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पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटाकर मेजर ध्यान चंद खेल रत्न किया

केंद्र की मोदी सरकार ने खेल रत्न पुरस्कार से पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम हटा दिया है। खेलों के सबसे बड़े पुरस्कार का नाम बदलकर अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।

एनडीए सरकार ने शुक्रवार को खेल पुरस्कारों से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। मोदी ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह पुरस्कार हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा। मेजर ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।

भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार को तत्कालीन सरकार ने 1991-92 में शुरू किया था। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल क्षेत्र में शानदार और सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया जाता है। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। पहला खेल रत्न पुरस्कार देश के पहले ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था।

अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को इस पुरस्कार से नवाजा गया था। हॉकी में अब तक तीन खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार से नवाजा गया है। इनमें धनराज पिल्ले (1999-2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल हैं।

हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस किया करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल दागे थे। तब वहां के एक अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उनको हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।

41 साल बाद हॉकी में पदक जीतने का तोहफा
केंद्र सरकार का यह फैसला टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पद जीतने के बाद एक दिन बाद लिया गया। बता दें कि भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है। इससे पहले भारत ने आखिरी बार ओलंपिक हॉकी में 1980 में पदक जीता था। इसके साथ ही महिला हॉकी टीम भी इतिहास में पहली बार टोक्यो ओलंपिक के सेमी फाइनल में पहुंची।

यूएनएससी: 9 अगस्त को पहली बार भारतीय पीएम करेंगे बैठक की अध्यक्षता

दुनिया की सबसे ताकतवर संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद यानी यूएनएससी की अगस्त माह में भारत अध्यक्षता कर रहा है। इस दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास बनाने वाले हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यूएनएससी के कार्यक्रमों के बारे में वीरवार को जानकारी दी। इसमें बताया गया कि पहली बार भारत का कोई प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आयोजित होने वाली एक बैठक की अध्यक्षता करेगा।

बागची ने बताया कि अध्यक्षता माह के दौरान हम एक सिग्नेचर इवेंट आयोजित करेंगे, जिसमें तीन अहम क्षेत्रों पर फोकस किया जाएगा। ये तीनों क्षेत्र समुद्र की सुरक्षा, शांति अभियान और आतंकवाद के खिलाफ होंगे। उन्होंने बताया कि 9 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक उच्चस्तरीय वर्चुअल खुली चर्चा की अध्यक्षता करेंगे। इस चर्चा का मुद्दा समुद्र की सुरक्षा बढ़ाना होगा। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव पर भी बातचीत की जाएगी।

अरिंदम बागची ने कहा कि इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाएंगे। क्योंकि ऐसा पहली बार होगा, जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में  बैठक की अध्यक्षता करेगा। अगले साल की आखिर में भी भारत को एक माह की अध्यक्षता का मौका मिलेगा। वर्तमान में भारत संयुक्त राष्ट्र में अस्थायी सदस्य के तौर पर शामिल है।

टोक्‍यो ओलिंपिक: भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल बाद मेडल हासिल किया

शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय हॉकी टीम ने गुरूवार को ब्रॉन्ज मेडल मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से हराकर 41 साल के बाद, मेडल अपने नाम करके टोक्‍यो ओलिंपिक खेलों में ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली है।

भारतीय खिलाड़ी सिमरनजीत सिंह ने दो गोल करके भारत के लिए जीत की नींव रखी। उसके बाद हार्दिक सिंह ने भी गोल करके भारत के लिए ऐतिहासिक जीत मे सहयोग किया। फिर हार्दिक सिंह के बाद भारत के लिए तीसरा गोल हरमनप्रीत सिंह ने किया। जिसने मैच को बराबरी पर पर पहुंचा दिया। खेल के तीसरे क्वार्टर में भी भारतीय खिलाड़ियों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया।

भारत के लिए चौथा गोल दागकर रुपिंदर पाल सिंह भारत को मैच में आगे ले आये। इसके बाद  सिमरनजीत सिंह ने फिर से कमाल दिखाया और तीसरे क्वार्टर में ही गोल दागकर भारत के लिए जीत की उम्मीद जगा दी। मैच में  सिमरनजीत सिंह ने 2 गोल करके कमाल का परफॉर्मेंस दिया।

दिल्‍ली कैंट: 9 साल की बच्ची के रेप और हत्या मामले में गुत्‍थी और भी उलझी

राजधानी दिल्‍ली के कैंट इलाके में 9 साल की बच्ची के रेप और हत्या मामले को लेकर राजनीति तेज़ हो गई है। मामले में परिवारजनों के बदलते बयानों से गुत्‍थी और भी उलझ गई है।

रविवार की शाम को दिल्ली कैंट इलाके में 9 साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर रेप हुआ और उसकी हत्या कर दी गयी।

शुरूआती बयान में बच्ची के घरवालों का आरोप था कि रविवार की शाम जब बच्ची श्‍मशान घाट से पानी भरने गयी थी तब वहां उसकी मौत हो गयी थी और पुजारी ने जबरन बच्ची का अंतिम संस्कार करवा दिया।

जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने फोरेंसिक एक्सपर्ट बुलाकर शमशान से जहां बच्ची को जलाया गया था वहा से नमूने उठवाए। बाद में मामले में आरोपी पुजारी राधेश्याम, लक्ष्मीनारायण, कुलदीप और सलीम के कमरों से उनके कपड़े जब्त किए और वाटर कूलर निकालकर उसकी भी फोरेंसिक जांच करवाई।

पुलिस का कहना है कि बच्ची के घरवालों ने शुरुआती बयानों में रेप और हत्या की बात नहीं लिखवाई थी। वही दूसरी तरफ, परिवार वालों ने बच्ची के साथ रेप और हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

शुरुआती बयान में उन्होंने करंट से मौत की बात कही थी। फिर  बाद में जब उन्होंने दोबारा बयान दिए तब हत्या, रेप, सबूत मिटाने और एससी एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था।

मामले में शामिल सभी आरोपीयों को गिरफ्तार कर लिए गए है। आरोपियों का कहना है कि बच्ची की मौत करंट से हुई है।

पोलिस ने मामले की फोरेंसिक जांच भी कराई है, जांच से पता चला है कि वाटर कूलर में करंट आ रहा था। हालाकी पोस्टमार्टम से आभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है।

पुलिस के अनुसार, आरोपियों के कमरे से उनके कपड़े जब्त किए गए हैं जिनकी डीएनए जांच होगी. इसके साथ ही आरोपियों का पॉलीग्राफ और नार्को टेस्ट भी कराया जाएगा।

इंगित प्रताप सिंह डीसीपी दक्षिणी पूर्वी दिल्ली ने बताया- ‘मामले में संगीन धाराओं में सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। जांच एसीपी रैंक के अफसर कर रहे हैं। हम जल्दी ही चार्जशीट पेश कर देंगे. वैसे चार्जशीट 60 दिन में होती है।’

इस मामले में बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब संदिग्ध मौत का केस था तो पुजारी ने इतनी जलदी अंतिम संस्कार क्यों करवाया।

संसद के बाहर कांग्रेसी और अकाली नेताओं में जुबानी जंग

संसद के भीतर और बाहर नए कृषि कानूनों को लेकर पहले से ही हंगामा मचा हुआ है। बुधवार को इसका असर संसद के बाहर सांसदों के बीच भी देखने को मिला। इस मामले पर कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू और शिरोमणि अकाली दल सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल के बीच जुबानी जंग हुई। प्लेकार्ड्स लेकर संसद के बाहर प्रदर्शन कर रहीं बादल और अकाली सांसद से बिट्टू ने कहा कि आपका यह प्रदर्शन नकली है।

रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि जिस समय सरकार कृषि कानून संसद में पास करा रही थी, उस वक्‍त शिरोमणि अकाली दल सरकार के साथ थी। उसके किसी भी नेता ने केंद्र सरकार के बिल पर ऐतराज नहीं जताया। संसद में जब बिल पास हो गया और कानून भी बना दिया गया तब जाकर अकाली दल को लगा कि उसे किसान हितैषी बनना चाहिए। जब किसानों ने अकाली नेताओं के घर घेर लिए और बाहर निकलना दूभर कर दिया तब जाकर उन्होंने सत्ता से खुद को अलग करने का ऐलान किया। ये लोग रोज ड्रामा करते हैं, जबकि इन लोगों के कैबिनेट में रहते हुए बिल पास हुआ।

इस पर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पलटवार कर कहा कि जब बिल संसद में पास हो रहा था तो कांग्रेस ने बिल के समय वॉकआउट क्‍यों किया था? जब संसद में बिल पास हो रहा था, उस समय राहुल गांधी कहां पर थे? उस समय वो किसानों की आवाज बनकर संसद में क्‍यों नहीं आए। उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि राहुल और सोनिया गांधी ने विधेयक के विरोध में संसद में अपनी बात क्‍यों नहीं रखी।

जासूसी, किसान मुद्दे पर संसद में हंगामे के बीच मिनटों में विधेयक पास करा रही सरकार

पेगासस जासूसी और किसानों के मुद्दे के लेकर जारी हंगामे से संसद के मानसून सत्र का तीसरा हफ्ते भी धुलता नजर आ रहा है। इससे पहले दो हफ्ते तकरीबन बिना कामकाज के ही हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। पेगासस मुद्दे को लेकर विपक्ष अपने कड़े तेवर बनाए हुए है जबकि सरर भी अपने रुख पर अड़ी है। खास बात यह है कि इसी बीच विपक्ष के विरोध की परवाह किए बिना सरकार मिनटों में फटाफट कई अहम विधेयक पारित करा ले रही है, जिससे जानकार हैरानी जता रहे हैं। लोगों का करोड़ों रुपया संसद की कार्यवाही में बर्बाद हो रहा है और सरकार महज इसे खानापूर्ति की तरह भरपाई करती नजर आ रही है।

संसद सत्र के सुचारू संचालन न होने से विधायी कार्यों का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। दूसरे दलों की राय को अहमियत दिए बिना और बिना चर्चा व बहस के कई अहम विधेयक मिनटों में मोदी सरकार पास करा रही है। ऐसा लग रहा है मानो विधेयक पास कराने की महज औपचारिकता पूरी की जा रही है। जबकि संसद को एक मिनट चलाने में करीब ढाई लाख रुपये खर्च होते हैं और इस हिसाब से जनता के करोड़ों रुपये स्वाहा हो रहे हैं।

कानून बनाने की जगह संसद में किसी विधेयक पर कम चर्चा होने का मतलब है संसद में लोकतंत्र का नहीं होना। बहस में विपक्ष की राय न लिए जाने से महज औपचारिकता का एहसास होता है। विधेयक एक बार पारित हो गया और कानून की शक्ल में बदल गया तो इसमें बदलाव लाने में फिर लंबा वक्त लग जाता है।

मिनटों में पास हुए एक या दोनों सदनों से अहम विधेयक

फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) विधेयक 2021-
26 जुलाई को लोकसभा से 13 मिनट में पारित, इसमें बिल पेश करने वाला समय भी शामिल
राज्यसभा में यह बिल 14 मिनट में पारित, केवल पांच सांसदों ने बहस में हिस्सा लिया
द नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी इंटर्नप्नोयरशिप एंड मैनेजमेंट बिल
26 जुलाई को लोकसभा से छह मिनट में पारित
द मरीन एड्स टू नेविगेशन बिल 2021
27 जुलाई को राज्यसभा से 40 मिनट में पारित
जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रन) संशोधन बिल, 2021
28 जुलाई को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच राज्यसभा से 18 मिनट में पारित

द इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (अमेंडमेंट) बिल 2021
28 जुलाई को पांच मिनट में लोकसभा से पारित

इनलैंड वेसल्स बिल 2021
29 जुलाई को छह मिनट में लोकसभा से और 33 मिनट में दो अगस्त को राज्यसभा से पारित करा लिया गया

द एयरपोर्ट इकोनॉमिक्स रेगुलारिटी अथॉरिटी (संशोधन) बिल 2021
29 जुलाई को 14 मिनट में लोकसभा से पारित

द कोकोनट डेवलपमेंट बोर्ड (संशोधन) बिल, 2021
29 जुलाई को राज्यसभा से पांच मिनट में पारित

द जनरल इंश्योरेंस बिजनेस अमेंडमेंट बिल, 2021
दो अगस्त को आठ मिनट के भीतर लोकसभा से पारित

रैपर हनी सिंह पर पत्नी ने लगाए गंभीर आरोप

यो यो हनी सिंह के नाम से मशहूर रैपर और चर्चित गायक पर उनकी पत्नी ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। इससे हनी सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। शालिनी तलवार ने पति हनी सिंह पर न सिर्फ मारपीट करने के बल्कि यौन हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और आथिक शोषण के भी आरोप लगाए हैं।

शालिनी ने हनी सिंह के साथ ही अपने सास-ससुर और ननद पर भी उंगली उठाई है। शालिनी ने हनी सिंह पर ‘द प्रोटेक्शन ऑफ वुमन फ्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट’ के तहत दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में याचिका दायर की है। यह याचिका मजिस्ट्रेट तानिया सिंह के समक्ष पेश की गई है। वकील संदीप कपूर, अपूर्वा पांडे और जीजी कश्यप ने शालिनी तलवार की ओर से यह याचिका दायर की। कोर्ट ने हनी सिंह को नोटिस जारी कर 28 अगस्त से पहले जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने स्त्रीधन को न छेड़ने पर भी हनी सिंह पर रोक लगाई है।

बता दें कि हनी सिंह और शालिनी तलवार 20 साल दोस्त रहने के बाद प्यार में डूबे थे और 2011 में शादी की थी। हालांकि इन दोनों की शादी के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। इस बीच, उनके साथ कई नामों के लेकर चर्चा और अफवाहें उड़ती रहीं, लेकिन इनके रिश्ते में किसी भी तरह की दरार नहीं आई। लेकिन अब कोरोना संकट के इस दौर में रिश्तों में जो कड़वाहट दिख रही है, उससे हर परिवार को संवेदनशील तरीके से डील करने की जरूरत है।

येद्दियुरप्पा की कुर्सी जाते ही भ्रष्टाचार मामले में नोटिस जारी

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येद्दियुरप्पा की कुर्सी जाते ही मुश्किलों का दौर शुरू हो गया है। भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने येदियुरप्पा को नोटिस जारी कर तलब किया है। आवासीय परियोजना में कथित भ्रष्टाचार के मामले में मंगलवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और  उनके बेटे के साथ ही भाजपा के प्रदेश उपाध्ययक्ष बी वाई विजयेंद्र, उनके परिवार के सदस्यों, पूर्व मंत्री एस टी सोमशेखर और भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी को भी नोटिस जारी किया है।

जस्टिस एस सुनील दत्त यादव की एकल पीठ ने कार्यकर्ता टी जे अब्राहम की याचिका पर इन सभी के खिलाफ नोटिस जारी करने का आदेश दिया है। इस साल आठ जुलाई को विशेष अदालत द्वारा जारी आदेश को याचिका के जरिए चुनौती दी गई है। विशेष अदालत ने तत्कालीन मुख्यमंत्री येद्दियुरप्पा और तत्कालीन मंत्री सोमशेखर पर मुकदमा चलाने के लिए अनुमति मांगने वाला मामला खारिज कर दिया था। यह मामला बेंगलुरु विकास प्राधिकरण की एक आवासीय परियोजना के लिए कथित रिश्वत लेने से जुड़ा हुआ है। इस विषय पर कर्नाटक विधानसभा में भी चर्चा हो चुकी है जब विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने एक अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था और गंभीर आरोप लगाए थे। वहीं, येदियुरप्पा और उनके बेटे ने आरोपों को खरिज कर दिया था।

दरअसल, मामला बेंगलुरु में 662 करोड़ रुपये की लागत से एक अपार्टमेंट के निर्माण से जुड़ा हुआ है। इससे पहले विपक्ष के नेता आरोप लगा चुके हैं कि येद्दियुरप्पा और उनके बेटे के साथ ही परिवार व रिश्तेदार भी इस भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। आरोप है कि कोलकाता में एक फर्जी कंपनी के जरिये रिश्वत मांगी गई और बाकायदा भुगतान भी किया गया। इससे पहले भी मामले की जांच की मांग की जाती रही है। अब जब सीएम का पद गंवा चुके हैं, ऐसे में सरकार भले ही उनकी न हो, लेकिन पार्टी और करीबी नेता की ही है। ऐसे में अगर अदालत सख्त रुख अख्तियार करती है और मामले की परतें खुलती हैं तो कई नेता इसकी गिरफ्त में आ सकते हैं।

 

पेगासस मुद्दे पर एडिटर्स गिल्‍ड ऑफ इंडिया ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की

 

सुप्रीम कोर्ट में पेगासस मामले को लेकर अब एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी याचिका दाखिल करते हुए एस.आई.टी से जांच कराने की मांग की है।

पेगासस मुद्दे पर पहले ही शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं, जिन पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।

साथ ही पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दाखिल की गई है। याचिका में केंद्र सरकार को निगरानी के लिए स्पाइवेयर तैनात करने के लिए विदेशी कंपनियों के साथ किए गए अनुबंधों का विवरण देने के लिए कहा गया है।

गिल्ड ने वरिष्ठ पत्रकारों की जासूसी और फोन टैपिंग पर भी सवाल उठाए है।

गौरतलब है कि  इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार एन राम और उनके सहयोगी भी एक याचिका दाखिल कर चुके हैं. इसके अलावा भी कुछ पत्रकारों, वकील और राज्यसभा सांसद ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर इस मामले की जांच  कोर्ट की निगरानी में एस.आई.टी या किसी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाने की मांग की  है ।

गिल्ड ने अपनी याचिका में ये भी कहा है कि कोर्ट सरकार को आदेश दे कि इस सॉफ्टवेयर खरीद मामले के तमाम दस्तावेज कोर्ट को सौंपे ताकि सरकारी दावे की सच्चाई सामने आ सके।

असम और मिजोरम की सीमा पर हालात अब भी बेहद तनावपूर्ण

असम और मिजोरम के बीच चल रहे सीमा विवाद थमने का नाम नही ले रहा है। दोनों राज्यों के बीच यह विवाद बहुत पुराना है और पिछले महीने की झड़प के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। हालांकि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से शांति की कवायद की जा रही है, पर किसी खास नतजी पर नहीं पहुंच सके हैं। एक ओर असम जहां सीमा पर नई चौकी बना रहा है तो दूसरी ओर एक दूसरे के राज्यों से वाहनों और लोगों की आवाजाही पर लगभग पाबंदी जैसे हालात हैं।

मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से असम के भाजपा सांसदों ने मुलाकात की है। पूर्वोत्तर के भाजपा सांसदों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद असम-मिजोरम सीमा विवाद सहित क्षेत्र से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर एक ज्ञापन भी सौंपा। ज्ञापन में कहा गया है दोनों राज्यों में विश्वास-निर्माण के लिए काफी काम किया गया है, लेकिन कांग्रेस इससे खुश नहीं है। सांसदों ने आरोप लगाया कि कांग्रेस बांटने का काम कर रही है।

इससे पहले रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ टेलीफोन पर बातचीत की थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा से कहा था कि सीमा विवाद को शांत करने लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। इस दौरान दोनों राज्यों के सीएम ने बातचीत से ही मुद्दे को हल करने की बात कही थी। इसके अलावा केंद्रीय गृह सचिव ने असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों और दोनों राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर हालात की जानकारी ली थी।

दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री का रुख नरम

असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों की ओर से एक-दूसरे को आरोपी बताए जाने के रुख में नरमी दिखी है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि वो बातचीत के जरिए मुद्दा सुलझाने पर विश्वास करते हैं। मिजोरम के सीएम जोरामथांगा ने असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा और गृह मंत्री अमित शाह से फोन पर बातचीत के बाद कहा कि दोनों राज्यों के बीच जो भी विवाद है उसे बातचीत और मैत्रीपूर्ण रवैये के साथ सुलझा लिया जाएगा। असम सीएम ने कहा, मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने सीमा विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने की इच्छा जाहिर की है। असम पूर्वोत्तर की भावना को जीवित रखना चाहता है। हम अपनी सीमाओं पर शांति सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। इसी ओर कदम बढ़ाते हुए मैंने असम पुलिस को राज्यसभा सांसद वनलालवेना के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने के लिए निर्देश दिया है।

26 जुलाई को हुई थी सीमा पर झड़प

असम और मिजोरम के बीच 26 जुलाई को हुई झड़प के बाद तनाव बढ़ गया था। मिजोरम के कोलासिब जिले के वायरेंग्टे कस्बे में दोनों राज्यों के लोग और पुलिस बल आमने सामने आ गए और कईराउंड फायरिंग के बाद असम के छह पुलिसकर्मी मारे गए थे और एक नागरिक की भी मौत हुई थी। 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। जिसके बाद से दोनों राज्यों के बीच भारी तनाव कायम है। केंद्र सरकार ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल की पांच कंपनियां इस इलाके में तैनात की हुई हैं। गौरतलब है कि लंबे समय से असम के जिले- कछार, करीमगंज और हैलाकांडी, मिजोरम के तीन जिलों- आइजोल, कोलासिब और मामित के साथ 164 तकरीबन किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। विवाद पुराना है, लेकिन इस तरह की हिंसा पहली बार देखने को मिली है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री भी सख्त भाषा का प्रयोग करते नजर आए। मिजोरम में तो असम के मुख्यमंत्री के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला भी दर्ज किया गया है। इसके बाद विवाद और बढ़ गया।