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बिहार के मुख्य सचिव का कोरोना से निधन

देशभर में कोरोना कहर बरपा रहा है। आए दिन कोई न कोई हस्ती संक्रमण की गिरफ्त में ले रही है। अब बिहार के मुख्य सचिव का कोरोना संक्रमण का इलाज कराने के दौरान अस्पताल में निधन हो गया है।
मुख्य सचिवमुख्य सचिव अरुण कुमार को कुछ दिनों पहले संक्रमण का पता लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। अस्पताल प्रबंधन ने भी इसकी पुष्टि की है। मुख्य सचिव के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इससे पहले पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव रवि शंकर सिंह की मृत्यु हो गई थी।
अब नए राज्यों में कोरोना की रफ्तार काफी तेजी से बढ़ रही है। बिहार में पिछले 24 घंटे में 13089 नए कोरोना मरीज मिले हैं। 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अरुण कुमार सिंह पिछले महीने बिहार के मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार की जगह पर अरुण कुमार सिंह मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार को प्रधान सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 कोरोना का कहर से अब पढ़े- लिखे तबके का भी पलायन जारी

दिल्ली में मजदूरों के साथ-साथ उन पढ़े लिखे लोगों को का पलायन जारी है। जिनकी नौकरी चली गयी या जिनकी जाने को है। सुबह से ही दिल्ली नेशनल हाईवे पर ये नजारा देखने को मिलता है। तहलका संवाददाता को दिल्ली से जाने वाले उन युवा लोगों ने अपनी- अपनी व्यथा बतायी। जो दिल्ली में एक दशक से अधिक समय से जमे थे। जीवन –यापन भी आराम से सम्मान के साथ कर रहे थे। 2020 मार्च में जब लाँकडाउन लगा था। तब सरकार से राहत के तौर पर कुछ उम्मीद थी। नौकरी घर बैठे आँनलाइन चलती रही। वेतन कम मिला लेकिन मिलता रहा। ऐसे में युवाओं ने माना की महामारी है। निकल जायेगी। साहस और हिम्मत के साथ महामारी में युवा काम करते रहे।

लेकिन अब 2021 में तो हालत ऐसे है। कि मौजूदा सिस्टम ही हर क्षेत्र में जवाब दे रहा है। लोगों में नौकरी जाने से ज्यादा अपनी जान की चिंता सतायी जा रही है। पेशे से सिविल इंजीनियर सौरभ ने बताया कि वे कंट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। लेकिन बाजार में आयी मंदी से काम रूक गया है।ऐसे में कंपनी ने फिलहाल काम पूरी तरह से रोक दिया ,जिससे अब उनकी नौकरी चली । दूसरी कंपनी में अभी नौकरी नहीं मिली है। ऐसे में दिल्ली में अपने मकान का किराया ना देने से बचने के लिये, वे अब दिल्ली छोड़कर जा रहे है।फेशन डिजाइनर गौकुल प्रकाश ने बताया कि उनका परिवार और वे शादियों में साज-सज्जा का काम करते थे अच्छा – खासा कमा लेते थे । लेकिन अब पिछली साल की तरह इस साल तो काम पूरी तरह से बंद है। लोगों ने तो कोरोना के डर के मारे रिश्ते या तो तोड़ दिये है। या फिर कुछ समय के लिये आगे बढ़ा दिये है। ऐसे हालात में उनको अब काम ना मिलने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह तामाम लोगों ने कोरोना के कहर में अपनी नौकरी जाने और जान बचाने की पीड़ा बतायी है। इन्हीं विषम परिस्थियों में लोगों को पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सीटी स्कैन और कोरोना की जांच के नाम पर लूट

कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम में इस कदर लूट खसोट बढ़ी है कि मरीजों का हाल बे- हाल है। अस्पतालों में आँक्सीजन की कमी और बैडो के ना होने से अब मरीजों को डाक्टर्स टरका कर कह रहे है कि कोरोना की जांच करवा कर आओं और सीटी स्कैन करवाओं तब जाकर  देखेंगे। ऐसे में कोरोना की जांच के साथ-साथ सीटी स्कैन के नाम पर मरीजों से औने-पौने दाम वसूलें जा रहे है।

जबकि कई मरीजों को सीटी स्कैन तक की जरूरत तक नहीं है। सीटी स्कैन कराने गये रोगियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि माना कि कोरोना में सीटी स्कैन भी जरूरी है। लेकिन जिनको नहीं है। फिर भी सीटी स्कैन कराने को वोला जा रहा है। जिसके चलते गरीबो की जैब पर असर ही नहीं पड़ रहा है। मानसिक विशाद का कारण भी बन रहा है। सीटी स्कैन के नाम पर निजी अस्पताल वालें अपने- अपने तरीके से मरीजों से औने-पौने दाम वसूल रहे है।

मरीज निर्मला देवी ने बताया कि डाक्टर्स के साथ- साथ सरकारी अफसर भी इस खेल में शामिल है। क्योंकि अस्पतालों में बैड नहीं होने पर मरीजों को फंसायें रखने के लिये कोरोना की जांच और सीटी स्कैन कराने को कहते है। ताकि एक –दो दिन मरीज अस्पताल के लपेटे में रखते है और उसकी जेब खाली होती रही है। इस बारे में कांग्रेस के नेता राम रतन ने कहा कि सरकार सही मायने में अपनी जिम्म्दारी नहीं निभा रही है। जिसके कारण देश में कोरोना को लेकर हाहाकार है।गरीब रोगी भटक रहा है। इलाज तक नहीं मिल पा रहा है।

दुनिया में अब कोरोना के भारतीय वैरिएंट का खौफ

पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण का प्रसार जारी है। टीकाकरण के बावजूद इसके थमने की रफ्तार कम नहीं हो रही है। विश्व भर में अब तक कोरोना संक्रमण के शिकार लोगों का आंकड़ा 15 करोड़ के पार पहुंच गया है। संक्रिमत लोगों में से 31.63 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि 12.82 करोड़ लोगों ने कोरोना को मात दी है। फिलहाल 1.93 करोड़ लोगों का इलाज चल रहा है। इनमें 1.92 करोड़ लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं और 1.10 लाख लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। भारत में सक्रिय मरीजों का आंकड़ा 30 लाख को पार कर गया है। रोजाना रिकॉर्ड मामले दर्ज किए जा रहे हैं। लगातार सातवें दिन तीन लाख से अधिक कोरोना मरीज अकेले भारत में सामने आए।

अब दुनियाभर में कोरोना के भारतीय वैरिएंट का खतरा बढ़ गया है। कई देशों ने भारत जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है। कई देशों ने भारत की यात्रा करने और वहां पर रहने वालों को तत्काल बुलाने तक का फरमान जारी कर दिया है। कोरोना वायरस का इंडियन वैरिएंट 17 देशों में पहुंच चुका है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यू्एचओ ने बताया कि दुनिया में पिछले हफ्ते कोरोना के 57 लाख मामले सामने आए। यह आंकड़े पहली पीक से कहीं ज्यादा हैं। इंडियन वैरिएंट यानी बी1.617 वैरिएंट (डबल म्यूटेशन वैरिएंट) की वजह से ही भारत में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया है।

विख्यात कवि कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण से निधन

कोरोना संक्रमण ने इसी साल और खासकर इसी महीने दर्जनों हस्तियों को छीन लिया है। वीरवार को जाने माने कवि कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण की वजह से दिल्ली से सटे नोएडा के अस्पताल में निधन हो गया। उनके दुनिया से फानी होने की जानकारी कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर दी। कुमार विश्वास ने लिखा कि कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुखद समाचार मिला है। हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुंअर बेचैन ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान कर गए हैं। कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे।

ट्वीट में आगे लिखा कि कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया। कुंवर बेचैन और उनकी पत्नी संतोष कुंवर दोनों कोरोना संक्रमित चल रहे थे। पिछली 12 अप्रैल को दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। रिपोर्ट आने के बाद दोनों को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालत में सुधार नहीं होता देख कुंवर बेचैन को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

बेचैन उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। कुंवर बेचैन गाजियाबाद के एमएमएच महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार किया जाता था। बेचैन साहब व्यवहार में सहज, वाणी से मृदु रचनाकार को सुनना-पढ़ना अपने साहित्य प्रेमियों के लिए अनोखा अनुभव है। उनकी रचनाएं सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं।

सीआईआई ने राज्यों के लिए टीके की कीमत घटाकर 300 रूपये करने का ऐलान किया

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड की कीमतों में 25 फीसदी तक की कटौती करने का फैसला करते हुए बुधवार को राज्यों को यह वैक्सीन 300 रूपये प्रति टीका देने की घोषणा की है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (सीआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने एक ट्वीट में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि हमने राज्यों के लिए कोविशील्ड की कीमत घटाने का तुरंत प्रभाव से फैसला किया है।
अदार पूनावाला ने ट्वीट करके कहा – ‘राज्यों के लिए कोविशील्ड की कीमत 400 रुपये से घटाकर 300 रुपये प्रति डॉज करता हूं, जो तुरंत प्रभाव से लागू होती है।  इससे हजारों करोड़ रुपये के राज्य के फंड बचाया जा सकेगा। इससे तेजी से टीकाकरण होगा और अनगिनत लोगों की जान बचेंगी।’
बता दें कुछ समय पहले सीआईएआई ने अपने टीके की सरकार को कीमत 400 रूपये तय की थी जबकि निजी अस्पतालों के लिए यह कीमत 600 रूपये प्रति डोज रखी गयी है। उधर बाद में हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अपने कोविड-19 टीके कोवैक्सिन की कीमत राज्य सरकारों के लिए प्रति खुराक 600 रुपये और निजी अस्पतालों के लिए 1,200 रुपये प्रति डोज तय करने की बात कही थी।
यहाँ यह भी बता दें कि एक दिन पहले ही सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से कोरोना वैक्सीन की कीमतों में अंतर को लेकर सवाल पूछा है।

सीआईआई सीईओ का ट्वीट –
Adar Poonawalla
@adarpoonawalla
As a philanthropic gesture on behalf of @SerumInstIndia, I hereby reduce the price to the states from Rs.400 to Rs.300 per dose, effective immediately; this will save thousands of crores of state funds going forward. This will enable more vaccinations and save countless lives.

मिसाल : अपने ही छोड़ जा रहे शव, अनजान करा रहे अंतिम संस्कार

कोरोना संक्रमण का खौफ लोगों में इस तरह घर कर गया है कि वे अपनों को अंतिम विदाई तक देने से बच रहे हैं। ऐसे में कई नेक लोग सामने आकर शवों को पूरी रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करा रहे हैं।
नागपुर में एक ऐसी ही संस्था पिछले काफी समय से काम कर रही है जो लावारिस छोड़ दिए जा रहे शवों का दाह संस्कार कर रही है। ऐसे समय में जब लोग अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और पड़ोसियों के अंतिम दर्शन तक नहीं कर रहे हैं, उस वक्त नागपुर में कुछ नेक इंसान भी हैं जो शवों को को रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार कर रहे हैं।
जहां अपने ही लोग जहां पीछे हट रहे हैं, वहीं ऐसे में ये देवदूत बन सामाजिक दायित्व मानकर नेक काम को अंजाम दे रहे हैं। हालांकि, छोटे परिवारों को इस भय के मनोविकार का दंश झेलना पड़ रहा है जो अपने प्रियजनों के अंतिम संस्कार के लिए लोगों को जुटा पाने में संर्घष कर रहे हैं।
कोरोना के नेशनल इमरजेंसी के समय इको फ्रेंडली लिविंग फाउंडेशन (ईईएलएफ) के विजय लिमाय ऐसे लोगों की मदद के लिए सामने आए हैं, जो प्रियजनों के अंतिम संस्कार के संकट में फंसे हैं। ईईएलएफ के सदस्य मृतकों की अर्थी उठाकर शवदाह गृह ले जा रहे हैं और अंतिम संस्कार भी करा रहे हैं। विजय लमाय ने पीटीआई एजेंसी को बताया कि संगठन नागपुर नगर निगम के साथ मिलकर पर्यावरण अनुकूल अंतिम संस्कार करने को बढ़ावा देता है जिसके तहत लकड़यिों की बजाय कृषि अपशिष्टों एवं कृषि अवशेषों से चिता बनाई जाती हैं।

मरीजों की जान के साथ हो रहा है खिलवाड़

दिल्ली- एनसीआर में कोरोना के कहर से लोग जूझ रहे है। मर –खप रहे है। गरीब से गरीब आदमी कोरोना के उपचार के लिये अपनी जमा पूंजी को निकाल कर इलाज कराने को अस्पताल दर अस्पताल भटक रहा है। वहीं केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के अस्पतालों के अलावा निजी अस्पतालों में मरीजों को आँक्सीजन और बैड ना मिलने से मरीजों की मौत हो रही है। मरीज के परिजन तो भगवान भरोसे लाचार खड़ा है। अस्पताल में डाँक्टरों का व्यवहार मरीजों के साथ नहीं है। मरीज ऐसे वातावरण में शारीरिक और मानसिक रूप से टूट रहे है।

मौजूदा वक्त में सरकार  का हेल्थ सिस्टम फेल हो गया है। देश का कोई भी ऐसा शहर व कस्बा नहीं है। जहां पर मरीज इलाज को ना भटक रहा हो । सबसे चौकाने वाली बात तो ये है। जिला प्रशासन तो निकम्मा ही साबित हो रहा है। जिला के आला अधिकारी तो  कुछ करने के सोचते है। लेकिन उनका चतुर्थ और तृतीय श्रेणी का कर्मचारी आम जनमानस को गुमराह कर रहै है। जिला अधिकारियों के पास इलाज या अन्य फरियाद लेकर जाते है। तो कर्मचारी भगा देते है। मिलने नहीं देते है। ऐसा में जनमानस के साथ अभद्रता हो रही है।

देश की राजधानी में जहां पर एम्स जैसे संस्थान है। पंच सितारा अस्पताल है। और काफी बड़े अस्पताल है। यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं के चरमाने के पीछे का मतलब है। दलाली प्रथा का हावी होना है। जिसमें हेल्थ अधिकारियों की मिली भगत का होना है।सरकारी अस्पताल और निजी अस्पताल में एक प्रकार का ऐसा नैक्सिस है। जो मोटा कमाई का जरिया बना हुआ है। ऐसा नहीं है कि मंत्रालय और सरकारों को इन सारी गतिवधियों की जानकारी नहीं है। सब पता है।सब चल रहा था। कोरोना के कहर ने इन दलालों की पोल खोल दी है।

देश में लोग बीमारी के साथ –साथ हेल्थ सिस्टम में फैली आराजकता से डर रहे है। तहलका संवाददाता को मरीजों के परिजनों सुरेश सिंह और शीतल घोष ने बताया कि  नोएड़ा, गुड़गांव, नोएड़ा और गाजियाबाद में जो नामी-गिरामी अस्पतालों की अगर जांच सही तरीके से हो जाये तो पता चलेगा। किस हद तक मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते रहे है। इन अस्पताल वालों ने सरकार को प्रलोभन देकर किस कदर चूना लगाया है।

कहते है दगा किसी का सगा नहीं होता है। वो हाल आज नामी –गिरामी अस्पताल वाले नेताओं के साथ कर रहे है। नेताओं के परिजनों को आँक्सीजन और बैड ना होने का हवाला देकर मरीजों को एडमिट तो क्या देख भी नहीं रहे है।

मतगणना में पोलिंग एजेंट को जाने के लिए आरटी-पीसीआर रिपोर्ट जरूरी की चुनाव आयोग ने

चुनाव आयोग ने 2 मई को चार राज्यों पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव के लिए मतों की गिनती के दौरान बिना आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट के किसी भी पोलिंग एजेंट को मतगणना केंद्र पर जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी। पोलिंग एजेंट को मतगणना केंद्र पर जाने के लिए पीपीई किट पहनना भी अनिवार्य कर दिया गया है।
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल में चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि 2 मई को होने वाली वोटों की गिनती के लिए जरूरी गाइडलाइंस जारी की जाएं, ताकि इस दौरान किसी भी तरह की चूक न हो।
अब देश में कोविड -19 के बढ़ते संकट के बीच चुनाव आयोग ने बुधवार को 2 मई की मतगणना के लिए गाइडलाइंस जारी की हैं। आयोग ने चुनाव नतीजों के बाद किसी भी तरह के विजय जुलूस निकालने या जश्न पर पहले ही पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है।  मतगणना केंद्र के बाहर भीड़ के जमा होने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
आयोग के मुताबिक़ विजयी प्रत्याशी केवल दो लोगों के साथ ही अपनी जीत का सर्टिफिकेट लेने जा सकेगा। आयोग की अन्य पाबंदियां के मुताबिक मतों की गिनती के दौरान बिना आरटी-पीसीआर टेस्ट रिपोर्ट के किसी पोलिंग एजेंट को मतगणना केंद्र में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। जो भी पोलिंग एजेंट काउंटिंग सेंटर पर जाएगा, उसे पीपीई किट पहनना भी जरूरी कर दिया गया है।
चुनाव आयोग ने आज कहा कि जो भी प्रत्याशी मतगणना केंद्र पर जाएगा, उसे भी अपनी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट दिखानी होगी और अगर उसकी उम्र 45 साल से ज्यादा है तो उसे अपना कोरोना वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना भी जरूरी होगा। अगर उसने वैक्सीन की दो डोज ली हैं तो उसका सर्टिफिकेट उसे दिखाना होगा।
पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव के लिए अब सिर्फ बंगाल में एक दौर (29 मई) की वोटिंग बाकी है और नतीजे 2 मई को घोषित किए जाने हैं।
बता दें कोरोना के मामले गंभीर स्तर पर जाने के बाद बंगाल, असम और अन्य जगह राजनीतिक रैलियों को लेकर ढेरों सवाल उठे हैं। मद्रास हाईकोर्ट ने तो हाल में चुनाव आयोग को कड़ी फटकार भी लगाई थी जिसमें कहा गया है कि कोरोना की लहर के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग ने चुनाव सभाओं पर रोक नहीं लगाई, जिनमें बड़ी संख्या में लोग इकट्ठे हुए और संक्रमण का खतरा बढ़ा।

कोरोना नियम तोड़ने पर अभिनेता जिम्मी शेरगिल गिरफ्तार

महाराष्ट्र और पंजाब में कोरोना को लेकर सबसे बुरे हालात हैं, ऐसे में यहां पर सख्ती से पाबंदियां लगाई गई हैं। कोरोना निमयों का उल्लंघन करने के आरोप में बॉलीवुड अभिनेता जिम्मी शेरगिल को बुधवार को पंजाब के लुधियाना में गिरफ्तार किया गया। इससे पहले भी मंगलवार को फिल्म की शूटिंग करने के आरोप में उनका चालान किया गया था। शेरगिल की शूटिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ अन्य कोरोनो के नियमों की अनदेखी किए जाने के आरोप हैं।

लुधियाना के आर्य स्कूल एक पंजाबी फिल्म की शूटिंग चल रही है। यहां पर एक साथ कई चार पहिया वाहन पहुंचे। इनमें जिम्मी शेरगिल भी पहुंचने वाले थे। आर्य स्कूल को सेशन कोर्ट लुधियाना का रूप दिया गया है। जब पुलिस को इस बात का पता चला तो एसीपी वरियाम सिंह पुलिस पार्टी के साथ वहां पहुंच गए। उन्होंने शूटिंग रुकवा दी। फिल्म निदेशक ने उन्हें मंजूरी के कागजात दिखाए। इसके बाद उन्होंने वहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने वाले डायरेक्टर समेत दो लोगों के दो-दो हजार रुपये के चालान काटे।
पुलिस का कहना है कि शूटिंग की इजाजत ली गई थी। सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वाले दो लोगों के चालान किए गए हैं। आर्य स्कूल में कमरे काफी है हर कमरे में पांच से छह लोग थे। शूटिंग समय पर खत्म कर दी गई थी। जब पुलिस की टीम शूटिंग स्थल पर पहुंची तो कई लोगों ने मास्क नहीं पहने हुए थे। पुलिस को देखते ही वहां मौजूद लोगों ने तुरंत मास्क पहन लिए। कुछ ने अपना रुमाल तो कुछ ने जो कपड़ा मिला उससे ही अपना मुंह छुपा लिया।