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मुंबई : अस्पताल में लगी आग में 10 की मौत

मुंबई के भांडुप स्थित सनराइज मॉल की तीसरी मंजिल में बने कोविड-19 अस्पताल में गुरुवार देर रात लगी आग में अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है। आधी रात लगी आग पर पूरी तरह काबू लम्बा वक्त लग गया। इस बीच मुख्‍यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटनास्थल का दौरा किया है साथ ही इस घटना पर माफी माँगी है।
मुख्यमंत्री ठाकरे ने इस दौरान हादसे के कारणों की जानकारी ली। उन्होंने मृतकों के परिजनों से शोक प्रकट किया। सीएम ने कहा, ‘कोरोना के दौरान जरूरत के हिसाब से अस्पताल बनाए गए थे। अस्पताल नियमों के मुताबिक ही चल रहा था और इसे चलाने के लिए 31 मार्च तक की एनओसी दी गई थी। अस्‍पताल में जो घटना हुई है वह दुखी करने वाली है। हम उन लोगों को नहीं बचा सके जो कोरोना का इलाज कराने के लिए वेंटिलेटर पर थे।’
भांडुप स्थित कोविड अस्‍पताल में बीती रात लगी आग पर  दिन में जाकर काबू पाया जा सका। आग की चपेट में आने से अब तक 10 मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि जले मलबे में खोज की जा रही है। बीएमसी ने जांच के आदेश दिए हैं कि मॉल के ऊपर अस्पताल कैसे बना और इस घटना के पीछे कौन जिम्मेदार है।
जब अस्‍पताल में आग लगी, उस वक्‍त वहां पर 78 से अधिक मरीज मौजूद थे। आग पर काबू पाने के लिए 20 से अधिक फायर ब्रिगेड गाड़ियों को मौके पर भेजा गया।  अस्‍पताल में मौजूद सभी मरीजों को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया गया है।

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के भारत बंद का देश भर में व्यापक असर  

मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा के ‘भारत बंद’ का देश भर में व्यापक असर दिखा है। रेल सेवाओं  से लेकर परिवहन और व्यापार पर इसका बड़े पैमाने पर प्रभाव पड़ा है। दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर डिवीजन में किसान 30 से अधिक स्थानों पर रेल पटरियों पर बैठे रहे। बंद के कारण 31 ट्रेनें प्रभावित हुई जबकि 4 शताब्दी ट्रेनों को रद्द कर दिया गया। बंद शाम छह बजे तक चलेगा।
संयुक्त किसान मोर्चे ने दावा किया है कि बंद संपूर्ण रहा है। मोर्चे का दावा है कि संपूर्ण भारत बंद के तहत सभी दुकानें, मॉल, बाजार और संस्थान बंद हैं। सभी छोटे और बड़े मार्ग अवरुद्ध किए गए हैं और ट्रेनों को रोका गया है। एंबुलेंस और अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी सेवाएं बंद हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक किसानों के ‘भारत बंद’ के तहत भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के सदस्यों ने शुक्रवार सड़कें जाम कर दीं। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली-सहारनपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और मुज़फ्फरनगर-देवबंद मार्ग जाम किया। बंद का आह्वान दिल्ली से लगी तीन सीमाओं-सिंघू, गाजीपुर और टीकरी पर किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर किया गया है। कुछ जगह किसान नेताओं को गिरफ्तार भी किया गया है।
भारत बंद का असर कई राज्यों में दिखाई दिया। पंजाब में किसान मजदूर संघर्ष समिति के सदस्यों ने अमृतसर-दिल्ली रेलवे लाइन को जाम कर दिया। समिति सदस्य रेलवे पटरियों पर बैठे जिस कारण इस मार्ग पर रेल का परिचालन ठहर गया। देश के किसान मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार हाल ही में पास हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले।
उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने बताया – ‘सुबह नौ बजे आंदोलनकारी किसान 32 स्थानों पर बैठे देखे गए। कुल 31 ट्रेनों को रोका गया है। चार शताब्दी ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने दिल्ली के सिंघू, गाजीपुर और टीकरी बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन के चार महीने पूरे होने पर सुबह छह बजे से लेकर शाम छह बजे तक बंद का आह्वान किया है।
पंजाब और हरियाणा में कई राष्ट्रीय राजमार्गों, प्रमुख सड़कों और कुछ रेलवे पटरियों पर किसान एकत्र हुए। सुरक्षा उपायों के तहत दोनों राज्यों में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। किसान बठिंडा, लुधियाना, अमृतसर, पटियाला, मोहाली, रोहतक, झज्जर और भिवानी जिलों सहित दोनों राज्यों में कई जगहों पर कई राजमार्गों और सड़कों पर एकत्र हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने पंजाब और हरियाणा में 32 स्थानों पर रेल पटरियों को अवरूद्ध कर दिया, जिससे रेल यातायात बाधित हुआ।

देशभर में बंद के तहत किसानों का प्रदर्शन जारी, किसानों ने रेलवे ट्रक, हाईवे, सहित कई जगहों पर चक्का जाम किया

केंद्र सरकार के तीन नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ शुक्रवार, 26 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद का आह्वान किया है। कई राज्यों के किसान नवंबर से प्रदर्शन कर रहे हैं।  आंदोलन पहले से थोड़ा थम जरूर गया है,  हालांकि, किसान संगठनों ने प्रदर्शन का अलग-अलग तरीका निकाला है।

किसानों का प्रदर्शन बंद के तहत जारी है।  पंजाब-हरियाणा में ज्यादातर रेल सेवाएं ठप हो गई हैं। हरिद्वार-दिल्ली हाईवे सहित देश में कई जगहों पर किसानों ने चक्का जाम किया है।

किसानों ने सुबह में ग़ाज़ीपुर के पास NH 9 बंद कर दिया है। इसके पहले कुछ दिन पहले  पुलिस ने ये रास्ता खोला था। पर अब किसानों के रास्ते बंद करने के बाद पुलिस ने भी बैरीकेड लगा दिए हैं। बंद के चलते दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर को पुलिस ने बंद कर दिया गया था।

अठावले ने राष्ट्रपति से मिलकर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की

केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद रामदास अठावले ने वीरवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों और सचिन वाझे प्रकरण पर के राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की।

नई दिल्ली में राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय समाजिक न्याय राज्यमंत्री ने कहा, मैंने राष्ट्रपति कोविंद को ज्ञापन दिया है और उनसे महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने का अनुरोध किया है। उन्होंने मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया है।

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि एक पुलिस अधिकारी सचिन वाझे ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास विस्फोटक रखा। जबकि राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर आरोप है कि उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को महीने में 100 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य दिया। राज्य में गंभीर स्थिति है।

रामदास अठावले ने कहा कि देशमुख के खिलाफ जांच होनी चाहिए क्योंकि उन पर उंगली उठाई गई है। मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजे आठ पन्ने के पत्र में देशमुख पर कथित तौर पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य देने का सनसनीखेज आरोप लगाया था।

मुंबई पुलिस में अधिकारी वाजे को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए  ने 25 फरवरी को अंबानी के आवास के पास खड़ी एक स्कॉर्पियो कार से जिलेटिन की छड़ें बरामद की गई थीं। इसके बाद कथित कार मालिक मनसुख हिरेन का शव कुछ दिनों बाद संदिग्ध हालात में पाया गया था। इसी मामले में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी सचिन वाझे को गिरफ्तार किया गया है। वाझे विख्यात एंकाउंटर स्पेशलिस्ट रहे हैं और पहले भी विवादों में रह चुके हैं। उनको पहले भी निलंबित किया जा चुका है।

वहीं, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ तत्काल व निष्पक्ष जांच के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।

अफवाहों के बीच, बाज़ार नुकसान में

कोरोना और लाँकडाउन को लेकर अपवाहों का बाजार इस कदर गर्म है, कि देश की राजधानी दिल्ली के दुकानदारों का बुरा हाल है। तहलका संवाददाता से हुई खास बातचीत में सरोजनी नगर मार्केट के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने बताया कि वैसे ही पिछले साल 2020 से बाजारों का बुरा हाल है।

इस साल तो होली से पहले ही कोरोना का क़हर तेज़ी से बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है। बाजारों में भी ग्राहक ना के बराबर नज़र आ रहे है। केन्द्र और दिल्ली सरकार अपनी राजनीति में उलझी है । तो ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है, कि कोरोना और बाजारों को लेकर सरकार क्या कुछ कर सकती है।होली को लेकर बाजारों में जरूर दुकानें सजी है पर ग्राहक नहीं है।

दिल्ली के सदर बाज़ार के व्यापारी रमेश दत्ता का कहना है कि इस साल कोरोना और उस पर लाँकडाउन की अफवाह के कारण देश के गांवों से छोटा और बड़ा व्यापारी यहाँ सामान खरीदने के लिये कम ही आया है। जिसके कारण व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है।

उनका कहना है कि लोगों के बीच इस बात की बहस चल रही है कि होली का पर्व इस साल बड़े ही सादगी से मनाया जाना चाहिए। कोरोना से बचने के लिये लाँकडाउन भी लगाये जा सकता है जिसके कारण व्यापारी चिंतित है।

क्या करोना भी सयासत की चपेट में है?

भले ही देश के शहरों और गांवों में कोरोना का कहर तेजी से बढ़ रहा हो, पर लोगों में इस बार 2020 जैसा ना तो डर दिख रहा है, ना ही भय। दिल्ली के रेलवे स्टेशनों , बस अड्डों और अस्पतालों तक में भी ज्यादात्तर लोग बिना मास्क के देखें जा सकते है।

गौरतलब है कि कोरोना को लेकर इस बार 2021 में लोगों में सवाल उठ रहे है कि क्या कोरोना भी सियासी हो गया है। क्योंकि कई राज्यों कोरोना बढ़ रहा है। तो जहां पांच राज्यों में चुनाव है वहां पर कोरोना को लेकर कोई चर्चा तक नहीं है। मतलब कोरोना है कि नहीं।

तहलका संवाददाता से हुई बातचीत में दुकानदारों ने कहा कि अब करोना पूरी तरहा सयासी हो गया है । चाय, पानी और राशन की दुकान चलाने वाले जो, बिना डर और भय के बिना मास्क लगाये दुकानदारी कर रहे है उनका मानना  है कि देश में कोरोना पूरी तरह राजनीति की चपेट है। क्योंकि इस बार जो कोरोना का बढ़ता कहर दिखाया जा रहा है।

जीबी पंत अस्पताल के बाहर चाय-पानी की दुकान चलाने वाले दुर्गेश का कहना है कि कोरोना को लेकर सरकार अपनी नाकामी छिपाने का प्रयास कर रही है, देश में गरीबी बढ़ रही है, लोगों के रोजगार छिन रहे है और महगांई बढ़ रही है उस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। इन मुद्दों से बचने के लिये कोरोना का भय दिखाया जा रहा है। बाजारों में होली के सामानों की बिक्री कम हो रही है पर भीड़ बढ़ रही है। कोरोना गाइड लाइन का कोई पालन नहीं कर रहा है।

रेलवे स्टेशनों में ना तो किसी को सेनेटाइज किया जा रहा है और ना ही मास्क लगाने को बोला जा रहा है। यहां तक की टी. सी तक बिना मास्क है देखे जा रहे है।  दिल्ली से बड़ी संख्या में लोगों का आना –जाना वो भी बिना कोरोना गाइड लाइन के, इससे साफ है कि कोरोना को लेकर इस बार ना तो डर रहे है और ना ही भय में है । बल्कि कोरोना को लेकर विश्वास और अविश्वास में जरूर फंसे है।

10 साल तक पेट्रोल-डीजल जीएसटी दायरे में लाना संभव नहीं : सुशील मोदी

संसद में बजट के दूसरे सत्र में राज्यसभा में बुधवार को भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अगले आठ से 10 साल तक पेट्रोल-डीजल को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर अभी इसे जीएसटी के दायरे में लगाया गया तो इससे राज्यों को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
राज्यसभा में सुशील कुमार मोदी ने वत्ति  विधेयक, 2021 पर चर्चा के दौरान कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को मलिाकर पांच लाख करोड़ रुपये कर के तौर पर मिलते हैं। भाजपा नेता ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाए जाने की मांग को अव्यवहारिक बताया।
सुशील मोदी का का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि कुछ राज्यों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुकी हैँपेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों पर काबू के लिए उन्हें जीएसटी के दायरे में लाने की मांग होती रही है।
100 रुपये लीटर में 60 रुपये सरकार के
सुशील मोदी ने कहा कि अभी जीएसटी में कर की अधिकतम दर 28 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि अभी की स्थिति में 100 रुपये में 60 रुपये कर के होते हैं। उन्होंने कहा कि इस 60 रुपये में केंद्र को 35 व राज्यों को 25 रुपये मिलते हैं। इसके अलावा केंद्र के 35 रुपये का 42 प्रतिशत भी राज्य को ही मिलता है।

जस्टिस रमना होंगे अगले चीफ जस्टिस, चीफ जस्टिस बोबडे ने सरकार को भेजा उनका नाम

सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ जज नथालपति वेंकट रमना (एनवी रमना) देश के अगले प्रधान न्यायाधीश होंगे। वर्तमान प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे ने देश के 48वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस एनवी रमना के नाम की सिफारिश सरकार को भेजी है। सरकार के यह सिफारिश मानने की सूरत में रमना 24 अप्रैल को चीफ जस्टिस पद की शपथ लेंगे।
जस्टिस रमना का जन्म 27 अगस्त, 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्ण जिले के पोन्नवरम गाँव में एक कृषि परिवार में हुआ था। वह 10 फरवरी, 1983 को वकील बने और उन्होंने आंध्र प्रदेश, मध्य और आंध्र प्रदेश प्रशासनिक न्यायाधिकरणों और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सिविल, आपराधिक, संवैधानिक, श्रम, सेवा और चुनाव मामलों में उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की है। उन्हें संवैधानिक, आपराधिक, सेवा और अंतर-राज्यीय नदी कानूनों में विशेषज्ञता हासिल है।
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बहाली का फैसला जस्टिस रमना ने ही दिया था। चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमन्ना सदस्य रह चुके हैं।
रमना पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश भी थे। उन्होंने आंध्र प्रदेश न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। वह 26 अगस्त, 2022 को सेवानिवृत्त होंगे। उन्होंने विभिन्न सरकारी संगठनों के लिए पैनल काउंसल के रूप में भी काम किया है। वह केंद्र सरकार के लिए अतिरिक्त स्थायी वकील और हैदराबाद में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण में  रेलवे के लिए स्थायी वकील के रूप में कार्य कर चुके हैं।
उन्होंने आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल  के रूप में भी कार्य किया। उन्हें 27 जून, 2000 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। रमना 10 मार्च 2013 से 20 मई 2013 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे। वे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा ले चुके हैं।

देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में ख़ारिज,परमबीर जाएंगे हाईकोर्ट  

महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ उनके आरोपों की सीबीआई जांच कराने की उनकी मांग वाली अर्जी पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। अदालत ने उनसे पूछा कि वे बॉम्बे हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके आरोप बहुत गंभीर हैं। साथ ही यह भी पूछा कि आखिर आपने अनिल देशमुख को इस मामले में पक्षकार क्यों नहीं बनाया है। सुप्रीम कोर्ट में अर्जी ख़ारिज होने के बाद परमबीर सिंह अब बॉम्बे हाईकोर्ट जा रहे हैं।
सर्वोच्च अदालत ने आज सवाल किया कि वह (परमबीर) बॉम्बे हाई कोर्ट क्यों नहीं गए। शीर्ष अदालत ने सिंह से हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करने के लिए कहा है। परमबीर सिंह ने याचिका में अपने तबादले को भी चुनौती दी है। सरकार ने उन्हें पुलिस प्रमुख के पद से हटाकर डीजी होमगार्ड बना दिया था। अदालत ने यह भी कहा कि उन्होंने आखिर अनिल देशमुख को इस मामले में पक्षकार क्यों नहीं बनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो आरोप लगे हैं, वह गंभीर हैं। लेकिन आपको पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए था।
परमबीर सिंह की ओर से अब जल्दी हई बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर की अर्जी पर सुनवाई से इनकार किया लेकिन  आरोपों को गंभीर बताया है।
बता दें परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के होम मिनिस्टर अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सीबीआई से जांच कराने की मांग की थी। इसके अलावा उन्होंने अपने तबादले को भी चुनौती दी है। शीर्ष अदालत के आदेश के बाद परमबीर सिंह ने अपनी याचिका को वापस ले लिया।
आज सर्वोच्च अदालत ने परमबीर सिंह की अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि अनिल देशमुख पर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं। इसके अलावा इस बर्ताव को देश में पुलिस सुधारों को हतोत्साहित करने वाला बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस सुधारों पर दिए गए फैसले को लागू नहीं किया गया है। यह मुद्दा तभी उठता है, जब कोई राजनीतिक हालात बिगड़ते हैं।
याद रहे मुकेश अंबानी के घर के बाहर 25 फरवरी की शाम को संदिग्ध स्कॉर्पियो कार मिलने और उसमें विस्फोटक बरामद होने के बाद से विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद कार से जुड़े शख्स मनसुख हिरेन की हत्या की बात सामने आई थी। इस केस में मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाझे को एनआईए ने गिरफ्तार किया है।

मोदी का एलान, जीतने पर भाजपा का मुख्यमंत्री बंगाल का ही बेटा होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एलान किया कि अगर भाजपा सत्ता में आयी तो राज्य का मुख्यमंत्री बंगाल की धरती के बेटे को ही बनाया जाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि बंगाल ने पूरे भारत को ‘वन्दे मातरम’ की भावना में बांधा है और उसी बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोगों को ‘‘बोहिरागोतो’’ (बाहरी) बता रही हैं। उन्होंने
एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूर्व मेदिनीपुर जिले के कांठी में, मोदी ने कहा कि बंगाल बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय, रबींद्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस जैसे नायकों की भूमि है और इस धरती पर कोई भारतीय बाहरी नहीं है।
प्रधान मंत्री ने कहा, ‘‘बंगाल ने पूरे भारत को ‘वन्दे मातरम’ की भावना में बांधा है और उस बंगाल में ममता दीदी ‘‘बोहिरागोतो’’ (बाहरी होने) की बात कर रही हैं। कोई भारतीय यहां बाहरी नहीं है, वे भारत माता के बच्चे हैं।’’
नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘हमें ‘पर्यटक’ कहा जा रहा है, हमारा मजाक उड़ाया जा रहा है, हमारा अपमान किया जा रहा है। दीदी, रबींद्रनाथ के बंगाल के लोग किसी को भी बाहरी नहीं मानते।’’
गौरतलब है, बंगाल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भाषणों में भाजपा और प्रधानमंत्री का जिक्र करते हुए अक्सर कहती हैं कि वह दिल्ली या गुजरात से आए ‘‘बाहरी’’ लोगों को बंगाल में शासन करने नहीं देंगी। उनके इस बयान पर छिड़ी ‘‘स्थानीय बनाम बाहरी’’ की बहस के बीच मोदी की यह टिप्पणियां आई हैं।
तृणमूल कांग्रेस ने ‘बंगाल को अपनी बेटी चाहिए’ अभियान भी शुरू किया है जिसमे दूसरे राज्यों से आए भाजपा पदाधिकारियों को ‘‘चुनावी पर्यटक’’ कह रहे हैं।