Home Blog Page 666

सर्दी जुकाम और खांसी को कोरोना ना मानें

जब कोरोना रोगियों को आँक्सीजन जैसी किल्लत से जूझना पड़ रहा हो, ऐसे में रोगियों के बीच निराशा पनप रही हो। तब डाक्टरों की सलाह लें और घर बैठे अपना इलाज करें। क्योंकि कुछ इलाज अस्पतालों से बेहत्तर घर में हो सकता है।और सदियों से ऐसा ही होता आया है।तहलका संवाददाता को दिल्ली मेडिकल काउंसिल (डीएमसी) के सदस्य व डीएमए के पूर्व अध्यक्ष डाँ नरेश चावला ने बताया कि आज कल कोरोना का कहर लोगों के बीच एक दहशत बनकर उभरा है। लोगों में डर है। कि कहीं कोरोना से कोई अनहोनी ना हो जाये। ऐसे में कोरोना होने पर लोग अस्पताल भाग रहे है। अस्पतालों में बैड  और आँक्सीजन ना मिलने पर लोग तड़प रहे है। कई लोगों को समय पर इलाज ना मिल पाने के काऱण उनकी मौत तक हो रही है।

डाँ नरेश चावला का कहना है कि कोरोना होने या हल्की खांसी बुखार होने पर लोग सूझ -बूझ से काम लें ,डरें नहीं बल्कि सावधानी पूर्वक घर बैठे इलाज के तौर पर खांसी होने पर छाती में अगर कफ जमा हो तो गर्म पानी के गरारे करें। भाप लें । सामान्य पानी पियें जो ठंडा ना हो। उसका अधिक सेवन करें। तो आराम मिलेगा। बे-वजह दवा का अधिक सेवन ना करें। क्योंकि दवा का अधिक सेवन से शरीर में साइट इफेक्ट हो सकते है।

इंडियन हार्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष व हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ आर .एन. कालरा ने बताया कि इन दिनों वायरल फैल रहा है। सर्दी , जुकाम और खांसी के साथ बुखार आ रहा है। इसका मतलब ये है कि आप आसानी से ठीक हो सकते है। इन लक्षणों को कोरोना मानकर घबराये नहीं है। क्योंकि ज्यादात्तर लोग कोरोना मानकर अपना इलाज  करवा रहे है। और खुद ही कोरोना की चपेट में आ रहे है।ऐसे में जागरूक बने सतर्क रहे और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें।

सरकारी अस्पतालों में  स्वास्थ्य कर्मचारियों की कमी, कोरोना रोगियों के लिये मुसीबत बनी

जैसे –जैसे दिल्ली में कोरोना से मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है। वैसे –वैसे दिल्ली में रहने वालों में एक अजीब सा डर बढ़ने लगा है। गत 5 दिनों से दिल्ली में 4 सौ से अधिक मौतें होने पर, तहलका संवाददाता को दिल्लीवासियों ने बताया कि कहने को तो दिल्ली में विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवायें है।  जो कोरोना काल में सब हिल कर बिखर गयी है। सरकारी अस्पतालों को तो छोड़ो,  निजी अस्पतालों में भी मरीजों को सही इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। जिसके कारण मरीजों की जानें जा रही है। मिथलेश पुनिया ने बताया कि सरकारी अस्पताल और क्या निजी अस्पताल दोनों में मरीजों को आँक्सीजन के अभाव में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि आज लोगों को पैसों के अभाव में नहीं बल्कि अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव में भटकना पड़ रहा है।

मौजूदा वक्त में जहां देखों दिल्ली में कोरोना मरीज ही मरीज है। लोगों की एक ही पुकार, नहीं मिल रहा बेहत्तर उपचार। वजह? सरकार है लाचार। लोकनायक अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि सरकार के पास बड़े –बड़े बहुमंजिला अस्पताल है। जहां पर बैडो की कमी नहीं है। लेकिन ना जाने क्यों मरीजों को बैड तक नहीं मिल पा रहे है। उनका कहना है कि माना कि आँक्सीजन की कमी है। लेकिन बैड़ों की कमी तक नहीं है।कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार पैरामेडिकल कर्मचारियों की नियुक्तियों कर दें। तो काफी हद तक मरीजों की समस्या को दूर किया जा सकता है। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में कई सालों से कर्मचारियों की नियुक्तियां तक नहीं हुई है। जो कोरोना काल में मरीजों के उपचार के लिये विकट समस्या बनी हुई है।

 

कोरोना वायरस की घुसपैठ के बाद आईपीएल 2021 सस्पेंड

देश में हो रहे आईपीएल 2021 के दौरान पिछले दो दिनों में कई खिलाड़ियों और स्टाफ के संक्रमित पाए जाने के बाद 14वें संस्करण के सभी मैच फिलहाल टाल दिए गए हैं। बीसीसीआई के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने मंगलवार दोपहर बताया कि फिलहाल टूर्नामेंट को स्थगित किया गया है। हम देखेंगे कि इसे आगे पूरा कराया जा सकता है, या नहीं। इससे जाहिर है कि बचे हुए 31 मैच री-शेड्यूल किए जा सकते हैं।

राजीव शुक्ला ने कहा कि हम देखेंगे कि क्या इस साल आईपीएल आयोजन के लिए कोई उपयुक्त समय मिल सकता है। यह सितंबर हो सकता है लेकिन अभी यह केवल कयास होंगे। अभी की स्थिति यह है कि हम टूर्नामेंट का आयोजन नहीं कर रहे हैं। लीग के चेयरमैन बृजेश पटेल ने एजेंसी से कहा कि टूर्नामेंट को अनिश्चितकाल के लिये निलंबित कर दिया गया है।

लीग के आयोजकों ने औपचारिक बयान भी जारी किया और कहा कि उसके खिलाड़ियों और स्टाफ की सुरक्षा सर्वोपरि है। आईपीएल संचालन परिषद और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने एक आपात बैठक में आईपीएल 2021 को तुरंत प्रभाव से अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने का सर्वसम्मत फैसला किया।

साथ ही बयान में कहा गया कि बीसीसीआई खिलाड़ियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए अपनी तरफ से हर तरह के प्रयास करेगा। आईपीएल में इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सहित कई देशों के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। आईपीएल ने कहा कि यह मुश्किल समय है विशेषकर भारत में और हमने कुछ सकारात्मकता और खुशी लाने की कोशिश की लेकिन अब जरूरी है कि टूर्नामेंट निलंबित किया जाए और हर कोई इस मुश्किल दौर में वापस अपने परिवार और प्रियजनों के पास चला जाए।
कोरोना वायरस से बचने के लिए बनाए गए बायो बबल के बावजूद कोताही बरतने में दो दिन में तीन खिलाड़ियों और कुछ स्टाफ के संक्रमित पाए जाने के बाद बाकी खिलाड़ी और स्टाफ खौफजदा हो गए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए फिलहाल टूर्नामेंट को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया है।

सुरक्षित’ आईपीएल में भी कोरोना की घुसपैठ, दो खिलाड़ी संक्रमित, आज का मैच टला

भारत में कोरोना काल में हो रही इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपील को वायरस से सबसे सुरक्षित जगह माना जा रहा था। लेकिन वायरस ने अब इसमें घुसपैठ कर दी है, जिससे इस लीग के आगे होने पर सवाल खड़ा हो गया है। सोमवार को दो खिलाड़ियों के पॉजिटिव पाए जाने के बाद आज का मैच टाल दिया गया है यानी सोमवार को कोई मैच नहीं होगा।कोलकाता नाइट राइडर्स (केकेआर) के दो खिलाड़ियों की कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गए है। पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद आज रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के खिलाफ होने वाला मुकाबला टाल दिया गया है। ये मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी क्रिकेट स्टेडियम में होने वाला था।
क्रिकइन्फो के मुताबिक अब यह मैच आगे होगा कि नहीं, परिस्थितयां तय करेंगी। बताया गया कि ट्रैवल पॉलिसी और मुंबई होटल में बायो-बबल में खामी की वजह से खिलाड़ी संक्रमित हुए हैं। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने एएनआई को बताया कि केकेआर के वरुण चक्रवर्ती और संदीप वॉरियर्स की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। आईपीएल के नियमों के मुताबिक, इन दोनों खिलाड़ियों को भी बायो-बबल में रखा गया था। संक्रमण की खबर के बाद बंगलोर के खिलाड़ी भी सकते में आ गए और उन्होंने खेलने के खास तवज्जो नहीं दिखाई।
अब बायो बबल पर भी सवाल उठने लगा है।होटल में बायो-बबल तैयार किया गया था। उसके बाद टीम अप्रैल के दूसरे हफ्ते में चेन्नई पहुंची। अब चेन्नई में बायो-बबल तैयार किया गया। यहां कोलकाता ने तीन मैच खेले। 18 अप्रैल को चेन्नई में आखिरी मैच खेलने के बाद टीम मुंबई लौटी। चूंकि मुंबई में बायो-बबल को समाप्त कर दिया गया था। ऐसे में दोबारा बायो-बबल तैयार करने में लापरवाही बरती गई। मुंबई में जिस होटल में केकेआर की टीम रुकी, उस दौरान उनके देखभाल में रखे गए कर्मचारी कोरोना संक्रमित पाए गए।

कोलकाता की टीम को महज एक हफ्ते के अंदर दो बार सफर करना पड़ा। टीम ने मुंबई में पहला मैच 21 अप्रैल को चेन्नई सुपर किंग्स के साथ और दूसरा मैच 24 अप्रैल को राजस्थान रॉयल्स के साथ खेला। इसके बाद टीम अहमदाबाद के लिए रवाना हो गई। सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कि इसी दौरान खिलाड़ी संक्रमित हुए हों। इससे पहले कोरोना के चलते अब तक रविचंद्रन अश्विन समेत चार खिलाड़ी आईपीएल से पहले ही बाहर हो चुके हैं।

दवा व्यापारी ड्रग विभाग से मिलकर कर रहे मोटी कमाई

कामचलाऊं शासन व्यवस्था में जो अफरी तफरी मचती है। उससे बाजार में कालाबाजारी जैसी घटनायें आम बात होने लगती है। देश में कोरोना का कहर जारी है। लोग इलाज कराने को भटक रहे है। इलाज नहीं मिल पा रहा है। बाजारों में एक सुनियोजित तरीकों से दवाईयों के गायब होने से मरीजों को ब्लैक में दवाईयां खरीदनी पड़ रही है।तहलका संवाददाता को मरीजों के परिजनों ने बताया कि देश में सरकार नाम की कोई बात ही नहीं दिख रही है। मेडिकल स्टोर में दवा की बिक्री दुकानदार औने-पौने दामों में कर रही है।

संजय बाजपेई ने बताया कि एक दौर वो था। जब भी मेडिकल स्टोर में जाते थे। तब मेडिकल स्टोर वाले दवा में 10 से 20 प्रतिशत का डिस्काउंट देते थे। लेकिन आज वो दौर है, कि वे दवा में जो एमआरपी रेट से ज्यादा रहे है। उनका कहना है कि कोरोना से रिलेटिट दवा ही नहीं बल्कि, कोई भी दवा लो उसमें दाम बढ़ा कर दी जा रही है। दवा खरीद रहे संतोष पाल ने बताया कि देश में कानून का भय नहीं दिखने से दवा व्यापारी अपनी मनमर्जी से दवा को बेचनें में लगे है।उन्होंने बताया कि कई मर्तबा ड्रग कंट्रोलर दिल्ली और भारत सरकार से भी कर चुके है। लेकिन दवा व्यापारियों की ड्रग विभाग में आपसी साठ-गांठ होने से छोटे से छोटा व्यापारी दवा के पैसा वसूलने में लगा है।

अर्चना दास ने बताया कि जब से कोरोना फैला है। तब से दवा वाले (मेडिकल वाले) ये सोचकर दवा को मंहगे दामों में बेंच रहे है। कि ये मौका है। जितना कमाना है। कमां लो। जिसके कारण गरीबों को मंहगी दवा खरीदने को वे –बस होना पड़ रहा है।

प्रशांत किशोर का संन्यास, दिसंबर में कहा था बंगाल में भाजपा दो अंक पार नहीं कर पाएगी

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बड़े जोर शोर 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करती रही, पर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पहले ही दावा कर दिया था कि भाजपा दो अंक के आंकड़ों को पार नहीं कर पाएगी। रविवार को आए चुनाव नतीजों से उनका आकलन सही साबित हुआ। इस बीच प्रशांत किशोर यानी पीके ने ऐलान कर दिया है कि अब वे आगे किसी भी पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर भाजपा डबल डिजिट क्रॉस कर गई तो मैं अपना काम ही छोड़ दूंगा।

बंगाल में भाजपा 75 के आसपास जीतती दिख रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन को जीत दिलाने के दावे पर खरे उतरने के बाद भी प्रशांत ने एक टीवी इंटरव्यू में यह कहकर चौंका दिया कि अब वो इस जीत के बाद वे इस काम को छोड़ना चाहते हैं। अब वे चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि उनकी टीम के बाकी साथी अब इस काम को संभालें। जब उनसे पूछा गया कि क्या अब वे राजनीति में आने की तैयारी में हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे एक विफल पॉलिटिशियन साबित हुए हैं।

पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा से मिली करारी हार के बाद 2020 में ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी प्रशांत को तृणमूल में लेकर आए थे। इसके बाद से ही प्रशांत की कंपनी ने तृणमूल की जीत की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। पीके कह चुके हैं कि ‘जो भी काम करो, सर्वश्रेष्ठ बन कर करो। अगर मैं स्किल, मैथोडॉलोजी और फैक्ट के इस्तेमाल के बाद भी जीत न दिला सकूं तो मुझे नैतिक रूप से यह काम नहीं करना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि मुझे जीवनभर यही काम करना है। कोई दूसरा काम नहीं करना है। मेरे बाद भी यह काम होता रहेगा। बता दें कि प्रशांत किशोर फिलहाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काम कर रहे हैं। वे इस दौरान उनसे कोई फीस भी नहीं ले रहे हैं।

नंदीग्राम में ममता की जीत-हार पर संशय, अभी आधिकारिक नतीजे का है इन्तजार  

नंदीग्राम में ममता बनर्जी की जीत की खबर के बाद अब यह खबर आ रही है कि ममता वहां 1957 वोटों से सुबेन्दु अधिकारी से चुनाव हार गयी हैं और इसका दावा भाजपा ने किया है। उधर अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ममता बनर्जी ने  कहा – ‘भूल जाएँ नंदीग्राम में क्या हुआ। बंगाल की जनता ने भाजपा को हराकर देश को बचा लिया है। हम बंगाल जीते हैं।’ हालांकि, ममता की हार की खबर की चुनाव आयोग से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अभी तक टीएमसी को 213 सीटों पर बढ़त है और भाजपा 80 से भी नीचे चली गयी है।
ममता ने कहा नंदीग्राम के लोगों का फैसला उन्हें मंजूर है, जो भी है। ममता ने कहा कि बड़ी जंग जीतने के लिए कई बार कुछ त्याग भी करना पड़ता है। पार्टी के नेता डेरीक-ओ-ब्रायन ने भी एक ट्वीट में यही बात कही है। हालांकि, टीएमसी की तरफ से भी यह बात सामने आई है कि वोटों की गिनती अभी चल रही है।
भाजपा के कुछ नेताओं ने सबसे पहले अधिकारी की नंदीग्राम में जीत का दवा किया। लिहाजा अभी आधिकारिक नतीजे का इन्तजार करना होगा।

ममता की नंदीग्राम में जीत; बंगाल में टीएमसी की जीत

सीएम ममता बनर्जी ने नंदीग्राम की सीट जीत ली है। उन्हें 1200 मतों से जीत मिली है। उन्होंने भाजपा के सुबेन्दु अधिकारी को हरा दिया है। बंगाल के चुनाव में भाजपा के पीएम मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं सहित सारी ताकत झोंक देने के बावजूद टीएमसी नेता ममता बनर्जी उसपर बहुत भारी पड़ी हैं  और अब तक के रुझानों में वहां भाजपा को करारी मात मिली है। टीएमसी अब तक 207 सीटों पर आगे हैं जबकि भाजपा 80 के आसपास सिमटती दिख रही है। केरल में लेफ्ट फ्रंट की फिर जीत हुई है और वह 90 सीटों पर आगे है जबकि असम में भाजपा (77) और तमिलनाड में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन 140 सीटों के साथ सत्ता में पहुँच रहा है। ममता को इस जबरदस्त जीत के बाद देश के सभी बड़े विपक्षी नेताओं ने बधाई दी है।
अभी सारे नतीजे घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन रुझानों में साफ़ हो गया है कि कौन कहाँ जीत रहा है। बंगाल पर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर थी। भाजपा ने कोविड के भयंकर प्रकोप के बावजूद अपनी सारी ताकत वहां झोंक दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां 17 के करीब चुनाव रैलियां कीं जबकि अमित शाह तो बंगाल का पूरा चुनाव प्रबंधन खुद देख रहे थे। भाजपा के कमोवेश सभी केंद्रीय मंत्री चुनाव प्रचार में पहुंचे लेकिन उसे 100 का आंकड़ा भी नसीब होता नहीं दिख रहा।
अभी तक के रुझानों में टीएमसी को बंगाल में 207 सीटों के आसपास जीत मिलती दिख रही है। टीएमसी ने 2016 में भी 211 सीटें जीती थीं। इस तरह भाजपा उसके वोट बैंक में कोई सेंध नहीं लगा पाई। इस चुनाव में बंगाल में सबसे बुरा हाल लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन का हुआ जिसे अभी तक सिर्फ एक सीट पर बढ़त दिख रही है।
केरल में लेफ्ट मोर्चे ने फतह हासिक की है और उसे 90 सीटों पर बढ़त है। कांग्रेस गठबंधन को वहां 44 सीटों पर बढ़त है।
असम में भाजपा फिर सरकार बना रही है। उसे वहां 77 जबकि कांग्रेस गठबंधन को 48 सीटों पर बढ़त है। तमिलनाड में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन 141 सीटों के साफ़ बहुमत के साथ आगे है और उसकी सरकार बनना तय है। केंद्र शासित पुडुचेरी में 12 सीटों के साथ भाजपा गठबंधन बहुमत के पास है। कांग्रेस 4 ही सीटों पर आगे है। ममता को इस जबरदस्त जीत के बाद देश के सभी बड़े विपक्षी नेताओं ने बधाई दी है।

2 मई भाजपा सिमट गई

पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम चौकाने वाले ही साबित हुये है। क्योंकि जिस अंदाज में भाजपा आला कमान पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार के दौरान कहा करते थे। कि 2 मई ममता गई, आज तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि 2 मई भाजपा सिमट गई। राजनीति में साम,दाम दंड भेद सब चलता है। दोनों राजनीति दलों ने अपने –अपने तरीके से चुनाव में जीत के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन चुनाव में प्रयास की चर्चा महत्वपूर्ण होनी है। बल्कि जीत महत्वपूर्ण होती है। कुल मिलाकर तृणमूल कांग्रेस की जीत और ममता बनर्जी की जीत अब देश की राजनीति में अहम् भूमिका निभा सकती है।बताते चलें पश्चिम चुनाव में जिस अंदाज से भाजपा ने चुनाव लड़ा था। धुव्रीकरण की राजनीति पर बल दिया था। लेकिन धुव्रीकरण तो नहीं हो सका। बल्कि जो वोट काटो के नाम पर राजनीति करने आये थे। उनकी भी राजनीतिक दुकानें बंद हो गयी। क्योंकि इस चुनाव में जनता ने साफ जनादेश देकर ,ये मैसेज दिया है। कि जनता सब जानती है।

तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता जयंत दास का कहना कि भाजपा हो हल्ला की राजनीति करती रही। जिन भाजपा नेताओं को स्टार प्रचारकों के तौर पर भेजा था। उनकी खुद की पहचान नहीं थी। वे सब स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे ही चुनावी रैली में उपस्थित भर हुये है। जिससे ये बात पश्चिम बंगाल की जनता समझ चुकी थी। भाजपा से बेहत्तर तृणमूल कांग्रेस पार्टी ही है। क्योंकि भाजपा के पास ना तो बंगाली नेता मुख्यमंत्री के चेहरा के तौर पर नही था। जबकि ममता बनर्जी जानी पहचानी नेता स्थापित नेता है। तो जनता ने ममता बनर्जी पर ही भरोसा जताया है।

 

शूटर दादी भी संक्रमण के चलते नहीं रहीं

यूपी के बागपत की रहने वाली 89 साल की शूटर दादी चंद्रो तोमर का मेरठ के मेडिकल कॉलेज में कोरोना का इलाज के दौरान निधन हो गया। एक दिन पहले उन्हें शहर के आनंद हॉस्पिटल से मेरठ के मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मौत की वजह ब्रेन हेमरेज बताई गई है, जबकि पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित पाई गई थीं।
चंद्रो तोमर ने 60 साल की उम्र पार करने के बाद निशानेबाजी को अपना कॅरिअर बनाया और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी जीती थीं। उन पर बॉलीवुड में फिल्म भी बनाई गई, जिसकी काफी चर्चा भी हुई। चंद्रो तोमर को विश्व का सबसे अधिक उम्र का निशानेबाज माना जाता था।