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उत्तराखंड में फिर ग्लेशियर टूटा ; अब तक 8 शव मिले, सेना ने 384 लोगों को बचाया, अलर्ट जारी  

फरवरी की चमोली की घटना के बाद उत्तराखंड में कुदरत ने एक बार फिर कहर ढाया है। चमोली जिले की नीती घाटी के सुमना-2 इलाके में पांच दिन से जारी भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियर टूटने  से कई लोगों की जान चली गयी है। काफी लोगों को सेना ने सुरक्षित निकाल लिया है जबकि 8 लोगों के शव मिले हैं। बचाये गए कुछ लोगों की हालत गंभीर है।  इस बीच त्तराखंड के चमोली के पास ग्लेशियर टूटने के बाद उत्तराखंड सरकार ने अलर्ट जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन बीआरओ का एक शिविर बर्फीले तूफान की चपेट में आ गया। अभी तक 384 लोगों को बचाया जा चुका है। चीन की सीमा से सटे जोशीमठ सेक्टर के सुमना इलाके में यह घटना हुई है। भापकुंड से सुमना तक रास्ते की सफाई की जा रही है।
भारत-चीन सीमा के पास गढ़वाल जिले में शुक्रवार शाम 4 बजे के करीब हिमस्खलन की यह घटना हुई है। अब तक आठ लोगों के शव मिले हैं। सेना ने कहा कि छह लोगों की हालत गंभीर है। कई बार हिमस्खलन आने कि वजह से रोड चार से पांच जगहों से कट गई। जोशीमठ में बॉर्डर रोड टास्क फोर्स की टीमें काम कर रही हैं। कुल 384 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है और अब वे सेना के शिविर में हैं। भारतीय सेना ने कहा – ‘अन्य मजदूरों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है।’
सुमना-रिमखिम मार्ग पर स्थित सुमना गांव से करीब चार किलोमीटर बाद हिमस्खलन की चपेट में आने के तुरंत बाद भारतीय सेना ने अभियान शुरू किया। सेना के मुताबिक इलाके में पिछले 5 दिन से भारी बारिश और बर्फबारी हो रही है। भूस्खलन से कई स्थानों पर सड़क संपर्क कट गया है। जोशीमठ से बॉर्डर रोड टास्क फोर्स (बीआरटीएफ) की टीमें शुक्रवार शाम से ही भापकुंड से सुमना तक स्लाइड को साफ करने में जुटी हैं। पूरी जगह को साफ करने में अभी कुछ घंटे और लगेंगे।
उधर एनडीआरएफ ने कहा है कि ऋषि गंगा नदी में जल स्तर दो फीट बढ़ गया है। केंद्र सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है और बचाव कार्यों के लिए सभी हितधारकों को सतर्क कर दिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को नीती घाटी के सुमना का हवाई सर्वे किया। उधर एनटीपीसी सहित अन्य परियोजनाओं में रात के समय काम रोकने के आदेश दिए गए हैं।

कुंभ मेले से लौटने के बाद कोरोना संक्रमित हुए थे श्रवण राठौड़

मशहूर संगीतकार नदीम श्रवण के जोड़ीदार श्रवण राठौड़ कोरोना संक्रमण के चलते वीरवार को इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन के बाद श्रवण के बेटे संजीव ने शुक्रवार को चौंकाने वाला खुलासा किया। संजीव ने बताया कि पिता कोरोना पॉजिटव होने से पहले हरिद्वार में चल रहे कुंभ के मेले में गए थे। उनके साथ मां भी गई थीं। वहां से लौटने के बाद ही वे संक्रमित पाए गए। पिछले हफ्ते कोविड के कुछ लक्षण दिखने के बाद पापा को अस्पताल में एडमिट कराया गया था। जिसके बाद उनकी हालत और बिगड़ती चली गई।

श्रवण राठौड़ के बेटे संजीव ने कहा, कुंभ मेले से लौटने के बाद पापा में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखे। उनको सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारे परिवार को इतना कुछ झेलना पड़ेगा। मेरे पिता चले गए और मां कोरोना पॉजिटिव हैं, मेरा भाई भी संक्रिमित है।

श्रवण का कोरोना का इलाज करने वाले डॉक्टरों ने मीडिया को बताया कि वो कई दूसरी बीमारियों से भी पीड़ित थे जिसके बाद उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी हुई थी। श्रवण की बीमारियों की इन्हीं गंभीर परिस्थितियों की वजह से उनके कोरोना के इलाज में दिक्कत आ रही थी। श्रवण राठौड़ ने नदीम के जाने के बाद खुद को एक तरह से संगीत की दुनिया से अलग कर लिया था। फिल्म आशिकी में दिए संगीत के जरिये पहचान मिली, जिसके बाद तो उस जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 90 के दशक में उनके संगीत की बॉलीवुड में गजब की धूम रही। आज के दौर में गीत-संगीत के लिए 90 के दशक को स्वर्णिम युग कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

देश के इतिहास में पहली बार आँक्सीजन की किल्लत

कोरोना के बढ़ते मामले दिन पर दिन लोगों को परास्त ही नहीं कर रहे है बल्कि धवस्त कर रहे है। लोगों का कहना है कि स्वतंत्र देश के इतिहास में ऐसी महामारी का कहर, उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है। जब लोगों में मौत का डर-भय सता रहा है। तहलका संवाददाता को दिल्ली के अस्पतालों में इलाज कराने मरीजों व उनको परिजनों ने बताया कि अभी तक अस्पतालों में आँपरेशन की तारीख समय पर नहीं मिलने और अस्पतालों में डाँक्टरों की छुट्टी पर होने के कारण इलाज में देरी की खबरें। तो सुनी है। लेकिन पहली बार ऐसा सुना ही नहीं, बल्कि भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। जब कोरोना होने पर मरीजों को आँक्सीजन गैस की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है।

इलाज कराने पहुंचे माधव 30 ने बताया कि कोरोना ने सरकार की धांधली और हेल्थ सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है। जहां देखों अफरा-तफरी है। हर जगह आँक्सीजन की किल्लत के चलते हाहाकार मचा है। राजनीतिक अपने- अपने, नफा नुकसान को देखते हुये राज्य सरकार केन्द्र सरकार पर आरोप लगा रही है। और केन्द्र सरकार राज्य सरकार पर, ऐसे में कोई समाधान तो होता नहीं है। बल्कि समस्या एक विकराल रूप धारण करती जा रही है। दिल्ली के डाक्टरों ने कहा कि डाँक्टर होने के नाते वे मरीजों का इलाज कर रहे है। अन्यथा सरकार की नीतियों को देखकर तो, उन्हें लगता है कि वे इलाज ही ना करें। ये आँक्सीजन और दवा की किल्लत सरकार की उदासीन रवैया की देन है।जिसका खामियाजा मरीजों को और देशवासियों को भुगतना पड़ रहा है।

डाँक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारियों का कहना है, कि सरकार ने हेल्थ सिस्टम पर अगर जरा ही ध्यान दिया होता तो, आज ये दिन देखने को नहीं मिलता । जहां देखों मरीज और लाशें ही लाशें। जो लोगों को झझकोर रही है।

मुम्बई के अस्पताल में आईसीयू में आग लगने से 13 मरीजों की मौत

मुम्बई में आक्सीजन लीक मामले के बाद अब एक अस्पताल के आईसीयू में बीती आधी रात 13 मरीजों की मौत हो गयी है। मुम्बई के विरार वेस्ट के पालघर इलाके में यह घटना विजय वल्लभ अस्पताल की है जहाँ कुल 15 मरीज भर्ती थे। सरकार ने इस घटना  आदेश दिए हैं।
जानकारी के मुताबिक जब यह घटना हुयी अस्पताल की आईसीयू मरीजों से भरी थी।
अभी तक की जानकारी के मुताबिक आईसीयू के एसी में शॉट सर्किट से आग लगी। घटना की जांच चल रही है। दूसरे माले पर स्थित आईसीयू में आग लगने के बाद वहां अफ्तरा तफरी मच गयी। घटना सुबह 3 बजे की है।
अस्पताल के अधिकारियों के मुताबिक घटना में 13 मरीजों की मौत हो गई है। पूरे अस्पताल में करीब 90 मरीज हैं। जिन मरीजों को ऑक्सीजन की जररूत है उन्हें  दूसरे अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। अस्पताल में आग पर काबू पाने के लिए वसई विरार महानगर पालिका की 10 फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भेजी गईं।
आशंका जताई गयी है कि सभी लोगों की झुलसकर मौत हुई। कुछ तीमारदारों ने आरोप लगाया कि जब आग की घटना घटी वहां 2 नर्स ही थीं और कोई डॉक्टर नहीं था। अस्पताल के पास अपनी फायर सेफ्टी का कोई सिस्टम नहीं होने का भी आरोप लगाया गया है। हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने इसे गलत बताया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने घटना पर गहरा शोक जताते हुए मृतकों परिजनों से संवेदना जताई है। उन्होंने इस घटना की जांच के आदेश भी दिए हैं। ठाकरे ने आग में जान गंवाने वाले लोगों के वारिसों के लिए 5 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल मरीजों के लिए एक लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की है। उधर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी महाराष्ट्र के पालघर में कोविड अस्पताल में आग लगने की घटना पर दुख जताया है। राष्ट्रीय राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और गंभीर रूप से घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने को पीएम ने अपनी मंजूरी दी है।

पटना में गंगा में गिरी पिकअप; 9 लोगों की मौत, अन्य की तलाश  

बिहार के पटना में पुरानी पानापुर घाट पर शुक्रवार सुबह एक सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत हो गयी। यह हादसा तब हुआ जब एक पिकअप वैन रेलिंग तोड़कर गंगा में जा गिरी।
जानकारी के मुताबिक पिकअप में 18 लोग सवार बताये गए हैं। राजधानी पटना में शुक्रवार सुबह यह हादसा हुआ। अबतक 9 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं जिसमें से तीन बच्चे हैं। दो लोगों ने गंगा से तैरकर जान बचा ली। अन्य लोगों की तलाश जारी है।
पिकअप में सवार सभी जन रिश्तेदार बताये गए हैं। घटना तब हुई जब पिकअप में सवार दियारा के अखिलपुर निवासी राकेश कुमार का तिलक का कार्यक्रम करके दानापुर लौट रहे थे। शादी 26 अप्रैल को होनी थी। स्थानीय लोगों ने नाव के सहारे गाड़ी को निकालने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो पाए।
वैन के नदी में गिरने की खबर मिलते ही मौके पर पुलिस और गोताखोरों को बुला लिया गया। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम को राहत कार्य मे लगाया गया है। पटना के कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंची है। हादसे के समय पिकअप वैन की छत पर सवार तीन लोगों ने कूदकर अपनी जान बचा ली। पिकअप वैन को क्रेन के जरिये नदी से बाहर निकाला गया।

सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मामले पर सुनवाई अब 27 को; देश में 24 घंटे में  2,263 मरीजों की मौत

देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों, देश भर में आक्सीजन और बिस्तरों की भयंकर कमी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई हुई और यह 27 अप्रैल को जारी रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया है और गुरूवार को केंद्र को नोटिस जारी करते हुए उसने देश में मेडिकल इमरजेंसी जैसी हालत बताई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले में मंगलवार को सुनावी होगी। उधर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोविड स्थिति पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश में लोग मर रहे हैं। तीन जजों – चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भट ने मामले पर सुनवाई की।  सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जरूरी सप्लाई और सेवाओं के वितरण मामले में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। कोर्ट ने कुछ वरिष्ठ वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘हाई कोर्ट से केस ट्रांसफर नहीं किए गए हैं और इसलिए जो आलोचना इस मुद्दे पर की जा रही थी, उसका कोई आधार नहीं था।
उधर सर्वोच्च अदालत ने 22 अप्रैल को हरीश साल्वे को केस में मदद करने के लिए नियुक्त किया था, लेकिन आज साल्वे ने खुद को इससे अलग करने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। साल्वे ने खुद को केस से हटाने पर कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि इस मामले को एक शैडो के तहत सुना जाए कि मुझे सीजेआई के साथ दोस्ती के कारण नियुक्त किया गया था।’

पीएम की बैठक
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का खौफ बढ़ने के बीच इस समय प्रधानमंत्री मोदी कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक में कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की भारी कमी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यहां ऑक्सीजन प्लांट नहीं है तो क्या दिल्ली के लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। सीम ने कहा कि कृपया मुझे बताएं कि जब दिल्ली आने वाला ऑक्सीजन सिलिंडर दूसरे राज्य में रोक दिया जाए, तो केंद्र सरकार में इस संबंध में किससे बात की जाए।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बंगाल में सभी रैलियों को रद्द करने का फैसला लिया है। ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल के  मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यों की उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है। कोविड समन्वयकों और पर्यवेक्षकों की गतिविधियों की देखरेख करने के उद्देश्य से इसका गठन किया गया है।
2,263 मरीजों की मौत
उधर देश में चारों ओर से मदद की गुहार लग रही है औऱ जनता बेहाल है। देश में बीते 24 घंटे में 3.32 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि 2,263 मरीजों की जान चली गयी है। देश में ऑक्सीजन की किल्लत है और ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है।

मजदूरों का पलायन जारी है

“मजबूरी में मजदूरी करते है हम लोग” ये कहना है दिल्ली से अपने गांव जाने वाले मजदूर रमन और गोपाल का, उन्होंने तहलका संवाददाता को बताया कि दिल्ली में जब से कोरोना आया है, तब से अगर किसी पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है तो, वो मजदूरों है,  क्योंकि बीमारी को रोकने के लिये सरकार सबसे पहले  मजदूरों का काम  रोकती है। जहां पर मजदूर काम करता है वहां का ठेकेदार पैसा देने में आनाकानी करने लगता है। कहता है कि अभी पैसा कंपनी या मालिक नहीं दिये है। तो मजदूरों को अपनी मेहनत का पैसा वसूलने में काफी दिक्कत होती है। मजदूरों का कहना है कि सरकार मजदूरों को लेकर चाहे जितनी ही बात कर लें। वो सिर्फ बातें ही होती है। क्योंकि मजदूरों को ना तो कोई राजनेता जानता है और ना ही अधिकारी ऐसे हालात में मजदूरों का शोषण होता है।

बतातें चलें रमन अपने परिवार के साथ उत्तर प्रदेश के बस्ती में रहते थे। उनका काम धंधा अच्छा चलता था। लेकिन बीमारी और कुछ अन्य कारणों से काम धंधा बंद हो गया था। रोजी -रोटी की तलाश में दिल्ली शहर में आ गया थे, 11 नबंवर 2020 को दिल्ली में। यहां पर दिहाड़ी काम किया। ठेकेदार ने पैसा देने में भूल-भुलैया की, पैसा भी कम दिये। फिर उन्होंने सब्जी का ठेला लगाया। सब्जी के धंधे में रोजी रोटी चल पड़ी थी। लेकिन दिल्ली में लाँकडाउन होने से सब्जी के धंधे में गिरावट आ गयी फिर से रोजी –रोटी का संकट होने की संभावना को देखते हुये वे 21 अप्रैल को अपने घर –गांव चले गये। कोरोना काल में लाँकडाउन होने से बाजारों और होटलों में खाना का काम बंद हो जाता है। जिससे सब्जी के दामों में गिरावट आ जाती है।खैर जो भी हो मजदूरों का पलायन तेजी से बढ़ा है।

कोरोना के बढ़ते मामलों के सामने विवश होता हेल्थ सिस्टम

देश में कोरोना के मामले हर रोज रिकार्ड बना रहे है। तीन लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आने लगे है। देश का स्वास्थ्य सिस्टम हांफने लगा है। लेकिन मरीजों को सुध लेने वाला कोई नहीं है। ये बात तो कम से कम सामने आयी है। कि कोई आपदा या महामारी में हम वहीं खड़े है। जहां पर सदियों पहले खड़े थे।

बताते चलें इससे बड़ेदुख की बात क्या होगी जब देश के लोग कोरोना जैसी बीमारी से जूझते हुये अपनी जान बचाने के लिये अंतिम आस लेकर अस्पताल आते है। तो वहां पर आँक्सीजन और डाक्टरों की कमी होने की बात सुनकर मरीज और उनके परिजन सहम उठते है,  कांपने लगते है।

तहलका संवाददाता ने कई अस्पतालों में दो दिनों में आँक्सीजन को लेकर अस्पतालों में जो हाहाकार देखा है। उससे तो ये साफ है। कि हमारा हेल्थ सिस्टम सामान्य बीमारियों के उपचार तक ही सीमित है। जरा सी मरीजों की संख्या कोरोना की बढ़ी नहीं की अफरा-तफरी सा माहौल सामने देखने को मिला ।

एम्स के डाक्टरों का कहना है कि सरकार द्वारा जो एप बनाये जा रहे है कि किस आस्पताल में कितने बैड खाली है और कितने भरे है। ये सब दिखावा वाली बातें है। धरातल पर एप का कोई वास्ता नहीं है। अगर कोई मरीज एप को देखकर अस्पताल चला गया कि फलां-फलां अस्पताल में बैड खाली तो उसे परेशानी के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।

सामाजिक कार्यकर्ता एस कुमार ने बताया कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिये जो सुविधा मिल रही है। वो ठीक है या नहीं। पर नोएडा का हेल्थ सिस्टम तो ऊपर वाले के भरोसे ही। मरीज आधा-अधूरा इलाज करवा रहा है। यहां के अस्पतालों में डाँक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारी कोरोना के इलाज करने से बचते है। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है। कि सरकार और डाँक्टर किस हद तक मरीजों के स्वास्थ्य के साथ न्याय कर रहे है।

 

सीताराम येचुरी के बेटे आशीष का कोरोना से निधन

दिग्गज मार्क्सवादी नेता सीताराम येचुरी के बड़े बेटे आशीष येचुरी का वीरवार  सुबह कोरोना संक्रमण की वजह से निधन हो गया। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर यह दुखद जानकारी दी। आशीष येचुरी पेशे से पत्रकार थे और आगामी नौ जून को वह 35 साल के होने वाले थे। आशीष ने गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में आखिरी सांस ली। कोरोना इस बार युवाओं को भी चपेट में ले रहा है। कई और पत्रकार अपनी जान गंवा चुके हैं साथ ही बड़ी संख्या में संक्रमण की गिरफ्त में आ रहे हैं।
सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया- बड़े दुख के साथ बताना पड़ रहा है कि कोविड-19 से आज सुबह मैंने अपने बड़े बेटे आशीष येचुरी को खो दिया। मैं उन सभी का, डॉक्टरों, नर्सों, अग्रिम मोर्चे के कर्मियों, सफाईकर्मियों का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हमें हिम्मत दी और उनका उपचार किया और जो लोग संकट के समय में हमारे साथ खड़े रहे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आशीष येचुरी के असामयिक निधन पर शोक व्यक्त किया और परिजनों के प्रति संवेदना जताई। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि सीतराम येचुरी के पुत्र आशीष के दुखद और असामयिक निधन पर उन्हें और उनके परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।
आशीष के निधन पर माकपा पोलित ब्यूरो ने बयान जारी कर गहरा शोक व्यक्त किया और बयान में कहा कि सीताराम और इंद्राणी, उनकी (आशीष की) पत्नी स्वाती, उनकी बहन अखिला और शोकसंतप्त परिवार के अन्य सदस्यों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करता है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया, यह बहुत दुखी करने वाली खबर है। इस अपूरणीय क्षति को सहने की ईश्वर आपको हिम्मत दे। इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनाएं आपके साथ हैं। द्रमुक नेता एम के स्टालिन और तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भी आशीष येचुरी के निधन पर शोक जताया है।

कोरोना पर देश में नैशनल इमरजेंसी जैसी हालत : सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

देश में कोरोना के रेकॉर्ड मामलों और आक्सीजन और बिस्तरों की भयंकर कमी के बीच सर्वोच्च न्यायालय ने गुरूवार को स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि देश में नेशनल इमरजेंसी जैसी स्थिति है। सर्वोच्च अदालत ने साथ ही इस मामले में केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। अदालत ने राज्यों को लॉक डाउन लगाने का अधिकार देने को भी कहा है।
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कोविड पर एक राष्ट्रीय योजनाबनाकर इसे पेश करने या सूचित करने के लिए कहा है। मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि देश को ऑक्सीजन की सख्त जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन की आपूर्ति और आवश्यक दवाओं के मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लिया है।
सुनवाई के बाद सीजेआई एसए बोबडे ने कहा कि अदालत इस मामले की सुनवाई कल (शुक्रवार) करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोवि़ड-19 संबंधित मुद्दों पर छह अलग-अलग हाईकोर्ट्स का सुनवाई करना किसी तरह का भ्रम पैदा कर सकता है।  सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन, आवश्यक दवाओं की आपूर्ति और टीकाकरण के तरीकों से जुड़े मुद्दों पर राष्ट्रीय नीति चाहता है।
देश की सबसे बड़ी अदालत ने कोरोना से निपटने से अलग-अलग चार मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि देश में हालात राष्ट्रीय आपातकाल जैसे हो गए हैं। कोर्ट ने कहा कि वो ऑक्सीजन की सप्लाई, जरूरी दवाओं की सप्लाई, वैक्सीन लगाने का तरीका-प्रक्रिया और लॉकडाउन के मुद्दे पर विचार करेगा। सीजेआई ने इस मुद्दे पर केंद्र को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है।
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम आपदा से निपटने के लिए नेशनल प्लान चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन मुद्दों पर देश के छह हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है लिहाजा हम आगे देखेंगे कि क्या इन मुद्दों को हम अपने पास रख सकते हैं।  कोर्ट ने माना कि ये सुनवाई अच्छे संदर्भ में हो रही है लेकिन साथ ही ये भी कहा कि इससे भ्रम फैल सकता है और संसाधन डाइवर्ट हो सकते हैं।
बता दें देश में गुरुवार को कोविड-19 के अब तक के सर्वाधिक 3.14 लाख से ज्यादा मामले आने के साथ ही संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,59,30,965 हो गयी है। दुनिया के किसी भी देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण का यह सर्वाधिक आंकड़ा है।