बंगाल में मुख्यमंत्री के लिए चेहरे की स्पष्ट कमी महसूस करते हुए भाजपा ने तीन लोकसभा सदस्यों सहित अपने चार सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया है। इनमें बाबुल सुप्रियो भी शामिल हैं। इसके अलाव पार्टी ने अन्य राज्यों के लिए भी उम्मीदवारों की घोषणा की है।
भाजपा महासचिव अरुण सिंह ने रविवार को उम्मीदवारों का ऐलान करते हुए बताया कि भाजपा ने बंगाल के तीसरे चरण के चुनाव के लिए 27 जबकि चौथे चरण के लिए 36 उम्मीदवारों के नाम तय किये हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस से मुकाबले के लिए लोकसभा के तीन और एक राज्यसभा सदस्य को चुनाव में उतार दिया है।
विधानसभा चुनाव के लिए ममता बनर्जी के मुकाबले भाजपा के पास कोई एक बड़ा चेहरा न होने से पार्टी को ऐसा करना पड़ा है। हालांकि, पार्टी को इसका यह नुक्सान होगा कि यह नेता अब अपने हलकों तक सीमित हो जाएंगे और पार्टी के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे। और कहीं इनमें से किसी को हार का सामना करना पड़ता है तो इसका भाजपा के खिलाफ सन्देश जा सकता है।
प्रेस कांफ्रेंस में अरुण सिंह ने कहा कि सांसद बाबुल सुप्रियो बंगाल की टॉलीगंज सीट से लडे़ंगे जबकि दिनहाटा से सांसद निशीथ प्रमाणिक मैदान में उतरेंगे। सांसद लॉकेट चटर्जी चुंचुरा सीट से चुनावी मैदान में टीएमसी से भिड़ेंगी जबकि राज्यसभा सांसद स्वपन दास गुप्ता तारकेश्वर सीट से चुनाव लड़ेंगे।
पार्टी ने अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी को अलीद्वारपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है और रबींद्रनाथ भट्टाचार्या सींगुर से चुनावी मैदान में होंगे। श्यामपुर सीट से अभिनेत्री तनुश्री चक्रवर्ती, डोम्जुर से पूर्व मंत्री राजीब बनर्जी, पांडुआ से प्रॉफेसर पार्था शर्मा, सोनारपुर दक्षिण से अंजना बसु को टिकट दिया गया है।
भाजपा ने असम में 92 सीटों पर अपने उम्मीदवार ऐलान किया है जबकि अन्य सीटों पर गठबंधन सहयोगियों के उम्मीदवार होंगे। पार्टी ने वहां तीसरे चरण के चुनाव के लिए 17 उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसके मुताबिक द्रमोहन पटवारी धर्मापुर सीट से चुनाव लडे़ंगे।
सिंह ने बताया कि तमिलनाड में भाजपा एआईएडीएमके के नेतृत्व में एनडीए के सहयोगी के रूप में लड़ेगी। पार्टी को 20 सीटों पर चुनाव लड़ना है। भाजपा ने आज तमिलनाड के लिए 17 उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी कर दी। राज्य अध्यक्ष एल मुरुगन धारापुरम जबकि वरिष्ठ नेता एच राजा करईकुडी से चुनाव लड़ेंगे। पार्टी ने महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष वनथी श्रीनिवासन को कमल हासन के खिलाफ कोयंबटूर साउथ सीट से मैदान में उतारा है। अभिनेत्री से नेता बनीं खुशबू सुंदर थाउजैंड लाइट्स विधानसभा सीट से भाजपा उम्मीदार होंगी।
भाजपा महासचिव ने आगे बताया कि केरल में भाजपा 140 सीटों में से 115 सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि 25 सीटें 4 पार्टियों के लिए छोड़ी गई हैं। केरल भाजपा प्रमुख के सुरेंद्रन दो सीटों कासरगोड़ की मंजेश्वर और पथानमथिट्टा की कोन्नी सीटों से चुनाव लड़ेंगे। मेट्रो मैन ई श्रीधरन, जो कुछ समय पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं, को पलक्कड़ सीट और राज्य के पूर्व भाजपा प्रमुख कुम्मानम राजशेखरन नेमोम सीट से मैदान में उतारने का फैसला किया गया है।
पार्टी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस को कांजिरापल्ली सीट से टिकट दिया है जबकि सुरेश गोपी थिसूर सीट से प्रत्याशी होंगे। अब्दुल सलाम तिरुर सीट से, पूर्व डीजीपी जैकब थॉमस इरिंजलाकुडा सीट से चुनाव लड़ेंगे।
बंगाल में भाजपा ने चार सांसदों को मैदान में उतारा, अन्य राज्यों के लिए भी उम्मीदवारों का ऐलान
व्हीलचेयर पर ममता बनर्जी का कोलकाता में रोड शो, महिलायें बड़ी संख्या में पहुंचीं देखने
ममता बनर्जी गंभीर चोट लगने के तीन दिन बाद ही फिर मैदान में उतर गईं – इस बार व्हीलचेयर पर। कोलकाता की सड़कों पर उनके व्हील चेयर पर किये चुनावी रोड मार्च के दौरान बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े, जिनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा दिखी। ममता ने चोट के बावजूद ललकार वाले तेवर अपनाये और कहा – ‘हम निर्भीक होकर लड़ते रहेंगे… मैं अभी भी बहुत दर्द में हूं, लेकिन मुझे अपने लोगों का दर्द और भी अधिक महसूस होता है…अपनी जमीन की रक्षा करने के लिए इस लड़ाई में हमें बहुत नुकसान हुआ है…अभी हम और पीड़ित होंगे, लेकिन हम कभी भी झुकेंगे नहीं।’
ममता बनर्जी व्हीलचेयर पर चुनावी अभियान शुरू करते हुए कोलकाता में गांधी मूर्ति पहुंचीं और यहां से हाजरा तक रोड शो दिया। ममता को व्हीलचेयर पर देखने के लिए जनता उमड़ पड़ी जिसमें अधिक संख्या महिलाओं की दिखी। ममता पर हाल के ‘हमले’ या ‘हादसे’ को देखते हुए उनके पीछे बड़ी संख्या में समर्थक भी थी साथ ही सुरक्षा भी पहले से ज्यादा। सीसीटीवी कैमरे लगाने के अलावा पुलिस बल का भी बंदोबस्त किया गया था। पहले ममता के सभा को संबोधित करने की चर्चा थी लेकिन ममता ने रोड शो करके सभी को हैरानी में दिया डाल दिया।
व्हीलचेयर पर अपने रोड शी से पहले ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा – ‘हम निर्भीक होकर लड़ते रहेंगे। मैं अभी भी बहुत दर्द में हूं, लेकिन मुझे अपने लोगों का दर्द और भी अधिक महसूस होता है। अपनी जमीन की रक्षा करने के लिए इस लड़ाई में हमें बहुत नुकसान हुआ है। अभी हम और पीड़ित होंगे, लेकिन हम कभी भी झुकेंगे नहीं।’
ममता बनर्जी ने आज ही नंदीग्राम में 2007 में पुलिस की गोलीबारी में जान गंवाने वाले आंदोलनकारी किसानों को भी श्रद्धांजलि दी। ममता ने एक ट्वीट में कहा – ‘2007 में आज के ही दिन बेगुनाह ग्रामीणों को नंदीग्राम में गोलीबारी कर मार दिया गया था। कई लोगों के शव मिल भी नहीं सके। यह राज्य के इतिहास का काला अध्याय था। जान गंवाने वालों को दिल से श्रद्धांजलि।’
ममता ने कहा – ‘मैंने शहीदों के सम्मान में इस निर्वाचन क्षेत्र में बंगाल विरोधी ताकतों से लड़ने का फैसला किया है। किसान पश्चिम बंगाल का गौरव हैं और प्रदेश सरकार उनके विकास के लिए अथक काम कर रही है।’ बता दें नंदीग्राम में टीएमसी से भाजपा में जाने वाले अपने पूर्व सहयोगी सुवेंदु अधिकारी, जिन्हें भाजपा ने मैदान में उतारा है, के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं।
याद रहे ममता बनर्जी को 10 मार्च को नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान गंभीर चोट लग गयी थी जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। शुक्रवार को उन्हें छुट्टी मिल गई थी जिसके बाद अब ममता ने आज रोड शो किया है। ममता के सोमवार को पुरुलिया जिले का दौरा करने की संभावना है।
कुशवाहा की आरएलएसपी का हुआ नीतीश की जेडीयू में विलय, संसदीय दल का अध्यक्ष बनाया
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक दांव खेलते हुए रविवार को उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी का अपने पार्टी जेडीयू में विलय कर लिया। कुशवाहा बड़ी संख्या में अपने समर्थक नेताओं के साथ नीतीश की पार्टी में गए हैं। विलय के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने कुशवाहा को जेडीयू संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया।
वैसे शनिवार को ही आरएलएसपी ने राष्ट्रीय परिषद की बैठक करके इसका फैसला कर लिया था। हालांकि, विपक्षी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस विलय को ‘नकली’ बताते हुए कहा है कि आरएलएसपी का तो पहले ही उनकी पार्टी में विलय हो चुका है।
आरएलएसपी के जेडीयू में विलय की औपचारिक घोषणा के बाद अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा – ‘मैं अब नीतीश कुमार के नेतृत्व में काम करूंगा।’ हालांकि, विलय की घोषणा के बाद आरजेडी ने कुशवाहा पर रंग बदलने का आरोप लगाते हुए इसे नकली विलय बताया है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा- ‘यह विलय फर्जी है। आरएलएसपी का विलय पहले ही आरजेडी में हो चुका है।’
जेडीयू के पटना दफ्तर में जब आरएलएसपी के जेडीयू में विलय की घोषणा हुई तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा का गले मिलकर स्वागत किया। बड़ी संख्या में नेताओं ने भी जेडीयू की शरण ली। बता दें शनिवार को आरएलएसपी की राज्य परिषद की बैठक में पार्टी के जेडीयू में विलय का बड़ा फैसला हुआ था। राज्य परिषद ने इसपर अंतिम फैसला करने के के लिए राष्ट्रीय परिषद को अधिकृत कर दिया था।
विलय के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने कुशवाहा को जेडीयू संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया। कुशवाहा ने कहा – ‘बिहार चुनाव में जनादेश नीतीश कुमार को मिला है। हमने जनादेश का सम्मान करते हुए जेडीयू में विलय का फैसला किया है। फैसला किया गया कि देश और राज्य की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सामान्य विचारधारा के लोगों को एक मंच पर होना चाहिए।’
कांग्रेस में तूफ़ान: आनंद शर्मा के गृह राज्य से ही बागियों पर कड़ी कार्रवाई करने की उठी मांग
आलाकमान के खिलाफ जम्मू में अलग मंच से सभा करने वाले जी-23 नेताओं के खिलाफ कांग्रेस के भीतर माहौल बनने लगा है। पार्टी ने जहाँ इन नेताओं को पांच राज्यों में चुनाव के लिए कांग्रेस की स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखा है, वहीं पार्टी के बड़े नेताओं ने अब इन कथित बागियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कांग्रेस नेतृत्व पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। प्रमुख बागी नेताओं में एक आनंद शर्मा के गृह राज्य हिमाचल प्रदेश से इसकी शरुआत हुई है जहाँ पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम कौशल ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बाकायदा चिट्ठी लिखकर इन नेताओं पर पार्टी नेतृत्व के प्रति जनता में भाजपा की तर्ज पर भ्रम फैलाने और नेतृत्व की छवि को नुक्सान पहुँचाने का आरोप लगाते हुये उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
कौशल ने इस चिट्ठी की प्रतियां कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिवों प्रियंका गांधी और केसी वेणुगोपाल को भी भेजी हैं। इसमें उन्होंने लिखा है – ‘आपको पत्र लिखने का मकसद पार्टी के कुछ अति महत्वकांक्षी नेताओं के पार्टी नेतृत्व और पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने के कारण व्यथित और आक्रोशित कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सामने लाना है। पार्टी हित में ऐसे नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का हम आपसे अनुरोध करते हैं।’
‘तहलका’ की जानकारी के मुताबिक कुछ और राज्यों में भी जी-23 नेताओं के विरोध के स्वर उठने लगे हैं। वहां से भी इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग उठ सकती है। पार्टी के बीच यह आरोप लगने लगे हैं कि यह नेता कथित तौर पर भाजपा की शह पर पार्टी को तोड़ने का षड्यंत्र रच रहे हैं ताकि अपनी पार्टी खड़ी की जा सके।
कौशल ने सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में कहा है – ‘यह नेता राजीव गांधी से लेकर नरसिंह राव और मनमोहन सिंह की सरकारों में महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहते हुए तमाम सुख सुविधाओं का आनंद लेते रहे और राजीव से लेकर राहुल गांधी और आपके (सोनिया गांधी) कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए तमाम बड़े पदों पर रह कर शक्ति और सत्ता का केंद्र बिंदु बन कर अलग-अलग राज्यों में आधारहीन चमचों को आगे बढ़ाकर प्रदेशों में ज़मीनी नेताओं और कार्यकर्ताओं को कमज़ोर करने का षड्यंत्र रचते रहे।’
उन्होंने अपने पत्र (इसकी कॉपी तहलका के पास है) में यह भी आरोप लगाया है कि इन नेताओं ने सर्वोच्च नेतृत्व के उनपर किये भरोसे और उनकी छूट का नाजायज फायदा उठाया। कौशल ने पत्र में लिखा है कि जब प्रधानमंत्री से लेकर भाजपा के तमाम बड़े नेता जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और मनमोहन सिंह के खिलाफ ‘जहर’ उगल रहे थे यह नेता खामोश होकर सुन रहे थे मगर भाजपा के खिलाफ उनकी चूं तक नहीं निकली।
कौशल ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि पिछले 6 साल में देश की संस्थाओं को कमजोर करने और देश को आर्थिक कंगाली और बेरोजगारी के गहरे समुंदर में धकेलने वाली और किसानों के अधिकारों को बड़े व्यापारियों के पास गिरवी रखने और महंगाई बढ़ाने वाली भाजपा और उसकी सरकार के खिलाफ जब राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सड़कों पर पुलिस की लाठियां खा रहे हैं और मोदी सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, यह बागी नेता कांग्रेस को कमजोर करने के लिए सभाएं कर रहे हैं और जनता में पार्टी के प्रति भाजपा के इशारे पर भ्रम फैला रहे हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने अपने पत्र में कहा कि अहंकार में डूबकर आम नागरिकों और संस्थाओं की स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर अघोषित आपातकाल जैसा माहौल बनाने वाली सरकार के खिलाफ चुप रहने वाले कांग्रेसी नहीं हो सकते। कांग्रेस को नुक्सान पहुँचाने के लिए इन नेताओं की सदन में जिस तरह प्रधानमंत्री तारीफ़ करते हैं उससे जाहिर हो जाता है कि भाजपा के क्या इरादे हैं और वह क्या खेल खेल रही है और कैसे हमारे अपने कुछ लोग उसके हाथों खेल रहे हैं। चिट्ठी में उन्होंने इन नेताओं पर तत्काल कड़ी कार्रवाई करने की मांग करते हुए कहा कि पार्टी का पूरा वर्ग गांधी परिवार और पार्टी के साथ खड़ा है और उनके नेतृत्व पर उसका पक्का भरोसा है।
किसान नेता बोले-पूरी मोदी सरकार बंगाल में, इसलिए हम भी यहां आए
नंदीग्राम में खेला होबे, नंदीग्राम और सिंगूर में किसान महापंचायत का होगा अयोजन
पश्चिम बंगाल में सियासी घमासान बढ़ता ही जा रहा है। एक ओर जहां भाजपा और तृणमूल कांग्रेस एक दूसरे पर हिंसा के जरिये राजनीतिक फायदा उठाने की फिराक में हैं, तो दूसरी ओर किसान संगठनों ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ लगता है हर मोर्चे पर कमर कस ली है। शायद इसी को देखते हुए अब दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों का एक बड़ा दल पश्चिम बंगाल में सियासी माहौल में गरमी पैदा करने पहुंच गया है। राकेश टिकैत, मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव जैसे दिग्गज बंगाल की जमीन पर पहुंचकर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने के लिए किसान पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने शनिवार को ट्वीट किया-बंगाल में मुट्ठी भर चावल मांगने वाले दूसरे राज्यों में किसानों को धान मूल्य नहीं देते एक अन्य टवीट में उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा करने वाले समूह को तमिलनाडु पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर यात्रा रोकी गई। देश का हर किसान इसकी निंदा करता है।
बंगाल के सियासी घमासान में अब किसान आंदोलन की एंट्री होने के साथ राकेश टिकैत शनिवार को कोलकाता के भवानीपोरा में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल हुए। इस दौरान टिकैत ने कहा कि आप भाजपा को वोट मत दीजिए, भले चाहे किसी और पार्टी को दे दीजिए। हम यहां क्रांतिकारियों की धरती से अपनी लड़ाई आगे बढ़ाने आए हैं। जब तक कानून वापसी नहीं, तब तक घर वापसी नहीं।
टिकैत यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जब पूरी सरकार दिल्ली छोड़कर बंगाल में चुनाव प्रचार करने में व्यस्त है। इसीलिए हमारे सारे नेता भी यहां पहुंच गए हैं। सरकार किसानों से बात नहीं कर रही। हम आंदोलन पूरे साल चलाने के लिए तैयार हैं। जब सरकार आंदोलन वापस नहीं ले लेती, हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि जहां-जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जाएंगे, हम उन्हें फॉलो करेंगे।
किसानों की महापंचायत नंदीग्राम और सिंगूर व आसनसोल में आयोजित होनी है। नंदीग्राम इस बार का हॉट केंद्र बन गया है। यहां से ममता बनर्जी के साथ उनके खास रहे अब भाजपाई शुभेंदु अधिकारी के बीच मुख्य मुकाबला है। यानी बंगाल का खेला होबे का केंद्र नंदीग्राम हो गया है। यहां शुक्रवार शाम को ही टिकैत महापंचायत को संबोधित करेंगे। किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हम बंगाल के किसानों से अपील करते हैं कि वे भाजपा का बहिष्कार करें और उसे वोट न दें। चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा सरकार कृषि कानून वापस लेना ही पड़ेगा।
इस मौके पर योगेंद्र यादव ने कहा कि हम किसी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं और न ही लोगों से किसी पर्टिकुलर पार्टी को वोट देने के लिए कह रहे हैं। हमारा मकसद है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के कानों तक हमारी बात पहुंचाने के लिए जरूरी है कि आगामी चुनाव में उसे नुकसान पहुंचे।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने कहा कि सरकार कुछ कॉरपोरेट्स के हाथों देश को बेचने की कोशिश कर रही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सावधानी से अपने मताधिकार का प्रयोग करें। किसानों का अपमान करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने कहा कि ब्रिटिश शासकों ने भी इसका सहारा नहीं लिया था, जिसे मौजूदा सरकार कानून का रूप दे रही है।
वाजपेयी सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा टीएमसी में शामिल
भाजपा (एनडीए) सरकारों में वित्त मंत्री सहित अन्य पदों पर रह चुके बिहार के बड़े नेता यशवंत सिन्हा शनिवार को ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। मोदी सरकार बनने के बाद लगातार केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ मुद्दे उठाने वाले सिन्हा के बेटे जयंत भाजपा से ही सांसद हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा तब टीएमसी में शामिल हुए हैं जब बंगाल में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं। सिन्हा को अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कई अहम मंत्रालयों का कार्यभार मिला लेकिन मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्हें दरकिनार किया गया। इससे आहत होकर सिन्हा लगातार मोदी सरकार की निंदा करते रहे हैं।
बता दें यशवंत सिन्हा प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं और 1984 में उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर पार्टी ज्वाइन की थी। अटल सरकार ही नहीं, सिन्हा भाजपा संगठन में भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। वर्ष 1988 में सिन्हा राज्यसभा के लिए भी चुने गए थे।
सिन्हा के टीएमसी में जाने से पार्टी को बंगाल में हिंदी भाषी मतदाताओं का है। सिन्हा बड़े राजनीतिक नेता हैं और पिछले काफी समय से वे बयानों के आलावा किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़े थे।
10,000 रन बनाने वाली दूसरी महिला बल्लेबाज बनीं मिताली राज
भारतीय महिलाएं रोजना नया कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। खिलाड़ी से लेकर फाइटर पायलट तक हर जगह अपनी प्रतिभा के दम पर जांबाजी का प्रदर्शन कर रही हैं। शुक्रवार को भारतीय महिला वनडे टीम की कप्तान मिताली राज ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीसरे वनडे में एक और कीर्तिमान अपने नाम किया। वे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 10 हजार रन पूरे करने वाली दुनिया की दूसरी और भारत की पहली महिला बल्लेबाज बन गई हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में आठ शतक और 75 अर्द्धशतक लगा चुकी हैं। लखनऊ में दक्षिण अफ्रीकी टीम के खिलाफ 35 रन पूरी करते ही यह रिकॉर्ड बनाया। हालांकि भारतीय महिला टीम ने यह मैच गंवा दिया।
दिग्गज भारतीय बल्लेबाज मिताली ने अपने करियर में 46.73 की औसत से 10,001 रन पूरे कर लिए हैं। इससे पहले इंग्लैंड की पूर्व कप्तान चार्लेट एडवर्ड्स ही दुनिया की ऐसी बल्लेबाज हैं, जिन्होंने 10 हजार के आंकड़े को पार किया है। चार्लेट के नाम 10,273 रन बनाए हैं। यानी मिताली उनके रिकॉर्ड तोड़ने से महज 272 रन पीछे हैं। चार्लेट 2017 में संन्यास ले चुकी हैं।
मिताली राज ने अब तक 212 वनडे में 50.53 की औसत से 6,974 रन बनाए हैं। वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिला क्रिकेटर भी हैं। वहीं, 89 टी-20 मैचों में उनके नाम 2,364 रन हैं। जबकि, 10 टेस्ट में मिताली ने 663 रन बनाए हैं।
मिताली वनडे और टी-20 में भारत की सबसे ज्यादा रन बनाने वाली महिला क्रिकेटर हैं। जबकि, टेस्ट में तीन क्रिकेटर ने उनसे ज्यादा रन बनाए हैं। मिताली के नाम दुनिया में सबसे ज्यादा 212 वनडे खेलने का रिकॉर्ड भी है यानी 200 वनडे खेलने वाली अकेली महिला क्रिकेटर हैं।
पुरुष और महिला दोनों वर्ग में मिताली राज सबसे लंबे वक्त (21 साल 254 दिन) तक वनडे खेलने वाली दुनिया की दूसरी क्रिकेटर भी हैं। मिताली से आगे सिर्फ भारतीय क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं, जिनका वनडे करियर 22 साल, 91 दिन का रहा है। मिताली ने श्रीलंका के सनथ जयसूर्या को पीछे छोड़ा है। जयसूर्या का वनडे करियर 21 साल, 184 दिन का रहा।
‘टूलकिट’ मामले में आरोपी शुभम चौधरी की जमानत पर 15 मार्च को सुनवाई
कोर्ट ने आरोपी शुभम चौधरी की अर्जी पर 15 मार्च को सुनवाई का फैसला किया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 15 मार्च तक पुलिस आरोपी शुभम कर चौधरी के खिलाफ कोई कोरेसिव एक्शन नहीं लिया जाये।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हाल ही में पर्यावरणविद् शुभम कर चौधरी को ट्रांजिट अग्रिम जमानत दी थी। ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा शेयर की गई ‘टूलकिट’ दस्तावेज के संबंध में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज मामले में शुभम कर चौधरी की जमानत अर्जी पर पटियाला हाउस कोर्ट में 15 मार्च को सुनवाई होगी।
आरोपी निकिता जैकब और शांतुन मुलुक की जमानत याचिका पर भी पटियाला हाउस कोर्ट में 15 मार्च को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि कोर्ट ने पिछले दिनों इन आरोपियों की अग्रिम जमानत की अवधि बढ़ाते हुए 15 मार्च तक गिरफ्तारी से सुरक्षा भी दी थी।
शुभम के वकील ने कोर्ट से आपील की थी, कि इस मामले में बाकी आरोपियों की जमानत अर्जी पर कोर्ट 15 मार्च को सुनवाई करने वाला है इसलिये आरोपी शुभम कर चौधरी की अर्जी पर भी 15 मार्च को सुनवाई होनी चाहिये।
ममता पर हमले की जिम्मेदारी चुनाव आयोग को लेनी होगी: तृणमूल कांग्रेस
तृणमूल कांग्रेस ने अपनी पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पर हमले को लेकर निर्वाचन आयोग पर निशाना साधा है। नंदीग्राम में चुनाव प्रचार के दौरान हमले में चोटिल हुईं सीएम ममता बनर्जी को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहने पर निर्वाचन आयोग की वीरवार को सिर्फ निंदा ही नहीं की, बल्कि पार्टी की ओर से कहा गया कि आयोग को इसकी जिम्मेदारी लेनी होगी। क्योंकि विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी उसी की है, वह इससे बच नहीं सकता।
तृणमूल कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने दावा किया कि यह हमला तृणमूल प्रमुख की जान लेने का गहरा षड्यंत्र था। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने पड़ोसी राज्यों से असामाजिक तत्वों को हिंसा करने के लिए नंदीग्राम बुलाया था। तृणमूल के प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद निर्वाचन आयोग पर भाजपा नेताओं के आदेशानुसार काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी पर हमला होने की आशंका के बावजूद आयोग ने खास सुरक्षा के कदम नहीं उठाए।
तृणमूल महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति अच्छी थी, लेकिन चुनावों की घोषणा के बाद कानून-व्यवस्था निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी बन गई। उन्होंने कहा कि इसे इत्तफाक कहें या कुछ और आयोग ने राज्य पुलिस के डीजीपी को जिस हटा दिया, उसके अगले ही दिन माननीय मुख्यमंत्री पर हमला हो गया। निर्वाचन आयोग ने वीरेंद्र को पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक पद से तत्काल प्रभाव से हटाने का मंगलवार को आदेश दिया था और उनकी जगह पी नीरजनयन को नियुक्त किया है।
तृणमूल नेता चटर्जी ने दावा किया कि वरिष्ठ भाजपा नेताओं के कई बयानों से ये पर्याप्त संकेत मिले थे कि बनर्जी पर हमला हो सकता है और ये जानकारियां होने के बावजूद मुख्यमंत्री को सीएम को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि जब ईसी प्रशासन का प्रभारी है, तो ममता बनर्जी पर हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा? ईसी को इस घटना की जिम्मेदारी लेनी होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा आयोग से जिस अधिकारी को हटाने के लिए कह रही, उसे हटाया जा रहा है।
इससे पहले, राज्य के मंत्री चटर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस के तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और मामले में शिकायत दर्ज कराई। प्रतिनिधिमंडल ने मामले की संपूर्ण जांच कराए जाने की मांग की। इसी बीच, भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने भी निर्वाचन आयोग के अपफसरों से मुलाकात करके सीएम पर हमले की घटना की विस्तृत जांच कराए जाने की मांग की।
मदन मित्रा बोले-यह घटना कहीं और होती तो दूसरा ’गोधरा’ कांड हो जाता
अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो और मुख्यमंत्री पर हमला होने से उस पार्टी के नेताओं का गुस्सा होना स्वाभाविक है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मदन मित्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह वारदात खास तरह से प्रशिक्षित लोगों के जरिये अंजाम दी गई। उन्होंने कहा कि अगर इस प्रकार की घटना किसी अन्य राज्य में होती, मान लीजिए गुजरात तो यह एक और गोधरा का सबब बन सकती थी। यह उनकी हत्या की साजिश थी। उन्होंने कहा कि उम्मीदवार होने के नाते मैं आरोप लगा रहा हूं, लेकिन पुलिस हमारी बात नहीं सुन रही है। यहां गुंडागर्दी चल रही है। जनता को मालूम है ये सब कौन कर और करवा रहा है?
माकपा ने 5 मंत्रियों समेत 33 विधायकों के टिकट काटे
केरल में सत्ताधारी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने 83 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है। विधानसभा चुनाव में पार्टी ने आम लोगों के साथ ही नेताओं को भी चौंकाते हुए 33 मौजूदा विधायकों और 5 मंत्रियों के टिकट काट दिए हैं। सत्ताधारी दल ने वित्त मंत्री थॉमस इसाक का भी टिकट काट दिया यगा है।
पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की सूची में 12 महिलाओं को मौका दिया है। इसके अलावा कई युवा चेहरे भी उतारे हैं। पार्टी ने एक फॉर्मूला बनाया हैकि जो दो बार से ज्यादा चुना जा चुका है उसको टिकट नहीं मिलेगा।
सत्ताधारी पार्टी के एक नेता का कहना है कि सत्ताविरोधी लहर से निपटने के लिए इतने ज्यादा मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं। 140 विधानसभा सीटों वाले केरल में सीपीएम कुल 85 सीटों पर लड़ रही है, जिनमें से 83 सीटों पर उसने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। पिछली बार यानी 2016 में एलडीएफ गठबंधन ने 140 सीटों में से 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
पार्टी का कहना है कि उत्तर केरल की मंचेश्वरम और इडुक्की जिले की देवीकुलम सीट पर बाद में उम्मीदवार का फैसला किया जाएगा। सीपीएम की लिस्ट में विजयराघवन की पत्नी प्रोफेसर आर. बिंदु को भी शामिल किया गया है। हालांकि कानून मंत्री एके बालन की पत्नी को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। उनकी उम्मीदवारी का कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर ने विरोध किया था।
इस साल विधानसभा चुनाव में पीडब्ल्यूडी मंत्री जी सुधाकरण, कानून मंत्री एके बालन, शिक्षा मंत्री सी. रवींद्रन, उद्योग मंत्री ईपी जयराजन और वित्त मंत्री थॉमस इसाक जैसे मंत्रियों का टिकट काट दिया गया है।