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बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में चौथे आरोपी जीशान अख्तर के घर पर ताला, परिजन गायब

मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या का चौथा आरोपी जीशान अख्तर पंजाब के जालंधर स्थित शंकर गांव का रहने वाला है। जानकारी के मुताबिक हत्याकांड के इस आरोपी के घर पर ताला लगा हुआ है और उसके परिजन गायब हो चुके हैं।

जीशान अख्तर, शंकर गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ा है। उसकी मां और एक बहन की मौत हो चुकी है, जबकि पिता और एक भाई घर छोड़कर जा चुके हैं। फिलहाल घर में ताला लगा हुआ है।

उसी गांव के एक युवक ने पत्रकारों को बताया कि जीशान अख्तर पहले ठीक था। लेकिन, जब से ये बिश्नोई गैंग में गया, तब से गांव में नहीं आया। खबरों से पता चला कि महाराष्ट्र के नेता की हत्या में इसका नाम शामिल है। उन्होंने बताया कि तीन-चार साल पहले जीशान अख्तर बिश्नोई गैंग में गया था। सिद्धू मूसेवाला मर्डर में भी इसका नाम शामिल था।

युवक ने बताया कि आरोपी के पिता की गांव में किसी से झगड़ा हुआ था, उसका बदला लेने के लिए ये बिश्नोई गैंग में चला गया। एक अन्य ग्रामीण ने बताया करीब पिछले 15 दिनों से जीशान अख्तर का परिवार गायब है। उसके पिता टाइल्स से जुड़ा काम करते थे।

बताया जा रहा है जीशान अख्तर, सौरभ महाकाल का दोस्त है, क्राइम ब्रांच की टीम ने सलमान खान के पिता सलीम खान को एक धमकी भरा नोट देने के मामले में सौरभ से पुणे जाकर पूछताछ की थी। सौरभ महाकाल का असली नाम सिद्धेश काम्बले है।

बता दें कि बीते शनिवार रात को एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी को गोली लगने के बाद उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें उपचार के दौरान मृत घोषित कर दिया था। डॉक्टरों के मुताबिक, बाबा के पेट और छाती पर गोली लगी थी।

जांच कर रही पुलिस के अनुसार मर्डर में शामिल आरोपियों के नाम शिवा, धर्मराज और गुरमेल हैं। शिवा और धर्मराज उत्तर प्रदेश के बहराइच के रहने वाले हैं। इन दोनों का कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है, जबकि गुरमेल हरियाणा का रहने वाला है। वहीं, चौथे आरोपी की पहचान मोहम्मद जीशान अख्तर के रूप में हुई है।

पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए 24 घंटे में 1.55 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने किया रजिस्ट्रेशन

नई दिल्ली : पीएम इंटर्नशिप स्कीम को लॉन्च होने के साथ ही अच्छा रिस्पॉन्स मिलना शुरू हो गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, हाल ही में शुरू की गई पीएम इंटर्नशिप स्कीम के लिए महज 24 घंटे में 1,55,109 उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।

स्कीम के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शनिवार को शुरू हो गई थी, पोर्टल पर 24 सेक्टर में 90 हजार से ज्यादा इंटर्नशिप के अवसर उपलब्ध हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 का बजट पेश करते हुए इस स्कीम का ऐलान किया था। स्कीम का उद्देश्य अगले पांच वर्षों में लगभग 1 करोड़ युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।

इस स्कीम का उद्देश्य युवा बेरोजगारी को दूर करना है और इन युवाओं को प्रशिक्षण के साथ तैयार कर प्रतिभा की तलाश करने वाली कंपनियों से जोड़ना है।

जुबिलैंट फूडवर्क्स, मारुति सुजुकी इंडिया, एलएंडटी, मुथूट फाइनेंस और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख निजी कंपनियां उन 193 कंपनियों में शामिल हैं, जिन्होंने प्लेटफॉर्म पर इंटर्नशिप के अवसर पोस्ट किए हैं।

इंटर्नशिप 24 सेक्टरों और 20 से अधिक क्षेत्रों में उपलब्ध है, जिनमें परिचालन प्रबंधन, उत्पादन, रखरखाव और बिक्री शामिल हैं। इस पहल को तेल, गैस, ऊर्जा, यात्रा और आतिथ्य, ऑटोमोटिव और बैंकिंग जैसे क्षेत्रों से भी मदद मिली है।

यह पोर्टल आधार-आधारित रजिस्ट्रेशन और बायोडाटा जनरेशन जैसे टूल्स के जरिए विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप करने के इच्छुकों की पहुंच बनाता है।

इस स्कीम का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 737 जिलों में 1.2 लाख से अधिक इंटर्नशिप कराना है।

इसके अलावा, शीर्ष कंपनियां ऐसे पदों की पेशकश भी कर रही हैं जो रोजगार को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।

स्कीम का प्रबंधन कर रहे कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के अनुसार, यह युवाओं के कौशल को सुनिश्चित करने के लिए सरकार की एक परिवर्तनकारी पहल है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता बढ़ेगी।

स्कीम के लिए चुने गए युवाओं को एक वर्ष के लिए भारत की शीर्ष 500 कंपनियों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा और साथ ही 5,000 रुपये प्रतिमाह भत्ता और 6,000 रुपये एकमुश्त अनुदान भी मिलेगा।

स्कीम के लिए आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों को हाई स्कूल या हायर सेकेंडरी स्कूल उत्तीर्ण होना चाहिए और इसके साथ आईटीआई से प्रमाण पत्र होना चाहिए या पॉलिटेक्निक संस्थान से डिप्लोमा होना चाहिए । इसके अलावा, बीए, बीएससी, बीकॉम, बीसीए, बीबीए, बी फार्मा आदि डिग्री के साथ स्नातक होना चाहिए।

अभ्यर्थी पीएमइंटर्नशिप डॉट एमसीएम डॉट जीओवी डॉट इन के माध्यम से पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं।

राष्ट्रपति मुर्मू अफ्रीकी देश अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की यात्रा पर हुईं रवाना

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रविवार को अल्जीरिया, मॉरिटानिया और मलावी की अपनी आधिकारिक यात्रा पर रवाना हुईं। यह किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की एक साथ तीन अफ्रीकी देशों की पहली यात्रा है।

राष्ट्रपति मुर्मू अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलमजीद तेब्बौने के निमंत्रण पर 13 अक्टूबर को अल्जीरिया पहुंचेंगी। वह इस अफ्रीकी देश में 15 अक्टूबर तक रहेंगी। यह जानकारी विदेश मंत्रालय ने दी।

इस यात्रा से भारत और अल्जीरिया के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को और मजबूती मिलेगी। दोनों देश तेल, गैस, रक्षा एवं अंतरिक्ष सहयोग जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में और नजदीक आएंगे।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की इस यात्रा में दोनों राष्ट्रपतियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी।

काउंसिल ऑफ नेशन (अल्जीरियाई संसद के ऊपरी सदन) और नेशनल पीपुल्स असेंबली (निचले सदन) के अध्यक्षों सहित कई अल्जीरियाई गणमान्य व्यक्ति भी इस बैठक में शामिल होंगे।

इसके अलावा राष्ट्रपति मुर्मू भारत-अल्जीरिया के बीच आर्थिक मंच और सिदी अब्देल्ला विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पोल विश्वविद्यालय को संबोधित करेंगी। वह जार्डिन डी’एस्साई के हम्मा गार्डन में इंडिया कॉर्नर का भी उद्घाटन करेंगी।

इसके बाद इस उत्तरी अफ्रीकी देश से भारतीय राष्ट्रपति 16 अक्टूबर को पड़ोसी देश मॉरिटानिया जाएंगी। मॉरिटानिया इस समय अफ्रीकी संघ का अध्यक्ष भी है।

मॉरिटानिया पहुंच कर राष्ट्रपति मुर्मू अपने समकक्ष मोहम्मद औलद शेख अल गजौनी से बातचीत करेंगी। मॉरिटानिया प्रधानमंत्री मोख्तार औलद दजय और विदेश मंत्री मोहम्मद सलीम औलद मरजूक के उनसे मिलने की उम्मीद है।

राष्ट्रपति भारतीय समुदाय के लोगों से भी बातचीत करेंगी। विदेश मंत्रालय के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मु की यह यात्रा भारत-मॉरिटानिया द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती देगी।

इसके बाद मलावी के राष्ट्रपति डॉ. लाजरस मैकार्थी चकवेरा के निमंत्रण पर राष्ट्रपति मुर्मू 17-19 अक्टूबर तक मॉरिटानिया से पूर्वी अफ्रीकी देश पहुंचेंगी।

राष्ट्रपति मुर्मू मलावी के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक करेंगी। इसके बाद वह देश के व्यापारिक और उद्योग जगत के नेताओं और भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत करेंगी। अपनी यात्रा के अगले चरण में वह देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्थलों का भी दौरा करेंगी।

विसर्जन से पहले माता की प्रतिमा को कंधे पर नचाया,500 सालों से चली आ रही है प्रथा

समस्तीपुर : बिहार के समस्तीपुर जिले के पतैली दुर्गा स्थान मंदिर में रविवार की सुबह माता दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन परंपरागत तरीके से धूमधाम के साथ किया गया। इस अवसर पर भक्तों ने माता की प्रतिमा को अपने कंधों पर उठाकर और नचाते हुए लगभग एक किलोमीटर लंबा जुलूस निकाला, जो जमुआरी नदी के तट तक गया।

हर साल की तरह, इस साल भी माता की विसर्जन प्रक्रिया को भव्य रूप से आयोजित किया गया। मंदिर से माता की प्रतिमा को जयकारों के बीच बाहर निकाला गया, और भक्तों ने उत्साह के साथ उन्हें अपने कंधे पर उठाया। जुलूस में शामिल लोग माता की जय-जयकार करते हुए आगे बढ़ते रहे। मंदिर के सामने खाली जगह में प्रतिमा को भव्य तरीके से नचाया गया, जिसे देखने के लिए आस-पास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग जुटे।

माता की प्रतिमा को रस्सी के सहारे नचाते हुए भक्त नदी तक पहुंचे। मान्यता है कि यहां माता के दरबार में आने वाले लोग कभी खाली हाथ नहीं लौटते। यही कारण है कि यहां हर साल कई जिलों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। लोगों का मानना है कि नवरात्रि के दौरान यदि किसी कारणवश माता के दर्शन नहीं हो पाए, तो इस नाच को देखकर उनके सभी क्लेश दूर हो जाते हैं और विपत्तियों से मुक्ति मिलती है। इस मान्यता के चलते ही दूर-दूर से लोग इस अवसर पर माता के नाच को देखने के लिए यहां पहुंचते हैं।

बताया जाता है कि गांव के स्व. बतास साह ने करीब 500 वर्ष पहले कामर कामाख्या से माता की प्रतिमा लेकर आए और इस स्थान पर स्थापित किया। उन्होंने एक साथ मां दुर्गा और मां काली का मिट्टी का मंदिर बनाया। आज उनके खानदान के लोग नियमित रूप से मंदिर की देखभाल करते हैं। स्थानीय निर्मल साह ने बताया कि स्थानीय लोगों की मदद से 20 वर्ष पहले पक्का मंदिर का निर्माण हुआ।

नवरात्रि के मेले में लोग माता की प्रतिमा बनवाने के लिए सालों इंतज़ार करते हैं। इसके लिए उन्हें पहले मेला कमेटी में नाम लिखवाना होता है। कई सालों बाद उनकी बारी आती है। वर्तमान में, कमेटी के अनुसार, पहले से ही 15 वर्षों से अधिक समय तक की बुकिंग हो चुकी है, और हर साल नए लोग जुड़ते रहते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को बताया गंभीर खतरा, बोले ‘यह युद्ध का युग नहीं’

लाओ पीडीआर : 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद को दुनिया के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती है। इसका सामना करने के लिए मानवता में विश्वास रखने वाली ताकतों को मिलकर काम करना होगा। साथ ही साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में आपसी सहयोग को भी मजबूत करना होगा।’

दक्षिण चीन सागर को लेकर क्या बोले पीएम मोदीशिखर सम्मेलन में पीएम मोदी  ने कहा, ‘भारत ने हमेशा ASEAN की एकता और केंद्रीयता का समर्थन किया है। ASEAN भारत के इंडो-पैसिफिक विजन और क्वाड सहयोग के केंद्र में भी है। भारत की “इंडो-पैसिफिक महासागरों की पहल” और ‘इंडो-पैसिफिक पर आसियान आउटलुक” के बीच गहरी समानताएं हैं। एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।’

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्षों का सबसे ज्यादा नकारात्मक असर ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ रहा है। हर कोई चाहता है कि यूरेशिया हो या पश्चिम एशिया, जल्द से जल्द शांति और स्थिरता बहाल हो। मैं बुद्ध की धरती से आता हूं और मैंने बार-बार कहा है कि यह युद्ध का युग नहीं है। समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान से नहीं निकल सकता। संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करना जरूरी है। मानवीय दृष्टिकोण रखते हुए संवाद और कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी। विश्वबधु का दायित्व निभाते हुए भारत इस दिशा में हरसंभव योगदान देता रहेगा।” शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने तूफान यागी से प्रभावित लोगों के प्रति गहरी संवेदना भी व्यक्त की। पीएम मोदी ने कहा, हमारा मानना ​​है कि समुद्री गतिविधियां यूएनसीएलओएस के तहत संचालित की जानी चाहिए। नौवहन, वायु क्षेत्र की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत म्यांमार की स्थिति पर आसियान के दृष्टिकोण का समर्थन करता है, हमारा मानना ​​है कि मानवीय सहायता जारी रखना महत्वपूर्ण है।

बेरूत में इजरायल के हवाई हमलों में 22 लोगों की मौत

A building is destroyed after being hit by an Israeli airstrike in central Beirut, Lebanon, Thursday, Oct. 10, 2024. (AP Photo/Bilal Hussein)

बेरूत : लेबनान की राजधानी बेरूत में हिज़बुल्लाह के एक बड़े लीडर की हत्या का प्रयास विफल होने की बात सामने आई है। एक समाचार एजेंसी ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। इस हमले को इजरायल (Israel) द्वारा किए गए बड़े हवाई हमलों (Air strike) का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसमें 22 लोग मारे (22 killed) गए और 177 से ज्यादा घायल हो गए।

यह हवाई हमले पिछले एक साल में सबसे घातक थे, जिनमें दो इमारतों को नष्ट कर दिया गया और दर्जनों लोगों की मौत हो गई। इन हमलों ने दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों को भी खतरे में डाल दिया, जिससे अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के आरोपों और नाराज़गी की लहर उठी है।

इजरायल की ओर से हुए हमले में मुख्य लक्ष्य हिज़बुल्लाह की कम्यूनिकेशन यूनिट के हेड वफीक सफा था, लेकिन वह इस हमले में बच गया। हिज़बुल्लाह के अल मनार टीवी ने पुष्टि की है कि हत्या का प्रयास विफल हो गया क्योंकि हमले के समय सफा इमारत में मौजूद नहीं था। गुरुवार को इजरायली हवाई हमलों ने बेरूत के दो अलग-अलग आवासीय इलाकों में स्थित इमारतों को निशाना बनाया, जिसमें 22 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस हमले की जानकारी दी है।

इसके साथ ही, इजरायली बलों ने दक्षिणी लेबनान में संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों पर भी गोलीबारी की, जिससे दो सैनिक घायल हो गए। इस घटना की व्यापक निंदा हुई और इटली ने इजरायली राजदूत को तलब कर विरोध जताया है।

रामलीला का मंचन और वैश्विक प्रासंगिकता

चंडीगढ़। शारदीय नवरात्रों से देश में त्योहारों का सीजन शुरू हो जाता है। खासकर उत्तर भारत में रामलीला का मंचन छोटे बच्चों से लेकर बड़ों तक को रोमांचित करता है। आधुनिक परिप्रेक्ष्य में बात करें तो रामलीला धार्मिक, सांस्कृतिक उत्सव होने के साथ-साथ एक बड़ा व्यवसाय भी बन चुका है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के अनुमान के अनुसार रामलीला, गरबा, डांडिया से देश भर में पचास हजार करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार होने की उम्मीद है। बावजूद इसके रामलीला के मंचन का उद्देश्य आज भी अपने रास्ते से भटका नहीं है। पंजाब राज्य का होशियारपुर शहर। हर गली-मोहल्ले और सड़कों पर रामायण के नाटकीय पात्रों की शोभायात्राएं निकल रही हैं और रामलीला देखने वालों की भीड़ नजर आती है। बच्चे और युवक अपने-अपने ढंग से लोगों का मनोरंजन करते हैं। लोगों में धार्मिक आस्था इतनी दृढ़ है कि इन पात्रों की शोभा यात्रा जहां से निकलती है वे इन्हें पूजने लगते हैं, माथा टेकते हैं। अब तो शहर में अनेक संगठन बन चुके हैं, जो हर वर्ष हनुमान और उनकी सेना के रूप बनाकर लोगों के घरों में जाते हैं। लोग भी एक बड़े आयोजन की तरह इन्हें अपने घरों पर बुला रहे हैं। अगले साल के लिए बाकायदा उनकी बुकिंग हो जाती है। सदियों से चला आ रहा रामलीला का मंचन देश के अनेक हिस्सों में अपनी जीवंतता बनाए हुए है। वजह है कि आज भी राम जैसा लोकनायक जनमानस के दिलों में बसता है और रामायण के अन्य पात्र समाज को संदेश देते हुए चलते हैं। रामलीला का मंचन जाति, धर्म या उम्र के भेदभाव के बिना पूरी आबादी को एक साथ लाता है। रामलीला की वैश्विक प्रासंगिकता ही है कि भारत के अलावा विश्व के कई देशों में इसका अलग-अलग रूपों में मंचन किया जाता है। वर्ष 2008 में यूनेस्को द्वारा रामलीला उत्सव को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया गया था।


रामलीला हिंदू संस्कृति का एक बड़ा महत्वपूर्ण और जीवंत हिस्सा है, जिसका मंचन देश के अलग-अलग शहरों, कस्बों और गांवों में होता आ रहा है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या, बनारस, वृंदावन तो उत्तराखंड के अल्मोड़ा में, मध्य प्रदेश के सतना और बिहार के मधुबनी जैसे शहरों में रामलीला का मंचन बड़े स्तर पर किया जाता है। केवल भारत के इन हिस्सों तक ही रामलीला सीमित नहीं रही। विश्व के इन देशों इंडोनेशिया, म्यांमार, कंबोडिया, थाईलैंड, मॉरीशस, फिजी, गुयाना, मलेशिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम, त्रिनिदाद, टोबैगो, रूस, अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और नीदरलैंड के हिंदू समाज में भी रामलीला का मंचन अलग-अलग ढंग से किया जाता है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में जब भारत से कुछ लोग बाहर के देशों में रोजगार के लिए गए और वहां रहने लगे तो उन्होंने वहां भी अपनी संस्कृति की छठा बिखेरनी शुरू कर दी।
रामलीला का शाब्दिक अर्थ है राम का नाटक। महर्षि वाल्मीकि की रामायण से गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस के पात्रों का चरित्र चित्रण ही रामलीला के मंचन का उद्देश्य होता है। राम क्योंकि रामायण और रामचरितमानस के केंद्रीय पात्र हैं, इसलिए उनके श्रेष्ठतम लोकनायक रूप को मंंचित करके एक जीवंत संदेश दिया जाता है। उत्तराखंड के टनकपुर डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. पंकज उपरेती ने ‘कुमाऊं की रामलीला-अध्ययन एवं स्वरांकन’ विषय पर शोध किया है। उनका कहना है कि पुरुषोत्तम राम की कथा को नाट्य रूप में संपूर्ण विश्व में देखा जाता है। भारतवर्ष में ही इस कथा की मंचीय प्रस्तुति कई शैलियों में होती है। इसी की गीत नाट्य शैली उत्तराखंड की विशेषता है। खासकर कुमाऊं में रामलीला का अभिनय अपनी विशेषता के साथ किया जाता है। इस पर्वतीय प्रदेश में जिस प्रकार यहां के लोगों ने शास्त्रीयता के निकट जाकर रामलीला मंचन की परंपरा जारी की, वह लोक और शास्त्र का अद्भुत संगम है।
‘द ग्लोबल एनसाइक्लोपीडिया ऑफ़ द रामायण’ में विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी अखिलेश मिश्रा लिखते हैं कि रामायण और राम कथा वैदिक चिंतनधारा और मानव जीवन के बहुपक्षीय दार्शनिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यावहारिक मूल्य की उदात्त परंपरा का संगम है। जिन नैतिक मूल्यों के लिए भारत युगों-युगों से श्रद्धा का पात्र रहा है, रामायण उसका अक्षय अक्षुण्ण भंडार है। राम का चरित्र मानवीय मर्यादा, भारतीयता का देदीप्यमान मूर्तिमान रूप है। जिनके शत्रु भी उनकी प्रशंसा करने पर बाध्य हो जाते थे। राम किसी एक क्षेत्र, एक भाषा, एक धर्मावलंबी, एक कला रूप का वर्णन विषय नहीं है। भारत और विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में राम कथा उपलब्ध है। अनेक देशों में राम साहित्य अनेक विधाओं में लिखा गया है। 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में दिए गए भाषण का एक अंश देखिए, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि राम की सर्वव्यापकता भारत की विविधता में एकता का जीवन चरित है। तमिल में कम्ब रामायण, तेलुगु में रघुनाथ रामायण, उड़िया में दाण्डी रामायण तो कन्नड़ में कुमुदेंदु रामायण है। कश्मीर में रामावतार चरित मिलेगा। मलयालम में रामचरितम तो बंगाल में कृति वास रामायण, जबकि गुरु गोविंद सिंह ने तो गोविंद रामायण लिखी। अलग-अलग जगह पर राम भिन्न-भिन्न रूपों में मिलेंगे। दुनिया में कितने ही देश राम नाम का बंदन करते हैं। विश्व की सर्वाधिक मुस्लिम जनसंख्या जिस देश में है वह इंडोनेशिया। हमारे देश की तरह काकाबिन रामायण, स्वर्णदीप रामायण, योगेश्वर रामायण जैसी कई अनोखी रामायण हैं। राम आज भी वहां पूज्यनीय हैं। कंबोडिया में रंगकेर, लाओस में फ्रा लक फ्रा, मलेशिया में हिकायत सेरीराम, थाईलैंड में रामकेर रामायण है। ईरान तथा चीन में भी राम के प्रसंग तथा राम कथा का विवरण मिलेगा।
क्यों प्रासंगिक है रामलीला का मंचन
रामायण अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए महत्वपूर्ण दिशा- निर्देश प्रदान करती है। रामायण के विषय राजधर्म, शासनकला, खुफिया जानकारी एकत्र करने, कूटनीति और युद्ध की नैतिकता के बारे में जानकारी देते हैं, जिसमें सुशासन, नैतिक व्यवहार और एक स्थायी व्यवस्था बनाए रखने की दृष्टि शामिल है। राम-भरत संवाद राज्य की सद्भावना और स्थिरता बनाए रखने, लोगों की भलाई और शांतिपूर्ण सहअस्तित्व पर जोर देता है। राम ने एक राजा के लिए आवश्यक गुणों को अपनाने और अवगुणों से बचने का निर्देश किया है। राजसी कर्तव्यों के निर्वहन के लिए आचार संहिता का भी उल्लेख किया है। उनमें विश्वास, झूठ, क्रोध, व्याकुलता, टाल-मटोल,विद्वानों की अवहेलना, आलस्य,पांच इंद्रियों का पीछा करना, अर्थ के प्रति एकनिष्ठ भक्ति, उन लोगों की सलाह लेना जो उद्देश्य नहीं जानते, तय की गई परियोजनाओं को शुरू करने में विफलता, रहस्यों की रक्षा करने में विफलता, शुभ संकेतों का पालन करने में विफलता और सभी के लिए अपनी सीट से उठने के लिए तैयार रहना आदि शामिल है।

दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को मिला साहित्य का नोबेल पुरस्कार

This photo taken on November 9, 2023 shows South Korean author Han Kang as she poses after co-winning (jointly with Portuguese author Lidia Jorge) the Medicis Prize for a foreign novel in Paris. South Korean author Han Kang won the Nobel Prize in Literature 2024, it was announced on October 10, 2024. (Photo by Geoffroy VAN DER HASSELT / AFP) / ALTERNATIVE CROP

स्टॉकहोम : साहित्य जगत में एक बड़ी खबर सामने आई है। 2024 का नोबेल साहित्य पुरस्कार दक्षिण कोरियाई लेखिका हान कांग को दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने उनके गहन काव्यात्मक गद्य को सम्मानित किया है, जो ऐतिहासिक आघात और मानव जीवन की नाजुकता को उजागर करता है।हान कांग अपनी गहन लेखनी और मानवीय भावनाओं की गहराई को प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं। उनके उपन्यासों में इतिहास के दर्दनाक अनुभवों को बड़े संवेदनशील और काव्यात्मक तरीके से चित्रित किया गया है। उनकी कुछ प्रमुख कृतियां हैं द वेजिटेरियन,” “द व्हाइट बुक,” “ह्यूमन एक्ट्स,” और ग्रीक लेसन्सइससे पहले, रसायन विज्ञान, भौतिकी और चिकित्सा के नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है। रसायन विज्ञान में डेविड बेकर, डेमिस हसाबिस और जॉन एम. जम्पर को प्रोटीन संरचना और कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिजाइन के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए यह पुरस्कार मिला। भौतिकी में जॉन जे. हॉपफील्ड और जेफ्री ई. हिंटन को कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क पर उनके शोध के लिए सम्मानित किया गया।नोबेल पुरस्कारों की शुरुआत 7 अक्तूबर से हुई थी। आने वाले दिनों में, 13 अक्तूबर को शांति के नोबेल और 14 अक्तूबर को अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जाएगी। ये पुरस्कार हर साल दुनिया के उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को दिए जाते हैं। नोबेल पुरस्कार के विजेताओं को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर (लगभग 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर) की राशि दी जाती है।

रतन टाटा ने 86 की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा

मुंबई  : पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे भारतीय उद्योगपति और टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का यहां बुधवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उन्हें सोमवार को उम्र संबंधी बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था और आज दिन उनकी स्थिति “गंभीर” हो गई थी।

रतन  टाटा मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे। उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली। उसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये थे। उनका जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपने कार्यकाल में टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया और उदारीकरण के दौर में समूह को उसके हिसाब से ढाला।

टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा, “हम अत्यंत क्षति की भावना के साथ श्री रतन नवल टाटा को विदाई दे रहे हैं। वास्तव में एक असाधारण नेता हैं जिनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह बल्कि हमारे राष्ट्र के मूल ढांचे को भी आकार दिया है।

“टाटा समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं अधिक थे। मेरे लिए वह एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे। उन्होंने उदाहरण पेश कर प्रेरित किया। उत्कृष्टता, अखंडता और नवीनता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के साथ टाटा समूह ने उनके नेतृत्व में अपने वैश्विक पदचिह्न का विस्तार किया। वह हमेशा अपने नैतिक दायरे के प्रति सच्चे रहे।

“परोपकार और समाज के विकास के प्रति श्री टाटा के समर्पण ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, उनकी पहल ने गहरी छाप छोड़ी है जिससे आने वाली पीढ़ियों को लाभ होगा। इस सभी कार्य को सुदृढ़ करना प्रत्येक व्यक्तिगत बातचीत में टाटा की वास्तविक विनम्रता थी। “पूरे टाटा परिवार की ओर से, मैं उनके प्रियजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। उनकी विरासत हमें प्रेरित करती रहेगी। हम उन सिद्धांतों को कायम रखने का प्रयास करते हैं जिनका उन्होंने बहुत उत्साहपूर्वक समर्थन किया। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में रतन टाटा के निधन को बड़ी क्षति बताई।

नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन, तोड़ा पुलिस बैरिकेड

नोएडा:  नोएडा प्राधिकरण के बाहर गुरुवार को किसानों ने प्रदर्शन के दौरान जमकर हंगामा किया। किसान करीब एक बजे बड़ी संख्या में प्राधिकरण के गेट के बाहर पहुंच गए और उन्होंने पुलिस बैरिकेड को तोड़ दिया।

दरअसल, प्राधिकरण के गेट के बाहर किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने बैरिकेड लगाया था, लेकिन किसानों ने उसे तोड़ दिया और वह नोएडा प्राधिकरण के गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। भारतीय किसान यूनियन मंच ने नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित 81 गांवों के किसानों से इस प्रदर्शन के लिए समर्थन मांगा था। भारतीय किसान यूनियन मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुधीर चौहान ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने किसानों का शोषण किया है। नोएडा प्राधिकरण ने भूमि अर्जित करते समय किसानों से किए करार ओर समझौता को पूरा नहीं किया। भाकियू मंच 81 गांवों के सभी किसानों को उनका हक दिलाकर ही रहेगा।

किसान अपनी जिन मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, उनमें जिन किसानों को मूल पांच प्रतिशत के प्लॉट नहीं मिले हैं, उन सभी किसानों को पांच प्रतिशत के मूल प्लॉट दिए जाएं। जिन किसानों के न्यायालय से आदेश आ चुके हैं, उन सभी किसानों को अतिरिक्त पांच प्रतिशत के भूखंड या धनराशि दी जाए। सभी किसानों को वर्ष 1997 से 64.7 प्रतिशत मुआवजा और 10 प्रतिशत के विकसित भूखंड दिया जाए, नोएडा के सभी 81 गांव के किसानों की आबादी को 450 मीटर से एक हजार मीटर करते हुए आबादी का संपूर्ण समाधान करें और 1976 से वर्ष 1997 तक के सभी किसानों को कोटा स्कीम के प्लॉट आवंटित करें। इसके साथ ही किसानों की मांग है कि नोएडा प्राधिकरण के गांवों में स्वामित्व योजना लागू की जाए और गांवों में नक्शा नीति समाप्त की जाए, क्योंकि गांव में यह व्यावहारिक नहीं है।

किसानों को मिलने वाले मुआवजे की धनराशि में से 10 प्रतिशत धनराशि आबादी भूखंड देने के लिए काट ली गई थी और किसानों को केवल 90 प्रतिशत धनराशि का ही भुगतान किया गया था। अब नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी किसानों को 10 प्रतिशत विकसित भूखंड नहीं दे रहे हैं। यह करार नियमावली का उल्लंघन है। इन सभी मांगों को लेकर किसान नोएडा प्राधिकरण के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद है।