि फिर वे कभी राजनीति में नहीं आ सकेंगी और ऐसा होने पर वे न तो राजनीति में सुधार कर सकेंगी और न ही किसी भी पीड़ित-प्रताड़ित व्यक्ति के न्याय के लिए आवाज़ नहीं उठा सकेंगी। क्योंकि इन दिनों दबे-कुचले लोगों को राजनीतिक वनवास दिलाने की तैयारी काफ़ी हद तक ज़मीन पर सफलता से चल रही है। इस तैयारी में सबसे पहले उन जातियों के लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा, जो संपन्न हैं और पीड़ितों के लिए आवाज़ उठाने से भी पीछे नहीं हटते। आज समाज में जाति और धर्म के नाम पर जो फूट पड़ी है, और धर्मांधता के कुएँ में धकेलने वाले कई तरह से लोगों के टैक्स का पैसा लूट रहे हैं और इसके अलावा रेल, हवाई जहाज़ के किराये से, महँगाई बढ़ाकर और दूसरे तरीक़े से भ्रष्टाचार करके पैसा बटोर रहे हैं और लोगों को मूर्ख बनाकर सत्ता का लाभ उठा रहे हैं। जो जाट नेता सत्ता में हैं, उन्हें भी अपनी फ़ि$क्र है। उनके लिए न तो लोकतंत्र के कोई मायने हैं, जिसके तहत सभी के साथ न्याय करने की प्रक्रिया को वे आगे बढ़ा सकें और न ही अपनी पीढ़ियों की राजनीतिक शून्यता का दंश वे अभी समझ पा रहे हैं। बल्कि इनमें ज़्यादातर नेता सत्ता में शामिल होकर मलाई खा रहे हैं। ऐसे लोगों को देश की सारी जनता से तो दूर की बात, अपनी ही जाति के ग़रीबों से दूरी बनाकर रहने की आदत हो चुकी है।