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प्रशांत किशोर का संन्यास, दिसंबर में कहा था बंगाल में भाजपा दो अंक पार नहीं कर पाएगी

पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बड़े जोर शोर 200 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करती रही, पर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पहले ही दावा कर दिया था कि भाजपा दो अंक के आंकड़ों को पार नहीं कर पाएगी। रविवार को आए चुनाव नतीजों से उनका आकलन सही साबित हुआ। इस बीच प्रशांत किशोर यानी पीके ने ऐलान कर दिया है कि अब वे आगे किसी भी पार्टी के लिए काम नहीं करेंगे। तृणमूल के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर भाजपा डबल डिजिट क्रॉस कर गई तो मैं अपना काम ही छोड़ दूंगा।

बंगाल में भाजपा 75 के आसपास जीतती दिख रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और तमिलनाडु में एमके स्टालिन को जीत दिलाने के दावे पर खरे उतरने के बाद भी प्रशांत ने एक टीवी इंटरव्यू में यह कहकर चौंका दिया कि अब वो इस जीत के बाद वे इस काम को छोड़ना चाहते हैं। अब वे चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि उनकी टीम के बाकी साथी अब इस काम को संभालें। जब उनसे पूछा गया कि क्या अब वे राजनीति में आने की तैयारी में हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे एक विफल पॉलिटिशियन साबित हुए हैं।

पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा से मिली करारी हार के बाद 2020 में ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी प्रशांत को तृणमूल में लेकर आए थे। इसके बाद से ही प्रशांत की कंपनी ने तृणमूल की जीत की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया था। पीके कह चुके हैं कि ‘जो भी काम करो, सर्वश्रेष्ठ बन कर करो। अगर मैं स्किल, मैथोडॉलोजी और फैक्ट के इस्तेमाल के बाद भी जीत न दिला सकूं तो मुझे नैतिक रूप से यह काम नहीं करना चाहिए। ऐसा भी नहीं है कि मुझे जीवनभर यही काम करना है। कोई दूसरा काम नहीं करना है। मेरे बाद भी यह काम होता रहेगा। बता दें कि प्रशांत किशोर फिलहाल पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ काम कर रहे हैं। वे इस दौरान उनसे कोई फीस भी नहीं ले रहे हैं।

नंदीग्राम में ममता की जीत-हार पर संशय, अभी आधिकारिक नतीजे का है इन्तजार  

नंदीग्राम में ममता बनर्जी की जीत की खबर के बाद अब यह खबर आ रही है कि ममता वहां 1957 वोटों से सुबेन्दु अधिकारी से चुनाव हार गयी हैं और इसका दावा भाजपा ने किया है। उधर अपनी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ममता बनर्जी ने  कहा – ‘भूल जाएँ नंदीग्राम में क्या हुआ। बंगाल की जनता ने भाजपा को हराकर देश को बचा लिया है। हम बंगाल जीते हैं।’ हालांकि, ममता की हार की खबर की चुनाव आयोग से आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अभी तक टीएमसी को 213 सीटों पर बढ़त है और भाजपा 80 से भी नीचे चली गयी है।
ममता ने कहा नंदीग्राम के लोगों का फैसला उन्हें मंजूर है, जो भी है। ममता ने कहा कि बड़ी जंग जीतने के लिए कई बार कुछ त्याग भी करना पड़ता है। पार्टी के नेता डेरीक-ओ-ब्रायन ने भी एक ट्वीट में यही बात कही है। हालांकि, टीएमसी की तरफ से भी यह बात सामने आई है कि वोटों की गिनती अभी चल रही है।
भाजपा के कुछ नेताओं ने सबसे पहले अधिकारी की नंदीग्राम में जीत का दवा किया। लिहाजा अभी आधिकारिक नतीजे का इन्तजार करना होगा।

ममता की नंदीग्राम में जीत; बंगाल में टीएमसी की जीत

सीएम ममता बनर्जी ने नंदीग्राम की सीट जीत ली है। उन्हें 1200 मतों से जीत मिली है। उन्होंने भाजपा के सुबेन्दु अधिकारी को हरा दिया है। बंगाल के चुनाव में भाजपा के पीएम मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं सहित सारी ताकत झोंक देने के बावजूद टीएमसी नेता ममता बनर्जी उसपर बहुत भारी पड़ी हैं  और अब तक के रुझानों में वहां भाजपा को करारी मात मिली है। टीएमसी अब तक 207 सीटों पर आगे हैं जबकि भाजपा 80 के आसपास सिमटती दिख रही है। केरल में लेफ्ट फ्रंट की फिर जीत हुई है और वह 90 सीटों पर आगे है जबकि असम में भाजपा (77) और तमिलनाड में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन 140 सीटों के साथ सत्ता में पहुँच रहा है। ममता को इस जबरदस्त जीत के बाद देश के सभी बड़े विपक्षी नेताओं ने बधाई दी है।
अभी सारे नतीजे घोषित नहीं हुए हैं, लेकिन रुझानों में साफ़ हो गया है कि कौन कहाँ जीत रहा है। बंगाल पर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की नजर थी। भाजपा ने कोविड के भयंकर प्रकोप के बावजूद अपनी सारी ताकत वहां झोंक दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां 17 के करीब चुनाव रैलियां कीं जबकि अमित शाह तो बंगाल का पूरा चुनाव प्रबंधन खुद देख रहे थे। भाजपा के कमोवेश सभी केंद्रीय मंत्री चुनाव प्रचार में पहुंचे लेकिन उसे 100 का आंकड़ा भी नसीब होता नहीं दिख रहा।
अभी तक के रुझानों में टीएमसी को बंगाल में 207 सीटों के आसपास जीत मिलती दिख रही है। टीएमसी ने 2016 में भी 211 सीटें जीती थीं। इस तरह भाजपा उसके वोट बैंक में कोई सेंध नहीं लगा पाई। इस चुनाव में बंगाल में सबसे बुरा हाल लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन का हुआ जिसे अभी तक सिर्फ एक सीट पर बढ़त दिख रही है।
केरल में लेफ्ट मोर्चे ने फतह हासिक की है और उसे 90 सीटों पर बढ़त है। कांग्रेस गठबंधन को वहां 44 सीटों पर बढ़त है।
असम में भाजपा फिर सरकार बना रही है। उसे वहां 77 जबकि कांग्रेस गठबंधन को 48 सीटों पर बढ़त है। तमिलनाड में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन 141 सीटों के साफ़ बहुमत के साथ आगे है और उसकी सरकार बनना तय है। केंद्र शासित पुडुचेरी में 12 सीटों के साथ भाजपा गठबंधन बहुमत के पास है। कांग्रेस 4 ही सीटों पर आगे है। ममता को इस जबरदस्त जीत के बाद देश के सभी बड़े विपक्षी नेताओं ने बधाई दी है।

2 मई भाजपा सिमट गई

पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणाम चौकाने वाले ही साबित हुये है। क्योंकि जिस अंदाज में भाजपा आला कमान पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार के दौरान कहा करते थे। कि 2 मई ममता गई, आज तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि 2 मई भाजपा सिमट गई। राजनीति में साम,दाम दंड भेद सब चलता है। दोनों राजनीति दलों ने अपने –अपने तरीके से चुनाव में जीत के लिये कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन चुनाव में प्रयास की चर्चा महत्वपूर्ण होनी है। बल्कि जीत महत्वपूर्ण होती है। कुल मिलाकर तृणमूल कांग्रेस की जीत और ममता बनर्जी की जीत अब देश की राजनीति में अहम् भूमिका निभा सकती है।बताते चलें पश्चिम चुनाव में जिस अंदाज से भाजपा ने चुनाव लड़ा था। धुव्रीकरण की राजनीति पर बल दिया था। लेकिन धुव्रीकरण तो नहीं हो सका। बल्कि जो वोट काटो के नाम पर राजनीति करने आये थे। उनकी भी राजनीतिक दुकानें बंद हो गयी। क्योंकि इस चुनाव में जनता ने साफ जनादेश देकर ,ये मैसेज दिया है। कि जनता सब जानती है।

तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता जयंत दास का कहना कि भाजपा हो हल्ला की राजनीति करती रही। जिन भाजपा नेताओं को स्टार प्रचारकों के तौर पर भेजा था। उनकी खुद की पहचान नहीं थी। वे सब स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के भरोसे ही चुनावी रैली में उपस्थित भर हुये है। जिससे ये बात पश्चिम बंगाल की जनता समझ चुकी थी। भाजपा से बेहत्तर तृणमूल कांग्रेस पार्टी ही है। क्योंकि भाजपा के पास ना तो बंगाली नेता मुख्यमंत्री के चेहरा के तौर पर नही था। जबकि ममता बनर्जी जानी पहचानी नेता स्थापित नेता है। तो जनता ने ममता बनर्जी पर ही भरोसा जताया है।

 

शूटर दादी भी संक्रमण के चलते नहीं रहीं

यूपी के बागपत की रहने वाली 89 साल की शूटर दादी चंद्रो तोमर का मेरठ के मेडिकल कॉलेज में कोरोना का इलाज के दौरान निधन हो गया। एक दिन पहले उन्हें शहर के आनंद हॉस्पिटल से मेरठ के मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मौत की वजह ब्रेन हेमरेज बताई गई है, जबकि पिछले दिनों वह कोरोना संक्रमित पाई गई थीं।
चंद्रो तोमर ने 60 साल की उम्र पार करने के बाद निशानेबाजी को अपना कॅरिअर बनाया और कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी जीती थीं। उन पर बॉलीवुड में फिल्म भी बनाई गई, जिसकी काफी चर्चा भी हुई। चंद्रो तोमर को विश्व का सबसे अधिक उम्र का निशानेबाज माना जाता था।

बिहार के मुख्य सचिव का कोरोना से निधन

देशभर में कोरोना कहर बरपा रहा है। आए दिन कोई न कोई हस्ती संक्रमण की गिरफ्त में ले रही है। अब बिहार के मुख्य सचिव का कोरोना संक्रमण का इलाज कराने के दौरान अस्पताल में निधन हो गया है।
मुख्य सचिवमुख्य सचिव अरुण कुमार को कुछ दिनों पहले संक्रमण का पता लगने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शुक्रवार को उन्होंने आखिरी सांस ली। अस्पताल प्रबंधन ने भी इसकी पुष्टि की है। मुख्य सचिव के निधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा दुख व्यक्त किया है। इससे पहले पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव रवि शंकर सिंह की मृत्यु हो गई थी।
अब नए राज्यों में कोरोना की रफ्तार काफी तेजी से बढ़ रही है। बिहार में पिछले 24 घंटे में 13089 नए कोरोना मरीज मिले हैं। 1985 बैच के आईएएस अधिकारी अरुण कुमार सिंह पिछले महीने बिहार के मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार की जगह पर अरुण कुमार सिंह मुख्य सचिव बने थे। दीपक कुमार को प्रधान सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

 कोरोना का कहर से अब पढ़े- लिखे तबके का भी पलायन जारी

दिल्ली में मजदूरों के साथ-साथ उन पढ़े लिखे लोगों को का पलायन जारी है। जिनकी नौकरी चली गयी या जिनकी जाने को है। सुबह से ही दिल्ली नेशनल हाईवे पर ये नजारा देखने को मिलता है। तहलका संवाददाता को दिल्ली से जाने वाले उन युवा लोगों ने अपनी- अपनी व्यथा बतायी। जो दिल्ली में एक दशक से अधिक समय से जमे थे। जीवन –यापन भी आराम से सम्मान के साथ कर रहे थे। 2020 मार्च में जब लाँकडाउन लगा था। तब सरकार से राहत के तौर पर कुछ उम्मीद थी। नौकरी घर बैठे आँनलाइन चलती रही। वेतन कम मिला लेकिन मिलता रहा। ऐसे में युवाओं ने माना की महामारी है। निकल जायेगी। साहस और हिम्मत के साथ महामारी में युवा काम करते रहे।

लेकिन अब 2021 में तो हालत ऐसे है। कि मौजूदा सिस्टम ही हर क्षेत्र में जवाब दे रहा है। लोगों में नौकरी जाने से ज्यादा अपनी जान की चिंता सतायी जा रही है। पेशे से सिविल इंजीनियर सौरभ ने बताया कि वे कंट्रक्शन कंपनी में काम करते थे। लेकिन बाजार में आयी मंदी से काम रूक गया है।ऐसे में कंपनी ने फिलहाल काम पूरी तरह से रोक दिया ,जिससे अब उनकी नौकरी चली । दूसरी कंपनी में अभी नौकरी नहीं मिली है। ऐसे में दिल्ली में अपने मकान का किराया ना देने से बचने के लिये, वे अब दिल्ली छोड़कर जा रहे है।फेशन डिजाइनर गौकुल प्रकाश ने बताया कि उनका परिवार और वे शादियों में साज-सज्जा का काम करते थे अच्छा – खासा कमा लेते थे । लेकिन अब पिछली साल की तरह इस साल तो काम पूरी तरह से बंद है। लोगों ने तो कोरोना के डर के मारे रिश्ते या तो तोड़ दिये है। या फिर कुछ समय के लिये आगे बढ़ा दिये है। ऐसे हालात में उनको अब काम ना मिलने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह तामाम लोगों ने कोरोना के कहर में अपनी नौकरी जाने और जान बचाने की पीड़ा बतायी है। इन्हीं विषम परिस्थियों में लोगों को पलायन करने को मजबूर होना पड़ रहा है।

सीटी स्कैन और कोरोना की जांच के नाम पर लूट

कोरोना काल में हेल्थ सिस्टम में इस कदर लूट खसोट बढ़ी है कि मरीजों का हाल बे- हाल है। अस्पतालों में आँक्सीजन की कमी और बैडो के ना होने से अब मरीजों को डाक्टर्स टरका कर कह रहे है कि कोरोना की जांच करवा कर आओं और सीटी स्कैन करवाओं तब जाकर  देखेंगे। ऐसे में कोरोना की जांच के साथ-साथ सीटी स्कैन के नाम पर मरीजों से औने-पौने दाम वसूलें जा रहे है।

जबकि कई मरीजों को सीटी स्कैन तक की जरूरत तक नहीं है। सीटी स्कैन कराने गये रोगियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि माना कि कोरोना में सीटी स्कैन भी जरूरी है। लेकिन जिनको नहीं है। फिर भी सीटी स्कैन कराने को वोला जा रहा है। जिसके चलते गरीबो की जैब पर असर ही नहीं पड़ रहा है। मानसिक विशाद का कारण भी बन रहा है। सीटी स्कैन के नाम पर निजी अस्पताल वालें अपने- अपने तरीके से मरीजों से औने-पौने दाम वसूल रहे है।

मरीज निर्मला देवी ने बताया कि डाक्टर्स के साथ- साथ सरकारी अफसर भी इस खेल में शामिल है। क्योंकि अस्पतालों में बैड नहीं होने पर मरीजों को फंसायें रखने के लिये कोरोना की जांच और सीटी स्कैन कराने को कहते है। ताकि एक –दो दिन मरीज अस्पताल के लपेटे में रखते है और उसकी जेब खाली होती रही है। इस बारे में कांग्रेस के नेता राम रतन ने कहा कि सरकार सही मायने में अपनी जिम्म्दारी नहीं निभा रही है। जिसके कारण देश में कोरोना को लेकर हाहाकार है।गरीब रोगी भटक रहा है। इलाज तक नहीं मिल पा रहा है।

दुनिया में अब कोरोना के भारतीय वैरिएंट का खौफ

पूरी दुनिया में कोरोना संक्रमण का प्रसार जारी है। टीकाकरण के बावजूद इसके थमने की रफ्तार कम नहीं हो रही है। विश्व भर में अब तक कोरोना संक्रमण के शिकार लोगों का आंकड़ा 15 करोड़ के पार पहुंच गया है। संक्रिमत लोगों में से 31.63 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है जबकि 12.82 करोड़ लोगों ने कोरोना को मात दी है। फिलहाल 1.93 करोड़ लोगों का इलाज चल रहा है। इनमें 1.92 करोड़ लोगों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं और 1.10 लाख लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। भारत में सक्रिय मरीजों का आंकड़ा 30 लाख को पार कर गया है। रोजाना रिकॉर्ड मामले दर्ज किए जा रहे हैं। लगातार सातवें दिन तीन लाख से अधिक कोरोना मरीज अकेले भारत में सामने आए।

अब दुनियाभर में कोरोना के भारतीय वैरिएंट का खतरा बढ़ गया है। कई देशों ने भारत जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी है। कई देशों ने भारत की यात्रा करने और वहां पर रहने वालों को तत्काल बुलाने तक का फरमान जारी कर दिया है। कोरोना वायरस का इंडियन वैरिएंट 17 देशों में पहुंच चुका है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यू्एचओ ने बताया कि दुनिया में पिछले हफ्ते कोरोना के 57 लाख मामले सामने आए। यह आंकड़े पहली पीक से कहीं ज्यादा हैं। इंडियन वैरिएंट यानी बी1.617 वैरिएंट (डबल म्यूटेशन वैरिएंट) की वजह से ही भारत में लगातार कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। डब्ल्यूएचओ ने इसे वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित किया है।

विख्यात कवि कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण से निधन

कोरोना संक्रमण ने इसी साल और खासकर इसी महीने दर्जनों हस्तियों को छीन लिया है। वीरवार को जाने माने कवि कुंवर बेचैन का कोरोना संक्रमण की वजह से दिल्ली से सटे नोएडा के अस्पताल में निधन हो गया। उनके दुनिया से फानी होने की जानकारी कवि कुमार विश्वास ने ट्वीट कर दी। कुमार विश्वास ने लिखा कि कोरोना से चल रहे युद्धक्षेत्र में भीषण दुखद समाचार मिला है। हिंदी गीत के राजकुमार, अनगिनत शिष्यों के जीवन में प्रकाश भरने वाले डॉ कुंअर बेचैन ईश्वर के सुरलोक की ओर प्रस्थान कर गए हैं। कुंवर बेचैन साहब ने कई विधाओं में साहित्य सृजन किया। कवितायें भी लिखीं, ग़ज़ल, गीत और उपन्यास भी लिखे।

ट्वीट में आगे लिखा कि कोरोना ने मेरे मन का एक कोना मार दिया। कुंवर बेचैन और उनकी पत्नी संतोष कुंवर दोनों कोरोना संक्रमित चल रहे थे। पिछली 12 अप्रैल को दोनों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। रिपोर्ट आने के बाद दोनों को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। हालत में सुधार नहीं होता देख कुंवर बेचैन को निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था।

बेचैन उनका तख़ल्लुस है असल में उनका नाम डॉ. कुंवर बहादुर सक्सेना है। कुंवर बेचैन गाजियाबाद के एमएमएच महाविद्यालय में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे। उनका नाम सबसे बड़े गीतकारों और शायरों में शुमार किया जाता था। बेचैन साहब व्यवहार में सहज, वाणी से मृदु रचनाकार को सुनना-पढ़ना अपने साहित्य प्रेमियों के लिए अनोखा अनुभव है। उनकी रचनाएं सकारात्मकता से ओत-प्रोत हैं।