फरवरी की चमोली की घटना के बाद उत्तराखंड में कुदरत ने एक बार फिर कहर ढाया है। चमोली जिले की नीती घाटी के सुमना-2 इलाके में पांच दिन से जारी भारी बर्फबारी के बाद ग्लेशियर टूटने से कई लोगों की जान चली गयी है। काफी लोगों को सेना ने सुरक्षित निकाल लिया है जबकि 8 लोगों के शव मिले हैं। बचाये गए कुछ लोगों की हालत गंभीर है। इस बीच त्तराखंड के चमोली के पास ग्लेशियर टूटने के बाद उत्तराखंड सरकार ने अलर्ट जारी किया है।
जानकारी के मुताबिक बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन बीआरओ का एक शिविर बर्फीले तूफान की चपेट में आ गया। अभी तक 384 लोगों को बचाया जा चुका है। चीन की सीमा से सटे जोशीमठ सेक्टर के सुमना इलाके में यह घटना हुई है। भापकुंड से सुमना तक रास्ते की सफाई की जा रही है।
भारत-चीन सीमा के पास गढ़वाल जिले में शुक्रवार शाम 4 बजे के करीब हिमस्खलन की यह घटना हुई है। अब तक आठ लोगों के शव मिले हैं। सेना ने कहा कि छह लोगों की हालत गंभीर है। कई बार हिमस्खलन आने कि वजह से रोड चार से पांच जगहों से कट गई। जोशीमठ में बॉर्डर रोड टास्क फोर्स की टीमें काम कर रही हैं। कुल 384 लोगों को सुरक्षित बचाया गया है और अब वे सेना के शिविर में हैं। भारतीय सेना ने कहा – ‘अन्य मजदूरों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है।’
सुमना-रिमखिम मार्ग पर स्थित सुमना गांव से करीब चार किलोमीटर बाद हिमस्खलन की चपेट में आने के तुरंत बाद भारतीय सेना ने अभियान शुरू किया। सेना के मुताबिक इलाके में पिछले 5 दिन से भारी बारिश और बर्फबारी हो रही है। भूस्खलन से कई स्थानों पर सड़क संपर्क कट गया है। जोशीमठ से बॉर्डर रोड टास्क फोर्स (बीआरटीएफ) की टीमें शुक्रवार शाम से ही भापकुंड से सुमना तक स्लाइड को साफ करने में जुटी हैं। पूरी जगह को साफ करने में अभी कुछ घंटे और लगेंगे।
उधर एनडीआरएफ ने कहा है कि ऋषि गंगा नदी में जल स्तर दो फीट बढ़ गया है। केंद्र सरकार स्थिति की निगरानी कर रही है और बचाव कार्यों के लिए सभी हितधारकों को सतर्क कर दिया है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शनिवार को नीती घाटी के सुमना का हवाई सर्वे किया। उधर एनटीपीसी सहित अन्य परियोजनाओं में रात के समय काम रोकने के आदेश दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में कोरोना मामले पर सुनवाई अब 27 को; देश में 24 घंटे में 2,263 मरीजों की मौत
देश में कोविड-19 के बढ़ते मामलों, देश भर में आक्सीजन और बिस्तरों की भयंकर कमी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में शुक्रवार को सुनवाई हुई और यह 27 अप्रैल को जारी रहेगी। सर्वोच्च अदालत ने इस मामले का खुद संज्ञान लिया है और गुरूवार को केंद्र को नोटिस जारी करते हुए उसने देश में मेडिकल इमरजेंसी जैसी हालत बताई थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इस मामले में मंगलवार को सुनावी होगी। उधर वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग कर लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोविड स्थिति पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ऑक्सीजन की कमी से देश में लोग मर रहे हैं। तीन जजों – चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भट ने मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जरूरी सप्लाई और सेवाओं के वितरण मामले में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। कोर्ट ने कुछ वरिष्ठ वकीलों को फटकार लगाते हुए कहा कि ‘हाई कोर्ट से केस ट्रांसफर नहीं किए गए हैं और इसलिए जो आलोचना इस मुद्दे पर की जा रही थी, उसका कोई आधार नहीं था।
उधर सर्वोच्च अदालत ने 22 अप्रैल को हरीश साल्वे को केस में मदद करने के लिए नियुक्त किया था, लेकिन आज साल्वे ने खुद को इससे अलग करने की मांग की, जिसे कोर्ट ने मान लिया। साल्वे ने खुद को केस से हटाने पर कहा, ‘मैं नहीं चाहता कि इस मामले को एक शैडो के तहत सुना जाए कि मुझे सीजेआई के साथ दोस्ती के कारण नियुक्त किया गया था।’
पीएम की बैठक
देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का खौफ बढ़ने के बीच इस समय प्रधानमंत्री मोदी कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक में कहा कि राज्य में ऑक्सीजन की भारी कमी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर यहां ऑक्सीजन प्लांट नहीं है तो क्या दिल्ली के लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिलेगी। सीम ने कहा कि कृपया मुझे बताएं कि जब दिल्ली आने वाला ऑक्सीजन सिलिंडर दूसरे राज्य में रोक दिया जाए, तो केंद्र सरकार में इस संबंध में किससे बात की जाए।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बंगाल में सभी रैलियों को रद्द करने का फैसला लिया है। ममता सरकार ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यों की उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन किया है। कोविड समन्वयकों और पर्यवेक्षकों की गतिविधियों की देखरेख करने के उद्देश्य से इसका गठन किया गया है।
2,263 मरीजों की मौत
उधर देश में चारों ओर से मदद की गुहार लग रही है औऱ जनता बेहाल है। देश में बीते 24 घंटे में 3.32 लाख से ज्यादा मामले सामने आए हैं जबकि 2,263 मरीजों की जान चली गयी है। देश में ऑक्सीजन की किल्लत है और ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के सामने विवश होता हेल्थ सिस्टम
देश में कोरोना के मामले हर रोज रिकार्ड बना रहे है। तीन लाख से ज्यादा कोरोना के मामले आने लगे है। देश का स्वास्थ्य सिस्टम हांफने लगा है। लेकिन मरीजों को सुध लेने वाला कोई नहीं है। ये बात तो कम से कम सामने आयी है। कि कोई आपदा या महामारी में हम वहीं खड़े है। जहां पर सदियों पहले खड़े थे।
बताते चलें इससे बड़ेदुख की बात क्या होगी जब देश के लोग कोरोना जैसी बीमारी से जूझते हुये अपनी जान बचाने के लिये अंतिम आस लेकर अस्पताल आते है। तो वहां पर आँक्सीजन और डाक्टरों की कमी होने की बात सुनकर मरीज और उनके परिजन सहम उठते है, कांपने लगते है।
तहलका संवाददाता ने कई अस्पतालों में दो दिनों में आँक्सीजन को लेकर अस्पतालों में जो हाहाकार देखा है। उससे तो ये साफ है। कि हमारा हेल्थ सिस्टम सामान्य बीमारियों के उपचार तक ही सीमित है। जरा सी मरीजों की संख्या कोरोना की बढ़ी नहीं की अफरा-तफरी सा माहौल सामने देखने को मिला ।
एम्स के डाक्टरों का कहना है कि सरकार द्वारा जो एप बनाये जा रहे है कि किस आस्पताल में कितने बैड खाली है और कितने भरे है। ये सब दिखावा वाली बातें है। धरातल पर एप का कोई वास्ता नहीं है। अगर कोई मरीज एप को देखकर अस्पताल चला गया कि फलां-फलां अस्पताल में बैड खाली तो उसे परेशानी के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।
सामाजिक कार्यकर्ता एस कुमार ने बताया कि दिल्ली के अस्पतालों में कोरोना के मरीजों के लिये जो सुविधा मिल रही है। वो ठीक है या नहीं। पर नोएडा का हेल्थ सिस्टम तो ऊपर वाले के भरोसे ही। मरीज आधा-अधूरा इलाज करवा रहा है। यहां के अस्पतालों में डाँक्टरों और पैरामेडिकल कर्मचारी कोरोना के इलाज करने से बचते है। ऐसे में कैसे उम्मीद की जा सकती है। कि सरकार और डाँक्टर किस हद तक मरीजों के स्वास्थ्य के साथ न्याय कर रहे है।