मिल्खा सिंह शनिवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। चंडीगढ़ के सेक्टर-25 श्मशानघाट में राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। इससे पहले उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह, केंद्रीय खेल मंत्री किरण रिजिजू सहित कई नामी हस्तियां उपस्थित हुईं।
फ्लाईंग सिख के नाम से मशहूर एथलीट पदम् श्री मिल्खा सिंह का शुक्रवार रात निधन हो गया था। छह दिन पहले उनकी पत्नी और भारतीय बॉलीबाल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर का भी निधन हो गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी सहित कई नेताओं, खिलाड़ियों, कलाकारों और अन्य ने मिल्खा सिंह के निधन पर गहरा शोक जताया है।
उनके अंतिम दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में खेल प्रेमी भी शमशान घात के बाहर पहुंचे हुए थे। उपस्थित लोगों ने नम आखों से उन्हें अंतिम विदाई दी। मिल्खा सिंह के अंतिम दर्शन के लिए लुधियाना से मास्टर इंटरनेशनल एथलीट चन्नण सिंह भी चंडीगढ़ पहुंचे थे।
दिन में मिल्खा सिंह के घर पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, अकाली नेता पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह उनके सेक्टर 8, चंड़ीगढ़ के घर में पहुंचे। उधर केंद्रीय खेल मंत्री रिजिजू और यूटी प्रशासक वीपी सिंह बदनौर श्मशानघाट पर मिल्खा सिंह के अंतिम संस्कार के समय उपस्थित थे।
एथलीट मिल्खा सिंह की पार्थिव देह शाम सवा 4 बजे सेक्टर-25 श्मशानघाट पहुँची। अंतिम संस्कार की रस्में पूरी होने के बाद मिल्खा सिंह को राजकीय सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया।
कड़कड़डूमा अदालत ने कलिता, नताशा और आसिफ को रिहा करने का आदेश दिया
दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने गुरुवार को सीएए आंदोलन के समय दिल्ली दंगा मामले में यूएपीए के तहत आरोपी बनाए गए ‘पिंजड़ा तोड़’ की दो सदस्यों देवांगना कलिता और नताशा नरवाल और जामिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें उसने तीनों आरोपियों के पते के सत्यापन के लिए और समय मांगा था। कोर्ट ने अपने आदेश में रिलीज वारंट तिहाड़ जेल भेजने का आदेश दिया। उधर रिहाई में देरी को लेकर यह दोबारा हाई कोर्ट पहुंचे हैं।
बता दें दिल्ली हाई कोर्ट ने तीनों को जमातन दे दी थी लेकिन उन्हें अभी तक रिहा नहीं किया गया था। हाईकोर्ट के फैसले को दिल्ली पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी हुई है और हाईकोर्ट के फैसले पर विचार करने की मांग की है। दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने यूएपीए के तहत तीनों नताशा, आसिफ और कालिता को जमातन दे दी थी।
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से प्रमाणन के लिए 21 जून तक का समय मांगा था। तिहाड़ जेल में इन तीनों की रिहाई के लिए वारंट भेज दिए गए हैं। यह आदेश इन तीनों के तुरंत रिहाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट की शरण में जाने के बाद आया है।
याद रहे 15 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगा मामले में देवंगाना कलिता, नताशा नरवाल और जामिया मिलिया के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को जमानत दी थी। उन्हें देश से बाहर नहीं जाने का आदेश अदालत ने दिया था। तीनों को जमानत देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि ‘विरोध प्रदर्शन करना आतंकवाद नहीं है’।
नताशा, देवंगाना और , दिल्ली स्थित महिला अधिकार ग्रुप ‘पिंजरा तोड़’ के सदस्य हैं और आसिफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया का छात्र है। फरवरी 2020 में दिल्ली में हुई हिंसा में 50 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और हिंसा में कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया था। सार्वजनिक संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया था।
चिराग और चाचा पारस में पार्टी को लेकर लंबी लड़ाई तय
बिहार में लोक जनशक्ति पाटी यानी लोजपा में टूट को लेकर लंबी लड़ाई तय है। संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमारपारस और चिराग पासवान के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को लोजपा नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है।
पासवान ने लिखा कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।
बिहार के जमुई से लोकसभा सदस्य पासवान ने कहा कि लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। ऐसे में पशुपति पारस को संसदीय दल का लोजपा का नेता बनाया जाना हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के खिलाफ है।
बता दें कि पिदले दिनों लोजपा के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुना था। अब दोनों समूह यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही असली लोजपा है। इस पार्टी की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी जिनका कुछ महीने पहले निधन हो गया था। वह चिराग पासवान के पिता और पारस के बड़े भाई थे।अब पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर भी जंग शुरू हो चुकी है। मंगलवार को पटना में चिराग समर्थकों ने पारस के आवास काघेराव भी किया गया।