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सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन को देखते हुए सरकार से कोरोना को लेकर गाइडलाइन बनाने को कहा

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को किसान आंदोलन पर चिंता जाहिर करते हुए केंद्र से पूछा है कि क्या किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर नियमों का पालन किया जा सकता है। सर्वोच्च अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘हमें नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं। आप भीड़ को लेकर गाइडलाइन बनाइए।’ इस मामले में अब 11 जनवरी को सुनवाई होगी।

आज की सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर चिंता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या किसान आंदोलन में कोरोना को लेकर नियमों का पालन किया जा सकता है ? प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा कि हमें नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं। अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो तबलीगी जमात की तरह ही दिक्कत हो सकती है।

बता दें कि निजामुद्दीन स्थित मरकज केस और कोविड लॉकडाउन के दौरान भीड़ इकट्ठा करने की परमिशन देने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति देकर लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला था। तबलीगी जमात में हजारों लोगों को इकट्ठा किए जाने की सीबीआई जांच की मांग किए जाने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताएं कि क्या हो रहा है? मुझे नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं, किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी यही समस्या उत्पन्न हो सकती है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम हालात के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। याचिकाकर्ता के वकील परिहार ने कहा कि मौलाना साद का अभी तक पता नहीं चल पाया है। मौलाना साद के ठिकाने के बारे में कोई बयान नहीं दिया गया। इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोविड न फैले। जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।

आज की सुनवाई में कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि सरकार को भीड़ इकट्ठा होने को लेकर गाइडलाइन बनानी चाहिए।

इस बीच किसानों का कहना है कि सरकार ने मांगी नहीं मानीं तो 26 जनवरी को भी ट्रैक्टर परेड होगी। किसानों का कहना है कि आज का मार्च उसी का ट्रेलर है। हरियाणा के किसान संगठनों ने हर गांव से 10 महिलाओं को 26 जनवरी के लिए दिल्ली बुलाया है।

अमेरिकी कैपिटोल में हिंसा के बाद राष्ट्रपति ट्रंप को ट्विटर, फेसबुक और अब इंस्ट्राग्राम ने भी ‘लॉक’ किया

अमेरिका में सोशल मीडिया में लगातार राष्ट्रपति चुनाव में धांधली से जुड़ी पोस्ट करने पर माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट पर बुधवार को 12 घंटे के लिए रोक लगा दी थी। यही नहीं फेसबुक और यूट्यूब ने भी उनके वीडियो को हटा दिया था। अब नए घटनाक्रम में एक और सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम ने भी गुरूवार को डोनाल्‍ड ट्रंप को लॉक करने का ऐलान कर दिया है।

यह सारा घटनाक्रम राजधानी वॉशिंगटन में पार्लियामेंट बिल्‍डिंग कैपिटोल में राष्‍ट्रपति  ट्रंप समर्थकों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद घटा है। इसके बाद सोशल मीडया प्‍लेटफार्म ने उन पर रोक लगाने जैसी सख्‍ती दिखाई है। अमेरिकी  राष्ट्रपति चुनाव में धांधली संबंधी पोस्ट लगातार करने पर ट्विटर ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में ट्रंप ने नियमों का उल्लंघन किया तो उनके अकाउंट पर स्थायी रूप से रोक लगा दी जाएगी। उधर फेसबुक और यूट्यूब ने उनका वीडियो हटा दिया था।

अब गुरुवार को इसी घटनाक्रम के बाद सोशल मीडिया की एक अन्य साइट इंस्टाग्राम भी ट्रंप को लॉक करने की घोषणा कर दी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंस्टाग्राम प्रमुख एडम मोसेरी ने कहा – ‘हम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इंस्टाग्राम अकाउंट को 24 घंटे के लिए बंद कर रहे हैं।’ उधर फेसबुक के उपाध्यक्ष गॉय रोसेन ने बुधवार को कहा था कि ‘ट्रम्प के वीडियो को हटा दिया गया है क्योंकि इससे हिंसा और भड़क सकती है।’

हिंसा का घटनाक्रम तब हुआ जब वॉशिंगटन की कैपिटल बिल्डिंग में अमेरिकी कांग्रेस इलेक्टोरल कॉलेज को लेकर बहस कर रही थी। इस दौरान राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थकों ने हजारों की तादाद में प्रदर्शन शुरू कर दिया। कैपिटोल परिसर यह प्रदर्शन तब शुरू हुए थे, जब ट्रंप ने अपने समर्थकों को दिन में संबोधित करते हुए उनसे कैपिटल बिल्डिंग की तरफ मार्च करने की अपील की। जब समर्थक हिंसक हो गए तो ट्रंप ने अपने समर्थकों से शांति की अपील की और उनसे कहा कि हमारी पुलिस का सहयोग कीजिए, वो वास्तव में हमारे साथ हैं। आप लोग शांति बनाएं।

कैपिटोल परिसर में प्रदर्शनकारियों के घुसने के करीब दो घंटे बाद ट्रंप ने यह वीडियो पोस्ट किया था। प्रदर्शनकारी इलेक्टोरल कॉलेज के नतीजों पर संसद के संयुक्त सत्र में व्यवधान डालना चाहते थे। सत्र में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन की जीत की पुष्टि होनी थी।

किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाल सरकार को चेताया

किसानों ने आज ट्रैक्टर निकाल कर सरकार के सामने जोरदार शक्ति प्रदर्शन कर साफ कर दिया है, कि किसान तब तक आंदोलन समाप्त नहीं करेगा, जब तक तीनों कृषि कानून को सरकार वापिस नहीं ले लेती। तहलका संवाददाता को गाजीपुर और सिंघू बार्डर के आंदोलनकारी किसानों ने बताया कि ये सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिये ही काम कर रही है। इस सरकार को अडानी और अम्बानी चला रहे है। किसानों का आंदोलन अपने अधिकारों के लिये सर्दी के मौसम में खुली सड़कों पर है। पर सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। किसान जोगी सिंह ने बताया कि 8 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली किसान की बैठक के पहले सरकार को ट्रैक्टर रैली कर साफ संदेश दे दिया है कि अभी तो किसानों का ये मामूली सा प्रदर्शन है। अगर मांगों को नहीं माना गया तो आर –पार का प्रदर्शन होगा। किसान नेता राकेश टिकैत के नेतृत्व में ये ट्रैक्टर रैली निकाली गयी है। किसान नेता चंद्रपाल ने बताया कि अभी तो दिल्ली बार्डर में ही किसानों का प्रदर्शन हो रहा है। बहुत ही जल्दी उत्तर –प्रदेश में होगा। जिसको सरकार नियंत्रित नहीं कर पायेगी।

दिल्ली –एनसीआर में  डटे किसानों ने साफ कह दिया है कि अगर मांगों को नहीं माना तो 26 जनवरी को महिलायें रैली निकाल कर सरकार को बता देगें ।किसानों ने कहा कि 43 दिन हो गये है किसानों को आंदोलन करते हुये फिर भी सरकार मांगों को मानने में आना –कानी कर रही है।

तमिलनाडु में 100 फीसदी दर्शकों के साथ सिनेमा हॉल खोलने पर केंद्र का फरमान

कोरोना महामारी के लिए वायरस के लिए जहां नए स्ट्रेन ने दुनिया में ख़ौफ़ पैदा कर दिया है, तो कई जगह लोग आज़िज़ भी आ गए हैं। सरकारों को भी लगने लगा है कि अब कमाई के रास्ते खोल दिये जायें। इसी कड़ी में तमिलनाडु सरकार ने राज्य में 100 फीसदी क्षमता के साथ सिनेमा हॉल खोलने का आदेश 4 जनवरी को जारी किया था। इस आदेश को अब केंद्र सरकार ने महामारी फैलने की आशंका में वापस लेने को कहा है।
तमिलनाडु की एआईएडीएमके की पलानीसामी सरकार ने चार जनवरी को सिनेमाहॉल पर लगी 50 प्रतिशत की दर्शक सीमा को हटा लिया था। राज्य सरकार ने सिनेमा हॉलों को पूरी क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दे दी थी। एआईएडीएमके सरकार के इस कदम से करीब 9 महीने बाद सिनेमा हॉल पहले ही तरह सुचारू रूप से 100 प्रतिशत की दर्शक क्षमता के साथ चलने की स्थिति बनी थी, लेकिन इससे कोरोना के मामलों में इजाफा होने की आशंका जताते हुए केंद्र सरकार ने राज्‍य सरकार से इस मंजूरी को वापस लेने का फरमान जारी किया है।
तमिलनाडु में अब तक कोरोना संक्रमण के आठ लाख, 22 हजार 370 मामले सामने आ चुके हैं, इनमें 8,02,385 लोग ठीक हो चुके हैं। राज्‍य में कोरोना से 12, 177 लोगों की जान जा चुकी है। तमिलनाडु में सक्रिय मरीजों की संख्‍या 7808 है।

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रेक्षक घोषित  

नए साल में देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और राजनीतिक दलों ने इसके लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने बुधवार को इन चुनावों के लिए अभियान, प्रबंधन और समन्वय के लिए प्रेक्षक नियुक्त किये हैं।

पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इन नेताओं को इन अहम जिम्मेवारियों के लिए चुना है उनमें अशोक गहलोत, मुकुल वासनिक, भूपेश बघेल प्रमुख हैं। बता दें इस साल पांच  राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह नेता पार्टी की रणनीति बनाने का जिम्मा लेंगे। इस साल अप्रैल-मई में असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक बयान में जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है जो संबंधित राज्यों के प्रभारियों के साथ निकट समन्वय में काम करेंगे।

उनके मुताबिक छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक और  शकील अहमद खान को असम विधानसभा चुनाव, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, वरिष्ठ नेताओं लुईजिनो फ्लेरियो और जी परमेश्वर केरल विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है।

उधर पश्चिम बंगाल के लिए वरिष्ठ नेता बीके हरि प्रसाद और पंजाब सरकार में मंत्री विजय इंदर सिंघला और झारखंड सरकार के मंत्री आलमगीर आलम को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है।

इसके अलावा तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनावों के लिए वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली, एमएम पल्लम राजू और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितिन राउत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस ने यह जिम्‍मेदारियां ऐसे मौक पर दी हैं जब पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर चर्चा जोरों पर है। यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी एकाध महीने में अध्यक्ष का जिम्मा संभाल सकते हैं।

अब बर्ड फ्लू से दहशत मटन-चिकन की दुकानों पर सन्नाटा

कोरोना का कहर अभी थमा ही नहीं कि, बर्ड फ्लू के कहर से लोगों में दहशत है। आने वाले दिनों में अगर वर्ड फ्लू का प्रकोप नहीं थमा तो, दिक्कत आ सकती है।

तहलका संवाददाता को दिल्ली के मुर्गा मंडी के व्यापारियों ने बताया कि कोरोना से जैसे –तैसे उभर रहे थे कि, अब बर्ड फ्लू को लेकर गाजीपुर मंड़ी में वेटरनिटी के डाक्टरों का निरीक्षण और परीक्षण चलने लगा है। जिससे यहां का व्यापार प्रभावित हो रहा है।

मुर्गा मंडी के व्यापारी सुहेल खान का कहना है कि बर्ड फ्लू के चलते केरल में आपदा घोषित है, तो यूपी सहित 14 राज्य अलर्ट पर है। उन्होंने बताया कि गाजीपुर में पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड सहित यूपी से मुर्गा भारी मात्रा में आते है। जिनकी दिल्ली सहित एनसीआर में सप्लाई होती है। अब यहां पर एक-दो दिन से सप्लाई में काफी असर दिखने लगा है। दिल्ली के मुर्गा व्यापारी सलीम खान का कहना है कि वैसे ही कोरोना से लोगों को संक्रमण का खतरा रहता था। तब लोगों ने चिकन और मिनट बहुत ही डर ,डर के खाया अब बर्ड फ्लू का प्रकोप लोगों में दहशत पैदा कर रहा है। दुकाने पर बिक्री तो कम हो रही है। साथ ही साथ लोगों ने दुकानों पर आना कम कर दिया है।

चिकन और मटन का कारोबार करने वाले गफ्फार खान का कहना है कि अगर ये कोरोना की तरह बर्ड फ्लू का मामला लंबा खिचा तो कारोबार कम ही नहीं हो बल्कि चौपट हो सकता है। वैसे चिकन और मटन की दुकानों पर बर्ड फ्लू की दहशत देखी जा सकती है।

पिछले साल मौसम की मार से 2000 लोगों की जान गई

मौसम से जुड़ी प्राकृतिक आपदाओं जैसे तूफान, बिजली गिरना और शीतलहर जैसे मौसम की मार से देशभर में पिछले साल दो हजार से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। सबसे ज्यादा तादाद दोनों हिंदी भाषी बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार से हैं, जहां पर 350 से ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं।

मौसम विभाग के जारी आंकड़ों के अनुसार, इनमें से 600 से अधिक की मौत भारी बारिश और बाढ़ की वजह से हुई। इनमें सबसे ज्यादा असम में 129 और इसके बाद केरल में 72, तेलंगाना में 61, बिहार में 54, महाराष्ट्र में 50, उत्तर प्रदेश में 48 और हिमाचल में 38 लोग मारे गए। बिजली गिरने से सबसे ज्यादा मौतें यानी 815 की मौत हुई। अकेले बिहार में 280 और उत्तर प्रदेश में 220 लोगों की जान इस प्राकृतिक आपदा से गई। वहीं झारखंड में 122 और मध्यप्रदेश में 72 लोग बिजली गिरने से झुलस कर मारे गए।

ठंड का कहर यूपी में सबसे ज्यादा
यूं तो अभी शीतलहर का दौर जारी है। मगर, पिछले साल के आंकड़ों के बात करें तो इससे 150 लोगों की मौत हुई, जिनमें सबसे ज्यादा 88 लोग यूपी के रहने वाले थे। वहीं बिहार, की बात करें तो पिछले साल यानी एक जनवरी 2020 को एक ही दिन में 45 की लोगों की जान गई थी।

2020 में 0.29 डिग्री बढ़ा तापमान
बीते वर्ष भारत का तापमन औसत से 0.29 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज हुआ। 1901 से अब तक यह आठवां सबसे गर्म साल भी रहा। सर्दियों के औसत तापमान में 0.14 डिग्री की वृद्धि हुई, यानी सर्दी जरा कम रही। बारिश भी 109 प्रतिशत हुई, यह ज्यादा बारिश का लगातार दूसरा वर्ष था। इससे पहले ऐसा 1996 और 1997 में ऐसा हो चुका है। आने वाले सालों में गर्मी का असर और ज्यादा होने से बर्फीली इलाके पिघलने लगेंगे, जिससे कई आपदाओं की आशंका से इनकार नहीं कर सकते हैं।

मुंबई लोकल यात्रियों के लिए खुशखबरी! सुबह 7 से पहले और रात 10 के बाद कर सकेंगे यात्रा!

मुंबई की जीवन रेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेने से जुड़ी एक खबर पर विश्वास किया जाए तो जल्द ही इसकी समय सीमा में विस्तार किए जाने की संभावना है। मुंबई में कोविड -19 मामलों के नियंत्रण में आने के साथ, महाराष्ट्र सरकार सीमित घंटों के दौरान सभी यात्रियों के लिए लोकल ट्रेन की अनुमति देने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। जानकार सूत्रों का मानना है कि सुबह 7 बजे तक और रात में 10 बजे के बाद लोकल ट्रेन की अनुमति दी जा सकती है। हालांकि, यह फैसला चीफ मिनिस्टर की समीक्षा के बाद ही लिया जाएगा। सभी यात्रियों के लिए लोकल ट्रेन की सेवाएं समीक्षा के आधार पर ही तय की जाएंगी,जिसके चलते सेंट्रल और वेस्टर्न रेलवे दोनों सेवाएं फिर से शुरू हो सकती हैं।

फिलहाल, केवल आवश्यक सेवाओं से जुडे़ कर्मचारियों और सरकारी व उसके द्वारा अनुमोदित लोगों को लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति है। महिलाओं को भी सिर्फ नान-पीक अवर्स के दौरान यात्रा की अनुमति है। मुंबई फिलहाल चल रही है लेकिन मुंबई और उससे आसपास जुड़े उपनगरों से आने वाले साधारण यात्रियों को यात्रा करने की अनुमति नहीं है जिसकी वजह से लोगों का जीवन यापन दूभर होता जा रहा है।

हालांकि मुंबई में लोकल ट्रेन शुरू होने को लेकर राज्य सरकार पर काफी सामाजिक और राजनीतिक तौर पर दबाव बनाया जाता रहा है लेकिन सरकार इसे काफी संवेदनशील मसला बताते हुए कोई भी ठोस निर्णय लेने से बचती रही है। फिलहाल यह मसला सुनीता नजर आ रहा था लेकिन ब्रिटेन से लौटे यात्रियों में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से चिंतित सरकार फिलहाल पहले की तरह लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति देगी इसमें संदेह है।

यह बात अलग है किस स्टेट ट्रांसपोर्ट की बसों के साथ साथ टीएमसी, बीईएसटी. आदि चल रही हैं। इन बसों में मास्क के बिना प्रवेश वर्जित है लेकिन बसों के भीतर इतनी भीड़ रहतीी है कि सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियांं उड़ती दिखती हैं।

नए संसद भवन निर्माण का रास्ता साफ, सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी

नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी। जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। हालांकि, सर्वोच्च अदालत ने निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की मंजूरी लेने को भी कहा है।

सर्वोच्च न्यायालय ने 7 दिसंबर की सुनवाई में इस संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी, हालांकि, यह निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा। इससे पहले पांच नवंबर को  सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

आज सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में पेपरवर्क को सही ठहराया और कहा कि जमीन का डीडीए की तरफ से लैंड यूज बदलना सही है। अदालत ने पर्यावरण मंत्रालय की सिफारिशों को भी बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने को भी सर्वोच्च अदालत ने कहा है।

लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। सरकार की ओर से भी आश्वासन दिया गया था कि लंबित याचिकाओं पर फैसला आने से पहले वहां पर निर्माण या विध्वंस का कोई कार्य नहीं होगा।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 20 हजार करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट से पैसों से बर्बादी नहीं होगी। इससे सालाना करीब एक हजार करोड़ रुपये की बचत होगी, जो फिलहाल मंत्रालयों के किराए पर खर्च हो रहे हैं।

किसान और सरकार बैठक बेनतीजा, अब एक और बैठक 8 जनवरी को

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेताओं और सरकार के बीच सोमवार को करीब चार घंटे चली बैठक फिर बेनतीजा रही है। हालांकि, एक और बैठक 8 जनवरी को रखी गयी है।

किसान नेता राकेश टिकैत ने बैठक के बाद ‘तहलका’ को फोन पर बताया – ‘सरकार किसी भी सूरत में हमारी मुख्य मांगें मानने को तैयार नहीं है। जब तक क़ानून वापस नहीं होंगे, हम घर नहीं जाएंगे।’ उनके मुताबिक बैठक में तीनों कानूनों और एमएसपी को लेकर बात तो हुई लेकिन सरकार के पक्ष की तरफ ने कहा कि क़ानून वापस नहीं हो सकते हैं।

बता दें आज सुबह बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने उम्मीद जताई थी  कि आज की बैठक में हम एक सकारात्मक समाधान तक पहुंचेंगे और सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे। किसानों ने रविवार को यह साफ़ कर दिया था कि उन्हें कानून रद्द करने से कम कुछ भी मंजूर नहीं होगा। उधर सिंघू बार्डर पर किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी है। आज विरोध प्रदर्शन का 40वां दिन है।

राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में किसान संगठनों और सरकार के बीच सातवें दौर की वार्ता हुई। किसान पहले ही कह चुके हैं कि उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे आंदोलन तेज कर देंगे। सातवें दौर की वार्ता से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा था – ‘कई मुद्दों पर चर्चा होनी है। सरकार को समझना चाहिए कि किसान इस आंदोलन को अपने दिल में ले गया है और कानूनों को निरस्त करने से कम नहीं समझेगा। सरकार को स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करना चाहिए और एमएसपी पर कानून बनाना चाहिए। हम चाहते हैं कि आज की बैठक का लाइव प्रसारण हो।’

बता दें छठे दौर की वार्ता 30 दिसंबर को हुई थी। तब सरकार बिजली की दरों में वृद्धि न करने और पराली जलाने पर दंड के मामले में सहमत हो गयी थी। लेकिन तीन कृषि कानूनों पर कोई सहमती नहीं बन पाई थी। तीन कृषि कानूनों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ही असली गतिरोध है। किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी चाहते हैं, जो सरकार देना नहीं चाहती।

उधर दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे किसाओं की मौत का सिलसिला जारी है। खराब मौसम के बीच अब तक दिल्ली बॉर्डर पर 57 किसानों की जान जा चुकी है।  कड़ाके की ठंड और बारिश के बाद भी किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।