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कोरोना के साथ हार्ट रोग का खतरा

जिन्हें कोरोना हो चुका है और उच्च रक्तचाप से पीड़ित है अगर उन्हें बैचेनी के साथ छाती में दर्द है। तो उसे नजर अंदाज ना करें, क्योंकि ये हार्ट रोग के लक्षण है। ये जानकारी आज कोरोना से बचाव पर एक कार्डियोलाँजिस्ट के कार्यक्रम में मैक्स अस्पताल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डाँ विवेका कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि कोरोना को हरा चुके लोग अब हार्ट रोग जैसी बीमारी के चपेट में आ रहे है। डाँ विवेका कुमार का कहना है कि कोरोना रोग और हार्ट रोग में सांस लेने में दिक्कत होने जैसी समस्यायें एक जैसी होती है। कमजोरी के साथ अनियमित धड़कन होती है।

इंडियन हार्ट फांउडेशन के अध्यक्ष डाँ आर एन कालरा का कहना है कि कोरोना के साथ-साथ हमें समय –समय पर अन्य रोगों का इलाज कराते रहने चाहिये।ताकि कोई गंभीर बीमारी ना पनप सकें। क्योंकि इन दिनों ज्यादात्तर लोग छाती में दर्द और बैचेनी के साथ वाये हाथ के दर्द को नजरअंदाज कर रहे है। उसे भी कोरोना समझ रहे है। जबकि ये लक्षण हार्ट रोग के है। डाँ कालरा का कहना है कि नियमित व्यायाम करें और खान –पान पर ध्यान दें। घबराहट और बैचेनी होने पर नजरअंदाज ना करें।

चीन की आबादी बढ़ी 141 करोड़, बुजुर्गों की तादाद 26.4 करोड़

दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन में जन्म दर में कमी के बावजूद पिछले दशक में इजाफा दर्ज किया गया है। चीन की आबादी अब बढ़कर 141 करोड़ हो गई है। पिछले 10 सालों में चीन की आबादी में 5.38 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने ये आधिकारिक आंकड़े मंगलवार को जारी किए।

2019 की तुलना में चीन की आबादी में 0.53 फीसदी  की बढ़ोतरी हुई और 1.41 करोड़ को पार कर गई। वर्ष 2019 में चीन की आबादी 1.4 अरब थी। हालांकि, अब आगे आबादी घटने के आसार हैं। चीन के सभी 31 प्रदेश, स्वायत्त क्षेत्र और नगरपालिका की आबादी 1.41178 अरब थी। एनबीएस के अनुसार, नई जनगणना के आंकड़ों से पता चलता है कि चीन जिस संकट का सामना कर रहा था, उसके और गहराने की उम्मीद है।

सबसे ज्यादा बुजुर्ग चीन में
चीन में 60 साल से अधिक उम्र वाले लोगों की आबादी बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई है। देश में 89.4 करोड़ लोगों की उम्र 15 से 59 वर्ष के बीच है, जोकि 2010 की तुलना में 6.79 प्रतिशत कम है। चीन के नेताओं ने जनसंख्या को बढ़ने से रोकने के लिए 1980 से जन्म संबंधी सीमाएं लागू की थीं, लेकिन अब उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में कामकाजी आयु वर्ग के लोगों की संख्या तेजी से कम हो रही है। इससे अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। चीन में जन्म संबंधी सीमाओं में ढील दे दी गई है, लेकिन दंपति महंगाई, छोटे आवास और मांओं के साथ नौकरी में होने वाले भेदभाव के कारण बच्चे पैदा करने से खुद परहेज करते हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में राष्ट्रीय जन्मदर में अब भी कमी दर्ज की जा रही है, जबकि चीन में पिछले कुछ सालों से राष्ट्रीय जन्मदर बढ़ाने की काफी कोशिश की जा रही है, फिर भी सरकार को इसमें सफलता नहीं मिली है। चीन की जनसंख्या दर में वृद्धि कई सालों से काफी कम रही है, जिसे सही करने के लिए सरकार ने वन चाइल्ड पॉलिसी को भी हटा दिया है और लोगों को दो बच्चों को जन्म देने के लिए प्रोत्साहित किया जा है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है।

मेडिकल स्टोर वालों का अनुभव भी कारगर साबित हो रहा है

सरकारी तंत्र की असफलता कहें, कि सिस्टम का दोष एक ओर तो अस्पतालों में कोरोना के मरीजों को इलाज तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं देश के गांवों और कस्बों में लोगों की कोरोना की जांच नहीं होने से और लोगों को दो-चार दिन बुखार आने पर लोग मेडिकल स्टोर से दवा लेकर अपना इलाज करा रहे है।

सबसे चौकानें वाली बात तो ये है कि इनमें ज्यादात्तर लोग स्वस्थ्य भी हो रहे है। इस बारे में डाँक्टरों का कहना है कि कोरोना तो देश में हाहाकार मचा ही रहा है। लेकिन वायरल सीजन भी चल रहा है। जो बदलते मौसम में होता है। इसलिये जहां पर डाँक्टरों की कमी है। वहां पर मेडिकल स्टोर वाले अपने अनुभव से मरीजों को दवा देकर सही भी कर रहे है। जिससे लोगों को लाभ भी हो रहा है। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया के डाँ आशोक का कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है। जिसको जागरूकता से काबू पाया जा सकता है। मुंह में मास्क लगाकर और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करके , क्योंकि इस समय ये भी बड़ा उपचार है।

डाँ अनिल बंसल का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर और तीसरी लहर में ना पड़ कर लोग जागरूकता का पालन करें। बे वजह घर से ना निकलें और भीड़भाड़ वालें इलाकें में जाने से बचें। ताकि संक्रमण के खतरें को टाला जा सकें। मौजूदा वक्त में कोरोना की चैन को तोड़ना एक अहम् जिम्मेदारी है। जो सोशल डिस्टेसिंग से तोड़ी जा सकती है।

कोरोना के आँकड़े सही पेश नहीं किये जा रहे है

सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवायें इस कदर चरमरा रहीं है, कि लोगों के बीच एक साफ मैसेज ये पहुंच रहा है, कि चरमराती स्वास्थ्य सेवा के बीच कैसे ठीक हो सकते है। ऐसे हालात में लोग अब या तो अप्रोच के सहारे इलाज कराने को मजबूर है या फिर निजी अस्पतालों में भी महंगे से महंगे अस्पतालों में इलाज कराने की कोशिश कर रहे है। बताते चलें देश में केन्द्र और राज्य सरकारों ने कोविड सेन्टर तो बनवाये है। वहां पर भले ही बेहत्तर इलाज चल रहा है, फिर भी लोगों में कोविड सेन्टर में इलाज कराने से लोग डर रहे है।

मौजूदा वक्त में जिस तरीके –अंदाज से आँक्सीजन की किल्लत और दवाईयों का टोटा रहा है। उससे ये बात तो ऊभर कर आयी है कि लोगों में अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर विश्वास कम हुआ है। इस बारे लोकनायक अस्पताल के वरिष्ठ डाँक्टरों का कहना है कि जिस तरीके से वैज्ञानिकों द्वारा और शोध संस्थानों द्वारा कयास लगाये जा रहे है कि तीसरी लहर में कोरोना का भयकंर रूप सामने आ सकता है। उससे तो हमें पहले ही और  चौकस रहना होगा।अन्य़था स्थिति काबू में नहीं आयेगी। सबसे चौकानी वाली बात तो, ये है कि लाँकडाउन के दौरान ही देश में लाखों की संख्या में कोरोना के मामले सामने आ रहे है और हजारों की संख्या में लोगों की कोरोना से मौतें हो रही है।

जबकि जानकारों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते मामलों में आँकड़ें सही नहीं पेश किये जा रहे है। क्योंकि अगर मामले कम हो रहे होते तो लाँकडाउन में शक्ति ना हो रही होती  बल्कि लाँकडाउन में ढ़िलाई दी जाती लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जो अपने आप में शंका पैदा करता है कि आँकडों में कुछ हेर –फेर है।

रेलवे स्टेशनों पर ना तो तापमान चैक किया जा रहा है, ना ही सेनेटाईज किया जा रहा है

जब 2020 में कोरोना के चलते लाँकडाउन था। उसी दौरान कुछ स्पेशल ट्रेनों का आवागमन जारी था। उस समय कम से कम आने-जाने वाले यात्रियों का तापमान देखा जा जाता था। सेनेटाईज किया जाता था। लेकिन इस साल 2021 में जब कोरोना का कहर, लोगों के जीवन हाहाकार मचा रहा है। कोरोना के मामले बढ़ रहे है। लोगों की मौतें हो रही है। तब रेलवे स्टेशनों में ना तो, आने- जाने वाले यात्रियों को तापमान देखा जा रहा है और ना ही सेनेटाईज किया जा रहा है। जबकि देश में एक राज्य से दूसरे राज्य में आने –जाने के कारण लोगों में संपर्क स्थापित होने से लोगों में कोरोना के मामले बढ़ रहे है। निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन , पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन सहित अन्य देश के रेलवे स्टेशनों में कहीं पर भी कोई जांच प्रक्रिया देखने तक को नहीं मिल रही है।

निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन में कार्यरत एक पुलिस अधिकारी ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार तो बहुत कुछ सामान देती है। ताकि संक्रमण को रोका जा सकें। यात्रियों को कोई परेशानी ना हो। लेकिन रेलवे विभाग के बड़े अधिकारी ही कुछ ना करें, तो कोई क्या करें। जबकि मौजूदा वक्त में रेलवे स्टेशनों को सेनेटाईज करने की सख्त जरूरत है।यात्रियों के तापमान देखने की जरूरत है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। जो गंभीर चिंता का विषय है। पुलिस अधिकारी का कहना है कि जो भी सामान आया है या नहीं आया है। उसकी जांच हो तो बड़ा घोटाला सामने आयेगा।क्योंकि बड़ी मात्रा में तापमान चैक करने वाली मशीने और सेनेटाईज आये है। वे कहां गायब हो गये है, ये सब जांच के दायरे में आते है।

कोरोना काल में अस्पताल से लेकर एम्बुलेंस वाले तक, सब लगे है लूट में

कोरोना काल, विपदा काल है। लोगों का जीवन अस्त –व्यस्त है, लाँकडाउन है। ऐसे में शासन –प्रशासन की अनदेखी का फायदा स्वास्थ्य सेवा से जुड़े जो, भी महकमें है। वे जमकर उठा रहे है। जहां देखों अफरा-तफरी है। अस्पतालों में कोरोना के डर से आये मरीजों को वे -बजह जांचें लिखी जा रही है। जिसमें सीटी स्कैन की जांच को अनिवार्य ही कर दी है। ऐसे में गरीब मरीजों का हाल बेहाल है। मरीजों को आँक्सीजन के नाम पर अस्पतालों में लूटा जा रहा है। कोई सुनवाई नहीं है। निजी अस्पताल वालों ने तो सारे रिकार्ड तोड़ दिये है। अपने मनमाफिक तरीके से मरीजों से पैसा वसूल रहे है। ये हाल देश के महानगरों, शहरों और कस्बों का है। अगर कोई मरीज को एम्बुलेंस की जरूरत है। तो एम्बुलेंस वाले कई –कई गुना पैसा मरीजों से एडवांस वसूल रहे है।

तहलका संवाददाता को उत्तर प्रदेश के झांसी, बांदा और नोएडा के लोगों ने बताया कि सरकार की कोरोना को लेकर क्या नीतियां है। क्या योजना है ? आम जनमानस को कुछ पता नहीं है। लाँकडाउन के नाम पर आँटो वाले, बस वाले और टैक्सी वाले जमकर औने –पौने दाम वसूल रहे है।अगर कोई कुछ कहे, तो कहते है,कि लाँकडाउन चल रहा है। शासन-प्रशासन से शिकायत करने का कोई असर ना ही कोई सुनवाई हो रही है।

नोएडा के निवासी अभिषेक पांडे ने बताया कि उनके जीजा रमन को बुखार और खांसी आने की शिकायत पर एक निजी अस्पताल ले गये तो डाँक्टर ने पहले जांच के नाम पर 23 हजार से ज्यादा का बिल बना दिया। लेकिन मरीज को कोई लाभ नहीं हुआ तो डाँक्टर ने कहा कि इनको कोरोना है। सरकारी अस्पताल ले जाओं। सरकारी अस्पताल ले गये तो वहां ना तो बैड मिला ना ही आँक्सीजन ऐसे में मरीज को भटकना पड़ा। फिर किसी सलाह पर दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया। नोएडा से दिल्ली तक आने में एम्बुलेंस वाले 11 हजार रूपये लिये।झांसी और बांदा में तो सरकारी स्वास्थ्य सेवायें चरमराई हुई है। निजी अस्पताल में पैसा की दम पर मरीज अपना जो भी इलाज मिल रहा है, करवा रहे है।

झांसी में राजू ने बताया कि कोरोना को लेकर जो गाईड लाईन बनी है। उसका उल्लघंन तो निजी अस्पताल वाले ही कर रहे है। बहुत ही कम मास्क लगाये मरीज जाते है।  यही हाल पैरामेडिकल वालों का है ।बांदा के लोगों का कहना है कि लाँकडाउन में निजी वाले ही नहीं बल्कि सरकारी उत्तर प्रदेश बस वाले ही लाचार वेबस वालों से किराया –किराया से अधिक बसूल रहे है। कही सामान के नाम पर तो कहीं लाँकडाउन के नाम पर । और तो और बस भी आने-जाने का कोई समय ही निश्चित नहीं है। ऐसे में मरीज, गरीब जनता लुट रही है।

 

कोरोना इलाज के लिए डीआरडीओ की दवा के आपात इस्तेमाल को मंजूरी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा विकसित कोरोनारोधी दवा को मरीजों के लिए आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। दवा पाउडर के रूप में मिलती है। इसे पानी में घोलकर मरीज को पिलाना होता है। ये दवा सीधे उन कोशिकाओं तक पहुंचती है, जहां संक्रमण होता है और वायरस को बढ़ने से रोक देती है।

ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने शनिवार को ड्रग 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा से कोरोना के इलाज के लिए आपात इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। संक्रमित मरीज के लिए यह एक वैकल्पिक इलाज होगा। जिन मरीजों पर इस दवा का इस्तेमाल किया गया, उनकी आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी निगेटिव आई।

क्लीनिकल ट्रायल में यह दवा कोरोना मरीजों में संक्रमण बढ़ने को रोकने के साथ ही उसे ठीक करने में कारगर साबित हुई है। इस दवा को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन की लैब इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ने डॉ. रेड्डीज लेबोरेटरी की मदद से तैयार किया गया है। मरीज के ऑक्सीजन लेवल में भी सुधार देखा गया है। डीजीसीआई ने मई 2020 में कोरोना मरीजों पर 2-डीजी के दूसरे चरण का चिकत्सीय परीक्षण शुरू किया था। यह पूरी तरह से प्रभावी पाई गई। ट्रायल में 110 कोरोना मरीजों को शामिल किया गया। ये मरीज 11 अस्पतालों के थे।

अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की कोरोना संक्रमण से मौत!

जेल में बंद और एम्स में इलाज करा रहा अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन की कोरोना वायरस संक्रमण के चलते शुक्रवार को मौत की खबर है। हालांकि दिल्ली पुलिस और एम्स प्रशासन ने मौत की पुष्टि नहीं की है। कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद अपराधी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। तिहाड़ जेल में अब तक कई कैदी और स्टाफ संक्रमित पाए जा चुके हैं। छोटा राजन भी तिहाड़ में ही बंद था। इससे पहले पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की भी कोरोना संक्रमण के बाद इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

अंडरवर्ल्ड डॉन की 26 अप्रैल को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। कई दिनों तक उसकी हालत स्थिर बनी हुई थी, लेकिन शुक्रवार को उसने दम तोड़ दिया। डॉन को मुंबई के सीनियर पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या में दोषी करार देते हुए आजीवन कैद की सजा सुनाई गई थी। हालांकि पिछले दिनों उसे हनीफ कड़ावाला की हत्या के केस में विशेष सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया था।

मुंबई में 1993 में हुए सीरियल धमाकों में भी छोटा राजन आरोपी था। छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र निकालजे था। 2015 में उसे इंडोनेशिया से भारत प्रत्यर्पित कर लाया गया था। तिहाड़ जेल के एक अधिकारी ने 26 अप्रैल को एक केस की सुनवाई के दौरान बताया था कि छोटा राजन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर पेशी के लिए नहीं लाया जा सकता। इसकी वजह यह है कि उसे कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।

61 वर्षीय गैंगस्‍टर के खिलाफ मुंबई में हत्या के कई मामलों समेत कम से कम 70 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या के प्रयास के अलावा फिरौती तक के मामले शामिल हैं। ये सभी मामले सीबीआई की स्‍पेशल कोर्ट को ट्रांसफर किए गए थे।

ममता बनर्जी बोलीं-केंद्र के मंत्री राज्य में आकर हिंसा भड़का रहे

पश्चिम बंगाल में भाजपा की हार और तृणमूल कांग्रेस की जीत कई लोगों को हजम नहीं हो रही है या कुछ लोग कुछ और ही करने पर आमादा हैं। चुनाव प्रचार के दौरान हमने देखा है कि यूपी के मुख्यमंत्री जैसे पद पर आसीन लोगों के बयान बेहद जहरीले रहे हैं। इसका खामियाजा या अंजाम तो शायद उन्होंने नहीं सोचा होगा, लेकिन इसका असर चुनाव नतीजों के बाद अब भी जारी है। इस बीच आरोप और प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो चुका है।

केंद्र सरकार ने जहां गृह मंत्रालय की एक टीम पश्चिम बंगाल रवाना की है तो केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन के काफिले पर वीरवार सुबह हुए हमले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और भाजपा पर हमला बोला। ममता ने कहा कि चुनाव हो गए, रिजल्ट आ गया, लेकिन भाजपा के मंत्री हार मानने को तैयार नहीं हैं।

ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में गृह मंत्रालय की टीम और केंद्र सरकार के मंत्री दौरे कर रहे हैं और यहां आकर हिंसा फैला रहे हैं। भाजपा के नेता इधर-उधर घूम रहे हैं। वे लोगों को भड़का रहे हैं। नई सरकार को आए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए और वे पत्र भेज रहे हैं। भाजपा अब भी जनता के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रही है। ममता ने कहा कि भाजपा चुनाव के बाद भी जनादेश को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। मेरा उनसे आग्रह है कि वे जनता के फैसले को स्वीकार करें।

ममता ने तंज कसा कि एक टीम राज्य के दौरे पर आई थी, यहां पर चाय पिए और लौट गए। मुख्यमंत्री ममता ने कहा कि अब अगर केंद्रीय मंत्री आते हैं तो उन्हें स्पेशल फ्लाइट्स के लिए आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट भी लानी पड़ेगी। नियम सभी के लिए समान होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के बार-बार राज्य में आने के कारण यहां कोरोना संक्रमण और फैल रहा है।

ममता बनर्जी ने कूच बिहार जिले में फायरिंग में मारे गए लोगों के परिजन को होम गार्ड की नौकरी देने की घोषणा की है। साथ ही चुनाव के बाद हुई हिंसा में मारे गए 16 लोगों को 2-2 लाख रुपये आर्थिक मुआवजे का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि हिंसा में मृतकों के परिजन को बिना किसी भेदभाव के मुआवजा दिया जाएगा।

23 शहरों से चलने वाली ट्रेनें 9 मई से रहेंगी रद्द

देश में कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। 16 राज्यों में संक्रमण की दर 20 फीसदी से ज्यादा है, जिनमें से 10 राज्य ऐसे हैं, जहां पर संक्रमण दर 25 फीसदी से अधिक दर्ज की गई है। टीकाकरण के बावजूद संक्रणम का फैलना बेहद चिंता का सबब बना हुआ है। अब रेलवे ने संक्रमण के फैलाव और यात्रियों की कमी को देखते हुए राजधानी दिल्ली समेत 23 प्रमुख शहरों से चलने वाली 28 ट्रेनों को 9 मई से रद्द करने का फैसला किया है।इन ट्रेनों में 8 जोड़ी शताब्दी, 2 जोड़ी जनशताब्दी, 2 दुरंतो, 2 राजधानी और एक वंदे भारत ट्रेन भी शामिल हैं।

दिल्ली से कालका, हबीबगंज, अमृतसर, चंडीगढ़ जाने वाली शताब्दी, दिल्ली से चेन्नई और बिलासपुर जाने वाली राजधानी और जम्मू तवी और पुणे जैसी जगहों से आने वाली शताब्दी शामिल हैं। ये ट्रेनें अगले आदेश तक रद्द रहेंगी। फिलहाल कोई तारीख तय नहीं है।

9 मई से रद्द की गई ट्रेनों में नई दिल्ली-हबीबगंज शताब्दी स्पेशल, नई दिल्ली-कालका शताब्दी स्पेशल, नई दिल्ली-अमृतसर शताब्दी स्पेशल, नई दिल्ली-देहरादून शताब्दी स्पेशल, नई दिल्ली-काठगोदाम शताब्दी स्पेशल और नई दिल्ली-चंडीगढ़ शताब्दी स्पेशल शामिल हैं। इसी तरह नई 10 मई से दिल्ली-देहरादून जनशताब्दी स्पेशल और नई दिल्ली-उना जनशताब्दी स्पेशल 9 मई से अगले आदेश तक रद्द रहेगी।